RE: Sex Kahani मेरी चार ममिया
में अपने हाथ नीचे कर साबून उसकी जाँघो पर मसल्ने लगा.
जाँघो से जैसे ही मेने अपना हाथ उनकी जाँघो के बीच मे डालना
चाहा उन्होने मुझे रोक दिया.
"अभी नही राज." कहकर उन्होने पानी से अपने शरीर को धोया
और खूँटि से तोलिया उठा अपने बदन को पौंच्छने लगी. "जल्दी से
नहा कर बाहर आ जाओ." इतना कह मामी ने अपनी गीली पॅंटी उतार दी
और बाथरूम के कौने मे फैंक दी.
उनके नंगे चूतड़ ग़ज़ब ढा रहे थे. मामी अब पूरी नंगी मेरे
सामने खड़ी थी. जैसे कुछ हुआ ही ना हो वो अपने बालों को टवल से
पौन्छ्ते हुए बाथरूम से बाहर चली गयी.
सहरों की तरह गाओं मे अटॅच्ड बाथरूम नही बना हुआ था.
बाथरूम घर के पीछले हिस्से मे था और मामी का कमरा करीब 15
फीट की दूरी पर था. मामी नंगी ही अपने कमरे की ओर बढ़ गयी.
मामी के चूतडो और पीठ पर पानी की बूंदे किसी मोती की तरह
चमक रही थी. मामी अपने बेडरूम मे घूस गयी और मुझे जल्दी से
बाहर आने को कहा.
मामी के मुड़ते ही मेरी नज़र बाथरूम के कौने मे पड़ी कंगन मामी
की पॅंटी पर पड़ी. मेने पॅंटी को उठाया और सूंघने लगा. भीनी
भीनी चूत की खुसबु उस पॅंटी से आ रही औट में मदहोश होकर
और जोरों से सूंघने लगा. मुझे पता नही में कितनी देर तक ऐसे
ही करता रहा.
"तुम ऐसा ही कुछ करोगे मुझे पता था."
मामी की आवाज़ सुनकर में चौंक गया और झेंप कर पॅंटी नीचे
फैंक दी. मामी एक सफेद रंग की ब्रा और हरे रंग की पॅंटी पहन
बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी.
बहुत ध्यान से देखने के बाद मालूम हुआ कि मामी ने इतने पतले
कपड़े की नाइटी पहन रखी थी यही लगता था कि ब्रा और पॅंटी के
उप्पर कुछ नही पहना हुआ.
इतना कहकर मामी वापस घर मे चली गयी. मेने भी टवल से अपने
बदन को पौंच्छा और एक नयी टी-शर्ट और शॉर्ट पहन ली. में अपने
बालों का पानी टवल से पौंच्छ रहा था कि मामी फिर से मेरे पास
आई.
"राज कुछ नाश्ता करोगे?" मामी ने पूछा.
में तो मामी की सुंदरता और उनके गोरे बदन मे इतना खोया हुआ था
कि मेने कोई जवाब नही दिया.
मुझे खामोश देख मामी ने कहा, "क्या बात है राज, इसके पहले किसी
लड़की या औरत को नंगा नही देखा है क्या?"
"नही" मेने धीरे से कहा."
तो इसका मतलब है तुमने अभी तक किसी को चोदा भी नही है." मामी
ने मुस्कुराते हुए पूछा.
"नही मामीजी" मेने शरमाते हुए कहा.
"घबराओ मत चिंता कोई बात नही है, में तुम्हे सब सीखा
दूँगी." कंगन मामी इतना कह हँसने लगी.
"आप भी मामीजी....." में इतना ही कह पाया.
"इसमे शरमाने वाली क्या बात है राज.....आख़िर में तुम्हारी मामी
हूँ. अगर ज़िंदगी की इतनी ज़रूरी बाते अगर में तुम्हे सीखा
दूँगी तो हर्ज़ ही क्या है. में पहले किचिन का काम ख़त्म कर लूँ
फिर तुम्हे बताउन्गि कि ये सब कैसे होता है." कंगन मामी इतना कह
चली गयी.
मामी की बातें सुन मेरी साँसे तेज हो गयी थी साथ ही पूरे बदन
मे एक नया रोमांच सा भर गया था. अगले एक घंटे तक मे ये सोचता
रहा कि पता नही मामी मुझे क्या क्या और किस तरह सिखाएँगी.
जब कंगन मामी ने अपना रसोई का सारा काम ख़त्म कर लिया तो उन्होने
अपने कमरे से मुझे आवाज़ दी. में उनके कमरे मे पहुँचा.
"आ इधर आ मेरे पास बैठ." मामी पलंग पर अपने बगल की जगह
को थपथपाते हुए कहा.
में जाकर उनके बगल मे बैठ गया.
क्रमशः..............................
|