RE: Sex Kahani मेरी चार ममिया
मेरी चार मामियां --4
गतान्क से आगे...................................
"वो तो ठीक है दीदी पर अपने पति को कहाँ से लाउ इस वक़्त वो तो
बाहर गये हुए है..." मोना मामी ने सोचते हुए कहा.
"एक दम पगली हो तुम भी.... क्या हर कल्पना पति से ही पूरी की
जाती है. ये राज हम चारों के बीच ही रहेगा समझी." अनिता
मामी ने कहा.
"कहती तो तुम सच हो दीदी हम सब बातें अपने पति को तो नही बता
सकते..... पर तुम ये कहना चाहती हो कि राज हम तीनो को चोदेगा?"
मोना ने पूछा.
"हां मेरी जाना...... अच्छा सच सच बताओ क्या तुम नही चाहती कि
कोई इस चाँदनी रात मे छत पर खुले आसमान के नीचे तुम्हे कोई
चोदे?" अनिता ने कहा.
"हां दीदी मन तो बहोट कर रहा है." मोना ने शरमाते हुए कहा.
"ठीक है जब ये तय हो गया है कि राज हम तीनो को चोदेगा तो सवाल
ये है के पहले कौन चुदवाएगा." कंगन मामी ने कहा.
इस बात को लेकर तीनो बहस करने लगी कि पहले तुम, पहले तुम. मोना
अपनी जीद पर आडी रही कि सबसे पहले वो नही चुदवाएगी. लेकिन हम
सभी जीद करने लगे कि नही उसे सबसे पहले चुदवाना होगा.
"आप तीनो मेरे पीछे ही क्यों पड़े है के सबसे पहले में राज से
चुदवाउ." मोना ने कहा.
"क्योंकि पीछले तीन दीनो से हम दोनो राज से चुदवा रहे हैं" अनिता
मामी ने मोना मामी के कान मे फुसफुसाते हुए कहा.
अनिता मामी की बात सुनकर मोना दांग रह गयी. उसने एक शब्द भी नही
कहा. आधे घंटे लग गये कंगन और अनिता को मोना को समझने मे
कि यही सही मौका है अपनी कल्पना को पूरी करने का.
आख़िर मोना तय्यार हो गयी.
"मोना एक काम करो तुम अपने कपड़े उतार दो?" कंगन मामी ने कहा.
"क्या अभी इसी वक़्त?" मोना ने पूछा.
"हां यही तो सही मौका है." कंगन ने कहा, "ठीक है लाओ में
तुम्हारी मदद करती हूँ."
हम चारों खुली छत पर खुले आसमान के नीचे खड़े थे. लालटेन
से आती हल्की रोशनी और चंदा की चाँदनी महॉल को काफ़ी रोमांचकारी
बना रहा था. कंगन मामी मोना के पास गयी और धीरे धीरे उसके
कपड़े उतारने लगी.
मोना मामी ने हल्की नीले रंग की सारी पहन रखी थी. कंगन ने
उसकी सारी खोल कर उतार दी और मेरी प्यारी मोना नामी मेरे सामने
सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस पहने खड़ी थी.
थोड़ी ही देर मे कंगन ने उसके ब्लाउस के हुक खोल उसे भी निकाल
दिया.
मोना मामी का गोरा बदन चाँद की रोशनी मे नहा गया. अधनंगी
अवस्था मे सिर्फ़ ब्रा और पेटिकोट मे उनका बदन एक दूधिया रंग का
लग रहा था.
अनिता मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे मोना के पास खड़ा कर दिया.
मेने देखा कि मोना मामी किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी. उनके
चेहरा गुलाबी हो रहा था शायद इस ख़याल से कि चाँदनी रात मे
खुली छत पर चुदाई करवाने की ख्वाइश आज पूरी होने वाली थी.
मुझे वहीं मोना के पास छोड़ अनिता और कंगन मामी थोड़ी दूर
दीवार के सहारे खड़ी हो गयी जिससे हमारी चुदाई देख सके.
मोना मामी अभी शरम के मारे अपनी नज़रें ज़मीन पर गड़ाए हुए थी.
जब में उनके और नज़दीक गया तो उन्होने मुझे रोक दिया.
"थोड़ी देर के लिए रुक जाओ राज, में अभी पेटिकोट नही उतारना
चाहती. मैने पेटिकोट पहने पहने ही करवाना चाहती हूँ, और हाँ
में घोड़ी बन जाउन्गि और तुम पीछे से मुझे चोदोगे. अगर तुम
सामने से करोगे तो में शरम के मारे तुमसे आँख नही मिला
पाउन्गि....कोई ऐतराज़ तो नही ना तुम्हे.?" मोना मामी ने कहा.
भला में क्या ऐतराज़ करता. मेरा तो सपना पूरा हो रहा था अपनी मोना
मामी को चोद्ने का चाहे वो आगे से हो या पीछे से. मैने हां मे
अपनी गर्दन हिला दी.
मोना मामी ने आने हाथ पीछे किए और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया,
फिर अपने कंधों से ब्रा के स्ट्रॅप हटा कर ब्रा को निकाल दिया. ओह्ह्ह्ह्ब
क्या चुचियाँ थी मोना की. चूतड़ लेकिन गोल और भरे हुए. चाँद की
रोशनी मे ऐसे चमक रहे थे जैसे कि कोई हापुड़ के आम.
मोना मामी घूम कर पीठ कर मेरी तरफ खड़ी हो गयी. फिर एक हाथ
से दीवार का सहारा लेकर झुक गयी और दूसरे हाथ से अपने पेटिकोट को
कमर तक उठा कर टीका दिया. फिर अपनी पॅंटी को नीचे खिसका कर
परों से अलग कर निकाल दिया. क्या चूतड़ थे मामी के गोरे और गोल
गोल.
चाँद की रोशनी ठीक और उनपर पड़ रही थी जिससे उनकी चुचियों की
परछाई छत की ज़मीन पर दीख रही थी. शायद मामी की शरम भी
खुल चुकी थी वो अपनी टाँगो को थोड़ा फैला अपने हाथ से अपनी चूत
को सहला रही थी और शायद मुझे बूला रही थी कि 'आओ राज और
चोदो मुझे."
"राज कब तक खड़े मेरे नंगे बदन को निहारते रहेगो.... क्या अब
चोदोगे नही मुझे." मोना ने मुस्कुराते हुए बोली.
मोना की बात सुन में अपने ख़यालों से बाहर आया. मेने तुरंत अपने
कपड़े खोले और नंगा हो गया. में अपने खड़े लंड को सहलाते हुए
मोना के चेहरे के पास आ गया.
"कितना प्यारा और सुंदर लंड है तुम्हारा...." कहकर मोना ने मेरे
लंड को अपने मुलायम हाथों मे पकड़ लिया. मैने भी अपना हाथ उनके
कंधों से नीचे कर उनकी चुचियों को मसल्ने लगा. मैं मोना मामी
की चुचियों को ठीक उसी तरह मसल रहा था जिस तरह कंगन मामी
ने मुझे सिखाया था.
मोना मामी के मुँह से एक आह सी निकल गयी. पहले तो धीरे मसल्ते
और सहलाता रहा फिर उनकी चुचि को अपनो पंजों मे भीच जोरों से
मसल्ने लगा. मैने उनके निपल को अपने अंगूठे और उंगली से जोरों से
भींच देता.
मोना मामी भी गरमा चुकी थी वो अपने हाथों से अपनी चूत को
मसल्ने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी, "ऑश अयाया आअहह."
में मोना मामी के पीछे आया और अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने
लगा. मामी गरमा चुकी थी और उनकी चूत पानी रिस रही थी. मैने
धीरे से उनकी चूत को फैलाएगा और अपने लंड को चूत के मुँह पर
रख हल्का सा धक्का दिया.
मामी ने हल्की सी सिसकारी भरी और दीवार को जोरों से पकड़ते हुए
अपने चूतड़ पीछे को किए जिससे मेरा पूरा लंड उनकी चूत मे समा
गया. अब में धीमे धीमे धक्को से अपने लंड को अंदर बाहर कर रह
था. मामी भी अपने चूतड़ आगे पीछे कर मेरा साथ दे रही थी.
अचानक मोना ने पीछे मूड कर मेरी तरफ देखा तो में मुस्कुरा दिया.
मामी की शरम गायब हो चुकी थी. वो मेरे आगे से हटी और वहीं
ज़मीन पर बीचे एक गद्दे पर पीठ के बल लेट गयी. उन्होने अपनी
पैरों को फैलाते हुए मुझे बीच मे आने के कहा.
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