Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 11:55 AM,
#13
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
7

मैं एक दम से घबरा गया........और बिना सोचे मैंने बोल दिया.."चाची 15 मिनट रखना है"


मैंने दरवाजे के बाहर ही खड़ा था, मेरे एकदम बोल देने से कहीं चाची को शक तो नहीं हो गया ? चाची अन्दर से चिल्लाई, "अरे ....तो 15 मिनट हुए की नहीं"


अब की बार मैं थोडा पीछे गया और बोला, "हाँ चाची......म म म मेरा मतलब है की थोड़ी देर और रख लो......"


चाची ने दरवाजे पर हाथ रखा और थोडा सा दरवाजा खुल गया. मैं भाग कर कम्पुटर चेयर पर बैठ गया, दरवाजा मेरी पीठ की तरफ था इस लिए चाची को सिर्फ मेरी पीठ दिखती, यह नहीं दीखता की मेरा पजामा नीचे है और मेरा बाबुराव झूम रहा है.


उन्होंने दरवाजे से सिर्फ मुंह बाहर निकालकर कहा, "अरे लल्ला.....इतनी देर तो हो गयी.....ज्यादा देर लगा के रखने से कहीं और कुछ न हो जाए....पहले ही खुजली के मारे दुखी हूँ "


मैंने कहा, " न न न नहीं चाची.......1 2 मिनट और रख लो......." यह कहकर मैं गर्दन घुमाने लगा तो चाची वहीँ से चिल्लाई......"हाय राम......इधर मत देख"


और उन्होंने दरवाजा फिर से बंद करने की कोशिश की........मैंने जैसे तैसे थोड़ी हिम्मत और जुटाई और सोचा की चलो कुछ मिनट और शो देख लेंगे.


नल चलने की आवाज़ आने लगी......मैंने सोचा शायद चाची अपने हाथ धो रही होगी.


एक हाथ से अपने बेकाबू घोड़े को पुचकारते पुचकारते मैंने धीरे से बाथरूम की तरफ फिर कदम बढाये तभी भड़ाक से बाथरूम का दरवाज़ा खुला और चाची टॉवेल लपेटे और अपने कंधो पर साड़ी डाले बाहर आ गयी.


मैं वहीँ पर उनके सामने खड़ा था........मेरा पजामा घुटने तक गिरा था और मेरा हाथ मेरे बाबुराव पर था जिसको मैं बड़े प्यार से धीरे धीरे हिला रहा था.


चाची ने सीधा मेरे लैंड को देखा और उनकी ऑंखें फटती चली गयी.....उनका मुंह खुला का खुला ही रह गया......


मुझे तो हार्ट अटैक ही आ गया.......इतनी जोर से चमका की क्या बोलू.......


मेरी गांड की फटफटी........................................................फुल स्पीड में चालू. ........


चाची जोर से चिल्लाई...."हाय राम.....बेशरम क्या कर रहा है ? "


मेरी तो डर के मारे आवाज़ ही बंद हो गयी.......मैंने पहले तो अपने बाबुराव को हाथ से ढकने की कोशिश की मगर

उस साले को तो चिकनी चूत की खुशबु आ गयी.....जैसे कुत्ते को हड्डी की खुशबु मिल जाये तो वो अपने मालिक की नहीं सुनता और खोदता चला जाता है वैसे ही बाबुराव ने मेरे हाथों में छुपने से मानो इनकार ही कर दिया और जोर जोर से ठुनकी मारने लगा जैसे चाची की चूत को आवाज़ लगा रहा हो.......


उधर चाची की तो नज़रे ही नहीं हट रही थी बाबुराव के ऊपर से. वो ऑंखें खड़े बाबुराव को नजरो से सहला रही थी.

मेरे हिलाने और चाची को इस हालत में देख कर बाबुराव ने एक चमकती हुयी चिकनी बूँद बाहर निकाल दी थी.

ऐसी लग रहा था मानो ख़ुशी के मारे बाबुराव के आंसु निकल आये हो . वो बार बार ठुनकी मार रहा था मानो चाची से बोल रहा हो, " क्या बोलती तू ? "


चाची के चिल्लाने से मेरी गांड तो फट ही गयी थी उसके ऊपर से मेरे लंड ने भी अपनी औकात दिखा दी. मैं समझ गया की यह तो आज कहना नहीं मानेगा. मेरा पजामा मेरे पैरों में आकर इकठा हो गया था तो उसे भी ऊपर चडाने का कोई सवाल नहीं था. कुछ समझ नहीं आया तो मैं घूम गया और चाची की तरफ पीठ कर ली.


चाची गुस्से से बोली, "अरे बेशरम.......क्या कर रहा है ? "


मैं तो कुछ बोल नहीं पा रहा था. मगर मेरा हाथ अभी भी धीरे धीरे लंड को मसल रहा था.


चाची थोड़ी जोर से बोली, "हट जा मेरे रस्ते से....बेशरम"


मैं तो बिना रुके हिला रहा था. जैसे ढलान पर एक बार दौड़ना शुरू करो तो रुकना मुश्किल हो जाता है वैसे ही मुझे लंड हिलाने में वो आनंद आ रहा था की अब रुकना मुश्किल था.


मैंने बड़ी मुश्किल से बोला, " च च च चाची मुझे म म म माफ़ कर दो, प्लीज़ आप इधर मत आओ. मुझे बहुत शर्म आ रही है"


चाची गुस्से से बोली, "हाय राम....शर्म आ रही है ?....ऐसी हरकते करने में लाज नहीं आई और अब बड़ा लजा रहा है, हट जा....जाने दे मुझे"


मैंने कहा,"च च चाची......प्लीज़......इधर मत आओ......म म म म मेरा निकलने वाला है.....कहीं अ अ आप पर न गिर जाए...."


चाची जहाँ थी वहीँ पर रुक गयी, शायद उन्हें याद आ गया था की मेरा अमृत कैसे रोकेट जैसा उड़ता है.....पिछली बार भी उनके पैरों के पास जा गिरा था.


वो ठंडी सांस लेकर बोली, "हे भगवन......इतना बेशरम है रे.......जल्दी ख़त्म कर ....."


यह सुनते ही मैंने जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया.......


ख़ुशी की वो आंसु जो लंड ने निकाले थे वो अब सैलाब बन गए थे......बहुत सारा रस निकल कर मेरे लंड के चारो और फ़ैल गया था.......जिस से फच फच की आवाज़ आ रही थी.


मैं राजधानी ट्रेन की स्पीड से हिलाए जा रहा था......आनंद के मारे मेरी ऑंखें बंद हुयी जा रही थी मगर आज बाबुराव ठान कर आया था की मैदान-ऐ-जंग में आसानी से हार नहीं मानेगा. सारे राउंड खेलेगा.


थोड़ी देर में चाची बोली," अरे जल्दी कर ना......मुझे जाना है........मैं ऐसे ही टोवेल लपेट के खड़ी हूँ"


कहते है की लंड खड़ा होने के बाद आदमी का दिमाग काम करना बंद कर देता है. चाची टोवेल लपेट कर खड़ी है ये सुनकर मुझसे रहा नहीं गया. अभी तक मैं चाची की तरफ पीठ करके ही खड़ा था. चाची भी सिर्फ मेरा हिलता हुआ हाथ ही देख पा रही थी मगर वो सिर्फ टोवेल में है ये सुनकर मैं पलट गया.


कश्मीर मेरे सामने था.


चाची ने जल्दी जल्दी में टोवेल लपेट तो लिया था....मगर वो टोवेल उनके हुस्न को छुपाने की जगह चीख चीख कर बता रहा था. उन्होंने टोवेल को अपने मम्मो के ऊपर ऐसा बांधा था की वो छुपने की जगह उबल उबल कर बाहर आ रहे थे. सिर्फ निप्पल छुपे थे वर्ना पूरा भूगोल दिखाई दे रहा था. टोवेल उन्ही जांघों के आधे हिस्से को ही ढक पा रहा था.


चाची की जांघ पर बना "बलमा" का टेटू साफ़ दिखा रहा था. वैसे तो उन्होंने अपने कंधे पर सदी डाली हुयी थी मगर क्या फायदा......वैसे ही सब छन छन कर दिख रहा था.


इधर मैं तो चाही का मुआयना कर रहा था मगर चाची की नज़रे मेरे लपलपाते लंड पर थी. उनका मुंह आश्चर्य से खुला हुआ था.....आज वो पहली बार अपने लल्ला के लुल्ले का दीदार कर रही थी. उन्होंने अपने होंठ.....जो सुख गए थे..उनपर जुबान फेरी और मैंने जोर से आह भरी....


चाची बोली, "हाय राम....निकल रहा है क्या.,....? "


मैंने ना में सर हिलाया और जोर जोर से हिलाता ही रहा......चाची कुछ देर तक मुंह खोले मेरे लंड को देखती रही फिर अचानक उन्होंने नज़रे उठाई और मुझे उनके मम्मो को घूरता पा कर शर्मा कर नज़रे इधर उधर कर ली.


चाची ने कहा, " लल्ला....प्लीज़....जल्दी कर ले.......प्लीज़"


चाची विनती कर रही थी.....या तो घबराई हुयी थी या फिर उनका संयम टूट रहा था. मैं जोर जोर से हिलाता ही जा रहा था मगर बाबुराव भी पक्का पहलवान था......नहीं माना.


चाची ने फिर इधर उधर देखा और कनखियों से लंड को टापने लगी.


वो धीरे से बोली, "हाय राम....इतनी देर में तो सब का निकल जाता है......निकलता क्यों नहीं"


मेरे हाथ हिलाते हिलाते दुखने लगे थे.....मगर बाबुराव अब भी फुफकारी मार रहा था. आखिर मैंने हाथ हटा लिया.


चाची बोली, "अरे क्या हुआ......?"


मैंने कहा, "च च च च चाची म म म मेरे हाथ दुखने लगे है"


चाची ने बोला, "अरे .....जल्दी निकाल ले मुझे जाने दे......."


मैंने हिम्मत करके कहा, "च च च चाची......आप हिला द द द दो ना.....प्लीज़....."


चाची की ऑंखें बाहर ही आ गयी.....


चाची की ऑंखें बाहर ही आ गयी.....


चाची का मुंह बिलकुल लाल सुर्ख हो गया और उनकी साँसें तेज़ चलने लगी.....मेरी गांड फटी की शायद मैंने अब अति कर ही दी.


चाची बोली, "नासपीटे.....बेशरम......शर्म नहीं आती ऐसी बात बोलते हुए"
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