RE: kamukta Kaamdev ki Leela
शाम का समय हो जाता है और तब जाके दोनों भाई बहन को होश आ पड़ी। झट से अपने कपड़े समेटे राहुल और नमिता रूम में से बाहर निकल परते है और एक बार फिर सीढ़ियों में ही दोनों एक गहरी चुम्बन में व्यस्त हो जाते है।
नमिता : (अलग होके) ओह राहुल! बहुत मज़ा आया!
राहुल : मज़ा तो मुझे भी आया दीदी! और साथ साथ एक गिफ्ट भी तुझे मिल गई! (दीदी के पेट को सहलाता हुआ)
नमिता शरमा के लाल लाल हो गई और मुंह में से 'धत' निकल गई। बड़े अदा के साथ दोनों नीचे आने लगे तो उन्हें देख रिमी हैरान होने लगी।
रिमी : भइया, दीदी! यह ऊपर क्या कर रहे थे आप लोग???
नमिता : अरे वोह ..... अरे हां! एक पुरानी पेंटिंग खोज रही थी में! (राहुल के और इशारा) सोचा इसका सहायता ले लूं!
इतना कहना था के नमिता साइड में से अपनी कमरे की और निकल परी! उसकी डगमगाती चाल देखकर रिमी को कुछ अजीब लगी! अपनी भईया की और संकोच से देखने लगी। अब राहुल को सितुएशन हैंडल करना था!
राहुल : (सोचकर) हां! वोह दरअसल दीदी गीर गई थी, तो ....
रिमी : तो आपने संभाला ना? या कुछ और किया?? (नटखट होके)
राहुल अब खेल खेल में नकली घुस्से से रिमी की पीछे भागने लगा 'रिमी की बाच्ची!!!!! रुक तू!". रिमी भी भागने लगी तो इस बार राहुल को उसके हिलते नितम्ब नजर आए। उफ़ अभी अभी वासना के एक एपिसोड से निकाल आया था और अब दूसरे पड़ाव पर कदम भी रखने लगा। यह कमबख्त वासना भी बस!
रिमी : (अपने नितम्ब हिलाए) पक्कड़ो मुझे हिम्मत तो! ऊऊऊऊ!!!!! (जीब दिखती हुई)
राहुल रुक गया और ऐसे ही अपनी छोटी प्यारी बेहना की मदमस्त जिस्म को पीछे से तरता रहा। सोए हुए लिंग देवा फिर से जागृत होने चला था। जांघ सूखे वीर्य से सने हुए थे लेकिन सुपाड़े के हुंकार को कौन समझाए!
खैर, यह तो था राहुल के इरादे, चलिए ज़रा रेवती की और चलते है!
रेवती काफी दिनों से परेशान थी, कन्फ्यूज्ड भी थी के कौन सा भावना व्यक्त करे! बात दरअसल यह थी के पिछले कुछ दिनों से उसे एक लड़के से अजीब और गरीब मेसेजेस आ रहे थे। ना चाहते हुए भी उसे कहीं ना कहीं अच्छा भी लग रही थी, लेकिन दर भी कहीं ना कहीं थी। और क्यों ना हो! विह एक खिली खीली यूवती थी, उमर के इस पड़ाव में यह सब होना भी लाजमी था।
मेसेजेस में कहीं बार लिंग के अलग अलग पोज भेजे गए थे, जिसे देख रेवती को पहली दफा घिन्न तो अति रही, लेकिन फिर एक उत्तेजना दिल में समा गई थी और कहीं बार तो खुद को उंगली करने से भी नहीं चुकी! ब्लॉक करना आसान ज़रूर था, लेकिन कामुक इरादों को रोकना उतना ही मुश्किल!
लेकिन फिर एक ऐसा मेसेज था, जिसे पढ़के रेवती काफी नाराज़ हो गई। मेसेज के अनुसार जैसे उसे लिंगो की तस्वीरे भेजे गए थे, वैसे उससे उसकी योनि की एक तस्वीर मांगी गई थी! अब ज़ाहिर थी के यह बात हजम करना इतना भी आसान नहीं थी। दर और वासना ऐसे ही लड़ाई करते गए के अचानक उसके कमरे म के आइने में से तेज़ रोशनी बाहर आती गई और रेवती अपनी आंखें बंद कर लेती है आशचर्य से!
"ओह गॉड! ओह क्या है?!! क्या हो रहा!!! ओह!"
आहिस्ता आहिस्ता रोशनी सम्पत हुई और हमेशा की तरह उस फ्रेम पे आगायी गजोधरी! अपनी वहीं मचलती नटखट मुस्कुराहट लाइए। उसे देख रेवती हैरान और परेशान होके अपनी तकिए को बाहों में समेट सीधे बिस्तर पर स्तब्ध बैठ जाती है।
रेवती : केके कौन हो तुम???
गजोधरी : घबराओ मत पुत्री! कोई नुक्सान नहीं करूंगी! बस तुम्हे दर मुक्त करने आई हूं!
रेवती : में समझी नहीं!
गजोधरी : ज़्यादा भोली मत बनो! तुम्हारी उम्र में तो अप्सराएं बच्चा भी पैदा कर लेती है और भूल भी जाती है!
रेवती : ओह!! जस्ट शाट उप!! और प्लीज बताओ के तुम्हारी इरादा किया है???
गजोधरी : में तो इतना ही कहना चाहता हूं के उस मेसेज को इनकार मत करना! ना जाने कितने दीवाने तुमहरी योनि दर्शन के लिए पागल हुए जा रहे है!!!
रेवती : क्या?????!!! और एक मिनट! यह मेसेज वाली बात तुम्हे कैसे मालूम?? हूं र यू????
गजोधरी कुछ बोली नहीं लेकिन एक चुटकी बजा देती है, जिससे वही रंग बिरंगी तितलियां उड़ने लगी और सीधा रेवती को घेर लेती है! इससे पहले वोह लड़की कुछ बोल पाती, तितलियों के स्पर्श उसकी बदन के चारो और एक सिहरन पैदा कर देती है। रेवती सिसकने लगी और मचलने लगी, मानो किसी मछली को जल से कुछ पल के लिए निकला गई हो!
गजोधरी बिना कुछ कहे मुस्कुराती हुई वहा से गायब हो जाती है और आइना में रेवती को अपनी एक नई प्रतिबिंब नजर आती है! जिसमे वोह पुर्णं नग्न थी और एक आइटम गर्ल की तरह बरताव कर रही थी! होंठो को दबाए, आंखे मारती हुई और बेहकी बेहकि पोज देती हुई, और असह में उसकी मुंह से निकल जाती है "कोई चुओ ना मुझे! टच मी!!!"
इतना कहना था उस आइने में बसी रेवती की प्रतीबिम को और फिर एक धुएं कि भांति गायब हो गई। रेवती हक्का बक्का रह गई इस अजीब अनुभव से। लेकिन फिर उसकी मन में कहीं लट्टू फुट परे और एक के बाद एक उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और एक दम नंगी होके खुद को आइने में जैसे उसने परखी तो उसकी दिल में उमंगे जाग उठी।
चेहरा गोल और गुलाबी! बिल्कुल अपनी मा जैसी!
स्तन पपीते समान, जिसमे निप्पल सिक्के के समान थे!
और सबसे आकर्षित अंग, उसके मस्त मोटी मोटी जांघें! जो बरी प्यार से रक्षा कर रही थी उसकी योनि की!
बिना संकोच किए उसने अपनी योनि की मुख्य दुआर में उंगलियां फिरानी शुरू की और हल्का हल्का सहलाने लगी। उफ्फ इस अनुभव का वर्णन ही किया नहीं जा सकता दोस्तो! लेकिन रेवती को आनंद तो प्राप्त हो रही थी भरपूर! उसने ऐसा करना बंद नहीं की, बल्कि और उंगलियों को भी शामिल करली!
"तू क्यों मुझे सता रही है!! उम्म?? तुझे लोग देखना चाहते है और तू है कि (खुद्रती हुई) आह!! उह!, और मत सता मुझे, प्लीज!"
यह बातें उसके मुंह से एक सिसकी के समान निकल रही थी और ताजुब की बात यह थी के वह अपनी ही धुन में इतनी मगन थी के दुनिया इधर की उधर ही जाए, लेकिन उसकी उंगलियां योनि की लबों को नहीं छोड़ सकती!
कुछ ही पलों में वोह झड़ गई और धीमे धीमे नींद की आगोश में चली गई। नींद की चंगुल में आने से पहले उसे इस बात की भी एहसास नहीं रही के वोह पूर्ण नाग्न अवस्था में थी और ऐसे समय में अन्दर प्रवेश करने लगी रमोला जिसकी आंखें बड़ी बड़ी रह गई। मूह खुला रह गया और सांसें रुक गई।
सामने उसकी बिस्तर पे लेटी थी रेवती जो पूर्ण नग्न अवस्था में और लबों पे एक चैन कि मुस्कान थी, मानो स्वरग यात्रा के अाई हो।
उसकी यह हुलिए देखकर रमोला की बोलती बंद हो गई और झट से उसके उपर चादर ओढ़ के एक चैन कि सास लेती है। "बेशरम लड़की!! यह आजकल के लौंडिया भी!" बड़बड़ाती हुई वोह कमरे में से बाहर निकल गई।
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