Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:44 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील के दिमाग़ में नगाड़े बज रहे थे. सवाल पे सवाल उठ रहे थे. पर जवाब कहीं से मिलता नज़र नही आ रहा था.

सुनेल मिनी को देख रहा था पॅकिंग करते हुए. और उसके दिमाग़ में जलजले उठ रहे थे. एक तरफ एक भाई का प्यार उसे खींच रहा था जिसके लिए वो जान पर खेल गया था वहीं दूसरी तरफ दिल ,में चुबी हुई फाँस उसे जला रही थी, नफ़रत हो रही थी उसे सुनील से- कैसे उसने सवी से शादी कर ली, शादी और मासी से. ये ये सब क्या चल रहा है.

जब सुनेल मुंबई में था तब उसने उड़ती हुई बातें कुछ सुनी थी जब सवी, विजय और मिनी बात कर रहे थे जिन से ये लग रहा था कि सुनील उसकी और अपनी माँ सुमन से शादी कर चुका था, और तो और बड़ी बहन सोनल से भी. लेकिन उसने इस बात को अपने कानो का वेहम समझ उड़ा डाला था. लेकिन कल जो उसने कमरे में देखा वो उसकी रूह को अंदर से हिला गया था. कैसे एक भांजा अपनी मासी से शादी कर सकता है ? ये बात उसका दिल कबुल करने को तयार नही था. पर उस कमरे की तस्वीरें और दोनो के दूल्हा दुल्हन के हुलयए कुछ और दास्तान बता रहे थे.

सुनेल के कानो में वो बातें फिर गूंजने लगी. जब उसे कुछ ऐसा महसूस हुआ था कि सुनील ने माँ और दीदी दोनो से शादी कर ली है. नही नही ये ये कभी नही हो सकता. उसका दिल किसी भी तरहा इस बात को मानने को तयार नही था.

ये बच्चे क्या सुनील और सोनल के हैं. क्या ये सच है. नही ये नही हो सकता.

मुझ से कहा गया था कि सोनल गर्भवती है और मुश्किल से गर्भ ठहरा है, इसलिए जब तक बच्चे नही पैदा हो जाते मुझे उन लोगो से दूर रहना चाहिए.

लेकिन ये नही बताया था कि सोनल का पति कॉन है. 

क्या जो मैं सोच रहा हूँ वो सच है? हे उपरवाले काश ये सब झूठ निकले.

मेरा जुड़वा मेरा पिता कैसे हो सकता है? मेरी दीदी, मेरी भाभी कैसे बन सकती है? नही ये सब मेरा वेहम है ये नही हो सकता. ज़रूर कोई खांस वजह होगी जो सुनील ने सवी से शादी की. ओह! कहीं ये उस रूह से निदान पाने के लिए तो नही किया गया था.

बवंडर मच रहे थे सुनेल के दिमाग़ में और जवाब उसे हिन्दुस्तान पहुँच के ही मिलने थे.

मिनी पॅकिंग तो कर रही थी पर अंदर ही अंदर वो हिली पड़ी थी उस वक़्त के बारे में सोच - जब सुनेल के सामने एक भयानक सच्चाई आएगी - उसका जुड़वा भाई उसकी माँ और बड़ी बहन से शादी कर चुका है. क्या सुनेल इस सच को बर्दाश्त कर पाएगा.? एक अंजाना सा डर मिनी को घेर बैठा था.

सुनेल ने काई बार सोचा क्यूँ ना मिनी से सच के बारे में पूछ ले और जो सवाल उसकी जान पे बने हुए थे उनका जवाब हासिल कर ले, पर जैसे ही मुँह खोलने की सोचता ज़ुबान तालू से चिपक जाती, क्या सोचेगी मिनी मेरे बारे में अगर मैने ये सवाल उठाए. नही नही मैं तो बस पगला गया हूँ. आधा अधूरा ज्ञान बड़ा ख़तरनाक होता है इसलिए सिर्फ़ कुछ फुसफुसाती आवाज़ों के दम पे मैं कोई ख़याल नही उत्पन्न कर सकता, क्या पता क्या बातें हो रही थी और मैं क्या सोचने लग गया.

ऐसा कभी होता है कि एक बेटा माँ से शादी करे और तो और बड़ी बहन से भी शादी कर डाले. तभी एक धमाका उसके दिमाग़ में हुआ एक ज़ोर का बॉम्ब फूटा और वो तिलमिला के रह गया.

उसकी आँखों के सामने वो मंज़र आ गया जब वो दरवाजे के बाहर खड़ा सुनील और समर की चल रही लड़ाई को सुन रहा था. क्या कहा था सुनील ने ...कुछ कहा था...क्या क्या...हां सुनील समर को गालियाँ दे रहा था कि समर ने माँ को ये सीखाने की कोशिश करी थी कि वो सुनील को सेक्स लेसन्स दे. कैसा भड़का हुआ था सुनील उस वक़्त. तो ये तो हो ही नही सकता कि सुनील माँ से शादी कर ले. ज़रूर कोई और बात चल रही होगी जिसे मैं ढंग से सुन नही पाया जब सवी, मिनी और विजय बात कर रहे थे.

वाह रे इंसान तू और तेरा दिमाग़, पता नही क्या क्या सोच डालता है. सुनेल खुद पे ही हंस पड़ा और अपना सर झटक वो मिनी की मदद करने लगा पॅकिंग में.

यहाँ सुनील परेशान था सवी और सूमी दोनो बेहोश थी. सवी का जिस्म कभी गरम होता तो कभी ठंडा. रूबी घबराई हुई सी सुनील को देख रही थी अपनी माँ की ये हालत उससे बर्दाश्त नही हो रही थी, सुनील सूमी को होश में लाने की कोशिश कर रहा था, पर शायद सूमी कोई कोई गहरा सदमा पहुँचा था.

आसमान पे काले काले बादल छाने लगे दिन का उजाला गहरी रात का रूप इख्तियार करने लगा, बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हो गयी यूँ लग रहा था जैसे बादल आपस में लड़ रहे हों. बीच बीच में बिजली चमकना लगती, महॉल ख़तरनाक होता चला जा रहा था और कमरे में सुनील सूमी को होश में लाने का प्रयत्न कर रहा था.

रूबी सवी के पास बैठी आँसू बहा रही थी, कभी उसके हाथ रगड़ती तो कभी पैर, सवी का जिस्म कभी ठंडा पड़ जाता तो कभी जलते हुए शोले की तरहा भाबकने लगता. रूबी से सवी की हालत देखी ना जा रही थी, कहाँ तो आज उसकी सुहागरात थी और कहाँ ये सब हो गया. रूबी को अभी ये नही मालूम था कि असल में हुआ क्या था, वो तो बस ये समझ रही थी कि सवी अचानक बीमार पड़ गयी.

धीरे धीरे सवी का जिस्म नॉर्मल हो गया, पर वो अभी तक बेहोश थी, अब उसका जिस्म ठंडा गरम नही हो रहा था. इतने में सूमी भी होश में आ जाती है और कस के सुनील से लिपट जाती है. सुनील उसे कुछ नही कहता ना कुछ पूछता है, उसे पूरी तरहा संभलने का मौका देता है. सुनील चाहता था कि सूमी जो दिल में है वो खुद उससे बोले. आख़िर सारी बात सुनने के बाद सूमी - वो जिंदा है बोल के बेहोश क्यूँ हुई थी. सवाल पे सवाल सुनील के दिमाग़ में घूम रहे थे और उन सवालों का अहसास सूमी को हो गया था. सूमी ने खुद को संभाला और सुनील से अलग हो उसके साथ चिपकी बैठी रही और अपना सर उसके कंधे पे रख दिया.

सूमी बहुत धीरे से बोली ताकि रूबी को सुनाई ना दे : क्या तुमने वाक़ई में देखा था कि दूसरा साया बिल्कुल हूबहू तुम्हारी तरहा था.

सुनील : हां पर मुझे कुछ समझ नही आ रहा ये सब क्या है.

सूमी : मुझे लगता है सवी पे किसी आत्मा ने क़ब्ज़ा कर लिया है, शायद काफ़ी पहले और वो नही चाहता कि सवी की शादी हो, तभी वो आज सुहागरात वाले दिन उसके जिस्म से निकल के बाहर आया और तुम्हें मारने की कोशिश करी.

सुनील : तुम ये सब मानती हो.

सूमी : ये जिंदगी का कड़वा सच है सुनील, मैने इस बारे में काफ़ी पढ़ा है, और अब तो पूरा यकीन हो गया है.

सुनील : वो दूसरा साया जो मेरी तरहा दिखता था वो फिर कैसे.

सूमी : वो और कोई नही तुम्हारा जुड़वा भाई है. लगता है तुम भूल गये, मैने तुम्हें बताया तो था,जब तुम दोनो पैदा हुए थे तो मुझे यही कहा गया कि वो मरा हुआ पैदा हुआ था. पर तुम्हारी बात सुन के यकीन हो गया कि मुझसे झूठ बोला गया था. वो हम तक पहुँच चुका है तभी कल वो तुम्हें बचाने बीच में कूद पड़ा, शायद उसने अपनी मानसिक तरंगों को विकसित कर लिया है. सुनील मेरा दिल तड़प रहा है उससे मिलने को, इतने साल मैं अंजान इस धोखे में रही कि वो मर चुका है.

सुनील हैरानी से सूमी को देखने लगा. उसका जुड़वा भाई और ये बात वो भूल कैसे गया, उसे अपने उपर गुस्सा सा छाने लगा.

सूमी : नाराज़ मत हो, हो जाता है, जब कोई साथ ना हो पल भर के लिए भी तो यादें धुंधली पड़ जाती हैं. मैं भी उसे भूल गयी थी, पर ये बात मेरे दिल के किसी कोने में दफ़न ही रहती थी. पर वो जिंदा है तो मुझ से इतना बड़ा झूठ क्यूँ बोला गया. क्यूँ किया किसीने ऐसा मेरे साथ. और सागर तक को पता ना चला, ये कैसे हो सकता है.

तभी रूबी पुकार उठी , सुनिए दीदी का जिस्म तो अब नॉर्मल हो गया है पर अब भी बेहोश हैं, प्लीज़ देखो ना इन्हें.

सुनील और सुमन होश में आते हैं और सवी की तरफ लपकते हैं.

सुनील जैसे ही सवी को . है उसे एक तेज झटका लगता है और सवी के मुँह से एक डरावनी सी आवाज़ निकलती है ' हाथ मत लगाना मेरी सवी को जान से मार डालूँगा.हुउऊुुुुउउन्न्ञनननणणन् (एक गुर्राहट सी निकलती है सवी के मुँह से)

सूमी : कॉन हो तुम क्यों मेरी बहन को परेशान कर रहे हो.

लेकिन अब सवी शांत सी लेटी रही और कोई जवाब ना निकला उसके मुँह से.
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