RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( आखिरकार शुभम अपनी मां की तड़प और उसकी चाह देख कर अपनी जीभ को होटो से बाहर निकालकर अपनी मां की बुर पर रख दिया,,,, और बुर की ऊपरी सतह पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया,,, निर्मला को इसका एहसास होने लगा कि उसके बेटे ने बुर को चाटना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारीया फूट पड़ी,,,, वह हल्के हल्के बुर की गुलाबी पत्ती पर अपनी जीभ से चाट रहा था,,,, निर्मला की रेसीली बुर किसी रसमलाई की तरह पूरी तरह से रस में डूबी हुई थी,,,, शुभम की उत्तेजना का कोई ठिकाना नहीं था उसका वजन भी कसमसा रहा था बेहद आनंद की अनुभूति उसका मन मस्तिष्क और पुरा तन कर रहा था,,,, धीरे-धीरे उसे बुर चाटने में मज़ा आने लगा,,,, लेकिन अभी असली मजा से तो वह वंचित ही था क्योंकि अभी तक वह बुर के ऊपरी सतह पर ही जीभ से चाट रहा था,,, असली मजा तो बूर की गहराई में उतर कर चाटने में था। जिसका शुभम को अंदाजा तक नहीं था वह ऐसा समझ रहा था कि बुर की ऊपरी सतह पर ही जीभ से चाटा जाता है।,,, इसमें शुभम की कोई गलती नहीं है उसे तो अब तक यह भी ठीक से नहीं मालूम चल पाया था कि औरत को पूरी तरह से भोगा कैसे जाता है,,,। शुभम पूरी तरह से मासूम और नादान था। भले ही वह संभोग सुख की प्राप्ति कर चुका था लेकिन वास्तव में वह अभी नादान ही था दूसरी तरफ निर्मला की प्यास बढ़ती ही जा रही थी,,, जिस तरह से शुभम बुर को मात्र कुरेद कुरेद कर ही चाट रहा था उससे उसकी प्यास बढ़ना लाजमी ही था। वह ऊत्तेजना के मारे अपना सिर इधर उधर पटक रही थी। उससे बुर की खुजली बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,, उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी निर्मला भी यह अच्छी तरह से समझ गई कि उसका बेटा बुर में जीभ डाल कर नहीं चाटेगा,, क्योंकि वह शायद यह नहीं जानता कि बुर के अंदर जीभ डाल कर चाटा जाता है इसलिए वह मन में ही सोची की उसे निर्देश देना बेहद जरूरी है,,,, उसकी सिसकारियां लगातार पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, और वह गरम सिसकारी लेते हुए बोली,,,,
सससहहहहहहह,,,, बेटा,,,,, बस ऊपर ऊपर ही चाटेगा कि अपनी जीभ को अंदर भी डालेगा,,,,,आााहहहहहह,,,, मुझे तड़पा मत अपनी जीभ को मेरी बुर के अंदर डाल कर चाट, मुझे मस्त कर दे सुभम,,,,,
( अपनी मां की बात सुनकर उसे इस बात का पता चला कि बुर के अंदर भी जीभ डाल कर चाटा जाता है,,,, और वह तुरंत अपनी मां के निर्देश का पालन करते हुए जीभ को अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,, लेकिन इस तरह से जीभ का अंदर जाना मुमकिन नहीं था,,,, इस बात का पता निर्मला को चल गया और वह सिसकारी लेते हुए बोली,,,,।
ओहहहहहह शुभम ऐसे नहीं बेटा अपनी उंगलियों से मेरी बुर को थोड़ा सा फैला कर जीभ को अंदर डाल आराम से चली जाएगी,,,,,,
( शुभम तो पहले ही जीभ को अंदर डालने की पूरी कोशिश कर चुका था लेकिन अंदर जा नही रही थी,,, सही मौके पर अपनी मां से दिशा निर्देश पाकर शुभम तुरंत दूसरे हाथ के अंगूठे और उंगली का सहारा लेकर रसीली बुर को फेलाने लगा,,, सच में बुर की फांके अलग हो रही है,, यह देख कर शुभम की खुशी का ठिकाना ना रहा,, उसे अब अपनी मंजिल आंखों के सामने नजर आ रही थीे और वह तुरंत अपनी जीभ को बुर की गहराई में उतारता चला गया,,,,
निर्मला की रसीली बुर किसी झरने की भांति झर झर करके बह रही थी,,,, और उसने इसे झर रहा नमकीन पानी बुरनुमा तालाब में ईकट्ठा हो रहा था,,, जिसने शुभम अपना मुंह डालकर अपनी जीभ से उस नमकीन पानी के स्वाद को चख रहा था। पहले तो शुभम को बुर की नमकीन पानी का स्वाद एकदम कसैला लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे वही दूध का नमकीन पानी उसे अमृत की बूंद की तरह एकदम मधुर लगने लगा,,, शुभम अपनी उंगलियों से बुर की गुलाबी पत्तियों को बराबर फैलाए हुए था और उसने जहां तक हो सकता था वहां तक अपनी जीभ को डालकर बुर की गहराई में उतर जाना चाहता था। यही तो निर्मला को बेहद आनंदित कर रहा था आज वर्षों के बाद उसकी बुर में भी किसी मर्द की जीभ का स्पर्श हो रहा था। प्रसन्नता और उत्तेजना के मिले-जुले असर में निर्मला पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी। जिस तरह से शुभम चप्प,,,,,,,,, चप्प करके अपनी मां की बुर को चाट रहा था यह देखकर निर्मला की तो हालत खराब हुए जा रही थी। वह एक हांथ से अपनी गोल गोल चूचियों को पकड़ कर दबा भी रही थी और एक हाथ से अपने बेटे के बाल को अपनी मुट्ठी में भेींचकर उसे बराबर अपनी बुर के ऊपर दबाए हुए थी।,,,
ससससहहहहह,,,औहहहहह,,,,,, बेटा क्या गजब का चाट रहा है तु,,,,, ऐसे तो तेरे पापा ने भी पहली रात को भी नहीं चाटा था,,,,, तूने तो मुझे सुहागरात की हर बात को याद दिला दिया मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तू मेरा ही बेटा है,,,,, मैं खाना खा बरसों से यूं ही प्यासी पडी थी,,,आहहहहह,,,, और जोर-जोर से चाट पूरी जीभ अंदर डाल दे,,,, ओह मेरे राजा तू तो मुझे पूरी तरह से बर्बाद किए जा रहा है,,,,,आहहहहहहहह,,,,,
( निर्मला के मन में जो आ रहा था वह बोले जा रही थी शुभम भी अपनी मां के मुंह से अपने लिए राजा शब्द सुनकर और ज्यादा जोश में आ गया और जीभ को जोर-जोर से बुर के अंदर बाहर करने लगा जिसकी वजह से उसमें से चप्प,,,, चप्प,,,,, कि कामुक ध्वनि बहुत ही तेजी से आने लगी जो कि पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,, बुर चटाई में भी इतना ज्यादा मजा आता है यह शुभम को आज ही पता चल रहा था और निर्मला के लिए भी है कुछ हद तक बिल्कुल नया ही था क्योंकि जिस अदा और तड़प के साथ उसका बेटा उसकी बुर को चाटकर ऊसका पानी निकाल रहा था,,,, ऐसी बुर चटाई तो उसके पति ने भी कभी नहीं किया था। इसलिए तो निर्मला एकदम से मदहोश और बदहवास हो चुकी थी उसकी आंखें उत्तेजना के मारे मदहोशी के आलम में बंद हो चुकी थी। निर्मला की बुर से ढेर सारा मदन रस रहरहकर बाहर निकल जा रहा था। जिसकी वजह से निर्मला का पूरा बदन,,,, झटके के साथ बुरी तरह से हचमचा जा रहा था।,,,, शुभम का पूरा मुंह बुर के मदन रस में भीग चुका था।,,, निर्मला का बदन झटके पर झटका खा रहा था ।उत्तेजना के मारे बार-बार वह अपने भारी नितंबों को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी,,, और शुभम भी मौके का फायदा उठाते हुए नीचे अपना हाथ डालकर अपनी मां की मदमस्त गांड को दबाते हुए बुर चटाई का मज़ा ले रहा था। शुभम के बदन में पूरी तरह से उत्तेजना ने अपना कब्जा जमा दिया था। लंड की नसों में रक्त का प्रवाह इतनी तेजी से हो रहा था कि जान पड़ता था कि लंड की नसें फट जाएगी।,,, दोनों की हालत खराब हुए जा रही थी इस दौरान निर्मला दो बार झड़ चुकी थी,,, जबकि निर्मला के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था इस तरह से तो वह अपनी पहली रात में भी नहीं झढ़ी थी जिस तरह से आज उसके बेटे ने उसकी बुर चाट चाट कर दो बार झाड़ चुका था।
|