RE: Sex Kahani मेरी चार ममिया
में बेडरूम मे आ गया. बेडरूम ठीक बाथरूम के सामने था इसलिए
जब सिमरन मामी नंगी बाथरूम से बाहर आएँगी तो में पहला शक्श
होऊँगा जो उन्हे उस हालत मे देख पाएगा.
तभी दरवाज़े पर ठप थापाहट हुई और अनिता मामी दरवाज़ा खोलने
चली गयी. तभी सिमरन मामी की आवाज़ सुनाई पड़ी,
"दीदी.... आअप इस हालत मे..... कहीं आप पागल तो नही हो गयी है
कि सिर्फ़ पेटिकोट पहन कर दरवाज़ा खोल रही हो."
"अरे में अभी अभी नहा कर निकुली हूँ और तुम ने दरवाज़ा खाट
खता दिया." अनिता मामी ने कहा.
"ओह्ह.... अच्छा ये बताए कि हमारा राज कहाँ है और क्या कर रहा
है." सिमरन मामी ने पूछा.
"वो सो रहा है.... हाँ तुमने बताया था कि तुमने स्नान नही किया
है... तो जाओ पहले स्नान कर लो फिर बातें करेंगे... मैं तुम्हे
टवल लाकर देती हूँ." कंगन मामी ने कहा.
"ठीक है में पहले नहा ही लेती हूँ," कहकर सिमरन मामी बेडरूम
से होती हुई बाथरूम मे गयी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया.
सब कुछ हमारे प्लान के मुताबिक हो रहा था. तभी कंगन मामी ने
मुझे आँख मारते हुए एक सारी, ब्लाउस पेटिकोट और टवल बाथरूम के
दरवाज़े पर रख दिए, "सिमरन मेने कपड़े दरवाज़े पर रख दिए
है."
"ठीक है दीदी." सिमरन ने कहा. थोड़ी देर मे दरवाज़े पर एक के बाद
एक उनके कपड़े नज़र आने लगे. सिमरन मामी ने अपने सारे कपड़े उतार
दरवाज़े पर रख दिए थे. यहाँ तक कि सिमरन ने अपनी ब्रा और पॅंटी
भी उतार कर रख दी. फिर पानी गिरने की आवाज़े आने लगी.
तभी कंगन मामी ने एक एक करके सारे कपड़े दरवाज़े पर से खींच
लिए यहाँ तक कि टवल भी. अब सिमरन मामी के पास पहनने के लिए
कुछ भी नही था. इन सभी बातों से अंजान सिमरन मामी नहाने मे
लगी हुई थी. कंगन मामी बेडरूम मे आई और मुस्कराते हुए सारे
कपड़े मेरे बगल मे रख दिए.
कंगन मामी कपड़े रख कर जैसे ही जाने लगी मेने आवाज़ लगाई,
"मामी ज़रा सुनना."
"क्या बात है राज." मामी ने पूछा.
"क्या सब कुछ हमारी सोच के अनुसार ही होगा." मैने कंगन मामी से
पूछा.
कंगन मामी मेरे पास आई और मेरे हाथों को अपने हाथों मे लेकर
बोली, "राज क्यों डर रहे हो, तुम्हारी ही इच्छा थी ना कि तुम सिमरन को
चोदो. अगर उसके साथ ज़बरदस्ती भी करनी पड़े तो करना हम तीनो
तुम्हारा साथ देंगे." उसने मुझे बताया.
इतने मे अनिता मामी और मोना मामी भी कमरे मे आ गयी थी.
"अरे राज तुम चिंता मत करो, हम हैं ना साली ज़्यादा नखरे
दीखाएगी तो हम मिलकर उसके हाथ पैर बाँध देंगे और आँखों पर
पट्टी भी बाँध देंगे." मोना मामी ने कहा.
मुझे विश्वास नही हो रहा था कि मेरी ये तीन मामिया अपनी ही
देवरानी और जेठानी के साथ ऐसा करने के लिए कह रही है. वाह रे
चूत की आग जो इंसान से कुछ भी करवा सकती है.
करीब 10 मिनिट के बाद सिमरन मामी की आवाज़ सुनाई पड़ी, वहाँ कपड़े
ना पाकर वो हैरान थी और टवल के लिए आवाज़ दे रही थी पर किसी
ने भी उनकी बात का जवाब नही दिया वो थोड़ी देर वहीं बाथरूम मे
रुकी फिर वही हुआ जो हमने सोचा था.
पहले तो उन्होने धीरे से बाथरूम का दरवाज़ा खोला और इधर उधर
झाँक की कहीं कोई है तो नही. किसी को भी वहाँ ना पाकर, दिन के
उजाले मे वो बाथरूम से निकली और बेडरूम के ओर बढ़ी. भीगा
बदन, पानी की बूंदे उनके शरीर से टपक रही थी. एक हाथ से अपनी
चुचियो को ढके थी और दूसरा हाथ अपनी चूत पर रखे वो आ
रही थी.
बाथरूम से निकलकर लगभग दौड़ती हुई वो आँगन से होती हुई बेडरूम
मे आई और जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया. सिमरन मामी को ये पता
नही था कि में कमरे मे हूँ.
"पता नही क्या हो रहा है इस घर मे? अचानक पता नही कैसे मेरे
कपड़े गायब हो गये दरवाज़े पर से?" वो बड़बड़ा रही थी.
उनके नंगे बदन को देखते हुए मेने अंजान बनते हुए पूछा. "कैसे
कपड़े मामी?"
मामी बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी. पानी उनके गीले बालों से
होता हुआ चुचियो पर से चूत के रास्ते नीचे ज़मीन पर बूँद दर
बूँद गिर रहा था. खिड़की से आती गरम हवा मे उनका बदन कांप रहा
था.
सिमरन मामी का गोरा और नंगा बदन देख मेरी आँखे तो फटी की फटी
रह गयी. मामी भी मुझे देख चौंक पड़ी थी. मेरा लंड तन कर
शॉर्ट्स में खड़ा हो चुका था और शायद मामी की नज़र भी मेरे
खड़े लंड पर पड़ चुकी थी.
मामी तो जैसे पत्थर हो गयी थी. उन्होने एक शब्द भी नही कहा.
मुझे ही कुछ करना था. मैं अपने लंड को शॉर्ट्स के उपर से मसल्ने
लगा.
मैं पलंग से खड़ा हुआ तो मेरा लंड और तन कर खड़ा हो गया.
मामी के मुँह से अभी भी एक भी शब्द नही निकला था बल्कि उसकी
नज़रें मेरे लंड पर ही टिकी थी, शायद उन्हे विश्वास नही हो रहा
था कि कल का बच्चा आज जवान हो गया था.
में अपने लंड को मसल्ते हुए उनके पास आया और उनके कंधो से पकड़
उन्हे हिलाया. अगले पल मामी ने मुझे जोरों से अपनी बाहों मे जाकड़
लिया. मेरा खड़ा लंड शॉर्ट्स के उपर से ही उनकी चूत पर ठोकर
मारने लगा.
मुझे उमीद नही थी कि मामी ऐसा भी कर सकती थी. वो किसी
प्रेमिका की तरह मुझे बाहों मे बाँधे खड़ी थी. उनका भीगा बदन
मुझे अपनी बाहों मे काफ़ी अछा लग रहा था. उनकी साँसे तेज हो चली
थी और साँसे की भाप को में अपने कंधों पर महसूस कर रहा था.
जैसे ही मेने अपने हाथ उनकी गीली पीठ पर रखे वो सिहर गयी और
मुझसे अलग हो गयी.
"क्या हुआ मामी?" मेने पूछा.
"हे भगवान ये में क्या करने जा रही थी,,,,,, नही में ऐसा नही
कर सकती....ओह भगवान मुझे माफ़ कर देना...." इतना कहकर वो
दरवाज़े की ओर बढ़ गयी.
मेने उन्हे पीछे से पकड़ा और अपने पास खींच लिया, "मामी ये आप
ही थी जिसने शुरुआत की थी..... अब इस तरह मुझे छोड़ कर नही जा
सकती."
"नही......... प्लीज़ मुझे जाने दो ये सब पाप है......में ये सब
नही कर सकती." कहकर मामी अपना हाथ मेरे हाथों से छुड़ाने की
कोशिश करने लगी.
पर मेरे हाथों की पकड़ काफ़ी मजबूत थी. मैने ज़ोर लगा कर उन्हे
अपनी और खींचा. मैं सिमरन मामी को अब ऐसे ही जाने देने वाला
नही था, चाहे जो जाए. उनके नंगे बदन ने मुझे पागल कर दिया
था, उनकी चुचियाँ को पीने को मेरे ज़ुबान सुख रही थी.
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