RE: Sex Kahani मेरी चार ममिया
मेने बिस्तर के चारों तरफ निगाह घूमाई पर मेरे कपड़े वहाँ नही
थे. में एक टवल अपनी कमर पर लपेट बाहर आ गया.
मेने देखा कि मामी ज़मीन पर बैठ कर खाना लगा रही
थी. मामी इस समय भी बिल्कुल नंगी थी.
"टवल पहनने की क्या ज़रूरत थी." मामी ने कहा.
"मामी आप भी ना......" में शर्मा गया.घर मे नंगे रहने की
आदत डालो, इससे तुम्हारी शरम चली जाएगी. और हां आज के बाद
मुझे मामी मत बुलाना बल्कि कंगन कह कर बुलाना." इतना कहकर
मामी ने मेरा टवल खींच लिया.
में बिल्कुल नंगा मामी के सामने खड़ा था. मामी ने मेरा हाथ पकड़
मुझे नीचे बिठाया और खाना परोसने लगी.
थोड़ी देर मे हम दोनो खाना ख़तम किया. तभी मामी बोल पड़ी, "राज
तुम्हारे ममाजी के आने से पहले क्यों ना एक और राउंड हो जाए."
मामी मेरा हाथ पकड़ मुझे अपने कमरे मे ले गयी. कमरे मे
पहुँचते ही मामी ने मुझे बिस्तर पर धकेला और खुद मुझ पर
चढ़ गयी. मेरी टाँगो के बीच बैठते हुए मामी ने मेरे लंड को
पकड़ा और अपने चूत के मुँह पर लगा मुझ पर बैठती चली गयी.
मेरी टाँगो पर बैठ मामी अपनी चूत मे घुसे मेरे लंड को अड्जस्ट
करने लगी. जब मेरा लंड पूरी तरह उनकी चूत मे समा गया तो वो
उछल उछल कर मुझे चोद्ने लगी.
मामी मुझ पर थोड़ा झुकते हुए बोली, "राज मेरी चुचियों को मस्लो
और अपनी कमर उठा नीचे से धक्को लगाओ."
में मामी की दोनो चुचियों को अपनी मुट्ठी मे भर मसल्ने लगा
साथ ही अपनी कमर को नीचे से उठा अपने लंड को और अंदर तक डाल
देता.
थोड़ी ही देर मे हमारी ताल से ताल मिलने लगी. मामी जब उपर को उठती
तो में नीचे से अपने लंड को अंदर पेलता और जब मेरी कमर नीचे
को होती तो मामी उपर से नीचे आते हुए मेरे लंड को अपनी चूत के
अंदर तक ले लेती.
थोड़ी ही देर मे हम दोनो ने पानी छोड़ दिया. कंगन मामी मेरे होठों
को चूमते हुए बोली, "तुम बड़ी जल्दी सब कुछ सीख गये राज"
"हां कंगन मामी आपने सिखाया जो इतनी अच्छी तरह से, आपकी चुदाई
करते करते मेरी कल्पनाए तो और बढ़ गयी है."
"मुझे बताओ मैं तुम्हारी हर कल्पना पूरी करूँगी." मामी मेरी छाती
पर हाथ फेरते हुए बोली.
"मेरा तो दिल करता है कि में अपनी चारों मामी को एक साथ चोदु
अगर आप मेरी मदद करें तो." मेने उनकी चुचि को मसल्ते हुए
कहा.
"वाह वाह..... बड़े शैतान हो गये हो, खैर में देखती हूँ में
क्या कर सकती हूँ." मामी ने कहा.
"ओह मामी आप कितनी अच्छी है." मैं मामी को अपनी बाहों मे भर
चूमने लगा.
"चलो तुम्हे प्यार करना का एक और गुर सिखाती हूँ." इतना कहकर
मामी ने अपनी पोज़िशन बदली और अपनी टाँगे मेरे चेहरे की ओर कर
दी. "राज अब मेरी चूत को चूसो और अपनी जीभ को मेरी चूत मे इस
तरह अंदर बाहर करो जैसे कि लंड को करते हो." इतना कहकर
कंगन ने मेरे लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.
मेने मामी की चूत को थोड़ा फैलाया और अपनी मुँह मे भर चूसने
लगा. में अपनी जीभ को नुकीली कर उनकी चूत के अंदर घूमाने
लगा.
"हां ऐसी ही चूसो ओह हां और होर से चूसो." कंगन
सिसकते हुए अपनी चूत को और मेरे मुँह पर दबा रही थी.
मेरे लंड को मामी जोरों से चूस रही थी. "राज मेरा छूटने वाला
है, अपना मुँह मत हटाना बल्कि मेरे रस को पी जाना."
मामी मेरे लंड को जोरों से चूसने लगी. मेरी नसों मे तनाव बढ़ने
लगा मेने अपनी कमर थोड़ा उँचा कर अपने लंड को मामी के गले तक
अंदर कर अपना पानी छोड़ दिया. साथ ही मामी के चूत ने भी पानी
छोड़ा और में उनके रस को पीने लगा.
पूरा दिन कंगन मामी के साथ की चुदाई ने मुझे थका डाला था.
में गहरी नींद सो गया और रात को खाने के समय ही उठा.
मामाजी काम पर से आ चुके थे. में ममाजी के साथ खाना खाने
बैठा तो मामी चंचल मुस्कुराहट से मुझे देखती रही थी.
देर रात को सोने से पहले मुझे जोरों से पेशाब लगी तो में घर के
आँगन मे पेशाब करने गया तो देखा कि कंगन मामी वहाँ नाल के पास
बैठी बर्तन धो रही थी.
कंगन ने जब मुझे आते देखा तो अपनी सारी को उपर तक चढ़ा ली
जिससे उनके चूतड़ और चूत दोनो मुझे दिखाई देने लगी. मामी को इस
तरह नंगा देख मेरा लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया.
में अपने लंड को पॅंट के बाहर निकाल मसल्ने लगा. मुझे लंड
मसल्ते देख मामी धीरे से बोली, "राज अपने कीमती वीर्य को ज़मीन
पर मत गिराना बल्कि मेरे चेहरे को इससे नहला दो."
मामी के करीब आया और उनके चेहरे के सामने लंड को जोरों से
मसल्ने लगा. जैसे ही मेरा पानी छूटा मामी ने अपना मुँह खोल मेरे
लंड की पिचकारी अपने मुँह मे ले ली. में उनके चेहरे पर वीर्य की
धार छोड़ रहा था और मामी मज़े लेकर उसे चाट रही थी.
में वापस अपने कमरे मे आया और सोचने लगा कि मामी वाकई मे बड़ी
चुदास है. अपनी मामियों के बारे मे सोचते सोचते कब मुझे नींद
आ गयी पता नही.
दो औरतों के बात करने की आवाज़ ने मुझे जगाया. एक कंगन मामी की
आवाज़ थी और दूसरी मेरी बड़ी मामी अनिता थी. अनिता मामी अपनी
तीन महीने की बच्ची के साथ कंगन मामी के घर आई थी. मेने
देखा कि अनिता मामी की चुचियों दूध की वजह से काफ़ी भर भारी
थी और डेलिवरी के बाद उनका पूरा बदन काफ़ी गुलाबी हो गया था.
मेने नहा कर नाश्ता किया और जब हॉल मे आया तो देखा कि कंगन
मामी अनिता मामी से कुछ कह रही है और वो इनकार कर रही थी.
"कंगन मामी क्या कह रही हो अनिता मामी से?" मेने पूछा.
"कुछ नही......" कहकर कंगन ने मुझे आँख मार दी.
फिर भी मेने कंगन मामी को अनिता मामी के कान मे फुसफुसाते सुन
लिया, "अगर तुम करना चाहती हो...... तो डरो मत और आगे बढ़ो."
अनिता मामी उठी और अपनी बच्ची को अपनी गोद मे लीटा लिया. कंगन
मामी ने मुझे इशारे से चुपचाप देखने को कहा.
मेने देखा कि अनिता मामी ने अपनी सारी का पल्लू हटाया और फिर
अपने गुलाबी रंग के ब्लाउस के दो बटन खोल दिए. फिर अपनी एक
चुचि को बाहर निकाल उसके निपल को अपनी बेटी के मुँह से लगा दिया.
मेने देखा कि मामी ने अंदर ब्रा नही पहनी थी. मामी शरम के
मारे मुझसे आँख नही मिला रही थी. वो अपनी बाईं चुचि को भी
बाहर निकाल उसके निपल को मसल्ने लगी.
मामी की भारी भारी चुचियाँ और कत्थई निपल देख मेरा लंड खड़ा
हो गया. मेने अपना हाथ अपने लंड पर रखा और उसे अपनी शॉर्ट्स के
उपर से मसल्ने लगा. कंगन मामी तिर्छि आँख से मुझे देख रही
थी.
क्रमशः........................
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