RE: Sex Hindi Kahani बलात्कार
मुंगेरी से रहा नहीं गया और उसने रूपाली के गोरे चूतड़ पे अपना एक हाथ रख दिया. फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ-….,”आआआआआ…..म्म्म्मममममम…….मेरी माआआआअ…..म्म्म्मममम…आआआआअ.” फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ- फुच्च—फुकछ—फुकछ-…..मज़बूरी की हालत में भी रूपाली को आनंद आने लगा था…..और कालू, जो साथ साथ उसकी बाईं चूची को चूस रहा था, मानो स्वर्ग में था. उसके बदसूरत चेहरे पे गाज़ाब का उल्लास था.
बूँदा-बाँदी की रिमझिम थम चुकी थी. कालू ने एक पल के लिए अपना लंड बाहर निकाला, और रूपाली की कमर को पकड़ कर उसने घुमा दिया. जल्दी ही रूपाली घोड़ी बन चुकी थी और कालू का गधे सरीखा लंड पीछे से उसकी चूत में प्रवेश कर चुका था. चाँदनी रात में गोरी पीठ और गोरे चूतड़, जिनपे गीला गीला कीचड़ लगा हुआ था. उफफफ्फ़…..कालू मानो खुशी से पागल हो उठा. उसने रूपाली के लंबे बालों को अपने दोनो हाथों में पकड़ा और बदसूरत गधा खूबसूरत घोड़ी को मस्ती से चोद्ने लगा.
मुंगेरी सरक कर रूपाली के नीचे आया और बारी बारी से उसके दोनो मम्मे और होंठों को चूसने लगा.
सत्तू का तो मानो शौक ही अपना बदबूदार, चिपचिपा लंड चुसवाना था. उसने साँवली, कसी हुई कमला को कीचड़ में लिटाया और लंड मुँह में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा. नफ़रत के मारे कमला के दिल से सत्तू काका के लिए बाद-दुआएँ निकल रही थी पर बदबबॉदार लंड चूसने को मज़बूर थी बेचारी.
मोतिया, दो बार चुदाई के कारण, शराब के नशे की खुमारी में कीचड़ पे लेट गया और आँखें बंद करके कमला के कसे हुए चूतदों पे हाथ फिराने लगा.
कालू रूपाली को घोड़ी बनाकर चोदे जा रहा था और रूपाली की चमकती हुई, गोरी पीठ, उसके लंड को बहुत मोटा कर चुकी थी. क्यूंकी मुंगेरी ने कुछ देर पहले रूपाली की गान्ड मारी थी, उसका सुनेहरा, भूरा छेद भी चूत पे पड़ते हर धक्के पे मुँह खोल देता था. कालू की नज़र छेद पे पड़ी और उसने थूक लगा अंगूठा, गान्ड के अंदर घुसा दिया. “हााए..माआअ….” रूपाली ने कहा और नीचे से मुंगेरी ने फ़ौरन उसके रसीले होंठों को अपने होंठो के बीच फँसा लिया और ऐसे चूसने लगा मानो रसीले दाशहरी आम की फाँक किसी ग़रीब के हाथ लग गयी हो.
कालू चोद रहा था और पीछे से चोद्ने की वज़ह से आवाज़ कुछ अलग तरह की आ रही थी….पक-पक-पक-पक…फुच्च-फुकछ…पक-पक.. पक-पक-पक-पक…फुच्च-फुकछ…पक-पक.. पक-पक-पक-पक…फुच्च-फुकछ…पक-पक…..और साथ साथ अंगूठे से गान्ड के सुनहरे छेद को खोलता जा रहा था
फिर कमीने ने अपने मूसल-चंद लंड को बाहर निकाला और धीरे धीरे रूपाली की गान्ड में घुसाने लगा. “उययययीीईई..माआअँ….म्म्म्ममम……आआआआआहह”, रूपाली का आरतनाद ऐसा था मानो कोई जानवर भयंकर पीड़ा में कराह रहा हो……….कालू लंड घुसाता चला गया और पूरा अंदर आकर, कुछ पल के लिए थम गया. नीचे मुंगेरी सरक कर रूपाली की चूत चूसने लगा था. कुछ राहत मिली ही थी कि कालू ने लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. दर्द के मारे अचानक ही रूपाली का पेशाब निकल गया और मुंगेरी के चेहरे पर गर्म गर्म बरसात हो गयी. बौखला कर मुंगेरी बाहर निकल आया और मुँह पोछने लगा.
मुंगेरी की शाक़ल देख कर कालू हंस पड़ा और हंसते हंसते उसने गान्ड मारने की रफ़्तार तेज़ कर दी. कोई 15-20 मिनिट रूपाली की गान्ड का फालूदा बनता रहा और हाथ बढ़कर कालू उसकी चूत से खेलता रहा और अचानक,”आआआआहह…ऊहह……मालकिन……मैं आय्ाआआअ……आआआहह…………..आआअहह…..आआहह…”….कालू ने अपना सफेद, गाढ़ा वीर्य रूपाली की गान्ड के अंदर छोड़ दिया. 8-10 भयानक झटके लेकर कालू ने धीरे से अपना मूसल लंड बाहर निकाला और उसका वीर्य, रूपाली की गान्ड से चाशनी की तरह निकला और उसकी छ्होटे छ्होटे, काले झांतों वाली चूत पे फैलने लगा.
सत्तू वो पहला चमार था जिसने कमला को चोद्ने की नाकाम कोशिश की थी, जब अचानक ही रूपाली ने पहुँच कर उसके रंग में भंग डाल दिया था. पर अब उसका रास्ता सॉफ था. मोतिया कमला की चूत के दरवाज़े खोल चुका था और कालू उसके रहे सहे पेंच भी ढीले कर चुका था.
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