College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
08-25-2018, 04:25 PM,
#48
RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--30 

गतान्क से आगे.............. 

अगले दिन नाज़िया को सीधे ही मेरे बेडरूम में पहुँचा दिया गया ताकि उसकी मालिश की जा सके. तनवी ज़ाकिया को लेकर नीचे चली गयी और मैने नाज़िया की मालिश करने के लिए तेल की शीशी उठा ली. जात जाते तनवी कह गयी के आज पट्टी बाँधने की ज़रूरत नही पड़ेगी. आज नाज़िया ने ट्रॅक सूट पहना हुआ था जिसका टॉप फ्रंट ज़िप वाला था. मैने नाज़िया से पूछा के आज वो कैसा महसूस कर रही है. उसने बताया के दर्द तो बिल्कुल नही है और अब तो ऐसा लगता ही नही के उसे चोट भी कभी लगी थी. मैने कहा के बहुत अच्छी बात है. मैने नाज़िया को कहा के उसका पाजामा उतारना पड़ेगा. उसने मुस्कुराते हुए अपना पाजामा उतार दिया और अपनी आँखें बंद करके लेट गयी. मैने उसकी पट्टी खोली और साथ ही खपकची भी निकाल दी. फिर उसकी टाँग को उठाकर अपनी गोद में रख लिया और मालिश करने लगा. पट्टी ज़्यादा टाइट करके बँधी होने से उसकी जाँघ और पिंडली पर निशान पड़े हुए थे जिनको मैं मालिश से ठीक कर रहा था. मैने उसकी मालिश करते हुए उसकी टाँग घुटने पर से मोडके उसकी जाँघ पर प्यार से हाथ फेरते कहा के दर्द तो नही है. वो सिहर गयी और बोली के दर्द तो नही है पर उसको फिर कल जैसा लगने लगा है. मैने कहा के कोई बात नही मैं कल की तरह फिर उसे ठीक कर दूँगा. वो शर्मा गयी और कुच्छ नही बोली. मैं जाकर एक टवल ले आया और पास में रख लिया. कमरे का दरवाज़ा मैने लॉक कर दिया. फिर मैने उसको ओर प्यार से देखा और उसकी दोनो जांघों पर प्यार से हाथ फेरने लगा. उसकी आँखें लाल होने लगीं और वो मस्ती में आने लगी. 

मैने उसको उठाकर अपने ऊपेर के कपड़े उतारे और उसकी पीठ की ओर बैठकर उससे अपनी गोद में बिठा लिया और उसका भी टॉप उतार दिया. कल की तरह उसने आज भी अंदर कुच्छ नही पहना हुआ था. अब नाज़िया एक पॅंटी में मेरी गोद में बैठी हुई थी. मैने अपने दोनो हाथ उसकी बगलों से लेजाकार उसस्के कड़क मम्मों पर रख दिए तो वो ज़ोर से कांप गयी और उसकी सीत्कार निकल गयी. मैने अपने हाथों से उसकी दोनो मम्मे दबाने शुरू कर दिए. उसके छ्होटे छ्होटे निपल्स एक दम खड़े हो गये थे और मेरे हाथों में गुदगुदी कर रहे थे. मैने नाज़िया के ऊपेरी शरीर को अपने एक बाजू पर करते हुए अपना मुँह नीचे किया और उसके एक उभार को अपने मुँह मे ले लिया. दूसरे उभार पर मेरे हाथ की सख्तियाँ बदस्तूर चल रही थीं. मैं दोनो मम्मों को बारी बारी अपने मुँह से चुभलाने लगा. एक मेरे मुँह में होता तो दूसरा मेरे हाथों में. 4-5 मिनट में ही नाज़िया पूरी मस्ती में आ गयी और उत्तेजना से उसका चेहरा और आँखें लाल हो गयीं. उसस्के मुँह से आआआआआः, ऊऊऊऊओ की आवाज़ें निकलने लगीं. उसने अपना हाथ नीचे अपनी पॅंटी में कसी चूत पर रख दिया और अपनी चूत को दबाने लगी. मैने उससे प्यार से कहा के पॅंटी गीली हो जाएगी तो उसने पूछा की क्या करूँ? मैने कहा के ऐसे में यही करना चाहिए के इसको उतार दो. उसने शरम से अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी पॅंटी भी उतार दी. 

मैं उसको अपने से अलग करके खड़ा हो गया और उसे लिटा कर बोला के रूको पहले मैं भी तुम्हारी पोज़िशन में आ जाऊ. वो चुप रही. उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं और वो अपना एक हाथ अपने भारी मम्मे पर रख कर उसे दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी. नाज़िया के सर के नीचे दो तकिये लगाकर मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया और उसकी टाँगें उठाकर अपने कंधों पर ऐसे रखीं के उसकी टाँगें घुटनों से मुड़कर मेरी पीठ पर लटक गयीं. इस हालत में उसकी चूत मेरे मुँह के बहुत करीब आ गयी. चूत की लकीर पर पानी की बूँदें चमक रही थीं. मैने अपने दोनो हाथ उसकी जांघों पर रख कर उंगलियों से उसकी चूत के दोनो फांको को खोल दिया. उसकी दोनो गुलाबी पुट्तियाँ फड़फदा रही थीं और उसकी चूत अंदर से एकदम लाल गुलाबी रंग की नज़र आ रही थी. मैने ज़ोर से साँस ली और उसकी चूत से आ रही मादक सुगंध मुझे दीवाना करने लगी. मैने अपनी जीभ निकाली और उसकी चूत की दोनो पंखुड़ियों को चाटने लगा. उसने ज़ोर से एक सिसकारी ली और बोली कि यह क्या कर रहे हो? मैने कहा के तुम्हें मज़ा आ रहा है ना? नाज़िया आहिस्ता से बोली कि हां. तो मैने कहा के बस फिर कुच्छ मत बोलो और मज़ा लेती रहो. मैं जो भी जैसे भी कर रहा हूँ मुझे करने दो. वो चुप हो गयी. 

मैने अपनी जीभ वापिस उसकी चूत पर लगा दी और उसकी गुलाब की पंखुड़ियों को अपनी जीभ को ऊपेर नीचे करके और दबा के चाटने लगा. ऊपेर जाते हुए मैं अपनी जीभ से उसके भज्नासे को भी अपनी जीभ से रगड़ रहा था. नाज़िया च्चटपटाने लगी और बोली के हाआआआआआए माआआआआआ ईईईईईई मूवूयूयूवूऊवूऊवयझीयीईयी क्य्ाआआआअ हूऊऊऊओ राआआआआआाआआआआआ हाआआआआआई. आईसीईईई हीईीईईईईईईईईई करूऊऊऊऊऊ बहुउउउउउउउउउउउत मज़ाआआआअ आआआआआआअ हाआआआई. मैने अपना मुँह पूरा खोल कर उसकी चूत पर रख दिया और अपनी जीभ को उसकी चूत में घुसा दिया. नाज़िया उच्छल पड़ी पर मेरे हाथों की पकड़ और उसकी टाँगों के मेरे कंधों पर लटके होने से वो ज़्यादा कुच्छ नही कर पाई. मैने अपनी जीभ से नाज़िया की नाज़ुक चूत को चोदना शुरू किया. उसके दोनो हाथ पकड़ कर उसकी चूत के दोनो ओर रख कर उसको कहा कि इसको खोल कर रखो और अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदना चालू रखते हुए मैने अपने दोनो हाथ उसके सख़्त हो चुके मम्मों पर जमा दिए और निपल्स को अपनी उंगलियों से छेड़ने लगा. मेरे दाँतों की रगड़ और जीभ की चुदाई से वो बहुत तेज़ी से मंज़िल की ओर बढ़ रही थी. थोड़ी देर में ही नाज़िया का जिस्म झूमने लगा और उसके मुँह से ऊऊऊऊऊऊं आआआआआं की आवासें निकली और साथ ही वो काँपने लगी. नाज़िया की चूत भालभाला के पानी छ्चोड़ने लगी. 

नाज़िया के शांत होने पर मैने उसकी टाँगें नीची कर दीं और खड़ा हो गया. वो भी बैठ गयी और प्यार से मुझे देखने लगी. फिर नाज़िया ने हाथ बढ़ाकर मेरे आकड़े हुए लंड पर रख दिया और बोली के हाए मा कितना गरम है यह तो जैसे मेरा हाथ ही जला देगा. मैने कहा के तुम्हारी चूत की गर्मी तो निकल गयी है इसकी गर्मी अभी नही निकली इसलिए इतना गुस्से से और भी गरम हो रहा है. वो हंस के बोली तो इसकी भी गर्मी निकाल देते ना. मैने कहा के इतना टाइम ही कहाँ है पर थोड़ी सी गर्मी तो निकाल ही सकते हैं जैसे तुम्हारी थोड़ी सी गर्मी निकाली है. वो बोली कैसे? तो मैने उसको खड़ा कर दिया और वो मुझसे लिपट गयी. मैने उसे डीप किस किया और उसे अपने साथ चिपकाए हुए ही बेड पर लेट गया. फिर मैने उसके मम्मे अपने हाथों में ले लिए और एक को जीभ से चाटने लगा. वो फिर से उत्तेजित होने लगी. मैने उसका मुँह अपने पैरों की तरफ करके उसके घुटने मोड़ दिए तो उसकी चूत एक बार फिर मेरे सामने थी. पर इस बार उसकी मुलायम गोल गांद भी मेरी आँखों के सामने थी और उसमे से उसकी गांद का प्यारा सा छेद भी मुझे दिख रहा था. 

मैने नाज़िया को कहा के मेरे लंड की गर्मी को अपने मुँह में लेकर शांत करे. उसने मेरे लंड को अपने दोनो हाथों में लेकर सहलाना शुरू कर दिया और अपने हाथ ऊपेर नीचे करने लगी. फिर एक हाथ बेड पर सहारे के लिए टिका कर अपना मुँह मेरे लंड के पास ले आई और लंड के सुपारे को चूम कर अपनी जीभ से चाटने लगी. मेरा लंड उत्तेजना से और अधिक अकड़ गया और उच्छलने लगा. मैने उससे कहा कि नाज़िया देर ना करो इसको अपने मुँह में ले लो. लेती हूँ कहकर उसने अपने पूरा मुँह खोला और लंड को अंदर करने की कोशिश करने लगी. थोड़ी सी कोशिश के बाद लंड का सुपरा उसके मुँह में चला गया और वो उसको अपनी जीभ से मुँह के अंदर ही चाटने लगी. इधर मैने उसकी चूत पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी थी. मेरी जीभ उसके भज्नासे को रगड़ती हुई उसकी दरार में होकर उसकी गांद के छेद को छूती तो वो चिहुनक जाती. उधर मैने नीचे से अपनी गांद उठाकर अपना लंड उसके मुँह में और ज़्यादा डालने की कोशिश शुरू कर दी. नाज़िया को मैने कहा के जितना ज़्यादा अंदर कर सकती हो लंड को कर लो और इसको चूस्ति रहो जैसे लॉलीपोप चूस्ते हैं. 

अपने दोनो हाथों से मैने नाज़िया की चूत को खोला और अपनी जीब उसमे घुसा दी और जीभ से उसको चोदने लगा. एक अंगूठे से मैने उसस्के भज्नासे को सहलाना शुरू कर दिया. जितनी उसकी उत्तेजना बढ़ती उतना ज़्यादा मेरा लंड नाज़िया अपने मुँह में लेती जाती. फिर मैने अपने लंड से उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया. अपनी थूक से एक उंगली गीली करके मैने उसकी गांद के छेद को रगड़ना शुरू किया तो वो काँप गयी. मैने अपनी उंगली दुबारा गीली की और उसकी गांद के छेद पर रख कर थोड़ा सा दबाव डाला. उसकी गांद का टाइट छल्ला थोड़ा खुला और मेरी उंगली आधा इंच उसकी गांद में घुस गयी. वो उच्छल पड़ी पर मेरे हाथों की मज़बूत पकड़ ने उसे हिलने नही दिया. उंगली मैने वहीं रहने दी और उसकी चूत में अपनी जीभ अंदर बाहर करने की रफ़्तार तेज़ कर दी. उससे मज़ा आना शुरू हो गया और वो मस्ती में झूम झूम कर मेरे लंड को अपने मुँह में अंदर बाहर करते हुए चूसने लगी. मैं भी झड़ने की कगार पर आ गया और वो भी मस्ती के चरम की ओर अग्रसर हो रही थी. 5-7 मिनट में ही वो झाड़ गयी और मैने अपने हाथ नीचे करके उसके सर को पकड़ कर 8-10 बार अपने लंड को उसके मुँह में अंदर बाहर किया और फिर मेरी उत्तेजना का बाँध भी टूट गया और मेरे लंड से गरम गरम गाढ़े वीर्य की पिचकारी उसके मुँह में गिरी जो वो सतक गयी. मैने अपना लंड उसके हलक तक उतार दिया और झटके लेने लगा. हर झटके के साथ मेरा वीर्य उसके हलक में जाता और वो गतक जाती. मेरा स्खलन पूरा होने पर मैने अपने आप को ढीला छ्चोड़ दिया और वो भी आ कर मेरी छाती से आ लगी और गहरी गहरी साँसें लेने लगी. 

थोड़ी देर बाद जब हम संयत हुए तो वो बोली के आज तो मेरी चूत की गर्मी दो बार निकाल दी सच में बहुत मज़ा आया. मैने कहा के असली गर्मी तो चूत की निकलती है लंड से चुदाई करने से और मज़ा भी इतना आता है कि यह सब मज़े भूल जाओगी. तो वो तुनक कर बोली के फिर वैसे ही क्यों नही किया? मैने पूछा के कैसे? तो वो बोली के वैसे ही जैसे कह रहे हो. मैने कहा के क्या कह रहा हूँ? वो बोली के बहुत शरारती हो मेरे मुँह से ही कहलाना चाहते हो? मैने कहा के दोनो नंगे होकर एक दूसरे से चिपके हुए हैं और एक दूसरे को मज़े दे चुके हैं और तुम अभी भी शर्मा रही हो? तो वो बोली के ठीक है बताओ अपने लंड से मेरी चूत क्यों नही मारी? मैने उसे ज़ोर से अपने साथ भींच लिया और कहा के यह हुई ना बात नाज़िया, वो इसीलिए के तुम्हारी मर्ज़ी भी तो पक्की पता नही थी और मैं बिना लड़की की मर्ज़ी के कभी नही करता और ज़बरदस्ती तो हरगिज़ नही. जब तक और जहाँ तक लड़की चाहेगी मैं करूँगा और जहाँ उसने रोक दिया उसके आगे फुल स्टॉप. वो बोली के मैं तो चाहती थी पर शरम के मारे बोली नही और सोचा के आप खुद ही कर दोगे सब कुच्छ. मैने उसको कहा के देखो यह आप आप करके तुम इतना फासला क्यों बना रही हो हमारे बीच में. और अगर तुम चाहती थीं के मैं तुम्हें चोद्कर लड़की से औरत बना दूं तो कहना था या इशारा तो किया होता पर कोई बात नही देर ईज़ ऑल्वेज़ आ टुमॉरो. मैने हंस कर कहा के कल जब आओगी तो तुम्हें चोद भी देंगे मेरी जान. वो इसी मे सिहर उठी और मुझसे अमरबेल की तरह चिपक गयी. 

मैं उसको लेकर बाथरूम में आया और मुँह हाथ धोकर हम बाहर आए. कपड़े पहनते हुए मैने उससे कहा कि अभी थोड़ा दर्द का बहाना करती रहना ताकि कल भी मालिश के लिए आ सको. हम रेडी हुए ही थे कि मुझे तनवी की आवाज़ आई. मैने जल्दी से नाज़िया को बेड पर लिटा दिया और जल्दी से दरवाज़ा खोल दिया. जब तनवी ज़ाकिया के साथ अंदर आई तो मैं टवल से अपने हाथ पोंच्छ रहा था. मैने ज़ाकिया से पूछा के आज कैसे जाना है तो वो बोली के आज कार लेकर आई हूँ इसलिए कोई फिकर की बात नही है. मैने कहा के फिकर तो वैसे भी नही था पर चलो तुम कार लाई हो तो भी ठीक है. फिर वो नाज़िया को सहारा देकर ले गयी. जाते हुए नाज़िया बहुत अच्छा हल्का सा लंगदाने की आक्टिंग कर रही थी. तनवी ने उनके साथ बाहर निकलते हुए कहा के कल भी मालिश करवा लेना बिल्कुल ठीक हो जाओगी. नाज़िया ने निकलते हुए पीछे मुड़कर मुझे थॅंक यू कहा ऑरा आँख मार दी. तनवी वापिस आई और मुझे बाहों में लेकर बोली के आज कहाँ तक पहुँचे? एनी प्रोग्रेस? मैने उसे बताया तो वो हंस दी और बोली की बहुत अच्छे जा रहे हो. वो चल दी ऑफीस के लिए तैयार होने और मैं भी तैयार होने लगा. 

ऑफीस पहुँच कर मैने सोचा के तनवी को कुच्छ काम का बहाना कर के अपने पीसी पर बिठा देता हूँ. मैने उसको बुलाया और कुच्छ काम दे दिया जो डेढ़-दो घंटे का था और उसको कहा के जैसे ही टाइम मिले वो इसको कर्दे और अगर थोड़ा बच जाए तो छुट्टी के बाद कर्दे. उसने कहा के ठीक है. उसने कुच्छ तो मेरे राउंड्स पे जाने पर कर दिया और बाकी का छुट्टी के बाद करने के लिए रख दिया. छुट्टी के बाद मैं घर आके सीक्ट्व के मॉनिटर पर बैठ गया और तनवी को देखने लगा के वो क्या करती है. उसने फटाफट काम ख़तम किया और फिर पीसी चेक करने लगी. कुच्छ नही मिला. फिर उसने टेबल की ड्रॉयर्स चेक करनी शुरू कर दीं. कुच्छ ऑफीस की फाइल्स थीं वो उसने देख कर वापिस रख दीं. मैं एक बात देख रहा था कि वो जिस चीज़ को भी चेक करती थी उसे बिल्कुल वैसे ही वापिस रख देती थी जैसे वो पहले थी ताकि पता ना चले कि किसी ने वहाँ कुच्छ छेड़ छाड़ की है. शायद उससे मतलब की कोई चीज़ हाथ नही लगी इसलिए कुच्छ मायूस सी वो वहाँ से निकल गयी. मैं उठकर अपने बेडरूम में आ गया और लेट कर आराम करने लगा और सोचने लगा. 

मैने बहुत सोचा कि तनवी क्या ढूँढ रही है और किसके लिए पर कुच्छ समझ नही आ रहा था. इसके अलावा उसकी कोई भी बात ग़लत नही थी बल्कि वो बहुत अच्छे से मेरे काम में मेरी मदद कर रही थी. सिर्फ़ यही एक बात परेशान कर रही थी और इसका कोई उपाय नज़र नही आ रहा था. कोई तो है जो यह सब करवा रहा है. पर क्यों का कोई भी जवाब नही नज़र आ रहा था. मेरी आज तक किसी से लड़ाई नही हुई थी इसलिए दुश्मनी का तो सवाल ही नही पैदा होता. फिर यह सब क्या था मेरी समझ से बाहर था. मुझे लगा के वेट आंड . ही ठीक रहेगा मेरे लिए शायद कुच्छ सामने आ जाए. शायद तनवी कुच्छ ऐसा कर बैठे की उसकी पॉल-पट्टी खुल जाए. अगर नही आया तो देखेंगे क्या करना है. यही सब सोचते सोचते कब 5 बज गये पता ही नही चला. होश तो तब आया जब नौकर पूच्छने आया के चाय कमरे में लूँगा या बाहर. मैने उसको कहा के बाहर ही रखो मैं आता हूँ. मैने उठकर मुँह हाथ धोए और बाहर आकर चाय पीने लगा. चाय के बाद एक बार सोचा के ऊपेर तनवी के पास चला जाए पर फिर पता नही क्यों मैने यह विचार त्याग दिया. 

मेरी सोच फिर वही थी के क्या करूँ और कैसे यह पहेली सुलझेगी? पर कुच्छ समझ नही आ रहा था. फिर बहुत सोचने के बाद मैने अपने एक दोस्त को कॉंटॅक्ट किया जो डीटेक्टिव एजेन्सी चलाता है और उसको तनवी की सारी डीटेल्स दे दी और कहा के इस लड़की की पास्ट और प्रेज़ेंट की पूरी जानकारी चाहिए डीटेल्ड. मैने उसे यह बता दिया कि यह मेरे स्कूल में नयी रखी गयी है और मेरे ही घर के 2न्ड फ्लोर पर रह रही है. बाकी की सारी डीटेल्स चाहिए. उसने कहा कि टाइम लगेगा पर कहो तो जैसे जैसे जानकारी मिलती है तुम्हें पास करता रहूं या पूरी जन्म कुंडली बना के एक ही बार में सारी जानकारी दूं. मैने उसको बोला के जैसे ही कोई जानकारी मिलती है मुझे पास करते रहो और अंत में सारी डीटेल्स इकट्ठी करके रिपोर्ट बना देना. फिर मैं इंतेज़ार करने लगा उसकी रिपोर्ट्स का. 

क्रमशः...... 
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