Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
12-26-2018, 11:17 PM,
RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
Contd......*** मैं क्या करूँ? ***





मैं: यदि तुम कुछ कह नहीं पाओगे तो मैं कैसे तुम्हारी कुछ सहायता कर पाऊँगी ....?

वो कुछ नजदीक आया और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ पकड़ कर बोला- आप सच में बुरा नहीं मानेंगी ना..?

मैं अपना हाथ छुडाने की कोशिश करते हुए बोली- मैं बुरा नहीं मानूंगी...लेकिन मेरा हाथ तो छोड़ो !

इस तरह यह पहला वाकया था जब किसी लड़के ने मेरा हाथ पकड़ने की कोशिश की थी, कोशिश क्या पकड़ ही लिया था...

वो: नहीं पहले आप वचन दो कि बुरा नहीं मानोगी ...

मैंने परेशान होकर कहा- हाँ बाबा, मैं बुरा नहीं मानूंगी, तुम मुझसे जो कहना चाहते हो वो कह सकते हो लेकिन मेरा हाथ छोडो.. प्लीज ....

लेकिन उसने हाथ नहीं छोड़ा....

उसकी हालत देखकर मुझे लगा कि वो शायद ठीक से सो भी नहीं पाया है और कुछ परेशान भी है...

फिर उसने धीरे धीरे अटक अटक कर बोलना शुरू किया- मैं कुछ दिन से बहुत ......परेशान हूँ, ठीक से .. नींद भी नहीं आ रही है .... कैसे कहूँ.. क्या कहूँ बस यह सोच कर.... बहुत....परेशान हो . गया हूँ....... यदि आपको यह बात .....

मैं : हाँ बोलो ना... बोलते रहो, मैं सुन रही हूँ.....

वो : आप यदि बुरा भी मान जाएँ तो आप मुझे मारिएगा.. पीटना मुझे ..

उसकी आँखें डबडबा आई ......

मैं : लेकिन बोलो तो सही ऐसी क्या बात है.....

वो : मेरी परेशानी का कारण आप हैं...

अब मेरी समझ में कुछ आया लेकिन फिर भी मैं बोली- क्या....!! मैं तुम्हारी परेशानी का कारण.....

वो फिर अचकचा गया .. मेरी तरफ कातर नजरो से देखने लगा....

मैं : बताओ तो सही आखिर मैं .. परेशानी का कारण .. कैसे हूँ....?

वो : मैं आपका ख़याल अपने मन से नहीं निकाल पा रहा हूँ !

मैं अवाक् रह गई.....

वो मेरी आँखों में देखकर बोला- मैं आपको पसंद करने लगा हूँ........ और आप हर समय मेरे मन में घूमती रहती हैं........ मैं आपसे बात... करना चाहता हूँ .....और आप ठीक से बात भी नहीं करती हैं.....

मैं सोचने लगी कि यह क्या हो गया है ? किसी से बात नहीं करना इतना बुरा हो सकता है ??

मैं क्या कहती ... बस उसकी तरफ देखती रही .. उसने अब तक मेरे हाथ पकड़े हुए थे... अब मुझे उनका भी होश नहीं था.....

उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे, वो बोलता गया .....मुझे कुछ भी ... अच्छा नहीं लगता... ना खाना ... सोना भी.... बस आप .....ही आप.... मैं आज के बाद आपको कुछ नहीं कहूँगा....

देखूँगा भी नहीं ... चाहे तो आप मुझे मार सकती हैं....

यह कह कर उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया ....

अब मुझे होश आया .. मैंने छुड़ाने की कोशिश की तो उसने अपनी बाहों को और भी जकड़ लिया..

अब मैं सोचने लगी कि यदि अब कोई आकर दरवाजा खटखटाए तो हम दोनों को इस तरह अकेले देखकर क्या सोचेगा.. यह क्या कह रहा है ... क्या हो रहा है यह सब... हे भगवान ....

मुझे घबराहट होने लगी...

मैंने बोला- छोड़ मुझे .. कोई आ गया तो क्या होगा.. पागल....

लेकिन उसने मुझे नहीं छोड़ा.. वो मुझे मेर मुँह पर यहाँ-वहाँ चूमने की सफल/असफल कोशिश करने लगा... मेरे माथे पर, आँखों और नाक पर, मेरे गालों पर.. मैं अपना चेहरा इधर उधर करने लगी ....

लेकिन उसके आँखों से आंसू गिर रहे थे और वो मुझे चूमे जा रहा था....

फिर उसका एक हाथ मेरी छाती पर ...मेरे एक बोबे पर आ गया...अब मेरे शरीर में सिरहन दौड गई....

मुझे बस एक ही ख़याल आ रहा था कि ये मुझे छोड़ कर चला जाये लेकिन उसकी पकड़ के सामने मैं कुछ कर नहीं पा रही थी.......

वो मेरा बोबा दबाने लगा....धीरे धीरे मेरे शरीर में चींटियाँ रेंगने लगी ....मैं छूटने की नाकाम कोशिश करती रही ...

मेरी हिम्मत धीरे धीरे टूटती जा रही थी...मैं शिथिल पड़ती जा रही थी, मुझे लगने लगा कि मेरे साथ ये क्या होने वाला है ....

हे भगवान .....

उसने मेरे होटों पर अपने होंट रख दिए और चूसने लगा।

मैं कसमसाई लेकिन छूटना मुश्किल था...

अब उसका बोबे वाला हाथ मेरे सर के पीछे, मेरा चेहरा उसके मुँह की तरफ दबाव दिए हुए था, अब मेरे हाथ समर्पण की मुद्रा में ढीले पड़ गए...मैंने सब कुछ ऊपर वाले पर छोड़ दिया....

कुछ देर में मेरे होंट कब उसके होंटो को चूसने लगे मुझे कुछ पता नहीं चला...मेरे शरीर में चींटियाँ रेंग रही थी....दिल में हौल मची हुई थी.. दिल धाड़ धाड़ बज रहा था....मुझे कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया था...मेरे हाथ धीरे से उठे और उसके हाथों को पकड़ लिया.....

इतने में उसने मुझे वहीं सोफे पर गिरा दिया ...मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, बस अब लगने लगा था कि यह जो कुछ करना चाहता है वो जल्दी से कर ले... और चला जाये....वो मुझ पर छा गया...उसका एक हाथ फिर से मेरे बोबे पर आ गया, मेरी साँसे जोर जोर से चलने लगी .... उसका दबाव मेरे वस्ति-क्षेत्र पर पड़ने लगा... मुझे अच्छा लगा....मैं खुद पर आश्चर्य करने लगी कि यह सब मुझे क्यों अच्छा लग रहा है ..!!

एक हाथ से उसने अपना वजन सम्हाल रखा था और दूसरे से मेरे बोबे दबा रहा था....मुझे लगने लगा कि वो मुझे मसल डाले....और जोर से ...

मेरे मुँह से ऊं ऊं ....करके आवाज निकलने लगी तो उसने अपना मुह मेरे होंटों से अलग किया और मेरा कुरता ऊँचा करके बोबे नंगे करने लगा....

बोबे देखकर जैसे वो पागल हो गया....वो उन्हें चूमने लगा फिर चुचूक मुँह में लेकर चूसने लगा ...

अब मेरी रही सही हिम्मत भी चली गई, मैं बिल्कुल उसकी मेहरबानी पर निर्भर हो गई .......

मेरे हाथ धीरे से उठे और उसके बाल सहलाने लगे.. अचानक उसका हाथ मेरी पेंटी में घुसता चला गया...मेरी सिरहन सर से पैर तक दौड़ गई लेकिन अब तक मैं बेबस हो चुकी थी...उसकी ऊँगली मेरी चूत की खांप में चलने लगी, मेरे शरीर में चींटियाँ ही चींटियाँ चलने लगी, मेरे हाथ उसके खोपड़ी के पीछे से मेरे बोबों पे दबाने लगे ....मेरे मुँह से अनर्गल शब्द निकल रहे थे...आं...ऊं हाँ...और जाने क्या क्या....

मैं मिंमियाई सी कुनमुनाने लगी, मेरी चूत से पानी निकलने लगा..जो मेरी गांड से होता हुआ.......मेरी पेंटी गीली होती जा रही रही थी..सब कुछ मेरी बर्दाश्त से बाहर होने लगा..., मुझे लगा कि यह कुछ करता क्यों नहीं है.... मैं बेबस हुई जा रही थी...

अचानक वो उठा और अपनी पैंट नीचे सरका कर अंडरवियर सहित फिर से मेरे ऊपर आ गया... फिर उसका हाथ नीचे हुआ और जब उसका हाथ हटा तो मुझे अपनी चूत पर कुछ गड़ता हुआ महसूस हुआ...उस गड़न से मुझे बहुत बहुत राहत महसूस हो रही थी, चींटियाँ जैसे थमने लगी थी....और सिमट कर चूत की तरफ अग्रसर होने लगी ....उसके नीचे का हिस्सा चक्की की तरह मेरे शरीर पर चलने लगा ...मेरी चूत में चींटियों ने जैसे अपना बिल बना लिया है, मैं अपने हाथ से चूत को खुजाना चाहती थी लेकिन उसका शरीर मुझसे बुरी तरह से चिपका हुआ था....

झख मार कर मैंने उसकी बांह पर अपनी उँगलियाँ गडा दी, मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी- कर ...जोर से...

मैं फुसफुसाई- अंदर डाल ना....

लेकिन उसने जैसे कुछ सुना ही नहीं ... मैं उसको भी नहीं देख पा रही थी...मेरी आँखें मुंदी हुई थी...वो मुझे रगड़े जा रहा था, उसके होंट मेरे होंटो पर और उसके एक हाथ में मेरा बोबा जिसे वो दबाये जा रहा था... धीरे धीरे मेरे शरीर में सनसनी चलने लगी ...वो बिना रुके रगड़ता गया...

सनसनी बढ़ती जा रही थी....और मुझे लगने लगा जैसे मैं अपने शरीर से अलग होकर हवा में उड़ने लगी हूँ, मेरा शरीर हवा सा हल्का हो गया है.....

मुझे डर लगने लगा....मैं अपने हाथों को हवा में घुमा कर कुछ पकड़ने को सहारा ढूँढने लगी ताकि उड़ते में गिर ना जाऊं लेकिन जब नाकाम हो गई तो उसकी पीठ पर अपनी उँगलियों से जोर से दबाया कि उसके मुँह से आह निकल गई....मुझे डर लगने लगा कि जाने यह क्या हो गया है मुझे ....मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे ...फिर मुझे लगा कि वो मेरे ऊपर ठहर गया है....

मैं बड़बड़ाने लगी- मुझे डर लग रहा है....मुझे पकड़ लो ....प्लीज .......और आंसू थे कि रुक नहीं रहे....

वो जैसे होश में आया...उसने मुझे सहारा देकर बिठाया और मुझे अपने से चिपका लिया....बोला- कुछ नहीं हुआ रानी .....चुप हो जाओ प्लीज ...

वो मुझे पुचकार कर चुप कराने लगा और बताने लगाकि मुझे कुछ नहीं हुआ है, मैं यहीं हूँ अपने घर में ...., कहीं नहीं गई हूँ.....

थोड़ी देर में मैं होश में आने लगी... फिर मुझे होश आया कि मेरे साथ क्या हुआ है ...मैंने अपना कुरता नीचा किया और उसकी तरफ देखने लगी ...

फिर मेरा हाथ उठा और उसके एक चांटा पड़ा ...मेरे मुँह से निकला ...तूने यह क्या कर दिया.....

उसने अपनी पैंट ऊँची की, बटन और चेन लगाईं, अपने कपड़े ठीक किये और सॉरी बोल कर नजरें नीचे किये दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया....

मैं धीरे-धीरे पूरे होश में आ गई और पूरे वाकये को सोचने लगी ...15 मिनट में ही मेरे साथ यह क्या हो गया था....??
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