Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 12:03 PM,
#63
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
26


मैं और चाची दरवाजे की पीछे की और थे इसीलिए बल्लू चाचा को दिखे नहीं मगर वो लौडू कभी भी आ सकता था. चाची ने फटाफट अपनी साड़ी नीचे कर ली और अपना पल्लू सर पर ले लिया मगर मेरी तो जींस नीचे थी और मस्ती के माहोल में न जाने कब टी शर्ट भी मैंने खोल कर फ़ेंक दिया था. मेरी गांड की फटफटी फुल स्पीड पकड़ चुकी थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करू.........


इस हालत में मुझे चाची के साथ देखकर बल्लू चाचा एक सेकंड में सब समझ जायेगा. और उसके बाद ............हे भगवान....


मैंने इधर उधर देखा. कोमल भाभी की छत वैसे तो काफी नीचे थी मगर दिवार में गेप होंने से वहां पैर रखने की जगह थी. मैंने आव देखा न ताव अपने पैर मुंडेर पर दाल कर कोमल भाभी छत की तरफ उतरने लगा. मैंने दोनों हाथों से मुंडेर को पकड़ा और धीरे धीरे दिवार में पैर टिकने की जगह देख कर उतरने लगा. थोड़ी ही देर में मैं कोमल भाभी की छत से थोडा ही ऊपर था.....मैंने अपने हाथ छोड़े और कोमल भाभी की छत पर कूद गया.


बिलकुल सेफ लैंडिंग थी. जरा भी नहीं लगी. मैंने बड़ी शान से मुस्कुराते हुए अपने हाथ मलते हुए ताली मारी और नीचे जाने के लिया मुडा.


कोमल भाभी मेरे ठीक सामने खड़ी थी.....उनके मुंह पूरा गोल खुला हुआ था और उनके चेहरे पर घनघोर आश्चर्य के भाव थे. वो ऑंखें सिकोड़े मुझे घुर रही थी.


मैं जहाँ था जैसा था वैसा ही फ्रिज हो गया.


कोमल भाभी ने कांपती हुयी आवाज़ में कहा , " च च चाची के स स साथ त त तुम थे...........??????"


फटफटी गेयर में हो तो स्टार्ट नहीं होती.


इसकी माँ का........


आसमान से गिरे और खजूर में अटके.


मुझे तो अपने आप पर ही दया आने लगी. टी-शर्ट जल्दी में पहना नहीं था बस कमर पर बांध लिया था.....सलमान स्टायल......और जींस बस ऊपर खिंच ली थी. बटन लगाने का समय कहाँ था. भोसड़ी की जींस भी मानो समझ गयी की मेरी गांड फट रही है......और धीरे धीरे से थोड़ी नीचे सरकने लगी.


बाबुराव अभी अभी मैदान-ऐ-जंग से जीत हासिल कर के आया था इसीलिए अभी भी अकड़ के साथ खड़ा था. जैसे ही जींस ने जगह दी भाईसाहब ने तुरंत अपनी मुंडी जींस से बाहर निकाल कर कोमल भाभी को सलाम कर दिया.


कोमल भाभी की पहले से ही फटी हुयी ऑंखें अब तो बस बाहर ही निकाल आई. उनका पूरा मुंह लाल सुर्ख हो गया........एक भरपूर नज़र उन्होंने बाबुराव पर डाली और अचानक सकपका कर इधर उधर देखने लगी.


मुझे समझ नहीं आया की यह क्या कर रही है.........


उधर वो बेचारी अपनी गर्दन दूसरी और मोड़े हुए भी कनखियों से मेरे लाल को अपनी नज़रो से दुलार रही थी. मैंने उनकी नज़रो का टार्गेट देखने के लिए अपनी गर्दन निचे की तो अपने सिपाही ने अपुन को ही सलाम ठोक दिया.


भेन्चोद.........शर्म के मारे मेरे कान गरम हो गए. मैंने तुरंत जींस को ऊपर खिंचा और बटन लगा लिया. कोमल भाभी ने देखा की मेरा खतरनाक जानवर पिंजरे में कैद हो चूका है तो वो भी सीधी हो गयी.


बड़ा अजीब केस हो गया था. हम दोनों शरमा रहे थे और चूतियों जैसे इधर उधर देख रहे थे. मेरा शरमाना तो समझ आता है मगर वो बेचारी क्यों शर्म से लाल हुयी जा रही थी, यह मेरे समझ से बाहर था.


मैंने सोचा की बोस अब यहाँ से निकल लो.......मैं आगे बड़ा तो वो बेचारी एक दम घबरा के पीछे हो गयी. इसकी माँ का........साली का रेप थोड़ी करने जा रहा था जो इतना डर गयी. मैं सर झटकते हुए उसकी छत ने निचे जाने के लिए सीड़ियों की तरफ गया. वहां पर गेट था जो की बंद था. मैंने गेट को खिंचा......वो हिला भी नहीं.

मेरा दिमाग गरम हो रहा था......साली ये कोमल भाभी मुझे समझती क्या है.........मैंने गेट को जोर से खिंचा तो भी नहीं खुला....भेन्चोद.....इसकी तो मैं......


तभी मेरे कानों में कोमल भाभी की जल तरंग जैसी आवाज़ आई.....


"शील भैया........वो गेट बाहर की तरफ नहीं अन्दर की तरफ खुलता है........धक्का दो......"


लंड.....इतनी देर से धक्के ही तो दे रहा था. मगर गेट में नहीं......चाची में.......


मेरा गुस्सा एकदम उड़नछु हो गया. मैं मुस्कुरा दिया.......गेट को धक्का देकर खोला और निचे जाने लगा......देखा तो कोमल भाभी भी हौले हौले मुस्कुरा रही थी.


हाय.......जालिम की एक मुस्कान ने फिर से मूड बना दिया. मैंने निचे उतरते उतरते टी शर्ट पहना और सीधा अपने घर की तरफ निकल लिया.


मैं जब कोमल भाभी के घर से बाहर निकल कर आया और उनका गेट बंद करने लगा तब तक वो भी नीचे आ गयी थी, मेरी उनकी नज़र मिली और वो फिर से शरमाते हुए मुस्कुराने लगी. मैंने वहीँ रुक कर उनके इस लाजवंती ड्रामे को देखने लगा. तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ मारा.


मैं झटके से पलटा, देखा तो मेरी सांस ही रुक गयी.


कोमल भाभी के पतिदेव रिषभ भैया मेरे कंधे पर हाथ रखे मुस्कुरा रहे थे.


"और भाई शील, क्या हाल है...? आजकल तो तुम दीखते ही नहीं.......कैसे आना हुआ........", रिषभ भैया ने पूछा.


मैं क्या लंड बोलता की कैसे आना हुआ.......वो रिषभ भैया आपकी बीवी मेरी और चाची की चुदाई का सीधा प्रसारण देख रही थी....तभी चाचा आ गया इसीलिए मैं अधनंगा आपके घर की छत पर कूद गया......बस इसीलिए आना हुआ.


मैंने कहा, "न न न नहीं भैया.......म म म मैं तो अ ऐसे ही.......व.व.व.वो............म.म म म. मैं........."
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