RE: Sex Kahani मेरी चार ममिया
मेरी चार ममिया---2
गतान्क से आगे...................................
"राज एक काम करो सबसे पहले अपने सारे कपड़े उतार दो?" मामी ने
कहा.
मामी की बात सुनकर में थोड़ा हिचकिचाने लगा. मामी खुद खड़ी
हुई फिर धीरे धीरे मेरे कपड़े खोलने लगी. आख़िर मे उन्होने मेरी
अंडरवेर को भी नीचे खींच मुझे पूरी तरह नंगा कर दिया.
सिर्फ़ इस ख़याल ने कि में अपनी मामी के सामने नंगा खड़ा हूँ मेरा
लंड तनने लगा. मेरे खड़े लंड को देख कर मामी मुस्कुरई.
"राज जिंदगी मे एक बात हमेशा याद रखना, किसी भी लड़की को
सीधे कभी नही चोद्ना चाहिए, बहोत से चीज़ें हैं जो चुदाई
से पहले की जाती है. शुरुआत पहले उसकी चुचियों को धीरे धीरे
मसल्ने से करनी चाहिए. अगर तुमने किसी लड़की की चुचियों को उसके
कपड़ों के उपर से भी मसाला तो वो उत्तेजित हो जाएगी."
"अब ऐसा करो..... मेरी चुचियों को दबाओ और धीरे से मसलो."
कहकर मामी ने मेरा हाथ अपनी नाइटी से धकि चुचियो पर रख
दिया.
पहले तो मेने हल्की से मामी की चुचि को सहलाया और फिर हौले
हौले दबाने लगा. मामी के मुँह से हल्की सी सिसकी निकल पड़ी...
"आह आह" "मेरी नाइटी के बटन खोल इसे उतार दो." मामी ने
कहा.
मेने मामी की नाइटी के बटन खोल दिए.
"राज एक बात ध्यान रखना लड़की को कभी भी अपने कपड़े खुद मत
उतारने देना. बल्कि तुम खुद उसके कपड़े उतारना. तुम्हे नही मालूम
कपड़े उतारते वक़्त जब मर्द की उंगलियाँ लड़की के बदन को छूती हैं
तो वो जादू कर सकती है." मामी मुझे सीखाते हुए कह रही थी.
मेने पहले मामी की नाइटी उनके कंधों से अलग कर उतार दी. फिर
पीठ के पीछे हाथ ले जा उनकी ब्रा के हुक खोल दिए. ब्रा के स्ट्रॅप्स
को कंधों से अलग कर उसे भी उतार दिया. फिर उनकी पॅंटी के
एलास्टिक मे अपनी उंगलियाँ फँसा उनकी पॅंटी को नीचे खिसका उतार
दिया. मामी अब बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी.
"अब देख क्या रहे हो खेलो मेरी चुचियों से." कंगन मामी कह
उठी.
में अपने दोनो हाथ उनकी चुचियों पर रखने मसल्ने लगा. फिर
मेरे मन मे क्या आया मेने अपनी गर्दन थोड़ी नीचे झुकाई और उनके
निपल के चारों और अपनी जीभ फिराने लगा. जीभ फिराते फिराते
मेने अपने होठों मे उनके तने हुए निपल लिए और चूसने लगा.
मामी सिसक रही थी, "हां ऐसे ही चूसो उन्हो हाआँ ओह और
ज़ोर से दाँतों मे भींच चूसो ओह हाआँ."
में और जोरों से उनकी चुचियों को चूसने लगा.
"हां ऐसे ही ओह ज़ोर से काटो मेरे निपल को ओह हाआँ मुझे दर्द
होना चाहियों काट डालो मेरी चुचियों को"
मामी की उत्तेजना भरी बाते सुन मेरा लंड तंन कर पूरा खड़ा हो
गया था.
मामी ने मेरे लंड को अपने हाथों मे लिया और मसल्ने लगी. मामी
पीठ के बगल पलंग पर लेटी थी और में में उनके बगल मे लेटा
उनकी चुचियों को चूस रहा था. मामी फिर उठी और उन्होने मुझे
पलंग पर धक्का दे सुला दिया. मामी ने पैरो को फैला खुद बीच
मे आ गयी और झुक कर मेरे खड़े लंड को अपने मुँह मे ले लिया.
मामी अपनी जीभ मेरे लंड पर उपर से नीचे तक फिराती फिर लंड
के सूपदे को अपने मुँह मे ले किसी लॉली पोप की तरह चुस्ती.
थोड़ी देर मेरा लंड चूसने के बाद मामी फिर बिस्तर पर पीठ के
बल लेट गयी और उसने मुझे अपनी टाँगो के बीच आने को कहा.
"राज अब मेरी टाँगो को अपने कंधो पर रख दो."
मेने उनकी टाँगो को उठा अपने कंधो पर टीका दिया. मामी ने अपना
हाथ नीचे कर मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर रख दिया. में
पहली बार मामी की चूत को इतने करीब से देख रहा था. चूत
काली काली झांतो से घिरी हुई थी.
उनकी चूत की पंखुड़ी काफ़ी फूली और गुलाबी रंग की थी. मामी ने
अपनी दोनो उंगली से चूत की फांको को फैलाया और मेरे लंड को ठीक
बीच मे रखती हुई बोली.
"अब धीरे धीरे अपने लंड को अंदर घुसेडो."
मेने अपने लंड को थोड़ा अंदर घुसाया तो मुझे ऐसा लगा कि किसी
गरम सुराख मे अपना लंड मेने डाल दिया. मामी की चूत काफ़ी गरम
और रसीली थी अंदर से.
"ज़रा ज़ोर से अंदर डालो राज" मामी कराहते हुए बोली.
मेने एक ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लंड मामी की चूत की जड़
तक चला गया.
"ओह आआआ......ओह" मामी सिसक पड़ी. "हां ऐसे ही अब अपने
लंड को जोरों से अंदर बाहर करो." मामी ने मुझे सिखाते हुए
कहा.
में अपने लंड के ज़ोर ज़ोर धक्के मारने लगा. मामी भी अपने चुतताड
उछाल मेरा साथ दे रही थी.
"ऑश हेयेयन ऐसे ही जोरों से चोदो ओह रुकना मत और ज़ोर से
चोदो ऑश राज कितना अछा लंड है तुम्हारा" मामी जोरों से बड़बड़ा
रही थी.
में भी अब मामी की चुचियों को भींचते हुए जोरों से धक्के मार
रहा था. ये मेरा पहला अनुभव था चुदाई का. कमरे मे पंखा चल
रहा था इसके बावजूद मेरा बदन पसीने से भीग गया था.
मामी भी अपने चूतड़ जोरों से उछाल मेरे लंड को और अंदर ले रही
थी.
"ओह राज्ज्जज्ज हाआँ चोदो तुम तो कितनी जल्दी सीख गये हां और
ज़ोर से मारो ओह.मामी ने सिसकते हुए मेरे लंड को अपनी चूत मे और
जाकड़ लिया और फिर ज़ोर से अपने चूतड़ उपर को कर बोली,' राज मेरा
तो छूटने वाला है और ज़ोर से चोदो फाड़ दो मेरी चूत को
ओह"
मेरा भी लंड पानी छोड़ने को तय्यार था मेने ज़ोर का धक्का मारा और
अपने वीर्य की बारिश मामी की चूत मे कर दी. मामी ने भी जोरों से
मुझे बाहों जकड़ते हुए पानी छोड़ दिया. उनका रस और मेरा वीर्य उनकी
चूत से बह कर जांघों तक आ गया था.
मामी ने अपनी बाहों को मेरे गले मे डाली और पहली बार अपने होंठ
मेरे होठों पर रख चूसने लगी. फिर मामी मेरी जीब को अपनी
जीब से मिला चुलबुलाने लगी.
इसी तरह बाहों मे पड़े पड़े कब हम दोनो को नींद आ गयी.
करीब दो घंटे बाद मामी ने मुझे जगाया. मामी बिल्कुल नंगी मेरे
बगल मे लेटी हुई मुझसे चिपकी पड़ी थी. तब पहली बार मुझे अहसास
हुआ कि जो कुछ भी हुआ वो सच्चाई थी सपना नही. मामी बिस्तर से उठी
और नंगी ही किचन की ओर चली गयी. काफ़ी देर तक मुझे किचन
से बर्तन की आवाज़े आती रही.
"राज आओ खाना ख़ालो." मामी ने आवाज़ दी.
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