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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--23
गतान्क से आगे..............
मैने मिनी को तसल्ली दी और कहा के घबराओ मत मैं तुम्हारी गांद नही मारूँगा और ना ही मुझे शौक है गांद मारने का. मैं पीछे से तुम्हारी चूत में लंड डाल कर तुम्हें चोदून्गा. उसने डरते डरते अपने हाथ हटाए और मैने उसकी चूत पर लंड रख के ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में घुस गया. वो झटके से आगे हुई पर मेरे हाथों की उसकी गांद पर पकड़ ने उसको आगे नही होने दिया. उसने कहा के आराम से डालो ना पहले कितने प्यार से डाला था. मैने कहा के पहले तुम्हारी चूत बिना चुदी थी और अब चुद चुकी है और थोड़ा ज़ोर काधक्का सह सकती है. फिर मैने धक्के लगाने शुरू कर दिए.
अपने हाथ मैने उसकी गांद से हटाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और उनको दबाने और मसल्ने के साथ साथ उसकी चूत मारनी भी चालू रखी. मिनी को मज़ा आना शुरू हो गया था और वो खुद ही आगे पीछे होने लगी. तेज़ तेज़ और ज़ोर से चोदो मुझे वो बोली तो मैने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. उसकी सिसकारियों का संगीत कमरे में गूंजने लगा. थोड़ी ही देर में वो बोलने लगी के हाए रे यह कैसा मज़ा है मुझसे बर्दाश्त भी नही हो रहा और मैं इसको ख़तम भी नही होने देना चाहती. यह लंड नही कोई जादू का डंडा है जिसने मेरी चूत की प्यास बुझाकर उसमे आग लगा दी है. फाड़ दो मेरी चूत को बहुत सताया है इसने मुझे. हाए और ज़ोर से चोदो. लगा दो जितना ज़ोर है सारा. ऐसे ही बोलते हुए वो माआआआऐं गाआआआआाआआइईईईईई कहते हुए झाड़ गयी और उसके झड़ने पर उसकी चूत के मेरे लंड को जाकड़ लेने से थोड़ी देर में मैं भी झाड़ गया. मेरे लंड से निकला वीर्य की गरम बौच्चारों ने उसकी चूत पर आग में घी का काम किया और वोकाँपते हुए फिर से झाड़ गयी. मैने अपना लंड बाहर निकाला और बेड पर ढेर हो गया. वो भी मेरे बराबर में लेट गयी और अपनी साँसों परकाबू पाने की कोशिश करने लगी. थोड़ा संयत होने पर उसने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और बोली के मैं तो कभी सोच भी नही सकती थी के चुदाई में इतना मज़ा आता है.
मैने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बोला के देखो मिनी अब तुम चुदाई के बारे में सब कुच्छ जान चुकी हो और तसल्ली से चुद भी चुकी हो, इसलिए अब तुम्हारा ध्यान हर वक़्त इसकी तरफ नही रहना चाहिए. अब तुम इसको कुच्छ दिनों के लिए भूल ही जाओ तो अच्छा है और अपना पूरा ध्यान पढ़ाई की ओर लगाओ ताकि तुम्हारे अच्छे नंबर आयें और तुम्हारा और स्कूल का नाम हो. फिर मैने उसको अपनी एक महीने में एक बार चुदाई की थियरी के बारे में बताया और वो समझ भी गयी. हम उठ कर बाथ रूम में गये और अपनी अपनी साफ सफाई करके बाहर आ गये और मिनी जाकर स्टडी से हमारे कपड़े ले आई. हमने कपड़े पहने और मैने उसको एक पेन किल्लर गोली खिला दी और एक आंटी प्रेग्नेन्सी टॅबलेट उस्स्को देकर समझा दिया के क्यो वो इसको कल नाश्ते के बाद खा ले. उसने प्रॉमिस किया के वो अब एक महीने से पहले चुदाई के बारे में सोचेगी भी नही और पूरे ध्यान से अपनी पढ़ाई करेगी. फिर वो चली गयी. मैं वहीं बेड पर लेट गया और सोचने लगा के मेरा तरीका काम कर गया और आगे भी करता रहेगा. लेटे लेटे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला.
मेरी नींद खुली 6-30 बजे शाम को जब नौकर ने आकर मुझे उठाया और कहा के तनवी जी आई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं. मैने ऐसे ही नींद में कह दिया के यहीं बुला लो. वो गया और थोड़ी देर में ही मुझे तनवी की आवाज़ सुनाई दी के क्या बात है तबीयत तो ठीक है तुम्हारी जो इतनी देर तक सो रहे हो? मैं चौंक के उठा और बोला के नही ऐसी कोई बात नही है ज़रा सा सर भारी हो रहा था सो अब सोने के बाद ठीक है. आओ बैठो खड़ी क्यो हो, मैने पूछा? वो अंदर आ गयी और एक चेर पर बैठ गयी और बोली के लाओ मैं थोड़ा सर दबा दूं, तुम नही जानते मेरे हाथों में जादू है. अभी दो मिनिट में बिल्कुल ठीक हो जाओगे. मैं बोला के कहा ना ठीक हो गया है बस अब थोड़ा नीचे जिम में एक्सर्साइज़ करूँगा तो बिल्कुल ठीक हो जाएगा. वो चौंक के बोली के नीचे कौनसा जिम है? मैने कहा के नीचे बेसमेंट में मेरा अपना पर्सनल फुल फ्लेड्ज्ड जिम है. वो बोली के पहले क्यों नही बताया, मैं तो सोच ही रही थी के कोई जिम जाय्न कर लूँ ऐसे तो मोटी हो जाऊंगी. चलो मुझे भी दिखाओ.
मैं उठा और तनवी को लेके नीचे बेसमेंट में आ गया. अंदर आते ही तनवी मशीन्स देख कर बहुत खुश हुई और बोली के यहाँ तो सारी अड्वॅन्स्ड मशीन्स लगी हुई हैं जो किसी बहुत अच्छे जिम में भी सारी तो मुश्किल ही होती हैं. मैने कहा के मेरे पास सारी अच्छी मशीन्स ही मिलेंगी. जैसे ही कोई नयी मशीन या किसी मशीन का कोई अड्वॅन्स्ड मॉडेल आता है मैं पुरानी मशीन रीप्लेस कर देता हूँ. वो बोली के मेरा तो बहुत अच्छा वर्काउट हो जाया करेगा जिसके बिना मैं तो अपने आप को अधूरा समझने लगी थी. फिर हम वर्काउट करने लगे. मैं 45 मिनट ही वर्काउट करता था और वो मैने किया बिना तनवी की तरफ ध्यान दिए. उसके बाद मैं एक कुर्सी पर बैठ के उसको देखता रहा. वो तो एक एक्सपर्ट की तरह वर्काउट कर रही थी और पूरा एक घंटा वर्काउट करने के बाद ही वो रुकी. उसके वर्काउट लड़कियों के हिसाब से ही थे यानी लाइट. क्योंकि लड़कियों को कोई बॉडी बिल्डर्स की तरह अपने मसल्स या एबेस तो बनाने नही होते. मैने उसको कॉंप्लिमेंट किया वो तो बहुत अच्छे से वर्काउट करती है बिल्कुल एक्सपर्ट्स की तरह. उसने कहा के हां मैं काई सालों से वर्काउट कर रही हूँ. मैने कहा के तभी उसकी बॉडी वेल टोंड अप है और कहीं पर भी किसी तरह का भी फ्लॅब नही है. वो हंसते हुए बोली के यह कब देख लिया? मैने कहा के देख तो पहले दिन ही लिया था. बड़ी क्ष-रे नज़र है जो ढका हुआ भी सब देख लेती है. मैने कहा के लिफ़ाफ़ा देख के मजमून भाँप लेते हैं, पूरी चिट्ठी खोल के देखना कोई ज़रूरी है? वो हंस पड़ी और बोली के यह बात तो है.
फिर हम ऊपेर आ गये. वो ऊपेर अपने कमरे में जाने लगी तो बोली के आज मेरे साथ खाना खाएँगे? मैने भी पूच्छ लिया के आज ख़ास क्या है? तो उसने कहा के आज उसने अपनी फॅवुरेट डिशस बनाई हैं और उसे पूरी उम्मीद है के मुझे भी पसंद आएँगी. मैने कहा के चलो ठीक है देख लेते हैं की तुम्हारी फेवराइट्स क्या हैं और कैसा खाना बनाती हो. वो बोली के कब तक आएँगे ऊपेर? मैने कहा के मैं तो अभी आ जाता पर वर्काउट के बाद नहाना ज़रूरी होता है, सो अभी नहाने के बाद आता हूँ 20-25 मिनट में. मोस्ट वेलकम कह के वो ऊपेर चली गयी और मैं भी नहाने चला गया.
जल्दी से नहा के मैने एक कुर्ता-पाजामा पहना और ऊपेर चला गया. छत पर वन रूम सेट ही बना हुआ था लेकिन उसस्के साथ साथ पूरी लंबाई में शेड था जिसपर फाइबर की शीट्स थीं और नीचे मिट्टी डलवा के घास लगी थी. डाइरेक्षन ऐसी थी की शाम को शेड की छाया करीबन पूरी छत पर आ जाती थी और एक गार्डन का एहसास होता था. मैं जब ऊपेर पहुँचा तो तनवी नहा के आ चुकी थी और इस वक़्त उसने एक पतला सा लूस टॉप और नी लेंग्थ स्प्लिट स्कर्ट जैसा कुच्छ पहना हुआ था जिसमे से उसकी गोरी पिंदलियाँ और आकर्षक घुटने दिख रहे थे और वो अपने बॉल ब्रश करके सुखाने की कोशिश कर रही थी. हाथों के झटकों से टॉप में मचल रही उसकी गोलाइयाँ देख कर मैं समझ गया के उसने ब्रा नही पहनी थी.
मुझे देख कर उसकी आँखों में एक चमक और होंठों पर एक दिलकश मुस्कान उभर आई. छत पर बने उस बगीचे में गार्डेन चेर्स और बेंच रक्खे हुए थे. उन्ही में से एक बेंच की ओर बढ़ते हुए उकी मुझे स्वागतम कहा और बैठ गयी. मैं भी उसकी बगल में बैठ गया. वो बोली की कुर्ते पाजामे में तो बहुत हॅंडसम लग रहे हो. क्यों क्या मैं वैसे हॅंडसम नही हूँ, मैने चुटकी ली. उसने कहा की नही नही ऐसी बात नही है मैं तो यह कह रही हूँ के इसमे ज़्यादा हॅंडसम लग रहे हैं. मैने मुस्कुरा के उसको थॅंक्स कहा. वो खड़ी हो गयी और बोली के आप बैठो मैं कुछ ठंडा लेकर आती हूँ और अंदर चली गयी. मैं पीछे से उसकी भरी हुई गांद का मटकना देखता रहा. पता नही क्यों मुझे लग रहा था के आज कुछ होने वाला है. उसके हाव भाव बता रहे थे के वो कुच्छ कहना चाह रही है पर कह नही पा रही है. मैं अपनी ओर से कोई पहल नही करना चाहता था क्योंकि अभी तक कोई पक्का इशारा मुझे नही मिला था उसकी तरफ से और मैं जल्दबाज़ी के तो बहुत खिलाफ हूँ और दूसरी बात यह भी थी के वो यह ना समझे के मैं उसकी नौकरी की मजबूरी का फयडा उठाने की कोशिश कर रहा हूँ. उसस्के यहाँ आकर रहने के बाद मैं पहली बार ऊपेर आया था और वो भी उसके बुलाने पर.
वो एक ट्रे में दो गिलास और एक जग लेकर आई और बेंच के सामने रखी टेबल पर ट्रे रख दी और दोनो गिलास एक शरबत से भर दिए. मैने एक गिलास उठाया और एक सीप लिया और चौंक गया. बहुत ही टेस्टी शरबत था. कुच्छ मिलाजुला सा जाना पहचाना स्वाद लेकिन मैं समझ नही पाया के यह कौनसा शरबत है. मैने थोड़ा बड़ा घूँट भरा और उसको थोड़ी देर मुँह में रख कर धीरे धीरे पिया. फिर भी मुझे नही समझ आया के यह क्या है. तनवी मेरी ओर देख कर थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली के परेशान मत होइए यह हमारे घर की निजी रेसिपी है इसलिए आप इसको नही पहचान सकेंगे. यह मेरी दादी ने मुझे सिखाया था और खुस और गुलाब का मिला जुला शरबत है जो घर पर ही तैयार किया जाता है. कोई रेडीमेड आर्क़ नही डाला हुआ है इसमे. मैने कहा के बहुत लाजवाब स्वाद है इसका और अंदर तक ठंडक पहुँचा देता है. मैने गिलास खाली करके रखा तो तनवी ने उससे फिर आधा भर दिया और बोली के दादी कहा करती थी के इसको सिर्फ़ एक गिलास ही पीना चाहिए और फिर भी दिल करे तो आधे गिलास से ज़्यादा नही. मैने फिर अपना गिलास उठा लिया और धीरे धीरे पीने लगा. शरबत इतना स्वाद लग रहा था के दिल कर रहा था के यह ख़तम ही ना हो. उसने भी अपना गिलास खाली किया और फिर ट्रे और खाली गिलास उठा कर अंदर ले गयी.
वो वापिस आई और मुझसे पूछा के खाना कितनी देर में लेंगे. मैने कहा के कोई जल्दी नही है. वो आकर फिर मेरे पास बैठ गयी. फिर मैने ही बात शुरू की और उसको पूछा के दिल तो लग गया ना उसका नयी जॉब और नयी जगह पर? और कोई तकलीफ़ तो नही है उसको यहाँ रहते? वो बोली के दिल भी लग गया है और आपके होते मुझे कोई तकलीफ़ कैसे हो सकती है? मैने उसको कहा के देखो यह आप-आप कहना मुझे पसंद नही है, ऑफीस में भी ज़्यादा से ज़्यादा राज सर कह सकती हो और यहाँ मुझे केवल राज और आप की जगह तुम कहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा. उसने कहा के ठीक है अब से राज ही कहूँगी पर ऑफीस में तो राज सर के अलावा कुच्छ नही कह सकूँगी. मैने काहा के ठीक है चलेगा.
कुच्छ देर हम चुप रहे और फिर तनवी ही चुप्पी को तोड़ते हुए बोली के राज मैं कुच्छ बात करना चाहती हूँ पर समझ नही आ रहा के कैसे और कहाँ से शुरू करूँ? मैने मुस्कुराते हुए कहा के कोई भी प्राब्लम है तो बेझिझक मुझे बताओ और कोई और बात है तो बिना किसी भी डर के मुझे बताओ और कैसे भी शुरू करो मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता पर पूरी बात ही बताना, आधी अधूरी नही. उसने कहा के प्राब्लम तो कोई भी नही है और कोई बहुत खास बात भी नही है और कुच्छ है भी पर चलो मैं बताती हूँ और मेरे तरीके से मेरी बात पूरी हो जाने पर ही मुझसे कुच्छ पूच्छना और प्लीज़ बीच में मत टोकना, मैं अपनी बात नही कह पाऊँगी. मैने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसकी आँखों में देखते हुए उसे तसल्ली देते हुए कहा के बोलो क्या बात है तुम भी रुकना नही जो कहना है सॉफ सॉफ कहना और डरना बिल्कुल नही. उसने कहा के ठीक है मैं ऐसे ही अपनी सारी बात कह दूँगी.
मैने अपना हाथ उसके कंधे से हटा लिया और उसकी बात सुन-ने के लिए तैयार हो गया. उसने शुरू किया मेरे बारे में बताकर के कैसे उसको मेरे सारे हालात का पता चला है और पहले स्टडी टाइम में मैं कैसा था फिर शादी के बाद कैसा बदल गया था फिर मेरी ट्रॅजिडी और उसके बाद मेरा शादी ना करने का फ़ैसला जिसे वो ग़लत नही मानती. फिर उसने मुझे बताया के वो कुच्छ समझ नही पाई है मेरे आज कल के बिहेवियर के बारे में क्योंकि कुच्छ भी स्पष्ट नही है उसके सामने जिस पर वो पॉइंट आउट कर सके पर उसको लगता है के कुच्छ है जो उसके लिए अभी छुपा हुआ है. इसको मैं उसकी 6थ सेन्स कह लूँ या कुच्छ और पर उसको यह लगता है के मेरे बारे में उसे काफ़ी कुच्छ समझना बाकी है. और वो इसलिए के वो मेरी पर्सनल असिस्टेंट है और मेरे ही घर में रह रही है तो वो यह चाहती है के वो मुझे पूरी तरह से जान ले. अगर मैं चाहूं तो उसके साथ सब कुच्छ शेर कर सकता हूँ. जो भी मैं उसको बताना चाहूं वो उसे समझेगी और वो उस तक ही सीमित रहेगा जैसे दोस्तों में रहता है. उसे बहुत उम्मीद ही नही है यकीन है के वो मेरी दोस्ती के काबिल है.
क्रमशः......
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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--24
गतान्क से आगे..............
मैने बहुत हैरान था और सोच रहा था के यह लड़की क्या चीज़ है जो मेरा फ़ॉर्मूला मुझ पर ही चला रही है और इसको क्या-क्या पता है कहीं ये मुझसे कुच्छ च्छूपा तो नही रही? यह असल में चाहती क्या है? मैने हाथ उठा कर उसको रोका और पूछा के वो और क्या जानती है, और ऐसा विचार उसके मन में कैसे आया? वो मुस्कुराई और बोली के मैं नही जानती. मैं तो पहले दिन से ही बता चुकी हूँ कि यह नौकरी पाने के लिए मैं कुच्छ भी करने को तैयार थी पर तुमने कोई गौर ही नही किया और कोई भी ऐसी वैसी बात नही की बल्कि मुझे यहाँ रहने की जगह भी दे दी वो भी बिना किसी लालच के. फिर भी जाने क्यों मुझे लगता है कि तुम्हारा कोई और पहलू भी है जिसे मैं नही जानती और चाहती हूँ की अगर कुच्छ है तो उसे बता दूं अगर उसको इश्स लायक समझू तो, कहते हुए वो कुच्छ गंभीर हो गयी.
मैने उससे कहा के अगर उसकी बात ख़तम हो गयी हो तो मैं कुच्छ कहूँ. उसने कहा के हां वो अपनी बात कह चुकी और मेरे जवाब के लिए तैयार है. मैने मुस्कुराते हुए कहा के मेरी बात पूरी कहने में टाइम लग जाएगा इसलिए पहले खाना खा लें उसके बाद बात करें तो कैसा रहेगा? वो चौंक गयी और घड़ी देखने लगी और बोली के बिल्कुल ठीक है पहले पेट पूजा पीछे कम दूजा. खाना यहीं बाहर या अंदर? मैने कहा के यहीं ठीक है. और वो गयी और 10 मिनट में ही खाना लगा दिया और हमने खाना शुरू किया. खाना बहुत ही बढ़िया बना था और जैसे एक-एक चीज़ उसने बहुत खास बनाई थी. मैने उसके खाने की तारीफ की और यह भी कहा के मैं तो महीने में एक बार से ज़्यादा उसके हाथका खाना नही खा सकता और अगर खाया तो फिर नौकरों के हाथ का खाना मुश्किल हो जाएगा. वो हंस पड़ी और बोली के जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. मैं तो रोज़ भी खिला सकती हूँ. मेरा क्या है एक की जगह दो का खाना बनाने में कोई भी एक्सट्रा मेहनत नही लगेगी. खाना ख़तम किया तो वो स्वीट डिश ले आई और वो भी उन्नकि फॅमिली रेसिपी थी उसकी नानी की सिखाई हुई स्पेशल नेवाबी फिरनी. मैने कहा के क्या बात है आज इतनी ज़्यादा मेहरबान क्यों हो रही हो मुझ पर शुरू भी और आख़िर भी स्पेशल रेसिपी के साथ. वो बोली के पहली बार खाना खिला रही हूँ तो याद तो रहना चाहिए ना कि कुच्छ स्पेशल था. फिर उसने बर्तन समेटे और आकर मेरे पास बैठ गयी.
मैने बोलना शुरू किया. तनवी जैसे कि तुम्हे मेरी पिच्छली ज़िंदगी के बारे में तो पता चल ही गया है की शादी के पहले मैं कैसा था और शादी के बाद मैं कैसा था. अचानक हुए हादसे ने मुझे तोड़ के रख दिया था और मैने खुद को अपने बच्चो में और अपने काम में बिज़ी कर लिया था और मुझे किसी और बात की कोई होश नही थी. मेरी सेक्स की भूख भी ना जाने कहाँ खो गयी थी. दोबारा शादी ना करने का फ़ैसला मेरा खुदका था और मैं उस पर आज भी अटल हूँ. फिर एक दिन एक घटना ने जैसे मुझे नींद से जगा दिया. सेक्स की मेरी सोई हुई इच्छा जाग गयी और मैं अपने आप को रोक नही पाया. एक बात मैं यहाँ पर स्पष्ट कर दूँ के शादी के पहले भी और अब कुच्छ महीनों से मैं जिन लड़कियों के संपर्क में आया हूँ किसी पर भी मैने कोई भी, किसी तरह का भी दबाव नही डाला है, कोई लालच नही दिया है, किसी भी मजबूरी का फयडा नही उठाया है. जो भी लड़की मेरे संपर्क में आई है पूरी तरह से अपनी मर्ज़ी से आई है और अच्छी तरह से समझ बूझ कर आई है. मैने उनकापूरा साथ दिया है और देता रहूँगा एक अच्छे दोस्त की तरह. वी आर अडल्ट्स और अपनी मर्ज़ी से अगर अपनी किसी भूख को मिटाना चाहते हैं तो मैं किसी भी तरह से इसको ग़लत नही समझता. मैने हमेशा उनको सेक्स से विमुख रहने की तो नही पर लिमिट में करने की सलाह दी है और अब तक तो मैं सफल भी रहा हूँ. अब मेरा सोचने का और देखने का तरीका भी बदल गया है और फ्रॅंक्ली स्पीकिंग हर सुन्दर लड़की मेरी कमज़ोरी है.
कुच्छ देर रुक कर मैने सोचा के कहूँ या ना कहूँ, फिर मैने बोलना शुरू किया. तनवी तुम सोच रही होंगी के मैने तुम्हारी तरफ कोई ध्यान नही दिया. ऐसा नही है. मैं तो तुम्हें देखते ही तुम्हारी ओर आकर्षित हो गया था, क्योंकि तुम हो ही इतनी सुंदर. लेकिन तुम्हारी बातें और तुम्हारी मजबूरी ने मुझे कुच्छ भी कहने और करने लायक नहीं छोड़ा सिवाए तुम्हारी हेल्प करने के. तनवी चौंक कर कुछ बुदबुदाई. मैने कहा के तनवी जो भी कुच्छ तुम्हारे मन में है साफ बोलो ऐसे नही. उसने नज़रें झुका के कहा कि यही तो मैं सोच रही थी के तुम कैसे पत्थर हो कभी एक बार भी कोई इशारा तक नही किया और यह भी के शायद मेरी उमर की लड़कियाँ तुम्हें पसंद ही नही हैं. मैने उसको कहा के कोई पागल ही होगा जो तुम्हें पसंद नही करेगा. लेकिन मैं तो यही सोच कर चुप रह गया के तुम कहीं ग़लत ना समझ लो कहते हुए मैं थोड़ा उसकी ओर सरका और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसे अपनी ओर खींचा. वो भी मेरी ओर सर्की और मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया और अपना हाथ मेरे गले में लपेट दिया. उसका एक मम्मा मेरी छाती को गुदगुदाने लगा. मैने अपने दूसरे हाथ से उसका चेहरा ऊपेर किया और उसकी मुंदी हुई आँखों को चूम लिया. वो सिहर कर पलटी और मेरी गोद में लेट सी गयी और अपनी दोनो बाहें मेरे गले में डाल कर मुझ से लिपट गयी और बोली के मैं बहुत प्यासी हूँ और मुझे कब्से इस दिन का इंतेज़ार था के कोई मुझे अपनी बाहों में लेकर मसल दे. मैने उसे अपनी बाहों की गिरफ़्त में ले लिया. उसके भरे हुए सख़्त मम्मे मेरी छाती में गढ़ने लगे और मेरे होंठ उसके होंठों से जा टकराए. मेरी जीभ ने उसके होंठों पर दस्तक दी और उसके होंठ अपने आप खुल गये जैसे मेरी जीभ का स्वागत कर रहे हों. मेरी जीभ उसके मुँह में चली गयी और उसकी जीभ से जा टकराई. दोनो जीभें आपस मिली एक दूसरे से लिपटने लगीं. यह चुंबन कोई 15-20 मिनट तक चला. हमारे शरीर निश्चल थे केवल जीभें आपस में उलझी हुई थीं.
तनवी की साँसें भारी होने लगीं और उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया. मैने उसको कहा के अब बस करो नही तो मैं अपना नियंत्रण खो दूँगा. वो मेरी बाहों में मचल के बोली के 4-5 साल अभी लगेंगे उसको शादी करने में क्योंकि वो पहले अपनी बहनों की शादी करेगी और अपने भाई को इस लायक बनाएगी कि वो घर का बोझ अपने कंधो पर उठा सके. तभी वो शादी के बारे में सोचेगी और तब तक वो इंतेज़ार नही कर सकती. क्या मैं इतना समय उसकी देखभाल कर सकता हूँ. मैने कहा के देखभाल की उसको कोई ज़रूरत नही है और जहाँ तक उसकी ज़रूरतों का सवाल है वो मैं कर ही दूँगा पूरी. और उसको क्या चाहिए? वो बोली के तुम्हारा सहारा मिल जाएगा तो मैं…. ये क्या बोल रही हो मैने उसको टोका? वो बोली के मैं तो यही कह रही हूँ के 4-5 साल मुझे तुम्हारा साथ मिल जाए तो मैं निश्चिंत हो जाऊंगी. मैने कहा के कैसा सहारा? वो बोली के यही के मैं तुम्हारी शारीरिक ज़रूरत पूरी करूँ और तुम मेरी. मैने अब तक इस बारे में कभी सोचा भी नही था पर अब मैं और इंतेज़ार नही कर सकती और चाहती हूँ के तुम मुझे वो एहसास कराओ जो मैं आज तक करने की हिम्मत नही जुटा पाई हूँ.
मैं चौंक गया और पूछने लगा के क्या कह रही हो? क्या तुम अभी तक….. हां उसने मेरी बात काटी और बोली के मैने अभी तक सेक्स काकोई अनुभव नही किया है और चाहती हूँ के तुम वो प्रथम पुरुष बनो जो मुझे यह अनुभव कराए और कम से कम 4-5 साल तो मैं तुम्हारी ही होकर रहूं. मैने कहा के मैं बँध कर नही रह सकता तो वो बोली तुम्हें बाँधने के लिए कौन कह रहा है मैं तो यह कह रही हूँ के मैं बँधी रहूं. इसके साथ ही वो मेरी छाती में मुँह छुपा कर मुझसे लिपट गयी और मेरे बहुत कहने पर भी उसने ना तो अपना मुँह खोला और ना ही आँखें. अभी तक वो मेरी गोद में अढ़लेटी अवस्था में ही थी. मैने अपना एक हाथ उसकी पिंदलियों पर पहुँचाया और उन्हें सहलाने लगा और उसे घुटनों के नीचे के कोमल भाग पर रख दिया. वो सिहर गयी और ज़ोर से अपने मम्मे मेरी छाती पर रगड़ने लगी. मैने अपना हाथ ऊपेर किया और उसके टॉप में घुसा दिया. मेरे हाथ का स्पर्श उसकी नगञा त्वचा पर होते ही वो कांप गयी. मेरा हाथ उसके पेट से होता हुआ उसके कठोर मम्मे पर पहुँचा और उसका माप तोल करने लगा. वो जूडी के मरीज़ की तरह काँपने लगी तो मैने अपना हाथ उसके टॉप में से निकाल कर उसको उठाकर कमरे के अंदर आ गया और उसको बेड पर लिटा दिया.
वो अपनी आँखें बंद करके लेटी रही. मैने फुर्ती से अपने कपड़े उतारे और फिर आगे बढ़कर उसको बिठा दिया और उसके टॉप को उतार दिया. उसके सख़्त और उन्नत मम्मे मेरे आँखों के सामने थे और जैसे गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देते हुए सर उठाकर खड़े थे. जवान और सुन्दर लड़कियों में मेरी दिलचस्पी का यह भी एक कारण था के उन्नकि त्वचा बहुत ही चिकनी और सुदृढ़ होती है और उनका जिस्म एक दम कड़क होता है जो छ्छूने पर एक मादक एहसास पैदा करता है. मैने बेड पर ही उसको ऊँचा किया और वो अपने घुटनों पर आ गयी. मैने उसकी बगलों में हाथ डाल कर उसको अपने साथ चिपका लिया और उसकी पीठ सहलाने लगा. चिकिन पीठ पर मेरे हाथों ने जैसे कयामत ढा दी और वो एक लंबी साँस लेकर मेरे साथ ज़ोर से चिपक गयी. फिर मैं उसको नीचे ले आया और उसकी स्प्लिट स्कर्ट को खोलना चाहा. उसने खुद ही उसको खोल दिया और वो उसके पैरों में गिर गयी. फिर उसने अपनी पॅंटी भी नीचे कर दी और बारी-बारी अपने पैर उठाकर दोनो कपड़े उतार दिए. अब दोनो पूरी तरह से नंगे थे और एक दूसरे से चिपके हुए थे और हमार स्पर्श ने जैसे हमारे शरीरों में आग भर दी थी जिसको शांत करने का एक ही उपाए था और वो था तनवी की चुदाई.
मैने उसको बेड पर लिटा दिया और अपने हाथों और होंठों से उसकी उत्तेजना को बढ़ाने लगा. उसके मम्मे जिनपर उभरे हुए उसके निपल बहुत आकर्षक लग रहे थे सबसे पहले मेरे मुँह और हाथों के शिकार बने. मैं बहुत देर तक उसके दोनो मम्मों को बारी बारी से चुभलता और सहलाता रहा. कभी उन्हें दबा देता और कभी उसके निपल्स को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच मसल देता. वो हाआआआआाआआइईईईईईईई, हाआाआआइईईई करने लगी. इधर मेरा दिल भी मेरी छाती में ऐसे धड़क रहा था जैसे अंदर से हथोदे चल रहे हों और हम दोनों की साँसें क़िस्सी धौंकनी के समान चल रही थीं. बॉडी टोनिंग एक्षसेरसिसेस ने उसके जिस्म को सुन्दर और गथीला बना दिया था और मेरे हाथ उसकी कोमल और चिकनी त्वचा पर फिसल से रहे थे. उसने अपनी उखरी साँसों पर काबू पाने की कोशिश में गहरी साँसें लेना शुरू कर दिया था. मैने उसको पलट दिया और उसका मुँह अपने पैरों की ओर करके अपने ऊपेर खींच लिया. उसकी चूत अब मेरे मुँह के पास थी और उसका मुँह मेरे लंड के पास. उसकी चूत में से एक मदहोश करने वाली महक आ रही थी. मैने अपना मुँह उसकी चूत पर चिपका दिया और पूरे जोश के साथ उसकी चूत को चाटने और चूसने लगा. वो एक बार तो सन्न रह गयी और फिर उसके शरीर ने मचलना शुरू कर दिया. उत्तेजना तनवी से संभाले नही संभाल रही थी. रह रह कर वो कांप जाती. मेरा लंड उसके मुँह से टकरा रहा था. उसने अपने आप को मेरी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश नाकाम होती देख कर मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसको मुँह चाटने लगी. अब काँपने की बारी मेरी थी.
तनवी क़िस्सी एक्सपर्ट की तरह मेरा लंड चूस और चाट रही थी और मेरी उत्तेजना को बहुत तेज़ी से बढ़ा रही थी. मैने अपना लंड उसके मुँह से निकाल कर उसको वापिस पलटा और पीठ के बल लिटा दिया. उसकी चूत पर अपना ढेर सारा थूक लगा दिया और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख के एक धक्का मारा. मेरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया और उसकी कुमारी झिल्ली से जा टकराया. मैं रुका नही और अपने लंड को थोड़ा बाहर खींच कर एक ज़ोर का धक्का मारा. वो ज़ोर से चिल्लाई माआआआआआआआआआआआअ, मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गइईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआऐं. मेरे हाथ उसके मम्मों पर और मुँह उसके मुँह से जा चिपका और उसके होंठों को चूसने लगा. मम्मे मेरे हाथों की गिरफ़्त में थे और मेरे हाथ अपने पूरी मनमानी कर रहे थे. थोरी देर में जब उसका दर्द कम हुआ तो मैने तनवी की चुदाई आरंभ कर दी. पहले धीरे-धीरे प्यार से और फिर आहिस्ता-आहिस्ता तेज़-तेज़ और ज़ोर से. फिर हमारे जिस्मो के टकराने की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी. अब तनवी को भी मज़ा आना शुरू हो गया था. वो पूरी मस्ती में झूम रही थी और बोल रही थी के ज़ूऊऊऊऊऊऊऊओर से चोदो, ज़ूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊर से, मैं तूऊऊऊओ पाााआआआगल त्ीईीईईईईईईईईईई, पहलीईईईईई क्यूऊऊऊऊऊऊओन नहियीईईईईईईईईईईईईई चूदी
ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई. मैने उसको कहा के कोई बात नही अब सारी कसर निकाल देंगे. वो नीचे से गांद उठा-उठा कर चूत मरवा रही थी और मैं धक्के पे धक्का लगा रहा था. मेरा लंड पूरी तेज़ी के साथ उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. 5-7 मिनट की तगड़ी चुदाई के बाद वो झाड़ गयी और उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. उसकी चूत ने मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ा दिया जो उसके पानी छ्चोड़ने की वजा से बहुत गीली थी और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड किसी मुलायम और स्पंज के शिकंजे में कसा हुआ है. अब मुझे लग रहा था के मैं और ज़्यादा देर नही चोद सकूँगा और झाड़ जाऊँगा. तनवी की कसी हुई चूत काघर्षण जैसे मेरे लंड को बाहर निकलने से रोकने की कोशिश में नाकाम हो रहा था और मेरे मज़े को बढ़ा रहा था.
क्रमशः......
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08-25-2018, 04:24 PM,
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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--25
गतान्क से आगे..............
तनवी के झड़ने के बाद मैं भी 10-12 धक्के मार के झाड़ गया और मैने अपना लंड उसकी चूत में पूरा घुसा कर अपना गरम लावा उसकी चूत में छ्चोड़ दिया. मेरे गरम वीर्य की 3-4 बौच्चरें तनवी की बcचेदानि से टकराईं और उन्न झटकों को वो सह ना सकी और काँपने लगी. उसके चेहरे पर असीम संतुष्टि के भाव थे. अपनी आँखें आधी खोल कर उसने मेरी ओर देखा और अपना हाथ उठा कर मुझे आमंत्रित किया. मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया और वो अमरबेल की तरह मुझसे लिपट गयी. वो रह रह कर सिहर उठती और मुझसे लिपट जाती. मैने उसको पूछा के कैसी लगी उसको अपनी पहली चुदाई. वो शर्मा गयी और बनावटी गुस्से से मेरी छाती पर मुक्के मारने लगी प्यार से. मैने हंसते हुए उसके हाथ पकड़ लिए और अपनी बाहों में उसको भींच लिया और उसके कान में कहा लड़ाई करोगी तो एक बार फिर चोद डालूँगा और तब तक अपने लंड तुम्हारी चूत में अंदर बाहर करता रहूँगा जब तक तुम माफी नही माँगोगी. वो बोली ठीक है चोद लेना पर अभी नही, अभी तो साँस बहुत फूली हुई है और चूत में भी दर्द हो रहा है चाहे मीठा मीठा पर हो रहा है. मैं बहुत ज़ोर से हंस पड़ा और उसको चूम लिया. फिर मैने कहा के अब ठीक है अब तुम चुदाई की भाषा समझ गयी हो और बोलने भी लगी हो. वो बोली के तुम इतने बेशरम हो के मुझे भी बेशरम बना दिया है. मैने कहा के जब हम चुदाई कर सकते हैं तो इसके बारे में बात करने में कैसी शरम. वो मुस्कुराई और बोली के आहिस्ता आहिस्ता आदत पड़ेगी ना मैं कोई तुम्हारी तरह एक्सपीरियेन्स्ड थोड़े ही हूँ. मैने कहा के पूरा तजुर्बा भी करा देंगे. उसने एक बार फिर मेरे कंधे में अपना मुँह च्छूपा लिया और हँसने लगी. हम काफ़ी देर तक ऐसे ही चिपक कर लेटे रहे और एक दूसरे की साँसें गिनते रहे.
बेध्यानी में मेरे हाथ उसकी पीठ सहलाते रहे और वो काँपति रही. फिर उसने एक गहरी सांस ली और बैठ गयी और बोली के क्या जादू जानते हो जो मुझे पागल कर दिया है तुमने, मेरा दिल करता है कि ऐसे ही लिपट कर पड़ी रहूं और तुमको छोड़ू ही नही. मैने कहा के तुम मुझे बाँधने की कभी कोशिश मत करना. तुम जब तक चाहो यहाँ रह सकती हो, जब तुम्हारा दिल करे हम चुदाई कर सकते हैं पर कभी भी यह मत सोचना के तुम मुझे बाँध कर रख सकती हो. उसने कहा के ऐसा क्यो कह रहे हो? मैने कहा के इसलिए के कभी भी तुम कुच्छ और मत सोच लेना. मैं एक आज़ाद पन्छि हूँ और बंधन में नही रह सकता. एक बार रह लिया शादी करके पर अब भगवान ने मुझे फिर से आज़ाद कर दिया है तो जैसी उसकी मर्ज़ी. यदि ऐसा ना होता तो जैसे चल रहा था चलता रहता. मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा और तुम पर भी कभी कोई दबाव नही डालूँगा. चुदाई केवल और केवल तुम्हारी मर्ज़ी से ही करूँगा. वो रुआंसी होकर बोली तुम ऐसे क्यों कह रहे हो. मैने कहा के पहले ही स्पष्ट बात कह देना ठीक होता है बाद में कोई परेशानी नही होती. वो बोली के ठीक है मुझे मंज़ूर है पर दोस्ती का हक़ तो रहेगा ना मेरा. मैने कहा के दोस्ती तो पक्की रहेगी और वो मैं तो कभी नही भूलूंगा और सच्चे दोस्त की तरहा हमेशा तुम्हारा साथ दूँगा.
वो बाथरूम में जाने के लिए उठी पर उसकी टाँगों ने उसका साथ नही दिया और वो गिरने को थी के मैने तेज़ी से उठकर उसको पकड़ लिया और सहारा देकर बाथरूम में ले आया और सीट पर बिठा दिया और टब में गरम पानी भरने लगा. उसने पूछा के ये क्या कर रहे हो तो मैने मुस्कुराते हुए कहा के तुम्हारा इलाज करने जा रहा हूँ ताकि तुम अपने पैरों पर खड़ी हो सको. वो कुच्छ नही बोली और अपनी चूत को धोने लग गयी. फिर वो खड़ी हुई और मैने सहारा देकर उसको टब में बिठा दिया और उसको कहा के तनवी गरम पानी से अपनी चूत के सिकाई कर लो और तब तक करती रहना जब तक यह पानी ठंडा ना हो जाए. तुमको आराम मिलेगा और तुम फिर से बिना सहारे के खड़ी हो सकोगी.
मैं बाहर आ गया और बेड पर बैठ कर सोचने लगा. फिर मैने तनवी को अपना राज़दार बनाने का फ़ैसला कर लिया. मेरे अकेले से सब कुच्छ नही हो सकता था. वो या कोई भी साथ हो तो सब काम जल्दी हो सकता था. मैं बात कर रहा हूँ अपने मिशन की जिस पर चलते मैने पहली लड़की मिनी को पकड़ा था और चोद भी लिया था और उम्मीद थी के अब वो अपनी पढ़ाई में ध्यान देगी और अच्छे नंबर लाएगी. जैसे ही तनवी बाहर आई मैने उसको अपने पास बुलाया. वो पहले से काफ़ी ठीक थी पर अभी उसकी चाल में लड़खड़ाहट थी. मैने उसको अपने पास बिठा लिया और उसको कहा के मैं उसको कुच्छ बताना और समझाना चाहता हूँ. क्या उसने पूछा? मैने कहा के मैं उसको जो बताने जा रहा हूँ वो मेरे सीने में दबा एक ऐसा राज़ है जो मैने आज तक किसी से शेर नही किया और उसको दोस्ती के नाते से सब बताने जा रहा हूँ और चाहता हूँ के वो मेरी बात के मर्म को जाने और समझे और अगर चाहे तो मेरी मदद करे और ना चाहे तो ना करे पर इस राज़ को अपने तक ही रखे.
फिर मैने उस पर प्रिया से लेकर मिनी तक के अपने सारे अनुभव खोल के रख दिए और साथ ही अपनी सोच भी उसको बता दी और फिर उसके जवाब का इंतेज़ार करने लगा. इस बीच मैं तनवी को नीचे अपनी स्टडी में ले आया था ताकि उसको चार्ट्स और दूसरी डीटेल्स दिखा सकूँ. तनवी मेरी सारी बातें खामोशी से सुनती रही और मेरे चुप होने के बाद भी काफ़ी देर तक खामोश रही फिर बोली के मुझे लग तो रहा था के कुच्छ है पर तुम इतने गहरे हो मैं यह सोच भी नही सकती थी. मैने कहा के देखो मैं जो हूँ और क्यों हूँ और इस के पीछे मेरी क्या सोच है वो सब मैने तुमसे बता दी है, कुच्छ भी नही छिपाया एक दोस्त की तरह और अकेला इतने बड़े काम को अंजाम नही दे सकता इसलिए तुमसे मदद की उम्मीद करके तुमसे सब कुच्छ कह दिया है. अब तुम्हारी मर्ज़ी है मदद करने या ना करने की. मैं तुम पर कोई भी दबाव नही डालूँगा और अगर तुम नही चाहोगी तो बस यह उम्मीद ज़रूर करूँगा के तुम यह सब कुच्छ अपने तक ही रखोगी. वो बोली के राज यह बात तो तुम भूल ही जाओ के यह मैं किसी को बता दूँगी. लेकिन मुझे सोचने का टाइम दो ताकि मैं अच्छी तरह सोच कर तुम्हे जवाब दूं के मैं इसमे तुम्हारी क्या और कितनी मदद कर सकती हूँ. मैने उसको अपने आलिंगन में ले लिया और उसको लेकर अपने बेडरूम मे आ गया.
मैने उसको कहा के वो आराम से सोच ले और अगर कुच्छ पूच्छना हो तो पूच्छ ले मैं तैयार हूँ. उसने कहा के पूच्छने को कुच्छ भी नही है, सब कुच्छ तो पूरी डीटेल्स में उसको बता दिया है. फिर वो बोली के यार तुम हो बहुत डेरिंग. मैने कहा के डेरिंग की कोई बात नही है मैने अपनी सेफ साइड करके ही सब कुच्छ किया है. लड़कियाँ सारी अडल्ट हो चुकी हैं और उनकी रज़ामंदी रेकॉर्ड करके ही चुदाई की है ऐसे नही. फिर तो ठीक है कोई प्राब्लम ही नही है वो बोली. अगर सिर्फ़ उन लड़कियों के साथ ही करना है जो अडल्ट हैं और राज़ी हैं फिर तो कोई भी परेशानी नही हो सकती. मैं कहा के ज़बरदस्ती के तो मैं बहुत ही हिलाफ हूँ. सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार से अगर लड़की चाहे तो मैं कुच्छ करता हूँ वरना कभी नही करूँगा. तनवी बहुत खुश हुई और बोली की फिर तो मैं तैयार हूँ तुम्हारी हर तरह की मदद करने के लिए. मैने कहा के तुम लड़की हो और लड़कियाँ तुम्हारे साथ खुल कर बात करने मैं शरमाएगी भी नही और तुम उनको समझा भी जल्दी लोगि. और यही कारण है के मैने तुमसे बात करने की हिम्मत भी की है. मैने उनके बर्ताव भी रेकॉर्ड किए हैं और उनकी वीक्ली असाइनमेंट रिपोर्ट के चार्ट्स भी बना रखे हैं. तुमको तो बस उनसे बात करके उनको तैयार करना है. उसने कहा के ठीक है पहले हम मिनी का रिज़ल्ट देख लेते हैं अगर उसमे इंप्रूव्मेंट नज़र आता है तो फिर तो यह तरीका ठीक है नही तो सोचना पड़ेगा. मैने भी कहा के बिल्कुल ठीक है.
मैने कहा के इस काम के लिए हमको एक फ्रंट भी बनाना होगा ताकि लड़कियाँ आसानी से आ सकें और सारे काम बिना किसी की नज़र मैं आए ही हो सकें. उसने कहा के वो तो करना ही पड़ेगा. मैने तनवी को बताया के हम नीचे जिम क्लब खोल लेते हैं क्योंकि तुम जिम में इन्स्ट्रक्टर का रोल बखूबी कर सकती हो. अगर बाहर की कोई लड़की आती भी है तो तुम उसकी सक्रीनिंग कर सकती हो और कोई काम की लड़की हो तो उसको ही मेंबरशिप देना बाकी को टाल देना के अभी फुल है जब कोई स्पॉट खाली होगा तो उसको बता देंगे. तनवी बोली के यार तुम डेरिंग होने के साथ साथ चालाक भी बहुत हो. मैने कहा के हर बात का ध्यान रखना पड़ता है और फिर यहाँ आने पर लड़कियों को ऊपेर अपने पास ले जाने में भी तो आसानी रहेगी और किसी को पता भी नही चलेगा. तनवी बड़ी खुश हुई और बोली के जिम की फीस कितनी रखेंगे. मैने कहा के नो प्रॉफिट नो लॉस पर चलेंगे. तुम्हारी इन्स्ट्रक्टर की सॅलरी निकाल के 20% एक्सट्रा रखेंगे ताकि एक्विपमेंट की सर्विसिंग और रिपेर आदि के लिए, और कुच्छ नही. वो बोली के मेरी सॅलरी? मैने कहा के हां यह तुम्हारी एक्सट्रा ड्यूटी होगी तो सॅलरी भी तो होनी चाहिए ना. वो बड़ी खुश हुई और बोली के ये ठीक रहेगा ताकि किसी को कोई शक़ भी नही होगा. सब कुच्छ फाइनल कर के हम एक दूसरे को बाहों में लेकर सो गये.
सुबह मेरी आँख खुली तो तनवी मेरे बाजू पर सर रख के गहरी नींद में थी और उसके होंठों पर एक दिलकश मुस्कान थी. मैने अपना हाथ बढ़ा कर उसके बालों की लट को जो आगे आ गयी थी हटाया और उसके होंठों पर अपने होंठ बड़े प्यार से रख दिए. उसने अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा तो चौंक कर पीछे को हुई. मैने उसको वापिस अपनी और खींचा और अपनी बाहों में कस लिया और कहा के क्या बात है डर गयी क्या. तब तक तनवी पूरी तरह जाग चुकी थी और मुस्कुरा के बोली के नही चौंक ज़रूर गयी थी. मैने उसको ज़ोर से भींच लिया तो उसके मम्मे मेरी छाती में चुभने लगे और मेरा लंड उसकी जांघों में. उसने हाथ बढ़ाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली के ये आराम कब करता है तो मैने हंस कर जवाब दिया के आराम ही तो कर रहा था पर तुम्हारी चूत की महक ने इसी बेचैन कर दिया है और यह पुनर्मिलन करना चाहता है. मेरी बात सुनकर वो खिलखिला कर हंस दी और बोली के वा अभी कल ही तो मिले हैं दोनो. मैने कहा के दोस्ती हो चुकी है ना तो आज फिर इतने करीब देख कर रह नही सका सलामी दे रहा है अटेन्षन मुद्रा में.
फिर क्या था 2 मिनट में ही हमारे कपड़े इधर उधर गिरे पड़े थे और हम एक दूसरे में समा जाने की कोशिश में लग गये थे. तनवी की चूत पनिया गयी थी और मेरे लंड ने भी प्री कम की बूँदें निकाल दी थीं. मैने अपना लंड हाथ में लेकर तनवी की चूत पर रगड़ा और जब चिकनाई से वो फिसलने लगा तो मैने चूत के मुहाने पर रख के थोड़ा सा दबाव डाला. लंड थोड़ा सा फास्कार तनवी की चूत को खोलता हुआ अंदर घुस गया. तनवी के चेहरे पर एक तमतमाहट थी और आनंदतिरेक से उसकी आँखें मंडी हुई थीं. फिर मैं अपने लंड को एक ही धक्के में उसकी चूत में जड़ तक डाल दिया. उसने अपनी आँखें खोल कर मेरी ओर मुस्कुराते हुए देखा और बोली के आराम से चोदो ना. मैने कहा के टाइम कम है इसलिए पूरा अंदर डाल दिया है ताकि तुम्हारी चूत जल्दी से अड्जस्ट करले. चोदुन्गा तो प्यार से ही. फिर मैने पलटी ली और साइड में हो गये दोनो. उसकी एक टाँग उठा कर अपने ऊपेर करली और धीरे धीरे धक्के मारने लगा. इसी तरह प्यार के हिचकोले खाते हुए हम दोनो जब झड़ने के करीब पहुँचे तो मैने उसको अपने नीचे करके 10-15 करारे धक्के लगाए तो तनवी की चूत ने पानी छोड़ दिया और साथ ही साथ मेरे लंड ने भी उसकी चूत में अपने गरम वीर्य की बेरिश कर दी. यह एक बहुत ही सुख कारी अनुभव था हम दोनो के लिए. इसस्में सेक्स के साथ साथ एक प्यार का एहसास भी था जो दोनो को और करीब ले आया और फिर हम जल्दी से नहा धो कर और नाश्ता करके स्कूल के लिए चल पड़े. चलने से पहले मैं तनवी को आंटी प्रेग्नेन्सी टॅबलेट देनी नही भूला. वो एक बार फिर मेरी प्रशंसा में बोली के यार तुम वाकई बहुत ख़याल करने वाले आदमी हो.
स्कूल पहुँच कर मैने कुछ फाइल्स अपने पीसी से तनवी के पीसी में डाल दीं और उसको कहा के इनको स्टडी करले और फिर मुझे बताए के वो किसको शॉर्ट लिस्ट करना चाहती है. हम बाकी की तैयारी कर लेते हैं और जैसे ही कन्फर्म होगा की मिनी के साथ मेरा एक्सपेरिमेंट सक्सेस्फुल हुआ है हम आगे का प्रोग्राम चालू कर देंगे. तनवी ने कहा के ठीक है. छुट्टी से कोई दो घंटे पहले तनवी मेरे पास आई और बोली के उसने तीन लड़कियाँ शॉर्टलिस्ट कर ली हैं पर एक लड़की का जल्दी ही कुच्छ करना पड़ेगा. मेरे पूछ्ने पर उसने बताया के लड़की का नाम मरियम है और उसके लिए हमें मिनी के रिज़ल्ट का इंतेज़ार भी नही कर सकते क्योंकि उस लड़की को कुच्छ कुच्छ पता है प्रिया और नेहा के बारे में. यह उनकी क्लास में ही है और उनकी कुच्छ बातें सुन चुकी है पर वो शरम की वजह से उनसे बात नही कर सकी है और अंदर ही अंदर परेशान है और यही वजह है कि वो पढ़ाई में पिछड़ रही है. तनवी ने आगे बताया के मरियम से वो बात भी कर चुकी है और चाहती है के मैं भी आज ही बात कर लूँ. मैने कहा के नेकी और पूछ पूछ. तनवी हंस दी और उसको भेजती हूँ कहकर चली गयी.
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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--26
गतान्क से आगे..............
मैं मरियम की डीटेल्स अपने पीसी पर देख ही रहा था के वो आ गयी और बोली के मे आइ कम इन सर. मैने कहा के हां मरियम आओ और उसको हाथ के इशारे से टेबल की साइड में मेरे पास आने को कहा. मरियम एक 5’, 30-25-32 नाप की गुड़िया जैसी लड़की थी, बहुत ही नाज़ुक सी नीली आँखों वाली गुड़िया. गोरा रंग ऐसा के हाथ लगे मैला हो जाए. मैने नोट किया था के वो बहुत शर्मीली लड़की थी. मैने उसकी ओर देखा और पूछा के मरियम अब तुम छ्होटी बच्ची नही हो तो क्या हम दोस्त की तरह बात कर सकते हैं? और मैने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया. उसने मुझसे हाथ मिलाया और बोली जी हां कर सकते हैं. मैने कहा के मुझे तुम्हारी पढ़ाई की बहुत फिकर हो रही है क्योंकि तुम्हारे नंबर बढ़ने की बजाए कम होते जा रहे हैं जो की ठीक नही है. तुम मुझे बताओ के इसकी वजह क्या है अगर तुम कुच्छ जानती हो तो. जी मैं तनवी मॅम को बता दी हूँ के मेरा दिल और दिमाग़ दोनो पढ़ाई में नही लग रहे, कुच्छ भी याद नही होता है और इसीलिए मेरे मार्क्स कम आ रहे हैं वो बोली.
मैने पूछा के इसकी वजह क्या है यह भी तो बताओ. वो शरम से लाल हो गयी और बोली के जी मैं कुच्छ भी नही बता सकती हूँ मुझे बहुत शरम लगती है. मैने खड़े होकर उसको अपने पास आने को कहा और उसके पास आने पर उसकी पीठ पर हाथ रख कर सहलाया और उसको बहुत प्यार से कहा के शरमाने से तो काम नही चलेगा मुझे दोस्त माना है तो सॉफ सॉफ बताओ और बिल्कुल भी डरो नही और शरमाओ नही. मेरे छूने पर वो काँप गयी और बोली जी मैने प्रिया और नेहा की पूरी बातें नही सुनी हैं पर जितना मैं सुन पाई हूँ उस से मैं जान गयी हूँ के वो दोनो…… चुद चुकी हैं मैने उसकी बात पूरी की. मरियम ने शरम के मारे अपनी आँखें बंद कर ली और मुझसे लिपट कर मेरी छाती में मुँह छुपा कर बोली जी मेरी फॅमिली एक बहुत ही ओर्थोडोक्ष कन्सर्वेटिव फॅमिली है और मुझे बहुत शरम लगती है सॉफ लफ़्ज़ों में कहने में. मैने कहा के देखो हम दोस्त हैं और दोस्ती में कोई शरम, थॅंक यू या सॉरी नही चलता है. सॉफ सॉफ नही बोलॉगी तो मैं अपनी दोस्त की मदद कैसे कर सकूँगा. वो कांप गयी और बोली के मैं भी वो सब करना चाहती हूँ. मैने कहा के ठीक है अगर वो चाहती है तो उसको भी चोद कर मज़ा देंगे पर एक प्रॉमिस करना होगा. उसने पूछा के क्या? मैने कहा के उसके बाद उसे अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना होगा और अगर उसने इंप्रूव्मेंट नही दिखाई तो आगे से मैं उसकी कोई मदद नही करूँगा. जी प्रिया और नेहा भी तो नॉर्मल हो गयी हैं तो मैं भी नॉर्मल हो जाउन्गि इसके बाद. मैने कहा के देखो तुम साफ़ बोलना शुरू कर दो नही तो मैं तुम्हारी मदद कैसे कर सकूँगा. वो बोली के आदत नही है साफ बोलने की धीरे धीरे सीख लूँगी.
मैने उसको टटोलने के लिए कहा के तुम इतनी नाज़ुक और छ्होटी हो मुझे नही लगता के तुम पहली चुदाई का दर्द बर्दाश्त कर सकोगी. वो बोली के मैं छ्होटी नही हूँ लगती हूँ. कैसे, मैने पूछा तो वो थोड़ा सा रुकी और पीछे होकर अपनी शर्ट के बटन खोलने लगी और फिर उसने दोनो पल्ले हटाकर मुझे अपनी चूचियाँ दिखाईं और बोली देखो मेरी चूचियाँ भी हैं क्या अभी भी मैं तुम्हें छ्होटी लगती हूँ? उसकी चुचियाँ छ्होटी ही थीं एक बड़े से नींबू जितनी और उंनपर जड़े हुए हीरे के जैसे उसके गुलाबी निपल्स अनार के बड़े से दाने की तरह चमक रहे थे. मैने हाथ बढ़कर एक को पकड़ा और दूसरे हाथ से मरियम को घुमा के उसकी पीठ अपनी तरफ कर ली. मेरा हाथ उसकी चूची पर काँप रहा था जैसे दबाने पर वो नाज़ुक सी चीज़ टूट ना जाए. मरियम मेरे हाथ के एहसास से काँप रही थी और उसके होंठ भी लराज़ रहे थे. मैने उसकेकाँपते होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए और चूसने लगा. वो तेज़ी से कांप उठी और तड़प कर मुझसे लिपट गयी और मुझे अपनी बाहों में कस कर बोली के प्लीज़ मुझे तद्पओ मत और कुच्छ करो. मैने उसको अपने साथ चिपका लिया और उसको पूछा के क्या वो आज स्कूल के बाद रुक सकती है? उसने कहा के रुक तो सकती हूँ पर क्या बहाना करूँगी? तो मैने कहा के तुम्हारे घर फोन करवा देता हूँ तनवी से के तुमको वो स्पेशल क्लास दे रही है क्योंकि तुम दो सब्जेक्ट में बहुत कमज़ोर हो. वो बोली के ठीक है. मैने उसको कहा के अपने कपड़े ठीक करके क्लास में जाए और छुट्टी के बाद तनवी मॅम के पास आ जाए वो उसको बता देगी के क्या करना है. मरियम ने शर्ट के बटन लगाए और शर्ट ठीक करके बोली के मैं आ जाउन्गि और बाहर चली गयी. मैने तनवी को बुलाया और कहा के मारीयम के घर फोन कर्दे और केहदे के पढ़ाई के बाद वो खुद उसको घर छ्चोड़ देगी कोई फिकर ना करें. फोन उसकी बड़ी बहन ने उठाया और तनवी की बात सुन कर बोली के ठीक है पर लड़की का ख़याल रखें और हिफ़ाज़त से घर भिजवा दें. तनवी ने तसल्ली दी और कहा के वो खुद उसको शाम तक घर पहुँचा देगी और फोनकाट दिया.
छुट्टी के बाद तनवी अपने साथ मरियम को लेकर चली गयी और मैं भी घर आ गया. जल्दी से खाना खा कर नौकरों को छुट्टी दी और तनवी को फोन करके कहा के 1स्ट्रीट फ्लोर पर आ जाए मरियम को लेकर. 1स्ट्रीट फ्लोर पर घर का सबसे बड़ा बेडरूम था. मैं ऊपेर पहुँचा और तनवी के साथ मरियम नीचे आ गयी. मैने दरवाज़ा खोल कर उनको अंदर किया और लॉक करके बेडरूम में ले आया. मेरे इशारे पर तनवी ने और मैने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और नंगे हो गये. मरियम हैरान होकर कभी मुझे और कभी तनवी को देख रही थी तो मैने उसको कहा मरियम घबराओ नही तनवी के साथ होने से तुम्हें आसानी होगी वरना पहली चुदाई का दर्द तुम से नही पओगि. यह तुम्हें संभाल लेगी. मरियम को थोड़ी तसल्ली हुई और उसने भी अपने कपड़े उतार दिए. फिर तनवी ने सारे कपड़े ठीक से फोल्ड करके रख दिए और मरियम काहाथ पकड़ कर मेरे पास ले आई. मैने मरियम को अपने साथ चिपका लिया और उसकी पीठ सहलाते हुए उसको कहा के सोच लो अभी भी वक़्त है अगर तुम चाहो तो अभी भी तनवी तुम्हें घर छ्चोड़ आएगी. मरियम ने कहा के नही मैने बहुत सोच समझ कर यह फ़ैसला किया है और मैं आज ज़रूर चुदवाना चाहती हूँ. मैं उसको अपने साथ चिपकाए हुए ही बेड पर बैठ गया और उसको अपनी टाँगों के बीच खड़ा कर लिया. मरियम मेरे लंड को देख कर बोली के तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है यह मेरी छ्होटी सी चूत में कैसे जाएगा. मैं मुस्कुरा दिया और उसको बोला के हरेक चूत जादू की डिबिया होती है. लंड कितना भी मोटा हो वो फैल कर अपने अंदर ले लेती है. मेरा लंड तो कोई खास मोटा नही है. हां पहली बार जब यह तुम्हारी चूत में घुसेगा तब तुम्हें दर्द होगा और वो तुमको सहना पड़ेगा अगर चुदवाना चाहती हो तो. वो बोली के दर्द तो मैं सह लूँगी पर मज़ा भी आएगा ना.
मैने हंसकर कहा के मज़ा तो बहुत आएगा और इतना आएगा के तुम सोच भी नही सकती. वो बोली के फिर देर ना करो जल्दी से मुझे चोद डालो मैं और इंतेज़ार नही कर सकती. मैने कहा के थोड़ा सबर करो ऐसे ही नही चोदा जाता पहले चूत को तैयार करना पड़ता है और जब चूत लंड लेने के लिए तैयार हो जाती है तभी चोदा जा सकता है. और यह पहली ही नही हर बार की चुदाई के लिए ज़रूरी है. फिर मैने उसको कहा के अब तुम बोलो नही और मैं और तनवी जो करते हैं करने दो. और तुम भी अपने हाथों और मुँह का इस्तेमाल करती रहना.
मैने बहुत प्यार से उसस्के पूरे शरीर को सहलाना शुरू कर दिया. वो थी ही इस काबिल. बिल्कुल नाज़ुक सी गुड़िया जैसी के कहीं ज़ोर से झटका भी लग गया तो टूट ना जाए. मैं सोच रहा था के इस गुड़िया का क्या होगा जब लंड इसकी चूत में घुसेगा इसकी चूत को फाड़ कर. फिर मैने यही तय किया के लंड इसको अत्यधिक उत्तेजित अवस्था में पहुँचाकर ही इसकी चूत में डालूँगा ताकि दर्द इसको कम से कम महसूस हो. दर्द का पहला झटका ही होता है जो असहनीया होता है उसके बाद तो दर्द कम होता जाता है. मैने उसकी छ्होटी सी चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसको चाटने लगा. उधर तनवी भी पीछे रहने वाली नही थी उसने भी एक चूची पर अपना मुँह रख दिया और चूसने लगी. हमारे हाथ उसके शरीर का जायज़ा ले रहे थे कभी उसकी जांघों के निचले हिस्से पर तो कभी उसकी चिकनी गोल गांद पर फिसल के उसके पेट पर आ जाते और कभी उसकी चूत की परीकार्मा करते पर उसकी चूत को नही छ्छू रहे थे. फिर मैने तनवी से कहा के वो मरियम के ऊपेर के हिस्से को प्यार करे और मैं उसके निचले हिस्से की खबर लेता हूँ. तनवी मुस्कुरा कर बोली के हां यह ठीक रहेगा.
मैं उठकर मरियम के नीचे की ओर आया और उसकी टाँगें सहलाते हुए घुटनों से मोदकर अपने कंधों पर रख ली और दोनो हाथों को उसकी जांघों पर प्यार से फेरने लगा. अपना मुँह मैने उसकी बिना बालों की चूत पर रख दिया और उसकी चूत की दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा. मरियम की उत्तेजना क्षण प्रतिक्षण बढ़ती जा रही थी और अब वो बबाड़ाने लगी आआआआआााआअ, हााआआ, ऊऊऊऊओहूऊऊओ, हााआआइईईई, सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईईईईईईईईईईईई, उूुुुउउन्ह, हूऊऊऊऊऊऊं, ईईईई क्य्ाआआआअ हूऊऊऊऊ रहाआआआआ हाआआआआई मुऊऊुुुुउुझीईईई, आआआआाआग लगिइिईईईईईईईईईईईईईईई हाआआआआई मेरिइईईईईईईईई चूऊऊऊऊऊथ मीईईईईईईईन. मज़ाआआआआअ भीईीईईईईईईईईईईई बहुउऊुुुुुुुुउउट आआआआअ रहाआआआआ हाआआआ बीई चााआआऐयणिईीईईईईईईईईईईईई भीईीईईईईईईईईईईईई हूऊऊऊऊ रहियीईईईईईईईईईईईईई हाआआआआआआआ. जल्दीीईईईईईईईईईईईईईई कुउुुुुुुउऊच्च करूऊऊऊऊ. मैने उसकी चूत की दोनो फाँकें अपनी उंगलियों की मदद से फैला दीं. उसकी गुलाब की पट्टियों जैसी दोनो पुट्तियाँ फड़फदा रही थीं और उसका चने के आकार का दाना उभर कर स्पष्ट नज़र आ रहा था. मैने उसपर अपनी जीब रखी तो मारयम उच्छलने को हुई पर मेरी और तनवी की मिलीजुली पकड़ के कारण वो ज़्यादा नही उच्छल सकी. फिर मैं अपनी जीभ से उसकी दोनो पुट्तियों को चाटने लगा. वो सीत्कार कर उठी. मरियम की उत्तेजना को देखते हुए मैने तेज़ी से एक टवल उठाकर उसकी छ्होटी सी गांद के नीचे रखा और लूब्रिकेटिंग जेल्ली की शीशी उठाकर अपनी उंगली से उसकी चूत के छल्ले पर लगाई और अपनी उंगली से उसके छल्ले को फैलाने लगा. मुझे दिख रहा था के उसकी चूत का छल्ला ना फैलाया गया तो मेरे लंड को छ्चील देगा. छल्ले पर मेरी उंगली को भी वो नही सह पा रही थी और उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी.
मैने मरियम की छोटी सी चूत में ढेर सारी जेल्ली लगा दी और अपने लंड पर भी अच्छी तरह से जेल्ली रगद्कर उसको चिकना कर दिया. फिर मैने तनवी से कहा के मरियम को संभाले क्योंकि मैं उसकी चूत में लंड घुसाने जा रहा हूँ. तनवी ने कहा के तुम डालो मैं देख रही हूँ. मैने अपना लंड मरियम की चूत के छल्ले से भिड़ा दिया और दबाव डालने लगा. थोड़ा सा दबाव बढ़ने पर मेरे लंड का टोपा मरियम की चूत में घुस गया और वो तड़प गयी. मैने उसको पूछा के दर्द हुआ क्या? थोड़ा सा, उसने कहा. मैने कहा के कोई बात नही अब थोड़ा ज़्यादा होगा जब तुम्हारी कुमारी झिल्ली फाड़ के मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुसेगा तो. उसकी उत्तेजना इतनी ज़्यादा थी के वो बोली जो भी होना है होने दो बस जल्दी करो अब मैं और बर्दाश्त नही कर सकती. मैने थोड़ी जेल्ली और हमारे संगम स्थल पर लगाई और फिर मरियम की दोनो जांघों को दबा कर एक ज़ोरदार झटका मारा. तनवी ने अपने मुँह में मरियम की चीख दबा दी वरना जाने कहाँ तक वो सुनाई देती. मरियम की आँखें पलट गयी और वो ज़ोर से छटपटाने की नाकाम कोशिश करने लगी. तनवी ने उसे जकड़ा हुआ था और मरियम कुच्छ नही कर पाई. उसकी कुमारी झिल्ली मेरे लंड की चोट से फॅट चुकी थी और उसमे से बहता खून नीचे पड़े टवल को लाल कर रहा था. उसकी टाँगें ज़ोर से कांप रही थीं. मैने 2 मिनट रुक कर अपने लंड को धीरे धीरे उसकी चूत में थोड़ा सा अंदर बाहर करने लगा. उधर तनवी उसकी चूचियों को चाट और चूस रही थी और साथ ही अपने दोनो हाथों से भी सहला रही थी.
थोड़ी देर में ही मरियम का दर्द कम हो गया और वो चुदाई का मज़ा लेने लगी. जब उसने अपनी गांद हिलानी शुरू की तो मैने अपने लंड को पूरा अंदर करने की कोशिश शुरू कर दी और 10-15 धक्कों में ही मेरा लंड पूरा उसकी चूत में समाने लगा और उसकी बcचेदानि से टकराने लगा और उसकी उत्तेजना में वृद्धि होने लगी, जिसके फलस्वरूप मरियम की आहें फिर से शुरू हो गयी. वो अब नीचे से पूरा ज़ोर लगा कर अपनी गांद उठाती थी और मेरे लंड को उसकी चूत पूरा लील जाती थी. वो फिर बोलने लगी के हाए रे मैं तो पहले के मज़े में ही पागल हो रही थी पर यह चूत में लंड के आने जाने ने तो मुझे मार ही देना है. मुझे समझ ही नही आ रही के मेरे साथ क्या हो रहा है. मैं हवा में तार रही हूँ या फिर आसमान में डूब रही हूँ मुझे पता नही चल रहा. यह कैसा झूला है जो मुझे पता नही कैसे हिलोरे दे रहा है. दोस्त मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदो, मेरी चूत की चटनी बना दो अपने मूसल से. फाड़ दो इसको साली बहुत खुजली होती है इसमे. सारी खुजली मिटा दो इसकी. ज़ोर से करो. पीस दो मुझे और मेरी चूत को. हाआआाआआइईईईई माआआआऐं गइईईईईई, तनवी डीईईईईईईईईई मुऊऊउुझीईईईई पकड़ लूऊऊऊऊऊऊऊऊ. हआाआआइईई अम्मिईी
ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई. और इसके साथ ही मरियम का जिस्म अकड़ गया और उसने अपनी गांद पूरी तरह से जितनी उठा सकती थी उठा दी और झाड़ गयी. मैने भी उसकी गांद को अपने हाथों में जाकड़ कर कस्के 8-10 करारे धक्के लगाए और मैं भी झाड़ गया.
क्रमशः......
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08-25-2018, 04:25 PM,
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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--29
गतान्क से आगे..............
चलते ही तनवी ने मुझसे पूछा के जानते हो ये कौन हैं? मैं क्या कहता, मैने कहा के नही. तो तनवी ने बताया के यह मरियम की बहनें हैं क्योंकि यह वही घर है जहाँ मैने मरियम को छ्चोड़ा था. मैने कहा के तुमने तो कहा था के उसकी बहनें ही घर में थीं तो तुमने देखा नही था उनको. वो बोली के नही शकल नही देख पाई थी क्योंकि दुपट्टा लपेटा हुआ था. मैं हंस पड़ा. फिर तनवी ने एक धमाका किया कि तुम कहाँ तक पहुँचे नाज़िया के साथ? मैं चौंक कर बोला क्या मतलब? वो बोली के मैं नाज़िया को देखते ही समझ गयी थी के तुमने कुच्छ ना कुच्छ किया है उसके साथ और फिर उसकी चोट तो ठीक हो चुकी थी नीचे ही. तेल की मालिश का तो बहाना था तुम्हारे हाथ लगवाने का. मैने तनवी की ओर देखा तो वो शरारत से मुस्कुरा रही थी. मैने कहा के उसको ज़िंदगी का पहला मज़ा मिला है मेरे हाथों से और ज़्यादा कुच्छ करने का तो टाइम ही नही था.
तनवी बोली के फिकर ना करो अभी वो कल और परसों भी तो मालिश करवाने वाली है जो मेरे हिसाब से काफ़ी होंगे तुम्हारे लिए उसको शीशे में उतारने के लिए. तुम्हारी मदद मेरा तेल कर ही रहा है, उसका कमाल तो तुम देख ही चुके हो. मैने कहा के यह सब तुम्हारे तेल ने किया था, मैं तो समझ रहा था के मेरा स्पर्श उसको उत्तेजित कर रहा है. तनवी मुस्कुराइ और बोली के दोनो का मिलाजुला रिक्षन था. हम घर पहुँचे और अपने अपने कमरे में चले गये तैयार होकर स्कूल जाने के लिए. ऑफीस में पहुँचकर मैने अपना पीसी ऑन किया और उसे क्लियर करने की सोची. मैं हर 15-16 दिन में अपने पीसी की सफाई करता था. मतलब के टेंप फोल्डर, टेंप इंटरनेट फाइल्स, रीसेंट डॉक्युमेंट्स के फोल्डर्स को खाली कर देता था ताकि पीसी की स्पीड अच्छी रहे. सबसे पहले मैने टेंप इंटरनेट फाइल्स, फिर टेंप फोल्डर्स खाली कर दिए.
सबसे आख़िर में मैने माइ रीसेंट डॉक्युमेंट्स का फोल्डर खाली करने के लिए खोला. फोल्डर में फाइल्स कुच्छ ज़्यादा ही थीं. जो कंप्यूटर्स की जानकारी रखते हैं उनको तो समझ आ ही जाएगा पर होता यह है के जब भी कोई फाइल या फोल्डर खोला जाता है कंप्यूटर में तो उसका एक शॉर्टकट रीसेंट डॉक्युमेंट्स फोल्डर में आ जाता है और उसकी प्रॉपर्टीस में जायें राइट क्लिक करके तो पता चल जाता है कि लास्ट आक्सेस कब हुई थी उस फाइल या फोल्डर की. मुझे शक़ हुआ तो मैने सारी फाइल्स देखनी शुरू कर दीं. बहुत सारी फाइल्स ऐसी थीं जिनको मैने पिच्छले 15-20 दिन तो क्या कयि महीनों से आक्सेस नही किया था. इसका एक ही मतलब था के मेरी जानकारी के बिना किसी ने मेरे कंप्यूटर के साथ छेड़-छाड़ की थी. मैने कुच्छ फाइल्स को राइट क्लिक करके उनकी प्रॉपर्टीस चेक की तो पता चला के सब 2 दिन पहले ही असीस्स की गयी थीं 11 और 12 बजे के बीच में. मैने सोचा तो ध्यान आया कि 2 दिन पहले मैं कोई 10-45 पर ऑफीस से निकला था और एक मीटिंग करके मैं 12-30 पर वापिस आ गया था. मैने अपने रूम की सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग चेक की तो पता चला के तनवी मेरे पीसी पर 11-12 बजे तक बैठी थी और अच्छी तरह से मेरे पीसी को चेक करके गयी थी. मुझे बहुत हैरानी हुई पर मैने उस वक़्त तनवी से कुच्छ भी कहना उचित नही समझा और छुट्टी होने पर घर आ गया. पर चलने से पहले मैने अपने कंप्यूटर का पासवर्ड बदल डाला और उसमे 5 मिनटका स्क्रीनसावेर लॉक लगा दिया ताकि 5 मिनट इनॅक्टिव रहने पर पीसी लॉक हो जाए और फिर पासवर्ड डालने पर ही खुले. घर आकर मैं सोचता रहा कि मुझे तनवी से बात करनी चाहिए या नही. यह तो अच्छा था के सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग के लिए अलग कंप्यूटर था और उसके साथ कोई छेड़-छाड़ नही हुई थी जो मैने चेक कर लिया था. फिर मैने फ़ैसला किया कि अभी तनवी से कोई बात नही करूँगा पर अब उसकी हर हरकत पर नज़र रखूँगा. मैने नीचे जिम में सीक्ट्व कॅमरास फिट करवा दिए थे और अब मैने ऊपेर तनवी के रूम में भी कॅमरास फिट करवाने का इंटेज़ाम कर दिया. अगले दिन ही हमारे स्कूल जाने के बाद कॅमरास फिट हो जाने थे.
मैने उस दिन की रेकॉर्डिंग चेक की जो की नॉर्मल ही लग रही थी. 11 बजे तनवी मेरे ऑफीस में दाखिल हुई और मेरे पीसी पर बैठ गयी और उसके आक्षन्स से लग रहा था कि वो फाइल्स खोल कर चेक करती रही थी कि लगभग 11-50 पर तनवी के मोबाइल की घंटी बजी. तनवी ने अपना फोन उठाकर चेक किया और मैन डोर की तरफ देखा और मैन डोर लॉक देखकर उसने फोन उठा लिया और बोली कि हां बोलो क्या बात है. मैं चौंक गया कि तनवी किसके साथ बात कर रही है? फिर तनवी की आवाज़ आई के मैं चेक कर चुकी हूँ पूरा एक घंटा पर मुझे ऐसा कुच्छ नही मिला जो तुम्हारे काम का हो. इसका मतलब था के तनवी मेरा पीसी किसी के कहने पर उसके लिए चेक कर रही थी. तनिवि बोल रही थी के मैने बताया ना मैं उसको शीशे में उतार चुकी हूँ और उसका विश्वास भी जीत चुकी हूँ. कोई फिकर वाली बात नही है मेरी फिकर तो बिल्कुल मत करो. मैं अपने फ़ैसले पर कायम रहा के मैं तनवी से कुच्छ भी नही पूच्हूंगा और उसे बिल्कुल भी नही लगने दूँगा की मुझे कुच्छ पता चल गया है और मैं उस पर नज़र रख रहा हूँ. बल्कि अब मैं अपने पीसी में कोई ऐसी फाइल नही रहने दूँगा जिसके कारण किसी को मेरी गतिविधियों के बारे में पता चल सके. पूरे सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग्स का कनेक्षन मैने अपने घर पर करवा दिया और पीसी को घर पर शिफ्ट कर दिया, और उसको बहुत अच्छी तरह से पासवर्ड प्रोटेक्षन और आक्सेस प्रोटेक्षन दे दिया. अब बिना मेरी मर्ज़ी के कोई उस पीसी को खोलकर चेक नही कर सकता था. मैने सोच लिया के कभी-कभी तनवी को मौका दूँगा कि वो मेरे पीसी पर बैठ कर मेरा कुच्छ काम करे ताकि वो आराम से मेरे पीसी को चेक कर सके. इसके दो लाभ होंगे एक तो वो यह समझेगी के मुझे उस पर अधिक विश्वास हो गया है और दूसरा वो बेफिकर होकर मेरे ऑफीस में बैठेगी और हो सकता है के कुच्छ ऐसा कर बैठे कि उसकी असलियत मेरे सामने आ जाए.
क्रमशः.............
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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--31
गतान्क से आगे..............
अगले दिन किसी त्योहार की छुट्टी थी. मैं सुबह उठा और फ्रेश होकर चाय पीने और अख़बार देखने लगा. मुझे इंतेज़ार था नाज़िया का. आज उसको चोद्कर लड़की से औरत बनाना था. यह सोच कर ही मेरा लंड जॉकी में करवटें लेने लगा. खैर इंतेज़ार ख़तम हुआ और वो टाइम भी आ ही गया जिसका मैं बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था. ज़ाकिया नाज़िया को सहारा देकर ला रही थी. मैने पूछा के तनवी नही आई तो ज़ाकिया ने कहा के नही वो नही आई पर आज तुम्हारी पुरानी पहचान वाली को लाई हूँ. कहकर उसने आवाज़ दी के आ जाओ कब तक बाहर खड़ी रहोगी? मैने दरवाज़े की तरफ देखा तो मैं चौंक गया. दरवाज़े में मरियम खड़ी थी. उसके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. वो डरते-डरते अंदर आई. मुझे उसकी सूरत देखकर खुद डर लगने लगा के यह क्या हो गया है और अब आगे क्या होने वाला है? ज़ाकिया ने आगे बढ़कर नाज़िया को बेड पर लिटा दिया और वापिस मेरे पास आकर मुझे गिरेबान से पकड़ कर बोली तुम समझते क्या हो अपने आप को? मैने कहा के मैं कुच्छ समझा नही तुम क्या कहना चाह रही हो ज़ाकिया?
उसका चेहरा लाल भभूका हो रहा था और वो एक-एक लफ्ज़ चबा कर बोली दिमाग़ खराब हो गया है मेरा. पागल हो गयी हूँ मैं. तुमने यह कैसी उल्टी गंगा बहा रखी है? पहले मेरी सबसे छ्होटी बेहन को चोदा और आज मेरी दूसरी छ्होटी बेहन को चोदने का प्रोग्राम बनाया हुआ है. मैं क्या करूँ. अगले महीने मेरी शादी है और मैं अपने होने वाले शौहर को मिलने गयी थी कल. वहाँ उसने मुझे अकेले में चोदने की कोशिश की पर मेरी सील तोड़ने में कामयाब नही हो सका. तड़पति हुई घर पहुँची तो यह महारानियाँ दोनो अपनी-अपनी आप बीती एक दूसरे को सुना रही थीं और मैं चुप खड़ी सुनती रही. मेरी जलती आग में यह घी डालती रहीं और मैं जलती रही. यह सब सुनकर नाज़िया और मरियम दोनो के चेहरे पर छाए परेशानी के बादल छट गये और दोनो एक दूसरे को देख कर हल्के से मुस्कुराने लगीं. ज़ाकिया बोले जा रही थी कि अल्लाह-अल्लाह करके अब टाइम आया है और तुम पूछ रहे हो के मैं क्या कहना चाह रही हूँ? मैं बड़ी हूँ और पहले मेरी आग को बुझाओ फिर कुच्छ और करना. मैं मुस्कुराते हुए आगे बढ़ा और उसको अपनी बाहों में भरकर कहा के मना किसने किया है ज़ाकिया रानी और उसको अपने साथ चिपका कर उसके गुलाब की पट्टियों जैसे दोनो होंठ अपने होंठों मे क़ैद कर लिए और चूसने लगा. अपनी जीभ उंनपर फेरी तो वोकाँप उठी और मुझे अपनी बाहों में कस लिया. मैने मरियम को कहा के दरवाज़ा लॉक कर्दे.
वो खुशी खुशी गयी और जैसे ही उसने दरवाज़ा लॉक किया मैने कहा के तुम तीनो अपने अपने कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो जाओ और मैं अपने कपड़े भी उतारने लग गया. तीनो ने सारे कपड़े उतार दिए और मेरा बेडरूम जैसे रोशनी से भर गया. तीन कड़क जवान गोरी चित्ति लड़कियाँ नंगी मेरे आगे खड़ी थीं और मेरा लंड क़िस्सी साँप की तरह अपना फन उठाकर उनको सलामी दे रहा था. ज़ाकिया मेरे लंड को बड़ी दिलचस्पी से देख रही थी और बोली के वाह तुम्हारा औज़ार तो बहुत बढ़िया लगता है. अभी देखते हैं इसकी धार. मैने कहा के घबराओ मत तुम तीनो को दो-दो बार तो ठंडा कर ही सकता है कम-से-कम. वो बोली के कहने और करने में बहुत फ़र्क होता है राज करो तो जानें. मैने आगे बढ़ कर उसको पकड़ा और बेड पर ले आया. उसको सीधा लिटा दिया और मरियम और नाज़िया को बोला के इसके मम्मे चूसो और चूस-चूस कर लाल कर दो और इसके पूरे बदन को भी प्यार से सहलाओ. इसको इतना उत्तेजित करो के यह छटपटाने लगे पर तुम डरना नही और रुकना भी नही. मज़ा इसको तभी आएगा जब यह पूरी तरह से उत्तेजित हो जाएगी.
दोनो ने ज़ाकिया को जाकड़ लिया और मेरे कहे का अनुसरण करने लगीं. मैने नाज़िया से कहा के इसके नीचे दो तकिये लगा दो जैसे तुम्हारे नीचे लगाए थे. उसने जल्दी से तकिये लगाए और अपने काम में लग गयी. मैने उसकी टाँगें उठा कर अपने कंधों पर लटका दीं और उसकी चूत की दरार में अपनी जीभ चलाने लगा. तिहरे आक्रमण से वो बहुत जल्दी उत्तेजित हो गयी और छटपटाने लगी और हााआआं हुउउउउउउउउउउउउउन ऊऊऊऊऊऊऊऊओ की आवाज़ें निकालने लगी. मैने अपने दोनो हाथों से उसकी चूत को खोला और मैं देखता ही रह गया उसकी चूत का नज़ारा. हल्के गुलाबी रंग की पंखुड़ीयाँ और अंदर गहरे लाल रंग की उसकी चूत जो उसकी बढ़ती उत्तेजना के कारण गीली हो चुकी थी और फड़फदा रही थी. मैने अपनी एक उंगली उठाकर उसकी पुट्तियों को सहलाया और उसके दाने के आसपास फिराना शुरू कर दिया. वो काँपने लगी और बोली के हाए रीईईईईईईईईई नाज़ी तू सच बता रही थी के बड़ा मज़ा आता है. मैं तो हवा में उड़ रही हूँ और डर लग रहा है कहीं गिर ना जाऊ. मेरी आग और बढ़ गयी है जल्दी कुच्छ करो राज. मैने उसके दाने को उंगली से सहलाया तो वो और काँपने लगी. फिर मैने उसके दाने को सहलाते सहलाते उसकी चूत अपने मुँह से पूरी धक दी और अपनी जीभ को अंडा डाल कर दबाने लगा. वो कराह उठी और उसने कोशिश की के अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबा दे पर जिस पोज़िशन में वो थी वो ज़्यादा हिल नही सकती थी.
मैने अपनी जीभ से उसे चोदना शुरू कर दिया. बहुत जल्दी वो उत्तेजना की ऊँचाइयाँ छूने लगी. हाआआआआअँ आईसीईईईई हीईीईईईईईईईईईईईईईईईईई करूऊऊऊऊऊऊओ, माआआआआआऐं गइईईई, माआआआअर डूऊऊऊऊ, मेरिइईईईईईईईई चूऊऊऊऊथ, ईईईईई क्य्ाआआआआआ हूऊऊऊऊऊ गय्ाआआआअ मुझीईईईईई, आआआआअँ आआआआअँ आआआआअँ. और उसकी चूत काबाँध टूट गया और वो झाड़ गयी. मैने अपने मुँह को नही हटाया और उसकी चूत को चाटना चालू रखा. थोड़ी ही देर में वो फिर से उत्तेजित होने लगी तो मैने उसकी टाँगें नीचे करके तकिये हटा दिया. जेल की ट्यूब उठाकर उसकी चूत मैं अंदर तक जेल लगा दी और थोड़ी सी अपने लंड पर भी लगाकर उसे चिकना कर दिया. फिर अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया, नीचे से ऊपेर और ऊपेर से नीचे. उसकी चूत पाओ रोटी की तरह फूल गयी थी और झटके लेकर खुल-बंद हो रही थी. चूत के छ्ल्ले पर अपने लंड का सुपरा रख कर मैने दबाव डाला तो आधा टोपा अंदर चला गया. मैने बाहर निकालकर फिर अंदर डाला तो थोड़ा और अंदर चला गया. फिर मैं उसे ऐसे ही आगे पीछे करने लगा. आगे करते उसका छल्ला अंदर दबाता और मैं हल्का सा झटका देता तो मेरा लंड एक-दो सूत और अंदर चला जाता और बाहर करता तो उसका छल्ला बाहर को आता पर मैं लंड को बाहर नही आने देता. 4-5 बार ऐसा करने पर मेरे लंड का सुपरा और एक इंच लंड उसकी चूत में घुस गया और मैने वही एक इंच लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
एक-दो धक्कों के बाद मैं हल्का सा ज़ोर बढ़ा देता और थोड़ा थोड़ा करके मेरा लंड उसकी कुंआरी झिल्ली तक पहुँच गया और वो बोली के बस दर्द होता है. मैने कहा के पहली चुदाई है एक बार तो दर्द होगा ही. उसके बाद तुम्हे मज़ा ही मज़ा आएगा और दर्द कभी नही होगा. मैं अपनी पोज़िशन सेट करके उतना ही लंड अंदर बाहर करने लगा और जब वो पूरी तरह से मस्ती में आ गयी तो मैने अपना लंड सुपारे तक बाहर निकाल कर एक पूरी ताक़त लगाकर धक्का मारा और मेरा लंड गकच करके ज़ाकिया की सील तोड़कर अंदर घुस गया. ज़ाकिया की एक ज़ोरदार चीख निकली जिसे मरियम ने अपना मुँह उसके मुँह पर रख के बंद कर दिया. मैने अपना हाथ नीचे लाकर उसके दाने पर अपना अंगूठा रख दिया और रगड़ने लगे. उधर वो दोनो अपनी आपी को प्यार से सहला रही थीं और थोड़ी देर में ही ज़ाकिया की उत्तेजना फिर से बढ़नी शुरू हो गयी और दर्द भी कम हो गया. बहुत टाइट चूत थी उसकी और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड किसी शिकंजे में कॅसा हुआ हो. मैने ज़ोर लगा कर अपने लंड को बाहर किया और थोड़ी जेल और लगाकर वापिस अंदर डाल दिया और आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा. उसकी दोनो पुट्तियाँ मेरे लंड से चिपकी हुई थीं और जब मैं लंड को अंदर करता तो दोनो अंदर को दब जातीं और साथ ही चूत काछल्ला भी अंदर हो जाता और जब मैं लंड को बाहर निकालता तो छल्ले के साथ साथ दोनो पुट्तियाँ भी बाहर आ जातीं. घर्षण का आनंद बहुत ही अधिक आ रहा था.
अभी मेरा लंड आधा अंदर जाना बाकी था. हर 4-5 धक्कों के बाद मैं थोड़ी जेल अपने लंड पर और लगा देता और साथ ही आधा इंच लंड को और अंदर घुसा देता. इस तरह करते करते मेरा लंड जड़ तक अंदर घुस गया और उसकी बच्चेदानी से जेया टकराया. टकराते ही ज़ाकिया ने एक ज़ोर की झुरजुरी ली और बोली यह क्या हुआ तो मैने कहा के लंड पूरा अंदर घुस गया है और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया है इसलिए उसे गुदगुदा गया है. वो बोली के बहुत अच्छा लग रहा है करते रहो. अपनी बच्चेदानी के मुँह पर मेरे लंड की 8-10 ठोकरें ही वो सह पाई और उसका पूरा शरीर अकड़ गया और वो एक बहुत ही लंबी आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआः के साथ झाड़ गयी. झटके खाते उसके शरीर के साथ उसकी चूत भी खुलने और बंद होने लगी. जब तक वो झड़ती रही मैं अपना लंड उसकी चूत में जड़ तक डाल कर निश्चल पड़ा रहा और हाथ बढ़ा कर उसके मम्मे अपने हाथों में पकड़ लिए. बहुत ही प्यारा पहला स्पर्श था उसके मम्मों का. जैसे दो कच्चे अमरूद मेरे हाथों में आ गये थे पर इतने चिकने थे उसके मम्मे के मेरे हाथों से फिसले जा रहे थे. उसके अंगूरी निपल मैने अपने अंगूठों और उंगलियों में दबाए तो उसकी एक मादक आआआआआआः निकली.
झड़ने के बाद उसने अपना शरीर ढीला छ्चोड़ दिया था और अब एक बार फिर से उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी थी. मैने अपना लंड दो इंच बाहर निकालकर वापिस अंदर पेलना शुरू कर दिया और थोड़ी देर तक उसे ऐसे ही चोद ता रहा. कुच्छ समय में ही उसने भी अपनी गांद उठाकर मेरे लंड का स्वागत करना शुरू कर दिया और मैं अपना लंड पूरा बाहर निकालकर पेलता रहा. जब मैं अपना लंड बाहर निकालता तो सिर्फ़ टोपा अंदर रह जाता और मैं वापिस अंदर घुसा देता. लंड जब अंदर घुसना शुरू होता तो वो अपनी गांद उठाना शुरू कर देती और फिर हमारे शरीर आपस में टकराते. चुदाई का मस्त संगीत कमरे में गूँज रहा था. फॅक-फॅक फॅक-फॅक और मेरी गोलियों की थैली उसकी गांद से टकराती तो पाट-पाट की आवाज़ होती. मैं जानता था की अब मैं और ज़्यादा देर तक नही रुक सकता, इसीलिए मैने अपने धक्कों की रफ़्तार कम ही रक्खी थी ताकि मेरी उत्तेजना ज़्यादा ना बढ़े. पर ज़ाकिया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और अब उसे चुदाई का भरपूर मज़ा आ रहा था. दर्दका नाम-ओ-निशान ख़तम हो चुका था. हम तीनों के मिलेजुले प्रयास उसकी उत्तेजना को बढ़ाते जा रहे थे और वो उचक उचक कर चुदवा रही थी.
फिर वही हुआ जो होना था. ज़ाकिया ने बोलना शुरू कर दिया. मार दो मेरी चूत को, फाड़ दो मेरी चूत को. हाए राज तुम्हारा लंड तो बड़ा प्यारा है रे, ऐसे रगड़ कर अंदर बाहर हो रहा है के बहुत मज़ा आ रहा है. फिर उसकी साँसें अटकने लगीं और वो माआआआआआऐं गइईईईईईई रीईईईईईईई, पकड़ लूऊऊऊऊऊऊ मुझीईईईईई, माआआआआआ ईईईईई कैसाआआआआ मज़ाआआआआआअ हाआआआआआआआई, रोमीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मेरईईईईईईय रजाआाआआआ माआआआआईं गइईईई. और वो झाड़ गयी. मैं तो पहले ही तैयार था सो मैने भी उसके बोलते ही अपनी रफ़्तार खूब तेज़ करदी थी. 10-12 ज़ोरदार धक्को के साथ ही मैं भी अपने चरम पर पहुँचा और अपना लंड उसकी चूत में जड़ तक डाल के अपने गरम गरम वीर्य की पिचकारियाँ उसकी चूत में छ्चोड़ने लगा. मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से सटा हुआ था और वीर्य की गरम गरम धार उसकी बच्चेदानि के मुँह पर पड़ी तो वो काँप कर एक बार और झाड़ गयी और अपने शरीर को ढीला छ्चोड़ दिया. मैं भी उसके ऊपेर गिर गया और मुझे नाज़िया और मरियम ने ज़ाकिया के साथ जाकड़ लिया.
जब हम दोनो संयत हुए तो मैने मरियम से कहा के ज़ाकिया के लिए हॉट वॉटर ट्रीटमेंट का इंटेज़ाम करे तो वो तुरंत उठी और बाथरूम में चली गयी. मैं खड़ा होकर बेड से नीचे उतरा और ज़ाकिया को भी उठने को कहा. नाज़िया को कहा के इसको सहारा देना पड़ेगा तो वो बहुत हैरान हुई. मैने कहा के होता है पहली चुदाई के बाद ऐसा ही होता है अगर चुदाई ढंग की हो तो लड़की अपने आप खड़ी नही हो सकती. नाज़िया की आँखों में लाल डोरे तेर रहे थे तो मैने उसको तसल्ली दी और कहा के घबराओ नही अब अगला नंबर तुम्हारा है. तुमने देख ही लिया है कि चुदाई कैसे होती है और कितना दर्द होता है जब लंड चूत में पहली बार जाता है और फिर उसके बाद कितना मज़ा आता है. पूच्छ लो ज़ाकिया से. ज़ाकिया ने शर्मा कर आँखें बंद कर लीं. फिर हम दोनो उसको पकड़ कर बाथरूम में ले गये और उसको गरम पानी के टब में बिठा दिया जिसमे मैने एक शीशी से थोड़ा अस्ट्रिंजेंट लोशन मिला दिया था. वो टब में बैठ गयी और मैने उससे कहा के जब तक पानी ठंडा ना हो जाए वो इसमे बैठी रहे और अपनी चूत की सिकाई करे. फिर खड़ी होकर चेक करे कि ज़्यादा दर्द तो नही है. अगर ज़्यादा दर्द हो तो एक बार और गरम पानी की सिकाई करनी पड़ेगी. तुम सिकाई करो और मैं नाज़िया की खबर लेता हूँ कहकर नाज़िया को लेकर बाहर आ गया. हमारे पीछे पीछे मरियम भी आ गयी और हम तीनों बेड पर आ गये. नाज़िया हमारे बीच में थी.
मैने नाज़िया की गर्दन के नीचे से अपना बयाँ हाथ डाल कर उससे ऐसे अपने पास किया की उसकी पीठ मेरी छाती से लग गयी और मेरा हाथ उसके सख़्त बायें मम्मे पर आ गया. उसका दूसरा मम्मा अपने दायें हाथ में लेकर दबाना शुरू किया. वो ज़ाकिया की चुदाई देखकर बहुत गरम हो चुकी थी. मेरे द्वारा मम्मों को दबाए जाने पर वो सीत्कार कर उठी और अपना हाथ मेरे सर पर लाकर मेरे सर को अपने माम्मे पर झुका लिया. मैं समझ गया और बढ़कर उसके मम्मे को अपने मुँह में ले लिया. उसका अंगूर के जैसा निपल सर उठाए खड़ा था और मेरे मुँह में आते ही मैने उसे अपने दाँतों से हल्का सा दबाया और उसकी नोके पर अपनी जीभ को फिराया तो वो तड़प उठी. उसका भरा हुआ बदन मुझे स्पर्श सुख का बहुत ही मादक एहसास करा रहा था. मरियम को मैने कहा के मेरे लंड को अपने मुँह की गर्मी से गरम करो ताकि यह नाज़िया की चूत का उद्घाटन कर सके. मरियम ने तुरंत मेरे कहे का पालन किया और आकर मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और दूसरे हाथ से मेरी गोलियों को सहलाने लगी और अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया. मेरे लंड पर उसकी जीभ ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया और मेरे खून ने मेरे शरीर में अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और वो डेकशिनेयन होकर मेरे लंड में भरने लगा. जैसे जैसे मरियम की जीभ मेरे सुपारे को चाट रही थी वैसे वैसे मेरे लंड में खून का संचार बढ़ रहा था और वो अकड़ना शुरू हो गया था.
मैने अपना एक हाथ बढ़कर मरियम के अपेक्षाकृत छ्होटे पर कड़क मम्मे को दबाया और उसको प्यार से पूछकर कर कहा कि सेवा का मेवा तुमको अभी दूँगा और आज तुम्हारी भी मस्त चुदाई करके तुमको बहुत मज़ा दूँगा. वो पूरे जोश से मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगे. मेरा लंड अब पूरी तरह से अपने स्वरूप में आ गया था और झटके खाने लगा था. मैने मरियम को रोका और कहा के अब नाज़िया की चूत को मेरे लंड के लिए तैयार करे. मरियम ने मेरा लंड अपने मुँह से एक पोप की आवाज़ के साथ निकाला और नाज़िया की चूत पर अपना मुँह टीका दिया. नाज़िया ने एक झुरजुरी ली और अपनी दोनो टाँगें खोलकर अपनी चूत उठाकर मरियम के मुँह पर चिपका दी. उधर मैं अपने दोनो हाथों में उसके दोनो मम्मों को मस्सलने लगा और साथ ही उसको डीप किस करना शुरू कर दिया. नाज़िया तेज़ी से गरम होती जा रही थी. वासना की आग ने उसके जिस्म को पूरी तरह से अपने आगोश में ले लिया था और वो च्चटपटाने लगी थी. उसने अपना मुँह मेरे मुँह से अलग करके कहा अब और कितना तडपाओगे. अब रहा नही जा रहा जल्दी से मुझे चोदो और अपने लंड से मेरी चूत की चटनी बना दो.
क्रमशः......
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