RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
गाँव की पंचायत के लिए गाँव के लोगों द्वारा एक जगह चुन ली गयी थी जिसे सब लोग बैठक कहकर पुकारते थे. जब गाँव में कोई गम्भीर बात होती तो गाँव के लोग मिलकर यहाँ बैठते थे और उस पर अपना फैसला तय करते थे. इस पंचायत में आसपास के गांवों के गणमान्य लोग भी शामिल किये जाते थे जिससे उस शख्स पर ज्यादा दवाव बनाया जा सके जिसने गलती की है. क्योंकि पहले ये होता था कि किसी एक गाँव से निकाले गये व्यक्ति को दूसरा गाँव रख लेता था लेकिन जब दूसरे गांवों के मुखिया ही फैसले में शामिल होंगे तो अपराधी आदमी को अपने गाँव में रखने का तो सवाल ही नही उठता.
राणाजी का अपराध तो ज्यादा बड़ा नही था लेकिन आज की पंचायत उनके खिलाफ किये गये षणयंत्र का परिणाम थी. राणाजी ने गाँव के बुद्धजीवियों को घास तो कभी नही डाली थी इसीलिए वो लोग राणाजी से पहले से ही जलते थे और आज जब उन्हें छोटा सा मुद्दा मिला तो तिल का पहाड़ बनाकर खड़ा कर दिया.
राणाजी की जाति के लोग तो उनसे खासे ही जलते थे. आज जब राणाजी का प्रभाव कम हुआ. उनपर तंगी आई और जमीन बिकी. उम्र भी ढलने लगी. घर में उनके अलावा कोई नही रहा. राणाजी का स्वभाव भी नर्म हुआ. कुलमिलाकर शेर जब बूढा हुआ तो सियारों को जोर आ गया था. उन्होंने राणाजी को मिटटी में मिलाने की सोच ली.
पंचायत की खुसर पुसर जोरों पर थी कि राणाजी वहां जा पहुंचे. राणाजी के पहुंचते ही सब लोग चुप हो गये. सभी की नजरें उनके चेहरे पर टिक गयी. राणाजी जी ने बैठक में आते ही मुखिया लोगों से दुआ सलाम की और वहीं पर बैठ गये.
ये वो पंचायत थी जो किसी समय राणाजी की हवेली पर होती थी. जिसमे मुख्य आदमी राणाजी के पिता और उससे पहले उनके दादाजी हुआ करते थे लेकिन आज एकदम उल्टा हिसाब था. आज और लोग मुख्य लोग थे और राणाजी मुजरिम.
पंचायत शुरू हुई. पडोस के गाँव के मुखिया ने राणाजी को पहले वो सारी बात बतानी शुरू की जिसके लिए उन्हें पंचायत ने बुलाया था, “राणाजी गाँव के लोगों को आपके द्वारा हुई कुछ बातों से खासी आपत्ति है. पहला ये कि आप अपनी जाति से छोटी जाति की औरत को व्याह कर घर लाये हैं. आप ने ऐसा कर सारी ठाकुर बिरादरी की नाक कटवा दी है. आसपास की पंचायतों में भी आपकी इस बात की चर्चा है. दूसरा उस लडकी का चाल चलन भी ठीक नहीं है. लोगों ने हमें अपनी आँखों की देखी बात बताई है कि उस औरत का गाँव के लडकों से खासा मिलना जुलना है. यहाँ तक कि लोगों ने छत पर खड़े होकर उसको इशारों से बात करते भी देखा है और साथ ही आप के खुद के द्वार पर वो लडकों के साथ ठिठोली करती देखी गयी है. उस औरत की ऐसी हरकतों से इस बिरादरी की इज्जत मिटटी में मिल गयी है. आपका घर नाचने गाने वाली औरत का कोठा बन कर रह गया है. अब पंचायत ने फैसला किया है कि सब लोग मिलकर इसका हल निकालें लेकिन उससे पहले आपका पक्ष भी जानना चाहते हैं. आप अपनी सफाई में जो भी कहना चाहें कह सकते हैं."
राणाजी पडोस के गाँव के मुखिया के किसी समय जिगरी यार हुआ करते थे लेकिन राणाजी और उसकी दोस्ती उनके जेल जाने के बाद ठंडी हो गयी थी. और जब राणाजी जेल से लौटकर आये तो दोस्ती का सम्बन्ध ही टूट गया. राणाजी का स्तर गिर रहा था और उसका स्तर दिनोंदिन उठ रहा था. यही वजह दोस्ती के अंत का कारण थी.
राणाजी ने अपना पक्ष कहना शुरू किया, “देखिये आप लोग पंच लोग है. मुझे आप के ऊपर पूरा भरोसा है कि आप जो भी करेंगे वो मेरे लिए उचित ही होगा लेकिन आप कोई भी फैसला देने से पहले उस पर पुनः विचार कर लें. ऐसा न हो कि किसी छोटे से गलत फैसले के कारण पंचायत की साख मिटटी में मिल जाए. लोग पंचायत पर भरोसा करना बंद कर दें.मैं खुद गाँव के मामलों को गाँव के स्तर पर ही निपटाने में विश्वास करता हूँ लेकिन गलती की गुंजायस कम से कम हो तो ये हम सब के लिए अच्छा है. बाकी का आपने कहा कि मैं गैर जाति की लडकी घर में लाया हूँ तो ये बात पूरी तरह सही है. दूसरी बात का जबाब में बस इतना ही देना चाहूँगा कि उस लडकी से गलती तो हुई है लेकिन जितना घिनौना कर उस बात को लोगों ने आप सब को बताया है वो झूठ है.बाकी का आप लोग खुद तय करें लेकिन किसी की जिन्दगी से खिलवाड़ न होने पाए इस बात का ध्यान रखते हुए."
पंचों को राणाजी की बात में दम लगा लेकिन आदमी कितना भी बढिया क्यों न हो, है तो आदमी ही. वो अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए भारी पलड़े का पक्ष लेता है. यहाँ राणाजी एक तरफ अकेले थे और दूसरी तरफ पूरा गाँव.
दुनिया उगते सूरज को सलाम करती है और राणाजी इस वक्त ढलते सूरज समझे जाते थे. पंचों में घुसर पुसर होने लगी हालांकि फैसला तो पहले से ही तय हो गया था लेकिन राणाजी को सुनते हुए पंचों के दिल धुकुर धुकुर कर रहे थे. आखिर किसी समय इस गाँव में राणाजी का दबदवा हुआ करता था.
तभी पडोस के गाँव के मुखिया ने खड़े हो कर अपना फैसला सुनना शुरू कर दिया, "राणाजी पंचायत ने आपकी बात पर बहुत गौर किया है. पहले तो हमने काफी कठोर फैसला लिया था लेकिन आपकी बात को सुन हमने उसको थोडा नर्म कर दिया है. पहले हमने सोचा था कि आपको उस लडकी सहित इस गाँव से बाहर कर दें या फिर आप गाँव में रहें तो उस लडकी को गोली मार दें. लेकिन उस लडकी में गोली मारने से दो जाने जाती. एक उस लडकी की और दूसरी उसके पेट में जो बच्चा है .
. आज हम इस फैसले को हल्का करते हुए आपसे कहते हैं कि आप उस लडकी को अपने घर से निकाल बाहर कर दें. उसे उसके गाँव छुडवा दें. नही तो पंचायत को पहले किये गये फैसलों पर विचार करना पड़ेगा. अब पूरा फैसला आपके हाथ है कि आप दोनों में से क्या करना चाहते हैं."
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