Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:36 AM,
#24
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 21

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दोस्तों जैसे ही समय मिलता है मैं update कर देता हूँ plz अपना साथ बनाये रखें । ये बात पक्की है कि इस कहानी को पूरी लिखूंगा तब तक कोई नई कहानी नही शुरू करूँगा और इसे मैं XForum की सबसे longest story बना दूंगा । दोस्तों मैं मोबाइल से type करता हूं तो मुझे एक update पूरा करने में 4 से 5 घंटे तक का समय लग जाता है और इस lockdown में मैं फैमिली के साथ हूं तो आप समझ सकते है । आशा करता हूं आप मेरे हालातों को समझते हुए इस कहानी का मजा लेंगे । तो चलिये बिना समय गंवाए खोल लीजिये अपनी जीन्स का हुक और ले जाइए अपना हाथ .... hahaha it's part of a joke plz don't mind . Let's begin

*********

वैसे ही धर्मवीर की नजर उन पर पड़ी तो मैं देखता ही रह गया वह बस इतना ही बोल सका सोमनाथ जी देखिए जरा जरा

जैसे ही सोमनाथ ने देखा मानो स्वर्ग में विचरण करती दो अप्सराओं को उसने देख लिया हो ।

सोमनाथ और धर्मवीर अपनी आंखों को सेंकते हुए उनको खिड़की पर खड़े होकर देखने लगे ।

उधर उपासना और पूजा स्विमिंग पूल के पास पहुंचकर धीरे धीरे पानी मे उतर गयीं ।

धर्मवीर और सोमनाथ तक उनकी आवाज तो नही पहुंच पा रही थी लेकिन देखकर वो अंदाजा लगा सेकते थे कि दोनों बहनें कितनी खुस नजर आरही है। दोनों हंसते हुए एकदूसरे को चिकोटी भी काट रहीं थीं ।

कुछ देर नहाने के बाद दोनों बाहर निकली । उनका ये रूप यदि कोई ऋषि मुनि भी देख लेते तो भी खड़े खड़े अपने आपको झड़ने से नही रोक पाते ।

क्योंकि दोनों की जांघो पर सलवार चिपक चुकी थी पानी से । चोली में उनके मोटे मोटे चूचे नजर आरहे थे और उन चुचों से टपकती पानी की बूंदे । बहुत ही ज्यादा मनमोहक और मादक दृश्य था जो धर्मवीर और सोमनाथ की आंखे देख रही थी ।

तभी उपासना ने तिरछी नजर से धर्मवीर के रूम की तरफ देखा (कुछ इस तरह कि धर्मवीर और सोमनाथ को पता ना चल सके ) तो उसका ससुर और उसका सगा बाप उन्हें ही ताड़ रहे थे ।

उपासना - उधर मुह करके मत देखना पुजा पर वो दोनों हमे ही देख रहे है ।

पूजा - देखने दो तो दीदी बताओ क्या करना है ।

तभी उपासना ने पूजा के पेट पर चिकोटी काटी और भाग ली। पीछे पीछे उपासना को पकड़ने के लिए पूजा भी भागी ।

भागते हुए उन दोनों के चूतड़ों ने तो धर्मवीर और सोमनाथ के दिल और लंड मे तूफान मचा दिया ।

सोमनाथ आह कर गया देखते हए ।

धर्मवीर - लगता है सोमनाथ जी आप आउट ऑफ कंट्रोल हो रहे है ।

सोमनाथ - एक बात पुछु । आपका दिल क्या कह रहा है ।

धर्मवीर - सच बोलू तो मेरा दिल कह रहा है तुमने चूतों की रानियां पैदा की है सोमनाथ जी ।

सोमनाथ - तो आप लंड के राजाओं में अपना नाम शुमार कीजिये समधीजी ।

धर्मवीर - मेरा तो मन कर रहा है कि दोनों को यहीं पटक कर चोद दूं बिना कोई रहम किये ।

सोमनाथ - इनपर रहम करना तो मूर्खता होगी समधीजी । ये तो हार्डकोर रंडियां लगतीं है मुझे ।

उधर पूजा ने भागते भागते जैसे ही उपासना को पकड़ा तो पूजा ने उपासना को खड़ी करके उसके चूतड़ों पर 8, 10 थप्पड़ खींच दिए ।

उसके थप्पड़ों से हिलते उपासना के कूल्हों ने आग में घी का काम किया ।

धर्मवीर बोला कुछ भी कहिए सोमनाथ जी इन दोनों को लंड की सख्त जरूरत है ।

सोमनाथ बोला - इन दोनों का मटकना यह साबित करता है कि इन्हें एक ताबड़तोड़ चुदाई की जरूरत है ।

धर्मवीर बोला- तो क्यों ना आज इनकी चूतों में अपना सोमरस भर दिया जाए।

सोमनाथ यह सुनकर excited हो गया ।

धर्मवीर - तो चलिए फिर से शुरू करते हैं अपना खेल और चोद देते हैं दोनों घोड़ियों को।

सोमनाथ - लेकिन समधी जी मैं सोच रहा हूं कि पहले हमें पता कर लेना चाहिए की उपासना चुदने के लिए रेडी है भी या नहीं।

धर्मवीर- बात तो तुमने ठीक की चलो देखते हैं ।

ऐसा कहते हुए दोनों नीचे की तरफ चलने लगे ।

उधर उपासना और पूजा भी नहा कर वापस आ चुकी थी और आज कई दिनों के बाद उपासना और पूजा ने टाइट जींस पहनी थी ।

ऊपर दोनों ने स्लीवलैस टॉप पहना हुआ था जो नाभि के काफी ऊपर था। पूजा ने अपने बालों को जुड़ा बनाकर सर पर रखा हुआ था और उपासना ने अपने बाल खुले छोड़े हुए थे और उसके रेशमी बाल कमर पर लहरा रहे थे। और उसके नीचे जींस में फंसे हुए उसके चूतड़ जानलेवा लग रहे थे

धर्मवीर और सोमनाथ हॉल में आकर बैठ गए तभी उपासना और पूजा हॉल में आई ।

उपासना - पापा जी यदि आपका चाय पीने का मन कर रहा है तो आपके लिए चाय ले आयें।

सोमनाथ - बेटी चाय तो अभी पी थी थोड़ी देर पहले यदि कुछ और हो खाने के लिए हल्का-फुल्का तो वह ले आओ ।

तभी पूजा बोली - दीदी किचन में केले रखे हैं केले ले आओ।

उपासना यह सुनकर केले लेने के लिए लेने चली गई ।

केले लाकर उपासना टेबल पर रखती है।

धर्मवीर और सोमनाथ केले का छिलका उतारकर खाने लगे ।

सोमनाथ ने पूजा और उपासना को भी केले देते हुए कहा - तुम भी खाओ ।

उपासना ने केले पकड़ते हुए चाकू भी मांगा और चाकू से छोटे छोटे पीस करके उपासना केले खाने लगी ।

इस तरह से केले खाते हुए देखकर सोमनाथ बोला - बेटी केले हमारी तरह छीलकर खाओ , क्या यह छोटे छोटे केले काट कर खा रही हो ।

यह सुनकर उपासना की नजरें सोमनाथ की नजरों से टकरा गई अपने बाप की नजरों में झांककर उपासना ने इस्माइल देते हुए अपना चेहरा झुका लिया।

धर्मवीर - उपासना क्या हुआ बहू, खाओ ना केले तुम्हारे पापा कितने प्यार से तुम्हें केले खिला रहे हैं।

उपासना बोली धीमी आवाज में - बिना काटे नहीं खा सकती मैं केले।

इतना ही सुनना था की पूजा बोली कैसे नहीं खा सकती हो दीदी मैं खिलाती हूं तुम्हें केले।

पूजा ने उपासना की गर्दन में हाथ डाला और एक हाथ में केला पकड़ा। यह केला सबसे मोटा था लेकिन गर्दन में एक हाथ होने की वजह से एक हाथ से छीन वह छील नहीं सकती थी तो उसने सोमनाथ जी से कहा पापा जी केला छीलिये दीदी को मैं खिलाती हूं ।

सोमनाथ ने उठकर केले को आधे से ज्यादा छील दिया ।

उपासना और पूजा की मोटी मोटी जांघे जींस में फंसी हुई थी और बड़ा ही मनमोहक दृश्य था जब पूजा उपासना को केला खिलाने वाली थी ।

पूजा बोली दीदी- मुंह खोलिए ।

उपासना बोली - मुझसे नहीं खाया जाएगा।

पूजा बोली- दीदी मुंह तो खोलिए आप ।

उपासना ने हल्का सा मुंह खोला लेकिन केला मोटा था और पूजा इस बात का फायदा उठाना चाहती थी।

पूजा बोली- दीदी मुंह पूरा खोलिए केला मोटा है ।

उपासना यह सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। अब वह पूजा की बाहों में लेटी हुई प्रतीत हो रही थी ।

उपासना ने शर्म से अपनी आंखें बंद किये हुए अपना मुंह और थोड़ा सा खोल दिया ।

पूजा ने 2 इंच केला उपासना के मुंह में डाल दिया।

उपासना ने केला दांतो से काट कर खा लिया तब पूजा बोली ऐसे नहीं खाते हैं दीदी केला । रहने दीजिए दीदी आप ने केला खराब कर दिया अब मैं दूसरा केला लाती हूं क्योंकि यहां तो सारे केले छोटे हैं ।

पूजा किचन में गई और केला छांटने लगी तभी उसकी नजर एक केले पर पड़ी जो सबसे ज्यादा मोटा था और लंबा भी हंसते हुए पूजा ने वह अकेला उठाया और भाग कर वापस आई ।

लेकिन पूजा जब भागकर किचन में गई थी और जब भाग कर आई तो उसकी गदरायी जवानी छुपी ना रह सकी धर्मवीर और सोमनाथ की नजरों से।

पूजा ने दोबारा से उपासना की गले में अपनी बाजू डाली और उसे मुंह खोलने को बोला ।उपासना सब समझ रही थी कि यह क्या चल रहा चल रहा है और साथ में मजा भी ले रही थी ।उसने मजे लेने के लिए मुंह पर हाथ रख कर कहा - हाय रब्बा इतना मोटा केला में कैसे खाऊंगी ।

पूजा बोली- दीदी खाना तो पड़ेगा ।

उपासना ने आंखें बंद करते हुए अपना मुँह खोला ।

पूजा ने थोड़ा सा केला उपासना के मुंह में डाला ।

पूजा बोली दीदी और मुंह खोलिए ।

उपासना ने थोड़ा सा और मुंह खोला पूजा ने आधा केला उपासना के मुंह में डाल दिया।

इस बात का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने कहा- बहू पूरा लो लो ।

यह सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेजी से मीच ली शर्म से वह गढ़ी जा रही थी।

पूजा बोली सोमनाथ से - देखो पापा दीदी अपने मुंह में केला ले रही है ।

सोमनाथ बोला केला तो सेहत के लिए अच्छा होता है , केला तुम भी खाओ।

धर्मवीर बोला- सोमनाथ जी आपको क्या लग रहा है उपासना ले पाएगी मुंह में या नहीं ।

सोमनाथ बोला- समधी जी देखो बेटी ले तो रही है मुंह में और कोई भी नहीं कह सकता की उपासना नहीं ले पाएगी यह तो पूरा ले लेगी।

उधर उपासना और पूजा भी मस्ताने लगी थी।

पूजा बोली - हां देखो पापा दीदी तो सच में पूरा ले गयी।

फिर पूजा ने उपासना के मुंह से केला निकाला दोबारा से अंदर डाल दिया, जैसे लंड से मुंह को चोदा जाता है वैसे ही पूजा ने चार पांच बार ऐसा किया।

तब उपासना का केले से मुंह चोदन होने लगा तो उपासना ने पूजा को एक साथ धक्का दिया और मुंह से केला निकल गया साथ में उपासना का लारदार थूक केले से होता हुआ नीचे टपकने लगा । उपासना को बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी उसने अपने मुंह पर दोनो हाथ और वहां से भाग खड़ी हुई ।

भागते हुए उसके चूतड़ों को देखकर अपने लंड पर हाथ रख लिया सोमनाथ में और धर्मवीर ने।

उपासना तो जा चुकी थी सोमनाथ बोलो पूजा बेटा तुम भी खा लो केला।

केला पूजा भी काटकर खाने लगी धर्मवीर बोला नहीं जैसे तुमने उपासना को खिलाया है वैसे ही खाओ ।

पूजा बोली नहीं मैं ऐसे नहीं खा सकती।

धर्मवीर उठा और पूजा के पीछे खड़ा हो गया उसने पूजा की गले में हाथ डाला और वही केला टेबल से उठा लिया जिसे उपासना को खिलाया जा रहा था।

यह देखकर पूजा बोली यह अकेला तो दीदी का झूठा है ऐसे कैसे खा सकती हूं मैं ।

सुनकर सोमनाथ बोला - ऐसी क्या बात हुई तुम्हारी दीदी ही तो है ।

यह सुनकर पूजा चुप हो गई और धर्मवीर ने वह केला पूजा के होठों से लगा दिया।

धर्मवीर बोला- मुँह खोलो पूजा लेकिन पूजा ने मुंह नहीं खोला।

धर्मवीर उस केले को पूजा के होठों पर रगड़ने लगा।

धर्मवीर दोबारा बोला - मुंह खोलो ।

पूजा ने भी शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली और हल्का सा मुंह खोल दिया लेकिन केला मोटा था जिस वजह से उसके होठों में ही फस गया ।

धर्मवीर बोला बेटा पूजा और थोड़ा मुंह खोलो तभी तुम ले पाओगे अंदर। पूजा ने अपना मुंह खोल दिया और धर्मवीर ने आधा अकेला पूजा के मुंह में डाल दिया।

केले के चारों तरफ पूजा के होंठ बड़े ही कामुक लग रहे थे क्योंकि उपासना से मोटे थे पूजा के होट।

धर्मवीर का लंड भी पैंट में टाइट हो चुका था।

धर्मवीर का लंड पूजा की भारी भरकम पिछवाड़े से टच हो गया ।

पूजा के लिए यह बहुत शर्म वाली बात थी। पूजा थोड़ा आगे को हुई लेकिन इस बार धर्मवीर ने अपना पूरा जोर लगाकर पूजा के पिछवाड़े से चिपका दिया अपना लौड़ा और रहा-सहा केला भी पूजा के मुंह में डाल दिया।

धर्मवीर बोला- देखिए सोमनाथ जी आपकी छोटी बेटी भी कम नहीं है उपासना से । यह भी पूरा केला ले गई ।

सोमनाथ बोला हां समधी जी मेरी तो दोनों बेटियां ही एक समान है मेरे लिए।

पूजा शर्म से लाल पीली हो रही हो रही थी ।

धर्मवीर बोला- हां सोमनाथ जी यह तो आपने ठीक कहा कोई भी बेटी कम नहीं है । देखो तो इतना मोटा केला इतने प्यार से ले लिया मुंह मे ।

फिर धर्मवीर ने केले को मुंह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया बड़ी ही कामुक अंदाज में पूजा केला चूसने लगी ।

केले को अंदर बाहर बाहर करते हुए धर्मवीर ने पूजा के पिछवाड़े से अपना लंड रगड़ना शुरु कर दिया।

पूजा भी कहां कम थी उसने भी अपनी गांड पीछे की तरफ धकेल कर चूतड़ों को धर्मवीर के लंड पर रगड़ना जारी रखा।

5 मिनट तक यही सीन सीन चलता रहा फिर अचानक पूजा ने पूरा केला दांतों से काट कर खा लिया ।

धर्मवीर- भला यह क्या किया बेटी।

पूजा बोली आपने ही तो कहा था की पूजा केला खालो , लो खा लिया।

धर्मवीर उसकी चालाकी पर कुछ ना कह सका ।

फिर पूजा चाय के कप उठाकर किचन में जाने लगी लेकिन जैसे ही उसने कप उठाया उसके हाथ से कप छूट गया और नीचे गिर गया कप नीचे गिर के टूट चुका था , पूजा उसे उठाने के लिए नीचे झुकी तो टाइट जींस में उसके चूतड़ सोमनाथ और धर्मवीर के लंड पर कहर बरपाने लगे ।

धर्मवीर बोला- बेटी तुमने कप तोड़ा है इसकी पनिशमेंट तो तुम्हें मिलनी ही चाहिए ।

पूजा समझ गई उसने बड़े ही नशीली अंदाज में कि मैं हर पनिशमेंट के लिए रेडी हूं , मुझे जो सजा दोगे मंजूर है ।

धर्मवीर बोला कि तुमने दो कप तोड़े हैं तो तुम्हें दो थप्पड़ खाने होंगे।

पूजा बोली क्या आप मेरी पिटाई करेंगे क्या ।

धर्मवीर बोला नहीं पूजा तुम्हारे लिए दो ऑप्शन है या तो अब दो थप्पड़ एक एक गाल पर खाओ या अपने पिछवाड़े पर खाओ ।

यह सुनते ही पूजा शर्मा गई और शर्मा कर अपना पिछवाड़ा धर्मवीर की तरफ करके खड़ी हो गई ।

धरमवीर समझ गया पूजा भी अपने पिछवाड़े पर ही स्लैपिंग चाहती है ।

धर्मवीर ने उसके कूल्हों पर एक करारा थप्पड़ लगाया ।

पूजा के मुंह से बड़ी ही मादक आह निकली आउच।

पूजा का पिछवाड़ा एक थप्पड़ से पूरी तरह हिल गया ।

धर्मवीर ने दूसरा थप्पड़ लगाया दोनों चूतड़ों पर एक थप्पड़ खाकर पूजा भागती हुई कमरे से निकल गई।

सोमनाथ जी भी बहुत गौर से देख रहे थे जब धर्मवीर पूजा के मतवाले नितंबो पर थप्पड़ मार रहे थे।

धर्मवीर सोमनाथ की तरफ चलते हुए बोला कुछ भी हो दोनों पूजा और उपासना का खाना पीना उनके पिछवाड़े पर ही लग रहा है देखो तो ऐसी मादक घोड़ियों की तरह घूमती फिरती है ।

तभी सोमनाथ बोला - पूजा अभी भागकर उपासना के पास ही गई होगी चलो देखते हैं दोनों में क्या बातें चल रही है।

ऐसा कहकर उपासना और पूजा के रूम की तरफ चल दिए सोमनाथ और धर्मवीरजी । गेट के पास जाकर दोनों ने कान लगाकर सुनना शुरू किया ।

दोस्तों यह बात हकीकत भी थी की पूजा सीधे उपासना के रूम में ही गई थी।

उपासना ने देखा कि पूजा का चेहरा लाल हुआ पड़ा है ।

वह समझ गई कि कुछ ना कुछ जरूर हुआ है ।

उपासना बोली- क्या हुआ पूजा ऐसे कैसे लाल होकर आ रही हो ।

पूजा बोली - होना क्या था आपके ससुर जी और हमारे पापा जी कम ठरकी थोड़ी ना है ,जो ऐसे ही आ जाने देते।

जैसा उन्होंने आपके साथ किया वैसा ही मेरे साथ किया ।

उपासना बोली - तो मतलब छोटी घोड़ी केला चूसकर आरही है ।

पूजा बोली - बड़ी घोड़ी तो बीच में ही भाग कर आ गई थी ।

यह सुनकर उपासना शर्माते हुए बोली- बड़ी घोड़ी का भागकर आना ही ठीक था वरना वह दोनों पैंट में ही झड़ जाते पर मुझे तो लगता है वह अधूरा काम तुम पूरा करके आई हो ।

पूजा ने उपासना को बताया कि कैसे उसके हाथ से कप गिर गया था और कैसे धर्मवीर ने उसके पिछवाड़े को लाल किया है ।

उधर धर्मवीर और सोमनाथ कान लगाकर सारी बातें सुन रहे थे और साथ ही साथ अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहे थे ।

उपासना बोली - तभी मैं कहूं छोटी घोड़ी इतनी लाल क्यों हो रही है वह इसलिए हो रही है क्योंकि मेरे ससुर जी ने उसकी गांड पर थप्पड़ लगाये हैं।

यह सुनकर पूजा शर्माकर बोली - अपनी गांड को बचा कर रखिएगा कहीं ऐसा ना हो की बड़ी घोड़ी की गांड पर थप्पड़ की जगह कुछ और ही लग जाए।

उपासना बोली- पूजा सीधे-सीधे बोलो जो बोलना चाहती हो ।

पूजा बोली- दीदी मैं तो यह कहना चाहती थी कहीं ऐसा ना हो कि आपकी गांड को फाड़कर ही रख दे ससुर जी ।

उपासना बोली- हाय अब बचा ही क्या है ससुर जी ने तो फाड़ कर रख दी थी मेरी अब तो अपने बाप से फड़वानी है ।अब मेरे ससुर जी तो तेरी गांड फाड़कर रखेंगे ।

यह सुनकर पूजा लजा गई ।

पूजा बोली- दीदी यह तो आगे बढ़ ही नहीं रहे हैं हमें ही कुछ करना होगा।

उपासना बोली- इसमें चिंता वाली क्या बात है, आज रात को उनका लंड तुम्हारी चूत में होगा अगर तुम कहो तो।

पूजा बोली- क्यों दीदी आप भी तो भरना चाहते हैं पापा का लंड अपनी चूत में । और मुझे डर लग रहा है कहीं ऐसा ना हो मैं आपके ससुर जी का लंड ना ले पाऊं ।

उपासना मुस्कुराती हुई बोली - इसमे डरने वाली क्या बात है । आजकल की लड़कियां बड़े से बड़ा लौड़ा आसानी से खा जाती है जाती है और तू तो फिर भी घोड़ी है ।अपने पिछवाड़े को देख ,अपनी जांघों को देख , लटकते इन पपीते जैसे चुचियों को देख फिर तेरी यही फूली चूत कहेगी कि ये लोड़ा हमारे लिए ही बना है। तेरे जैसी चुड़कड़ घोड़ी धर्मवीर जैसे लोड़े के ही काबू में आ सकती हैं । वरना तू तो बेलगाम हो जाएगी।

पूजा हंसते हुए बोली - बड़ा तजुर्बा है दीदी आपको तभी आप बेलगाम नहीं हुई हो ।

उपासना बोली - क्या बताऊं मेरी तो ससुर जी ने टिकाकर मारी है । जब चोदते हैं तो हिलने भी नहीं देते ।

इन बातों से दोनों गर्म हो गई।

उपासना बोली - मुझे तो इंतजार है जब मेरे पापा अपने लंबा सा लोड़ा इस घोड़ी की चूत में उतारेंगे। पूरी तरह से नीच से गांड उठाकर लूंगी अपने पापा का लंड । अपने पापा का लंड चाट चाट कर निहाल हो जाऊंगी । अपनी चूत को अपने पापा के मुंह पर मारूंगी और कहूंगी पीलो पापा अपनी बेटी की चूत को ।

उधर धर्मवीर और सोमनाथ भी बातों को सुन सुनकर झड़ गए थे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे ।

पूजा बोली- चलो मार्केट चलते हैं और कुछ खरीद कर ले आते हैं शाम और रात के लिए ।

जैसे ही ये बात कही पूजा ने तो धर्मवीर और सोमनाथ दबे पांव अपने कमरे में चले गए और जाकर बात करने लगे जैसे उन्हें कुछ पता ही ना हो ।

पूजा और उपासना ने अपने होठों पर लिपस्टिक लगाई और जल्दी सोमनाथ और धर्मवीर के रूम की तरफ चल दीं ।

जीन्स में कसी हुई घोड़ियां जाकर धर्मवीर और सोमनाथ से बोलीं - पापा जी हमें मार्केट जाना है यदि आप साथ चलेंगे तो अच्छा रहेगा ।

धर्मवीर और सोमनाथ भी उनके साथ चल दिए चारों एक ही गाड़ी में मार्केट की तरफ निकल पड़े । मार्केट पहुंचकर गाड़ी को पार्क किया धर्मवीर ने और एक कपड़े के शोरूम की तरफ चलने लगे।

चारों शोरूम में काउंटर पर पहुंचे तब काउंटर पर बैठे लड़के ने बताया कि लेडीस गारमेंट ऊपर है और जेंट्स गारमेंट नीचे । और जेंट्स को उपर जाने की अनुमति नहीं है ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ का मुंह लटक गया ।

वह नीचे ही बैठ गए और उपासना पूजा ऊपर की तरफ पड़े ।

जब वह चलती हुई जा रही थी तभी शोरूम में चार पांच लोग और घुसे।

वह उनकी तरफ ही देखे जा रहे थे । एकदो ने अपने लंड पर हाथ रख रखा था ।

उपासना और पूजा ऊपर चली गई । और वह चार पांच लोग धर्मवीर और सोमनाथ जहां बैठे थे वहीं पर आकर बैठ गए ।

उनमे से एक बोला - अभी अभी ऊपर दो लड़कियां गयीं हैं इतनी मस्त लड़कियां आजतक तक नहीं देखीं ।

दूसरा बोला- अबे सीधा सीधा बोल ना कि ऐसी गांड आज तक नहीं देखी, क्या पिछवाड़ा था यार ।

अपनी बेटी और बहू के बारे में ऐसी बातें सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ गर्दन नीचे करके बैठे रहे ।

वह चार पांच लोग पूजा और उपासना के बारे में अश्लील बातें करते रहे।

कोई कह रहा था एक रात के लिए मिल जाए तो इन्हें चलने के लायक नहीं छोडूंगा । कोई कह रहा था कि मैं तो पूरी रात अपना लंड फसा कर लेटा रहूंगा ।

तभी पूजा और उपासना नीचे की तरफ आती हुई दिखाई दीं।

पूजा के हाथ में एक बैग था और दोनों धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी ।

जींस में कसी हुई उनकी जांघें और टॉप में मोटे मोटे चूचे कहर बरपा रहे थे।

जैसे ही वह पेमेंट करके धर्मवीर और सोमनाथ की तरफ आईं तभी उन चार पांच लोगों में से बैठे हुए एक लफंगे ने कहा - देखो तो कितनी भारी भारी गांड है दोनों की ।

यह सुनकर पूजा और उपासना बुरी तरह से शर्मा गयीं ।

तभी दूसरा बोला पक्का पूरी रात लंड से खेलती होंगी यह दोनों ।

एक साथ दस दस लंड से खेलने लायक हैं ये दोनों तो ।

तभी तीसरा बोला मेरा तो मन करता है इनकी गांड पर थप्पड़ लगाता रहूं।

चौथा बोला मेरा मन करता है इनके पिछवाड़े में अपना मुंह घुसा दूं ।

पांचवा बोला मेरा तो मन करता है कि इनके गले में कुतिया वाला पट्टा डालकर अपनी रंडी बना लो और बारी बारी से दोनों को पूरी रात अपने वीर्य से नहलाते रहो । देखने से ही सस्ती रंडियां लगतीं हैं ये घोड़ियां ।

अब तो बेशर्मी की हद हो चुकी थी धरमवीर गुस्से से खड़ा हुआ और उसने उन में से एक के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया ।

तमाचा लगते ही चारों लोग इकट्ठे होकर धर्मवीर की तरफ लपके ।

धर्मवीर ने किसी फिल्म की तरह एक के घुटने में लात मारी और दूसरे के मुंह पर लात मारी ।

और तीसरे के पेट मे अपनी पूरी जान लगाकर एक मुक्का जड़ दिया ।

बाकी बचे दो जैसे ही वो धर्मवीर की तरफ लपके धर्मवीर ने एक के मुंह पर पूरी जान लगाकर एक मुक्का जड़ दिया और दूसरे का पैर पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उछाल दिया ।

यह फाइट चल ही रही थी कि तभी पुलिस आगयी ।

पुलिस ने आकर देखा तो इंस्पेक्टर ने धर्मवीर के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा- सर हमें माफ कीजिए हमारे होते हुए आप जैसे शरीफ इंसानों के साथ ऐसा व्यवहार हुआ । हमें जैसे ही फोन पर सूचना मिली तुरंत ही हम पुलिस स्टेशन से दौड़ते दौड़ते सीधे यहीं पर आए ।

वह चारों-पांचों लोग हैरानी से मुंह फाड़ कर कर पुलिस वालों की तरफ और धर्मवीर सोमनाथ की तरफ देखने लगे कि आखिर यह हो क्या रहा है ।

तभी पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ते हुए कहा कि तुम्हें अब पता चलेगा की शरीफ लोगों की घर की बहन और बेटी को छेड़ने का अंजाम क्या होता है।

क्योंकि तुम जानते नहीं जिसे तुम ने छेड़ा है वह दिशा इंडस्ट्रीज की मालिक है । और ये हैं धर्मवीर जी फाउंडर ऑफ दिशा इंडस्ट्रीज।

यह सुनकर चारों के पैरों से जमीन निकल गई और गिड़गिड़ा कर धर्मवीर के पैरों में माफी मांगने लगे । हमें माफ कर दीजिए सर हमें पता नहीं था कि ये आपके साथ हैं वरना हम ऐसी गलती भूल कर भी नहीं करते

धरमवीर ने कहा- मेरे ही साथ में नहीं यदि कोई भी लड़कियां या औरत मिले तो उसकी इज्जत करना सीखो ।

धर्मवीर ने इंस्पेक्टर से कहा कि इनको माफ कर दीजिए उन्हें जेल मत भेजिएगा, लेकिन इनके घर वालों को बुलाकर उन्हें बताइएगा और तभी इन्हें घर जाने दीजिएगा ।

यह सुनकर चारों खुश हो गये और धर्मवीर से कहने लगे सर हम आपका एहसान कभी नहीं भूलेंगे लेकिन आप हमारी गलती भूल जाइएगा , हम माफी चाहते हैं और साथ ही वादा करते हैं कि दोबारा ऐसा किसी लड़की या औरत के साथ यह व्यवहार नहीं करेंगे ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने एक बार आखिरी निगाह उनकी तरफ डाली और बाहर की तरफ निकल गए ।

पूजा और उपासना शर्म से दोनों के चेहरे लाल हो गए थे ।

चारों गाड़ी में बैठकर घर वापस आगये थे कोई अभी तक कुछ नही बोला था । पूजा और उपासना के मन मे आज रात को होने वाली चुदाई की कल्पना थी तो धर्मवीर के मन मे उस पांचवे गुंडे का चेहरा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसने उस गुंडे को पहले भी कही देखा है ।

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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है बताते रहिएगा जिससे कि मुझे भी लिखने की excitement बनी रहे ।

आपका प्यारा सा भाई और दोस्त- रचित चौधरी ।

********
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RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां - by desiaks - 05-01-2021, 11:36 AM

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