hotaks444
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दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा हाजिर हूँ एक और नई कहानी के साथ उम्मीद करता हूँ आपको ये कहानी जरूर पसंद आएगी
मेरी उम्र 18 साल है, मैं कुँवारी युवती हूँ. मैने 12थ का एग्ज़ॅम दिया है. मैं अपने बारे में यह बताना ज़रूरी समझती हूँ कि मेरी फॅमिली काफ़ी अड्वान्स है, और मुझे किसी प्रकार की बंदिश नहीं लगाई जाती. मैं अपनी मर्ज़ी से जीना पसंद करती हूँ. अपने ही ढंग से फॅशनबल कपड़े पहन-ना मेरा शौक है. और क्योंकि मैं मम्मी पापा की इकलौती बेटी हूँ इसलिए किसी ने भी मुझे इस तरह के कपड़े पहन-ने से नहीं रोका. स्कूल आने जाने के लिए मुझे एक ड्राइवर के साथ कार मिली हुई थी. वैसे तो मम्मी मुझे ड्राइव करने से मना करती थी, मगर मैं अक्सर ड्राइवर को घूमने के लिए भेज देती और खुद ही कार लेकर सैर करने निकल जाती थी.
स्कूल में पढ़ने वाला एक लड़का मेरा दोस्त था. उसके पास एक अच्छी सी बाइक थी. मगर वो कभी कभी ही बाइक लेकर आता था, जब भी वो बाइक लेकर आता मैं उसके पीछे बैठ कर उसके साथ घूमने जाती. और जब उसके पास बाइक नहीं होती तो मैं उसके साथ कार में बैठ कर घूमने का आनंद उठाती. ड्राइवर को मैने पैसे देकर मना कर रखा था कि घर पर मम्मी या पापा को ना बताए कि मैं अकेली कार लेकर अपने दोस्त के साथ घूमने जाती हूँ. इस प्रकार उसे दोहरा फ़ायदा होता था,
एक ओर तो उसे पैसे भी मिल जाते थे और दूसरी ओर उसे अकेले घूमने का मौका भी मिल जाया करता था. दो बजे स्कूल से छुट्टी के बाद अक्सर मैं अपने दोस्त के साथ निकल जाती थी और करीब 6-7 बजते बजते घर पहुँच जाती थी. एक प्रकार से मेरा घूमना भी हो जाता था और घर वालो को कुछ कहने का मौका भी नहीं मिलता था.
मेरे दोस्त का नाम तो मैं बताना ही भूल गयी. उसका नाम शिवम है. शिवम को मैं मन ही मन प्यार करती थी और शिवम भी मुझसे प्यार करता था, मगर ना तो मैने कभी उससे प्यार का इज़हार किया और ना ही उसने. उसके साथ प्यार करने में मुझे कोइ झिझक महसूस नहीं होती थी. मुझे याद है की प्यार की शुरुआत भी मैने ही की थी जब हम दोनो बाइक में बैठ कर घूमने जा रहे थे. मैं पीछे बैठी हुई थी जब मैने रोमॅंटिक बात करते हुए उसके गाल पर किस कर लिया. ऐसा मैने भावुक हो कर नहीं बल्कि उसकी झिझक दूर करने के लिए किया था. वो इससे पहले प्यार की बात करने में भी बहुत झिझकता था. एक बार उसकी झिझक दूर होने के बाद मुझे लगा की उसकी झिजाहक दूर करके मैने ठीक नहीं किया. क्योंकि उसके बाद तो उसने मुझसे इतनी शरारत करनी शुरू कर दी कि कभी तो मुझे मज़ा आ जाता था और कभी उस पर गुस्सा. मगर कुल मिलाकर मुझे उसकी शरारत बहुत अच्छी लगती थी. उसकी इन्ही सब बातो के कारण मैं उसे पसंद करती थी और एक प्रकार से मैने अपना तन मन उसके नाम कर दिया था.
एक दिन मैं उसके साथ कार में थी. कार वोही ड्राइव कर रहा था. एकाएक एक सुनसान जगह देखकर उसने कार रोक दी और मेरी ओर देखते हुए बोला, “अच्छी जगह है ना ! चारो तरफ अंधेरा और पह पौधे हैं. मेरे ख़याल से प्यार करने की इससे अच्छी जगह हो ही नहीं सकती.” यह कहते हुए उसने मेरे होंठो को चूमना चाहा तो मैं उससे दूर हटने लगी. उसने मुझे बाहों में कस लिया और मेरे होंठो को ज़ोर से अपने होंठो में दबाकर चूसना शुरू कर दिया. मैं जबरन उसके होंठो की गिरफ़्त से आज़ाद हो कर बोली, “छ्चोड़ो, मुझे साँस लेने में तक़लीफ़ हो रही है.” उसने मुझे छ्चोड़ तो दिया मगर मेरी चूची पर अपना एक हाथ रख दिया. मैं समझ रही थी की आज इसका मन पूरी तरह रोमॅंटिक हो चुक्का है. मैने कहा, “मैं तो उस दिन को रो रही हूँ जब मैने तुम्हारे गाल पर किस करके अपने लिए मुसीबत पैदा कर ली. ना मैं तुम्हे किस करती और ना तुम इतना खुलते.” “तुमसे प्यार तो मैं काफ़ी समय से करता था. मगर उस दिन के बाद से मैं यह पूरी तरह जान गया कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो. वैसे एक बात कहू, तुम हो ही इतनी हसीन की तुम्हे प्यार किए बिना मेरा मन नहीं मान-ता है.”
वो मेरी चूची को दबाने लगा तो मैं बोली, “उम्म्म्मम क्यों दबा रहे हो इसे? छ्चोड़ो ना, मुझे कुच्छ कुच्छ होता है.” “क्या होता है?” वो और भी ज़ोर से दबाते हुए बोला, मैं क्या बोलती, ये तो मेरे मन की एक फीलिंग थी जिसे शब्दो में कह पाना मेरे लिए मुश्किल था. इसे मैं केवल अनुभव कर रही थी. वो मेरी चूची को बदस्तूर मसल्ते दबाते हुए बोला, “बोलो ना क्या होता है?”
“उम्म्म्मम उफफफफफफ्फ़ मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं इस फीलिंग को कैसे व्यक्त करूँ. बस समझ लो कि कुच्छ हो रहा है.”
वो मेरी चूची को पहले की तरह दबाता और मसलता रहा. फिर मेरे होंठो को किस करने लगा. मैं उसके होंठो के चुंबन से कुछ कुछ गरमा होने लगी. जो मौका हमे संयोग से मिला था उसका फ़ायदा उठाने के लिए मैं भी व्याकुल हो गयी. तभी उसने मेरे कपड़ो को उतारने का उपक्रम किया. होंठ को मुक्त कर दिया था. मैं उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. ऐसा मैने उसका हौंसला बढ़ाने के लिए किया था. ताकि उसे एहसास हो जाए कि उसे मेरा सपोर्ट मिल रहा है.
मेरी मुस्कुराहट को देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट दिखाई देने लगी. वो आराम से मेरे कपड़े उतारने लगा, पहले उसका हाथ मेरी चूची पर ही था सो वो मेरी चूची को ही नंगा करने लगा. मैं होल से बोली, “मेरा विचार है कि तुम्हे अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिए. प्यार की ऐसी दीवानगी अच्छी नहीं होती.”
उसने मेरे कुच्छ कपड़े उतार दिए. फिर मेरी ब्रा खोलते हुए बोला, “तुम्हारी मस्त जवानी को देखकर अगर मैं अपने आप पर काबू पा लूँ तो मेरे लिए ये एक अजूबे के समान होगा.”
मेरी उम्र 18 साल है, मैं कुँवारी युवती हूँ. मैने 12थ का एग्ज़ॅम दिया है. मैं अपने बारे में यह बताना ज़रूरी समझती हूँ कि मेरी फॅमिली काफ़ी अड्वान्स है, और मुझे किसी प्रकार की बंदिश नहीं लगाई जाती. मैं अपनी मर्ज़ी से जीना पसंद करती हूँ. अपने ही ढंग से फॅशनबल कपड़े पहन-ना मेरा शौक है. और क्योंकि मैं मम्मी पापा की इकलौती बेटी हूँ इसलिए किसी ने भी मुझे इस तरह के कपड़े पहन-ने से नहीं रोका. स्कूल आने जाने के लिए मुझे एक ड्राइवर के साथ कार मिली हुई थी. वैसे तो मम्मी मुझे ड्राइव करने से मना करती थी, मगर मैं अक्सर ड्राइवर को घूमने के लिए भेज देती और खुद ही कार लेकर सैर करने निकल जाती थी.
स्कूल में पढ़ने वाला एक लड़का मेरा दोस्त था. उसके पास एक अच्छी सी बाइक थी. मगर वो कभी कभी ही बाइक लेकर आता था, जब भी वो बाइक लेकर आता मैं उसके पीछे बैठ कर उसके साथ घूमने जाती. और जब उसके पास बाइक नहीं होती तो मैं उसके साथ कार में बैठ कर घूमने का आनंद उठाती. ड्राइवर को मैने पैसे देकर मना कर रखा था कि घर पर मम्मी या पापा को ना बताए कि मैं अकेली कार लेकर अपने दोस्त के साथ घूमने जाती हूँ. इस प्रकार उसे दोहरा फ़ायदा होता था,
एक ओर तो उसे पैसे भी मिल जाते थे और दूसरी ओर उसे अकेले घूमने का मौका भी मिल जाया करता था. दो बजे स्कूल से छुट्टी के बाद अक्सर मैं अपने दोस्त के साथ निकल जाती थी और करीब 6-7 बजते बजते घर पहुँच जाती थी. एक प्रकार से मेरा घूमना भी हो जाता था और घर वालो को कुछ कहने का मौका भी नहीं मिलता था.
मेरे दोस्त का नाम तो मैं बताना ही भूल गयी. उसका नाम शिवम है. शिवम को मैं मन ही मन प्यार करती थी और शिवम भी मुझसे प्यार करता था, मगर ना तो मैने कभी उससे प्यार का इज़हार किया और ना ही उसने. उसके साथ प्यार करने में मुझे कोइ झिझक महसूस नहीं होती थी. मुझे याद है की प्यार की शुरुआत भी मैने ही की थी जब हम दोनो बाइक में बैठ कर घूमने जा रहे थे. मैं पीछे बैठी हुई थी जब मैने रोमॅंटिक बात करते हुए उसके गाल पर किस कर लिया. ऐसा मैने भावुक हो कर नहीं बल्कि उसकी झिझक दूर करने के लिए किया था. वो इससे पहले प्यार की बात करने में भी बहुत झिझकता था. एक बार उसकी झिझक दूर होने के बाद मुझे लगा की उसकी झिजाहक दूर करके मैने ठीक नहीं किया. क्योंकि उसके बाद तो उसने मुझसे इतनी शरारत करनी शुरू कर दी कि कभी तो मुझे मज़ा आ जाता था और कभी उस पर गुस्सा. मगर कुल मिलाकर मुझे उसकी शरारत बहुत अच्छी लगती थी. उसकी इन्ही सब बातो के कारण मैं उसे पसंद करती थी और एक प्रकार से मैने अपना तन मन उसके नाम कर दिया था.
एक दिन मैं उसके साथ कार में थी. कार वोही ड्राइव कर रहा था. एकाएक एक सुनसान जगह देखकर उसने कार रोक दी और मेरी ओर देखते हुए बोला, “अच्छी जगह है ना ! चारो तरफ अंधेरा और पह पौधे हैं. मेरे ख़याल से प्यार करने की इससे अच्छी जगह हो ही नहीं सकती.” यह कहते हुए उसने मेरे होंठो को चूमना चाहा तो मैं उससे दूर हटने लगी. उसने मुझे बाहों में कस लिया और मेरे होंठो को ज़ोर से अपने होंठो में दबाकर चूसना शुरू कर दिया. मैं जबरन उसके होंठो की गिरफ़्त से आज़ाद हो कर बोली, “छ्चोड़ो, मुझे साँस लेने में तक़लीफ़ हो रही है.” उसने मुझे छ्चोड़ तो दिया मगर मेरी चूची पर अपना एक हाथ रख दिया. मैं समझ रही थी की आज इसका मन पूरी तरह रोमॅंटिक हो चुक्का है. मैने कहा, “मैं तो उस दिन को रो रही हूँ जब मैने तुम्हारे गाल पर किस करके अपने लिए मुसीबत पैदा कर ली. ना मैं तुम्हे किस करती और ना तुम इतना खुलते.” “तुमसे प्यार तो मैं काफ़ी समय से करता था. मगर उस दिन के बाद से मैं यह पूरी तरह जान गया कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो. वैसे एक बात कहू, तुम हो ही इतनी हसीन की तुम्हे प्यार किए बिना मेरा मन नहीं मान-ता है.”
वो मेरी चूची को दबाने लगा तो मैं बोली, “उम्म्म्मम क्यों दबा रहे हो इसे? छ्चोड़ो ना, मुझे कुच्छ कुच्छ होता है.” “क्या होता है?” वो और भी ज़ोर से दबाते हुए बोला, मैं क्या बोलती, ये तो मेरे मन की एक फीलिंग थी जिसे शब्दो में कह पाना मेरे लिए मुश्किल था. इसे मैं केवल अनुभव कर रही थी. वो मेरी चूची को बदस्तूर मसल्ते दबाते हुए बोला, “बोलो ना क्या होता है?”
“उम्म्म्मम उफफफफफफ्फ़ मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं इस फीलिंग को कैसे व्यक्त करूँ. बस समझ लो कि कुच्छ हो रहा है.”
वो मेरी चूची को पहले की तरह दबाता और मसलता रहा. फिर मेरे होंठो को किस करने लगा. मैं उसके होंठो के चुंबन से कुछ कुछ गरमा होने लगी. जो मौका हमे संयोग से मिला था उसका फ़ायदा उठाने के लिए मैं भी व्याकुल हो गयी. तभी उसने मेरे कपड़ो को उतारने का उपक्रम किया. होंठ को मुक्त कर दिया था. मैं उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. ऐसा मैने उसका हौंसला बढ़ाने के लिए किया था. ताकि उसे एहसास हो जाए कि उसे मेरा सपोर्ट मिल रहा है.
मेरी मुस्कुराहट को देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट दिखाई देने लगी. वो आराम से मेरे कपड़े उतारने लगा, पहले उसका हाथ मेरी चूची पर ही था सो वो मेरी चूची को ही नंगा करने लगा. मैं होल से बोली, “मेरा विचार है कि तुम्हे अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिए. प्यार की ऐसी दीवानगी अच्छी नहीं होती.”
उसने मेरे कुच्छ कपड़े उतार दिए. फिर मेरी ब्रा खोलते हुए बोला, “तुम्हारी मस्त जवानी को देखकर अगर मैं अपने आप पर काबू पा लूँ तो मेरे लिए ये एक अजूबे के समान होगा.”