RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
गजब के सुखमय और अद्भुत दौर से दोनों गुजर रहे थे उन दोनो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी जिंदगी में इस तरह के हालात पैदा होंगे कि,,, दोनों मां बेटे के पवित्र रिश्ते को भूलकर सारी मर्यादा लांग जाएंगे। इसमें दोनों का कसूर था भी और नहीं भी हालात ही कुछ ऐसे पैदा हो गए थे कि कुछ और सोचने समझने का समय ही नहीं था हालांकि ज्यादातर गलती इसमें निर्मला की ही थी अगर वह चाहती तो यह सब होता ही नहीं लेकिन बरसों की प्यास ने उसे मजबूर कर दिया था,,, पति का प्यार ना पाकर अतृप्त निर्मला मैं मजबूर हूं अपने ही बेटे से अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए एक मर्द का काम ली,,, शुभम तो नया-नया जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था उसके बदन में जोश के साथ साथ औरतों के बदन की खुशबू और उनकी बनावट के बारे में जानने की उत्कंठा भरी हुई थी और इसी उत्कंठा का फायदा उठाते हुए निर्मला ने अपने ही बेटे से शारीरिक संबंध स्थापित कर ली,,, जो कि समाज की नजरों में बहुत बड़ा पाप था लेकिन यह पाप,, निर्मला के लिए किसी नई जिंदगी से कम नहीं थी। दोनों खुलकर इस पल का फायदा उठा रहे थे।
रात भर की घमासान चुदाई के बाद दोनों की नींद दूसरे दिन देर से खुली जिसकी वजह से दोनों स्कुल नहीं जा पाए।,,, स्कूल ना जाने का फायदा उठाते हुए दोनों दिन भर अपने चुदाई कार्यक्रम को आगे ही बढ़ाते रहें,,,,।
स्कूल में शुभम को नहीं आया देखकर शीतल की बेचैनी बढ़ने लगी थी। शुभम के पेंट में बना तंबू उसके बदन की गर्मी को बढ़ा देता था शीतल की तड़प और बेचैनी इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह अपने कमरे में रात भर उसके पैंट में बने तंबू को लेकर के और उसमें के दमदार हथियार की कल्पना कर कर के ही वहं अपने हथेली के अपनी रसीली बुर को रगड़ रगड़ कर ना जाने कितनी बार ऊसका पानी निकाल चुकी थी।,,,
एक लड़के की मर्दानगी कि दो अौरते दीवानी हो चुकी थी,, एक ने तो उसके मर्दानगी का स्वाद चख ली थी,,, और उसकी पूरी तरह से कायल हो चुकी थी,,,, और दूसरी ने तो अभी तक केवल कल्पना में ही सपनों की सेज सजा रखी थी,,,, जिस पर वह शुभम के साथ ना जाने कैसे कैसे काम क्रीडांगण का अद्भुत खेल खेल भी डाली थी,,,, लेकिन उसे अपनी अपनी कल्पना को हकीकत का स्वरूप देना था जिस के जुगाड़ में वह पूरी तरह से लगी हुई थी शुभम को भी उस पल का बेचैनी से इंतजार था जब शीतल की गोरी गोरी बाहों में वह खुद को संमाता हुआ देखेगा,,,, जब से सुबह मैं अपनी ही मां के मुंह से यह सुना है कि वह उससे चुदना चाहती है तब से शुभम के भी कल्पना का घोड़ा बड़ी रफ्तार से दौड़ रहा था,,,,,,, वह भी शीतल को भोगना चाहता था। शुभम ज्यादा अच्छी तरह से समझ गया था कि वह किसी भी औरत को अपने लंड की ताकत से मस्त कर सकता है और उसे पूरा यकीन था कि जिसे समय सुबह पीतल की बुर में अपना लंड डालकर अपनी ताकत का परिचय उसे कराएगा तो वह भी उसकी पूरी तरह से दीवानी हो जाएगी।,,
अपनी खूबसूरत हसीन बीवी को नजरअंदाज करके अशोक अपनी ही दुनिया में मस्त था अपनी सेक्रेटरी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर वह उसे अपनी रखेल की तरह रखता था उसके लिए उसने ना जाने कितने पैसे खर्च कर डाले थे अपने ही पैसों का उसे फ्लैट ले कर दिया था उसका पति तो कुछ करता नहीं था सारा दिन शराब के नशे में चूर रहता था जिसका फायदा हुआ अच्छी तरह से उठाते हुए उसके साथ रोजाना संबंध बनाता था। अशोक इन सब चीजों में बहुत माहिर था मजबूर औरतों खूबसूरत औरतों को वह किसी भी तरह से हासिल करके उनसे अपनी प्यास बुझाता था,,,, लेकिन उसकी यह सेक्रेटरी कुछ ज्यादा ही चालाक थी समय-समय पर वह अशोक से पैसे की मांग करती थी और अशोक उसके मोहजाल में उसके रूपयौवन के रस के प्यास में,, कामांध होकर सब कुछ लुटा रहा था ऐसा नहीं था कि वह निर्मला से बेहद खूबसूरत थी वह निर्मला की खूबसूरती के आगे उसकी जुति बराबर थी। लेकिन बिस्तर पर बंद कमरे के अंदर जिस तरह कि वह हरकत करती थी किसी पोर्न स्टार से कम नहीं थी और यही हरकत तो अशोक चाहता था जो कि उसकी यह सेक्रेटरी पूरी तरह से अशोक को खुश करने में अपने सारे कामी दाव पेंच लगा देतीे थी।,,,
ऐसे ही एक दिन अशोक अपनी ऑफिस में बैठकर फाइल चेक कर रहा था कि तभी उसकी सेक्रेटरी ऑफिस का दरवाजा बिना नौकरी ऑफिस में दाखिल हुई और ऑफिस को लॉक कर दी,,,, अशोक अभी अपनी नजरें उठाकर उसे देख भी नहीं पाया था कि वह तुरंत उसके पीछे पहुंचकर,, उसके गले में अपनी नंगी बाहें डाल दी वह,,, इसलिए मैं ब्लाउज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी नंगी बदले आराम से नजर आती थी,,,, अशोक उसे कुछ कहता इससे पहले ही वह उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दी अपने दांत के बीच उसके काम को हल्के से भरकर काटते हुए बोली,,,
आई लव यू अशोक मैं तुम्हारे प्यार की दीवानी हो चुकी है मैंने आज तक तुम्हारे जैसा हैंडसम आदमी नहीं देखा और ना ही तुम्हारे जैसी किसी में मर्दानगी है।
( इतना कहने के साथ ही वह अशोक के चेहरे को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, जैसे ही अशोक का मुंह छत की तरफ हुआ,,, वैसे ही वह सीधी खड़ी हो गई जिसकी वजह से उसके बड़े-बड़े खरबूजे अशोक के चेहरे पर स्पर्श करने लगे और वह खुद अपने ही हाथों से अपनी चुचियों को पकड़कर अशोक के चेहरे पर ब्लाउज के ऊपर से ही रगड़ने लगी इतने में तो अशोक एक दम मस्त हो गया और अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठाकर ब्लाउज के ऊपर से ही ऊसकी चुचीयो को दबाना शुरु कर दिया,,,
ओहहहह अशोक और जोर-जोर से दबाओ तुम्हारे हाथों में आते ही इसके भी भाग्य खुल जाते हैं मेरा पति तो किसी काम का नहीं है, बस सारा दिन शराब के नशे में धुत रहता है अगर तुम ना होते तो ना जाने मेरी यह जवानी कहां पर बारबाद हो रही होती।,,,,( वह अपनी बातों के यादों में अशोक को पूरी तरह से दीवाना बना रही थी और अशोक भी मदहोश होता हुआ जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था। और वह गरम सिसकारी लेते हुए,,,,।
ससससहहहहह,,, ओहहहहहह, अशोक मेरे राजा और जोर-जोर से दबाओ,,,,आहहहहहह,,, अशोक,,,,
( ऑफिस के अंदर अशोक की सेक्रेटरी ने अशोक को एकदम कामातुर कर दी थी,,, सुबह गर्म सिसकारी लेते हैं अशोक को अपनी चुचियों के मर्दन का आनंद प्रदान कर रही थी। तभी वहां अपने ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोली,,,।)
रुको अशोक नंगी चूची को दबाने में और ज्यादा मज़ा आएगा ( इतना कहने के साथ ही अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपने हाथ से अपनी ब्रा को ऊपर चढ़ा दी,,, ऐसा करते ही उसकी नंगी बड़ी बड़ी खुशियां अशोक के चेहरे पर थिरकन करने लगी,,, अशोक तो एक दम से पागल हो गया और वह तुरंत अपनी हथेली में जितना हो सकता था ऊतनी चुचियों को पकड़कर दबाना शुरु कर दिया,,,, पीछे से ठीक तरह से दबाने का मजा ना तो अशोक ले पा रहा था और ना ही वह खुद आनंद ले पा रही थी इसलिए वह आगे आ गई जहां से अशोक उसकी चूचियों को पकड़कर अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दिया,,,, तभी वह अपना एक हाथ धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले जाने लगी और पेंट के ऊपर से ही अशोक के खड़े लंड को दबोच ली,,,, उसकी इस हरकत पर अशोक की आह निकल गई और पैंट के ऊपर से ही जोर जोर से लंड को मसलते हुए वह बोली,,,,।
अशोक तुम्हारा तो एकदम खड़ा हो गया है बहुत जल्दी तैयार हो जाते हो,,,,
मेरी जान तुम्हारे हाथ का जादू ही कुछ इस तरह से है कि मेरे बदन पर लगते ही सबसे पहले मेरा एंटीना खड़ा हो जाता है।
ओहहहहह,,,,, अशोक तभी तो मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हूं।
( इतना कहने के साथ ही वह नीचे बैठ गई और कुर्सी को अपनी तरफ घुमा कर अशोक के बेल्ट को खोलने लगी,,, उसकी इस हरकत से अशोक के बदन में रोमांच फैल गया उसके बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़ने लगी,,, वहं समझ गया कि अब वहं उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने वाली है,,,
बस यही अदा तो अशोक को बहुत अच्छी लगती थी और मैं यही चाहता भी था जिस तरह से वह गंदी गंदी बातें करके उसे मजा देती थी और एक पोर्न स्टार की तरह सब कुछ करती थी जो की फिल्मों में एक पोर्न स्टार अपने साथी कलाकार के साथ करती है। उसकी गंदी गंदी बातें अशोक की उत्तेजना में बढ़ोतरी करते थे,,,, वह खुद ही उसके लंड को पकड़ कर मुंह में लेकर तब तक चुसती जब तक कि उसका पानी नहीं निकल जाता था और उसके लंड से निकली पिचकारी को वह पूरा मुंह में गटक जाती थी। यही सब हरकतों का तो वह दीवाना था । उसकी नरम नरम ऊंगलियों के स्पर्श से ही उसके बदन में गुदगुदी होने लगी,,,, अगले ही पल उसने उसके पेंट को ढीला करके पैंट की ज़िप खोल दी और अंडरवियर में से उसके लंड को बाहर निकाल ली,,,, अशोक के लंड को हाथ में पकड़कर उसे हल्के हल्के मुठ्ठीयाने लगी,,, अशोक के बदन में पूरी तरह से शुरूर चढ़ने लगा था। वह अशोक के भजन में पूरी तरह से आग लगा देना चाहती थी इसलिए अशोक को दिखाते हुए अपनी जीभ से अपने लाल-लाल होठों को चाटते हुए आगे बढ़ी,, और लंड के बेहद करीब पहुंचकर अपनी जीभ से उसके सुपाड़े को चाटना शुरु कर दी,,,, उसकी हरकत से अशोक पूरी तरह से कामातुर हो गया,,, वह चाहता था कि वह उसके पूरे लंड को मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दे इसलिए तो वह बार-बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दे रहा था ताकि वह पूरे लंड को मुंह में भर ले,,, लेकिन वह अशोक को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी इसलिए बार-बार अपनी जीत को पीछे की तरफ खींच कर बस उस पर हल्के हल्के स्पर्श कर रही थी,,,,,, जिससे आशोक की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी,,,, उसको रहा नहीं गया तो वह बोला,,,
ओ मेरी रानी ऐसे नहीं बस पूरा लंड मुंह में लेकर चूसो,,,,
( ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अशोक के कुछ बोलने का इंतजार ही कर रही थी,,,, अशोक की बात सुनते ही वहां बड़े ही मादक स्वर में बोली,,,,।)
मेरे राजा मेरे सरकार तुम्हारे लंड को तो मैं मुंह में लेकर चूस ही लुंगी,, लेकिन कुछ दिनों से मेरे हाथ बहुत तंग है मुझे कुछ पैसों की जरूरत है,,,,
वह इतना कहते हुए बार-बार लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ से हल्के हल्के स्पर्श करा रही थी जिससे अशोक के बदन की गर्मी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,, उससे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,, वह जल्द से जल्द चाहता था कि वह उसके मुंह में लंड. भरकर चुसना शुरु कर दे इसलिए ऊसकी बात मानते हुए बोला,,,
मेरी जान मेरे रहते हुए तुम्हारे हाथ कभी तंग नहीं रहेंगे बोलो ना तुम्हें कितना पैसा चाहिए,,,,,
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