Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:09 AM,
#22
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर किशन विजय को बुलाने आता है ,विजय किशन का हाथ पकड़कर अपने पास खीच कर बैठा लेता है ,लेकिन किशन को इसमें कोई भी इंटरेस्ट नहीं था ,वो विजय के कानो में कहता है ,
"अबे इन्हें छोड़ बहार चल मस्त प्रोफ़ेसर है ,क्या फिगर है जैसे मेरी का था ,"विजय आँखे उठाकर किशन को देखता है ,वो जल्दी से सबको बाय कहता है और वहा से उठकर किशन के साथ हो लेता है ,मेरी का नाम सुनकर ही उसे कुछ कुछ होने लगता है ,किशन उसे सीधे सोनल के पास ले जाता है ,
"तो हो गए फुर्सत ,कमीने कही के कुछ तो बहनों की इज्जत का ख्याल करता "सोनल झुटा गुस्सा दिखाती है ,विजय किशन को घुर कर देखता है वो हलके हलके मुस्कुरा रहा था ,
"अरे मेरी बहना मैं तो तुम्हारी इज्जत बढ़ा रहा था ,अब देखना कितनी लडकिया तुम्हे मेरा नम्बर मांगती है "विजय सोनल के चहरे को प्यार से हाथो से पुचकारता है ,सोनल के होठो में एक मुस्कान आ जाती है ,
"भईया आप इतनी जल्दी लडकिय पटा कैसे लेते हो ,गाव में भी शहर में भी ,कम उम्र की भी और मेरी जैसी सेक्सी को भी "रानी हस्ते हुए कहती है ,मेरी का नाम सुनकर उसे किशन की याद आ जाती है ,
"बस बहनों तुम्हारा प्यार है तुम्हारे भाई पर ,मुझे किशन से अकेले में कुछ बात करनी है मैं आता हु "विजय किशन के कंधे को पकड़कर केंटिन से बहार ले जाता है ,किशन को पता था की वो उसे क्यों ले जा रहा है पर वो चुपचाप ही साथ चल देता है ...और केंटिन से बहार निकलते ही दौड़ पड़ता है ,
"रुक साले तुझे बताता हु मैं "विजय भी किशन के पीछे पीछे दौड़ता है ,
इधर एक तेज रफ़्तार से आती हुई एक बाइक ,जिसमे दो लड़के सवार थे किशन के अचानक भागने से उनका बेलेंस डगमगा जाता है ,और तेजी से ब्रेक लगाते है ,किशन उनसे हल्का सा टकरा भी जाता है ,
"मादरचोद पागल है क्या,"बाइक चला रहे लड़के की आवाज आती है ,की विजय जाकर उसका कॉलर पकड़ लेता है ,बदले में वो शख्स भी विजय का कालर पकड लेता है 
"गाली किसे दे रहा है मादरचोद ............."पूरा केम्पस बस उन दोनों को देख रहा था ,ऐसे लगा की दो पहाड़ एक दुसरे से टकराने वाले है ,विजय किसी पर्वत सा विशाल लग रहा था वही सामने वाला शख्स भी कम ना था ,लम्बाई चौड़ाई में वो लगभग विजय के ही बराबर था ,काले रंग की कमीज और डेनिम ब्लू जींस पहने ,माथे में लाल रंग का लम्बा तिलक उसके गोर और चमकीले रंग में खिल कर दिखाई दे रहा था ,चहरे से किसी राजकुमार सा लग रहा था ,छाती के घने बाल उसके शर्ट से झांक रहे थे वही उसके एक सफ़ेद धागा उन्ही बालो में से देखी पड़ रहा था ,जो उसका जनेऊ था,इससे पता चल रहा था की वो एक ब्राम्हण कुल का लड़का है ,दोनों के चहरो में एक सा तेज था जैसे लग रहा हो की इनका खून एक ही है ,उस लड़के के पीछे बैठा शख्स भी अब निचे उतर चूका था पर दोनों एक दुसरे का कालर नहीं छोड़े थे ,पुरे केम्पस में एक शांति फ़ैल गयी थी ,,,लेकिन दोनों में से कोई भी कुछ कर नहीं रहा था वो बस एक दुसरे की आँखों में देखे जा रहे थे ,जैसे आँखों से ही जंग जितना चाह रहे हो ,दोनों की आँखे लाल थी जैसा की खून उतर आया हो ,उन्हें लग रहा था की जैसे ये दुश्मनी आज की नहीं ये उनके खून में थी ,खून का उबाल उनके चहरे पर साफ दिख रहा था ,दोनों ने ही एक ही रंग के कपडे पहने थे ,एक ही कद काठी एक ही जैसा तेजस्वी चहरा ...................दोनों ही रुके हुए थे किसी ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं की दो आवाजे जोर से आई ...भईया रुको 
लेकिन किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ा था,दोनों को किसी ने जोरो से हिलाया ..
"भईया भईया "दोनों अपनी बहनों के तरफ मुड़े ...उनके कानो में एक दूर की आवाज सी सुनाई दि ..."ये सोनल का भाई है " "ये खुशबु के भईया है "
दोनों ने एक दुसरे को छोड़ा पर दोनों की आँखे आपस में मिली ही थी ,वो खून का उबाल अभी भी शांत नहीं हुआ था ,ना जाने क्यों ये कैसा आकर्षण था जो दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे ,,,,किशन,रानी ,सोनल ,खुशबु और वहा खड़ा हर शख्स उनकी इस हरकत को देखकर हैरान था ,की सोनल ने पानी की बोतल ली और एक एक करके दोनों के सर में डाल दिया .....
की जैसे कोई सपने से जागे हो दोनों ही हडबडा से गए ...दोनों ने आस पास देखा और एक दुसरे को देखा सब तो ठीक था फिर हुआ क्या था ,.....
"क्या कर रहे हो तुम लोग ,पागल हो गए हो क्या ...."सोनल की आवाज से दोनों का धयान उसकी तरफ गया 
"नितिन ये मेरे भाई है विजय और किशन ,और विजय ये खुसबू के भाई है नितिन और राकेश "सभी एक दूजे से हाथ मिलते है सिवाय नितिन औरर विजय के दोनों अभी भी एक दूजे को देख रहे थे 
"चलो हाथ मिलाओ क्या हुआ "सोनल फिर गुस्से से कहती है ,दोनों अपने हाथ आगे बढ़ाते है और एक दुसरे के हाथो को मजबूती से दबाते है सोनल और खुशबु ये देख कर डर ही जाते है ,सोनल तो हाल काफी अच्छा था पर खुसबू उसेकी तो रूह ही काप गयी ,,,वो जानती थी की ये क्यों हो रहा है ,खानदानी दुश्मनी इतनी ताकतवर होती है की खून भी अपना रंग दिखाना शुरू कर देता है ......उसके कानो में अपने दादा रामचंद्र तिवरी की बात गूंज रही थी ,"बेटा जिस दिन ये दोनों परिवार आपस मे दुशमनी छोड़कर प्यार से रहेंगे उसी दिन मेरा जीना सफल होगा,मैं अपने बच्चो के हाथो मजबूर हु पर बेटा अगर तुझे मौका मिले तो तू जरुर दोनों परिवारों को मिला देना ....मुझे मेरे नाती नतनिनो से मिला देना "
खुशबु को लगने लगा की उसके दादा का सपना कभी भी पूरा नहीं हो पायेगा,....

कुछ देर और दो काफी से दोनों नार्मल हो चुके थे सभी बैठ कर काफी पि रहे थे ,विजय और नितिन बाते तो नहीं कर रहे थे पर अब सामान्य व्यवहार कर रहे थे की ,एक लड़का उनके पास दौड़ता आया ,नितिन भाई आपको और (विजय की ओर देखते हुए )इसको प्रिन्सिपल मेडम बुला रही है...सोनल ने अपना सर पकड़ लिया उसे समझ आ चूका था की किसी ने उनके लड़ाई की बात प्रिंसिपल तक पंहुचा दि होगी और वो खडूस मेडम जो की नितिन को ही लाइन मारती है ऐसा मौका कैसे छोड़ सकती थी ,
मिसेस काव्या सेठ ,एक 40-45 साल की कातिल महिला थी ,पूरा कॉलेज उसके हुस्न पर दीवाना था वही काव्य नितिन पर ,सोनल और नितिन के बारे में उसे पता था की दोनों एक दुसरे से प्यार करते है इसलिए वो सोनल के पीछे लगी रहती थी ,ऐसे तो काव्य काफी स्ट्रिक्ट थी पर उसके दिल के किसी कोने में वो एक चंचल औरत ही थी ........
अब काव्य को ये पता चल गया की नितिन की लड़ाई सोनल के भाई से हुई है ,वो ये मौका नहीं छोड़ सकती थी ,लेकिन उसे ये नहीं पता था की वो जिसकी बेज्जती करने वाली थी वो विजय था,जिसने अपने भाई के अलावा किसी की नहीं सुनी ,और इसी बात का सोनल को डर था वो कुछ उल्टा सीधा ना कर दे ,
"भाई प्लीज् कुछ उल्टा सीधा मत करना मेडम के पास ,नितिन यार सम्हाल लेना प्लीज "सोनल ने हाथ जोड़कर कहा ,नितिन ने हलके से हां में सर हिलाया वही विजय को ये अच्छा नहीं लगा की सोनल नितिन को सम्हालने को कह रही है ,उसने भी हां में सर हिला दिया...
दोनों प्रिंसिपल के ऑफिस के बहार पहुचे साथ में सभी थे पर सिर्फ दोनों को ही अंदर जाना था बाकियों को अंदर आने से मेडम ने मना कर दिया था ,,,,इससे पहले की वो अंदर जाते 
"सोनल यार टॉयलेट कहा है मुझे जोरो की आई है " सोनल ने विजय को गुस्से से देखा ,और इशारे से बताया वो अंदर गया और करीब 2 मिनट के बाद वापस निकला उसके चहरे में एक कातिल मुस्कान थी जिसे सोनल और किशन समझ रहे थे ,नितिन पहले ही अंदर जा चूका था ,
"भाई प्लीज कुछ उल्टा सीधा मत करना "सोनल ने उसके कानो में कहा ,विजय उसके माथे को चूमता है
"कुछ नहीं होगा फिकर मत कर "विजय अंदर जाता है ,
"क्या मैं अंदर आ सकता हु "अंदर नितिन सर निचे किये हाथ बंधे खड़ा था ,वही काव्या उसके सामने टेबल से टिकी हुई खड़ी थी ,विजय ने जैसे ही उसे देखा उसके कमर के निचे हलचल होनी शुरू हो गयी ,उसने सही सुन रखा था ये सच में माल थी,महरून रंग की साडी पहने ,उसके तने हुए स्तनों से उसकी घाटी साफ़ दिख रही थी वही होठो में लाल रंग का लिपस्टिक ,ऐसे लग रहा था की नितिन के आने पर खास रूप से लगाया गया हो ,साड़ी से उसका पेट साफ झांक रहा था वही उसकी नाभि की गहरी और उसके सपाट पेट विजय के जानवर को जगाने के लिए काफी था ,
मेडम ने सर उठाकर देखा ,नितिन की तरह ही लम्बा चौड़ा कदकाठी का एक गबरू जवान उसके सामने खड़ा था ,वो विजय को देखकर थोड़ी देर देखते ही रह गयी ,उसने उसे ऊपर से निचे तक देखा उसका गुस्सा या कहे झूठा गुस्सा जो वो विजय पर करने वाली थी थोडा कम हो गया ...विजय आकर नितिन के सम्नातर खड़ा होता है पर नितिन की तरह मुह निचे किये हुए नहीं बल्कि उसकी जवानी को निहारते ,
काव्या उसे ऐसा घूरते देख खुद भी नर्वश हो जाती है ,की विजय उसे निचे देखने को बोलता है ,काव्य की तो सांसे ही रुक जाती है ,विजय के जींस में एक बम्बू जैसा तना था ,,विजय अपने बम्बू को सहलाता है और उसे टेढ़ा कर काव्य को उसकी मोटाई और लम्बाई दिखता है ,....उसे तो ये यकीन ही नहीं आ रहा था की कोई उसके सामने ऐसा भी कर सकता है वही किसी का इतना बड़ा भी हो सकता है ,काव्या ललचाई आँखों से उसे देख रही थी ,तभी नितिन को ये शांति समझ नहीं आती वो सर उठा कर 
"मेडम "
नितिन का ये कहना काव्या को जैसे सपने से जगाता है ,वो थोड़ी देर तक तो खुद को ही सम्हालती है ...
"हा हा नितिन तुम जाओ बाहर ,इसे मैं देख लुंगी "
"मेडम इसकी कोई गलती नहीं है ,प्लीज ,ये तो इस कॉलेज का भी नहीं है "
"मैंने कहा ना ,जाओ "नितिन बुरा सा मुह लिए वहा से निकल जाता है ,बहार सभी नितिन को इतनी जल्दी आते देख घबरा जाते है ,
"नितिन विजय कहा है "सोनल घबराते हुए उसे पूछती है 
"मेडम ने उसे रोक लिया है ,बहुत गुस्से में है "
"हे भगवान मेरे भाई को बचाना उस चुड़ैल से "सोनल हाथ जोड़कर ऊपर देखती है वही किशन सोनल के पास आकर हलके से फुसफुसाता है 
"दीदी भगवन से विजय की नहीं मेडम की सलामती की दुआ मांगो ,वो अपनी कच्छी टॉयलेट में उतार कर गया है "सोनल आश्चर्य से किशन को देखती है किशन हां में सर हिलाता है और सोनल अपना सर पकड़कर बैठ जाती है ...............
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