Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:08 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जयंत : गुस्से में विफरता हुआ…..ये तू नही हो सकता….तू वो कमल नही जिसे मैं जानता था…जो मेरा दोस्त था…..तू कुछ छुपा रहा है मुझ से…….अब भी वक़्त है बता दे क्या बात है…मैं तेरी मदद ही करूँगा…..लेकिन अगर तूने कुछ नही बताया…और मुझे कुछ ऐसा पता चला कि रूबी की हालत के पीछे तेरा हाथ है….तो माँ कसम भूल जाउन्गा तू मेरा दोस्त है….इससे पहले सुनील तेरी जान ले ले मैं खुद तेरे टुकड़े टुकड़े कर दूँगा.

कमल : कुछ पल खून भरी नज़रों से जयंत को देखता रहा ….फिर उसके चेहरे का रंग बदलने लग गया. वो वही पुराना कमल बन गया……….माफ़ कर दे यार उसकी ये हालत देख दिमाग़ खराब हो गया था….तू ऐसा सोच भी कैसे सकता है कि मैं अपनी रूबी को कुछ नुकसान पहुँचाउंगा

कुछ तो बात थी जिसकी परदादारी हो रही थी……जयंत को कमल पे बिल्कुल यकीन ना आया….और उसने अब कमल पे नज़र रखने का फ़ैसला कर लिया…खुद को नॉर्मल कर ….चल कोई बात नही हो जाता है…पर सुनील से माफी माँग लेना…बहुत ग़लत सोच रहा होगा वो तेरे बारे में.

कमल : दोस्त हो तो ऐसा….(कमल जयंत के गले लग गया ….पर जयंत के भाव में वो गरम जोशी नही थी..जो पहले हुआ करती थी….उसकी आँखें बता रही थी..कि वो बहुत गहरी सोच में है)

वहाँ हॉस्पिटल में जब सुमन और सविता पहुँची तो उन्होने देखा एक इनस्पेक्टर सुनील से बात कर रहा था.

क्यूंकी स्यूयिसाइड केस था इसलिए हॉस्पिटल अथॉरिटी ने पोलीस को इनफॉर्म कर दिया था.

इनस्पेक्टर : इनस्पेक्टर विक्रम रेतोड …..प्यार से लोग मुझे विक्की कहते हैं …..हां तो कैसे हुआ ये.

सुनील : मतलब ????

विक्रम : ये लड़की आपकी कॉन लगती है और उसने नींद की गोलियाँ क्यूँ खाई…यानी स्यूयिसाइड करने की कोशिश क्यूँ करी.

सुनील : रूबी मेरी बहन है …..और आप से ज़्यादा मुझे जल्दी है ये जानने के लिए कि ऐसा क्यूँ हुआ.

विक्रम : जब ये हादसा हुआ….आप कहाँ थे …….और आपके साथ ये मोहतार्मा कॉन हैं.

तब तक सुमन और सविता वहाँ पहुँच गये……इससे पहले सुनील कुछ जवाब देता :
सुमन : इनस्पेक्टर……आवाज़ बर्फ की तरहा सर्द थी.

विक्रम अपनी नज़रें सुमन की तरफ फेरता है और उसके चेहरे को पहचानने की कोशिश करने लगता है….

विक्रम : आप आप कहीं मरहूम डॉक्टर सागर की वाइफ डॉक्टर. सुमन तो नही.

सुमन : बिल्कुल ठीक पहचाना….अंदर जो मोत से लड़ रही है वो मेरी भांजी है…ये सुनील है मेरा बेटा और ये सोनल है मेरी बेटी..मेरे साथ सविता है मेरी छोटी बहन और रूबी की माँ. हम लोग मालदीव गये हुए थे कल ही वापस पहुँचे… पीछे घर पे सविता और रूबी ही थे. जब हम पहुँचे तो सविता ने दरवाजा खोला था …..हम लोग हाल में बैठ बातें कर रहे थे ….तब सोनल रूबी के कमरे में गयी तभी हमे इस हादसे का पता चला और सुनील और सोनल ---रूबी को यहाँ ले आए. और कुछ पूछना है आपको.

विक्रम : अगर आप डॉक्टर.सागर की वाइफ नही होती तो मेरा रवईया आपके साथ कुछ और होता. एक बार डॉक्टर. सागर ने मेरी वाइफ की जान बचाई थी..तब से उनका कर्ज़दार हूँ….अब तो ये केस मेरा पर्सनल केस बन गया है……..क्या आपको कोई लेटर कोई नोट मिला रूबी के हाथों लिखा हुआ..

सुमन : इतना होश ही कहाँ रहा जो ये सब सोचते. अगर ऐसा कुछ मिला तो आपको ज़रूर इनफॉर्म कर दूँगी.

तभी आइसीयू से डॉक्टर. बाहर आता है…..वो बहुत सीरीयस लग रहा था. वो सुमन को जानता था.

सुमन जी ……..आगे वो बोलता बोलता रुक गया.

सुनील : डॉक्टर. रूबी को होश आ गया??? ठीक है ना वो……?

डॉक्टर. ……..आइ’म सॉरी….शी हॅज़ गॉन इंटू कोमा.

सविता ………न्न्टर.ननणन्नाआआआअहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईई और लहराते हुए गिर पड़ी. वो बेहोश हो चुकी थी सदमे से.

बाकी सब तो पत्थर बन गये.

सुनील ……नही…नही ये ये नही हो सकता….उसे होश में आना पड़ेगा…..

सोनल भी रोने लगी और सुनील से लिपट गयी.

विक्रम और डॉक्टर. ने सविता को संभाला और उसे रूम में ले गये.

सुमन …….पत्थर बनी खड़ी रही.

कुछ देर मैं सुमन ने खुद को संभाल लिया और सुनील और सोनल को अपने गले लगा लिया…’कुछ नही होगा उसको …मैं खुद अब उसका ट्रीटमेंट चेक करूँगी …..और यूँ कमजोर होने की ज़रूरत नही ….मैं रूबी को चेक करती हूँ…तुम दोनो सवी को सम्भालो.’

ये कह कर वो आइसीयू में घुस गयी.

तभी नर्सस की ड्यूटी चेंज हुई …..उनमे से एक नर्स जब रेस्ट रूम पहुँची तो अपने मोबाइल से एक मेसेज किसी को भेजती है ‘वो कोमा में आ चुकी है’ मसेज भेजने के बाद वो उसे डेलीट कर देती है.

सुमन रूबी की वाइटल्स चेक करती है…..केस इतना भी खराब नही हुआ था…रूबी होश में आ सकती थी… पर कब …ये तो उपरवाला ही जाने.

विक्रम हॉस्पिटल से निकल सीधा कॉलेज जाता है और रूबी के बारे में पूच ताछ शुरू कर देता है…उसकी सहेलियाँ कॉन थी…फिर हर सहेली से अलग अलग मिल ना जाने कितने सवाल करता है.

रूबी के स्यूयिसाइड अटेंप्ट की खबर आग की तरहा पूरे कॉलेज में फैल चुकी थी…. और सब को एक ही डर लग रहा था…..सुनील……..कब क्या कर दे अब….
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