RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मदहोश हो चली निर्मला अपनी मां की आवाज सुनते ही जैसे होश में आने लगी हो शुभम के होठों को अपने होठों में भरकर चूसने का जो आनंद उसे मिल रहा था वह पल भर में ही जाता रहा,, शुभम का भी सारा मजा किरकिरा हो चुका था वो खुलकर अपनी मां से प्यार करना चाहता था उसकी बड़ी बड़ी छातियों को अपने हाथों से दबाना चाहता था। लंड एक बार फिर से तैयार हो चुका था रसीली बुर के अंदर प्रवेश करने के लिए,,, लेकिन एक बार फिर से शुरू होने वाले अध्याय पर विराम लग चुका था। निर्मला दरवाजे की तरफ गुस्से से देखते हुए पेर पटक कर चली गई।
शाम के वक्त अशोक जल्दी घर आ चुका था घर पर आने के बाद उसे पता चला कि उसकी सांसों में घर आई हुई है और वह भी अपनी सास की आदत से वाकिफ था इसलिए उसने अपने सोने का इंतजाम ड्राइंग रूम में ही सोफे पर ही कर लिया,,,,,,
अपनी मां के होते निर्मला को कोई खास मौका नहीं मिल रहा था शुभम के साथ मस्ती करने का हर पल उसकी मां उसके साथ ही होती थी क्योंकि समय समय पर निर्मला की जरूरत उसे पड़ती थी। शुभम भी मौका ढूंढ रहा था अपनी मां के साथ मस्ती करने का बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की रसीली बुर नजर आने लगती थी। वह अब तक संभोग सुख के अद्वितीय आवर्णन आनंद से वाकिफ हो चुका था अच्छी तरह से जान चुका था कि,,,,, दुनिया में चुदाई के सुख से बड़ा और कोई सुख नहीं है। इसलिए तो अपनी मां को भोगने की तड़प उसकी ओर ज्यादा बढ़ती जा रही थी। अपनी मां की गैरहाजिरी से परेशान हो चुकी थी निर्मला इसलिए उसका मन ठीक से स्कूल में भी नहीं लग रहा था।
शुभम अपनी मां के साथ मस्ती करना चाहता था इसलिए जब भी उसे मौका मिलता था वह किचन में या कहीं भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर लेता था और उसके बदन से छूट छाट लेने लगता था। या छेड़खानी निर्मला को भी अच्छी लगती थी लेकिन हर पल इस बात का डर लगता था कि कहीं उसकी मां उन दोनों को इस तरह की हरकत करते देख ना ले । इसलिए वह दोनों हमेशा संभल कर रहते थे।
दूसरी तरफ दिन ब दिन शीतल की नजर शुभम पर कुछ ज्यादा ही घूमने लगी थी। जब से वह निर्मला से शुभम के द्वारा मां बनने की बात की थी तब से शीतल का मन भी शुभम की तरफ कुछ ज्यादा ही घूमने लगा था। शीतल स्कूल में जब भी मौका मिलता तो शुभम को आंख भरकर घूरती रहती थी।
ऐसे ही एक दिन शुभम को अकेले ही स्कूल जाना पड़ा क्योंकि उसकी नानी की तबीयत थोड़ा खराब थी जिस वजह से निर्मला स्कूल नहीं जा पाई। शुभम को अकेला स्कुल अाया देखकर शीतल उसे अपने पास बुलाई और उससे बोली।
क्या हुआ शुभम तुम अकेले उसको आए हो तुम्हारी मम्मी क्यों नहीं आई?
आज नानी की तबीयत थोड़ा खराब थी इसलिए मम्मी स्कूल नहीं आई,,,,
ओहहह,,,, यह बात है चलो कोई बात नहीं मेरे से सोते ही तुम मुझे मेरी क्लास में मिलना और वैसे भी तुम आज टिफिन तो लाए नहीं होगे,,,,
नही आज नही लाया,,,,,
कोई बात नहीं तुम आज मेरे साथ टिफिन शेयर कर लेना,,,, अच्छा चलती हूं क्लास का समय हो गया है।( इतना कहकर वह मुस्कुरा कर अपनी क्लास की तरफ जाने लगी और शुभम वहीं खड़ा शीतल को क्लास में जाते देखता रहा,,,, यूं तो शीतल के साथ शुभम बहुत बार मिल चुका था लेकिन आज पहली बार वह शीतल को इतने करीब से और बड़े ही गौर से देखा था,,,,, शीतल बेशक बेहद खूबसूरत थी लेकिन इस बात से शुभम की नजरें थोड़ा बहुत अनजान थी क्योंकि इससे पहले उसने शीतल को कभी भी दूसरे नजरिए से नहीं देखा था लेकिन जब से उसने अपनी मां के साथ संबंध बनाए हैं औरतों के अंगों और उनकी रूपरेखा के बारे में अच्छी तरह से जाना है तब से औरतों को अक्सर घुर कर उनके देहलालित्य का रसपान करने लगा था। आज पहली बार ऊसने शीतल के बदन को गौर से देखा था,,,, बड़ी बड़ी चूचियां पतली लकीर लिए अपना जलवा पूरी तरह से बिखेर रही थी,,,, मदमस्त कर देने वाली गोरी कमर ट्रांसपेरेंट साड़ी में से अच्छी तरह से नज़र आ रही थी। शीतल के प्रति आज आकर्षित होने का एक बहुत बड़ा कारण यह भी था कि पिछले कुछ दिनों से वह चुदाई के सुख से वंचित हो चुका था वह अपनी मां को चोदने के लिए तड़प रहा था लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था इसलिए वह औरतों के देह लालित्य के रस पान करते हुए उन्हें भोगने का सपना देखने लग रहा था। इसलिए आज वह शीतल के बदन के प्रति कुछ ज्यादा ही आकर्षित हो रहा था। भाभी क्लास में चला गया और इसे सोने का इंतजार करने लगा वह इस बात से अपने दिल को तसल्ली दिलाना चाह रहा था कि कुछ भी ना सही कम से कम शीतल मैडम के खूबसूरत बदन को देखकर अपनी आंख तो सेंक सकेगा,,,,, इसलिए वह रीशेष होने का इंतजार करने लगा।
दूसरी तरफ सीता के मन में धीरे-धीरे वासना अपना घर बना रहा था वह शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहती थी लेकिन इसके लिए उसे अपने बस में करना बेहद जरुरी था उसे अपने भदन का जलवा दिखाकर वह उसे बहलाना फुसलाना चाहती थी। उसे अपने बस में कर के शीतल उससे चुदवाना चाहती थी लेकिन सिर्फ चुदवाना ही उसका मकसद नहीं था। वह शुभम से चुद़कर चुदाई का आनंद लेना चाहती थी और उसके बच्चे की मां भी बनना चाहती थी।
ताकी मातृत्व सुख को वह भी भोग सके। शुभम जैसे जवान लड़के से नजदीकियां बढ़ा कर वह इस बात का भी अनुभव लेना चाहती थी कि इस उम्र में जवान लंड की रगड़ बुर के अंदर कैसा एहसास दिलाती है। शुभम के साथ इस तरह के शारीरिक संबंध को लेकर वह इस रिश्ते को सुरक्षित समझती थी और अगर कभी शुभम और उसके बीच का यह नाजायज संबंध निर्मला को पता भी चल जाए तो शायद वह ज्यादा नाराज नहीं होगी क्योंकि शुभम के साथ शारीरिक संबंध और मां बनने वाली बात हुआ शीतल से पहले भी कर चुकी है लेकिन शीतल इस बात को सुनकर नाराजगी नहीं दर्शाई थी।
इसलिए वह शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी बस अब देर थी शुभम को अपने बस में करने की और शीतल को अच्छी तरह से मालूम था कि मर्दों को किस तरह से अपने बस में किया जाता है इसीलिए तो रीशेष में शुभम को अपनी क्लास में टिफिन शेयर करने के बहाने बुलाई थी। उसे भी रिशेष की घंटी बजने का बड़ी बेसब्री से इंतजार था। आखिरकार इंतजार की घड़ी खत्म हुई और रिशेष की घंटी भी अपने समय पर बज गई।
पीतल की क्लास से सारे विद्यार्थी बाहर जा चुके थे वह कुर्सी पर बैठ करें शुभम के आने का इंतजार करने लगी बार बार उसकी नजर दरवाजे पर चली जा रही थी दूसरी तरफ शुभम भी शीतल की क्लास में जाने के लिए अपनी क्लास से बाहर निकल गया,,,, कुछ ही देर में वहां क्लास के बाहर दरवाजे पर खड़ा होकर के बोला,,,
मैम क्या मैं अंदर आ सकता हूं?
( शीतल तो शुभम को देखते ही खुश हो गई और मुस्कुराते हुए बोली।)
अरे हां आओ आओ मैं तो तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,, ( इतना कहने के साथ यही वह अपने बैग में रखा टिफिन निकालकर टेबल पर रख दी,,,,, शुभम एक कुर्सी लेकर के उसके सामने बैठ गया,,,, शीतल टिफिन खोलकर,,, एक चम्मच शुभम को पकड़ाते हुए बोली,,,,,)
शुभम गहलोत चम्मच पकड़ो और दूसरा डिब्बा तो है नहीं इसलिए हम दोनों को एक में ही खाना होगा तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है,,,,
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