RE: Maa ki Chudai ये कैसा संजोग माँ बेटे का
यह सिर्फ़ एक आलिंगन था, और कुछ भी नही मगर उसके मम्मे मेरे सीने पर दो नरम, मुलायम गर्माहट लिए जलते हुए निशान छोड़ गये थे. उसके जाने के बहुत देर बाद तक भी मैं उस आलोकिक आनंद में डूबता इतराता रहा.
यह पूरी तेरह से स्थापित हो चुका था कि कुछ ना कुछ घट रहा था और यह सॉफ था कि हम दोनो उस ‘कुछ ना कुछ’ मैं हिस्सा ले रहे थे. मगर समस्या यह थी कि हम ज़्यादा से ज़्यादा एक दूसरे के गीले होंठो को चूम सकते थे या होंठो से होंठो पर हल्का सा दबाब डाल सकते थे या आलिंगंबद्ध हो सकते थे. मैं उसकी पीठ को अपने हाथो से सहला नही सकता था जैसा मैं करना चाहता था. मैं उसके होंठो में होंठ डाल उसे खुले दिल से चूम नही सकता था. मैं उसके मम्मो को इच्छानुसार छू नही सकता था. मेरे हाथ उसके मम्मो को छूने के लिए तरसते थे मगर मैं ऐसा नही कर सकता था.
मैं सोच रहा था कि मेरी तरह उसके भी अरमान होंगे. जिस तरह मैं उसे छूने के लिए तरसता था क्या वो भी एसी इच्छाएँ पाले बैठी थी. अब तक जो कुछ हमारे बीच हुआ हुआ था उस हिसाब से तो उसके भी मेरे जैसे कुछ अरमान होंगे. मगर मुझसे ज़यादा शायद वो खुद के अरमानो को काबू किए हुए थी. आख़िरकार मैं एक मर्द था, और एक मर्द होने के नाते, मेरे लिए अपनी सग़ी माँ के लिए कामनीय भावनाएँ रखना कोई बहुत बड़ी बात नही थी. मगर एक माँ होने के नाते, उसके लिए अपने बेटे के लिए एसी भावनाएँ रखना बहुत ग़लत बात थी. मगर इसमे, कोई शक नही था कि हमारे बीच वो कामनीय भावनाएँ मोजूद थी
मैने फ़ैसला कर लिया था की अब मैं सीधे सीधे हमारे बीच जिस्मानी संपर्क बढ़ाने की कोशिश करूँगा.
उस रात ने हमारे रिश्ते में और भी घणिष्टता ला दी थी. हमारी अगली रात सबसे बढ़िया रही. हम एक दूसरे से काफ़ी सहजता से बात कर रहे थे, बल्कि बीच बीच में एक दूसरे को छेड़ भी रहे थे. ऐसा लगता था जैसे हमारे रिश्ते ने नयी उँचाई को छू लिया था मगर इस सब के बावजूद थोड़ी दूरी थी जो शायद हमे अपने बीच बनाई रखनी ज़रूरी थी.
अगली रात जब उसने कहा कि उसे जाना चाहिए तो मैं भी उसके साथ जाने के लिए उठ खड़ा हुआ. मुझे उसके बाद वहाँ अकेले बैठने का मन नही था. यह हमर नयी दिनचर्या बन चुकी थी और मैं इसका ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाना चाहता था.
हमने बत्तियाँ बंद की, दरवाज़ों को बंद किया और कॉरिडोर की ओर बढ़ गये. जब हम मेरे रूम के सामने पहुँच गये तो मैं उसे ‘गुडनाइट’ कहने के लिए रुक गया.
जब उसने देखा कि मैं कॉरिडोर के बीचो बीच रुक गया हूँ, उसने कॉरिडोर के दूसरे सिरे की ओर देखा जहाँ से कॉरिडोर उसके बेडरूम की साइड को मूड़ जाता था. मैं समझ गया कि वो यही देखने की कोशिश कर रही थी कि वहाँ कोई है तो नही, जिसका सीधा मतलब था कि वो यकीन बनाना चाहती थी कि कहीं मेरे पिताजी तो वहाँ से हमे नही देख रहे थे. उसने मुझे दरवाजे की ओर धकेला. जाहिर था वो कॉरिडोर में ‘गुडनाइट’ नही कहना चाहती थी.
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