RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मैं: जी... ठीक है, आज मैं सोच लूँगा कि कैसे कमरे में जाना है।
दीपू: अरे सोचना क्या है? चोद लेना एक बार अपनी बहन को। अब वैसे भी वो रोज चुद ही रही है तो एक बार अगर तुम्हारा लन्ड
ले लेगी भीतर तो ऐसा कुछ घिस थोडे ना जाएगा, वैसे भी उसके आँखों पर मैं पट्टी बाँध दूँगा और उसको अभी ऐसी आदत भी
नहीं हुई है मेरे लन्ड की जो वो अपनी चूत से तुम्हारे लन्ड को पहचान ले... बस मुँह बन्द रखना उसको चोदते समय।
मेरा लन्ड अब इस नयी बात को सुन कर फ़नफ़नाने लगा था और मैं इसके बाद कुछ बोलता कि तनु कमरे में ट्रे लेकर आ गयी। मैंने अपने पैर मोड़ते हुए उसके लिए बिस्तर कर जगह बनाया और तनु मेरे बिल्कुल सामने ट्रे रख कर बैठ गयी। मैंने पानी का ग्लास उठाया और यह कहते हुए बिस्तर से उठा कि मैं पेशाब करके आता हूँ। जब मैं अपने बदन से चादर हटाते हुए बिस्तर से उतरा, तब मेरा लन्ड मेरे पैजामे में टेंट बनाए हुए थे और मैं जान-बूझ कर तनु के सामने ही अपने टेंट को उसको दिखाते हुए खड़ा हुआ, पानी पी और अपने कमरे से बाहर निकल गया। मेरा बाथरूम तो छत के दूसरी तरफ़ था। पेशाब करने के बाद मेरा लन्ड थोडा ढीला होने लगा था और मैं अब आराम से वापस कमरे में आया जहाँ मेरी बहन और बहनोई चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे।
मैं भी अब थोड़ा रीलैक्स हो गया था और मन ही मन खुश भी था उस प्रस्ताव के बारे में सोच कर जो अभी-अभी दीपू भैया ने मुझे बोला था। मैं तनु के ठीक सामने बैठा था और तब गैर से देखा कि वो सिर्फ़ एक नाईटी पहने हुए थी जो उसकी चूच्ची पर कसा हुआ था और उसका निप्पल एक बडे किशमिश की साईज का साफ़ दिख रहा था। गोलाइयाँ अलग अपना नजारा करा रही थी। मेरी नजर अब उसकी फ़ुली हुई छाती पर बार-बार जा रहा था। दीपू भैया ने बात शुरु की।
दीपू: कल तो तनु तुम इतना हल्ला की हो कि यहाँ तुम्हारा भाई मुझसे शिकायत कर रहा है। (तनु की नजर झुक गयी) अब से
ध्यान रखना तुम, रात में..... बगल के कमरे में सो रहे लोग को परेशानी ना हो।
मैं: क्या दीपू भैया.... आप भी न। अब बस भी कीजिए।
दीपू: ठीक है भई.... वैसे तनु अब सब ठीक तो है?
तनु: जी....
दीपू: कुछ दर्द-वर्द तो अब नहीं है ना? अरे तुम बताओगी तभी तो हम कुछ उपाय करेंगे, कोई दवा लाएँगे कि जल्दी आराम हो।
मैं: हाँ तनु, अब शादी के बाद तो यह सब पति के साथ होता ही है सब के साथ यह बात है.... तो तुम्हें कोई तकलीफ़ हो तो
अपने पति को ही बताओगी न।
तनु: नहीं.... कोई परेशानी नहीं है। (उसकी नजरें झुकी हुई थी)
दीपू: चलो फ़िर बढिया है.... आज रात को फ़िर से कल वाला ही खेल खेलेंगे।
(दीपू भैया मुस्कुराए और तनु घबड़ाई और चेहरा ऊपर की। उसकी आँखों में अब एक डर सा उभरा.... वो समझ गयी कि आज रात को फ़िर से उसकी गाँड़ में लौंड़ा पेलेगा उसका पति। कल के दर्द से वो डर गयी थी सो घबड़ा गई। मैंने उसको समझाया।)
मैं: अरे तनु... तुम घबड़ाओ मत.... जो बात है बेहिचक कह दो। मुझसे शर्माने की जरुरत नहीं है। मैं तो रोज सब सुन ही रहा हूँ
का तुम्हारे कमरे में जो हो रहा है। (तनु की आँखें डबडबा गयी)
तनु: जी.... अभी भी दर्द है, ऐसे बैठते हुए दर्द हो रहा है। पूरा वजन दे कर नहीं बैठ सकती।
मैं: बैठने में क्यों परेशानी है? ऐसे तो चलने या खड़ा होने में कुछ परेशानी हो सकती है, जहाँ तक मुझे पता है।
(मैं सब जान कर अन्जान बनने का दिखावा कर रहा था)
दीपू: अरे साले बाबू.... कल आपकी बहन के पिछवाड़े का उद्घाटन कर दिया है, इसीलिए तनु को बैठने में परेशानी है। आप सही
कह रहे हैं, अगर सीधा-सीधा डालता तनु के भीतर तब तो चलने में परेशानी होती न। अब तो वो समय निकल गया जब पहली
बार तनु सेक्स की थी। अब तो जितना डलवाएगी, मजा ही पाएगी। वो तो कल पीछे से जो डाला ना, सो उसको कुछ अनुभव
नहीं था इसीलिए वो इतना चीख रही थी।
मैं: लेकिन दीपू भैया, आप भी बिल्कुल बेदर्द की तरह लग गये तनु पर। दो-चार रोज बाद ही पीछे करते तो क्या हो जाता?
दीपू: अरे यार.... तुम्हारे मम्मी-पापा ने अपनी बेटी मुझे दी ही है, इसी के लिए। तुम क्या जानो इसका रस? कहा भी जाता है कि
"बेटी में कितना रस है यह दामाद से पूछना चाहिए"।
मैं: अरे तो "रस" का मतलब है कि आप बेटी को रुला-रुला कर यह सब कीजिए... अजीब बात है।
दीपू: देखो यार.... आज हो या कल, जब भी किसी लडकी का पिछवाड़ा में डलेगा तो थोड़ा-बहुत दर्द होगा। तुम्हें तो खुश होना
चाहिए कि घर की बेटी एक सही मर्द के बिस्तर पर गयी है जो उसको शादी के बाद के पहले पीरियड्स के पहले ही आगे-पीछे
दोनों का मजा उसको दे दिया है। ऐसे भी, पति का यही धर्म है कि वो अपनी पत्नी को सेक्स करके पूरी तरह से संतुष्ट करे,
सो मैंने किया।
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