ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया- भाग-4
जब कदमों की टॉप हम से दूर जाती हुई सुनाई दी, तब हम दोनों ने राहत की सांस ली। वो गुस्से में फुसफुसाई, मैंने कहा था चले जाइये, कोई आ जाएगा, मगर आप अपने जिद पर अड़े रहे, अभी तो बाल बाल बच गए। अब जाइये यहां से, मैंने उसे दिलासा दिया, कुछ नहीं होगा, तुम डरती बहुत हो। वो चुप हो गई, मैं पर्दे को थोड़ा हटाकर बाहर झांका वहां कोई नही था, सोनी भी मेरे पीछे आकर बाहर झांकने की कोशिश करने लगी,मैं मुड़ा और फिर उस�¥
‡ अपनी बाहों में भर लिया। इस बार वो ज्यादा जोर लगाने के बजाए बस मुंह से बोलती रही कि अब छोड़िए बहुत हो गया। मैं ने उसकी एक बात नहीं सुनी, मुझे पता था ऐसा मौका दोबारा जल्दी मिलने वाला नहीं है, मैं उसे धकेलता हुआ बेड की तरफ ले गया और उसे बेड पर धक्का दिया तो वो पीठ के बल बेड पर गिर गई, मगर तुरंत उठकर बैठ गई, मैं ने फिर उसे बेड पर धकेला, मगर वो अपना दोनों हाथ पीछे टिका कर अड़ गई, तो मैं रुक गया, फिर उसà
�‡ समझाने लगा कि कुछ नही होगा, अच्छा ऐसा करो पीछे घूम जाओ, वो कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे पकड़कर मुंह के बल बेड पर गिरा दिया और उस पर चढ़ गया, वो कसमसाकर खुदको अलग करने की कोशिश करती रही इसी बीच मैंने जिप खोल अपना लंड बाहर निकाला और एक हाथ उसके पीठ पर कोहनी के साइड से रख कर उसे दबाए रखा, दूसरे हाथ से उसका ट्रॉअजर नीछे खींच दिया उसकी उभरी हुई गांड चमक उठी, वो गांड इधर उधर हिला कर और उछला कर मुझे खà
��द से हटाने की नाकाम कोशिश करती रही। मैंने जल्दी से अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी गांड में घुसाने लगा, मगर उसकी गांड इतनी टाइट थी कि लंड फिसल कर कभी नीचे तो कभी ऊपर चला जा रहा था। ऐसा करके मैं थक गया मगर लंड अंदर नहीं घुसा पाया, एक दोबार लंड का अगला भाग थोड़ा अंदर की तरफ धंसा तो ज़रूर मगर उसने गांड उचका दिया जिस से लंड बाहर आ गया। मैं उसके ऊपर लेट गया तो कराहने लगी और ऊपर से हटने का आग्रह करने
लगी, मगर मैं ने उसकी बात नहीं मानी और उससे रिक्वेस्ट करने लगा, सोनी प्लीज़ बस एकबार थोड़ा सा करने दे दो प्लीज़! मेरे बार बार आग्रह का उसपर असर हुआ तो बोली ठीक है, बस थोड़ा सा डालिएगा, जोर से नहीं बिल्कुल धीरे धीरे, मैंने झट से हां कहा तो वो सीधी होकर पेट के बल लेट गई। मैंने जल्दी से अपना बेल्ट खोला और जीन्स और चड्ढी नीची करके ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया और लंड उसकी गांड के गुलाबी छेद पर रखकर
हल्के हल्के दबाव डालने लगा, लंड धीरी-धीरी अंदर घुसने लगा। जैसे ही लंड का टोपा अंदर घुसा वो चिहुुँक उठी और आगे की ओर खिसक गई, लंड पुक की आवाज के साथ बाहर निकल गया, वो गर्दन घुमाकर सीसीसी करते हुए एक हाथ से अपनी गांड के छेद को छुपाने लगी, उसकी आँखों मे आसूं आ गए, मैं रुक गया, कुछ देर इंतजार करता रहा जब उसको दर्द में कुछ राहत मिली तब फिर से वो वही पुराना राग अलापने लगी, मुझसे नहीं होगा, अंकल प्à
��ीज़ आज छोड़ दीजिए, फिर किसी दिन कर लीजिएगा। मगर मैं कहां मानने वाला था, मैं उसे ही उल्टा आग्रह मिन्नत करने लगा, वो फिर खामोशी से मुंह तकिया में घुसा कर सीधी हो गई। मैंने पुनः प्रयास शुरू किया, इस बार लंड का टोपी अंदर घुसते ही वो छटपटाई, मैंने उसके दोनों कंधे को पकड़ लिया, जिससे वो आगे नहीं भाग सकी, फिर मैं रुक गया और उसके दर्द कम होने का इंतजार करने लगा जब वो थोड़ा रिलेक्स हुई तो मैं ने फिर धी�¤
�े धीरे दबाव बनाना शुरू किया, वो ऊऊऊ अअअअअ, उफ्फ्फ, सीसीसीसी आदि आवाजें निकालने लगी और जोर जोर से गर्दन इधर, उधर उठापटक करने लगी मगर मैं अपने काम में लगा रहम अंततः मुझे सफलता मिल ही गई, अब मेरा पूरा लंड उसकी गांड की गहराई में पहुंच चुका था। मैं वहीं रुक गया, वो लगातार छटपटाती रही और तेज़ तेज़ सिसकी लेती रही, जब मैं नीची की ओर झुक कर उसका चेहरा देखने की कोशिश की तो देखा कि उसका पूरा चेहरा लाल �¤
�ो गया था, पसीने से पूरा चेहरा भीगा हुआ था, आंखों से आंसुओं की धार बह रही थी। ये सब देख कर मुझे दुख तो हुआ, मगर मेरी दुख पर मेरा हवस हावी था। मैं उसी पोजिशन में रुका रहा और समझाने के साथ साथ ये दिलासा भी देता रहा कि बस थोड़ी देर और, थोड़ी देर। जब उसे थोड़ी राहत मिली तो वो तेज़ तेज़ सांसे लेने लगी, मुझे आभास हुआ तो मैं ने अपना लंड धीरी धीरी बाहर की ओर खींचना शुरू किया, जब तीन चैथाई लंड बाहर आ गया तब फि
र धीरी धीरी अंदर करने लगा। पांच दस मिनट के बाद लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा। तभी मेरा मोबाइल घनघना उठा, हड़बड़ी में मैं खड़ा हुआ तो पूरा पैंट मेरे पैरों में जा गिरा जल्दी से पैंट की जेब से मोबाइल निकाला और उसका रिंग साइलेंट किया। ये देखकर मेरे होश उड़ गए कि फोन मेरे बॉस का था, मेरे तो पसीने निकल गए, हालत पतली हो गई। मैंने फोन नहीं उठाया। फुल रिंग होने के बाद मैंने तुरंत मोबाइल ऑफ कर दिया।
डर के मारे मेरा लंड भी मुरझा गया, धड़कने काफी तेज तेज़ चल रही थी। मैं एक हाथ से अपना पैंट पकड़े हुए पर्दे की ओट से बाहर झांका बाहर कोई नहीं था, फिर पीछे मुड़ा तो देखा कि सोणी मेरी तरफ ही टकटकी बांधे देख रही है, उसने आहिस्ता से पूछा क्या हुआ? मैंने कहा, ऑफिस से निकले करीब एक घंटा हो गया है, बॉस का फोन आ रहा है। क्या करें बहुत डर लग रहा है, वो भी थोड़ा परेशान हो गई। कुछ देर हम दोनों खामोश एक दूसरे को दà
��खते रहे तभी किसी के ऑफिस से निकलने की आहट हुई मैं और डर गया। इससे से पहले की मैं कुछ समझ पाता सोणी झट से उठी अपना कपड़ा ठीक की, कपड़े से मुंह पोछा और किताब लेकर गेट की ओर बढ़ने लगी, मेंने उसे रोकना चाहा तो वो मुझे अंदर की ओर जाने का इशारा किया और खुद किताब लेकर बाहर निकल गई। बाहर के ग्रिल में ताला लगा हुआ था, वो किताब खोलकर गैलरी में खड़ी हो गई। मेरी धड़कने लगातार तेज़ चल रही थी, पता नहीं अब आगे क्
या होगा? तभी सोनी की आवाज सुनाई दी, अंकल क्या हुआ? बाहर शायद मेरे बॉस थे, मेरा नाम लेकर बोले, अरे पता नहीं किधर चला गया है, एक ज़रूरी लेटर तैयार करना था, तो सोनी बोली अभी कुछ देर पहले वो किसी नए अंकल के साथ इधर ही आ रहे थे, फिर लौट गए। बॉस ने पूछा किधर, तो सोणी बोली सड़क के तरफ!! बॉस बोले उसका मोबाइल फुल रिंग होने के बाद बंद बता रहा है। ये कहते हुए वो सड़क की तरफ बढ़ गए। सोहणी अंदर आई और बोली अब क्या क�¥
�जिएगा? में डरी हुई निगाहों से उसे देखने लगा। वो मुस्कराकर मेरी तरफ ही देख रही थी। मैं तबतक अपने कपड़े पहन चुका था। मैंने आहिस्ता से कहा बाहर वाला गेट खोल दो और बाहर जाकर देखो सर किधर हैं। वो धीरी से गेट खोलकर बाहर गई और जल्दी से आकर बोली सर कहीं नहीं दिख रहे हैं। आप जाइगा तो जल्दी से निकलिए। में अधूरा सेक्स छोड़ क जल्दी से बाहर निकल आया। और ऑफिस में घुस गया, सीधा बाथरूम में जाकर बैठ गया। �¤
�ुछ देर के बाद जब निकला तो बॉस बोले कहाँ चले जाते हो यार ?? में बोला सर एक पुराना दोस्त मिलने आ गया था, इस लिए देर हो गई। बॉस एक लेटर मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोले अच्छा जल्दी से इस लेटर को तैयार कर दो। मैंने उनके हाथों से वो पेपर ले लिया और अपने कम्प्यूटर पर बैठ कर लेटर तैयार करने लगा।