RE: Sex Kahani मेरी चार ममिया
मेरी चार मामियां --3
गतान्क से आगे...................................
कंगन अनिता के पास आई और इतनी ज़ोर से बोली कि हम तीनो को सुनाई
पड़ सके, "दीदी आप क्यों परेशान हो रही है, आराम से रहो हम
तीन ही तो है यहाँ." कहकर उसने अनिता की सारी का पल्लू हटा दिया
और उनके कंधों की मालिश करने लगी.
अनिता मामी के मुँह से हल्की कराह निकल गयी. कंगन ने उनकी
सारी को हटा दिया और ज़मीन पर गिर जाने दिया. अनिता मामी की दोनो
चुचियों मुझे सॉफ दीखाई दे रही थी. उनकी फूली फूली चूची
देख मन कर रहा था कि में भी उनके निपल को मुँह मे ले बच्ची
की तरह दूध पीने लगूँ.
कंगन मामी ने अनिता मामी के बाई माममे को अपने हाथ मे लिया और
मसल्ने लगी. अनिता मामी सिसक रही थी, "ओह्ह्ह्ह कंगन ओह्ह्ह प्लीज़
ऐसा मत करो......"
"क्यों दीदी क्या आपको अच्छा नही लग रहा....आप नही चाहती कि में
ऐसा करूँ." कंगन ने निपल को मसल्ते हुए पूछा.
"अच्छा तो बहोत लग रहा है कंगन....." अनिता धीरे से बोली.
"तो फिर हम सब दिल मे जो आएगा करेंगे...तुम्हे बहोत मज़ा आएगा
दीदी..." कंगन ने जोरों से निपल को मसल्ते हुए कहा.
कंगन मामी के शब्द सुनकर मैं चौंक उठा. हम का मतलब
था कि में भी. मेरे बदन मे सरसरी सी दौड़ गयी और मेरा लंड
शॉर्ट मे तंबू बनकर तन गया.
"राज थोड़ी मदद करो तो..." कंगन मामी ने बच्ची को अनिता की गोद से
उठाते हुए कहा.
मेने देखा कि बच्ची सो चुकी थी, मेने उसे कंगन के हाथों से
लिया और पालने मे सुला दिया.
अनिता ने मामी खड़ी होकर अपने ब्लाउस के बटन बंद किए और अपनी
सारी ठीक करने लगी.
"ऐसा करो तुम दोनो मेरे बेडरूम मे चलो में आती हूँ." कंगन ने
कहा.
हम दोनो उनके बेडरूम मे आए और कंगन हमारे पीछे आकर दरवाज़ा
अंदर से बंद कर दिया. कंगन अनिता के पास आई और उनकी सारी के
पल्लू को फिर ज़मीन पर गिरा दिया.
"कंगन क्या हमे ये सब करना चाहिए? मुझे तो बड़ी शरम आ रही
है."अनिता ने कहा.
"दीदी अब क्या हुआ.... आप ही कह रही थी कि आप राज के मजबूत
हाथों को अपने शरीर पर महसूस करना चाहती हो..." कंगन ने कहा.
"अनिता मामी क्या ये सच है." मेने सीधे अनिता को देखते हुए
पूछा.
"बोलो दीदी..... शरमाओ मत....आख़िर हम तीन ही तो हैं यहाँ
पर..." कंगन ने कहा.
"हां चाहती हूँ..... लेकिन...." अनिता ने शरम के मारे अपना
चेहरा हाथो मे छुपा लिया.
"फिर ठीक है.... डरो मत." कहकर कंगन अनिता के ब्लाउस के बटन
खोलने लगी. मेने भी अनिता के करीब आया और उनकी कमर को सहलाने
लगा. उनकी मुलायम और चिकनी त्वचा को छूते ही अनिता का बदन कांप
उठा.
कंगन ने अनिता का ब्लाउस खोल कर उतारा तो उनकी दोनो भारी भारी
चुचिया उछल कर बाहर को आ गयी. निपल मे दूध भरा होने के
कारण वो फूली फूली लग रही थी. दूध की बूंदे अभी निपल पर
दीखाई दे रही थी. कंगन ने एक निपल को ज़ोर से मसला तो दूध की
धार बाहर को निकल पड़ी.
बिना एक शब्द कहे कंगन ने झुक कर अपना मुँह अनिता की चुचि से
लगाया और दूध को पीने लगी. वो एक हाथ से एक चुचि को पकड़
चूस रही थी और दूसरे हाथ से दूसरी चुचि को मसल रही थी.
अनिता मामी के मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थी...उन्हे भी मज़ा
आने लगा था.
अपनी दोनो ममियों को इस हालत मे देख, एक बिस्तर पर अध नंगी और
दूसरी उनकी चूची चूस रही थे... को देख मेरे लंड मे तनाव
बढ़ने लगा. कंगन को अनिता की चुचि चूस्ते देख मेरे गला
सूखने लगा, मेने झट से एक थूक का गोला अपने गले के नीचे
उतारा अपनी सूखे होठों पर अपनी जीब फिराने लगा. मुझसे रहा
नही गया और में अनिता के पास गयाऔर अपना हाथ उनके कंधो पर रख
दिया. अनिता ने मेरा हाथ कंधों पर से हटा अपनी बाई चुचि पर
रखा.
में उनकी चुचि को मसल्ने लगा. कंगन ने मुस्कुरा कर मेरी ओर
देखा और अनिता की चुचि को चूस्ति रही. अनिता मामी ने मुझे सामने
की तरफ खींचा और अपनी दूसरी चुचि चूसने का इशारा किया.
में भी उनके बगल मे बैठ उनकी चुचि चूसने लगा. अब में और
कंगन अनिता की चुचियों को इस तरह चूस रहे थे जैसे कि दो
पिल्ले किसी कुतिया के स्तनो को चूस्ते है.
गरम दूध की बूँदों से मेरा मुँह भर गया. वैसे तो बेस्वाद था
लेकिन जवानी मस्ती से भरपूर. करीब दस मिनिट तक में और कंगन
अनिता की चुचियों को चूस्ते रहे. थोड़ी देर मे दूध आना बंद हो
गया.
"दीदी क्या बात है आज दूध जल्दी ख़तम हो गया? लगता है कल
रात किसी और ने भी इन्हे चूसा है..." कंगन ने अनिता ने पूछा.
"तुम्हारे जेठ जी के अलावा किसी ने नही...." अनिता ने कहा.
कंगन अब अनिता की सारी और पेटिकोट को नीचे खिसकने लगी.
अनिता मामी हल्का सा विरोध करते बोली, "नही कंगन मत करो मुझे
बहोत शरम आ रही है."
लेकिन कंगन ने उनकी एक ना सुनी और उनकी सारी और पेटिकोट नीचे
खिसका उनके पैरों से अलग कर दिया. ओह्ह क्या गोरी और चिकनी टाँगे
थी अनिता की. टाँगो की बीच छुपा था प्यार का ख़ज़ाना हल्के बालों
से घिरा हुआ. कमरा एक अजीब मस्ती की महक से भर उठा.
कंगन ने अनिता की जाँघो को फैलाया और मुझे उनकी चूत के दर्शन
कराए. शरम के मारे अनिता ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना हाथ
आँखों पर रख दिया, उसी वक्त एक झटके मे कंगन ने मेरी शॉर्ट्स
नीचे कर उतार दी.
मेरे खड़े लंड को देख कंगन मुस्करा दी, "शैतान कहीं का."
वीर्य की बूँद शबनम के मोती की तरह मेरे लंड के सूपदे पर
जगमगा रही थी. कंगन ने मेरे लंड को पकड़ा और उसकी चमड़ी को
तोड़ा पीछे कर मसालने लगी. तभी अनिता मामी ने अपनी आँखे खोली
और मेरे खड़े लंड को देख सिसकारी भरने लगी. वो मस्ती में अपने
हाथों से अपनी चुचियाँ मसल रही थी.
"दीदी आप तय्यार हो ना...." कंगन ने पूछा.
"समझ मे नही आ रहा क्या कहूँ.... मुझे डर भी लग रहा है
फिर भी में ये सब करना चाहती हूँ.....देखो ना मेरे दिल की
धड़कन कितनी तेज हो गयी है..." अनिता ने कहा.
"ओह्ह्ह्ह... दीदी अब हिम्मत करके इसकी मदद करो....ये भी नया है इस
खेल मे...." कंगन ने अनिता को उकसाया.
"ठीक है..." अनिता ने कहा.
कंगन पलंग से हटकर साइड मे इस तरह खड़ी हो गयी कि हमारी
चुदाई को देख सके.
मेने देखा कि अनिता मामी की आँखो से डर गायब हो चुका था और
अब उन्माद की मस्ती भरी थी आँखों मे. वो खड़ी हुई और अपने परों
मे फँसी सारी और पेटिकोट को उतार दिया. अब मामी बिल्कुल नंगी मेरे
सामने खड़ी थी. मामी पलंग पर लेट गई और मुझे अपने पास बुलाया.
मेरे हाथो को अपनी चुचियों पर रख बोली, "चूसो राज और इन्हे
ज़ोर ज़ोर से मस्लो."
मेने आनी जीब उनकी चुचि पर रखी और अपने हाथों से मसल्ने
लगा. में अपनी जीब को उनकी निपल पर फिराता तो वो सिसक
पड़ती..."ऑश राज चूसो इन्हे ऐसे ही.... ओह हाआँ ....मस्लो और
ज़ोर से......"
अनिता मेरे होठों को चूस्ते हुए सिसक पड़ी, "मुझे प्यार करो राज"
मेने पहले अनिता के होठों को चूसा, फिर नीचे होते हुए उनकी
चुचियों को चूसा फिर उनके पेट को चूमते हुए अपनी जीब उनकी नाभि
मे घूमाने लगा तो वो सिसक पड़ी, "ऑश राज गुदगुदी होती है ना."
नीचे खिसकते हुए मेने उनकी कमर को चूमा और फिर उनकी प्यारी
चूत को चूमते हुए उनकी जांघों को चूमने लगा. जांघों के
अन्द्रुनि हिस्सों पर अपनी ज़ुबान घूमाते हुए में और नीचे खिसक
उनके पावं को चूमने लगा.
अनिता ने मुझे खींच कर अपने उपर लीटा लिया. मुझे जोरों से बाहों
मे भर उन्होने अपनी चुचियाँ मेरी छाती से मसल दी. में भी इस
तरह लेटा था कि मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के मुँह पर ठोकर मार
रहा था.
अनिता ने अपनी टाँगो को थोड़ा फैलाया और मेरे चूताडो को भींचने
लगी. में अपने लंड को पकड़ उसकी चूत पर घिसने लगा.
अनिता ने मेरे लंड को पकड़ अपनी चूत की पंखुरियों को फैलाते हुए
लगा दिया, "अब सहन नही होता राज चोदो मुझे....घुसा दो अपने
लंड को इस मे..."
मेने एक ज़ोर का धक्का मारा तो मेरा लंड अनिता की चूत की दीवारों
को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर घुस गया.
"ओह............" एक कराह सी निकल पड़ी उसके मुँह से.
अब में अपनी कमर हिला धक्के मार रहा था. अनिता भी नीचे से
चूतड़ उछाल साथ दे रही थी. मामी की कराह और बड़बड़हत सुन
मुझे भी जोश आ रहा था.
"ओह अनिता मामी आपकी चूत तो काफ़ी गरम है ओह आअज फाड़
दूँगा में इस चूत को."
"हां राज ऐसे ही चोदो जब से कंगन तुम्हारे लंड की तारीफ़ की
थी में तरस रही थी इसके लिए....ऑश हाआँ फाड़ दो मेरे राजा
ऑश चोदो."
में अनिता मामी की चुचियों को कस कस मसल्ते हुए अपने लंड को
उनकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था.
मेने अपनी नज़र कंगन मामी पर डाली तो देखा कि वो अपनी आँख
बंद किए हुए थी. उन्होने अपनी सारी कमर तक उठा रखी थी. अपनी
चुचि को ब्लाउस से बाहर निकाल वो एक हाथ से मसल रही थी और
दूसरे हाथ से अपनी चूत मे तीन उंगली डाल अंदर बाहर कर रही
थी. हमारी दुनिया से दूर मामी अपनी सपनो की दुनिया मे खोई अपनी
मस्त गरम चूत को उंगलियों से चोद रही थी.
हम दोनो के बदन पसीने से लत पथ थे, में धक्के पर धक्के
मार रहा था और अनिता बड़बड़ा रही थी.
"ओह राजा चोदो ऑश हाआँ मेरा छूटने वाला है ऑश हाँ ज़ोर से
चोदो."
"हाआँ मामी मेरा भी छूटने वाला है ऑश में तो गया." मेने ज़ोर
का धक्का लगाते हुए अपने वीर्य की फौहर उनकी मादक चूत मे छोड़
दी.
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