Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
03-29-2019, 11:30 AM,
#43
RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
नाना जी का घर, आंटी और मैं

दोस्तों, एक बात तो आप सब भी मानेंगे कि जब हम छिप कर चुदाई का खेल खेलते हैं तो किसी के द्वारा पकड़े जाने का डर चुदाई की भावना को और भी उत्तेजतक बना देता है, है न!?!

मैं अपने खड़े लंड के साथ अपने कमरे में पहुँचा और मिठाई को पास की मेज़ पर रख कर लेट गया।

अभी कुछ मिनट ही हुए थे कि अपने दरवाज़े पर दस्तक सुनकर मेरा ध्यान दरवाज़े की तरफ चला गया। अलसाई आँखों से देखा तो पाया कि लाल साड़ी में सजी मेरी प्यारी आंटी अन्दर चली आ रही हैं। तो इसका मतलब यह कि अभी अभी स्मिता आंटी की ही आहट ने मुझे और प्रिया को अलग होने पर मजबूर कर दिया था।

“बच गया बेटा… वरना आज तो सारा भांडा ही फूट जाता!” मैंने मन ही मन खुद को कहा।

सच में अगर उन्होंने हमे देख लिया होता तो सब गड़बड़ हो जाता। भगवन जो करता है अच्छे के लिए ही करता है।

खैर, आंटी मेरे कमरे में झाँकने लगी और जब मुझे बिस्तर पे लेटा हुआ देखा तो अन्दर आकर बिस्तर की तरफ आ गईं। मैंने जानबूझ कर अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं। बिस्तर के पास आकर वो थोड़ी देर खड़ी रहीं फिर अचानक से अपना एक हाथ मेरे सर पर रख कर सहलाने लगी जैसा कि वो हमेशा किया करती थीं। वैसे तो उनकी यह छुअन मुझे हमेशा से उत्तेजित किया करती हैलेकिन आज तो बात ही कुछ और थी। हाथ उन्होंने मेरे सर पर रखा था लेकिन असर सीधे मेरे लंड पे हो रहा था। मेरे नवाब साहब धीरे धीरे जागने से लगे थे। आधे तो वो कल रात से ही खड़े थे…

मेरे मन में कल रात की बात घूम गई और मैंने अपनी आँखें धीरे से खोल दी… कहीं न कहीं मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद जो काम कल रात को अधूरा रह गया था वो अब पूरा होने वाला था।

यह लंड भी कितना कमीना होता है… लाख समझा लो लेकिन चूत की चाहत सब कुछ भुला देती है। मैंने अपने मन को बहुत समझाया था कि स्मिता आंटी की तरफ कदम न बढ़ाये, लेकिन वो कहाँ मानने वाला था।

मेरी आँखें खुलते ही आंटी ने मुस्कुराते हुए बिना कुछ बोले अपनी कजरारी आँखों से मिठाई की तरफ इशारा किया और मुझसे न खाने की वजह पूछने लगी। उनकी आँखों की वो भाषा बिना किसी शब्द के सब कुछ समझा रही थीं। मैंने भी अपने होंठों को बंद ही रखा और आँखों से अपनी अनिच्छा जाहिर की।

आंटी ने थोड़ा सा गुस्से वाला चेहरा बनाया और मेरा एक हाथ पकड़ कर मुझे बिस्तर पे से आधा उठा दिया। मैं भी एक रोबोट की तरह उनके इशारे पे उठ बैठा और उनकी तरफ ललचाई नज़रों से देखने लगा। आंटी ने मेरी जांघों के पास जो थोड़ी सी बची थी उस जगह पे अपने कूल्हे टिका दिए और बैठ गई। उनकी कमर मेरी जांघों को रगड़ कर मुझे एक सुखद एहसास दे रही थी। आंटी ने बैठे बैठे ही प्लेट उठाई और उसमें से एक गुलाब जामुन अपनी उँगलियों से उठा कर मेरे मुँह की तरफ बढ़ा दिया और बिल्कुल मेरे होंठों से सटा दिया 

अब तो मेरे पास कोई चारा नहीं था, मैंने अपने होंठों को थोड़ा सा खोला और मिठाई को काटने लगा, लेकिन यह क्या, आंटी ने तो शरारत से पूरे गुलाब जामुन को मेरे मुँह में ठूंस सा दिया।

इस शरारत का असर यह हुआ कि मिठाई तो मेरे मुँह में समां गई लेकिन उसका रस मेरे सीने पे गिर गया। आंटी ने ऐसी शक्ल बनाईं जैसे उन्होंने यह जानबूझकर नहीं किया.. बस हो गया। मैंने उनकी आँखों में ऐसे देखा जैसे मैं उन्हें डाँट रहा हूँ और उन्हें सजा देने की सोच रहा हूँ।

“जानबूझ कर नहीं किया बाबा…ऐसे क्यूँ देख रहे हो?” आंटी ने अपनी चुप्पी तोड़ी।

“हाँ हाँ, अब तो आप कहोगी ही कि गलती से हो गया… अब इसे साफ़ कौन करेगा?” मैंने भी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा।

“ओहो, इतना परेशान क्यूँ होता है, अभी साफ़ कर देती हूँ।” इतना कह कर आंटी ने अपनी उँगलियों से मेरे सीने पे गिरा हुआ रस उठा कर मेरी आँखों में देखा और फिर अपनी उँगलियों को मेरे होंठों पे लगा दिया।

कोमल उँगलियों का वो स्पर्श इतना विवश करने वाला था कि मैंने बिना कुछ कहे अपने होंठों को चाट लिया। आंटी ने फिर से बाकी के गिरे हुए रस को अपनी उंगलियों मे लपेटा और मेरे होंठों पे लगाने लगी।

मैंने अचानक से उनकी उंगली को अपने होंठों के बीच दबा लिया और चूसने लगा। एक तो वो मीठा रस, ऊपर से आंटी की वो उँगलियाँ… मानो गुलाब जामुन का रस और भी मीठा हो गया हो।

मैं एक बच्चे की तरह उनकी उंगली को चूस रहा था। चूसते चूसते मैंने आंटी की आँखों में देखा तो उन्होंने एक बार शरमा कर अपनी पलकें नीचे कर लीं।

मुझमे पता नहीं कहाँ से हिम्मत आ गई और मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर उनके चेहरे को ऊपर उठाया। आंटी की आँखों में शर्म और हया साफ़ झलक रही थी। उनकी उंगली अब भी मेरे मुँह में ही थी जिसे मैं बड़े प्यार से चूस रहा था। मेरे हाथ अब आंटी के गालों को सहलाने लगे और आंटी के गाल लाल होने लगे।

बड़ा ही मनोरम दृश्य था, लाल साड़ी में लिपटा लाल लाल गालों से घिरा वो खूबसूरत सा चेहरा… जी कर रहा था आगे बढ़ कर पूरे चेहरे को चूम लूँ। आंटी की साँसें धीरे धीरे गर्म होने लगीं और तेज़ हो गईं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि अब आगे क्या करना चाहिए।

उनकी जगह अगर उनकी बेटियाँ होतीं तो अब तक शायद मैं उन्हें पूरी तरह से नंगी करके अपना लंड ठूंस चुका होता। लेकिन यहाँ बात कुछ और थी, मैं संभल संभल कर कदम उठा रहा था।

मैंने आंटी की उंगली को अपने मुँह से बाहर निकाला और उनके हाथ को धीरे से अपनी ओर खींचने लगा जिसकी वजह से आंटी मेरे ऊपर झुक सी गईं। आंटी के झुकते ही उनके सर पर टिका पल्लू उनके कन्धों से सरक कर नीचे गिर गया। मेरे नजदीक आते ही आंटी ने अपनी आँखों को एक बार फिर से बंद कर लिया। उनकी तेज़ साँसों ने मेरे चेहरे को उनकी गर्मी का एहसास करवाया और मेरी आँखें उनके सरके हुए पल्लू पे जा ठहरी जो कि उनके उन्नत और विशाल उभारों को आधा अनावृत कर चुकी थीं। लाल रंग के ब्लाउज में कसे हुए उनके 36 इन्च के उभारों ने मेरी साँसों को अनियंत्रित कर दिया और मेरी आँखें वहीं अटक गईं। उनके उभार तेज़ चल रही सांसों के साथ ऊपर नीचे होकर मुझे आमंत्रण दे रहे थे।

मैंने थोड़ी सी और हिम्मत कर के आंटी को थोड़ा सा और पास में खींचा और उन्हें अपने गले से लगा लिया। यह एहसास बिल्कुल अलग था। सच कहूँ तो जितना मज़ा प्रिया को अपनी बाहों में भर कर होता था बिल्कुल वैसा ही एहसास हो रहा था मुझे। आंटी का हाथ अब भी मेरे हाथों में ही था और वो मेरे सीने पे अपना सर रख कर तेज़ तेज़ आहें भर रही थीं। मैंने धीरे से उनके कानों तक अपने होंठ ले जा कर उनके कान को हल्के से चूमा और अपने मन में चल रहे अंतर्द्वंद को सुलझाने के लिए एक सवाल कर बैठा, “एक बात पूछूँ?”

“ह्म्म्म…” आंटी के मुँह से बस इतना ही निकल सका।

“कल रात को भी आपने जानबूझ कर किया था या गलती से हो गया था?” मैंने एक मादक और कामुक आवाज़ में उनसे पूछ लिया।

“इस्सस…” आंटी ने सवाल सुनते ही बिजली की फुर्ती के साथ अपना सर मेरे सीने से हटा लिया और एक पल के लिए मेरी आँखों में देख कर अपना चेहरा घुमा लिया।

उनके गाल तो क्या अब तो पूरा का पूरा चेहरा ही शर्म से सिन्दूरी हो गया था और उनके हाथ थरथराने लगे थे। मैंने उनकी मनोदशा भांप ली थी, मैंने आगे बढ़कर उनके चेहरे को एक बार फ़िर अपने हाथों में लेकर अपनी तरफ घुमाया और एकटक देखते हुए उनके जवाब का इंतज़ार करने लगा। उनका चेहरा अब भी उसी तरह लाल था और उनके होंठ थरथरा रहे थे। आँखें अब भी नीचे थीं और एक अजीब सा भाव था उनके चेहरे पर जैसे चोरी पकड़ी गई हो।

“बोलो न आंटी….क्या जानबूझ कर किया था या गलती से हो गया था….? अगर जानबूझकर किया था तो अधूरा क्यूँ छोड़ दिया और अगर गलती से हो गया था तो गलती की सजा भी मिलने चाहिए ना !!” मैंने उनके चेहरे से बिल्कुल सटकर कहा।

“वो…वो..बस…. मुझे नहीं पता।” आंटी ने अपनी आँखें नीचे करके ही अपने कांपते होंठों से कहा।

“तो फिर पता करो… मैं कल रात से परेशान हूँ…” मैंने उनके गालों पर एक चुम्बन देकर धीरे से उनके कानों में कहा।

“शायद गलती से ही हुआ होगा…” आंटी ने इस बार अपनी आँखें उठाकर मेरी आँखों में देखते हुए कहा।

“फिर तो गलती की सजा मिलनी चाहिए।” मैंने शरारत से भर कर उन्हें अपनी ओर खींच कर अपनी बाहों में भर लिया और उनकी चूचियों को अपने सीने से मसल दिया।

“आह…ये क्या कर रहा है? मुझे जाने दे, ढेर सारा काम है घर में!” आंटी ने कसमसाते हुए मेरे बाहों से निकलने का प्रयास किया।

पर मैंने तो उन्हें कस कर जकड़ रखा था, मैंने सोच लिया था कि अब जो होगा देखा जायेगा लेकिन कल रात के अधूरे काम को अभी पूरा करके ही दम लूँगा।

इस कसमसाहट में उनकी चूचियाँ बार बार मेरे सीने से रगड़ कर मेरे अन्दर के शैतान को और भी जगा रही थीं। हम दोनों एक दूसरे पर अपना जोर आजमा रहे थे। मैंने उन्हें और जोर से जकड़ा और उन्हें लेकर बगल में बिस्तर पे गिरा दिया।अब मैं आधा उनके ऊपर था, उनकी चूचियों को अपने सीने से दबाकर मैंने उनके चेहरे पे अपने होंठों को इधर उधर फिरा कर कई चुम्मियाँ दे दी।

“उफ्फ… सोनू, जाने दे मुझे… कोई ढूंढता हुआ आ जायेगा।” आंटी ने अपने चेहरे को मेरे होंठों से रगड़ते हुए कामुक सी आवाज़ में कहा।

“आ जाने दो… मैं नहीं डरता, लेकिन पहले कल रात से तड़पते हुए अपने ज़ज्बातों को थोड़ी सी शांति तो दे दूँ।” मैंने उन्हें चूमते हुए कहा।

“उफ… समझा कर न, पूरा घर मेहमानों से भरा पड़ा है। प्लीज मुझे जाने दे…फिर कभी…” आंटी ने अपनी अनियंत्रित साँसों को इकठ्ठा करके इतना कहा और अपने हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ लिया और अपनी नशीली आँखों से मुझसे विनती करने लगी।

मैंने उनकी आँखों में आँखें डालीं और शरारत भरे अंदाज़ में बोला, “एक शर्त पर… पहले यह बताओ कि कल रात ऐसा क्यूँ किया आपने और मुझे बीच में ही क्यूँ छोड़ कर चली गईं?”

आंटी ने एक लम्बी सी सांस ली और मेरे गालों को सहला कर कहा, “एक औरत की प्यास को समझना इतना आसान नहीं है। ये क्यूँ हुआ और कैसे हुआ, मैं तुझे नहीं समझा सकती… शायद कई दिनों की तड़प ने मुझे विवश कर दिया था और मैं बहक गई।” आंटी की आवाज़ में अचानक से एक दर्द का एहसास हुआ मुझे और मैं समझ गया कि यह शायद सिन्हा अंकल से दूरियों की वजह से था।

“मैं सब समझता हूँ, आप मुझे नासमझ मत जानो… चिंता मत करो, मैं आपसे कुछ नहीं पूछूँगा।” मैंने उन्हें प्यार से देखते हुए कहा और अपने होंठों को उनके होंठों पे रख दिया।
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का - by sexstories - 03-29-2019, 11:30 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 2,092 5 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 1,486 5 hours ago
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 15,356 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 7,357 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 5,026 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,758,805 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 577,743 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,344,655 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,028,871 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,806,615 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 12 Guest(s)