Maa ki Chudai ये कैसा संजोग माँ बेटे का
01-02-2019, 02:26 PM,
#24
RE: Maa ki Chudai ये कैसा संजोग माँ बेटे का
जब हमने अपनी भावुकता, अपनी व्याग्रता, अपने जोश को पूर्णतया एक दूसरे को जता दिया तो मैने खुद को उससे अलग किया और उसे देखने लगा. अब मैं उसे एक नारी की तरह देख सकता था ना कि एक माँ की तरह. वो उस समय मुझे असचर्यजनक रूप से सुंदर लग रही थी और मैने उसे बताया भी कि वो कितनी खूबसूरत है, कितनी मनमोहक है, कितनी आकर्षक है.


फिर मैं धीरे से उसके कान में फुसफसाया "माँ! मैं तुम्हे नंगी देखना चाहता हूँ"

एक बार फिर से वो जवाब देने में हिचकिचा रही थी. मैने उसके गाउन की डोरियाँ पकड़ी और उन्हे धीरे से खींचा. गाँठ खुलते ही उसने अपने आप को मुझसे थोड़ा सा दूर हटा लिया. वो मुझसे बाजू भर की दूरी पर थी और उसके गाउन की डोरियाँ खुल रही थी. एक बार डोरियाँ पूरी खुल गयी तो उसने उन्हे वैसे ही लटकते रहने दिया. वो अपनी बाहें लटकाए मेरे सामने बड़े ही कामोत्तेजित ढंग से खड़ी थी. उसका गाउन सामने से हल्का सा खुल गया था. 


तब मैने जो देखा........उसे देखकर मैं विस्मित हो उठा. मुझे उम्मीद थी उसने गाउन के अंदर पूरे कपड़े पहने होंगे, मगर जब मैने अपने काँपते हाथ आगे बढ़ाए और उसके गाउन को थोड़ा सा और खोला, जैसे मैं किसी तोहफे को खोल रहा था, तब मैने जाना कि उसने अंदर कुछ भी नही पहना था. 

वो उस गाउन के अंदर पूर्णतया नग्न थी. उसने वास्तव में मेरे कमरे में आने के लिए कपड़े उतारे थे, इस बात के उलट के उसे कपड़े पहनने चाहिए थे. यह विचार अपने आप में बड़ा ही कामुक था कि वो मेरे कमरे में पूरी तरह तैयार होकर एक ही संभावना के तहत आई थी, और यह ठीक वैसे ही हो भी रहा था जैसी उसने ज़रूर उम्मीद की होगी- या योजना बनाई होगी- कि यह हो.


सबसे पहले मेरी नज़र उसके सपाट पेट पर गयी. मेरी साँस रुकने लगी जब उसका पेट और उसके नीचे का हिस्सा मेरी नज़र के सामने खुल गया. पेट के नीचे मुझे उसकी जाँघो के जोड़ पे बिल्कुल छोटे छोटे से बालों का एक त्रिकोना आकर दिखाई दिया उसके बाद उसकी जांघे और उसकी टाँगे पूरी तरह से मेरी नज़र के सामने थी. इसके बाद मैने उसके गाउन के उपर के हिस्से को खोलना शुरू किया और उसके मम्मे धीरे धीरे मेरी प्यासी नज़रों के सामने नुमाया हो गये. 


वो अतुलनीय थे. मैं जानता था माँ के मम्मे बहुत मोटे हैं, मगर जब वो मेरे सामने अपना रूप विखेरते पूरी शानो शौकत में गर्व से तन कर खड़े थे, तो मैं उनकी सुंदरता देख आश्चर्यचकित हो उठा. वो भव्य थे, मादकता से लबरेज. मैं एकदम से बैसब्रा हो उठा और तेज़ी से हाथ बढ़ा कर उन्हे पकड़ लिया. मैने अपनी हथेलियाँ उसके मम्मों के इर्द गिर्द जमा दी. उसके निपल्स मेरे हाथों के बिल्कुल बीचो बीच थे. मैने उनकी कोमलता महसूस करने के लिए उन्हे धीरे से दबाया. उसके निपल एकदम आकड़े थे. उसके मम्मे विपुल और तने हुए थे. 


मेरे मम्मे दबाते ही उसने एक दबी सी सिसकी भरी जिसने मेरे कानो में शहद घोल दिया. उसे मेरे स्पर्श में आनंद मिल रहा था और मुझे उसे स्पर्श करने में आनंद मिल रहा था. जल्द ही मेरे हाथ उसके पूरे मम्मों पर फिरने लगे.


मैने ध्यान ही नही दिया कब उसने अपना गाउन अपने कंधो से सरका दिया और उसे फर्श पर गिरने दिया. वो मेरे सामने खड़ी थी, पूरी नग्न, कितनी मोहक, कितनी चित्ताकर्षक और अविश्वशनीय तौर से मादक लग एही थी. मैने उसे फिर से अपनी बाहों में भर लिया और उसे जल्दी जल्दी और कठोरता से चूमने लगा. मैं उसके मम्मों को अपनी छाती पर रगड़ते महसूस कर रहा था और मेरे हाथ उसकी पीठ से लेकर उसकी गान्ड तक सहला रहे थे. जैसे ही मेरे हाथ उसके नग्न नितंबो पर पहुँचे तो उसके साथ साथ मेरे बदन को भी झटका लगा मैं तुरंत उन्हे सहलाने लग गया. 


मैं उसे चूम रहा था, उसके मम्मो पर अपनी छाती रगड़ रहा था, उसके नितंबो को भींच रहा था, सहला रहा था, और नितंबो की दरार में अपनी उंगलियाँ फिरा रहा था. मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे, उसके कुल्हों पर, उसकी बगलों पर, उसके कंधो पर, उसकी गर्दन पर, उसके चेहरे पर, उसके बालों में, और फिर अंत में वापस उसके मम्मों पर. मैं फ़ैसला नही कर पा रहा था कि मुझे उसे चूमना चाहिए, दुलारना,-पुचकारना चाहिए या सहलाना चाहिए. मैं सब कुछ एक साथ करने की कोशिश कर रहा था, इसलिए बहुत जल्दी मेरी साँस फूलने लगी.


मैं वापस होश में आया जब मैने माँ को मेरी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ते देखा और फिर वो उसे मेरे बदन से उतारने की कोशिश करने लगी. मेरी माँ मेरे कपड़े उतार रही थी. वो मुझे पूरा नग्न करना चाहती थी ताक़ि अपनी त्वचा से मेरी त्वचा के स्पर्श के एहसास को महसूस कर सके. माँ के इस कार्य में इतनी मादकता भरी थी कि मेरी उत्तेजना और भी बढ़ गयी, मेरा लंड पहले से भी ज़्यादा कड़ा हो गया था.


जब वो मेरी टी-शर्ट को मेरे सर से निकाल रही थी तो मैं थोड़ा सा पीछे हॅट गया. जैसे ही टी-शर्ट गले से निकली मैं वापस उससे चिपक गया और इस बार उसके नग्न मम्मे मेरी नंगी छाती पर दब गये थे. हमारा त्वचा से त्वचा का वो स्पर्श अकथनीय था. मैने अपनी पूरी जिंदगी में इतना अच्छा कभी महसूस नही किया था जितना अब कर रहा था जब मेरी माँ के मम्मे मेरी छाती पर दबे हुए थे, मेरे हाथ उसके नितंबो को थामे हुए उसे थोड़ा सा उपर उठाए हुए थे और मेरे होंठ उसके होंठो को लगभग चबा रहे थे.


आख़िरकार माँ ने मेरे जनून पर विराम लगाया. उसने मुझे चूमना बंद कर दिया, मुझे उसको सहलाने से रोक दिया, और मेरे कंधे पर सर रखकर मुझसे सट गयी. मैं उसे उसी तरह अपनी बाहों में थामे खड़ा रहा और अपनी धड़कनो पर काबू पाने की कोशिश करने लगा. हम कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे को बाहों में लिए खड़े थे और उन सुखद लम्हो का आनंद ले रहे थे.


अंत-तेह, काफ़ी समय बाद, मैने खुद को उससे थोड़ा सा दूर हटाया. मैं उसे इतने कस कर खुद से चिपटाये हुए था कि उसके मम्मे मेरी छाती में इस तरह धँस गये थे कि मुझे उन्हे झटके से अलग करना पड़ा. मैं, माँ और बेड के बीचोबीच खड़ा था. एकतरफ को हाथ कर मैने माँ को बेड पर चढ़ने का इशारा किया. 


इसके बाद उसने जो किया वो सबसे बढ़कर कामुक चीज़ होगी जो मैने अपनी पूरी ज़िंदगी में देखी होगी. वो मेरे बेड की ओर बढ़ी और मैं उसकी नंगी काया को निहारने लगा. उसने बेड पर झुकते हुए सबसे पहले अपने हाथ उस पर रखे. उसके मम्मे उसकी छाती से नीचे की ओर लटक रहे थे और उसकी पीठ और गान्ड एक बहुत ही मनमोहक सी कर्व बना रही थी. फिर उसने अपने हाथ आगे बढ़ाए और अपना दाहिना घुटना उठाकर बेड पर रख दिया जबकि बाईं टाँग पीछे को फैलाकर, उसने अपना जिस्म अत्यंत भड़कायु, मादक, कामुक और अत्यधिक उत्तेजित मुद्रा में ताना. मैने विस्मय से उसकी नग्न देह को निहारा और मेरे लंड ने उसकी उस मुद्रा की प्रतिक्रिया में एक जोरदार झटका खाया. उसने अपना बाया घुटना उठाकर उसे भी बेड पर रख दिया. अब उसकी मुद्रा बदलकर एक चौपाए की तरह हो गयी थी, वो अब अपने हाथों और घुटनो के बल बेड पर बैठी थी, 

उसकी गान्ड हवा मे उभरकर छत की ओर उठी हुई थी, उसकी पीठ एक बेहद सुंदर सी कर्व बना रही थी, और उसके मम्मे मेरे दिल की धड़कनो के साथ हिलडुल रहे थे. वो घुटनो के बल कुछ कदम आगे बढ़ाकर मेरे तकिये के नज़दीक चली गयी. फिर उसने अपने जिस्म का अग्रभाग उपर उठाया और दो तीन सेकेंड के लिए घुटनो पर बैठ गयी. फिर, वो जल्दी से मेरे तकिये पर सर रखकर मेरे बेड पर पीठ के बल लेट गयी और मुझे देखने लगी. उसके चेहरे की भाव भंगिमाएँ और उसकी आँखे जैसे पुकार पुकार कर कह रही थी ' आओ, मेरे उपर चढ़ जाओ और मुझे चोद डालो'

वो मेरी ओर देख रही थी और उसकी आँखे उसका चेहरा जैसे कह रहा था ‘आओ और मुझे चोद डालो’
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