RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
@getnada.comमम्मी हर कुछ मिनटों बाद झड़ने लगीं, "अंकु चोद डालो मेरी गांड ……ज़ोर से…… अपने लंड से मेरी गांड फाड़ दो।
हाय माँ मैं फिर से झड़ने वाली हूँ। आज तो तुम मेरी जान ही ले लोगे। "
डैडी ने मम्मी की बातों की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया और बिना थके उनकी गांड मारते रहै। मम्मी न जाने
कितनी बार चीख कर ,सुबक कर , सिसक कर झड़ गयीं थीं।
"अंकु अब मेरी गांड में अपना लंड खोल दो। अब अपने लंड से मेरी गंदी गांड को नहला दो। आँ…… आँ………आँ….
आँ……..आँह…….. ऊँह……….. अंकू… ऊ …ऊ…. ऊ…. ऊ…………. , मैं फिर से आ रही हूँ," मम्मी का मीठा खुशी
का विलाप कमरे में गूँज रहा था।
डैडी ने तीन चार बार पूरे के पूरा लंड सुपाड़े से जड़ तक मम्मी की गांड में ठूंस कर उनके ऊपर गिर पड़े। मम्मी ने अपनी
टांगें डैडी की कमर के ऊपर गिरा दीं। उनकी सुंदर गोल बाँहों ने हाँफते हुए डैडी को प्यार से कस कर जकड़ लिया।
डैडी मम्मी के शरीर पसीने से लथपत हो चुके थे।
मम्मी ने प्यार से डैडी के पसीने से भीगे माथे को चूम लिया
मम्मी के मुलायम नाज़ुक हाथ हाँफते हुए डैडी के सर के ऊपर प्यार से उनके बालों को सेहला रहै थे। मम्मी भी हांफ रहीं
थीं।
में अपने कमरे में वापस आ गया ,मेरा लंड खड़ा हुआ था और मेरी आँखों के सामने बीते पलो की सब बाते घूम रही थी। मॉम का नंगा शरीर मेरी उत्तेजना को और बड़ा रहा था। मेरी मॉम नग्न अवस्था में इतनी खूबसूरत होगी ये मेने कभी सोचा भी नहीं था , रातभर मेने उनकी कल्पना कर मेने कितनी बार मूठ मारी होगी और कितना वीर्य निकाला होगा ये मुझे पता भी नही चला। एक घर में मेरी खूबसूरत मॉम और एक मेरी कमसिन बहन थी और में अब उनके बारे में दूसरी कल्पना करने लगा था। न जाने कब मेरी आँख लगी और में सुबह देर से सोकर उठा। उठते ही में बाहर आया तो मॉम डैड साथ स्टोर जाने की तैयारी में थी,मॉम कभी कभी सुबह २-३ घंटे के लिए डैड के साथ स्टोर चली जाती थी।
मॉम के जाने के बाद मेने देखा की रचना के बाथरूम से नहाने की आवाज आ रही है,ये मेरा तजुर्बा है की बाथरूम चाहै केसा भी ही उसमे कोई न कोई जगह ऐसी होती है जिसमे अंदर देखा जा सके। मेने
बाथरूम के पास जाकर दरखा तो उसके दरवाजे मुझे हलकी दरार नजर आई ,मेने अपनी निगाहै टिकाई तो अंदर के नज़ारे ने मेरे होश उडा दिए, रचना बिल्कुल नंगी होकर कपड़े धो रही थी।
उसके निर्वस्त्र पीठ और नितंब मेरी तरफ थे। दो अधपके खरबूजे रात्रिभोज का निमंत्रण
दे रहै थे।
फिर वो खड़ी हो गई और मुझे उसकी सिर्फ़ टाँगें
दिखाई पड़ने लगीं। मैं किसी योगी की तरह उसी आसन में योनि के दर्शन पाने का इंतजार
करने लगा।
आखिरकार इंतजार खत्म हुआ। वो मेरी तरफ मुँह
करके बैठी और उसने अपनी जाँघों पर साबुन लगाना शुरू किया। फिर उसने अपनी टाँगें
फैलाई तब मुझे पहली बार उस डबल रोटी के दर्शन मिले जिसको देखने के लिए मैं कल रात से
बेताब था। हल्के हल्के बालों से ढकी हुई योनि ऐसी लग रही थी जैसे हिमालय पर काली
बर्फ़ गिरी हुई हो और बीच में एक पतली सूखी नदी बर्फ़ के पिघलने और अपने पानी पानी
होने का इंतजार कर रही थी। दूसरी बार मैंने सचमुच की योनि देखी।अच्छी चीजें कितनी जल्दी नज़रों के सामने से ओझल हो जाती हैं। साबुन लगाकर वो
खड़ी हो गई और फिर मुझे उसके कपड़े पहनने तक सिर्फ़ उसकी टाँगें ही दिखाई
पड़ीं।में वापस अपने कमरे में आ गया ,रचना जब बाथरूम से अपने कमरे में चली गयी तब में बाथरूम में घुसा।
. मै बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े खोलना शुरू किया. मुझे जोरो की पिशाब लगी थी. पिशाब करने के बाद मै अपने लंड से खेलने लगा. एका एक मेरी नज़र बाथरूम के किनारे रचना के उतरे हुए कपड़े पर पड़ी. वहां पर रचना अपनी नाइटगाऊन उतार कर छोड़ गयी थी. जैसे ही मैने रचना की नाइटगाऊन उठाया तो देखा की नाइटगाऊन के नीचे उस की ब्रा पडा हुआ था. जैसे ही मै रचना का काले रंग का ब्रा उठाया तो मेरा लंड अपने आप खडा होने लगा. मै रचना के नाइटगाऊन उठाया तो उसमे से दीदी के नीले रंग का पैँटी भी गिर कर नीचे गिर गया. मैने पैँटी भी उठा लिया. अब मेरे एक हाथ मे रचना की पैँटी थी और दूसरे हाथ मे रचना के ब्रा था.
|