Maa ki Chudai ये कैसा संजोग माँ बेटे का
01-02-2019, 02:25 PM,
#17
RE: Maa ki Chudai ये कैसा संजोग माँ बेटे का
यह पानी की तरह सॉफ था कि मैं अपनी माँ को पाना चाहता था, उसे पाने के लिए तड़प रहा था. यह भी सॉफ था कि मैं एक ख़तरनाक खेल खेल रहा था. जिस चीज़ को मैं हासिल करने पर तुला हुआ था वो मेरी हो ही नही सकती थी. वो किसी भी कीमत पर मेरी नही हो सकती थी. और इस से भी दिलचस्प बात यह थी कि मैं चाहता था कि माँ भी मुझे उसी तरह चाहे जिस तरह मैं उसे चाहता था! मैं चाहता था उसके अंदर भी मेरे लिए वैसे ही जज़्बात हों जैसे उसके लिए मेरे अंदर थे जो शायद उसके अंदर नही थे. असलियत में वो जज़्बात उसके अंदर थे, मुझे पूरा यकीन था वो थे मगर वो उन्हे जाहिर नही कर सकती थी. यह हमारी दूबिधा थी, कशमकश थी. हमारे अंदर एक दूसरे के लिए जज़्बात थे मगर हम उन्हे एक दूसरे पर जाहिर नही कर सकते थे.


मैं जानना चाहता था कि उसके दिमाग़ में क्या चल रहा था. मैं जानना चाहता था कि वो क्या सोच रही है. मुझे पूरा आभास था मगर अंततः यह सारी अटकलबाज़ी थी. मैं सब कुछ पूरी तरह सॉफ सॉफ जानना चाहता था. उससे जानने का कोई रास्ता नही था, इस लिए हम दोनो चुपचाप टीवी देखने लगे, हमेशा की तरह. मुझे जिग्यासा हो रही थी कि शायद वो मुझसे किसी इशारे या संकेत की उम्मीद कर रही होगी. मगर फिर यह भी एक अंदाज़ा ही था, कुछ भी स्पष्ट नही था.


मैं इस बार भी उसके साथ ही ड्रॉयिंग रूम से निकला. हम मेरे रूम के आगे खड़े थे और इस बार मैं मेरे कमरे के दरवाजे की ओर बढ़ा ताकि उसे पिछली बार की तरह मुझे धकेलना ना पड़े. जब वो मेरी ओर बढ़ी और मेरे नज़दीक आई तो मेरा बदन तनाव से कसने लगा.मैं नही जानता था मैं क्या चाहता हूँ क्योंकि मुझे मालूम नही था मैं क्या पा सकता हूँ. मगर एक बात मैं पूरे विश्वास से जानता था कि मैं पहले की तुलना में ज़्यादा पाना चाहता था. मैं बुरी तरह से उत्तेजित था और मेरा लंड पत्थर के समान कठोर हो चुका था. 


मैने ध्यान दिया वो आज वोही वाला पर्फ्यूम लगाए हुए है जिसकी मैने उस दिन हमारे कमरे में तारीफ की थी. आज मैं इसे अच्छे से सूंघ सकता था क्योंकि वो उस रात के मुक़ाबले आज बिल्कुल मेरे पास खड़ी थी और वो महक मेरे अंदर कमौन्माद की जल रही ज्वाला को हवा देकर और भड़का रही थी. 


“माँ तुम्हारे बदन से कितनी प्यारी सुगंध आ रही है” मैं धीरे से फुसफसाया और अपने होंठ अच्छे से गीले कर लिए. होंठ गीले करना अब हमारे लिए आम बात थी, या मैं कह सकता हूँ कि हम उससे काफ़ी आगे बढ़ चुके थे. होंठो की नमी सुभरात्रि के चुंबन को और भी बेहतर बना देती थी, और क्योंकि इस पर अब तक माँ ने कोई एतराज़ नही जताया था, इसलिए मैने इसे हमारी दिनचर्या का अनिवार्या हिस्सा बना लिया था. मैने हमारे आलिंगन को और भी आत्मीय बनाने का फ़ैसला कर लिया था. यह माँ थी जिसने आलिंगन की सुरुआत की थी इसलिए मुझे लगा कि उसे थोड़ा सा और ठोस बनाने में कोई हर्ज नही है. 


उसे अपनी बाहों मे लेते ही उसके मम्मे मेरी छाती से सट गये और मेरे पूरे जिस्म में सनसननाट दौड़ गयी. मुझे डर था वो पीछे हट जाएगी मगर वो नही हटी. मुझे एहसास हुआ कि उसके होंठ भी पूरे नम थे इसलिए मेरा उपर वाला होंठ उसके होंठो में फिसल गया और उसका निचला होंठ मेरे होंठो में फिसल गया. मैने उसे अपनी बाहों में थामे हुए उसके होंठो पर हल्का सा दबाब बढ़ाया. उसके बदन ने एक हल्का सा झटका खाया मगर उसने मुझे हटाया नही और खुद भी पीछे नही हटी. जब उसके बदन ने झटका खाया और उसका जिस्म थोड़ा सा हिला डुला तो मैने भी उसके हिलने डुलने के हिसाब से खुद को व्यवस्थित किया. जब हम फिर से स्थिर हुए तो मैने पाया मेरा लंड उसके जिस्म में चुभ रहा था.

हम जल्द ही जुदा हो गये और वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी. मैं नही जानता था कि मेरा खड़ा लंड उसके जिस्म के किस हिस्से पे चुभा था मगर मैं इतना ज़रूर जानता था कि हमारे जिस्मो के बीच उस खास संपर्क को हम दोनो ने बखूबी महसूस किया था. उस चुभन को महसूस करने के बाद उसके मन मे कोई शक बाकी ना रहा होगा कि मैं उत्तेजित था, कि मैं उसकी वजह से उत्तेजित था, कि मैं उसके द्वारा लगाई कमौन्माद की आग में जल रहा था. 


मैने अपने जज़्बात उस पर जानबूझकर जाहिर नही किए थे, यह बस अपने आप हो गया था. यह एक संयोग था. मगर मेरा लंड बहुत कठोर था, बहुत ज़्यादा कठोर और उसका इस ओर ध्यान जाना लाज़िम था. 


उसके जाने के बाद मैं समझ नही पा रहा था कि मुझे किस तरह महसूस करना चाहिए. क्या मुझे इस बात से डरना चाहिए कि वो हमेशा हमेशा के लिए हमारे बीच दीवार खड़ी कर देगी और हमारे उस देर रातों के साथ का अंत हो जाएगा? क्या मुझे निराश होना चाहिए था कि मेरे आकड़े लंड को महसूस करने के बाद भी उसने कोई प्रतिकिरिया नही दी थी? या मुझे खुश होना चाहिए कि मेरे जज़्बात उसके सामने उजागर हो गये थे चाहे वो एक संयोग ही था. 


अगर मैं कुछ कर सकता था तो वो था आने वाले अगले दिन का इंतेज़ार. मगर अगली रात वो मेरे साथ टीवी देखने के लिए ड्रॉयिंग रूम में नही आई.
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