Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:13 AM,
#39
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
मैंन रश्मि के ऊपर आकर उसको अपनी बाहों में कस कर चूमना शुरू कर दिया – प्रतिक्रिया स्वरुप संद्य ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे लिंग को पकड़ लिया और सहलाने लगी। मैं कभी उसके होंठो को चूमता, तो कभी उसके स्तनों को। मॉरीन हमारे बिकुल करीब आकर बेहद अन्तरंग तस्वीरें उतारने में व्यस्त थी। मेरी और रश्मि की हालत बहुत खराब थी – मेरा लिंग इस समय ऐसा अकड़ा हुआ था जैसे की बस एक हलके से दबाव से फट जाए। रश्मि की योनि भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैंने बिना किसी निर्देशन के रश्मि के होंठ चूमते हुए अपने लिंग को रश्मि के योनि द्वार पर सटा कर एक ज़ोर का धक्का लगाया .... लिंग उसकी योनि में ऐसे सरकता चला गया जैसे मोम में गरमागरम चाकू घुसा दिया गया हो। रश्मि के मुँह से एक कामुक सीत्कार निकल गई।

“मेरी जान... आह! मेरी हिरनी..” मैं न जाने क्या क्या बड़बड़ाते हुए पूरी गति से रश्मि के साथ सम्भोग करने में व्यस्त हो गया। हमारा खेल 3-4 मिनटों में अपने पूरे शबाब पर पहुँच गया। मैंने रश्मि को भोगते हुए उसके घुटनों को ऊपर की तरफ उठा कर मोड़ दिया और उसके नितम्बों को सहलाना आरम्भ कर दिया। मैं जल्दी ही स्खलित होने वाला था, लेकिन कुछ और देर यह खेल खेलना चाहता था। इसलिए मैंने धक्के लगाना रोक कर, अपने लिंग को बाहर निकाल लिया। योनि रस से सना हुआ मेरा लिंग, सूर्य की रौशनी में शामक रहा था। मैंने रश्मि के नितम्बों के नीचे अपनी हथेलियाँ रखीं और उस हिस्से को ऊपर की तरफ़ इस तरह उठाया की उसकी योनि मेरे मुख के सामने आ जाय। और फिर उसकी योनि पर अपने मुख को ले जाकर उसको चूमा। रश्मि किलकारी भरने लगी।

कुछ देर चूमने के बाद, मैंने खुद को व्यवस्थित किया और अपने लिंग को रश्मि की योनि में पुनः समाहित कर के धक्के लगाने आरम्भ कर दिए। अगले 2-3 मिनटों की मेहनत में मेरा वीर्य रश्मि की योनि में की गहराइयों में छूट गया। आहें भरते हुए मैंने रश्मि की कमर को कस कर अपने जघन क्षेत्र से चिपका लिया। रश्मि भी संयत होकर गहरी साँसे भारती हुई लेट गई – मैं उसके ऊपर ही लेट गया। लेकिन उसके होंठों, आँखों, कानों, गले और स्तनों पर चुंबनो की झड़ी लगा दी। कुछ ही देर बाद मेरा लिंग सिकुड़ कर खुद ही रश्मि की योनि से बाहर आ गया।

मॉरीन का परिप्रेक्ष्य

सेक्स के इस सजीव प्रसारण ने मुझे इस प्रकार मन्त्र-मुग्ध कर दिया की मैं अपनी सुध-बुध ही खो बैठी। मेरे हाथों से कैमरा गिरते गिरते बचा। मैं एक समलैंगिक हूँ, लेकिन इस इतर्लैंगिक मैथुन ने मुझे बहुत प्रभावित कर दिया था। रूद्र अब उठ कर बैठ गया था और मेरी तरफ मुखातिब था, और रश्मि अपने अभी अभी संपन्न हुए मर्दन के कारण थक कर लेटी हुई थी और सुस्ता रही थी। आखिरी कुछ तस्वीरें लेटे समय मुझे झुक कर बैठना पड़ा, जिसके कारण मेरे स्तन ब्रा के कपों से थोड़ा बाहर ढलक रहे थे। रूद्र नजरें इस समय उनको ही सहला रही थी। मैंने उसकी आँखों का पीछा किया तो तुरंत समझ गयी की वो कहाँ घूम रही हैं। मैं हांलाकि थोड़ा सचेत हो गई, लेकिन मैंने उनको छिपाने की कोई कोशिश नहीं की – वैसे भी मैंने वायदा किया था की हम तीनों नग्न तवीरें खिचायेंगे – तो देर-सबेर इन वस्त्रों से छुट्टी तो होनी ही थी। रूद्र ने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और मैं यंत्रवत उसके पास आकर बैठ गई। रूद्र है भी कितने आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक! और इसकी पत्नी, रश्मि, जब कम उम्र में ऐसी बला की सुन्दर है, तो फिर जब उसका यौवन पूरा निखरेगा, तब क्या होगा!!?

रूद्र ने अपनी बाहें मेरी कमर में डाल कर मुझे कस कर दबोच लिया और अपने होंठों से मेरे होंठ सटा कर चूमने लगा। इस स्त्यंत अप्रत्याशित हमले से मैं सकते में आ गई। उसने मेरे होंठ काट लिये और उनको चूसने लगा। एक क्षण को तो मैं अपनी लैंगिकता और सुध-बुध दोनों भूल गई और चुम्बन में उसका सहयोग करने लगी। उनके सम्भोग के दृश्य से मेरा शरीर पहले से ही कामाग्नि भड़क उठी थी, और अब इस चुम्बन ने मुझे दहकाना शुरू कर दिया। उसने मेरे होंठों को अपने दांतों के बीच दबा कर धीरे धीरे काटना शुरू किया, और फ़िर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने भी भीना इनकार किये उसकी जीभ को रसीले फल के जैसे ही चूसना शुरू कर दिया। 

कुछ देर तक इसी प्रकार चूमने के बाद जब उसके हाथ मेरी ब्रा को खोलने लगे... तब मैंने अपने होंठ झटक कर उससे अलग किए।

“यह क्या कर रहे हो...? बस अब बहुत हुआ... अब चलते हैं यहाँ से!” मैंने नाटक किया।

पर वह ऐसे मानने वाला नहीं था – उसने ब्रा के ऊपर से ही मेरे दोनों स्तन अपनी गिरफ़्त में ले लिया। उसकी पकड़ बहुत मज़बूत थी – और उनको इस प्रकार दबा रहा था की मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। मेरे दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी। वैसे चाहती तो मैं वहां से हट सकती थी, लेकिन वस्तुतः मेरी कोशिश भी बस सतही तौर पर ही थी, और मैंने उसकी हरकतों का कोई ख़ास विरोध नहीं किया। कुछ ही पलों में उसने मेरी ब्रा खींच कर मेरे शरीर से अलग कर दी और मैं ऊपर से पूरी नंगी हो गई। मेरे स्तन उभर कर बाहर हो आये – निप्पल पहले ही उत्तेजना के मारे कठोर हो गए थे।

मेरे गोरे बदन पर तने हुये स्तनों देख कर उसकी आँखों में एक चमक आ गई। उसने मेरे स्तनों को अपनी उंगली से हल्के हल्के सहलाते हुए कहा, “तुम बहुत ख़ूबसूरत हो।“

उसने मुझे खीच कर अपनी गोद में बैठा लिया, ऐसे जिससे मेरे दोनों पांव उसकी कमर के अगल बगल होते हुए उसकी पीठ के पीछे आ गए। उसकी हिम्मत की दाद देनी होगी – इस समय वह मेरे बाएँ स्तन के निप्पल को अपने मुँह में भर कर बच्चों की तरह चूस रहा था और उत्तेजनावश मेरे होंठों पर सिस्कारियां फूटने लगी। मैंने उत्तेजनावश रूद्र के सर को अपने स्तनों में भींच लिया। मेरे दिमाग में इस समय गहरी उलझन हो रही थी – मैं समलैंगिक हूँ, इतर्लैंगिक हूँ, या उभयलैंगिक हूँ? इस लड़के ने मुझे भरमा दिया है। 

अपने स्तनों के चूषण के आनंद के दौरान मेरी आँख अचानक ही खुली – देखा की रश्मि मेरी तरफ कुछ अजीब से भाव से देख रही है। क्या वह गुस्सा है? लगता तो नहीं! उत्सुक? नहीं! लालसा? पता नहीं! रश्मि की नज़र देख कर उसके भाव कुछ समझ नहीं आये – मैंने अपने आपको उसके किसी भी प्रकार के आवेग के लिए मन ही मन तैयार कर लिया। रश्मि उठी, मेरे पास आकर मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और आँखों में उसी प्रकार के भाव लिए मेरी तरफ गहरी दृष्टि डाली। 

‘कहीं ये मेरी गर्दन तो दबाने वाली नहीं है?’ मैंरे मन में एक तनाव देने वाला विचार कौंधा। लेकिन बस एक दो क्षणों के लिए ही। मैं लगभग तुरंत ही तनाव मुक्त हो गई – रश्मि की छरहरी उंगलियाँ मेरे दाहिने स्तन को छू रही थीं। ऐसे ही दो तीन बार छूने के बाद उसने मेरे स्तन को अपनी हथेली में भर कर दबाया। मेरे स्तन का आकार उसकी हथेली के लिए काफी बड़ा था, लेकिन फिर भी उसकी पकड़ दृढ़ थी। बीच बीच में वह मेरे निप्पल को अपने अंगूठे और उंगली के बीच पकड़ कर चुटकी ले रही थी।

उधर रूद्र आँखें बंद किये मजे से मेरे बाएँ स्तन का पान कर रहा था, और इधर उसकी पत्नी मेरे दाहिने स्तन से खेल रही थी। उसकी आँखों के भाव मुझे अब समझ आये – वह भी अपने पति की ही तरह मेरे स्तनों का पान करना चाहती है! मैंने रूद्र के सर को ज़रा हिलाया, तब जाकर वह अपने उन्माद से बाहर निकला, लेकिन उसकी सिर्फ आँखें ही खुली, मुँह में अभी भी मेरा निप्पल भरा हुआ था। उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा तो उसको भान हुआ की रश्मि मेरे दूसरे स्तन से खिलवाड़ कर रही थी। वह मेरे निप्पल को मुँह में लिए मिलये ही मुस्कुराया, और फिर रश्मि को कुछ बोला। ज़रूर उसने उसको मेरे स्तन पीने को कहा होगा क्योंकि अगले ही पल रश्मि ने मेरे निप्पल को अपने मुँह में रख लिया। 

रश्मि के मुँह की गर्मी का एहसास रूद्र से अलग था और बहुत अच्छा भी। कुछ देर उसने अपनी जीभ से उस पर दुलराया और फिर चूसना शुरू किया। मेरे दोनों निप्पल पूरी तरह से कड़े हो गए थे, अतः रश्मि को वह पूर्ण सुगमता से उपलब्ध हो गया। रश्मि निप्पल को मुँह में भरे हुए अपने दोनों हाथों से मेरे स्तन को धीरे धीरे दबाने और सहलाने लगी।

"तुमको यह पसंद है?" रश्मि बिना निप्पल को छोड़े मुस्कुराई। "जब तक मन करे, पियो" मैंने कहा। यह सीन बड़ा ही हास्यास्पद था – मेरे दोनों स्तनों से दोनों इस प्रकार चिपके थे जैसे अबोध बच्चे! कुछ देर चूसने के बाद रूद्र ने मेरे स्तन को छोड़ दिया और मेरे पीछे जा कर मेरी चड्ढी उतारने लगा। एक तरीके से यह सही भी था – हम तीनों में सिर्फ मैं ही थी, जिसने कुछ भी पहन रखा था। मैंने भी अपने पैर इधर उधर उठा कर उसकी मदद करी – अब हम तीनों ही पूर्ण निर्वस्त्र हो गए। 

मैं तो एक समलैंगिक हूँ, और जब रश्मि जैसी सुन्दर, सेक्सी लड़की मेरे सामने इस प्रकार रहे, तो मेरा मन भी कुछ तो करने का बनेगा ही। मुझे यह नहीं मालूम था की हम तीनों की इस कामुक क्रिया की निष्पत्ति कैसे होगी, लेकिन उसके बारे में कुछ सोचना भी बेकार था। मैंने रश्मि के मुख से अपना स्तन मुक्त कर उसको पीछे ही तरफ धकेला, जिससे वह रेत पर पीठ के बल गिर गयी। मैंने कुछ पल उसको निहारा, फिर अपना चेहरा रश्मि के पास ला कर अपने होंठ उसके होंठो से सटा दिए। तुरंत ही मुझे दो अत्यंत कोमल होंठो का स्वाद मिलने लगा।

मैं नहीं चाहती थी की रश्मि इस नए अनुभव से डर जाए या घबरा जाए, इसलिए मैंने उसके होंठों पर हलके हलके कई चुम्बन जड़ दिए। मैंने देखा की रश्मि बुरा नहीं मान रही हैम तो थोड़ी और तेज़ी और जोश के साथ उसको चूमना आरम्भ कर दिया। मैंने उसके दोनों गाल अपने हाथो में लेकर से थोडा दबा दिया, जिससे उसके होंठ खुल गए। मैंने अपनी जीभ रश्मि के मुँह में डाल कर अन्दर का जायजा लेना और चूसना शुरू कर दिया।
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