राबिया का बेहेनचोद भाई--1
यू तो मैने जवानी की दहलीज़ पर पहला कदम उमर के चौदह्वे पराव में ही रख दिया था. मेरी छातियों के उभर छोटे छोटे नींबू के आकर के निकल आए थे. घर में अभी भी फ्रॉक और चड्डी पहन कर घूमती थी. अम्मी अब्बू के अलावा एक बड़ा भाई था, जो उमर में मुझसे दो साल बड़ा था. यानी वो भी सोलह...
यह कहानी नहीं बल्कि मेरी सच्ची दास्तां है।
इसे लिखने का उद्देश्य किसी पाठक की यौनेच्छा को जागृत करना नहीं बल्कि उन्हें इस समाज की घिनौने सच्चाई को बेनक़ाब करना है, उन्हें यह बतलाना है कि आज इस समाज में किस तरह से लोग अपने दोस्तों की भोली-भाली, कमसिन बेटियों को फुसलाकर, उसके यौनेच्छा को जगा कर...