Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
11-23-2020, 02:00 PM,
#26
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
27

विजय ने आशा के फ्लॅट की कॉल्लबेल बजाई.
करीब 15 सेकेंड बाद दरवाजा खुला.
आशा नज़र आई.
विजय ने तुरंत थर्ड क्लास आशिक़ की तरह अपनी छाती पर हाथ मारने के साथ कहा," हाय मेरी गोगियपाशा "
आशा.
सीक्रेट सर्विस की एक मात्र महिला एजेंट.
गोल चेहरे और सिंदूरी रंगत वाली बेहद खूबसूरत लड़की.
वो, जो मन ही मन विजय से मोहब्बत करती थी बल्कि अब मन ही मन नही कहाँ जाना चाहिए क्योंकि वो विजय से अपनी मोहब्बत का इज़हार भी कर चुकी थी पर विजय तो फिर विजय था.
जिसने कभी शादी ना करने की कसम खा रखी हो, जिसका कहना ही ये था कि उसकी शादी देश से हो चुकी है, वो भला किसी लड़की की मोहब्बत को कैसे कबूल कर सकता था.
आशा ने जब भी उसके सामने अपनी भावनाए उकेरने की चेष्टा की, विजय तभी मूर्खतापूर्ण बाते और हरकते शुरू कर देता.
इतनी अति कर देता की आशा झल्ला उठती.
इस वक़्त वो सफेद रंग के सलवार-सूट मे थी और बहुत ही सुंदर लग रही थी, विजय को देखते ही गुलाब की पंखुड़ियो जैसे होंठो से निकला था," त...तुम "
" जी " वो पेट पर हाथ रखकर मोटी टिप पाने के ख्वाइश्मन्द वेटर की तरह झुक कर बोला," हम "
" यहाँ क्यो आए हो " उसने कड़क लहजे मे पूछा.
" ऐसी भी क्या बेरूख़ी डार्लिंग कि घर आए आशिक़ को दरवाजे पर से ही टरकाने के मूड मे हो "
" मुझे मालूम है तुम किस तरह के आशिक़ हो "
" पर हमे नही मालूम, बताओ, हम किस तरह के आशिक़ है "
" जो कभी किसी के ज़ज्बात नही समझ सकता "
" ज़ज्बात की बात मत करना मिस गोगियपाशा, ज़ज्बात तो तुम नही समझ सकी कभी हमारे, अब... अभी को देख लो, हम यहाँ, तुम्हारे पहलू मे अपने इश्क़ का बताशा फोड़ने आए है और तुम हो कि दरवाजे पर आड़कर खड़ी हो गयी हो, अंदर ही नही आने दे रही हमे, अंदर आए तो रायता फैलाए "
" रायता फैलाए, कैसा रायता "
" अपने इश्क़ का रायता "
" जो आदमी इश्क़ को रायता कहता है, वो प्यार-मोहब्बत की बातो को क्या समझेगा, मैं सब समझती हूँ, ज़रूर तुम किसी काम से आए हो, आओ " कहने के साथ वो एक तरफ हट गयी.
ड्रॉयिंग रूम मे कदम रखते हुए विजय ने कहा," आज हम तुमसे इसी टॉपिक पर बात करने आए है "
" किस टॉपिक पर "
" हम ने मोहब्बत का गुड चाट लिया है "
" क्या चाट लिया है "
" गुड "
" मोहब्बत का "
" हां "
" ये कौन सा गुड होता है "
" वो कहावत है ना कि सारा गुड गोबर कर दिया, पर ये वो गुड है जो कभी गोबर नही हो सकता, हमेशा गुड ही रहता है "
" तो तुमने मोहब्बत का गुड चाट लिया है "
" तभी तो मुँह चिपका हुआ है "
" तुम्हे कहाँ मिल गया ये गुड "
" ढूँढा तो तुम्हारे दिल के तहख़ाने मे था लेकिन हम बुड्ढे होने को आए, तुमने उसका स्वाद भी नही चखाया " कहने के साथ विजय सोफे पर पसर गया," इसलिए हम ने कही और चबा डाला "
" कहाँ "
" एक लकड़ी है जो आजकल हमारे दिल के स्विम्मिंग पूल मे उतरी हुई है और दनादन डुबकिया लगा रही है "
" नाम "
" अंकिता " कहने के साथ विजय ने अपना चेहरा इस कदर लाल कर लिया था जैसे शरम से गढ़ा जा रहा हो.
आशा ने ये जानने के लिए उसे ध्यान से देखा कि वो आख़िर चाहता क्या है, बोली," कहाँ रहती है "
" अड्रेस भी बता देंगे लेकिन.... "
" लेकिन "
" हमारी फर्स्ट प्राइयारिटी आज भी तुम हो "
" मतलब "
" आशा डार्लिंग, हम तुम्हारे इश्क़ का गजर्बत तब से पी रहे है जब अपनी माँ के पेट मे अठखेलिया कर रहे थे " विजय ने अपना लहज़ा भावुक बना लिया था," मगर एक तुम हो कि हमारे इश्क़ का सत्तू पीने को तैयार ही नही होती इसलिए हम ने अंकिता के सामने अपने प्यार की थाली परोस दी और आजकल वो उसे गपगाप खा रही है, फिर भी, जैसा कि हम ने कहा, हमारी फर्स्ट प्राइयारिटी तुम हो, यदि तुम हमारे प्यार की गरमा-गरम जलेबिया खाना शुरू कर दो तो हम अंकिता के सामने से अपनी थाली हटा लेंगे "

विजय क्योंकि आशा कि कमज़ोरी था इसलिए उसके शब्दो ने उसके अंदर कही संगीत सा बजाया था, परंतु वो तुरंत ही सतर्क हो गयी क्योंकि जानती थी कि विजय के दिल मे उसके लिए ऐसी कोई भावना नही है जैसी वो उसके प्रति रखती है, और अभी वो जो कुछ भी कह रहा है, वो सब बकवास है, अतः कड़े लहजे मे बोली," मेरा तुममे कोई इंटेरेस्ट नही है और मैं ये भी जानती हू कि तुम किसी अंकिता-वंकिता से मोहब्बत नही करते "

" तुमने तो हमारा दिल ही फोड़ दिया गोगियपाशा, एक साथ दो गोलियाँ दागी है तुमने, एक, ये कहकर कि हममे तुम्हारा कोई इंटेरेस्ट नही है, दूसरी, ये कहकर कि हम किसी अंकिता-वंकिता के भुने हुए चने चुरमुरे नही चबा सकते "
" बकवास बंद करो विजय और सीधे-सीधे बताओ की यहा क्यो आए हो, क्या चाहते हो मुझसे "
" वही, जो एक आशिक़ अपनी महबूबा से चाहता है "
" मैं तुम्हारी महबूबा नही हू "
" दुख हुआ सुनकर, खैर " विजय ने ठंडी साँस लेने के बाद कहा," दोस्त तो बन सकती हो "
" काय्दे से तो तुम दोस्त बनाने के लायक भी नही हो "
" तो दुश्मन ही बना लो जान-ए-मन, कुछ ना कुछ तो बना ही लो, हम तुम्हारे बनना चाहते है "
आशा गुर्राई," तुम लाइन पर नही आओगे "
" लाइन ही मार रहा हू लेकिन तुम हो कि.... "
" विजय " आशा उसकी बात काटकर गुर्राई थी," कोई काम की बात करनी है तो करो, वरना यहाँ से जा सकते हो "
" तुमने तो हमारे दिल का बताशा बिल्कुल ही कुचल दिया आशा डार्लिंग, खैर, घर ही तो बसाना है, एक दर्जन बच्चे भी पैदा करने है ताकि अपने घर की क्रिकेट टीम बन सके, अब तो अंकिता का सहारा ही है लेकिन... "
विजय ने इस उम्मीद मे खुद ही बात अधूरी छोड़ दी कि आशा पूछेगी लेकिन क्या, मगर उसने कुछ नही पूछा.
बस देखती रही विजय की तरफ.
अंततः विजय को ही कहना पड़ा," पूछो ना आशा डार्लिंग, लेकिन क्या "
" बता दो "
" अंकिता की जनमकुंडली बना दो "
" कैसी जनमकुंडली "
" वो कहाँ जाती है, क्या करती है, ख़ासतौर पर किसी और से इश्क़ का तरबूज तो नही खा रही है, तुम्हे ये सब पता लगाना है, बहरहाल, सारी जिंदगी का सवाल है, हम से शादी के बाद भी अगर उसके दिल मे किसी और के प्यार की मोमबत्ती जलती रहे तो दिक्कत हो जाएगी, इसलिए तुम्हे.... "
आशा ने टोका," आजकल किसी केस पर काम कर रहे हो "
" केस पर काम करे हमारे दुश्मन, हम तो इश्क़ की चाशनी मे डूबे घूम रहे है "
" मैं सीक्रेट सर्विस की एजेंट हू, तुम्हारी नही, तुम्हारे लिए क्यो किसी की जासूसी करती फिरू "
" दिल पर थपकीया मत बरसाओ आशा डार्लिंग, ये काम तुम्हे हमारी बेहतर जिंदगी के लिए करना है "
आशा समझ चुकी थी कि अंकिता नामक किसी लड़की की जानकारी विजय को किसी केस के तहत चाहिए, जानती थी, जब तक वो तैयार नही होगी तब तक वो उसका दिमाग़ चाट-ता रहेगा, इसलिए पीछा छुड़ाने के लिए बोली," अंकिता का अड्रेस दो "
विजय ने जेब से एक कागज निकालकर उसे पकड़ाते हुए कहा," इसके बॉस आलाहमिया को प्यारे हो चुके है मगर हमे शक है कि उससे पहले ये उनके इश्क़ के हिंडोले मे झूल रही थी, तुम्हे पता लगाना है कि ये सच है या नही, अगर सच है तो हम इसके सामने से अपने इश्क़ की थाली हटा लें और ऐसा नही है तो वादा करते है, हर साल तुम्हे एक बच्चा गिफ्ट करेंगे "

--------------------------

अगले दिन 11 बजे विजय ने विकास के मोबाइल पर कॉल लगाकर पूछा," क्या रिपोर्ट है दिलजले "
" कोई ख़ास नही " विकास ने बताया," सवा 10 बजे राजन अंकल घर से निकले, बॅंक गये, अपने अकाउंट से 5 लाख रुपये निकाले, एक दुकान से सिम खरीदा और वापिस आ गये "
" उन्होने हमे अपना नया नंबर दे दिया है और ये भी बता दिया है कि वे 5 लाख का इंतज़ाम कर चुके है, तुम कहाँ हो "
" दाढ़ी और कपड़ो से मुसलमान नज़र आ रहा हू, पार्क के एक कोने मे कपड़ो पर प्रेस करने का ठेला लगा लिया है, खूब कपड़े आ रहे है, कॉलोनी वालो का कहना है कि मैंने बड़ा अच्छा किया जो यहा ठेला लगा लिया, उन्हे प्रेस कराने काफ़ी दूर जाना पड़ता था "
" चलो प्यारे, तुम्हारी बेरोज़गारी तो दूर हुई " कहने के बाद विजय ने पूछा," किसी नतीजे पर पहुचे, कोई और किसी तरीके से सरकार-ए-आली पर नज़र रखे हुवे है या नही "
" अभी तक महसूस तो नही किया मैंने ऐसा " बताने के बाद विकास ने पूछा," किडनॅपर्स मे से किसी का फोन आया "
" नही "
" आपका क्या प्रोग्राम है "
" शुभम के घर के लिए निकल रहे है "
" शुभम "
" भूल गये दिलजले, कान्हा के दो दोस्तो मे से एक "
" ओह, हां, पर उससे मिलकर क्या करेंगे "
" ये जानने की कोशिश कि उन्होने राघवन से वो सब कहा था या नही जो राघवन ने बताया "
" क्या आपको शक है "
" शक करना इन्वेस्टिगेटर की फ़ितरत होनी चाहिए "
" राघवन पहले ही कह चुका है कि अब वे और उनके घरवाले उस बारे मे कुछ भी स्वीकार नही करेंगे "
" देखते है क्या होता है, ये पता लगाना ज़रूरी है कि.... "
विजय का सेंटेन्स अधूरा रह गया क्योंकि तभी उसकी जेब मे पड़ा राजन सरकार का मोबाइल बजने लगा था, विजय ने विकास से ये कहकर अपना फोन काट दिया कि सरकार-ए-आली की फोन की घंटी बज रही है, शायद किडनॅपर्स हो.
उसने बगैर देर किए राजन सरकार का मोबाइल निकाला.
स्क्रीन पर नज़र डाली, नया नंबर था.
कॉल रिसीव करने के साथ राजन सरकार की आवाज़ मे हेलो कहा तो दूसरी तरफ से अक्खड़ लहजे मे पूछा गया," क्या सोचा "
" म..मैंने 5 लाख का इंतज़ाम कर लिया है "
" अपनी बीवी को बचाने के लिए तुझे यही करना चाहिए था "
" क...कहाँ पहुचाने है "
" इंतजार कर " कहने के बाद फोन काट दिया गया.
हालाँकि विजय को मालूम था कि कोई फ़ायदा नही होगा मगर फिर भी उसने वो नंबर मिलाया.
स्विच ऑफ आया, ये बात कल ही विजय की समझ मे आ चुकी थी कि चंदू आंड कंपनी सर्व्लेन्स की पूरी प्रक्रिया से ना केवल वाकिफ़ है बल्कि इस तरफ से पूरी सतर्क भी है, वे हर बार नये सिम से फोन कर रहे थे ताकि ट्रेस ना किए जा सके.
उसे वापिस जेब मे डालने के बाद विजय उस लॅंडलाइन फोन की तरफ बढ़ा जिसका नंबर ना किसी मोबाइल पर आ सकता था और ना ही किसी तरह से ट्रेस किया जा सकता था क्योंकि वो फोन सीक्रेट सर्विस का था, उसने अशरफ का नंबर लगाया और दूसरी तरफ से अशरफ की आवाज़ सुनते ही सीक्रेट सर्विस के चीफ यानी की ब्लॅक बॉय की ख़ास भर्राई हुई आवाज़ मे बोला," विक्रम, परवेज़ और नाहर को भी फोन कर देना, आज तुम चारो हाइ अलर्ट पर रहोगे, किसी भी समय एक ख़ास काम पर निकलना पड़ सकता है "
" यस सर " अशरफ की अलर्ट आवाज़ आई.
" दोबारा हम फोन नही करेंगे, विजय फोन करेगा और तुम चारो को वही करना है जो विजय कहे "
एक बार फिर अशरफ की यस सिर सुनाई दी और विजय ने रिसीवर क्रेडेल पर रख दिया.
पोर्च मे पहुचा.
गाड़ी स्टार्ट की और बाहर निकल गया.

शुभम 18-19 साल का एक गोल-मटोल और गोरा लड़का था, वो बहुत आसानी से विजय के सामने नही आ गया था बल्कि ये कहा जाए तो ज़रा भी अतिशयोक्ति नही होगी कि उसे अपने सामने लाने मे विजय को काफ़ी पापड बेलने पड़े थे.
बेल बजाने पर दरवाजा शुभम की मम्मी ने खोला था.
अपने दरवाजे पर अजनबी को खड़ा देखकर उसकी आँखो मे सवालिया निशान उभरा ही था कि विजय ने पूछा," अंशुल है "
" आप कौन " उसने पूछा.
" कहिए रॉ से आए है " विजय का लहज़ा बेहद शुष्क था.
" रॉ "
" बुलाइये, वे इस शब्द का अर्थ अच्छी तरह जानते होंगे "
उसने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि पीछे से प्रकट होते 45 वर्षीया अंशुल मेहता ने पूछा," कौन है किरण "
किरण के कुछ भी कहने से पहले विजय ने अपनी जेब से एक कार्ड निकाला और अंशुल मेहता की आँखो के सामने कर दिया.
अंशुल मेहता ने उसे पढ़ा और झटका सा खा गया, मुँह से ये शब्द निकले," र....रॉ, आप रॉ से आए है "
" इस कार्ड पर मेरा नाम भी पढ़ सकते है, विजय "
" वही रॉ ना, जो देश की सबसे बड़ी जासूसी संस्था है "
" जी "
" प...पर आप यहाँ क्यो आए है "
" बताते है, क्या अंदर नही आने देंगे "
" आइए " कहने के साथ वो दरवाजे से हटा.
उसे ऐसा करते देख, किरण भी एक तरफ हट गयी.
विजय ऐसे अधिकार के साथ ड्रॉयिंग रूम मे दाखिल हुआ जैसे ये उसका अपना फ्लॅट हो, उसी अधिकार से एक सोफा चेर पर बैठ गया, बेचैन और ससपेन्स मे फँसे अंशुल ने पूछा," मैं समझ नही पा रहा हू कि आप मेरे घर क्यो आए है "
" समझ जाएँगे, बहुत अच्छी तरह समझा दूँगा मैं आपको " विजय ने ऐसे लहजे मे कहा था कि अंशुल मेहता की शिराओ मे दौड़ता खून फ्रीज़ होने लगा था.
अंशुल और किरण एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे थे.
" बैठिए " विजय ने ऐसे लहजे मे कहा था जैसे थानेदार थाने मे आए किसी व्यक्ति से कहता है.
वे दोनो सहमे हुवे से नज़र आ रहे थे, इस कदर की कोई भी सवाल किए बगैर उसके सामने बैठ गये.
विजय ने हंटर सा चलाया," शुभम को बुलाइये "
" स...शुभम " ये शब्द दोनो के मुँह से एकसाथ निकला, फिर अंशुल मेहता ने पूछा," शुभम को क्यूँ, क्या किया है उसने "
" सब पता लग जाएगा, जो बाते होंगी, आपके सामने ही होंगी "
" प्लीज़ बताइए तो सही, उससे क्या ग़लती हो गयी है "
विजय सपाट लहजे मे बोला," मुझे पता लगा है कि उसने कान्हा और मीना के बारे मे इनस्पेक्टर राघवन से कुछ कहा था "
किरण का चेहरा पीला पड़ गया था जबकि अंशुल मेहता हकला उठा," क..कौन कान्हा और मीना "
" ज़्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश की तो शुभम के साथ-साथ आपको भी जैल की हवा खानी पड़ेगी "
" क्या आप उन कान्हा और मीना के बारे मे बात कर रहे है जिनके बारे मे मीडीया मे चर्चा हुई थी " अंशुल भरपूर कोशिश के बावजूद अपने लहजे को संतुलित नही कर पा रहा था," मिस्टर. सरकार के बेटे और नौकरानी "
" मुझे ये जानना है कि शुभम ने उनके बारे मे इनस्पेक्टर राघवन से कुछ कहा भी था या नही और कहा था, तो क्या, उसे बुलाइये "
" नही " एकाएक किरण के चेहरे पर सख्ती के भाव काबिज हो गये," मैं उसे नही बुलाउन्गि, ऐसे किसी मामले से मेरे शुभम का कोई संबंध नही है, उसने किसी से कुछ नही कहा था "
" बुलाना तो आपको पड़ेगा ही "
" नही बुलाउन्गि, आप क्या कर लेंगे " किरण चट्टान बनकर खड़ी हो गयी थी," वो तो बच्चा है, हम से पूछिए क्या पूछना है "
" आपके कुछ कहने से काम नही चलेगा " विजय का लहज़ा सख़्त था," ये एक पोलीस इनस्पेक्टर के कॅरियर का मामला है "
" कौन पोलीस इनस्पेक्टर "
" राघवन "
" क्या हुआ उसे "
" सस्पेंड हो गया है " विजय ने कहा," इस मामले मे कि उसने कान्हा और मीना के बारे मे झूठी अफवाह उड़ाई "
" तो हम क्या करे "
" राघवन का कहना है कि उसने मीडीया से जो भी कहा, वो सब उसे शुभम और संचित ने बताया था "
" हमारे बेटे ने किसी से कुछ नही कहा "
विजय ने अपना आख़िरी तीर चलाया," अगर शुभम भी यही कहता है तो मुझे उसका नारको टेस्ट करना पड़ेगा "
" न...नारको टेस्ट " दोनो के होश उड़ गये.
" उसके अलावा कोई चारा भी तो नही है, मुझे उसे गिरफ्तार करके हेडक्वॉर्टर्स ले जाना पड़ेगा और वहाँ .... "
अंशुल मेहता कांपति आवाज़ मे कह उठा," आ...आप इतने छ्होटे बच्चे को गिरफ्तार करेंगे, उसका नारको टेस्ट कराएँगे "
" दुख तो मुझे भी होगा मगर मजबूरी है " विजय कहता चला गया," इस केस की जाँच मुझे सौंपी गयी है, अगर ये साबित होता है कि राघवन से वो सब शुभम और संचित ने कहा था तो राघवन की नौकरी बच सकती है और यदि ये साबित होता है कि उससे दोनो बच्चो मे से किसी ने कुछ नही कहा था बल्कि उसने अपनी तरफ से कहानी बनाई थी तो वो बारह के भाव लद जाएगा, मैंने राघवन से बात की, उसका कहना है कि ये बात शुभम और संचित ने उसे बताई थी, सच्चाई तक पहुचने के लिए आप उनका नारको टेस्ट करा सकते है, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा "
किरण ने कहा," हम शुभम का नारको टेस्ट नही होने देंगे "
" क़ानूनी प्रक्रिया है, इसमे आप तो क्या, मैं भी कुछ नही कर सकता, बहरहाल, एक इनस्पेक्टर की नौकरी लेने से पहले हमे सच्चाई तक तो पहुचना ही होगा, हन, नारको से बचने का एक रास्ता है "
" क...क्या " दोनो के मुँह से एकसाथ निकला.
" वो वैसे ही सच बोल देगा तो नारको की ज़रूरत ही नही पड़ेगी "
" सच्चाई यही है की बच्चो ने उससे कुछ नही कहा " किरण ने कहा," सारी बाते उसकी अपनी बनाई हुई है "
" फिर वो बच्चो का नारको कराने को क्यूँ कह रहा है "
" हमे क्या मालूम "
" तो ठीक है, नारको करा लेते है, सच्चाई सामने आ जाएगी, आप उसे मेरे हवाले कर रहे है या फोर्स को बुलाओ "
थोड़ी घबराई और थोड़ी भन्नाइ हुई किरण फिर कुछ कहने वाली थी कि अंशुल मेहता ने उसे शांत रहने का इशारा करते हुवे विजय से कहा," अभी-अभी क्या कहा था आपने, कि अगर शुभम सच बता देता है तो नारको की ज़रूरत नही पड़ेगी "
" क्यो पड़ेगी, मेरा तो उद्देश्य ही सचाई का पता लगाना है, ऐसे ही पता लग जाएगी तो नारको क्यो कराउन्गा "
अंशुल के मुँह से ऐसी साँस निकली जैसे बहुत देर से रोके हुई हवा झटके से छोड़ी हो, बोला," तो सचाई ये है मिस्टर. विजय कि शुभम और संचित ने इनस्पेक्टर राघवन से वो सब कहा था, इसलिए कहा था क्योंकि उस बारे मे उन्हे कान्हा ने बताया था "
" बात आपके नही बल्कि शुभम के कहने से बनेगी "
" हम एक रिक्वेस्ट करना चाहते है "
" कीजिए "
" आप उसे गिरफ्तार नही करेंगे, नारको नही कराएँगे "
" सच बोलेगा तो उस सबकी ज़रूरत ही नही पड़ेगी और..... "
" और "
" ये भी वादा करता हू कि बात यहाँ से आगे नही जाएगी, अर्थात गवाही देने के लिए उसे कोर्ट-कचहरी तो क्या, किसी थाने तक भी नही जाना पड़ेगा, मेरी रिपोर्ट अंतिम मानी जाएगी "
" किरण " उसने अपनी पत्नी से कहा," शुभम को ले आओ "
किरण जैसे अब भी तैयार नही थी, उसने अपने पति की तरफ देखा जबकि अंशुल ने कहा," ले आओ, मुझे नही लगता की ये अपने वादे से मुकरने वाले शख्स है "

किरण बेमन से फ्लॅट के अंद्रूणी हिस्से मे गयी और दो मिनिट बाद जब वापिस आई तो वो गोल-मटोल लड़का विजय एक सामने था, विजय ने उसे सामने बिठाया और बोला," कान्हा ने तुमसे अपने और मीना के बारे मे क्या कहा था "
सहमे हुए शुभम ने अपने मम्मी-पापा की तरफ देखा.
अंशुल ने कहा," सच बता दो बेटा, कुछ नही होगा "
तब, उसने वही बताया जो राघवन ने कहा था.
विजय का अगला सवाल," उसने अपने पापा और चंदानी आंटी के बारे मे भी कुछ कहा था "
शुभम ने हन मे गर्दन हिलाई.
" क्या "
उसने वही कहा जो राघवन ने बताया था.

-------------------------

राजन सरकार के मोबाइल पर रात के 11 बजे किडनॅपर का फोन आया, विजय ने राजन की आवाज़ मे हेलो कहा.
दूसरी तरफ से कहा गया," 5 लाख लेकर घर से निकल "
" म.....मैं तो कब से तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा हू "
उसके सेंटेन्स पर ध्यान दिए बगैर कहा गया," तुझे सेंटरो मे नही स्विफ्ट क्ज़ाइर मे निकलना है "
" ऐसा क्यो " विजय ने पूछा.
" सवाल नही, जो कहा जाए वो कर "
" क...कहाँ पहुचना है "
" गाँधी चौक " कहने के बाद फोन काट दिया गया.
विजय ने तुरंत अशरफ का मोबाइल मिलाया और उसे कुछ भी कहने का मौका दिए बिना बोला," फ़ौरन से पहले विक्रम, नाहर और परवेज़ को साथ लेकर गाँधी चौक पहुचो प्यारे झान्झरोखे "
" ये मेरे साथ फ्लॅट पर ही है और हम तुम्हारे ही फोन का इंतजार कर रहे थे, माजरा क्या है "
टाइम कम था इसलिए विजय ने शॉर्ट मे बताया," अगर तुरंत निकल पड़े तो तुम्हे गाँधी चौक पहुचने मे 10 मिनिट लगेंगे, जबकि जिसकी तुम्हे मदद करनी है, वो जहाँ से चलेगा वहाँ से उसे करीब 12 मिनिट लगेंगे, मतलब वो तुम्हारे बाद वहाँ पहुचेगा, वो सफेद स्विफ्ट क्ज़ाइर मे होगा, राजन सरकार नाम के उस आदमी की बीवी को कुछ लोगो ने किडनॅप कर रखा है, वो उन्हे फिरौती देने निकला है और तुम्हे उन्हे जंबूरे से पकड़ना है जिन्हे फिरौती दी जाएगी, याद रहे, उन पर तब हाथ डालना है जब राजन सरकार की बीवी उसके पास सुरक्षित पहुच जाए "
" तुम कहाँ होगे "
" हम हमेशा जहन्नुम मे होते है " कहने के साथ उसने फोन काटा और दूसरी कॉल विकास को की.
उसे बताया कि किडनॅपर की तरफ से राजन सरकार को गाँधी चौक पहुचने के लिए कहा गया है.
तीसरा फोन राजन सरकार को किया, उससे कहा कि 5 लाख के साथ स्विफ्ट क्ज़ाइर मे गाँधी चौक पहुचे.
उसने पूछा," स्विफ्ट क्ज़ाइर मे ही क्यो, सेंटरो मे क्यो नही "
" यही हुकुम हुआ है, उनका हुकुम तो मानना ही पड़ेगा "
" तुम कहाँ हो "
" घबरआईए मत, आपके आसपास ही होंगे "
" म...मुझे बहुत डर लग रहा है, कही कोई गड़बड़ तो... "
" देर मत करो " विजय ने उसकी बात काटी," फ़ौरन गाड़ी लेकर निकलो वरना उन्हे शक हो जाएगा "
कहने के बाद विजय ने संबंध विच्छेद कर दिया ताकि राजन सरकार और समय बर्बाद ना करे.
वो खुद भी लघ्भग दौड़ता हुआ अपनी कोठी के पोर्च मे पहुचा और गाड़ी स्टार्ट करके गाँधी चौक की तरफ दौड़ा दी.
उसे मालूम था कि कोठी से गाँधी चौक पहुचने मे 15 मिनिट लगेंगे मगर उसे ये दूरी 15 मिनिट से पहले पूरी करनी थी इसलिए गाड़ी बहुत तेज चला रहा था.
उस वक़्त वो गाँधी चौक पहुचने ही वाला था कि राजन का मोबाइल एक बार फिर बजा.
इस बार अलग नंबर से कॉल आई थी.
ड्राइव करते हुए ही विजय ने कॉल रिसीव की.
दूसरी तरफ से पूछा गया," कहाँ पहुचा "
" गाँधी चौक " विजय ने राजन सरकार की आवाज़ मे कहा.
" वहाँ से रिंग रोड की तरफ चल और अब फोन मत काटना, मैं बताता रहूँगा कि कब क्या करना है "
" ठीक है " विजय ने कहा तो यही लेकिन तुरंत ही फोन काट दिया था, तेज़ी से राजन से संबंध स्थापित किया और बोला," मैं किडनॅपर को कान्फरेन्स पर ले रहा हू, उस अवस्था मे उसकी आवाज़ आप तक भी पहुचती रहेगी, याद रहे, आपको बिल्कुल नही बोलना है, एक लफ़्ज भी नही, बस उसके कहे का पालन करते रहना है "
" त...तुम कहाँ हो "
" मैं आपकी गाड़ी को देख रहा हू, रिंग रोड की तरफ चलिए " कहने के बाद विजय ने मोबाइल को होल्ड पर डाल दिया था.
इस बीच उसे अशरफ की गाड़ी भी नज़र आ गयी थी और उसमे बैठे विक्रम, नाहर और परवेज़ भी.
विकास नज़र नही आया था.
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RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री - by desiaks - 11-23-2020, 02:00 PM

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