Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:32 AM,
#14
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
1 मिनट में ही तू बहू से रंडी में कन्वर्ट हो गई ।

1 मिनट में ही तेरी सूखी हुई चूत से समंदर बहने लग गया।

ऐसा सुनकर उपासना फिर लजा गई और कहने लगी शीशे में से अपने आप से ही ही कहने लगी कि मेरे बारे में इतना गंदा बोलने की जरूरत नहीं है ।

फिर अपने आप से ही कहने लगी कि यह तो बता दे आज ज्वेलरी कौन सी ब्रांड की पहनेगी।

शीशे से ऐसा सुनकर उपासना शीशे से कहने लगी कि किस ब्रांड कि मैं ज्वैलरी पहनूंगी । ब्रांड की जरूरत नहीं मुझे ।

Brand की जरूरत नही मुझे मैं खुद में ही हूं एक ब्रान्ड।

हर किसी की मैं ही हूं पहली और आखरी डिमांड ।।

ऐसा कह कर अपने ही मन में अपनी शायरी की तारीफ करती हुई उपासना अपने आप से बोली - चल अब शेरो शायरी ही करती रहेगी या अपनी चूत को भी चोदने के लिए सजाएगी ।

ऐसा कहकर शालिनी ने अपने कपड़े उतारे और वॉशरूम में नहाने चली गई ।अच्छे से गर्म और ठंडे दोनों तरह के पानी से उपासना खूब नहाने के बाद में निकली । अपने सारे बदन को तौलिए से पोंछ लिया ।

उसके बाद उसने अपने कमरे का गेट लॉक किया और करने लगी सजने की तैयारी।

अचानक उसके मन में पता नहीं क्या आया उसने पार्लर वाली को कॉल किया और पार्लर वाली से बोली ।

उपासना- मुझे आधे घंटे के लिए कोई पार्लर वाली बुक करना है ।

पार्लर वाली - जी आपके एड्रेस पर अभी 10 मिनट में पार्लर वाली पहुंच जाएगी ।

दोस्तों दरअसल बात यह थी कि उपासना आज खुद नहीं सजना चाहती थी। उपासना चाहती थी कि कोई उसे पूरी तरह से सजाए जिसे पूरी तरह से जानकारी हो। जिसे हर एक बारीक से बारीक चीज पता हो कि किस तरह से कहां पर क्या मेकअप करना है।

ऐसा सोचकर वह वेट करने लगी।

दोस्तों पार्लर वाली आ चुकी थी 10 मिनट बाद ।

पार्लर वाली - जी मैम बोलिये क्या मेकअप कराना है आपको है ।

उपासना बोली- मुझे अपना सीक्रेट मेकअप कराना है।

ऐसा सुनकर पार्लर वाली मुस्कुरा पड़ी और बोली ।

पार्लर वाली - जी मैम बिल्कुल बताइए ।

उपासना कहने लगी - मुझे ऊपर से नीचे तक पूरी सजना है। और उतना सजना है जितना कोई दुल्हन सजती हो ।

ऐसा कहकर उपासना दूसरी तरफ मुंह करके शर्माने लगी।

पार्लर वाली कोल्ड ड्रिंक पीते हुए कहने लगी जी मैम इस तरह सजा दूंगी कि आप खुद पर यकीन नहीं कर पाएंगे ।

दोनों ने अपनी जल्दी से कोल्ड ड्रिंक खत्म की और उपासना उसे नीचे वाले ग्राउंड फ्लोर पर लेकर गई। और जो कमरा सजा हुआ था उसको lock किया बाहर से। और दूसरे वाले कमरे में बैठकर सजने लगी।

दूसरे वाले कमरे में भी बेड और सोफे थे ।

पार्लर वाली लड़की ने सबसे पहले उपासना के पैरों की उंगलियों से लेकर उसके माथे तक नींबू रगड़ा कम से कम 10 निम्बू रगड़ने के बाद उसने उपासना से दोबारा नहाने को बोला ग्राउंड फ्लोर पर ही उपासना बाथरूम में जाकर पानी से नहा कर आ गई ।

उसने अपने शरीर को पोंछा और आकर फिर दोबारा वही बैठ गई ।

दोस्तों उपासना के शरीर से शरीर से हल्की-हल्की , भीनी भीनी बहुत ही खुशबूदार खुशबू आने लगी थी ।

(अब यह मत सोचना कि खुशबूदार खुशबू कैसी होती है ? दिमाग में कोई दूसरा वर्ड नहीं था तो मैंने यही लिख दिया ।)

उपासना अब बैठी हुई थी और पार्लर वाली उसके पीछे खड़ी हुई थी पार्लर वाली ने झुक कर उसके बालों को हेयर ड्रायर से सुखाया और सुखाने के बाद बालों को प्लेन किया और प्लेन करने के बाद उनका हल्का सा उनका जुड़ा बनाकर उसके सर पर रख दिया ।

उसके बाद उसने नेल पॉलिश निकाली और उपासना से पूछा कि किस तरह की नेल पॉलिश आप लगाना चाहेंगे ।

उपासना ने सोचा कि उसका जो सलवार है वह डार्क ब्लू कलर की सलवार है और पिंक कलर की कुर्ती है । तो उसने पिंक कलर प्रेफर किया ।

पार्लर वाली पिंक कलर से पैरों के नेल्स को नेल पॉलिश करने लगी ।

उसके बाद हाथों के नाखूनों पर भी पिंक कलर की नेल पॉलिश लगाई ।

उपासना ने अंगूठे वाले नाखून पर नेल पॉलिश नहीं कराई और उसने पार्लर वाली से कहा - एक हाथ के अंगूठे वाले नाखून पर रैड कलर से सेक्सी और दूसरे के नाखून पर कुतिया लिख दीजिये ।

यह सुनकर पार्लर वाली मुस्कुराते हुए बोली जी मैम आप चिंता ना करिए ।

मैं आपको इस तरह से सजा दूंगी कि अगर औरत इस तरह से सजेगी तो अपनी सजावट को पूरी रात उतरवायेगी।

यह सुनकर उपासना कहने लगी- मतलब क्या है तुम्हारा ?

पार्लर वाली मुस्कुराती हुई - छोड़िए ना मैडम हम आप को सजाने की ही बात कर रहे हैं ।और वैसे हमारी औकात ही क्या है , आप जैसे लोगों के सामने बोलने की।

यह सुनकर उपासना थोड़ा रिलैक्स हुई ।

अब पार्लर वाली ने घुंगरू निकाले और घुंघरू वाली पायल उसके दोनों पैरों में बांधे । घुंघरू वाली पायल इस तरह की थी कि जरा सब पैर हिलाने पर ही छन छन की आवाज होती थी ।

उसके बाद पार्लर वाली ने पैरों की उंगलियों पर दोनों पैरों में दो दो अंगूठियां पहना दी।

हाथ वाली उंगलियों में भी तो दो रिंग पहना दी जोकि प्योर डायमंड की थी।

उसके बाद उसने उसकी कलाइयों में सबसे पहले तीन सोने की चूड़ियां चढ़ाई दोनों हाथों में तीन-तीन सोने की चूड़ियां चढ़ा कर उसने फिर डिजाइन वाली डिजाइनर चूड़ियों को पहनाया। उसके बाद उसने डायमंड की दो चूड़ियां पहनाई और सबसे लास्ट में उसने तीन तीन रैड चूड़ियां पहनाई ।

इस तरह से उपासना की दोनों बांहों को कोहनी तक चूड़ियों से भर दिया गया ।

उसके बाद उसने उपासना के पैरों पर जहां घुंगरू बंधे हुए थे वहां पर एक काला धागा भी बांधा ।

उसके बाद उसने कानों में लंबे-लंबे कुंडल पहनाए जो की चूड़ियों के आकार की ही थे।

उसकी नाक की नथनी में भी बड़ी सी बाली पहनाई गई , वह नथनी चूड़ियों के आकार की तो नहीं थी लेकिन उनसे थोड़ी ही छोटी थी ।

उसके बाद उसने उसकी नाभि पर एक क्लिप लगाई उस में एक बाली थी। जो रिंग के आकार की थी ।

फिर उसने उपासना से कहा - मैडम जी आप अपने पैर फैला कर बैड पर लेट जाइए ।

यह सुनकर उपासना गुस्से में आकर बोली तुम्हारे कहने का मतलब क्या है ?

पार्लर वाली सुनकर मुस्कुराई और बोली कि चिंता मत कीजिए मार्केट में एक नया फैशन आया है तो मुझे आपकी सीक्रेट सजावट भी करनी पड़ेगी .

उसके लिए आपको ब्रा और पैंटी उतारने होंगे ।

उपासना शर्म तो कर रही थी उसके सामने नंगी होने में लेकिन उसने सोचा कि यह भी तो लड़की ही है क्या फर्क पड़ता है और सजना तो मुझे है ही फिर उसने ब्रा और पेंटी उतार कर एक तरफ रख दी और बेड पर टांगे फैला कर लेट गई ।

पार्लर वाली ने जैसे ही उसके निपल्स को देखा बूब्स को देखा तो हैरान रह गई कहने लगी मैडम आपके बूब्स तो बहुत ही ज्यादा खड़े हैं बिल्कुल भी लटकाव नजर नहीं आता , मानो अपने ऊपर गुरुर कर रहे हो।

फिर उसकी नजर जैसे ही उसकी चूत पर गई तो उसने मुंह पर ही हाथ रख लिया और कहने लगी हाय मैडम मैं अपनी जिंदगी में ऐसी रसीली चूत आज पहली बार देख रही हूं।

चूत तो मैंने बहुत देखी हैं लेकिन इतनी juicy चूत आज मैं पहली बार देख रही हूं ।

चूत की दोनों फांके बिल्कुल सटी हुई थी और नीचे छेद की तरफ हल्का सा खुली हुई दिख रही थी । जहां से देखकर लग रहा था कि यह रंडी बहुत सारा पानी छोड़ती है ।

उसके बाद उसने उसकी दोनों घुटनों को मोड़कर छाती से लगा दिया तो यह नजारा देखकर पार्लर वाली भी सोचने लगी कि काश मैं भी कोई लड़का होती ।

उसकी चूत इस तरह से फैलकर सामने आई कि जो चूत की फांके अभी तक सटी हुई थी वह थोड़ा खुल गई।

चूत के दाने को हल्का सा सहलाया पार्लर वाली ने तो उपासना सिसक उठी।

पार्लर वाली - मैडम जी थोड़ा दर्द होगा उपासना कहने लगी- पहले तू मुझे यह बता तू चूत के अंदर सजावट करेगी या बाहर ।

यह सुनकर हंस पड़ी पार्लर वाली और कहने लगी कि - मैडम जी मैं सजावट तो बाहर ही करूंगी लेकिन मुझे आपकी चूत पर बाली पहनानी होगी ।

यह सुनकर उपासना बड़ी खुश हुई और उसने कहा कि हां मैं थोड़ा सा दर्द सह लूंगी ।

पार्लर वाली ने कहा हमारे पास ऐसा जैल होता है जिससे दर्द तुरंत खत्म हो जाता है । जब कहीं पर किसी की नाक की नथनी में छेद किया जाए ,उसको छेदा जाए तो उस जैल को वहाँ लगाने से तुरंत दर्द खत्म हो जाता है ।

तीन-चार दिन का समय नहीं लगता है तुरंत की तुरंत ही दर्द खत्म हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे कि बहुत दिनों पहले छिदवाए गए हो ।

आप चिंता ना कीजिए मैं तुम्हारे चुत के दाने को छेद कर उसमें वह जैल लगा दूंगी ।

उपासना खुश हुई और कहने लगी जो करना है जल्दी कीजिए ।

पार्लर वाली ने एक मशीन ली और उस मशीन से उसके चूत के दाने पर रखकर कटाक की आवाज से दाने को छेद दिया ।

यह सब इतना जल्दी हुआ जिसके लिए उपासना तैयार भी नहीं थी । और उपासना को इस तरीके का दर्द हुआ कि वह चीख भी ना सकी , चिल्ला भी ना सकी।

बस उसकी आंखों से आंसू गिर के बहने बहने लगे।

छेद होने के बाद में उसने जल्दी से मशीन को बाहर किया और फिर उस पर जैल लगा दिया ।

जैल लगने की दो-तीन मिनट बाद ही उपासना का दर्द बिल्कुल जड़ से खत्म हो गया । और उसे ऐसा कुछ महसूस ही नहीं हुआ कि जैसे भी 1 मिनट पहले उसके साथ ऐसा कुछ हुआ है ।

उपासना कहने लगी तूने तो मेरी जान ही निकाल दी और क्या-क्या करना पड़ेगा मुझे।

पार्लर वाले कहने लगी नहीं मैडम जी आप बेफिक्र रहिए हो गया बस । उसने चूत पर दोस्तों इस तरीके से बाली पहनाई कि वह वाली बाली चूड़ियों के आकार की थी। लेकिन वह इस तरह से डिजाइन की गई थी कि यदि उस बाली को पहनकर कोई चुदवाये तो लैंड उस बाली के अंदर होकर चूत में जाए यानी की चूत और लंड के बीच में बाली रहने वाली थी ।

लेकिन उपासना को कहां पता था कि यह सजावट उसकी किसी काम नहीं आएगी क्योंकि जिसका लंड वो लेने वाली है उसका लंड तो चूड़ी में आएगा ही नही लंड तो उससे भी मोटा है ।

खैर बाली पहना दी गई चूत पर उसके बाद पार्लर वाले ने जहां पर उसकी कमर में एक तागड़ी बांधी जो कि काले डोरे की ना होकर सोने की चैन की थी , और उस पर एक ताबीज था जो चूत के हल्का सा ऊपर तक लटकता था यानी कि जहां पर उपासना की झांट शुरू होती थी वहां पर वह ताबीज लटकता था ।

फिर उसने नैकलेस पहना दिया गले मे । जो बूब्स तक लटकता था । इसपर दिल का डिजाइन बना हुआ था और डिजाइन के बीच मे वाइट कलर से रंडी लिखा हुआ था ।

फिर उसने डार्क रैड कलर की liquid मैट लिपस्टिक लगाई जो दिखने में सूखी हुई नजर नही आती है ।

फिर पार्लर वाली ने आंखों के पलको पर हल्के हरे रंग से पलको को सजाया ।

पुरी तैयार हो चुकी थी उपासना की । सोलह श्रृंगार कर चुकी थी । अपने भोसड़े को पूरी तरह सजाकर तैयार हो चुकी थी।

काम खातन होंने के बाद उपासना पार्लर वाली से बिल कितना हो गया ये पूछने लगी ।

पार्लर वाली - मैम आप जैसे लोगो की सेवा करने का मौका मिला वही काफी है ।

उपासना ने फिर भी उसे पचास हजार का एक नोट देकर किया ।

दोस्तों वाली के जाने के बाद उपासना ने अपने कपड़े निकालें। जो उसने चुन्नी वाले कपड़े के बनवाए थे।

उसने वह सलवार निकाली और उसे पहनने लगी घुंगरू से उलझते उलझते सलवार को उसने ऊपर किया और फिर जैसे ही उसने सलवार ऊपर जांघों से ऊपर करने की कोशिश की तो वह सलवार जांघों पर नहीं चढ़ी ।

उपासना ने सोचा लगता है ज्यादा टाइट रह गई है और ऊपर से इसका कपड़ा भी इतना पतला है कि अगर जोर लगाया तो फट जाएगी, उपासना ने जैसे तैसे करके बैठकर एक एक सेंटीमीटर उस सलवार को ऊपर चढाया और तकरीबन आधे घंटे बाद में उस सलवार को ऊपर तक पहुंचाने में कामयाब हुई ।

अब आप समझ ही गए होंगे दोस्तों की सलवार उसके जिस्म पर किस तरह से फंसी पड़ी थी।

सलवार का नाडा कुछ इस तरह था कि दिखने में किसी गोल्डन चैन की तरह लग रहा था ।

उसने उस में हल्की सी गांठ लगाई और उसको बांध दिया।

नाड़ा बाहर की तरफ थोड़ा लटका हुआ छोड़ दिया ताकि कोई एक झटके से खिंचे तो खुल जाए ।

सलवार नाभि के इतने नीचे बांधी गयी कि झांटो के दो चार बाल दिख रहे थे गांठ के पास ।

उसके बाद उसने उसने कुर्ती को पहना लेकिन कुर्ती भी नहीं आ रही थी ।

तो उसने अचानक मन ही मन मुस्कुराते हुए कुर्ती को पहनने का डिसीजन बदल दिया ।

उसने उसके ऊपर एक शालिनी का टॉप पहना।

दोस्तों शालिनी और उपासना में बहुत फर्क था क्योंकि उपासना की शादी हो चुकी थी। उसकी चुचियों का फैलाव और उठान दोनों ही ज्यादा था शालीनी से ।

जिस वजह से शालिनी के कपड़े उपासना को आते ही नहीं थे लेकिन जैसे तैसे उसने एक पिंक कलर का टॉप सिलेक्ट किया और उसको फसाने लगी। बड़ी ही मशक्कत करने के बाद उसने पहना तो देखकर कि वह पहना ही नहीं है बल्कि फसाया गया है ।टॉप इस कदर टाइट था कि निप्पल भी साफ देखे जा सकते थे ।

नीचे उपासना ने कोई ब्रा नहीं पहनी थी और ना ही सलवार के नीचे कोई पेंटी पहनी थी ।

वह टॉप उसकी नाभि के ऊपर ही खत्म हो जाता था यानी कि पेट बिल्कुल नंगा देखा जा सकता था।

उसके बाद उसने अपने आप को शीशे में देखा तो देखकर शरमा गई। इतनी चुस्त सलवार और टॉप में फंसी हुई वह रंडी अपने आप से कहने लगी - कि जिस रंडी को अपने ऊपर फक्र हो एक बार आकर मुझे देखे और बताए कि रंडियां कैसी होती हैं ।

मैं हूं एक संस्कारी रंडी ऐसा कहकर उसने अपनी सलवार को देखा तो दोस्तों एक तो सलवार चुस्ती इतनी ज्यादा थी कि उसकी जांघों से चिपकी हुई थी बिल्कुल ऊपर से टाइट भी इतनी ज्यादा थी कि उसकी चूत का शेप बिल्कुल साफ देखा जा सकता था।

उनकी चूत की फांकों के बीच कि वह दरार आसानी से देखी जा सकती थी ।

यह देखकर शरमा गई उपासना ।

और उसके बाद उपासना ने दुपट्टा ले लिया दोस्तों सलवार और उस शॉर्ट टॉप में फंसी हुई वह घोड़ी ऐसी लग रही थी जैसे उसके छातियों के वजन से वह गिर ना जाए।

उसके छातियों पर उसके बूब्स ऐसे लग रहे थे जैसे कह रहे हो की है कोई इतना चौड़ा मुँह खोलने वाला जो हमें भर सके अपने मुंह में ।

ऊपर से उसने दुपट्टा ओढ़ा हुआ था तो बिल्कुल ही मादक और सस्ती रंडी को भी पीछे छोड़ने वाली रंडी नजर आ रही थी ।

अब चलते हैं दोस्तों दूसरी तरफ धर्मवीर जी अपने कमरे में बैठे हुए थे । 2 घंटे हो गए थे उन्हें अपने एक ही यार से बात करते हुए फोन पर । बहुत दिनों के बाद होशियार का फोन आया था ।

रात के 10:00 बज चुके थे धर्मवीर जी ने सोचा की दूध पीने का टाइम भी हो गया है और आरती अभी तक भी नहीं आई है ।

अपनी बहन की उन्हें चिंता होने लगी और ऐसा सोचते हुए उन्होंने आरती को कॉल लगाया ।

धर्मवेर - आरती तुम कहां हो ?

उधरआरती बड़े भैया का कॉल आते देख तेज धड़कनों से फोन उठाया ।

आरती - जी भैया ।

उधर से धर्मवीर बोला - आरती वो मैं इसलिए कॉल कर रहा था कि आप शाम को आने के लिए कह रही थी।

और अभी तक नहीं आई हो तो मैंने सोचा पूछ लेता हूं कि आप आओगे या नही ।

आरती - जी भैया मैं घर पर आने ही वाली थी लेकिन मेरी फ्रेंड मुझसे काफी जिद कर रही है रुकने को ।

और वह कह रही है कि सुबह चले जाना बहुत दिनों के बाद तो हम मिले हैं । तो मैं सोच रही थी कि मैं यहीं पर रुक जाऊं ।

ऐसा सुनकर धर्मवीर जी बोले- हां जैसा तुम चाहो , जैसा तुम्हें अच्छा लगे । आप कल आ जाना कोई बात नहीं। जब तुम्हारी फ्रेंड जिद कर कर ही रही है तो रुक जाओ एक दिन ।

ऐसा कहकर धर्मवीर ने कॉल रख दिया।

दोस्तों आरती आज घर नहीं आने वाली थी उसका आना कैंसिल हो चुका था और यह कैंसिल तब हुआ जब उपासना ने उसकी सहेली को मैसेज किया कि आरती आज घर नहीं आनी चाहिए ।

हां दोस्तों आप सही सोच रहे हैं उपासना ने ही आरती को आज घर से बाहर भेजा था अपनी सहेली के जरिये । और आरती या किसी और को इसकी भनक तक नही थी । उपासना का ही यह सारा प्लान था । आरती को घर से बाहर भेजना और उसे आज घर से बाहर ही रुकवाना ।

उपासना को तो यह पहले से ही पता था कि आज आरती नहीं आने वाली है अब धर्मवीर को भी पता चल चुका था कि आज आरती नहीं आने वाली है घर पर ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर नहीं सोचा कि दूध लाने के लिए बहू को फोन कर देता हूं लेकिन तभी अचानक उसने सोचा कि मैं भी बहुत देर से बैठा हुआ हूं इसी बहाने थोड़ा सा घूम भी लूंगा। मैं ही नीचे जाकर दूध पी लेता हूं ऐसा सोचते धर्मवीर लिफ्ट से नीचे की तरफ आने लगा ।

दोस्तों समय रात के 10:15 हो चुके थे और धर्मवीर नीचे किचन में गया और उसने दूध निकालकर वहीं खड़े-खड़े दो गिलास दूध पी लिया।

फिर वह गिलास को बर्तन साफ धोने वाली सिंक में डालकर ऊपर की तरफ जाने लगा अचानक उसने सोचा की उपासना बहू को भी देख लेते हैं क्या कर रही है ।

बहु बोर तो नहीं हो रही है अकेली ।

वह जैसे ही आरती के में जाने के लिए मुड़ा उसने देखा कि आरती का डोर बाहर से लॉक है।

एक शिकन उसके माथे पर आ गई । उसने सोचा इस टाइम बहू कहां जा सकती है। और वह भी बिना मुझे बताए । क्योंकि घर पर मैं अकेला था तो कम से कम मुझे तो बताना ही चाहिए था ।

यह सोचते हुए वह बेसमेंट में गया यह देखने के लिए की उपासना की गाड़ी है या गाड़ी लेकर वह कहीं गई है।

लेकिन बेसमेंट में आकर देखा तो उपासना की गाड़ी वहीं

पर खड़ी हुई थी ।

फिर वह वापस ऊपर की तरफ आने लगा अचानक उसने सोचा कि हो सकता है ग्राउंड फ्लोर पर कोई काम हो जिस वजह से वह ग्राउंड फ्लोर पर आई हो ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर ग्राउंड फ्लोर पर आ गया जैसे ही बैक ग्राउंड फ्लोर पर आया तो अचानक उसे एक कमरे से बहुत सारी रोशनी बाहर आती हुई दिखाई दी ।

वह सोचने लगा कितनी तेज रोशनी तो हमारे किसी भी कमरे में नहीं होती है आखिर यहां पर यह क्या चीज है ।

ऐसा सोचते हुए वह कमरे की तरफ जाने लगा कमरे की तरफ जैसे ही बह गया तो गेट पर सामने जाने से पहले उसने सोचा कि खिड़की में से ही देखा जाए ।

दोस्तों धर्मवीर ने जैसे ही खिड़की से अंदर की तरफ देखा तो अंदर का नजारा देखकर उसके पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई ।

धर्मवीर को काटो तो खून नहीं इस तरह वाली हालत हो गई।

धर्मवीर का गुस्सा आठवें आसमान पर पहुंच गया , आठवें पर नहीं दसवें आसमान पर पहुंच गया।

और धर्मवीर की आंखें लाल पड़ गई सामने वाला मंजर देखकर।

धर्मवीर उस स्थिति में पहुंच गया जिस स्थिति में इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है ।

जिस स्थिति में इंसान कोई भी एक्टिविटी नहीं कर पाता, ना वह हंस सकता है ना रो सकता है , ना बोल सकता है , ना पलक झपका सकता है ।

इस तरह की हालत धर्मवीर की हो चुकी थी क्योंकि सामने मंजर ही कुछ ऐसा था ।

अब सामने मंजर ऐसा था की उपासना कमरे में खड़ी हुई थी हल्का सा उसने घूंघट डाल रखा था । यानी कि उसके होंठ साफ दिखाई दे सकते थे । इस तरह से उसने घूंघट डाला हुआ था । और साइड से धर्मवीर को दिखाई पड़ रहा था। यानी कि साइड से उसकी ना ही गांड दिख रही थी और ना ही चूत । लेकिन साइड से ही देखकर गांड का पीछे की तरफ इतना निकलना उसे पागल कर गया।

धर्मवीर ने देखा कि चूतड़ों और जांघों के बीच में जो कट होता है , उसमें सलवार इतने अंदर तक घुसी हुई थी कि मानो जबरदस्ती करके पहनाई गई हो। ऊपर छोटा सा वो टॉप जिसमें से उसके बूब्स फ़टने को बाहर हो रहे थे । उसकी नाभि पर रिंग टाइप में बाली उसकी नाक पर एक बड़ी सी बाली लटक रही थी ।

चूड़ियों से भरे हुए दोनों हाथ और हाथों में एक थाली लेकर उपासना खड़ी थी । उस थाली में एक दिया जल रहा था।

और हल्दी और चावल टीका लगाने के लिए रखे हुए थे थाली में ।

नीचे घुटनों के नीचे ही वह सलवार खत्म हो जाती थी । क्योंकि शॉर्ट सलवार थी तो उसकी मेहंदी लगे हुए टांग देखकर शौक हो गया । धर्मवीर उसके पैरों में घुंघरू देखकर धर्मवीर को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था । उसके पैरों की सजावट इतनी ज्यादा सुंदर थी कि जैसे आजकल किसी दुल्हन का चेहरा । इस तरह से सजी हुई उपासना को देखा धर्मवीर ने । लेकिन दोस्तों आप सोच रहे होगे कि धर्मवीर की आंखें लाल क्यों पड़ी हुई थी गुस्से में ।धर्मवीर अपनी बहू को इस तरह देखकर गुस्से में क्यों हुआ ।

तो दोस्तों धर्मवीर का गुस्से में होना जायज था क्योंकि वह उसके परिवार की एकलौती बहू थी ।

घर की सारी संस्कृति, घर के सारे संस्कार ,घर की सारी मर्यादा , घर की सारी आदरणीय भावनाएं उस बहू से ही तो थी ।।

धर्मवीर का गुस्सा होना जायज था कि घर की इकलौती बहू इस तरह से सजधजकर दो कौड़ी के नौकर अनवर के सामने खड़ी थी । हां दोस्तो अनवर नौकर चार दिन के बाद आज आ चुका था ।

यह सब देखकर धर्मवीर के मुह से निकला -

मैं तो समझत था मेरी संस्कारी बहु लजीज है ,

मैं तो समझत था मेरी संस्कारी बहु लजीज है ,

पर भोसड़ी वाली तू तो बड़ी कुत्ती चीज है ।

********

प्रिय पाठकों कर दिया ना सस्पेंस create कहानी में ।

बोलो twist आया ना।

चुदाई होगी नेक्स्ट अपडेट में । दोस्तों क्योंकि मुझे दो-तीन घंटे लग जाएंगे और अब इतना मेरे पास टाइम नहीं है सो अगली अपडेट में धमाकेदार चुदाई होगी क्योकि स्टोरी की पहली चुदाई होगी । और वैसे भी सजने धजने में इतना टाइम लिया है उपासना ने तो चूत किस कदर हाल बेहाल होगी उसकी बस अब ये सोचिये ।

अपडेट कैसी लगी बताना जरूर और अपने छोटे भाई पर अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखना ।।
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RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां - by desiaks - 05-01-2021, 11:32 AM

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