Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 02:02 PM,
#81
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर उसके मुँह की तरफ देखता ही रह गया, वो सोचने लगा कि अब ये शैतान की नानी आगे क्या बोलने वाली है…सो पुच्छ ही बैठा.. क्यों चली गयी..?

सलौनी मंद-मंद मुस्कराते हुए अपने भाई के बाजू के सख़्त मसल्स को दोनो हाथों में लेकर दबाते हुए बोली – मेरे भाई की मर्दानगी पर मर मिटी है वो…

ये कहकर वो खिल-खिला कर वहाँ से भाग गयी, शंकर अपना थप्पड़ दिखाते हुए उसके पीछे-पीछे दौड़ा…!

रुक जा शैतान की अम्मा, बहुत बातें बनाने लगी है तू, ठहर अभी खबर लेता हूँ तेरी… !

वो खिल-खिलाती हुई किसी चाचल तितली की तरह इधर से उधर उससे बचती बचाती भाग रही थी, शंकर उसके पीछे-पीछे था…!

फिर आख़िर में वो तक कर एक जगह रुक गयी और अपने घुटनों पर हाथ टिका कर झुक कर हाँफने लगी,

शंकर ने उसे पीछे से उसकी कमर में एक बाजू डालकर किसी फूल की तरह उठा लिया और उसे अपने कंधे पर डालकर उसके चुतड़ों पर प्यार भरे थप्पड़ लगाने लगा…

वो अपने पैर फड़फड़ाकर उससे छूटने का नाटक करने लगी, लेकिन अपनी बाजू उसने उसके गले में लपेटे हुए वो उस’से और ज़्यादा चिपक गयी…!

अपनी बेहन के कच्चे अमरूदो का एहसास अपने कंधे पर महसूस करके शंकर को पहली बार ये एहसास हुआ कि उसकी बेहन अब बच्ची नही है, वो अब कच्ची कली से फूल बनने की राह में है…!

अनायास ही उसका हाथ थप्पड़ देने की वजाय उसके कोमल चुतड़ों को सहलाने लगा, जो अब थोड़े से चौड़े और पीछे को निकल आए थे..,

सलौनी अपने भाई के बदन की रगड़ और उसके गान्ड को सहलाने की वजह से मस्ती में भर उठी,

मचल कर वो नीचे की तरफ खिसकी और उसके गले में झूल गयी.., इससे पहले की शंकर उसे नीचे उतारता, उसने अपने भाई के गाल को चूम लिया…!

उसकी इस हरकत से शंकर सन्न रह गया, और वो चंचल तितली हस्ती हुई वहाँ से फ़ुउरर्र्र्ररर… हो गयी….!

वो अपने गाल पर हाथ रखकर सहलाता ही रह गया………!

उधर सुप्रिया जब हवेली के चौक में पहुँची तो वहाँ उसकी बेहन प्रिया और उसकी माँ तखत पर बैठी बातें कर रहीं थी, साइड में दोनो बहुएँ खड़ी थी..

औरतों की बातों का कोई ओर-छोर तो होता नही बात में से दूसरी बात निकल आती है.., एक बार इनको खाना ना मिले तो भी चलेगा, लेकिन बातें….

अब भी उनकी बातें वही थी जिनका केंद्र बिंदु वो घटना ही थी, प्रिया बढ़ा-चढ़कर शंकर की वीरता का बखान कर रही थी, जिसका उन तीनों पर मिला जुला असर था…

जहाँ सेठानी अभी भी एक नौकर द्वारा अपने मालिक की बेटी की जान बचाना उसका फ़र्ज़ बता रही थी, वहीं सुषमा शंकर को देवता का स्वरूप मानकर चल रही थी,

वो मन ही मन अपने आप पर बड़ा गर्व महसूस कर रही थी, शंकर जैसे वीर के बच्चे की माँ बनने का उसे सौभाग्य मिल रहा है...., वो मन ही मन ईश्वर और रंगीली का धन्यवाद कर रही थी…!

वहीं लाजो को शंकर जैसे ताक़तवर नौजवान के लंड को लेने की लालसा और बल्बति होने लगी, क्योंकि अब वो अपने ससुर के लंड से संतुष्ट नही हो पा रही थी,

और वैसे भी ये आश् तो वो दोनो ही छोड़ चुके थे कि अब उनके वीर्य में बच्चा पैदा करने की शक्ति बची भी है या नही…!

लाजो को कोई ठोस प्लान बनता नज़र नही आ रहा था, उसके रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा थी शंकर की माँ रंगीली…,

उसका नाम दिमाग़ में आते ही, उसको एक झटका सा लगा, उसने तय कर लिया कि अब वो कैसे भी करके रंगीली को पटाने के कोशिश करेगी, जिसने अपने ससुर से संबंध बनाने के लिए उसे उकसाया था…!

अब तो शंकर बड़ा भी हो गया है, तो अब अगर थोड़ी कोशिश की जाए तो शायद बात बन सकती है,

इस प्लान को फाइनल करते हुए उसने रंगीली को शीशे में ढालने की ठान ली……!
सुप्रिया के वहाँ पहुँचते ही सबकी सोचों और बातों पर विराम लग गया…

उसकी चाल में लंगड़ाहट थी, जिसे देख कर सेठानी ने उससे पुछा – तू कहाँ चली गयी थी, कब्से तेरी राह देख रहे हैं हम सब…, और इस तरह लंगड़ा कर क्यों चल रही है…?

सुप्रिया – रंगीली काकी के पास थी, शंकर के हाल चाल पुछने गयी थी.., और खेतों में थोड़ा पैर मूड गया था, तो उन्होने गरम तेल की मालिश भी करदी…, क्यों कोई काम था.,..?

सेठानी – अरी, तुझे कितनी बार कहा है, नौकरों को ज़्यादा सिर चढ़ाने की दरकार नही है, उनपर अपना हुकुम चलाया जाता है समझी… लेकिन मेरी ये बात कभी तेरे मगज में नही घुसी…!

अपनी माँ की बातों पर ध्यान देने की वजाय, प्रिया ने पुछा – कही चोट तो नही लगी उसे…?

सुप्रिया – शरीर पर तो कहीं चोट नही है, पर माँ की बातों से शायद उनकी आत्मा पर ज़रूर चोट लग सकती है…!

सेठानी – ये तू अपनी माँ से किस तरह से बात कर रही है, मुझे दुनियादारी मत सीखा, सब जानती हूँ इन नौकरों की जात, ये ऐसे ही कामों के लिए होते हैं…!

प्रिया – बस करो माँ, शायद तुम्हें ये अंदाज़ा नही है कि उसने कितना बड़ा अहसान किया हैं हमारे उपर…!

आपकी बेटी की जान बचाने के लिए साक्षात मौत से भिड़ गया था वो, जिस सांड़ पर लाठियों की मार से कोई फरक नही पड़ता है, उसे उसने अपनी ताक़त के बल पर धूल चटा दी थी…!

उसका अहसान मानने की वजाय कम से कम इस तरह की जली कटी बातें तो मत करो..!

सेठानी – ये तू कह रही है..? कल तक तो तू मुझसे भी ज़्यादा इन लोगों से चिढ़ती थी.

प्रिया – वो मेरी सबसे बड़ी भूल थी, नौकर भी इंसान होते हैं, और फिर शंकर तो हमारा खास नौकर है, पिताजी ने उसे ऐसे ही देखभाल का भार नही सौंप दिया है…

ये दूसरा चान्स है जब उसने हम लोगों पर इतना बड़ा अहसान किया है, हमें उसकी इज़्ज़त करनी चाहिए…!

इस तरह की बहस के बाद भी जब सेठानी के तेवर नही बदले तो एक-एक करके वो चारों उसे अकेली छोड़कर चली गयी, वो अकेली वहाँ बैठी बुद-बुदाती रही…!

वहाँ से निकल कर प्रिया ने सुप्रिया का हाथ पकड़ा और बोली – चल मेरे साथ…
सुप्रिया – कहाँ..?

प्रिया – मुझे शंकर से मिलना है अभी…, कहाँ मिलेगा वो..?

सुप्रिया – मे तो उसे अपने घर में ही छोड़कर आई थी, अब पता नही कहाँ होगा..?

प्रिया लगभग दौड़ती हुई हवेली के पीछे शंकर के घर की तरफ चल दी.., सुप्रिया मुस्कुराती हुई अपने कमरे में आ गई…!

वो आज बहुत खुश थी, थोड़ी चाल में लंगड़ाहट थी, लेकिन उसकी उसे कोई परवाह नही थी, आज उसने वो पा लिया था जिसे पाने का हक़ हर औरत को होता है…!

वो इस बात से भी ज़्यादा खुश थी कि शंकर ने हर संभव उसका साथ देते रहने का वचन भी दे दिया है.., अब वो अपने गान्डु पति को वजाय कोसने के धन्यवाद दे रही थी…!

उधर प्रिया दौड़ती हुई जब शंकर के घर पहुँची तो वहाँ उसे बस सलौनी मिली, जब उसने शंकर के बारे में पुछा तो उसने बताया कि वो तो अभी-अभी खेतों की तरफ निकल गया…!

वो वहाँ एक पल भी नही रुकी, और लगभग दौड़ते हुए खेतों की तरफ चल दी, पीछे से सलौनी के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ गयी, और अपने ही आप से बुद बुदाति हुई बोली…

लो एक गयी, अब दूसरी आ गयी, वाह भैया… क्या किस्मत पाई है तूने…!

उधर प्रिया जैसे ही हवेली के मेन गेट से बाहर आई, उसे कुछ दूर शंकर किसी शेर जैसी चाल से चलता हुआ खेतों की तरफ जाता दिखाई दिया…!

उसने अपनी गति और बढ़ा दी, वो इस समय एक लोंग स्कर्ट और टाइट सा कुर्ता पहने हुए थी, जिसमें दौड़ने की वजह से उसके 34 डी साइज़ के बूब्स उपर नीचे हो रहे थे…!

उसके मदमस्त यौवन को यूँ छलकते देख कर लोगों की नज़रें उस पर जम गयी.., कुछ देर में ही वो उसके अत्यंत नज़दीक पहुँच गयी, और पीछे से उनसे पुकारा – शंकर…, रूको…!

प्रिया की आवाज़ कानों में पड़ते ही वो वहीं रुक गया, मुड़कर पीछे देखा तो वो उसके पीछे दौड़ी चली आ रही थी, शंकर की नज़र उसकी हिलती हुई चुचियों पर जम गयी…!

वो उसके सामने जाकर अपने घुटनों पर हाथ रख कर झुक गयी, और लंबी-लंबी साँसें भरने लगी…

झुकने से उसके गोल-गोल दूधिया उभर कुर्ते के चौड़े गले से काफ़ी अंदर तक अपनी भौगौलिक स्थिति को दर्शाने लगे…,

उसकी एकदम गोल-गोल, मोटी और गोरी-चिटी चुचियों की छटा देखकर शंकर का लंड अपना सिर उठाने लगा, उसने उससे पुछा –

क्या हुआ दीदी, इस तरह से भागते हुए क्यों आ रही हो..?

प्रिया ने ऐसे ही झुके हुए ही अपना मुँह शंकर की तरफ उठाया, उसे अपने उभारों को ताकते हुए देख कर वो अंदर तक सिहर गयी, उसकी नज़रों का स्पर्श पाकर उसके निपल कड़क हो उठे…!

उसने मन ही मन मुस्कराते हुए कहा – मे तुम्हें ही ढूँढ रही थी, कहाँ जा रहे हो…?

शंकर – क्यों .. कोई काम था मुझसे…?

वो सीधी खड़ी हुई, और हल्की सी मुस्कान के साथ उसने उसका हाथ पकड़ा और बोली – चलो मेरे साथ, तुमसे मुझे कुच्छ बात करनी है, मेरी जान बचाने के बाद तो तुम दिखे ही नही…!

वो उसके पीछे-पीछे वापस हवेली के अंदर चल दिया…!

प्रिया उसकी हवेली के अंदर ले जाने की वजाय, अपनी तीन मंज़िला हवेली की छत पर ले गयी, जहाँ एक लंबा-चौड़ा तखत पड़ा हुआ था, उसने उसे उसपर बिठाया, और खुद उसके बगल में बैठ गयी…!

अभी भी उसकी साँसें फूली हुई थी, जिससे उसके वक्ष अभी भी उपर नीचे हो रहे थे…!

शंकर ने उसके सुर्ख पड़ चुके चेहरे पर नज़र जमाकर कहा – हां दीदी, बोलिए क्या बातें करनी थी आपको मुझसे…?

प्रिया ने बड़े प्यार से शंकर का हाथ अपने हाथ में लिया, और उसे दूसरे हाथ से सहलाते हुए बोली – तुमने मेरी जान बचाकर बहुत बड़ा अहसान किया है शंकर,

मे आज तक दूसरे नौकरों की तरह तुम्हें और तुम्हारी माँ को बुरा भला बोलती रहती थी, इसके बबजूद भी तुमने अपनी जान जोखिम में डालकर मुझे बचाया…

उसके लिए मे तुम्हें थॅंक्स भी नही कह पाई, हो सके तो मेरी ग़लतियों के लिए मुझे माफ़ कर देना मेरे भाई, ये कहकर उसने अपना सिर उसके कंधे से टिका लिया !

शंकर तो बस मूक्दर्शक बना उसके सुंदर गोल-मटोल चेहरे को ही निहारे जा रहा था, उसकी बात सुनकर उसने अपना दूसरा हाथ उसके हाथों पर रखा और शालीनता भरे स्वर में बोला –

ये तो मेरा फ़र्ज़ था दीदी, और आपकी वो डाँट-डपट एक मालकिन की थी अपने नौकर के लिए, इसमें आपको माफी माँगने की कोई ज़रूरत नही है…!

आप सच मानो, मेने आपकी बात का कभी बुरा नही माना, क्योंकि मे अपनी हैसियत से बफ़िक हूँ…!

प्रिया उसके और नज़दीक खिसक गयी, अब दोनो की जांघें आपस में जुड़ चुकी थी, फिर उसने झिझकते हुए शंकर के गाल पर एक किस कर लिया, और खुद ही शर्म से नज़रें नीची करके बोली –

आज मेरी नज़रों में तुम्हारी हैसियत बहुत बढ़ गयी है शंकर, बहुत उँचा कद हो गया है तुम्हारा.., हो सके तो मेरी पुरानी ग़लतियों को भूलकर मुझे माफ़ कर देना…!

अपने गाल पर प्रिया के सुर्ख होंठों का स्पर्श पाकर शंकर का शरीर अंदर तक झन-झना गया, वो उसके चेहरे पर अपनी नज़रें जमाए बोला –

प्लीज़ दीदी, अब आप यूँ बार-बार मुझसे माफी मत मांगिए, मेरे दिल में आपके लिए कभी कोई दुश्विचार नही थे…!

ये कहकर शंकर अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ, और बोला – आप अपना ख्याल रखिए, मे चलता हूँ…!

प्रिया ने उसका हाथ पकड़ लिया, शंकर ने पलट कर उसकी तरफ देखा, वो भी उसके सामने अपनी नज़रें झुकाए खड़ी थी, अपनी तेज-तेज चलती साँसों पर काबू पाने की कोशिश करते हुए बोली –

कल में अपने घर जा रही हूँ, क्या तुम मेरे यहाँ घूमने आओगे…?

मालिक की अग्या मिल गयी तो ज़रूर आउन्गा.., ये कहकर वो वहाँ से चला गया, पीछे प्रिया उसे जाते हुए देखती रही…! वो उसकी मर्दानगी पर मर मिटी थी,

दूसरे दिन प्रिया अपने घर के लिए विदा हो गयी, सुप्रिया ने कुछ दिन रहने का फ़ैसला लिया, और उसने अपनी बेहन के साथ जाने से मना कर दिया…!

उन दोनो की ससुराल एक ही शहर में हैं, दोनो के घर भी एक दूसरे से ज़्यादा दूरी पर नही है,

प्रिया अपनी खुद की गाड़ी से आई थी ड्राइवर के साथ और सुप्रिया भी उसी के साथ आई थी…

जाने से पहले प्रिया ने अपने पिताजी से कहा – पिताजी, सुप्रिया को अकेला मत भेजना, शंकर उसे छोड़ने चला जाएगा, इसी बहाने मेरा घर भी देख लेगा, क्योंकि वो अब इतना ज़िम्मेदार हो गया है कि सबका ख़याल रख सके, तो उसका आना-जाना भी लगा ही रहेगा…!

लाला जी को अपनी बेटी की बात जँची, उन्हें शंकर की क्षमताओं पर अटूट विश्वास होता जा रहा था…, वहीं अपने सगे बेटे कल्लू पर से उठता जा रहा था…!

कल्लू की हरकतों से दिनो-दिन वो खीजते जा रहे थे, अब उन्हें सुषमा का फ़ैसला सही लगने लगा था, और दिल से वो सुषमा को ये ज़िम्मेदारी सौंपने को तैयार हो गये…!

उन्होने वकील को बुलाकर सारे दस्तावेज़ पर साइन करके, अपनी सारी मिल्कियत की मालिक सुषमा को बना दिया, और खुद ने उसके रख रखाब का जिम्मा जैसे पहले था ज्यों का त्यों ही रहने दिया…!
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10-16-2019, 02:02 PM,
#82
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वसीयत में ये भी लिखा गया, कि अगर भविष्य में कल्लू से कोई और संतान किसी भी पत्नी से पैदा होती है तो वो उनकी मिल्कियत की हिस्सेदार होगी…!

सुषमा के सारी मिल्कियत की मालिक बन’ने से रंगीली ने अपना पहला दाँव चल दिया था…!

अब सुषमा के साथ-साथ सुप्रिया भी शंकर के लंड की गुलाम बन चुकी थी, दोनो भाभी ननद मौका लगते ही उसके लंड का स्वाद लेने से नही चूकती थी..,

एक रात, सुप्रिया को नींद नही आ रही थी, वो उठकर थोड़ा टहलने के लिए अपने कमरे से बाहर आई…!

उसका कमरा भी सुषमा वाले पोर्षन में ही था, गॅलरी से गुज़रते हुए वो खुले चौक में आ रही थी…!

जैसे ही वो सुषमा के बेडरूम के पास से गुज़री, तो उसे अपनी भाभी के कमरे से मादक सिसकियों की आवाज़ें सुनाई दी…!

उसने सोचा भाभी-भैया दोनो चुदाई कर रहे होंगे.., कौतूहल वश वो वहीं खड़े होकर उनकी चुदाई की बातें सुनने लगी…

तभी उसके कान में सुषमा की मादक कराह सुनाई दी.., आअहह…शंकर मेरे राजा… धीरे, एक साथ मत डाला करो.., वरना तुम्हारे बच्चे को चोट लग जाएगी..

ये शब्द सुनकर सुप्रिया के कान खड़े हो गये, और उसके मन में उनकी चुदाई को देखने की इच्छा होने लगी…!

वो साइड से उनकी खिड़की पर कान लगाकर सुनने की कोशिश में खड़ी हो गयी, उसकी कनपटी के दबाब से खिड़की का एक पाट जो पहले से ही केवल ढालका हुआ था हल्का सा खुल गया, और उसमें देखने लायक जगह बन गयी…!

सुप्रिया के मन की मुराद पूरी हो गयी, और अपनी आँखें उसने उस जगह जमा दी…!

कमरे में शंकर और उसकी भाभी दोनो निर्वस्त्र अवस्था में चुदाई में लीन थे,

शंकर उसकी भाभी को घोड़ी बनाकर पीछे से धक्के मारते हुए उसकी चुचियों को बुरी तरह मसलता जा रहा था…!

सुषमा की सिसकियों ने कमरे का वातावरण गरम कर रखा था…, ये देख कर सुप्रिया की चूत में सुर-सुराहट होने लगी…!

वो अपने नाइट सूट के पाजामे के उपर से ही अपनी चूत को सहलाने लगी…!

आहह…शंकर, मेरे राजकुमार…, मे तो गयीइ…आहह…बस करो…, आयईयी…थोड़ा सा तो रुकू मेरे राजा…, सुषमा उससे मन्नत सी करते हुए बोली..

शंकर ने ना चाहते हुए अपना सोट जैसा लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया…

पूरा खड़ा किसी मोटे खूँटे जैसा सुषमा के काम रस से भीगा हुआ लंड देख कर सुप्रिया की चूत खड़े खड़े ही टपकने लगी.., वो मन ही मन बुदबुदाई…!

सच में कितना मस्त लंड है शंकर का, इसका मतलब भाभी का गर्भ भी शंकर के लंड से ही है.., ये सोचकर उसका शरीर उत्तेजना से भर उठा, वो मन ही मन मुस्कुरा उठी,

अपने आप में ही बुदबुदाते हुए बोली - आअहह…भाभी, जल्दी ही मे भी तुम्हारी तरह अपने शंकर के बच्चे की माँ बनूँगी…उउउंम्म…ये कहकर उसने पाजामे की एलास्टिक में हाथ डालकर अपनी चूत को अपनी उंगली से कुरेद दिया…!

तभी शंकर, सुषमा को लिटाकर उसकी चूत चाटने लगा, थोड़ी सी देर में ही उसकी सिसकियाँ कमरे में फिर से गूंजने लगी..,

अब वो शंकर के उपर बैठकर कूद रही थी.., शंकर के नीचे से ही धक्कों की स्पीड देख कर सुप्रिया की साँसें चढ़ गयी, वो अपनी आँखें फाडे शंकर की चुदाई में खो गयी…!

आख़िरकार शंकर ने भी अपने वीर्य से सुषमा की ओखली को भर दिया और उसे अपने सीने से चिपका लिया…!

सुषमा उसकी चौड़ी छाती से चिपक कर किसी बच्ची की तरह उसके उपर लेटी अपनी साँसों को इकट्ठा करती रही…!

सुप्रिया को उसका बलिष्ठ शरीर किसी देव-पुरुष जैसा लग रहा था, वो इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो चुकी थी, कि अगर उसे इसी समय शंकर का लंड नही मिला तो वो पागल हो जाएगी…!

उसने मन ही मन कुछ फ़ैसला लिया, और सुषमा के दरवाजे पर जाकर हल्के से दस्तक दी…!

अपनी चुदाई की खुमारी में तृप्त दो बदन दरवाजे पर दस्तक सुनकर चोंक पड़े, सुषमा ने शंकर को चादर ओढ़ने के लिए बोला, और खुद एक गाउन पहन कर दरवाजे की तरफ बढ़ी…!

वो सोच रही थी, इस तरह की दस्तक तो रंगीली काकी ही देती हैं, वो इस वक़्त यहाँ आएँगी नही, तो फिर कॉन हो सकता है..? ये सोचते-सोचते उसने दवाजा खोल दिया…!

सामने अपनी छोटी ननद को देख कर वो एकदम से चोंक पड़ी, और उसकी तरफ प्रश्नवाचक नज़रों से देखते हुए बोली – अरे सुप्रिया तुम..? इस वक़्त यहाँ कैसे..? कोई काम था..?

सुप्रिया मुस्कराते हुए बोली – अरे..अरे..भाभी, इतने सारे सवाल, वो भी एक साथ, अंदर तो चलो बताती हूँ, पर लगता है, मेने आपको ग़लत टाइम पर डिस्टर्ब कर दिया है,, क्यों..?

सुषमा झेन्प्ते हुए.. नही नही, ऐसी बात नही है, वो मे,.. वो तुम्हें इतनी रात गये यहाँ देखा तो पुछा…

सुप्रिया कमरे के अंदर घुसने लगी, ये देख कर सुषमा की हालत खराब होने लगी, वो उसके आगे खड़ी होते हुए बोली – अरे कोई काम हो तो सुबह बता देना, अभी मुझे बहुत जोरों की नींद आ रही है…
ये कहकर उसने जानबूझकर एक लंबी सी जमहाई लेते हुए अंगड़ाई ली…!

सुप्रिया उसके बगल से निकल कर पलंग की तरफ बढ़ते हुए बोली – अरे भाभी , मुझे नींद नही आ रही थी,

आपके कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई दी, सोचा थोड़ा बहुत आपके साथ बैठकर टाइम पास कर लूँ, लेकिन आप तो लगता है मेरे आने से आप खुश नही हो, मुझे अंदर ही आने नही दे रही…!

सुषमा ने पलटकर उसकी बाजू थाम ली, और बोली – सच में मुझे बहुत जोरों की नींद आरहि है ननद रानी और कोई वजह नही है, अब जाओ प्लीज़…!

सुप्रिया ने उसके कान में फुसफुसा कर कर कहा – आप चिंता मत करो भाभी, मे किसी को कुछ बताने वाली नही हूँ…!

उसकी बात सुनकर सुषमा को बड़ा ज़ोर का झटका लगा, वो चोन्क्ते हुए बोली – तुम कहना क्या चाहती हो..? किसी को क्या बताने वाली नही हो..?

सुप्रिया अपनी मुस्कान को बरकरार रखते हुए बोली – वही, जो कुछ देर पहले आपके कमरे में हो रहा था…!

हम दोनो एक ही किश्ती में सवार हैं भाभी, बस फरक इतना है कि आप जो चाहती थी वो मिल गया है, मे अभी वो पाने की कोशिश कर रही हूँ…!

सुषमा मुँह बाए उसी को देख रही थी, सुप्रिया ने आगे कहा – अब यहीं खड़े होकर किसी और के आने का इंतेज़ार मत करो, जल्दी से गेट बंद करदो, मुझे पता है, पलंग पर चादर के नीचे शंकर है…

ये कहकर वो उस खिड़की को अच्छे से बंद करते हुए बोली – इस खिड़की का भी ध्यान रखा करो, किसी दिन आपका भंडा फोड़ देगी…!

सुषमा चूतियों सा मुँह फाडे गेट बंद करने लगी, इतने में सुप्रिया खिड़की लॉक करके पलंग पर जा बैठी, और उसने चादर हटाकर शंकर को नंगा कर दिया…!

फिर उसकी चौड़ी छाती को चूमते हुए बोली – कितना मज़ा देते हो तुम, भाभी की चुदाई देख कर मुझसे रहा नही गया, आना ही पड़ा वरना मे आज रात सो ही नही पाती…!

ये कहकर वो दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगे, सुषमा अभी भी कुछ ना समझ पाने की स्थिति में पलंग के नीचे ही खड़ी थी…!

शंकर ने बाजू से पकड़ कर उसे भी पलंग पर खींच लिया, सुप्रिया ने उसका गाउन निकाल फेंका और वो शंकर को छोड़कर उसके होंठों पर टूट पड़ी…!

सुषमा की झिझक देख कर वो बोली – बातें बाद में करेंगे भाभी, पहले मज़े करने दो, क्यों मेरे राजा जी…,

शंकर ने उसकी नाइट सूट के टॉप को उतारकर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – एकदम सही मेरी मेरी जान, पहले मज़े लो बातें बाद में…

फिर क्या था, सुषमा भी उन दोनो के साथ फिर से शामिल हो गयी, और वो तीनों एक साथ मिलकर एक ही पलंग पर खाट कबड्डी खेलने में जुट गये….!

आज बेचारे पलंग की तो शामत ही आ गई, सारी रात धक्कों की मचक झेलते-झेलते उसके सारे अंजर-पंजर ढीले पड़ गये…, गनीमत रही कि वो धराशयाई नही हुआ बस….!

शंकर कभी सुप्रिया की सवारी करता तो कभी सुषमा की, दोनो घोड़ियाँ भी रात भर उसके मूसल जैसे लंड की सवारी से हिन-हिनाती रही…!

शंकर उन दोनो को जमकर छोड़-चढ़ कर 4 बजे के करीब अपने घर चला गया, तब सुषमा ने अपनी ननद से पुछा-

ननद रानी अब बोलो, तुम्हारा कब्से शंकर के साथ चक्कर चल रहा है..?
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10-16-2019, 02:02 PM,
#83
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
सुप्रिया – बस भाभी जिस दिन उसने प्रिया दीदी की जान बचाई थी…, फिर वो उसे सारी बातें डीटेल में बताती चली गयी और ये भी कि वो क्यों उसने शंकर से संबंध बनाए है..

सुषमा के बच्चे का राज तो सुप्रिया के लिए अब राज नही रहा था, सो उसने कहा –
भाभी मेरी तो मजबूरी ये है कि मेरा पति गान्डु है, उसे अपनी गान्ड की खुजली मिटाने को ही किसी का लंड चाहिए…

लेकिन आपके सामने कोन्सि मजबूरी है जो आपने शंकर का अंश अपने पेट मे पाल रखा है…!

सुषमा ने बड़ी गहरी नज़रों से उसे घूरा और बोली – क्या बता सकती हो तुम्हारे भैया का दूसरा ब्याह क्यों हुआ था…?

सुप्रिया – हां ! ताकि इस घर को वारिस मिल सके…!

सुषमा – फिर भी क्यों नही मिला, तुम्हारी छोटी भाभी अभी तक प्रेग्नेंट क्यों नही हुई, और मे ही दोबारा कैसे माँ बन गयी, जबकि मे तो इस काबिल थी ही नही..

सुप्रिया – आपका कहने का मतलब कल्लू भैया….???

सुषमा – तुम ठीक समझी, तुम्हारे कल्लू भैया भी अब नपुंसक हो चुके हैं, अपनी ग़लत आदतों की वजह से..,

वो तो शुरुआत में ही ना जाने कैसे गौरी मेरे पेट में आ गयी…, वरना वो भी नही हो पाती अगर कुछ दिन और लेट करते तो.…!

सुप्रिया – सच में भाभी, हम दोनो एक ही नाव में सवार हैं, भला हो शंकर का जो निस्वार्थ हमारी इच्छाओं का मान करते हुए अपने जीवन को दाव पर लगा रहा है…

सुप्रिया – उस दिन से जब उसने सांड़ को पटखनी दी थी, उसके ठीक पहले हम दोनो गन्ने के खेत में ही थे, तभी मेने उसे अपने मन की बात कही थी…

फिर जब मे उसके हाल-चाल जानने गयी, तो रंगीली काकी ने हम दोनो को अकेला छोड़ दिया और खुद सलौनी को लेकर वहाँ से चली गयी…, एक तरह से रंगीली काकी ने ही हमारा मिलन कराया..

वैसे भाभी मे उसे बचपन से ही चाहती हूँ, लेकिन कम उम्र होने की वजह से मेरी शादी से पहले बस मे उसे दिल ही दिल में पसंद करती थी…

सुषमा – सच में रंगीली काकी हम दोनो के लिए देवी स्वरूपा हैं, उनका बेटा तो हीरा है हीरा, अपनी माँ की इच्छा के विरूद्ध कोई काम नही करता…!

सुप्रिया – सच कह रही हो भाभी, वो दोनो माँ-बेटे ही हमारे लिए वरदान स्वरूप हैं, वरना ना जाने इस जीवन में मे कभी नारी सुख भी ले पाती या नही…!

सुषमा – वैसे तुम्हें क्या उम्मीद लगती है, अपने गर्भ को लेकर..?

सुप्रिया – शायद आ भी गया हो, क्योंकि यहाँ आने से एक हफ्ते पहले ही मेरे पीरियड्स ख़तम हुए थे.., अब तो वो डेट भी आ गयी है शायद कल या परसों की है…

अगर पीरियड्स नही आए तो समझो मेरा भी बेड़ा पार हो ही जाएगा आपकी तरह…!

सुषमा ने उसके बाजू पकड़ कर उसे अपने सीने से लिपटा लिया और रुँधे स्वर में बोली - ईश्वर करे तुम्हारी गोद भी जल्दी भर जाए…, कम से कम जीवन काटने के लिए कुछ तो सहारा हो…!

लेकिन ननद रानी जैसे ही ये बात कन्फर्म हो जाए, फ़ौरन यहाँ से रवानगी डाल देना, जिससे तुम्हारे घर वालों को कोई शक़ सूबा ना हो…!

सुप्रिया – मे भी यही सोच रही थी, दो दिन में अगर नही आया, तो मे शंकर को लेकर चली जाउन्गि…!

सुषमा ने गहरी नज़र से उसको घूरते हुए कहा – शंकर को क्यों..? उसको हमेशा के लिए साथ रखने का इरादा है क्या…? ये कहकर मुस्कराते हुए उसने उसको चिकोटी काट ली…

सुप्रिया खिल-खिलाते हुए बोली – अरे नही भाभी, वो प्रिया दीदी पिताजी से बोलकर गयी है, कि मेरे साथ शंकर को भेज देना, वो उसके घर भी घूम आएगा..!

सुषमा मुस्कराते हुए बोली – लगता है बड़ी ननद रानी की चूत भी गीली हो गयी होगी हमारे गबरू शेर को देख कर.., इस बात पर वो दोनो खिल-खिलाकर कर हँसने लगी…

फिर सुप्रिया भी अपने कमरे में आ गई, उस दिन वो दोनो ही दोपहर तक सोती रही !

उसी दिन दोपहर का काम ख़तम करके रंगीली अपने घर में लेटी हुई थी, सलौनी अभी स्कूल से नही आई थी, शंकर और रामू खेतों पर ही थे…

तभी लाजो वहाँ आ धमकी, रंगीली ने वकायदा आदर के साथ उसे बिठाया…

लाजो सकुचती हुई उससे बोली – काकी, आपके कहने से मेने पिताजी से भी अपने नाजायज़ संबंध बना लिए, लेकिन दो साल के बाद भी कोई फ़ायदा नही हुआ..,

रंगीली ने मन ही मन मुस्कराते हुए कहा – हो सकता है उनकी अब उमर हो गयी है, तो शायद अब वो आपको बच्चा देने में असमर्थ होंगे…,

आपने कल्लू भैया के साथ सोना बंद कर दिया है क्या..?

लाजो – नही तो, मे तो अब ज़्यादातर उनके साथ ही सोती हूँ, लेकिन उनसे भी कुछ नही हो पा रहा.., वो तो अब भी मुझे अधूरा ही छोड़ देते हैं…!

रंगीली – फिर बड़ी बहू उम्मीद से कैसे हो गयी…?

लाजो – यही तो मेरी समझ में नही आ रहा है…?

रंगीली – बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ छोटी बहू..! मुझे लगता है, तुम कुछ ज़्यादा ही गरम औरत हो,

जल्दी से तुम्हारा रज नही छूटता होगा, और जबतक छूट’ता होगा तब तक पुरुष के कीड़े ख़तम हो जाते होंगे…!

लाजो – क्या ऐसा भी होता है..?

रंगीली – अब मेने तो अपने गाओं में बड़ी-बुढ़ियों से यही सुना था…!

लाजो – एक बार शंकर भैया के साथ कोशिश करके देखूं तो…?

रंगीली ने थोड़ा तल्ख़ लहजे में कहा – देखो छोटी बहू, हम नौकर हैं तो इसका मतलब ये नही है, कि तुम्हारी कोई भी जायज़-नाजायज़ बात मान लेंगे…!

मे पहले भी कह चुकी हूँ, मेरे बेटे से अलग ही रहो, वो नादान है अच्छे-बुरे की पहचान नही है उसे, मे अपने बेटे को किसी मुसीबत में नही डाल सकती…!

मेरे जीवन का एकमात्र सहारा है मेरा बेटा, मे उसे खोना नही चाहती, मालिक को या किसी को भनक भी लग गयी, तो वो उसको सूली पर लटका देंगे..,

लाजो मायूस होकर बोली – तो फिर मे क्या करूँ..?

रंगीली – किसी जानकार को दिखा क्यों नही लेती, शायद कोई उपचार हो इसका..?

लाजो – आप जानती हैं किसी को…?

रंगीली – पता लगा सकती हूँ, कई औरत होती हैं जो इन बातों की जानकारी होती है उन्हें..,

लाजो – तो आप जल्दी से पता करके बताइए ना काकी, मेरी भी गोद सुनी ना रहे…!

रंगीली – भगवान करे आपको भी एक चाँद सा बेटा हो, मेरी तो यही इच्छा है..!

उसको सांत्वना देकर रंगीली ने उसे विदा किया, जब वो चली गयी तो पीछे से उसके चेहरे पर एक ऐसी मुस्कान आ गई, जिसका मतलब निकालना हर किसी के बस की बात नही थी…..!

दो दिन तक भी सुप्रिया को पीरियड्स नही आए सो उसने अपने माता-पिता को अपने लौटने के बारे में कहा – लाला जी ने शंकर को बुलाकर अपनी बेटी के साथ जाने के लिए कहा जो उसने अपनी माँ के उपर छोड़ दिया…!

रंगीली को इसमें भला क्या एतराज हो सकता था, उसे तो अपने बेटे को हर तरह से दुनियादारी सिखानी थी,

कहीं आएगा-जाएगा तो कुछ नया जानने को ही मिलेगा सो उसने सहर्ष अपनी स्वीकृति दे दी…

तीसरे दिन हसी-खुशी वो शंकर को लेकर अपनी ससुराल के लिए निकल पड़ी… जहाँ देखते हैं क्या-क्या धमाल मचाने वाला है अपना बब्बर शेर….! || रंगीली का शंकर ||

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10-16-2019, 02:41 PM,
#84
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
घर से स्टेशन तक लाला जी की बग्घी ने पहुँचा दिया, वहाँ से लोकल ट्रेन से जाना था, 70-80 किमी की दूरी ये ट्रेन घूम फिरकर 4-5 घंटे लगाती थी…

ट्रेन में ज़्यादा भीड़ भाड़ नही थी, नौकरों की मदद से सब समान अच्छे से एक खाली से कूपे में रखवा दिया, और वो दोनो प्रेमी एक खाली सीट पर बैठ गये…!

गाड़ी के चलते ही सुप्रिया, शंकर के सीने पर अपना सिर टिका कर बैठ गयी.., वो उसके चौड़े कसरती सीने को चूमकर उसे सहलाते हुए बोली –

थॅंक यू शंकर अपना पहला वादा पूरा करने के लिए…

शंकर ने प्रश्नवचक निगाहों से उसकी तरफ देखा, तो वो बोली – मे तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ,

भाभी के बाद मुझे अपना प्यार देकर तुमने दो ज़िंदगियों को बर्बाद होने से बचा लिया, मे तुम्हारा ये अहसान कभी नही उतार पाउन्गि मेरे प्यारे…

कूपे के उस भाग में उन दोनो के अलावा और कोई भी नही था, सो बिंदास शंकर ने उसे उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया, और उसके होंठों को चूमते हुए बोला –

अहसान चुकवाने के लिए नही किए जाते मेरी जान, दिल की आवाज़ सुनकर किए गये फ़ैसले निस्वार्थ होते हैं, मेने तुम्हारे उपर कोई अहसान नही किया है, तुम इसकी हक़दार थी…!

किसी का हक़ मारने वाला मे कॉन होता हूँ.., फिर तुम तो मेरे बचपन की यादों की अमिट कहानी हो जिसे मे कभी भुला नही सकता…!

सुप्रिया – सच ! क्या तुम भी मुझे चाहते थे बचपन में…?

शंकर – पता नही वो क्या था ? चाहत थी या प्यार, लेकिन जबसे मे थोड़ा बहुत संबंधों को समझने लगा, अपनी माँ और बेहन के अलावा कोई मुझे अपना सा लगता था तो वो तुम थी…!

फिर वो अपनापन बढ़ता गया, और मुझे तुम्हें हर हाल में देखते रहने की लालसा होने लगी, जब तुम शादी होकर विदा हुई तो मे बहुत उदास हो गया,

मुझे लगा, जैसे मेरे अंदर से कोई चीज़ मुझसे दूर चली गयी हो, मेरी ये हालत बहुत दिनो तक रही, जिसे शायद मेरी माँ ने समझ लिया था,

फिर समय के साथ साथ यादें धूमिल होती गयी…!

लेकिन जैसे ही उस दिन तुम हवेली में आईं, ना जाने क्यों मेरे दिल की धड़कनें बढ़ गयी, चोर निगाहों से मेने तुम्हें देखने की कोशिश की,

जैसे ही तुमसे नज़र मिली, मुझे ऐसा लगा कि मेरा दिल उछल कर मेरे हाथ में आ गया हो…, तुम्हारी मुस्कान देख कर मुझे बहुत सकुन मिला…!

सुप्रिया किसी पत्थर की मूरत बनी शंकर की बातों में खो गयी थी, उसकी बात ख़तम होते ही, वो उसके बदन से लिपट कर सुबकने लगी..,

ये उम्र, समाज, उन्च-नीच के बंधन क्यों होते हैं शंकर…? अब हम कभी जुदा नही होंगे, मे तुम्हें अब वापस नही आने दूँगी,


अपने घर से ढेर सारा पैसा लेकर हम कहीं दूर चले जाएगे, जहाँ हम तीनों के अलावा और कोई हमें रोकने – टोकने वाला ना हो…!

शंकर ने उसकी ठोडी के नीचे हाथ लगाकर उसके चेहरे को उपर किया, और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला –

तुम्हारा प्यार इतना स्वार्थी कैसे हो सकता है मेरी जान..? जानती हो उसके बाद क्या होगा…?

तुम्हारा पति ज़िल्लत की वजह से मौत को अपने गले लगा लेगा, मलिक मेरे परिवार को मिट्टी में मिला देंगे…!

तो फिर मे क्या करूँ मेरे राजा.., मे अब तुम्हारे बिना नही रह पाउन्गि, तुम्हारी जुदाई नही सह पाउन्गि मे…!

शंकर – मेने तुम्हें वादा किया है, जब भी मेरी ज़रूरत पड़े, हाज़िर हो जाउन्गा..., अब अपनों की भलाई के लिए इतना बलिदान तो करना ही पड़ेगा जान..!

ओह्ह्ह…शंकर..! तुम सबके बारे में कितना सोचते हो, ये कहकर वो उसके होंठों को चूसने लगी, शंकर भी उसका साथ देने लगा…!

दोनो के शरीर गरम होने लगे, लेकिन इससे ज़्यादा लोकल ट्रेन के कूपे में कुछ नही हो सकता था…!

कहते हैं, आदमी की अच्छाई या बुराई, हमेशा उसके चार कदम आगे चलती है,

सुप्रिया की ससुराल में उनके पहुँचने से पहले ही ये बात पहुँच गयी कि कैसे हवेली के एक नौकर ने प्रिया की जान एक सांड़ से अकेले टक्कर लेकर बचाई…!

जब प्रिया को पता चला कि आज शंकर उसकी छोटी बेहन को साथ लेकर आरहा है, तो वो उसके पूरे परिवार के साथ उसके घर पहुँच गयी…!

सुप्रिया की ससुराल में दोनो परिवारों ने शंकर का भव्य स्वागत किया.., वो बेचारा गाओं का नादान छोरा,

जो आज भी एक खड़ी की कमीज़ और ढीले-ढाले से पॅंट में, गले में लाल रंग की स्वाफी (कॉटन तौलिया) डाले उसके घर की भव्यता देख कर भौचक्का रह गया…!

ये तो उसके घर के बाहर के लॉन और उसकी पोर्च/ पार्किंग ही थी, जहाँ उसका फूल मालाओं से स्वागत किया जा रहा था,

प्रिया और उसके पति ने खुद आगे आकर उसको माला पहनकर स्वागत किया…!

फिर जैसे ही उसने उसके घर के अंदर कदम रखा, वो एक विशालकाय हॉल की भव्यता को देख कर पलकें झपकाना ही भूल गया,

चारों ओर घूम-घूम कर उसने उस हॉल का निरीक्षण किया, जिसके ठीक सामने ही किसी बहुत चौड़े रोड के बराबर की सीडीयाँ कुछ उपर तक जाती हुई, उसके बाद वो दो अलग-अलग दिशाओं में चली गयी…!

सीडीयों के दोनो तरफ बहुत ही सुंदर तरीक़े की सजावट वाली रेलिंग.., हॉल की छत तो मानो आसमान छू रही थी, जिसमें बीचो-बीच एक बहुत बड़ा फ़ानूस लटका हुआ, वो उसका नाम भी नही जानता होगा शायद…!

हॉल की भव्यता में खोया हुआ शंकर तब चोंका जब प्रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा,

प्रिया – क्या देख रहे हो शंकर…? चलो उस सोफे पर बैठो…!

वो उसकी बात समझा ही नही कि सोफा क्या होता है, जब वो उसका हाथ पकड़ कर उसे हॉल के बीचो- बीच एक गद्दी दार सोफे को देखा जिसे देख कर वो प्रिया की शकल देखने लगा…

प्रिया ने उसका हाथ पकड़ कर उसे सोफे पर बिठाया, उसे लगा मानो वो किसी जन्नत में आ गया हो, उसका पूरा पिच्छवाड़ा उस मुलायम सोफे की गद्दी में धँस गया…!

अपने दोनो तरफ हाथ रखकर वो उसे दबा-दबाकर देखने लगा, वाकी सभी लोग उसे देख कर मंद मंद मुस्करा रहे थे…

प्रिया भी उसके बाजू में बैठ गयी, तो उसने पुछा, आपका भी घर ऐसा ही है दीदी..?

प्रिया ने अपनी आँखों को छोटा करते हुए मुस्कुरा कर कहा – हां, बस थोडा सा इससे बड़ा है..!

शंकर चोन्क्ते हुए बोला – क्या..? इससे भी बड़ा…? उसने ये बात इतनी ज़ोर्से कही थी कि वहाँ पर मौजूद हर शख्स सुनकर हँसने लगा…!

खैर इतने बड़े घरानों में अपना इस तरह का स्वागत देख कर शंकर अपने अंदर गर्व महसूस कर रहा था…!

आज उसे अपनी माँ का वो त्याग और बलिदान याद आ रहा था, जो दिन-रात काम करके भी वो उसका ख़याल रखती थी, उसे इतना मजबूत बनाया था उसने,

जिसकी वजह से ही वो उस सांड़ से मुक़ाबला कर पाया था, और आज यहाँ इस घर में इतनी इज़्ज़त पा रहा था…!

फिर उसने सबसे उसका परिचय कराया, सुप्रिया की सास, ससुर उससे मिलकर बड़े खुश हुए, उसका पति श्याम, शक्ल से ही गान्डु टाइप, चिकना लंबे बाल, शर्मिला सा,

वहीं प्रिया का पति विवेक, शानदार व्यक्तित्व, लंबा-चौड़ा, चेहरे से ही एक बहुत बड़े बिज़्नेस मॅन जैसा रुआब.., उसके सास-ससुर और उसका पति शंकर से बहुत प्रभावित दिख रहे थे…
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10-16-2019, 02:41 PM,
#85
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
यहाँ आते आते शाम हो ही चुकी थी, प्रिया कल उसे लेने आने का बोलकर अपने परिवार के साथ अपने घर लौट गयी…

शंकर को सुप्रिया ने अपने पास वाले कमरे में ही ठहराया, उस रात खाने के बाद शंकर जल्दी ही सो गया,

वैसे भी गाओं में ज़्यादा देर तक कोई जागता नही है, लेकिन शहरों में 12 बजे से पहले सोते नही हैं…!

वो मुलायम गद्दे के बिस्तेर पर गहरी नींद में सोया हुआ था, तभी उसके कानों में चिड़ियाओं के चहचाने की आवाज़ सुनाई दी….,

कुछ देर वो नींद में ही कुन्मूनाता रहा, जब कुछ देर बाद फिर से वही आवाज़ सुनाई दी, उसने सोचा सबेरा हो गया, चिड़ियाँ चहचाने लगी..,

वो उठकर अपने पलग पर बैठ गया…!

तभी उसके गेट पर थप-थपाने की आवाज़ हुई…, उसने उठकर दरवाजा खोला, सामने सुप्रिया और उसके पति को देख कर वो चोंक पड़ा….!

गेट खुलते ही श्याम बोला – बहुत गहरी नींद में सोते हो शंकर, कब्से बेल बजा रहे हैं हम लोग…!

शंकर ने अंजान बनते हुए कहा – ये बैल यहाँ कहाँ से आ गये दीदी, वो तो खेतों में हल खींचते हैं नाके लिए होते हैं, बजाने के लिए तो नही सुना….!

सुप्रिया ने हँसते हुए कहा – अरे बुद्धू, वो तुमने चिड़ियों की आवाज़ सुनी थी…?

शंकर – हां, उसी आवाज़ से तो उठा हूँ,

सुप्रिया – ये इस कमरे की बेल माने घंटी, पढ़ा नही क्या.., वो ऐसे बजती है देखो.., ये कहकर उसने गेट के बाजू में लगे बिजली के स्विच को दबा कर बेल बाजाई,

कमरे में कहीं चिड़ियाँ सी चहकि, तब जाकर शंकर को समझ आया कि इस आवाज़ को सुनकर उसकी नींद खुली है…!

शंकर – तो सुवह हो गयी क्या…?

श्याम – सुवह..? अरे भाई अभी 11:30 हुए हैं, हम लोगों के सोने का टाइम अब हुआ है, और तुम सुवह होने की बात कर रहे हो,

शंकर – तो इतनी रात गये, आप लोगों ने मुझे क्यों जगाया…?

सुप्रिया – श्याम को तुमसे कुछ बात करनी थी, आओ हमारे साथ…

शंकर – कहाँ..?, उसने कहा – हमारे कमरे में, आओ तो सही…!

वो उनके पीछे पीछे उनके कमरे में आ गया…

कमरे में घुसते ही उसकी आँखें फटी रह गयी…

क्या कमरा था, खूब लंबा चौड़ा, सारी सुख सूबिधाओं से युक्त किसी 5 स्टार होटेल का सूयीट जैसा, (ये रीडर्स के लिए शंकर को नही पता 5 स्टार का सूयीट क्या होता है..)

कमरे में एक बहुत बड़ा सा पलंग, साइड में एक मिनी सोफा, सेंटर टेबल, सब कुच्छ था जो एक कपल को चाहिए…!

श्याम उसे लेकर सोफे पर बैठ गया.., और उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर सहलाते हुए बोला…!

थॅंक यू शंकर, तुमने सुप्रिया को अपना प्यार देकर हम पर बहुत बड़ा अहसान किया है, उसने मुझे सब कुछ बता दिया है, उसे माँ बनाकर तो तुमने हमें बिन मोल खरीद लिया…!

शंकर श्याम के मुँह को ताकते ही रह गया, वो सोच रहा था कि ये शायद दुनिया का पहला पति है जो अपनी पत्नी को दूसरे से चुदवा कर उसका अहसान मान रहा है, उसके बच्चे को पाकर खुद को धन्य समझ रहा है…!

श्याम उसको सोच में डूबा देख कर बोला – मे जानता हूँ तुम क्या सोच रहे हो, लेकिन सच मानो दोस्त, तुमने मेरे लिए ये बहुत बड़ा काम किया है, मेरा जीवन बचा लिया तुमने…!

मुझे तुम दोनो के इस रिश्ते से बहुत खुशी हुई है, क्योंकि मे इसे एक पति का सुख देने के लायक ही नही हूँ, ऐसे में इस बेचारी पर ज़ुल्म क्यों किया जाए, इसलिए ये अपनी मर्ज़ी की मालिक है और इसके हर फ़ैसले में मे इसके साथ हूँ…

अब में कल ही अपने मम्मी पापा को इस बच्चे के बारे में खुश खबरी सुनाता हूँ, वो तो खुशी से झूम ही उठेंगे…!

श्याम की बात सुनकर सुप्रिया झुंझला उठी और खीजते हुए बोली – तुम हर बात अपनी गान्ड के हिसाब से ही सोचते हो क्या..?

श्याम ने उसकी तरफ आश्चर्य से देखा, वो आगे बोली – अरे चोदु राम ज़रा सोचो, अभी मुझे आए हुए एक रात भी नही हुई, और तुम उन्हें कल ही ये बात बताओगे, तो वो लोग क्या सोचेंगे..?

जिस बात को पता लगने में कम से कम 1 से 1.5 महीना लगता है वो 1 रात में कॉन मान लेगा…!

सुप्रिया की बात समझ में आते ही श्याम झेन्प्ते हुए बोला – ओह्ह.. सॉरी बेबी, तुम सही कहती हो, सच में मेरे अंदर इन सब बातों को समझने लायक दिमाग़ ही नही है…!

वो आगे बोला - खैर अब मेरी एक रिक्वेस्ट और पूरी करदो शंकर…, तुम एक बार मेरे सामने सुप्रिया के साथ सेक्स करो, मे देखना चाहता हूँ, तुम इसको कैसे चोदते हो…!

शंकर उसकी ये बात सुनकर बुरी तरह चोंक गया.., जब उसने बहुत देर तक कोई रेस्पॉन्स नही दिया, तो श्याम ने उसका हाथ पकड़कर उसे पलंग पर ले आया जहाँ सुप्रिया एक मिनी गाउन में अपने घुटने मोड़ कर बैठी थी…!

शंकर को पलंग पर बिठाकर वो खुद सोफे पर आकर बैठ गया, सुप्रिया पहल करते हुए वो शंकर की गोद में आकर बैठ गयी…

क्योंकि वो जानती थी कि शंकर कितना ही दिलेर और ताक़तवर सही, इतना बेगैरत नही है कि एक औरत को उसी के पति की आँखों के सामने चोद दे…!

उसकी गोद में बैठकर अपनी बाहें उसके गले में डाल दी, और उसके होंठों को चूमकर बोली – श्याम की इचा पूरी करो शंकर,

शंकर – लेकिन दीदी मे इनके सामने आपके साथ...कैसे……!

सुप्रिया ने फिर से अपने होंठ उसके मुँह से चिपका कर बोलने से रोक दिया, चूमने के बाद बोली – अब दीदी कहना बंद करो डार्लिंग, तुम मेरी जान हो, ये कहकर उसने अपना गाउन उतार कर फेंक दिया…

अब वो मात्र अपनी टाइनी सी ब्रा और पैंटी में ही थी, पैंटी जो पीछे से एक डोरी सी उसकी गान्ड की दरार में फँसी हुई थी, आगे से चूत को ढकने वाली जगह भी जालीदार थी…!

उसने शंकर की कमीज़ को भी निकाल दिया, और अपने बदन को उसके शरीर के साथ रगड़ते हुए उसे उकसाते हुए बोली – कम ऑन राजा.., दिखा दो अपने लंड की ताक़त मेरे गान्डु पति को…!

इतना ही नही उसने उसे धक्का देकर पलंग पर लिटा दिया, और उसके पाजामे को भी उसके बदन से अलग करके उसके अंडरवेर के उपर से ही उसके आधे खड़े लंड को मसल्ने लगी…
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10-16-2019, 02:41 PM,
#86
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
अभी तक शंकर ने अपनी तरफ से कोई पहल नही की, वो बस सुप्रिया की हरकतों को देखे जा रहा था…!

सुप्रिया उसके उपर लेट गयी, अपनी छोटी-छोटी चुचियों को ब्रा के उपर से ही शंकर की कठोर छाती से रगड़ती हुई उसके होंठों को चूसने लगी..,

जब फिर भी उसने अपनी तरफ से कोई रिक्षन नही दिया, तो वो उसकी आँखों में झाँक कर बोली – क्या अपनी रानी की प्यास नही बुझाओगे मेरे राजा…?

शंकर ने पहली बार उसकी बात का जबाब देते हुए कहा – मुझे इतना बेगैरत मत बनाओ सुप्रिया, मे तुम्हारे पति के सामने तुम्हारी प्यास नही बुझा सकता…!

शंकर की बात सुनकर उसने श्याम से कहा – वेल श्याम.., तुम ज़रा दूसरे रूम चले जाओ प्लीज़..!

श्याम – बट डार्लिंग, मे तुम दोनो को सेक्स करते हुए देखना चाहता था,

सुप्रिया ने उसकी तरफ आँख मारते हुए इशारा किया और बोली – तुम्हारी ये इच्छा फिर कभी पूरी कर देंगे, अभी तुम जाओ यहाँ से…!

श्याम उसका इशारा समझ कर शंकर वाले रूम में जाते हुए बोला – ओके, यू एंजाय सेक्स…!

जाते-जाते वो दरवाजे को थोड़ा सा खुला छोड़ कर बाहर निकल गया…! शंकर उनकी चाल को भली भाँति समझ गया था,

लेकिन फिर भी वो एक अंजान दीवार बनाना चाहता था.., छुपकर कोई भी देखे उससे उसको कोई फरक नही पड़ता.., लेकिन सामने किसी को तमाशबीन बनकर वो अपने पौरुष को नही दिखाना चाहता था…!

श्याम के कमरे से बाहर जाते ही शंकर ने सुप्रिया को पलट कर अपने नीचे ले लिया, और उसके होंठों पर टूट पड़ा..,

दो सेकेंड में ही उसका लंड खूँटे की तरह अकड़कर खड़ा हो गया, जो अब किसी भी कठोर से कठोर ज़मीन को चीर कर उसमें छेद कर सकता था…!

उसने सुप्रिया की ब्रा को खींचकर उसके गोरे बदन से अलग कर दिया, और उसकी चुचियों को मसल्ते हुए उसके निप्प्लो को मरोड़ दिया…!

सुप्रिया उसके अटॅक से बुरी तरह बिल-बिला उठी, लंबी-लंबी सिसकियाँ लेते हुए उसकी चूत का रस पैंटी की जाली से छन-छन कर रिसने लगा..!

वो उसके बदन के नीचे से किसी मछलि की तरह फिसलकर बाहर आ गई, और उसके अंडरवेर को भी निकाल फेंका…

औंधे मुँह पड़े शंकर के कसरती कठोर कुल्हों पर बैठकर अपनी चूत को रगड़ते हुए वो उसकी पीठ पर सवार हो गयी…और उसकी पीठ पर अपनी चुचियों को रगड़ते हुए उसने शंकर के कंधे पर अपने दाँत गढ़ा दिए…!

शंकर आहह..भरते हुए पलट गया, जिससे वो उसके बाजू में लुढ़क गयी, उसने पलटी खाते हुए फिर से सुप्रिया के नाज़ुक बदन को अपने नीचे ले लिया, और उसकी चुचियों को बुरी तरह से मसल्ने और चूसने लगा…!

आअहह…..शंकरर्र…..मेरि…जाअंन्न….सस्सिईईई….चुसूओ…रजाअ… खा..जाऊ..इनको…बहुत सताते हैं…यी…,

कमरे का वातावरण इतना कामुक हो चुका था, कि बाहर खड़ा श्याम ये सब देखकर हैरान रह गया…,

उसने कभी सपने में भी नही सोचा था कि उसकी नाज़ुक सी दिखने वाली पत्नी, इस खेल में इतना सब कुछ कर सकती है…

जब उसकी नज़र शंकर के फन्फनाते हुए नाग पर पड़ी, जिसे देखकर उसकी गान्ड में चिंतियाँ सी रेंगने लगी,

अपनी गान्ड की खुजली के वशीभूत होकर उसने लोवर उतारकर अपनी गान्ड को पीछे उभार दिया, और अपनी दो उंगली एक साथ अपनी गान्ड में डाल ली…!

शंकर के लंड को देखकर श्याम का मन उसे चूसने का होने लगा, वो उसे अपनी गान्ड में फील करना चाहता था..,

उसने आज तक जितने भी लंड अपनी गान्ड में लिए थे वो इसके सामने बौने नज़र आने लगे…!

उधर शंकर ने अपने नाग का फन पकड़कर उसे सुप्रिया के मुँह में डाल दिया, वो उसे मुश्किल से आधे तक अपने मुँह में ले पा रही थी..,

बाहर खड़ा श्याम अपने होंठों पर जीभ फिरा कर अपनी लार टपका रहा था…

कुछ देर के बाद उसने अपना लंड सुप्रिया के मुँह से निकाल लिया, वो एकदम कड़क बबूल के डंडे की तरह उसकी लार से चमक रहा था…!

अब शंकर सुप्रिया की टाँगों के बीच आकर बैठ गया, उसने पैंटी के उपर से ही उसकी गीली चूत के सहलाया, और फिर उस छोटी सी गीली चूत को अपने बड़े से हाथ में भींच लिया…!

सुप्रिया बुरी तरह से सिसकती हुई उसकी कमर हवा में लहरा उठी…सस्स्सिईईई….. आआहह…म्माआ….माअरीइ…….,

अब शंकर ने उसको पलटा दिया, और उसके गोल-गोल नितंबों पर चान्टे मारकर उसकी पैंटी की डोरी को उसकी गान्ड से बाहर करके एक साइड में किया, और कमर को उचका कर अपना मुँह उसकी गान्ड की दरार में डाल दिया…!

शंकर की जीभ को अपनी गान्ड के छेद पर महसूस करते ही सुप्रिया की वासना चरम पर पहुँच गयी, वो अपनी गान्ड को उसके मुँह पर दबाकर कराहते हुए बोली ….

आअहह…सस्सिईइ…अब बस करो रजाअ… और कितना तडपाओगे अपनी रानी को..? डाल भी दो अब अपना मूसल मेरी चूत में..,

शंकर पर उसकी फरियाद का कोई असर नही हुआ, और उसने अपनी जीभ का सफ़र और आगे बढ़ाते हुए उसकी मुनिया की फांकों तक पहुँचा दिया…, अपनी झीभ की नोक को चूत में अंदर तक घुसाते हुए उसे चोदने लगा…!

हाथ के अंगूठे से जैसे ही उसके भज्नासे को मसला.., सुप्रिया की चूत ने अपना रस छोड़ दिया…, वो बुरी तरह सिसकते हुए झड़ने लगी…!

सुप्रिया झड़ने के बाद, पलटकर किसी बिल्ली की तरह झपट्टा मारकर घुटनों पर बैठे शंकर की गोद में बैठ गयी, और उसके होंठों को चूस्ते हुए बोली –

बहुत जालिम हो तुम, ज़रा भी रहम नही करते अपनी रानी पर.., कितना सताते हो..?

शंकर ने उसके निप्प्लो को सहलाते हुए पुछा – क्यों तुम्हें मज़ा नही आया..?

सुप्रिया ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में कसते हुए कहा – किसी दिन मज़े के मारे मेरी जान ही ना अटकी रह जाए, इतना मज़ा है तुम्हारी हरकतों में कि क्या कहूँ..,

फिर वो उसकी आँखों में झँकते हुए मुस्कुरा कर बोली – अब तो डाल दो इसे.., मेरी चूत कब्से आँसू बहा रही है…!

शंकर ने भी मुस्कराते हुए उसे लिटा दिया, और उसकी टाँगों को अपनी मजबूत जांघों पर चढ़ाकर अपने दहक्ते हुए सुपाडे को उसकी चूत के मुँह पर रख कर हल्का सा दबाते हुए कहा –

जो हुकुम मेरे आका…, ये कहकर एक जोरदार धक्का उसकी चूत में लगा दिया…

सरसरात्ताआआअ..हुआ लंड गीली चूत में तीन चौथाई तक समा गया, सुप्रिया के फरिस्ते कून्च कर गये, दर्द से उसकी आँखों में पानी आ गया…

कराह कर बोली ….आआईयईई….जालिम.. धीरे डाला कर…., ये तेरी रानी की चूत है, भूसे का ढेर नही….!
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10-16-2019, 02:41 PM,
#87
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने प्यार से उसके होंठों को चूमा और उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – पता नही मुझे क्या हो जाता है, जब भी लंड चूत के मुँह पर पहुँचता है, फिर सबर नही होता मुझसे…!

सुप्रिया ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – कोई बात नही, अब थोड़ा आराम आराम से शुरू करो… आहह… कितना कस गया है…, बाहर भी नही खिंच रहा…!

शंकर – हां मेरी जान, पता नही इतने दिनो बाद भी तुम्हारी चूत मेरे लंड को बुरी तरह से जकड लेती है.., बहुत मज़ा आता है मुझे तुम्हें चोदने में…

तो फिर चोदो मेरे राजा… मेरे शंकर…, फाड़ दो अपनी रानी की चूत को, बना लो उसे अपनी रांड़…, आअहह… ऐसे ही ..

उन दोनो की चुदाई का लाइव शो देख कर श्याम की हालत बद से बदतर होती जा रही थी, उसे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नही हो पा रहा था,

किसी गुड़िया जैसी दिखने वाली उसकी पत्नी, शंकर जैसे बलिष्ठ आदमी के सॉट जैसे लंड को इतनी बुरी तरह से कैसे झेल पा रही है…

यही नही वो उसे और ज़ोर्से पेलने के लिए उकसाती भी जा रही थी…, श्याम को अपनी गान्ड में खुजली बढ़ती हुई लगने लगी, और वो अपनी उंगलियों को तेज़ी से अपनी गान्ड में अंदर बाहर करने लगा…!

अंदर सुप्रिया एक बार झड चुकी थी, लेकिन शंकर के धक्कों में कोई कमी नही आई.., फिर सुप्रिया ने कहा –

अब में उपर आती हूँ राजा, ऐसे थक गयी, तो शंकर ने खुद लेटकर उसे अपनी उपर बिठा लिया.., वो अपनी गान्ड रख कर शंकर के लंड पर बैठ गयी..,

धीरे-धीरे कूदने से शंकर का मज़ा खराब हो रहा था, सो उसने उसकी गान्ड के नीचे अपने हाथ लगाकर उसे हवा में टाँग लिए, और खुद नीचे से कमर उचका-उचककर उसे तेज़ी से चोदने लगा….!

धक्कों की गति के आगे सुप्रिया बिल-बिला उठी, वो आअहह…उउउहह…सस्सिईइ…आआयईी.. जैसे शब्द अपने मुँह से निकाल कर उसके उपर झुक गयी, और शंकर के होंठों को चूस्ते हुए चुदाई का भरपूर आनंद उठाने लगी…,

करीब आधे घंटे की दमदार चुदाई के बाद शंकर ने अपना कुलाबा खोला और सुप्रिया की ओखली को लबालब भर दिया.

वो उसके उपर पड़ी बुरी तरह से हाँफ रही थी…,

वो दोनो ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे आँखें बंद करके कुछ पलों पहले आए तूफान के बाद की शांति को महसूस कर रहे थे, लंड अभी भी चूत में ही था..

तभी सुप्रिया को अपनी पीठ पर श्याम के हाथ का स्पर्श हुआ…! वो कुन्मूनाकर बोली, सोने दो ना श्याम, छेड़ो मत, जाकर दूसरे रूम में सो जाओ…!

श्याम – मे तो तुम दोनो को ग्रीट करने आया था, क्या दमदार सेक्स किया है तुम दोनो ने, वाकाई शंकर एक अच्छा पार्ट्नर है…,

सुप्रिया ने ऐसे ही लेटे हुए कहा – ठीक है अब जाओ यहाँ से साला गान्डु कहीं का खुद से कुछ हो नही पाता है,..

उसको नाराज़ होते देख कर श्याम की हवा सरक गयी, वो चुपचाप वहाँ से दूसरे रूम में सोने चला गया……….!

दूसरी सुवह ब्रेक फास्ट के बाद प्रिया वहाँ आ गई, श्याम और उसके डेडी दोनो अपने शो रूम पर चले गये थे…

उनका शहर में सराफ़ा का बहुत बड़ा शो रूम था, और पास ही एक आभूषण बनाने की फॅक्टरी भी खुद की ही थी….!

प्रिया ने आते ही शंकर के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा – और हीरो, नयी जगह पर रात कैसी गुज़री, ठीक से नींद आई या नही…!

शंकर ने मुस्करा कर हां में अपनी गर्दन हिलाई, प्रिया आगे बोली – तो चलो मेरे साथ, आज मे तुम्हें शहर घुमाती हूँ, साथ ही कुछ अच्छे से कपड़े भी ले लेंगे, तू चलेगी सुप्रिया…?

सुप्रिया रात भर चुदने के बाद और सुवह टाइम पर उठने की वजह से कुछ थकि-थकि सी लग रही थी, सो उसने जाने से मना कर दिया..,

उसके मना करने के बाद प्रिया शंकर को अपने साथ शहर घुमाने चल दी…!

वो खुद कार ड्राइव कर रही थी, उसने ड्राइवर को भी अपने साथ नही लिया, शंकर को बगल की सीट पर बिठा कर उसने वहाँ से गाड़ी आगे बढ़ा दी,

शंकर की नज़र गाड़ी ड्राइव करती प्रिया पर जमी हुई थी, शादी के इतने सालों के बाद भी प्रिया बहुत खूबसूरत लगती थी.., कोई भी ये नही कह सकता था कि वो एक बच्ची की माँ भी हो सकती है..,

पिंक सेटेन सिल्क सारी में उसका 34-30-36 का मादक दूध जैसा गोरा बदन मुर्दे में भी जान डालने की कुब्बत रखता था..,

गाड़ी ड्राइव करते हुए जब उसने शंकर की तरफ देखा, और उसे उसीको घूरते देख कर उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, वो सामने देखते हुए बोली-

ऐसे क्या देख रहे हो शंकर…?\

शनकर – मे देख रहा था, कि गाओं में पली-बढ़ी एक साधारण सी लड़की शहर में आकर क्या फ़र्राटे से गाड़ी चलाती है…! ये कब सीखी आपने..?

प्रिया सोखि से बोली – तुम्हें सीखनी है..?

शंकर – आपको चलाते देखकर मेरी भी इच्छा हुई, लेकिन मे सीख कर करूँगा भी क्या, कोन्सि मेरे पास गाड़ी आने वाली है जिसे चलाउंगा…!

प्रिया – समय बदलते देर नही लगती शंकर, क्या मेने कभी सोचा था कि एक दिन मे अपनी खुद की गाड़ी चलाउंगी, वो तो शहर में शादी हो गयी इसलिए सीखनी पड़ी…!

खैर सीखनी हो तो बताना मे सिखा दूँगी तुम्हें, फिलहाल सबसे पहले तो हम लोग किसी बड़े से कपड़े के शोरुम चलते हैं, सबसे पहला काम तुम्हारा ये हुलिया चेंज करना है…!

शंकर – क्यों, मेरे हुलिए में क्या खराबी है..?

प्रिया ने उसकी बात का कोई जबाब नही दिया, बस मुस्कराते हुए गाड़ी ड्राइव करती रही, फिर कुछ देर बाद उसने एक रेडीमेंट गारमेंट के बड़े से शोरुम के आयेज जाकर अपनी गाड़ी रोक दी….!

प्रिया उसका हाथ पकड़ कर शॉपिंग सेंटर के अंदर ले गयी और एक ऐसे काउंटर पर जाकर खड़ा कर दिया, जहाँ बड़े-बड़े घरों के कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के कपड़े पहनते हैं…!

उसने अपनी पसंद के 5-6 ड्रेस शंकर के साइज़ के सेलेक्ट किए और उसको थामकर सेल्समन से पुछा – चेंजिंग रूम किधर है…

उसने एक तरफ को इशारा किया, वो उसे लेकर चेंजिंग रूम की तरफ बढ़ गयी…!

शंकर बेचारा क़िस्सी कट्पुतली की तरह उसके इशारों पर नाच रहा था, प्रिया उस’से उमर में लगभग 7-8 साल बड़ी थी इसलिए वो उसकी बहुत इज़्ज़त करता था…!

चेंजिंग रूम में जाकर उसने शंकर को कहा – ये अपने जोकरों वाले कपड़े उतरो, और इन कपड़ों को एक एक करके पहन कर देखो, बड़े छोटे तो नही हैं…!

शंकर किसी महान चूतिया इंसान की तरह उसके चेहरे को देखने लगा, उसे यूँ देखते हुए पाकर वो घुड़क कर बोली – ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे, जल्दी से उतारो…!

शंकर – व.वो..वउूओ… मे..मतलब वो.. आपके सामने कैसे…?

प्रिया मुस्कराते हुए बोली – क्यों अंडरवेर नही पहनते हो क्या..? चलो भी, अब ज़्यादा नखरे नही, वरना मे तुम्हारे ये कपड़े फाड़ दूँगी हां…!

प्रिया ने ये बात ऐसे अधिकार भरे शब्दों में कही, की शंकर के हाथ स्वतः ही अपनी कमीज़ के बटनों पर चलने लगे…!

ये पॅंट भी.., शर्ट उतारने के बाद उसे रुकता देख प्रिया ने कड़क आवाज़ में कहा…, मरता क्या ना करता, बेचारे को उतारना ही पड़ा…!

अगले पल में वो मात्र अंडरवेर में था.., प्रिया की नज़र उसके गतीले बदन से चिपकी रह गयी, इतनी कम उम्र में क्या सजीला और कसा हुआ बदन था शंकर का,
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10-16-2019, 02:41 PM,
#88
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उसके चौड़े चक्ले सीने पर अभी रौन्ये आना शुरू हो रहे थे, एक दम सपाट पेट जिसपर कसरत के कारण एबेस बने हुए थे, पतली सी कमर, मोटी लेकिन कसी हुई जांघें, बाजुओं के मसल्स की मछलिया,

ऐसे सजीले गोरे-चिट्टे नौजवान को इस हालत में देखकर तो इंद्रालोक की अप्सराए भी उसके कदमों में आ गिरें, प्रिया तो फिर भी पृथ्वी लोक की एक साधारण नारी थी…!

वो उसकी तरफ किसी चुंबक की तरह खिचती चली गयी, और उसके चौड़े सीने पर अपने मुलायम मक्खमली हाथों से सहलाते हुए बोली –

आअहह….क्या सुंदर स्वरूप हैं तुम्हारा शंकर, कोई भी औरत इसे देखकर अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाएगी… ये कहकर उसने उसके सीने पर अपने लाल सुर्ख लाली लगे हुए होंठ रख दिए…!

शंकर का पूरा शरीर किसी बिजली के तेज झटके की तरह झन-झना गया, वो पीछे हट’ते हुए बोला – दीदी, ये आप क्या कर रहीं हैं..? मे आपका…..

वो अपना वाक्य पूरा नही कर पाया, उससे पहले प्रिया ने अपनी उंगली उसके होंठों पर टिका दी…!

उसके बदन से लिपट कर बोली – मेरी नज़र में अब तुम पहले वाले शंकर नही हो, एक बार मुझे अपनी मजबूत बाहों में कस लो शंकर,

तुम्हारे बदन की गर्मी से मे पिघल रही हूँ, मुझे संभाल लो प्लीज़…!

शंकर ने उसके कंधे पकड़ कर अपने से अलग करने की कोशिश की लेकिन वो उससे किसी जोंक की तरह चिपक गयी, फिर भी वो कोशिश करते हुए बोला –

दीदी प्लीज़ ऐसा मत करिए, मे आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ, आपके साथ वो नही कर सकता जो आप चाहती हैं…!

वो उसके बदन से चिपके हुए ही बोली – क्यों मे तुम्हें अच्छी नही लगती…?

एक भरपूर जवान और खूबसूरत औरत इस तरह किसी नये जवान लौन्डे से चिपक जाए, वो बेचारा कितनी देर तक अपने आप पर कंट्रोल कर पाएगा,

शंकर भी उसके मादक बदन की महक से अपने आप पर कंट्रोल करने में असहज महसूस करने लगा, उसका लंड अंडरवेर के अंदर सिर उठाने लगा,

जिसका एहसास प्रिया ने अपने पेट पर किया क्योंकि वो हाइट में शंकर के मुक़ाबले बहुत छोटी थी…, भले ही वो हील्स वाले संडले पहने थी…!

वो उस’से और चिपकती हुई बोली – बताओ शंकर मे तुम्हें अच्छी नही लगती..? ये कहकर वो उसकी तरफ देखने लगी…!

शंकर उसकी आँखों में देख कर बोला – आप तो बहुत सुंदर हैं किसी परी की तरह लेकिन दीदी….

उसकी बात बीच में ही काटकर वो बोली – लेकिन वेकीन छोड़ो, मुझे अपनी बाहों में भरकर मुझे प्यार करो शंकर…

आख़िरकार शंकर को हथियार डालने ही पड़े और उसके हाथ उसकी कमर पर कस गये…, उसके मुलायम मखमली पीछे को उभरे हुए कुल्हों पर कसते ही प्रिया तड़प उठी….!

आअहह…शंकर…, कराह भरते हुए उसने उचक कर उसके होंठों को चूम लिया…, उसके लंड के उभार को अपनी कमर के नीचे फील करके वो गन-गना उठी..!

शंकर का समर्पण जान वो मन ही मन खुश हो गयी, और उस’से अलग होकर बोली
– अब जल्दी से ये कपड़े ट्राइ करके देखो, हमें देर हो रही है, बहुत सारे काम हैं आज…!

15-20 मिनिट के बाद प्रिया की गाड़ी फिर से सड़कों पर दौड़ रही थी, लेकिन अब उसकी बगल में जो शंकर बैठा था, वो पहले वाला शंकर नही था,

वो इन नये मॉडर्न कपड़ों में वेदप्रकाश शर्मा के नोबल का कॅरक्टर विकास जैसा दिखाई दे रहा था.., बोले तो सिलसिला का अमिताभ बच्चन…!

उसके चेहरे पर अपने नये रूप को लेकर जो खुशी थी वो साफ-साफ दिखाई दे रही थी, वहीं प्रिया बीच-बीच में उसे ऐसी चाहत भरी नज़रों से देखती,

मानो मौका लगते ही वो उसे चट कर जाएगी..! उसके चेहरे की खुशी इस समय देखने लायक थी.., उसे किसी जगह पहुँचने की बहुत जल्दी थी, इसलिए उसकी गाड़ी की स्पीड इस समय काफ़ी तेज थी…!

अगले 15-20 मिनिट में उसकी गाड़ी एक शानदार 5 स्टार होटेल के पोर्च में खड़ी थी, वो फ़ौरन गाड़ी से नीचे आई,

उसको देखते ही, मेन गेट पर खड़ा दरबान लपक कर उसके पास आया और अदब से झुक कर उसका अभिवादन किया, उसने अपने सिर को हल्का सा झटका देकर उसका अभिवादन स्वीकार करते हुए बोली – गाड़ी पार्क करवाओ…

फिर उसने उसके जबाब का भी इंतेज़ार नही किया, और शंकर का हाथ थामकर वो उसे अंदर ले गयी…!

सामने एक बड़े से शानदार काउंटर के पीछे बैठी एक निहायत खूबसूरत लड़की जो इस समय एक कसी हुई वाइट शर्ट जिसका एक बटन खुला हुआ था,

जिसमें से उसकी कसे हुए दूधिया उभारों के बीच की घाटी अपनी छटा बिखेर रही थी…

नीचे बेहद कसी हुई पर्पल कलर की स्कर्ट जो सिर्फ़ उसकी आधी जांघों तक ही आ रही थी, कसे हुए सुडौल कूल्हे मानो उस स्कर्ट को फाड़कर निकलने ही वाले हों…,

एकटक शंकर की नज़र उसकी खूबसूरती में अटक गयी, जिसे ताडकर प्रिया मुस्कुरा उठी, तभी वो लड़की अपनी जगह से खड़ी होती हुई सिर को झुका कर बोली – गुड मॉर्निंग मॅम, वेलकम सर..

प्रिया ने भी अपना सिर झटक कर मुस्कराते हुए कहा – मॉर्निंग लीना हाउ आर यू..?

लीना उसी सादगी के साथ बोली – आइ आम फाइन माँ थॅंक यू, ये कहते हुए उसने तिर्छि नज़र शंकर पर डाली…,

वो भी उसकी पर्सनलटी से प्रभावित हुए बिना नही रह पाई…, इस’से पहले की वो कुछ और बोले, तभी वहाँ दौड़ते हुए होटेल का मॅनेजर आया,

वो प्रिया के सामने अपने दोनो हाथ आगे बाँध कर खड़ा हो गया, प्रिया ने उसे कहा – मिस्टर. वाड्रा, हमारा रूम तैयार करवाओ,

कुछ देर हमें यहाँ रुकना है तबतक हम एक राउंड लेकर आते हैं, आओ शंकर…!

अपना नाम पुकारे जाने पर शंकर की तंद्रा भंग हुई, वरना वो अब तक प्रिया के यहाँ रुआब को देख कर, लोगों के उसके प्रति आदर को देखकर अपने आप को बहुत बौना सा महसूस कर रहा था…!

वो फ़ौरन उसके पीछे हो लिया, 30 मिनिट वो होटेल का राउंड लेती रही, उसके बाद वो जिस कमरे में एंटर हुई, उसे देख कर शंकर की आँखें फटी की फटी रह गयी...

वो तो अभी तक श्याम और सुप्रिया के रूम को ही सबसे खूबसूरत कमरा मान रहा था, लेकिन ये… रूम कहना ग़लत होगा, ये तो किसी राजमहल का एक हिस्सा नज़र आ रहा था…!

वो किनकर्तव्याबिमुड सा उसे चारों तरफ घूम-घूमकर उसे देख रहा था, तभी प्रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोली –

क्या देख रहे हो शंकर प्यारे, ये रूम ही नही समुचा होटेल ही मेरा अपना है,

शंकर ने चोन्क्ते हुए कहा – क्या, सच में दीदी ये सब आपका अपना है…?

प्रिया उसके बेहद नज़दीक जाकर लगभग उसके साथ सॅटकर खड़ी हो गयी, उसने थोड़ा उचक कर शंकर के होंठों को चूम लिया, और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली –

ये तो मेरी प्रॉपर्टी का एक छोटा सा हिस्सा है शंकर लेकिन जबसे तुमने मेरी जान बचाई है, उस दिन तुम्हारी मर्दानगी देखकर मुझे अब किसी चीज़ में इंटेरेस्ट नही रहा…!

बस हर पल तुम्हें अपनी बाहों में लेने के ख्वाब देखती रहती हूँ, मुझे अपनी मजबूत बाहों में लेकर मसल दो शंकर, तुम्हारे एक पल के प्यार के लिए ऐसे 10 होटेल कुर्बान मेरी जान…!

शंकर ने उसके कंधों पर अपने हाथ रखकर उसे अपने से अलग किया, उसके आगे हाथ जोड़कर बोला –

मे बहुत छोटे घर का बच्चा हूँ दीदी, आपके पिताजी के यहाँ एक अदना सा नौकर हूँ, मेरे लिए आपके प्रति ऐसे ख़याल अपने मन में लाना भी पाप है…

आपने मुझे यहाँ लाकर जो इज़्ज़त दी, इतने अच्छे-अच्छे कपड़े दिलवाए उसके लिए मे आपका दिल से अभारी हूँ, अब आप प्लीज़ मुझे सुप्रिया दीदी के यहाँ छोड़ दीजिए…!

प्रिया ने उसके जुड़े हुए हाथ पकड़ लिए और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली – नौकर होगे तुम मेरे पिता के, मेरे लिए तो तुम मेरे ड्रीम हीरो हो शंकर…

अगर तुम यहाँ से मुझे बिना प्यार किए चले गये तो मे यहीं अपनी जान दे दूँगी..,

इतना कहकर उसने झटके से सेंटर टेबल पर रखे एक चाकू को उठा लिया और उसे अपनी कलाई पर रख लिया………….!

उसकी इस हरकत को देख कर शंकर के तिर्पान काँप गये, उसने फ़ौरन उसके हाथ से वो चाकू झपट कर दूर फेंक दिया, और उसे अपनी बाहों में भरकर अपने सीने से लगाते हुए बोला….

ये क्या अनर्थ करने जा रही थी आप, अगर इस ग़रीब का प्यार आपको खुशी दे सकता है तो हाज़िर हूँ आपके सामने जो करना है कर लीजिए मेरे साथ, उफ्फ तक नही करूँगा…!

प्रिया उसके सीने से लगकर सुबक्ते हुए बोली – मे तुम्हारी मजबूरी नही प्यार पाना चाहती हूँ शंकर, अगर तुम्हारी अंतरात्मा नही चाहती तो जाने दो, मे अपने सपनों का गला घोंट लूँगी…

मान लूँगी, जो मेने अतीत में अपने व्यवहार से लोगों को दुख पहुँचाए हैं, उनकी ये सज़ा मिली है मुझे…, मे तुम्हारे प्यार के लायक ही नही हूँ…!

शंकर ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – आख़िर आप मेरे साथ ऐसा क्यों करना चाहती हैं…?

आपको पता नही है, मेरे दिल में हमेशा से आपके लिए एक बड़ी बेहन का दर्जा रहा है, अब आप ही बताइए मे वो सब आपके साथ कैसे कर सकता हूँ..?

मे तो नादान हूँ, अभी बच्चा ही हूँ, आप तो समझदार हो, मुझसे उम्र बहुत बड़ी हो, फिर्भी ये ज़िद कर रही हो…!

प्रिया उसकी बातों को गौर से सुनती रही, फिर जब उसकी बात ख़तम हुई तो वो बोली – वेल ! तुम मुझे अपनी माँ समान बड़ी बेहन मानते हो, लेकिन अपनी बड़ी बेहन को दुखी छोड़कर चले जाना चाहते हो…
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10-16-2019, 02:41 PM,
#89
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर – किसी महारानी जैसी जिंदगी है आपकी, भला आपको क्या दुख हो सकता है..?

प्रिया – हर चीज़ जो दिखती है, ज़रूरी तो नही वो सच ही हो, माना कि धन दौलत की मेरे लिए कोई कमी नही है, लेकिन एक औरत का सच्चा सुख होता है उसके पति का भरपूर प्यार, उसकी संतान..

शंकर – लेकिन ये दोनो तो आपके पास है ही, फिर क्या दुख है आपको…?

प्रिया – मे फिर कहती हूँ शंकर, दुनिया जितनी रंगीन दिखती है, वैसी है नही… खैर तुम मेरे दुखों को छोड़ो, तुम जाना चाहते हो तो जाओ यहाँ से मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो…

इतना कहते कहते उसका गला रुंध गया, और वो उस’से अलग होकर पीठ फेर्कर खड़ी हो गयी…!

शंकर को लगा, कुछ तो वो ग़लत समझ रहा है, शायद प्रिया अपना सच बताना नही चाहती है की उसको किस तरह के गमों ने घेर रखा है…!

बहुत देर तक वो अपने अंतर्द्वंद में फँसा रहा, फिर उसने एक निर्णय ले ही लिया, वो उसे ये खुशी देगा जिसे वो पाना चाहती है, भले ही वो अपना सच बताए या नही…!

ये तय करके उसने प्रिया की तरफ देखा जो अभी भी मुँह फेर्कर शायद सूबक रही थी.., साटन सिल्क सारी में लिपटा उसका बदन पीछे से किसी संगेमरमर की मूरत जैसा अब उसे अपनी तरफ खींचने लगा था…

प्रिया के 36 के उभरे हुए नितंब उस सारी में बड़े ही कामुक लग रहे थे, दो बड़े-बड़े कलश जैसे उभार देखकर शंकर का लंड खड़ा होने लगा…

वो दो कदम उसकी तरफ बढ़ा और उसने पीछे से उसको अपनी बाहों में भर लिया…

उसके गले पर अपने होंठ रखकर उसे किस करके बोला – मुझे माफ़ करदो प्रिया दीदी, मेने आपको रुलाया, आपको दुखी किया…!

अब मे वही करूँगा जैसा आप चाहती हैं.., ये कहकर उसने उसे अपनी तरफ पलटा लिया और उसके होंठों पर अपने दहक्ते होंठ रख दिए…!

उसके गद्देदार चुतड़ों को मसल्ते हुए बोला – मुझे यकीन नही आ रहा, मेरे सामने वोही हिटलर दीदी खड़ी है जो हवेली में नौकरों को इंसान ही नही समझती थी…!

प्रिया तड़प कर उसे लिपटाते हुए बोली – आअहह…शंकर…अब वही हिटलरनी तुम्हारी दासी है, इसे अपने प्यार से नहला दो मेरे भाई...!

उसकी तड़प देखकर शंकर के चेहरे पर मुस्कान आ गई, उसने उसे अपनी बाहों में उठा लिया, और लाकर सूयीट में मौजूद शानदार बेड पर पटक दिया,

उसके सारी के पल्लू को अलग करके वो उसके गोल-सुडौल 34 के उभारों को मसल्ने लगा, प्रिया की सिसकियाँ फ़िज़ा में गूंजने लगी…!

कसे हुए ब्लाउस में क़ैद उसके दूधिया उभर शंकर के हाथों मसले जाने पर कबूतरों की तरह ब्लाउस की क़ैद से निकलने के लिए फड़फड़ने लेगे, एक मिनिट में ही शंकर ने सारे बटन खोल डाले…

प्रिया ने शंकर के पॅंट के उभार को अपनी हथेली से मसल्ते हुए उसके होंठों पर टूट पड़ी, शंकर उसके ब्रा में क़ैद कबूतरों की चोंच पकड़ कर मरोड़ने लगा…

आअहह….सस्स्सिईइ….शंकरररर….मेरे राजा…ज़ोर्से मत खीँचो…उउऊयईीई.. माआ….मारीी….क्या करते हो…प्लीज़ मान जाओ नाअ….,

ऐसी मादक सिसकियाँ लेते हुए प्रिया ने शंकर के पॅंट की जीप खोलकर उसके मस्त खड़े हो चुके लंड को अंडरवेर के उपर से ही मसल दिया…!

धीरे-धीरे, एक-एक करके उन दोनो के कपड़े बदन छोड़ने लगे, अब प्रिया मात्र अपनी पैंटी में पड़ी, किसी जलबीन मछली की तरह तड़प रही थी,

शंकर के हाथों और जीभ की हरकतों ने उसे बुरी तरह तड़पने पर मजबूर कर दिया, और उसने शंकर को पलग पर लिटा कर उसके एक मात्र बचे हुए अंडरवेर को भी निकाल फेंका…!

जैसे ही प्रिया की नज़र शंकर के गोरे चिट 7.5” लंबे, खूँटे जैसे लंड पर पड़ी, उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया.., वो किसी भूखी बिल्ली की तरह उसके लंड पर झपट पड़ी…!

शंकर ने अपना हाथ लंबा करके उसकी कमर को अपने मुँह की तरफ घुमा लिया, और उसकी पैंटी को खिसका कर उसके मोटे-मोटे चुतड़ों में अपनी जीभ डाल दी..

अब वो दोनो 69 की पोज़िशन में एक दूसरे के अंगों को चूसे जा रहे थे.., एक दूसरे का पानी निकालने की कोशिश में जुटे थे…!

लेकिन शंकर ठहरा पक्का खिलाड़ी, अपनी माँ के द्वारा सिखाए गुणों की वजह से अपने आप पर कंट्रोल रखने की उसकी क्षमता के आगे प्रिया जैसी प्यासी औरत कहाँ ठहरने वाली थी…!

वो 5 मिनिट में ही अपना कामरस छोड़ बैठी, और उसके मुँह पर अपनी चूत दबाकर हाँफने लगी…!

अब शंकर ने उसे पलटकर अपने उपर से नीचे लिया, और उसकी चूत को हथेली से सहला कर अपने गरम दहक्ते सुपाडे को उसकी चूत के मुँह पर रखकर दबा दिया…

उसका पूरा सुपाडा उसकी चूत के छेद में फिट हो गया, चूत इस समय इतनी गरम हो रही थी कि शंकर के लंड का सुपाडा पिघलता सा महसूस हुआ…!

आअहह…दीदी, आपकी चूत कितनी गरम है…ये कहते हुए उसने एक जबरदस्त धक्का अपनी कमर में दे मारा….

आआईयईई…….म्म्माआ….माररर..दलाअ… रीइ.., इतना मोटा लंड उसने पहली बार लिया था, सो प्रिया के मुँह से एक जोरदार कराह उबल पड़ी, शंकर का लंड उसकी चूत में तीन-चौथाई तक समा चुका था…!

आअहह…शंकर…बहुत बड़ा है तुम्हारा.., थोड़ा आराम से कर ना यार, मेरी चूत को चीर डाला..इसने.., उउफ़फ्फ़…

शंकर ने उसके होंठों को चूमते हुए कहा – जीजा जी का इतना बड़ा नही है…?

प्रिया –उउन्न्ह…, बहुत कम है इससे.., ये कहकर उसने शर्म से अपना मुँह उसके सीने में छुपा लिया, और अपनी कमर को और अंदर लेने के लिए उचका दिया…!

शंकर ने भी फाइनल स्ट्रोक मारकर पूरा लंड उसकी कसी हुई चूत में फिट कर दिया…!
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10-16-2019, 02:41 PM,
#90
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
आअहह…शंकर…ये तो मेरी बच्चेदानी के अंदर घुस गया रे…, अब धीरे-धीरे चोद मेरे रजाअ… उउफ़फ्फ़…बड़ा मज़ा आरहा है, हाए.. आज खुली है मेरी चूत तेरे मूसल से…

कूट दे मेरी ओखली.., शंकर उसकी ऐसी गँवारू बातें सुनकर जोश में आ गया, और उसने उसकी ओखली को कूटना शुरू कर दिया..,

चुदाई का दौर जब एक बार शुरू हुआ तो लगातार तीन घंटे तक चला, इस दौरान प्रिया ना जाने कितनी बार झड़ी, शंकर भी तीन बार अपना लंड खाली कर चुका था.., जब प्रिया की टंकी पूरी खाली हो गयी,

उसकी चूत आख़िरी बार शंकर के नये नवेले लंड का पानी पीकर फड़फड़ाने लगी, तब प्रिया ने कहा – अब बस कर मेरे चोदु राजा, तू तो पूरा चुदाई का मास्टर हो गया है इस छोटी सी उमर में.. कहाँ से सीखा ये सब…?

उसने उसकी चुचियाँ जो अब लाल हो चुकी थी मसल-मसलकर उन्हें ज़ोर्से मसल्ते हुए बोला – ये सब आपकी जैसी मास्टरनियों की वजह से ही सीख गया हूँ…!

प्रिया ने चोन्क्ते हुए कहा – मेरी जैसी मतलब…?

शंकर फ़ौरन सम्भल गया और बोला – अरे कुछ नही बस ऐसे ही, आपको मज़ा तो आया कि नही…!

प्रिया उसके मूसल को पकड़ कर बोली – मज़े की क्या बात करता है यार, इतनी चुदाई मेरी अब तक के जीवन में कभी नही हुई.., अब तो मेरा पूरा बदन टूटने लगा है,

कुछ देर आराम करती हूँ, फिर घर चलेंगे, ये कहकर वो दोनो एक दूसरे की बाहों में लिपट कर सो गये…!

सुप्रिया ने शंकर को एक महीने तक अपने पास ही रखा, इस एक महीने वो रात को सुप्रिया को चोदता, और दिन में किसी भी वक़्त प्रिया आकर उसे अपने होटेल ले जाती या फिर अपने घर बुलवा लेती…!

शंकर दोनो बहनों को चोद-चोद कर बड़ा ही खुश था यहाँ, उसकी तो पाँचों उंगली घी में और सिर कढ़ाई में सॉरी लंड चुतो में था…!

इस एक महीने के दौरान, प्रिया और सुप्रिया ने मिलकर शंकर को ड्राइविंग भी सिखा दी, उसे विदा करते वक़्त दोनो बहनों की आँखें नम थी…!

प्रिया ने शंकर को गिफ्ट के तौर पर एक ओपन बॉडी जीप भेंट की, जिसे वो लेना तो नही चाहता था, लेकिन उसने बहुत ज़िद की तो उसे लेनी ही पड़ी, और उसीसे वो अपने गाओं वापस आया…!

धूल उड़ाती हुई नयी चमचमाती जीप देखकर लोग देखने की उत्सुकता लिए हवेली पर पहुँचे,

जब नये मॉडर्न कपड़ों में सन ग्लासस लगाए नयी हेर स्टाइल में शंकर गाड़ी से निकला तो सबकी आँखें चुन्धिया गयी, वो किसी फिल्मी हीरो जैसा लग रहा था,

हवेली में जहाँ रंगीली, सुषमा, सलौनी, यहाँ तक कि लाला जी उसे देख कर बहुत खुश हुए वहीं सेठानी की झान्टे सुलग उठी, और वो अपनी आदत से मजबूर तानों की बरसात करने लगी…!

क्यों रे मुए, तेरे तो हाव-भाव ही बदल गये शहर जाकर, और ये इतनी बड़ी गाड़ी चलाना भी सीख ली, ये किसकी उड़ा लाया…?

शंकर ने खुश होकर कहा – प्रिया दीदी ने भेंट की है मालकिन…!

सेठानी – हाए राम ! ये लड़की भी बिल्कुल पागल है, बताओ, इतनी महँगी गाड़ी भी भला कोई भेंट करता है, चल इसे एक जगह खड़ी कर्दे,

खबरदार अगर फिर से इसे हाथ लगाया तो.., प्रिया आएगी उसे वापस कर देंगे…!

लाला जी को सेठानी की बात सुनकर गुस्सा आ गया, वो उसे डाँटते हुए बोले – तुम्हारा दिमाग़ तो सही है ना, प्रिया ने अपनी जान बचाने की एवज में उसे ये भेंट दी है, तुम कॉन होती हो उसे रोकने वाली…

खबरदार अगर कभी आगे से शंकर को कुछ भी कहा तो मुझसे बुरा कोई नही होगा.., फिर वो शंकर से बोले – ये अच्छा किया की तूने जीप चलाना भी सीख लिया, शाबास…

अब अपने सारे कारोबार पर अच्छे से नज़र रख पाएगा, अपना बेटा तो नालयक फालतू में शराब पीकर तेल फूंकता रहता है…!

लाला जी की डाँट सुनकर सेठानी भुन्भुनाती हुई पैर पटक कर हवेली के अंदर चली गयी..,

कुछ देर लाला जी शंकर के कंधे पर हाथ रखकर उस’से अपनी बेटियों की राज़ी खुशी लेते रहे, फिर जब वो भी अपनी गद्दी की तरफ चले गये, तब रंगीली उसे अपने साथ लेकर अपने घर चली गयी…!

सलौनी अपने भाई के इस नये रूप को देख-देख कर फूली नही समा रही थी, उसका बस चलता तो वो उसके गले में झूल जाती, लेकिन अपनी माँ के सामने वो ये नही कर पा रही थी…

फिर शंकर ने अपनी माँ, बेहन, पिता और दादा-दादी के लिए शहर से लाए हुए उपहार, कपड़े उसे दिए…, उसने अपने बेटे को अपने कलेजे से लगा लिया..,

इसी मौके का फ़ायदा लेकर सलौनी भी उसके गले में झूल गयी और अपने भाई के गालों को चूम लिया…!

भाई बेहन के प्रेम को देखकर रंगीली के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी…!

वो मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगी, बस ऐसे ही मेरे बेटे को कामयाबी देते रहना प्रभु.., मेरे बच्चे हमेशा यूँही खुश रहें…!

कुछ देर अपनी माँ और बेहन के साथ बैठकर शंकर खेतों की तरफ निकल गया, गाओं में जो भी उसको देखता, बस देखता ही रह जाता, चाहे वो मर्द हो या कोई औरत..

वो अपनी मस्ती में झूमता हुआ खेतों पर पहुँचा, अपने बापू से मिला,

अपने बेटे को देखकर गर्व से उसका सीना चौड़ा हो गया, वहीं दूसरे मजदूर उसके भाग्य को कोसने लगे…!

कुछ देर देखभाल करके वो अपने बापू के साथ घर लौट आया…!

रंगीली ने शाम का खाना खिला-पिलाकर रामू को अपने घर सोने के लिए भेज दिया, ये कहकर की कभी-कभार वो अपने बूढ़े माँ-बापू की भी देखभाल कर लिया करे…!

उसे आज एक महीने से उपर हो गया था अपने बेटे के साथ समय बिताए हुए, सो आज वो पूरी तैयारी में थी शंकर से अपने अरमानों को पूरा करने की…!

रात हुई, शंकर को उसने दूसरे कमरे में सोने भेज दिया और खुद अपनी बेटी को लेकर दूसरे कमरे में सो गयी…!

जब उसे पूरा विश्वास हो गया कि अब उसकी बेटी भरपूर नींद में आ चुकी है, वो चुपचाप उसकी बगल से उठी, और शंकर के कमरे में जा पहुँची…

शंकर भी नींद में जा चुका था, वो कुछ देर खड़ी अपने बेटे की सुंदरता में खोई रही, फिर धीरे से उसके बगल में जाकर लेट गयी..!

कुछ देर वो उसके पूरे बदन पर हाथ फेरती रही, फिर उसका चेहरा अपनी तरफ करके उसने अपने तपते होंठ उसके होंठों पर टिका दिए….!
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