Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 02:02 PM,
#82
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
वसीयत में ये भी लिखा गया, कि अगर भविष्य में कल्लू से कोई और संतान किसी भी पत्नी से पैदा होती है तो वो उनकी मिल्कियत की हिस्सेदार होगी…!

सुषमा के सारी मिल्कियत की मालिक बन’ने से रंगीली ने अपना पहला दाँव चल दिया था…!

अब सुषमा के साथ-साथ सुप्रिया भी शंकर के लंड की गुलाम बन चुकी थी, दोनो भाभी ननद मौका लगते ही उसके लंड का स्वाद लेने से नही चूकती थी..,

एक रात, सुप्रिया को नींद नही आ रही थी, वो उठकर थोड़ा टहलने के लिए अपने कमरे से बाहर आई…!

उसका कमरा भी सुषमा वाले पोर्षन में ही था, गॅलरी से गुज़रते हुए वो खुले चौक में आ रही थी…!

जैसे ही वो सुषमा के बेडरूम के पास से गुज़री, तो उसे अपनी भाभी के कमरे से मादक सिसकियों की आवाज़ें सुनाई दी…!

उसने सोचा भाभी-भैया दोनो चुदाई कर रहे होंगे.., कौतूहल वश वो वहीं खड़े होकर उनकी चुदाई की बातें सुनने लगी…

तभी उसके कान में सुषमा की मादक कराह सुनाई दी.., आअहह…शंकर मेरे राजा… धीरे, एक साथ मत डाला करो.., वरना तुम्हारे बच्चे को चोट लग जाएगी..

ये शब्द सुनकर सुप्रिया के कान खड़े हो गये, और उसके मन में उनकी चुदाई को देखने की इच्छा होने लगी…!

वो साइड से उनकी खिड़की पर कान लगाकर सुनने की कोशिश में खड़ी हो गयी, उसकी कनपटी के दबाब से खिड़की का एक पाट जो पहले से ही केवल ढालका हुआ था हल्का सा खुल गया, और उसमें देखने लायक जगह बन गयी…!

सुप्रिया के मन की मुराद पूरी हो गयी, और अपनी आँखें उसने उस जगह जमा दी…!

कमरे में शंकर और उसकी भाभी दोनो निर्वस्त्र अवस्था में चुदाई में लीन थे,

शंकर उसकी भाभी को घोड़ी बनाकर पीछे से धक्के मारते हुए उसकी चुचियों को बुरी तरह मसलता जा रहा था…!

सुषमा की सिसकियों ने कमरे का वातावरण गरम कर रखा था…, ये देख कर सुप्रिया की चूत में सुर-सुराहट होने लगी…!

वो अपने नाइट सूट के पाजामे के उपर से ही अपनी चूत को सहलाने लगी…!

आहह…शंकर, मेरे राजकुमार…, मे तो गयीइ…आहह…बस करो…, आयईयी…थोड़ा सा तो रुकू मेरे राजा…, सुषमा उससे मन्नत सी करते हुए बोली..

शंकर ने ना चाहते हुए अपना सोट जैसा लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया…

पूरा खड़ा किसी मोटे खूँटे जैसा सुषमा के काम रस से भीगा हुआ लंड देख कर सुप्रिया की चूत खड़े खड़े ही टपकने लगी.., वो मन ही मन बुदबुदाई…!

सच में कितना मस्त लंड है शंकर का, इसका मतलब भाभी का गर्भ भी शंकर के लंड से ही है.., ये सोचकर उसका शरीर उत्तेजना से भर उठा, वो मन ही मन मुस्कुरा उठी,

अपने आप में ही बुदबुदाते हुए बोली - आअहह…भाभी, जल्दी ही मे भी तुम्हारी तरह अपने शंकर के बच्चे की माँ बनूँगी…उउउंम्म…ये कहकर उसने पाजामे की एलास्टिक में हाथ डालकर अपनी चूत को अपनी उंगली से कुरेद दिया…!

तभी शंकर, सुषमा को लिटाकर उसकी चूत चाटने लगा, थोड़ी सी देर में ही उसकी सिसकियाँ कमरे में फिर से गूंजने लगी..,

अब वो शंकर के उपर बैठकर कूद रही थी.., शंकर के नीचे से ही धक्कों की स्पीड देख कर सुप्रिया की साँसें चढ़ गयी, वो अपनी आँखें फाडे शंकर की चुदाई में खो गयी…!

आख़िरकार शंकर ने भी अपने वीर्य से सुषमा की ओखली को भर दिया और उसे अपने सीने से चिपका लिया…!

सुषमा उसकी चौड़ी छाती से चिपक कर किसी बच्ची की तरह उसके उपर लेटी अपनी साँसों को इकट्ठा करती रही…!

सुप्रिया को उसका बलिष्ठ शरीर किसी देव-पुरुष जैसा लग रहा था, वो इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो चुकी थी, कि अगर उसे इसी समय शंकर का लंड नही मिला तो वो पागल हो जाएगी…!

उसने मन ही मन कुछ फ़ैसला लिया, और सुषमा के दरवाजे पर जाकर हल्के से दस्तक दी…!

अपनी चुदाई की खुमारी में तृप्त दो बदन दरवाजे पर दस्तक सुनकर चोंक पड़े, सुषमा ने शंकर को चादर ओढ़ने के लिए बोला, और खुद एक गाउन पहन कर दरवाजे की तरफ बढ़ी…!

वो सोच रही थी, इस तरह की दस्तक तो रंगीली काकी ही देती हैं, वो इस वक़्त यहाँ आएँगी नही, तो फिर कॉन हो सकता है..? ये सोचते-सोचते उसने दवाजा खोल दिया…!

सामने अपनी छोटी ननद को देख कर वो एकदम से चोंक पड़ी, और उसकी तरफ प्रश्नवाचक नज़रों से देखते हुए बोली – अरे सुप्रिया तुम..? इस वक़्त यहाँ कैसे..? कोई काम था..?

सुप्रिया मुस्कराते हुए बोली – अरे..अरे..भाभी, इतने सारे सवाल, वो भी एक साथ, अंदर तो चलो बताती हूँ, पर लगता है, मेने आपको ग़लत टाइम पर डिस्टर्ब कर दिया है,, क्यों..?

सुषमा झेन्प्ते हुए.. नही नही, ऐसी बात नही है, वो मे,.. वो तुम्हें इतनी रात गये यहाँ देखा तो पुछा…

सुप्रिया कमरे के अंदर घुसने लगी, ये देख कर सुषमा की हालत खराब होने लगी, वो उसके आगे खड़ी होते हुए बोली – अरे कोई काम हो तो सुबह बता देना, अभी मुझे बहुत जोरों की नींद आ रही है…
ये कहकर उसने जानबूझकर एक लंबी सी जमहाई लेते हुए अंगड़ाई ली…!

सुप्रिया उसके बगल से निकल कर पलंग की तरफ बढ़ते हुए बोली – अरे भाभी , मुझे नींद नही आ रही थी,

आपके कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई दी, सोचा थोड़ा बहुत आपके साथ बैठकर टाइम पास कर लूँ, लेकिन आप तो लगता है मेरे आने से आप खुश नही हो, मुझे अंदर ही आने नही दे रही…!

सुषमा ने पलटकर उसकी बाजू थाम ली, और बोली – सच में मुझे बहुत जोरों की नींद आरहि है ननद रानी और कोई वजह नही है, अब जाओ प्लीज़…!

सुप्रिया ने उसके कान में फुसफुसा कर कर कहा – आप चिंता मत करो भाभी, मे किसी को कुछ बताने वाली नही हूँ…!

उसकी बात सुनकर सुषमा को बड़ा ज़ोर का झटका लगा, वो चोन्क्ते हुए बोली – तुम कहना क्या चाहती हो..? किसी को क्या बताने वाली नही हो..?

सुप्रिया अपनी मुस्कान को बरकरार रखते हुए बोली – वही, जो कुछ देर पहले आपके कमरे में हो रहा था…!

हम दोनो एक ही किश्ती में सवार हैं भाभी, बस फरक इतना है कि आप जो चाहती थी वो मिल गया है, मे अभी वो पाने की कोशिश कर रही हूँ…!

सुषमा मुँह बाए उसी को देख रही थी, सुप्रिया ने आगे कहा – अब यहीं खड़े होकर किसी और के आने का इंतेज़ार मत करो, जल्दी से गेट बंद करदो, मुझे पता है, पलंग पर चादर के नीचे शंकर है…

ये कहकर वो उस खिड़की को अच्छे से बंद करते हुए बोली – इस खिड़की का भी ध्यान रखा करो, किसी दिन आपका भंडा फोड़ देगी…!

सुषमा चूतियों सा मुँह फाडे गेट बंद करने लगी, इतने में सुप्रिया खिड़की लॉक करके पलंग पर जा बैठी, और उसने चादर हटाकर शंकर को नंगा कर दिया…!

फिर उसकी चौड़ी छाती को चूमते हुए बोली – कितना मज़ा देते हो तुम, भाभी की चुदाई देख कर मुझसे रहा नही गया, आना ही पड़ा वरना मे आज रात सो ही नही पाती…!

ये कहकर वो दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगे, सुषमा अभी भी कुछ ना समझ पाने की स्थिति में पलंग के नीचे ही खड़ी थी…!

शंकर ने बाजू से पकड़ कर उसे भी पलंग पर खींच लिया, सुप्रिया ने उसका गाउन निकाल फेंका और वो शंकर को छोड़कर उसके होंठों पर टूट पड़ी…!

सुषमा की झिझक देख कर वो बोली – बातें बाद में करेंगे भाभी, पहले मज़े करने दो, क्यों मेरे राजा जी…,

शंकर ने उसकी नाइट सूट के टॉप को उतारकर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – एकदम सही मेरी मेरी जान, पहले मज़े लो बातें बाद में…

फिर क्या था, सुषमा भी उन दोनो के साथ फिर से शामिल हो गयी, और वो तीनों एक साथ मिलकर एक ही पलंग पर खाट कबड्डी खेलने में जुट गये….!

आज बेचारे पलंग की तो शामत ही आ गई, सारी रात धक्कों की मचक झेलते-झेलते उसके सारे अंजर-पंजर ढीले पड़ गये…, गनीमत रही कि वो धराशयाई नही हुआ बस….!

शंकर कभी सुप्रिया की सवारी करता तो कभी सुषमा की, दोनो घोड़ियाँ भी रात भर उसके मूसल जैसे लंड की सवारी से हिन-हिनाती रही…!

शंकर उन दोनो को जमकर छोड़-चढ़ कर 4 बजे के करीब अपने घर चला गया, तब सुषमा ने अपनी ननद से पुछा-

ननद रानी अब बोलो, तुम्हारा कब्से शंकर के साथ चक्कर चल रहा है..?
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