Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:22 AM,
#85
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
दोपहर बाद सुमन कॉलेज से आती, और वो भी मेरे साथ ही रहती। मेरा जीवन वापस प्रेम से लबालब होने लगा। दोपहर बाद ही लगभग हर दिन कोई न कोई आ ही जाता - कभी नीचे मेडिकल स्टोर से कोई आ जाता, कभी कोई परिचित, कभी कोई ऑफिस से... तो कभी कोई पड़ोसी! अब तो जैसे आदत हो गयी.. दोपहर बाद आने वालों की प्रतीक्षा करना! लेकिन यह तो है की अब तक मुझे संसार और यहाँ के लोगों के बारे में जितनी भी गलतफहमियां थीं, वो सब ख़तम हो गईं। मैं समझ गया की दुनिया कठोर नहीं, बल्कि संवेदनशील है। मेरे एक्सीडेंट के बारे में जिसने भी सुना, वो सुनकर परेशान हो गया। भागा भागा चला आया देखने!

ऐसा कोई दिन नहीं गया जब रश्मि की याद न आई हो... उसकी याद आती तो मैं आँखें मूँद कर अतीत के संसार की यात्रा कर आता, उसके बारे में सोच कर आँसू भी ढुलका लेता, और भविष्य की चिंता में भी डूब जाता। कभी दर्द, तो कभी पीड़ा-भरी याद में जब मैं अचानक ही चिल्ला उठता, तो फरहत एक झटके से किसी फ़रिश्ते की तरह मुझे सम्हाल लेती।

कभी कभी उसकी बाते मुझे बोर भी करतीं। लेकिन उससे बात करना दिन का सबसे सुखद अनुभव होता था। वो रोज़ मुझसे बात करती, मुझे दवा देती, नहलाती, साफ़-सफाई करती, कभी कभार मुझे उपन्यास पढ़ कर सुनाती, तो कभी अखबार! वो मेरी फिजियोथेरेपी भी करती। ये सिलसिला चलता रहा। और उसी के साथ मेरी सेहत भी वापस आने लगी। हाथों और पैरों की हड्डियाँ जुड़ गईं, और उनमें ताकत वापस आने लगी। मैं अब खुद से चल फिर सकता था, और कई सारे छोटे मोटे काम कर सकता था.. लेकिन फरहत की आदत मुझे कुछ ऐसी लग गयी थी की मैं उसको मना नहीं कर पाता था। मेरी हालत में सुधार के बारे में उसको भी मालूम था, लेकिन वो भी कभी ऐसे नहीं दिखाती थी की उसको मुझे नहलाने इत्यादि में कोई झिझक नहीं महसूस होती थी।

एक दिन सवेरे वो मुझको स्पंज बाथ दे रही थी। वो हाँलाकि मेरे घर में ही रहती थी, लेकिन फिर भी पूरी इमानदारी से वो अपनी यूनिफार्म पहन कर ही मेरी देखभाल करती थी। लेकिन, आज जब वो नहा कर बाथरूम से बाहर आई, तो उसने आरामदायक, कैसुअल कपड़े पहने हुए थे। उसको टी-शर्ट और होसरी पजामा पहने देख कर मुझे अचम्भा हुआ, और अच्छा भी लगा। 

“फरहत, तुम कितनी अच्छी लग रही हो आज!”

वो मुस्कुराई। 

“जी.. वो.. मैं.. दो जोड़ी यूनिफार्म है.. और दोनों ही धोने में डाली हुई है..”

“आई ऍम नॉट कम्प्लैनिंग.. मैं तो कहता हूँ की तुम ऐसे ही रहा करो..”

हाँलाकि ये कोई सेक्सी कपड़े नहीं थी, लेकिन फिर भी बिना किसी बंधन के (उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी) उसके स्तन उसकी हर हरकत पर जिस प्रकार से हिल रहे थे, और जिस तरह से उसके पजामे ने उसके नितम्बो को उभार रखा था, उससे मेरे लिंग का स्तम्भन जल्दी कम नहीं होने वाला था। हर रोज़ की तरह जब वो कमरे से बाहर जाने को हुई, तो मैंने लपक कर उसका हाथ पकड़ लिया।

“मेरे पास रहो..” न जाने कैसे मेरे मुँह से यह तीन शब्द निकल गए। निश्चित है, मेरी आँखों में वासना के डोरे फरहत को साफ़ दिख रहे होंगे!

फरहत कुछ नर्वस दिख रही थी। उसके होंठ कांप से रहे थे, और होंठों के ऊपर पसीने की एक पतली सी परत साफ़ दिख रही थी। मैं भी नर्वस था.. स्पंज-बाथ के बाद नग्नावस्था में लेटा हुआ था। न जाने क्या होने वाला था आज..! 

“रूद्र..?” 

मैंने कुछ नहीं कहा, बस उसका हाथ पकड़े हुए ही उसको पहले तो बिस्तर पर बैठाया.. और उसका हाथ तब तक अपनी तरह खींचता रहा जब तक वो मेरे बराबर ही बिस्तर पर लेट नहीं गयी। जिस तरह से वो निर्विरोध यह सब कर रही थी, उससे तो तय था की आज हम दोनों का मिलन होना ही था।

“हम दोनों दोस्त हैं न?” वो पूछ रही थी, की बता रही थी? कुछ समझ नहीं आया.. लेकिन यह तो तय था की वो नर्वस बहुत थी।

“यस.. सो ट्रस्ट मी! ओके?” मैंने कहा।

उसके लेटते ही मैंने उसके होंठों पर एक चुम्बन रसीद कर दिया। उसके होंठ बहुत ही नरम थे। बहुत दिनों बाद किसी लड़की के होंठ चूमने को मिला! इसलिए मैंने चुम्बन जारी रखा और कुछ देर में मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए। मैं उसके एक एक होंठ को अपने होंठों के बीच में दबा कर उनको जीभ से दुलारता। फरहत चुम्बन करने में अनाड़ी थी। मुझे समझ में आ गया की यह सब उसके साथ पहली बार हो रहा है (मतलब, हर बात में अनाड़ी थी)। मैंने जब अपनी जीभ उसके मुंह में डालने की कोशिश करी, तो कुछ हिचक के बाद उसने अपना मुंह खोल दिया। अब हमारी जीभें एक दूसरे के मुँह में थीं। इतने दिनों बाद ऐसा चुम्बन करने में मुझे बहुत आनंद आ रहा था। 

चूमते हुए ही मेरा हाथ उसके सर और उसके बालों में फिरने लगा.. एकदम कोमल, मुलायम बाल!

“तुम्हारे बाल बहुत सुन्दर हैं.. एकदम सेक्सी!” इस शब्द का प्रयोग उसके सामने मैंने एक तो पहली बार किया और दूसरा, जान-बूझ कर किया। मैं चाहता था की हमारी आपस में हिचक दूर हो जाय। लेकिन फरहत नर्वस ही रही..

“हाँ.. सिर्फ बाल ही हैं..” शायद वो आगे ‘सेक्सी’ कहना चाहती थी, लेकिन हिचक रही थी। 

उसको चूमते हुए मेरा हाथ उसके एक स्तन पर आ गया। जैसा मैंने बताया था, उसने ब्रा नहीं पहनी थी और उत्तेजना के मारे उसके निप्पल खड़े हुए थे। उसने झट से अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ लिया। लेकिन उसके पकड़ने से मैं रुक नहीं सकता था, लिहाजा, मैंने उसका स्तन दबाना शुरू किया। कुछ ही देर में उसकी पकड़ कमज़ोर हो गयी और वो आहें भरने लगी। मैंने चुम्बन लेना जारी रखा, और साथ ही साथ उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाने लगा। 

“नहीं.. प्लीज.. मुझे नंगी मत करिए!”

“देखते हैं न.. की तुम्हारा और क्या क्या सेक्सी है!”

“और कुछ भी सेक्सी नहीं है.. मैंने आपको बताया न!” फरहत विरोध नहीं कर रही थी.. मुझे ऐसा लग रहा था की यह एक सामान्य सा वार्तालाप है।

“फरहत.. आज हम दोनों रुक नहीं पाएँगे.. न तुम, और न ही मैं! ... लेकिन अगर तुम वाकई नहीं चाहती हो, तो हम ये नहीं करेंगे..”

कह कर मैं कुछ देर के लिए रुक गया, और उसकी किसी प्रतिक्रिया का इंतज़ार करने लगा। जब उसने कुछ विरोध नहीं किया और बिस्तर से उठने की कोई कोशिश नहीं करी, तो मैंने उसकी टी-शर्ट उसके शरीर से अलग कर दी। सामने का दृश्य देख कर आनंद आ गया – छत्तीस इंच के भरे पूरे गोल स्तन! लाल-भूरे रंग के छोटे छोटे निप्पल, और उसी रंग की areola! 

कहने की आवश्यकता नहीं की मैंने उसके स्तनों को दबाते हुए चूसना आरम्भ कर दिया। फरहत भी अभी खुल कर आनंद लेने लगी। आदमी की अजीब हालत होती है – किसी भी उम्र का हो, अगर उसके सामने किसी लड़की या स्त्री का स्तन हो, तो उनको बिना पिए रह नहीं सकता। 

‘ओह भगवान्! कितने दिन हो गए!’

‘ओह भगवान्! कितने दिन हो गए!’

मैं किसी भूखे बच्चे की तरह फरहत से लिपट कर उसका स्तन पी रहा था, और उनसे खेल रहा था। फरहत आँखें बंद किये हुए इस अनोखे अनुभव का मज़ा ले रही थी। उसकी भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी – जो की उसकी भारी होती सांसों से परिलक्षित हो रहा था। वो खुद भी मेरे सर को अपने स्तन से सटा कर रखे हुए थी। उसने मेरे शरीर को सहलाना आरम्भ किया, और ऐसे सहलाते हुए उसका हाथ मेरे लिंग पर पहुंचा! साफ़ सफाई करते समय वो बिलकुल भी संकोच नहीं करती थी, लेकिन इस समय उसने अपना हाथ तुरंत हटा लिया। 

“क्या हुआ?”

“य्य्य्ये बहुत बड़ा है।“ 

एक बार मैंने एक चुटकुला सुना था, जिसमे दुनिया के सबसे बड़े झूठों में एक यह बताया गया था की जब औरत किसी मर्द को कहे की तुम्हारा पुरुषांग बहुत बड़ा है।

अक्सर यह दलील दी जाती है की जब योनि में से पूरा बच्चा निकल आता है, तो फिर लिंग का साइज़ क्या चीज़ है? उसका उत्तर यह है की जब स्त्री प्रजनन करने वाली होती है, तो होर्मोन्स के प्रभाव से उसके शरीर में (ख़ास तौर पर जघन क्षेत्रों में) अभूतपूर्व लचीलापन आ जाता है.. यह क्रिया सामान्य अवस्था में नहीं होती है.. इसलिए अगर लिंग बड़ा है, और स्त्री ऐसा कहे, तो यह बात सुननी चाहिए, और आराम से काम करना चाहिए।

“आर यू ओके, फरहत?”

“पता नहीं..” फिर कुछ देर रुक कर, “.. मुझे डर लग रहा है, रूद्र! अभी जो हो रहा है, मैं उसके लिए बिलकुल भी रेडी नहीं थी... समझ नहीं आ रहा है की मैं क्या करूँ..!”

“तुमको कुछ भी करने से डर लग रहा है?” मैंने पूछा। फरहत वाकई डरी हुई लग रही थी। 

“व्व्व्वो.. मैं.. आई.. आई ऍम स्टिल अ वर्जिन!”

“व्ही डोंट नीड टू डू एनीथिंग, इफ़ यू डोंट वांट टू, स्वीटी!” मैंने फरहत को स्वान्त्वाना देते हुए कहा, “व्ही कैन जस्ट बी विद ईच अदर!”

मेरी बात से फरहत कुछ तो शांत हुई.. लेकिन फिर उसकी आँखें मेरे पूरी तरह से सूजे हुए लिंग पर पड़ी।

“लेकिन... लेकिन.. आप क्या ‘करना’ नहीं चाहते?”

मैंने फरहत को अपनी बाहों में लेते हुए शांत स्वर में कहा, “बिलकुल करना चाहता हूँ.. लेकिन सिर्फ तभी, जब तुम भी चाहती हो। तुमने कभी सेक्स नहीं किया.. इसलिए अब यह तो मेरी जिम्मेदारी है की तुमको उसका पूरा आनंद मिले.. और उसके लिए सबसे पहले तुम्हारी रज़ामंदी चाहिए.. है न?”

मेरी इस बात पर फरहत मुझसे और चिपक सी गई, और उसने मेरे सीने पर अपना हाथ रख दिया। मैं इस समय उसके दिल की धड़कन सुन सकता था। फिर उसने एक गहरी सी सांस भरी और सर हिला कर हामी भरी।

“क्या हुआ फरहत?”

“रज़ामंदी है..”

“हंय?”

“आपने कहा न, की रज़ामंदी चाहिए? तो.. रज़ामंदी है!”

“पक्का फरहत? क्योंकि एक समय के बाद मैं भी खुद को रोक नहीं पाऊँगा!”

“पक्का.. बस, थोड़ा सम्हाल कर करिएगा.. सुना है की बहुत दर्द होता है!”

“फरहत, डरो मत! मैं तुमको दर्द नहीं होने दूंगा... बस, कोशिश कर के मजे करो! चलो, अभी जूनियर से कुछ जान पहचान बढ़ाओ..” मैंने मुस्कुराते हुए उसको हौसला दिया।

उसने हिचकते हुए मेरे लिंग को अपनी हथेली में पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगी, उधर मैंने भी उसके पजामे के ऊपर से ही उसकी योनि को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया। ऐसा अनुभव उसको पहली बार हो रहा था, इसलिए कुछ ही देर में फरहत बेकाबू हो गयी। लेकिन मैंने उसकी योनि का मर्दन जारी रखा। उसका रस निकलने लग गया था, क्योंकि पजामे के सामने का हिस्सा गीला और चिपचिपा हो गया था। फिर कोई दस मिनट बाद मैंने अपना हाथ उसके पजामे के अन्दर डाल कर उसकी योनि की टोह लेनी आरम्भ करी। फरहत कामुक आनंद के शिखर पर पहुँच गयी थी। 

कुछ ही क्षणों में मैंने अपनी उंगली ज़ोर-ज़ोर से उसकी योनि पर रगड़ना शुरू किया, और वहाँ का गीलापन, और गर्मी अपनी उंगली पर महसूस किया। वो इस समय अपनी पीठ के बल बिस्तर पर निढाल लेट गयी थी और साथ ही साथ अपनी टाँगें भी कुछ खोल दी थीं, जिससे मेरे हाथ को अधिक जगह मिल सके। मैंने अपनी तर्जनी उंगली को उसकी योनि में घुसाने लगा। एक पल तो फरहत ने अपनी साँसें रोक ली, लेकिन उंगली पूरी अन्दर घुस जाने के बाद उसने राहत में सांस छोड़ी। उसकी योनि रश्मि की योनि के जैसे की कसी हुई थी! उतनी ही तंग! लेकिन आश्चर्य की बात है की वो कोमल भी बहुत थी! और, वहाँ पर काफी बाल भी थे.. आनंद आने वाला है!

कुछ देर तक उंगली को उसकी योनि के अन्दर बाहर करने के बाद फरहत दोबारा अपने चरम पर पहुँच गयी। उसकी कामुक आहें निकलने लगीं। जब तक उसने आहें भरीं, तब तक मैंने उंगली से मैथुन जारी रखा, लेकिन जब वो अंततः शांत हुई, तो मैंने उंगली निकाल ली और सुस्ताने लगा। 

“आप रुक क्यों गये?” उसने पूछा।

“अब तो मेन एक्ट का टाइम है.. तुम रेडी हो?”

“बाप रे! अभी ख़तम नहीं हुआ? मैं तो थक गयी.. ओह्ह...”

“अभी कहाँ ख़तम? अभी तो हमें ‘कनेक्ट’ होना है.. तभी तो पूरा होगा..” 

कह कर मैंने अपने लिंग की ओर इशारा किया, और उसका पजामा नीचे सरका कर उसके शरीर से मुक्त कर दिया। अब हम दोनों ही पूरी तरह नग्न मेरे बिस्तर पर थे। मैंने वापस उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में लेकर उसको मसलने लगा। वो पुनः वासना के सागर में गोते लगाने लगी। मैंने उसके कन्धों को चूमना शुरू कर दिया और वहाँ से होते हुए उसके कान को चूमा और उसकी लोलकी को चूसने लगा। 

“फरहत, क्या तुम्हे अच्छा नही लग रहा?”

उसने सिर्फ सर हिला कर हामी भरी।
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RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) - by sexstories - 12-17-2018, 02:22 AM

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