RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
अब सोमलता दोनों जन्घो को चीरते हुए मेरे कमर पर बैठ गयी और मेरे होंठो को चूसने लगी. उसकी गांड की दरार मेरे लंड के ऊपर थी और वह लगातार कमर को ऊपर-निचे कर मेरे लुंड को रगड़ रही थी. मैं उसकी पीठ को मसल-सहला रहा था. उसकी सख्त चूचियां मेरे सीने पर गड़ रही थी. गर्मी की वजह से उसका भी बदन पसीने से भींग गया था और उसकी बगलों के पसीने से भींगे बालो से तेज़ महक आ रही थी. भले यह महक किसी को गन्दी बदबू लग सकता है. लेकिन एक लड़के को किसी औरत के बगलों की पसीने की महक भी उसके लिंग में तूफान लाता है.
सोमा ने मेरी जीभ को होंठो से पकड़कर चूसने लगी और इस क्रम में हमारा ढेर सारा लार बहकर मेरे बदन पर गिरने लगा. उसकी होंठो की पकड़ इतनी मजबूत थी की लगता था जैसे मेरे जीभ को खींच कर निकल लेगी. मैं बाजी पलटी, उसकी बालो को जोर से पकड़ते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा. उसके गले से हल्की गुर्राहट निकल रही थी. उसकी गर्दन और छाती को जीभ से चाटना शुरू किया, जिसने उसको गरम कर दिया जिसका अहसास मेरी कमर पर राखी उसकी गीली चूत दे रही थी. बदन पर लगे पसीने की नमकीन स्वाद को चाटते हुए उसकी चुचियों को मुँह से डालकर चूसने लगा. कभी उसकी चूची को दांत से जोर से काट देता तो कभी निप्पल खिंच के चूसता. उसकी गले से अब सिसिकारी निकल रही थी. अपने बदन को मेरे बाँहों से पकड़ से छुड़ाना चाहती और मैं ज्यादा कसकर उसको पकड़ लेता. उसकी चूतड़ लगातार मेरे लिंग को रगड़ रही थी. मेरे लिंग में तनाव बड़ने लगा इसलिए मैंने और इंतज़ार नहीं कर जल्दी से मेरा कड़क लंड उसकी चूत में डालना चाहता था. मैंने सोमा को कमर से पकड़कर उल्टा घुमाया और उसे पेट के बल गद्दे पर पटका.
वह थोड़ा गुर्राई और बोली – “साले कमीने, मैं कोई तेरी छिनाल हूँ जो इतनी जोर से पटक रहा है?”
मैंने उसकी गांड को चुमते हुए कहा – “नहीं सोमा डार्लिंग, तू तो मेरी रानी है. अब आराम से करूँगा.” मैंने उसकी कमर को थोड़ा उठाया और उसकी टांगो को मोड़ते हुए कुतिया बनाया. मैंने लंड को कंडोम पहनाया और उसकी चूत को ऊँगली करने लगा. उसकी चूत पहले की अपना रस छोड़ चूका था. मैंने लंड के सुपारे को चूत के मुँह पर लगाया और कमर को थोड़ा-सा धक्का देते हुए ठेल दिया. लंड बिना किसी मुस्किल के गीली चूत में सरसराते हुए अन्दर चला गया. लंड का एक-तिहाई हिस्सा अभी भी बाहर था. मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचते हुए फिर से एक ज़ोरदार धक्का मारा. इस बार पूरा लंड उसकी चूत में समां गया और दोनों के गांड आपस में जोर से टकरा गया. इस टक्कर ने सोमा को बुरी तरह से हिला दिया. वह दोनों हाथो से कसकर गद्दे को पकडे रही और मैं जोर-जोर से धक्के मरने लगा. उसके गले से मीठी सिसकारी निकल रही थी जो मुझे और उकसा रही थी. मैंने लंड को पूरा बाहर निकल कर एक ही टक्कर में पूरा धकेल दिया. लंड चूत की दीवारों को फाड़ते हुए दाखिल हुआ.
सोमा दर्द से बिलबिला उठी. लगभग मुझे धकेलते हुए सीधी लेट गयी और जोर-जोर से साँस लेने लगी. मेरा लंड पुच्च की आवाज के साथ निकल आया. सोमा आंख बंद कर सांसे भर रही थी और खुद ही मम्मो को मसल रही थी.
मैंने झुककर उसकी नाभि को चूमना शुरू किया और उसके कान के पास जाकर पूछा – “रानी, तैयार हो?”
वह हाँ में सर हिलाई बगैर आंख खोले. मैंने उसकी एक टांग को कंधे पर चढ़ाया और लंड को फिर से चूत से सटाकर रगड़ने लगा. मैं उसको तडपना चाहता था. जब सोमा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने खुद लंड को पकड़ कर चूत में डालने लगी. मैंने लंड से उसकी हाथ को हटाया और एक ही धक्के में पूरा अन्दर डाल दिया. मेरा साँस फूलने लगा. मैं थोड़ी देर रुक लम्बी सांसे भरने लगा.
मेरे रुक जाने से सोमा आंख खोलकर मुझे देखने लगी. बोली – “बाबु, तुम्हारे पांव पड़ती हूँ, अब मत तरसाओ.”
मैंने फिर से धक्के चालू किया लेकिन धीरे धीरे. उसकने अपने टांग से मेरे कंधे को कसते हुए मुझे अपने ओर खींचने लगी. मैंने अपनी गति बड़ाई और जोर धक्के के साथ चोदने लगा. उसकी गीली चूत और मेरे कंडोम लगे लिंग से फच्च-फच्च की आवाज तेज़ होने लगी. 30 धक्को के बाद मेरा लावा निकला. पसीने से तर-बतर मैं सोमा के ऊपर गिरा गया और मेरा लंड फिसलकर बाहर आ गया. सोमा और मैं एक-दुसरे के सूखे गले को लार से भिंगाने में लगे थे. मैंने लुंड से कंडोम को निकलना भी जरूरी नहीं समझा और सोमा को बाँहों में लेकर सो गया.
भोर की उजाले और चिडियों की आवाज से मेरी नींद खुली. सुबह होने से पहले ही सोमा को बाहर भेजना जरूरी था. अगर कोई देख ले तो मेरी हालत पतली होना तय था. मैंने उसको उठाया. वह आधी आंख खोले मुझे घुर रही थी. मैंने जल्दी से कपड़े समेटे और सोमा को पकड़ कर निचे उतरने लगा. नीचे उतरने के समय लगा की कोई हमे बगल से छत से देख रहा है. घर के खिड़की से देखा की पूर्णिमा भाभी छत पर खड़ी हमारे घर की ओर देख रही. मेरी हालत तो us चोर के जैसे हो गई जो रंगे हाथो पकड़ा गया हो. खैर जो होगा देखा जायेगा, यह सोच कर मैं नीचे घर में आया. तब तक सोमा भी अपने कपड़े पहन कर बाहर बरामदे में आ चुकी थी. मैंने उसको शाम को दोस्त के बीबी की पार्लर में आने का कहकर विदा किया क्योंकि अभी मोहल्ले वाले उसको मेरे घर में देख ले तो बवाल खड़ा हो जायेगा. सोमा मुझे एक चुम्मा देकर भरी मन से निकल गयी. अब मुझे पूर्णिमा भाभी को अपने बोतल में उतरना पड़ेगा अगर उसने सही में मुझे और सोमा को चुदाई करते देखा है तो. वरना मुझे कोई डर नहीं.
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