ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका - SexBaba
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ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका

desiaks

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Aug 28, 2015
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ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया

हैलो दोस्तों, मेरा नाम सौरभ है, मैं बिहार का रहने वाला हूं। मैं पिछले पांच सालों से अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ रहा हूँ, सोचा आज अपनी कहानी भी आप लोगों को बताऊं।
ये घटना तब की है जब मेरी एक प्राइवेट कंपनी में जॉब लगी थी। मेरे ऑफिस से सटा दो कमरे का एक फ्लैट था। जिसमें एक परिवार रहता था। उस परिवार में पति पत्नी और उसके तीन बच्चे थे, बड़ी बेटी सोहणी उस समय मुश्किल से 24-25 वर्ष की थी। जबकि एक छोटी बेटी और एक बेटा था। सोहणी इतनी सुंदर थी कि एक नज़र में कोई भी उस पर फिदा हो सकता था। मेरे ऑफिस में प्रवेश के लिए उसके गेट के सामने से होकर ही रास्ता था, तो सुबह से
 शाम तक हम कई बार उधर से आते जाते। इस तरह अक्सर मेरी नज़र उस पड़ जाती थी। उसके माता-पिता की मार्केट में अलग अलग दो दुकानें थीं, तो दोनों पति पत्नी बच्चों को स्कूल भेजकर अपने अपने दुकान चले जाते थे, और देर रात में वापस आते थे। इस बीच सोहणी अपने भाई बहन के साथ स्कूल से लौटकर घर में ही रहती थी। मां बाप की सख्ती के कारण सभी भाई बहन न तो हमारे ऑफिस के किसी से बात करते थे और न हम लोग ही उन लोगों को कभà
�€ टोक-टाक करते थे। मेरी जॉब लगे पांच महीने गुजरे थे, उस समय मेरी शादी नही हुई थी तो हर लड़की को देख कर मन काफी मचल उठता था। सोहणी तो फिर अप्सरा थी, इतनी कमसिन और भोली, मासूम सी दिखती थी कि दिल एक दिन में उस पर कई बार फिदा हो जाता था। मैं अक्सर उसके घर आने के बाद कभी चाय तो कभी सिगरेट पीने के बहाने ऑफिस से निकल जाता और उसके घर मे ताक झांक करता रहता, कभी वो नज़र आती थी और कभी नहीं।

एक दिन ऐसा हुआ कि मैं चाय के बहाने ऑफिस से निकला तो वो मुझे गेट पर खड़ी दिखी, मैंने उसे देखा, उसने भी मुझे देखा, चूंकि मैं अक्सर गोगल्स पहनता हूं तो शायद उसे नही पता चला कि मैं उसे लगातार देखता हुआ आगे बढ़ रहा हूँ, तभी मैं सामने से ऑफिस आ रहे एक आदमी से टकरा गया, ये देख कर वो मुस्कुरा दी, मैं हड़बड़ी में कोई रिस्पांस देने के बजाए खुदको संभाला, सामने एक अधेड़ व्यक्ति मुझे अजीब निगाहों से घूर रहा थ�¤
�। मैंने पूछा क्या काम है, उसने कहा ऑफिस जाना है, आप इतना बड़ा चश्मा लगाए हुए हैं फिर भी नही दिखता, मैं सॉरी बोलकर आगे बढ़ गया। उस घटना के दो तीन दिन बाद वो फिर मुझे दरवाजे पर दिखी, वो मुझे देखते ही मुस्कुरा दी, मैं भी मुस्कुरा दिया। तो उसने पूछा! अंकल आप यहां नए नए आए हैं, मैं ने कहा पांच छह महीने हो गए हैं। तुम लोग यहां किराए में रहती तो उसने हां में सिर हिलाया। मैं अनजान बनते हुए पूछा तुमहार�¥
 
‡ पापा मम्मी जॉब करते हैं, तो उसने कहा नहीं, हमारी दुकान है। फिर मैं ने पूछा तुम किस क्लास में पढ़ती हो तो उसने कहा नाइंथ में। मैं कुछ और पूछता इससे पहले अंदर से आवाज आई दीदी किस से बात कर रही हो, वो बोली ऑफिस के एक अंकल से, ये कहती हुई वो अंदर चली गई।
उसके कुछ दिन बाद वो फिर गेट पर दिखी तो मैं पूछा कैसी हो, बोली, जी अंकल ठीक हूं, आप कैसे हैं मैं ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया बढ़िया, और आगे बढ़ गया। तभी पीछे से उसने आवाज लगाई, अंकल! आप दुकान जा रहे हैं? मैने कहा हां! क्या कुछ लेना है? तो उसने हां में गर्दन हिला दी और दस रुपये का नोट मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा कि मुझे पर्क ला दीजिए न प्लीज़!! मैंने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है, मैं ला देता हूँ और बिना उससे प
ैसा लिए मैं चला गया और जब पर्क लेकर आया तो वो गेट पर नही थी, मैं ने हल्के से उसे पुकारा तो उसकी छोटी बहन बाहर आई, पूछी क्या हुआ अंकल मैं ने पर्क उसकी तरफ बढ़ाई तो वो हंसती हुई मना कर दी, बोली नहीं अंकल नहीं चाहिए, मैं ने कहा तुम्हारी दीदी ने मुझे पैसे दिए थे ये उसे दे दो तो बिना कुछ बोले उसे मेरे हाथ से लेकर अंदर चली गई। दूसरे दिन वो फिर दरवाज़े पर खड़ी नज़र आई, मुझे देखते ही बोली अंकल आपने पैसे नह
ीं लिए और पर्क ला दिए, ये लीजिए पैसा, मैंने बड़े प्यार से कहा बेटा कोई बात नहीं अंकल की तरफ से खा तो उसने मना कर दिया और बोली या तो आप पैसे लीजिए नहीं तो पर्क वापस कर दीजिए, बोलती हुए उसने पैसे और पर्क दोनों मेरी तरफ बढ़ा दिए। मैं असमंजस में फंस गया और हड़बड़ी में उसके हाथ से पैसे और पर्क दोनों लेकर जल्दी से आगे बढ़ गया। ऑफिस का कोई देखने न ले ये भय भी अचानक से मेरे मन में आ गया। कुछ देर के बाद जब म
ेरी धड़कनें कुछ शांत हुई तो मैं बिना चाय सिगरेट पिए वापस लौटा तबतक वो गेट पर ही मेरा इंतजार कर रही थी, मैंने पर्क वापस किया और जल्दी से ऑफिस चला गया।
इस घटना के बाद मेरे मन में जो उल्टे सीधे विचार आ रहे थे, वो बदल गए, मैंने कभी किसी लड़की खुल कर बात नहीं की थी, पहली बार किसी लड़की से ये सोच कर घुलने मिलने का प्रयास किया था कि अगर पट गई तब मजे लूंगा, मगर उसके व्यवहार से मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। मेरे मन में बार बार ये सवाल उठ रहे थे कि वो क्या सोच रही होगी? मैं उसे पटाने की कोशिश तो नहीं कर रहा? ऐसे ही कई सवाल बार बार मन म�¥
�ं आ रहे थे। ऑफिस से मैं घर लौटा टैब भी रोहणी का ही ख्याल आता रहा, कई विचार आए-गए। फिर मैंने सोचा, क्यों न कुछ देर उससे बात की जाए और उससे दोस्ती की जाए! ये सोचकर मैं जब दूसरे दिन ऑफिस आया और बहाने बहाने से बार बार बाहर गया तो वो मुझे एक बार भी नही दिखी। मन ही मन मुझे बहुत पछतावा हुआ, क्यों मैंने ऐसे हरकत की? अगर उससे पैसा लेकर सामान लाता तो वो मुझे गलत नहीं समझती ! खैर,ऐसे ही कई दिन निकल गए। मैं
 
रोज उसी तरह ऑफिस के अंदर बाहर करता रहा। कुछ दिनों बाद वो फिर से मुझे दिखी। वो कोई लेसन याद कर रही थी, मैं उसके सामने से गुजरने लगा तो उसने मुझे टोका! अंकल कहाँ जा रहे हैं? दुकान! मैं ने गर्दन हां में हिलाई तो फिर उसने दस का नोट मेरी तरफ बढ़ाया और जब तक वो कुछ बोलती मैं ने झट से उसके हाथ से नोट लिए और आगे बढ़ गया, तुरंत दुकान से पर्क ले आया और उसे दे दी। वो मुस्कुराने लगी। मगर कुछ कहा नहीं। बस उस
दिन के बाद से हम दोनों की लव स्टोरी शुरू हो गई। उस समय मेरी उमर करीब 22 वर्ष थी और उसकी 15 वर्ष के करीब थी।
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ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया- भाग-2
उस दिन के बाद से मेरी अक्सर उससे छुप छुप कर बात होने लगी। मुझे ऑफिस वालों का डर रहता था और उसे अपने छोटे भाई-बहन का। ये सिलसिला करीब एक साल तक चलता रहा। बस हम दोनों एक दूसरे को देखकर पहले मुस्कुराते और हाल चाल पूछते। कभी कभी घर की और खाने पीने की बातें भी पूछ लेते। इसी बीच उसके छोटे भाई और बहन से भी मेरी बातचीत होने लगी। मैं अक्सर उन तीनों के लिए पर्क अथवा कोई टॉफी लाता, अब वो लोग बिना हिच�¤
• के मेरा सामान ले लेते थे। ऐसे ही समय गुज़रता गया, मगर कभी मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं कोई और बात रोहणी से कर सकता इस बीच उसने 10th की परीक्षा काफी अच्छे नंबरों से पास की। रिज़ल्ट आने की खुशी में उसके पापा मिठाई लेकर मेरे ऑफिस में आए और सभी का मुंह मीठा कराया। मैं ने उनसे कहा कि भाई साहब खाली मिठाई से काम नहीं चलने वाला है, बिटिया इतना अच्छा मार्क्स लाई है, पार्टी तो बनता ही है। मेरे साथ मेरे �¤
�ूसरे साथी भी हां में हां मिलाने लगे तो उन्होंने कहा कि ठीक है 13 अप्रैल को रोहणी का बर्थ डे है तो आप लोग हमारे साथ ही डिनर कीजिएगा। रोहणी 17 साल की हो चुकी थी।
दूसरे साथी क्या कर रहे थे मुझे तो इसकी जानकारी नही थी मगर मैं रोहणी के लिए महंगा गिफ्ट खरीदने की जुगाड़ में लग गया। चूंकि मेरा वेतन बहुत ही कम था तो मुझे महंगे गिफ्ट खरीदना काफी मुश्किल लग रहा था। मैंने अपने एक दोस्त से दो हज़ार रुपये उधार लिए और अपने जेब से दो हज़ार लगाकर रोहिणी के लिए एक लॉन्ग डार्क ब्लू रंग का फ्रॉक खरीद कर पैक करवा किया। मैं बड़ी बेसब्री से 17 की शाम का इंतजार करने लगा। �¤
 
खिर वो शाम आ ही गई। ऑफिस निपटाने के बाद हम लोग रोहिणी के पापा के बुलाने का इंतजार कर रहे थे। चुंकि ऑफिस का काम 7.30 बजे तक समाप्त हो चुका था तो हम लोग आपस मे गपशप मार रहे थे। तभी उसके पापा आए बोले बस आधा घंटा और लगेगा। रोहणी अपनी मम्मी के साथ कुछ सामान लाने गई है, आते ही आप लोगों को बुलाते हैं। दोस्तों, इंतजार की ये घड़ी कितनी मुश्किल थी, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। खैर, वो घड़ी भी à
�† गई। हम लोग अपने ऑफिस से निकले और उसके घर मे घुसे। तीसरी मंजिल की छत पर सारी व्यवस्था की गई थी। मैं ने सब को आगे जाने दिया और मैं अपना मोबाइल निकाल कर उसमें कुछ खोजने की एक्टिंग करता हुआ धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा। मेरी निगाहें सिर्फ रोहिणी को तलाश रही थी। अचानक वो हुस्न की मलिका चांद सा रौशन चेहरा लिए हंसती मुस्कुराती हाथों में पकौडों से भरी प्लेट लिए सीढ़ी की तरफ बढ़ती दिखी, मैं लपक कर उस�¤
�े पास पहुंचा और हैप्पी बर्थडे बोलते हुए उसे विश किया। वो मुस्कुराकर मेरी ओर देखी और बोली, अरे अंकल आप अभी तक नीचे ही हैं। ऊपर चलिए ना, सब लोग ऊपर ही हैं। मैंने कहा बस मैं भी ऊपर ही जा रहा हूं। तुम चलो, उसने डार्क ग्रीन कलर की पंजाबी कुर्ती और यलो रंग की चूड़ीदार पजामी और यलो रंग का ही दुपट्टा पहन रखा था। तेज़ दूधिया लाइट में उसके चांद सा मुखड़ा जैसे लाइट मार रहा था। वो मेरे आगे आगे सीढ़ी चढ़ने
लगी, मैं उसे पीछे से खा जाने वाली नज़रों से देखता हुआ सीढियां चढ़ रहा था। अचानक वो रुकी और मेरी तरफ मुड़ी, मैं कुछ कहता वो बोली अंकल आप आगे चलिए न, मैं हड़बड़ा गया और अच्छा, बोलकर उससे सटकर आगे बढ़ गया। उससे सटने स्व मुझे जैसे 440 वोल्ट का करंट लगा। मन गदगद हो गया, मैं तेज़ तेज़ सीढियां चढ़ता हुआ छत पर पहुंचा, सभी लोग टेबल पर बैठ कर गपशप करने में बिजी थे। मैंने देखा रोहणी प्लेट लेकर हमारी ही तरफ बढ़ रही
है, वो आई और हमारे सामने वाले टेबल पर प्लेट रखते हुए सभी से पकौड़े खाने को बोलने लगी। मैं सोच रहा था, जब हम उससे सटे थे तो उसे भी तो ज़रूर मज़ा आया होगा। वो मेरी तरफ देख कर फिर मुस्कुराई और आगे बढ़ गई। कुछ देर बाद केक काटने का रस्म हुआ और सभी भोजन कर अपना अपना गिफ्ट रोहणी को सौंपने लगे। सबसे अंत में मैं उठा और अपना पैकेट सोहणी की तरफ बढ़ा दी। वो मुस्कुराती हुए मेरे हाथों से पैकेट ले ली और उसे अप�¤
�ी गोद में राख लिया।
 
अब सोहणी अक्सर मुझसे बात करती, अपने स्कूल के बारे में भी चर्चा करती। कभी कभी मेरा मोबाइल मांग कर गेम खिलती। मेरे मोबाइल में मैंने बहुत टफ पासवर्ड लगा रखा था, मगर जब उसे देता तो अनलॉक कर देता। इसी बीच एक बार वो मेरे मोबाइल पर गेम खेल रही थी तभी मुझे रिंग होने की आवाज सुनाई दी मैं झट ऑफिस से बाहर आया औऱ रोहणी को आवाज देने लगा, मेरा मोबाइल लगातार रिंग कर रहा था और बजते बजते वो बंद हो गया, मगर à
��ोहणी बाहर नही आई। अब मुझे शक हुआ, कहीं वो मेरा गैलरी तो नही देख रही थी, उसमें बहुत सारे पोर्न वीडियोज थे, मैं डर गया। मैं ने फिर धीरे से आवाज लगाई, तब रोहणी सिर झुकाए मोबाइल लेकर बाहर आई, मगर उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था,मैंने पूछा क्या हुआ, बिना कुछ कहे मोबाइल मुझे पकड़ाकर वो तेज़ी से अंदर भाग गई। मैंने मोबाइल की हिस्ट्री चेक की तो ये देखकर दंग रह गया कि उसने मोबाइल में एक बार भी गेम नहीं
खोली थी सिर्फ और सिर्फ पोर्न वीडियो ही देख रही थी। उस दिन के बाद वो कई दिनों तक न तो मुझ से मोबाइल मांगी और न ज़्यादा बात की।
एक दिन मैंने उससे पूछ ही लिया आजकल गेम खेलने का मन नहीं करता है? वो बोली टाइम ही नहीं मिल पाता है। तो मैं ने बिना कुछ सोचे गेट की जाली से हाथ अंदर बढ़ाकर उसके हाथ को छू लिया, वो हड़बड़ा कर पीछे हट गई और पूछने लगी अंकल क्या हुआ? मैंने कोई जवाब नहीं दिया और तेज़ कदमों से चलता हुआ ऑफिस चला गया, ऐसा करके मुझे बहुत डर लग गया था। दूसरे दिन जब वो स्कूल से और मैं बाहर निकला तो वो मुझे देख कर मुस्कुरा दी, मà
��रे मन मे उठ रहे सारे डर उसकी मुस्कराहट से समाप्त हो गए, मैं भी मुस्कुरा दिया और हालचाल पूछकर आगे बढ़ गया। पीछे से उसने कहा अंकल मेरे लिए चिप्स लेते आइयेगा, मैं ने हां में गर्दन हिलाई और आगे बढ़ गया। अब मेरा हौसला और बढ़ गया था। करीब आधे घंटे बाद मैं बड़ा वाला चिप्स का पैकेट लेकर उसके दरवाज़े के बाहर पहुंचा तो वो पहले से स्कूल ड्रेस चेंजकर मेरा वेट करती मिली। मुझे देख कर मुस्कुराई तो मैं भी म
ुस्कुरा दिया और बंद गेट हाथ अंदर कर चिप्स उसकी ओर बढ़ा दिया। उसने चिप्स पकड़ी तो मैं ने हाथ पीछे करने के बजाए उसके उभरते स्तन को टच कर दिया और जल्दी से हाथ बाहर खींच ली। । आज वो न तो हड़बड़ाई और न पीछे हटी, वहीं अनजान बनकर खड़ी मुझे देखती रही। मेरा हौसला और बढ़ा तो मैं दोबारा उसके स्तन की तरफ हाथ बढ़ा तो वो थोड़ा पीछे हट गई और बोली क्या कर रहे हैं अंकल! मैंने जल्दी से हाथ बाहर खींचा और अपने ऑफिस मे�¤
‚ भाग गया। मन डर और उम्मीद दोनों एकसाथ जन्म ले रहे थे

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ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया- भाग-3
दूसरे दिन मैं जब ऑफिस से बाहर निकला तो देखा सोहणी खड़ी मुस्कुरा रही थी। मैं भी मुस्कुराता हुआ उसके करीब जा पहुंचा और पूछा कैसी हो?बोली, जी थिकहैं, मैंने पूछा अकेली हो क्या ? तो बोली नहीं, अंदर छोटा भाई है और छोटी मम्मी के साथ दुकान गई है। मैं उससे इधर उधर की बात करने लगा और दाएं बाएं देखकर हाथ अंदर कर उसकी चूत की तरफ तेज़ी से हाथ बढ़ा दी वो हड़बड़ा कर पीछे हटी और गेट से टकरा गई। अंदर से छोटे भाई �¤
�े पूछा दीदी क्या हुआ, ये सुनकर मैं जल्दी से बाहर की ओर भागा। 15-20 मिनट के बाद वापस लौटा तो वो फिर वहीं खड़ी किताब पढ़ती दिखी, मैं ने उसे देख कर स्माइल दी तो वो भी मुस्कारक गेट से बिल्कुल सटकर खड़ी हो गई और मुझे देखने लगी, मैं ने हल्की आवाज़ में पूछा भाई?? वो आहिस्ता से बोली बाथरूम में है, ये सुनते ही मैंने जल्दी से उसकी चूची पकड़ी और हल्के से मसल दी, इस बार न तो वो पीछे हटी और न मुझे मना किया, बस सिस्कà
 
��रते हुए आओउच कहा, मैं मुस्कुराता हुआ ऑफिस की ओर बढ़ने लगा तो वो मुझे टुकुर टुकुर देखने लगी, मेरे कदम ठिठक गए, मैं दो कदम बैक हुआ और फिर से उसकी चूची मसली और उसके चूत पर हाथ फेर दी। वो कुछ नहीं बोली तो मेरा हौसला सातवें आसमान पर पहुंच गया मैंने फिर हाथ अंदर कर उसकी चूत को लेगीज के ऊपर से दबाई और उसे पकड़ने की कोशिश की, तभी मेरे ऑफिस से किसी के बाहर निकलने की आहट हुई तो मैं जल्दी से ऑफिस की तरफ à
��ाग और वो अपने रूम में घुस गई। उस दिन के बाद ये मेरा रोज का काम था, उसके चुचे मसलता और उसकी चूत रगड़ता। समस्या ये थी कि स्कूल से लौटने के बाद सभी बच्चे अपने घर मे चले जाते थे और मेन गेट में अंदर से ताला बंद कर लेते थे। मैं ने कई बार रोहणी से ताला खोलने को कहा, मगर उसने हर बार भाई बहन के होने की बात कही। मैं खाली बाहर से उसके स्तन और चूत को छूता, कभी कभी उसके शलवार या लेगीज में हाथ डालकर उसकी मुल
ायम बालों वाली भीगी चूत को छूता था। ऐसे ही करीब साल भर चलता रहा। अब वो इंटर में भी फर्स्ट डिवीजन हासिल किया तो फिर उसके पिता ने ऑफिस के सभी स्टाफ को निमंत्रण दिया। काफी कम लोगों को निमंत्रण दिया गया था। इसबार मैं रोहणी के लिए गिफ्ट में कोई कीमती सामान देने की जगह बस 150 का डेरिमिल्क चॉकलेट लेकर गया और इस मौके की तलाश में रहा कि वो कब अंधेरी जगह पर अकेली मिली। वो भी शायद इसी प्रयास में थी।
कुछ देर के बाद जब खाना टेबल पर लगने लगा तो मैं बाथरूम के लिए नीचे जाने लगा ये देखकर रोहणी भी कुछ सामान लेने नीचे उतरने लगी, मैं ने सीढ़ी पर उसे पकड़ लिया और जोर से किस कर दी और उसके चुचे मसल दिए वो कसमसाकर मुझ से अलग हुई और बोली कोई देख लेगा।और जल्दी-जल्दी नीचे उतर गई। नीचे उसकी मां खड़ी थी, उसके हाथ मे कुछ सामान था तो उसने वो सोहणी की तरफ बढ़ाते हुए कहा इसी जल्दी लेकर जाओ, वो बिना कुछ बोले मां �¤
�े हाथ से सामान लिया और तेज़ तेज़ ऊपर चली गई। मुझे देखते ही उसकी मम्मी ने पूछा भैया जी कुछ चाहिए क्या? मैं बोला नही, बाथरूम किधर है तो उसने सामने इशारा किया और खुद किचेन में चली गई। मैं बाथरूम गया और मुठ मारकर खुदको शांत किया। बाहर निकला तो बाहर सोहणी खड़ी थी, उसका पीठ मेरी तरफ था उसकी मम्मी भी दूसरी तरफ कुछ कर रही थी, आहट पर रोहणी मेरी तरफ मुड़ी और बोली, अंकल आपको सब ऊपर खोज रहे हैं, जल्दी जाइयà
�‡, तभी उसकी मम्मी ने रोहणी को एक बड़ी प्लेट में पुलाव देते हुए कहा कि अंकल के साथ तुम भी जल्दी इसे लेकर ऊपर जाओ। वो झट मां के हाथ से वो ली और सीढ़ी की तरफ बढ़ने लगी तो मैं उसके आगे आगे सीढ़ी चढ़ने लगा, सीढ़ी पर जैसे ही पहला मोड़ आया तो मैंने पीछे मुड़कर उसकी मम्मी को देखा, वो किचेन में जा चुकी थी, ऊपर देखा उधर भी कोई नहीं था, मौका देखते ही मैंने सोहणी की चूची दबाई और उसे किस किया, वो बोली छोड़िए न, ऊपर चलà
��ए। हम दोनों आगे पीछे ऊपर पहुंचे। सबने खाना खाया और अपने अपने घरों को चले गए। मैं भी उदास मन लिए लौट आया अपने घर।
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ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया- भाग-3
पार्टी के दूसरे दिन जब मैं ऑफिस पहुंचा तो देखा सोहणी नाइट सूट में अपने गेट पर खड़ी है, उसने मुझे देखा, हम दोनों की नजरें मिली, मगर मेरे साथ ऑफिस के दूसरे स्टाफ भी थे तो हमने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया, हमारे सीनियर ने सोहणी से पूछ लिया, आज स्कूल नहीं गई तो उसने बताया कि मम्मी की तबियत ठीक नहीं है, इस लिए मैं और मम्मी घर पर हैं। सीनियर ओह बोलते हुए आगे बढ़ गए, मैं भी उनके पीछे पीछे ऑफिस की तरफ बढ़ गà
��ा। मेरा मूड ऑफ हो गया था कि उसकी मम्मी आज घर पर है। मगर दोपहर के समय उसके गेट खुलने की आवाज सुनाई दी, मगर मैं नहीं उठा कि उसकी मम्मी है जाने का कोई फायदा नहीं होगा। तभी सोहणी की आवाज सुनाई दी मम्मी अब कब आओगी, मम्मी का जवाब मिला रात में, तुम अंदर से ताला लगा कर आराम कर लो, देर रात तक काम की हो। सोहणी बोली जी मम्मी और फिर जाती हुई सैंडल की आवाज सुनाई दी। मेरे मन में तो जैसे लड्डू फूटने लगे, धड़�¤
�ने तेज़ हो गई, मैं दस मिनट तक बस खुद को शांत करता रहा, जब कुछ नार्मल हुआ तो चाय पीने के बहाने बाहर निकल गया। ये बता दूं कि मेरे ऑफिस और रोहणी का गेट एक गली में है, सामने ऊंची दीवार है और ऑफिस से निकलने के बाद अंदर से बाहर सीधा नहीं देखा जा सकता है। मैं बाहर निकला तो सामने गेट खुला था और सोहणी बालों में कंघी करती नज़र आई, मुझे देख कर स्माइल दिया और इशारे में पूछा किधर जा रहे हैं। मैं धीरे से उसक
े गेट के सामने पहुंचा और हल्की आवाज में पूछा अकेली हो?उसने गर्दन हां में हिलाया तो मैं दाएं बाएं देख जल्दी से उसके घर मे घुस गया और हड़बड़ा कर सीधा बेड रूम में चला गया, इससे पहले की सोहणी अंदर आ कर कुछ बोलती वो बेडरूम के गेट पर खड़ी होकर तेज़ी में फुसफुसाते हुए बोली, अंकल बाहर निकलिए!! कोई देख लेगा! मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अंदर खींच लिया। वो बुरी तरह डर गई और मुझसे भाग कर दीवार से जा सटी और रà
��क्वेस्ट भरी आवाज में बोली, अंकल प्लीज़, प्लीज़ अंकल, जाइये न। मैं बेड पर बैठा बस उसे समझता रहा कि कोई नहीं आने वाला, बस किस करके चला जाऊंगा। वो डरती डरती मेरी तरफ बढ़ी मगर रुक गई, बोली पहले मेन गेट बंद करने दीजिए और बाहर चली गई। गेट बंद कर लौटी तो मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और उसे किस करने लगा, कुछ देर के बाद वो कसमसाकर मुझे पीछे धकेला और बोली अब हो गया, अब जाइये। मुझ पर तो जैसे वासना का भूत सवार à
 
��ा, उसे फिर से पकड़कर अपनी ओर खींच लिया और किस करते हुए एक हाथ से उसकी छाती और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा। कुछ ही देर में उसकी सांसे तेज़ चलने लगी, और उसका विरोध काफी कम हो गया। मैंने महसूस किया कि अब उसे भी मज़ा आ रहा है, मगर जैसे ही मैंने अपने होंठ उसके होंठ से हटाए वो फिर बोलने लगी अंकल प्लीज़ छोड़िए न कोई आ जाएगा। मैंने जोर से उसे पकड़ कर खुद से सटा लिया और बोला तुमने तो गेट बंद कर दिया है न, व
ो गर्दन हां में हिलाई तो मैंने कहा ताला लगा लो, वो न न करने लगी तो मैं खुद उठा और पर्दे के पीछे से बाहर झांका, बाहर कोई नहीं था। मैंने झट से गेट में ताला लगा दिया, वापस आया तो वो दोनों हाथ अपने जांघो के बीच मे फंसाए सिर झुकाकर बैठी थी। मैं उसके करीब गया तो वो गिड़गिड़ाने लगी, छोड़ दीजिए न अंकल, ये गलत है। मैंने उसे समझाया, देखो तुम्हें इस बात का डर है न कि सेक्स करने से तुम्हारी वर्जिनिटी खत्म ह
ो जाएगी, मैं आगे से नहीं करूंगा, सिर्फ सहला कर और रगड़ कर सिर्फ तुम्हे मजा दूंगा। पीछे से करने में कोई हर्ज नहीं है। थोड़ा सा लेकर देखो, अगर अच्छा नहीं लगेगा तो कहना, मैं नहीं करूंगा। वो कुछ नहीं बोली तो मैं ने उसे पकड़कर खड़ा किया और उसे किस करने लगा, गालों पर, होठों पर, गर्दन पर। उस पर भी हवस चढ़ गई थी, वो मेरा साथ देने लगी तो मैं ने अपनी जीन्स का जिप खोल दिया दिया औऱ उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर र�¤
– दिया, जैसे ही उसका हाथ मेरे लंड से टच हुआ वो तेज़ी से हाथ खींच ली। मैं ने फिर उसका हाथ खींच कर लंड पर रखा, इसबार वो हाथ खींची तो नहीं, मगर लंड भी नहीं पकड़ा। मैंने फुसफुसाकर उसके कान में कहा कि पकड़ो न प्लीज, मगर उसने कोई रिस्पांस नहीं दिया। तो मैं जबरदस्ती उसकी मुट्ठी खोल कर लंड उसके हाथ मे दे दिया, वो बस उसे पकड़े खड़ी रही। फिर मैं ने उसके ट्राउजर में हाथ घुसाया और सीधा उसकी चूत को पकड़ लिया, व�¥
‹ जोर से कसमसाई मगर मेरी मजबूत पकड़ के कारण वो हिल नहीं सकी तो मेरा लंड छोड़ कर मेरे हाथ को ट्रॉअजर से खींचने लगी। मगर मैं मजबूती से उसे पकड़े रहा, उसकी चूत पर बहुत ही मुलायम बाल थे, सिर्फ ऊपरी भाग में थोड़े से, बाल कम जरूर थे मगर काफी लंबे थे, शायद उसने कभी बाल साफ नहीं किया था, उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी। फिर मैं उसके ट्रॉअजर को पैंटी सहित नीची खींच दिया तो वो शर्मा गई और झुक कर तेज़ी से ट्रॉ�¤
�जर ऊपर खींच ली, तभी मेरे ऑफिस से किसी के बाहर निकलने की मुझे आहट सुनाई दी। मेरी तो सांसे अटक गई, सोनी भी मेरी तरफ गुस्से भरी नजरों से देख रही थी, मगर मैं ने उसे खामोश रहने का इशारा किया।
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ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया- भाग-4
जब कदमों की टॉप हम से दूर जाती हुई सुनाई दी, तब हम दोनों ने राहत की सांस ली। वो गुस्से में फुसफुसाई, मैंने कहा था चले जाइये, कोई आ जाएगा, मगर आप अपने जिद पर अड़े रहे, अभी तो बाल बाल बच गए। अब जाइये यहां से, मैंने उसे दिलासा दिया, कुछ नहीं होगा, तुम डरती बहुत हो। वो चुप हो गई, मैं पर्दे को थोड़ा हटाकर बाहर झांका वहां कोई नही था, सोनी भी मेरे पीछे आकर बाहर झांकने की कोशिश करने लगी,मैं मुड़ा और फिर उस�¥
‡ अपनी बाहों में भर लिया। इस बार वो ज्यादा जोर लगाने के बजाए बस मुंह से बोलती रही कि अब छोड़िए बहुत हो गया। मैं ने उसकी एक बात नहीं सुनी, मुझे पता था ऐसा मौका दोबारा जल्दी मिलने वाला नहीं है, मैं उसे धकेलता हुआ बेड की तरफ ले गया और उसे बेड पर धक्का दिया तो वो पीठ के बल बेड पर गिर गई, मगर तुरंत उठकर बैठ गई, मैं ने फिर उसे बेड पर धकेला, मगर वो अपना दोनों हाथ पीछे टिका कर अड़ गई, तो मैं रुक गया, फिर उसà
�‡ समझाने लगा कि कुछ नही होगा, अच्छा ऐसा करो पीछे घूम जाओ, वो कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे पकड़कर मुंह के बल बेड पर गिरा दिया और उस पर चढ़ गया, वो कसमसाकर खुदको अलग करने की कोशिश करती रही इसी बीच मैंने जिप खोल अपना लंड बाहर निकाला और एक हाथ उसके पीठ पर कोहनी के साइड से रख कर उसे दबाए रखा, दूसरे हाथ से उसका ट्रॉअजर नीछे खींच दिया उसकी उभरी हुई गांड चमक उठी, वो गांड इधर उधर हिला कर और उछला कर मुझे खà
��द से हटाने की नाकाम कोशिश करती रही। मैंने जल्दी से अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी गांड में घुसाने लगा, मगर उसकी गांड इतनी टाइट थी कि लंड फिसल कर कभी नीचे तो कभी ऊपर चला जा रहा था। ऐसा करके मैं थक गया मगर लंड अंदर नहीं घुसा पाया, एक दोबार लंड का अगला भाग थोड़ा अंदर की तरफ धंसा तो ज़रूर मगर उसने गांड उचका दिया जिस से लंड बाहर आ गया। मैं उसके ऊपर लेट गया तो कराहने लगी और ऊपर से हटने का आग्रह करने
लगी, मगर मैं ने उसकी बात नहीं मानी और उससे रिक्वेस्ट करने लगा, सोनी प्लीज़ बस एकबार थोड़ा सा करने दे दो प्लीज़! मेरे बार बार आग्रह का उसपर असर हुआ तो बोली ठीक है, बस थोड़ा सा डालिएगा, जोर से नहीं बिल्कुल धीरे धीरे, मैंने झट से हां कहा तो वो सीधी होकर पेट के बल लेट गई। मैंने जल्दी से अपना बेल्ट खोला और जीन्स और चड्ढी नीची करके ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया और लंड उसकी गांड के गुलाबी छेद पर रखकर
हल्के हल्के दबाव डालने लगा, लंड धीरी-धीरी अंदर घुसने लगा। जैसे ही लंड का टोपा अंदर घुसा वो चिहुुँक उठी और आगे की ओर खिसक गई, लंड पुक की आवाज के साथ बाहर निकल गया, वो गर्दन घुमाकर सीसीसी करते हुए एक हाथ से अपनी गांड के छेद को छुपाने लगी, उसकी आँखों मे आसूं आ गए, मैं रुक गया, कुछ देर इंतजार करता रहा जब उसको दर्द में कुछ राहत मिली तब फिर से वो वही पुराना राग अलापने लगी, मुझसे नहीं होगा, अंकल प्à
��ीज़ आज छोड़ दीजिए, फिर किसी दिन कर लीजिएगा। मगर मैं कहां मानने वाला था, मैं उसे ही उल्टा आग्रह मिन्नत करने लगा, वो फिर खामोशी से मुंह तकिया में घुसा कर सीधी हो गई। मैंने पुनः प्रयास शुरू किया, इस बार लंड का टोपी अंदर घुसते ही वो छटपटाई, मैंने उसके दोनों कंधे को पकड़ लिया, जिससे वो आगे नहीं भाग सकी, फिर मैं रुक गया और उसके दर्द कम होने का इंतजार करने लगा जब वो थोड़ा रिलेक्स हुई तो मैं ने फिर धी�¤
�े धीरे दबाव बनाना शुरू किया, वो ऊऊऊ अअअअअ, उफ्फ्फ, सीसीसीसी आदि आवाजें निकालने लगी और जोर जोर से गर्दन इधर, उधर उठापटक करने लगी मगर मैं अपने काम में लगा रहम अंततः मुझे सफलता मिल ही गई, अब मेरा पूरा लंड उसकी गांड की गहराई में पहुंच चुका था। मैं वहीं रुक गया, वो लगातार छटपटाती रही और तेज़ तेज़ सिसकी लेती रही, जब मैं नीची की ओर झुक कर उसका चेहरा देखने की कोशिश की तो देखा कि उसका पूरा चेहरा लाल �¤
�ो गया था, पसीने से पूरा चेहरा भीगा हुआ था, आंखों से आंसुओं की धार बह रही थी। ये सब देख कर मुझे दुख तो हुआ, मगर मेरी दुख पर मेरा हवस हावी था। मैं उसी पोजिशन में रुका रहा और समझाने के साथ साथ ये दिलासा भी देता रहा कि बस थोड़ी देर और, थोड़ी देर। जब उसे थोड़ी राहत मिली तो वो तेज़ तेज़ सांसे लेने लगी, मुझे आभास हुआ तो मैं ने अपना लंड धीरी धीरी बाहर की ओर खींचना शुरू किया, जब तीन चैथाई लंड बाहर आ गया तब फि
र धीरी धीरी अंदर करने लगा। पांच दस मिनट के बाद लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा। तभी मेरा मोबाइल घनघना उठा, हड़बड़ी में मैं खड़ा हुआ तो पूरा पैंट मेरे पैरों में जा गिरा जल्दी से पैंट की जेब से मोबाइल निकाला और उसका रिंग साइलेंट किया। ये देखकर मेरे होश उड़ गए कि फोन मेरे बॉस का था, मेरे तो पसीने निकल गए, हालत पतली हो गई। मैंने फोन नहीं उठाया। फुल रिंग होने के बाद मैंने तुरंत मोबाइल ऑफ कर दिया।
डर के मारे मेरा लंड भी मुरझा गया, धड़कने काफी तेज तेज़ चल रही थी। मैं एक हाथ से अपना पैंट पकड़े हुए पर्दे की ओट से बाहर झांका बाहर कोई नहीं था, फिर पीछे मुड़ा तो देखा कि सोणी मेरी तरफ ही टकटकी बांधे देख रही है, उसने आहिस्ता से पूछा क्या हुआ? मैंने कहा, ऑफिस से निकले करीब एक घंटा हो गया है, बॉस का फोन आ रहा है। क्या करें बहुत डर लग रहा है, वो भी थोड़ा परेशान हो गई। कुछ देर हम दोनों खामोश एक दूसरे को दà
��खते रहे तभी किसी के ऑफिस से निकलने की आहट हुई मैं और डर गया। इससे से पहले की मैं कुछ समझ पाता सोणी झट से उठी अपना कपड़ा ठीक की, कपड़े से मुंह पोछा और किताब लेकर गेट की ओर बढ़ने लगी, मेंने उसे रोकना चाहा तो वो मुझे अंदर की ओर जाने का इशारा किया और खुद किताब लेकर बाहर निकल गई। बाहर के ग्रिल में ताला लगा हुआ था, वो किताब खोलकर गैलरी में खड़ी हो गई। मेरी धड़कने लगातार तेज़ चल रही थी, पता नहीं अब आगे क्
या होगा? तभी सोनी की आवाज सुनाई दी, अंकल क्या हुआ? बाहर शायद मेरे बॉस थे, मेरा नाम लेकर बोले, अरे पता नहीं किधर चला गया है, एक ज़रूरी लेटर तैयार करना था, तो सोनी बोली अभी कुछ देर पहले वो किसी नए अंकल के साथ इधर ही आ रहे थे, फिर लौट गए। बॉस ने पूछा किधर, तो सोणी बोली सड़क के तरफ!! बॉस बोले उसका मोबाइल फुल रिंग होने के बाद बंद बता रहा है। ये कहते हुए वो सड़क की तरफ बढ़ गए। सोहणी अंदर आई और बोली अब क्या क�¥
�जिएगा? में डरी हुई निगाहों से उसे देखने लगा। वो मुस्कराकर मेरी तरफ ही देख रही थी। मैं तबतक अपने कपड़े पहन चुका था। मैंने आहिस्ता से कहा बाहर वाला गेट खोल दो और बाहर जाकर देखो सर किधर हैं। वो धीरी से गेट खोलकर बाहर गई और जल्दी से आकर बोली सर कहीं नहीं दिख रहे हैं। आप जाइगा तो जल्दी से निकलिए। में अधूरा सेक्स छोड़ क जल्दी से बाहर निकल आया। और ऑफिस में घुस गया, सीधा बाथरूम में जाकर बैठ गया। �¤
�ुछ देर के बाद जब निकला तो बॉस बोले कहाँ चले जाते हो यार ?? में बोला सर एक पुराना दोस्त मिलने आ गया था, इस लिए देर हो गई। बॉस एक लेटर मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोले अच्छा जल्दी से इस लेटर को तैयार कर दो। मैंने उनके हाथों से वो पेपर ले लिया और अपने कम्प्यूटर पर बैठ कर लेटर तैयार करने लगा।
 
ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया- अंतिम पार्ट
मैंने करीब आधे घंटे में लेटर तैयार किया और बॉस के पास गया। बोस ने लेटर चेक की और बोले ठीक है। मैंने कहा, सर, मैं आधा एक घंटा में आता हूँ, बॉस मेरी ओर देखने लगे। पूछा कोई ज़रूरी काम है, मैं ने कहा एक मित्र को चाय की दुकान पर बैठने का बोल आया हूं, उससे फ्री हो कर आता हूं। बॉस बोले ठीक है, मगर तुम्हारा मोबाइल क्यों बंद है, मैंने कहा बैट्री खत्म हो गई थी, उसे ऑफिस में ही चार्ज में लगा के जा रहा हूँ औ�¤
° बाहर निकल गया। बाहर गया तो देखा सोहणी के मेन ग्रिल में अंदर से ताला लगा हुआ था, वहीं अंदर का दूसरा दरवाजा भी बंद था, मैं परेशान हो गया, अब क्या करूं, आवाज दूंगा तो ऑफिस में सब सुन लेंगे। मैं कुछ देर वहीं खड़ा इधर उधर देखता रहा फिर ऑफिस में गया और अपना मोबाइल लेकर उसमें झूठ मूट का काल कर कान में सटा लिया और यूंही बात करता हुआ बाहर निकल गया, सोहणी के दरवाजे के निकट पहुंचते ही मैं ने फोन पर जोर
जोर से बात करनी शुरू कर दी। कुछ ही देर में सोहणी ने अंदर का गेट खोल कर बाहर झांका, मैं उसी तरफ देख रहा था, वो इशारे में पूछी क्या हुआ? मैंने गेट खोलने का इशारा किया, वो खड़ी रही, फिर अंदर गई और चाबी ले आई, ताला खोला और गेट थोड़ा सा खोलकर अंदर चली गई, मैं कान में फोन लगाए बात करता हुआ बाहर की ओर चला गया। एक दो मिनट के बाद मोबाइल ऑफ कर जेब मे रखा और वापस ऑफिस की ओर लौटा। इधर उधर देख कर झट से अंदर घुस �¤
�या और सोहणी को बोला कि अंदर से ताला लगा दो, वो बोली छोटी बहन और भाई के स्कूल से आने का समय हो गया है। मैं बोला, अगर अभी आ भी गए तब तुम कोई किताब निकाल लेना और कह देना कि ये प्रश्न सॉल्व नहीं हो रहे थे तो अंकल उसे सॉल्व करवा रहे थे, ये बोलकर मैं ने उसे पकड़ कर बाहों में भर लिया। वो कुछ नहीं बोली, मैंने किस करना फिर से शुरू किया और फिर उसे बेड पर धकेल दिया। वो आराम से बेड पर बैठ गई। मैंने उसे उल्टा
लेटाया और उसका ट्रॉअजर और पौंटी उतार दिया। मेरा लंड फिर से फन फना रहा था। मैंने लंड पर और उसकी गांड की छेद पर ढेर सारा थूक लगाया और लंड धीरे धीरे अंदर धकेलने लगा। इसबार वो ज्यादा नहीं छटपटाई, लंड पूरा अंदर चला गया। फिर मैं धीरे धीरे तीन चार मिनट तक धक्का मारता रहा। और तभी मेरे लंड ने फौव्वारा फेंकना शुरू कर दिया लगातार कई झटके पानी निकालने के बाद लंड ने झटके मारना बंद कर दिया। मेरी साà
��से तेज़ हो गई थीं और काफी तेजी से पसीना भी निकल रहा था, वो पीछे मुड़ी और पूछी क्या हुआ?? मैंने कहा मेरा माल निकल गया, वो बोली, मतलब?? मैंने कहा स्पर्म निकल गया है तब वो मुस्कुराई, और पूछी अब नहीं कीजिएगा। मैंने गर्दन से थोड़ा ठहरने का इशारा किया। यूंही उसपर पड़ा रहा। मेरा लंड अब भी पूरी तरह टाइट अंदर ही घुसा हुआ था, मैंने लंड बाहर खींच लिया, लंड बाहर निकलते ही पानी उसकी गांड से बहने लगा। मैंने जà
��ब से रुमाल निकाली और उसे पोछने लगा। फिर अपना लंड पोंछा, फिर उससे पूछा मजा आया, वो कुछ नहीं बोली। तो मैं बोला, फिर से करूँ?? तब भी वो कुछ नहीं बोली और सिर्फ मेरी तरफ देखती रही। मैंने उसे चित होने को कहा, वो बिना कुछ बोले सीधी होकर लेट गए। उसकी चूत पर बाल की जगह रुएँ थे, बहुत ही मुलायम और सिर्फ चूत की ऊपरी भाग में बिल्कुल थोड़े से थे। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा, वो पूरी गीली थी, फिर मैं उसे चाट
ने के लिए मुंह उस तरफ ले गया तो तेज़ स्मेल मेरे नाक से टकराई, मैं मुंह ऊपर खींच लिया और सीधा खड़ा हो गया, वो बोली क्या हुआ, मैं कुछ नहीं बोला और एक मिनट का इशारा कर उसके बाथरूम में गया, अपना रुमाल धोया और फिर आकर गीले रुमाल से उसकी चूत और जांघ को रगड़ने लगा वो कसमसाई और बोली दर्द हो रहा है आप क्या कर रहे हैं। मैंने कहा साफ कर रहा हूँ, वो कुछ नहीं बोली, जब मुझे एहसास हो गया कि अब चूत साफ हो गई तब फिर
मैं चूत को सूंघा, अब स्मेल काफी कम हो गई थी, शायद कुंवारी लड़कियां नहाते समय अपनी चुतों को रकगड़कर साफ नहीं करती हैं, या सिर्फ सोनी जैसी लड़कियां!! बहरहाल, मैंने उसका चूत चाटना शुरू कर दिया एक दो मिनट में ही वो ऐंठने लगी, उसका पूरा शरीर अकड़ गया, वो तेज़ तेज़ सांस लेती हुई अपनी गांड उछालने लगी। कुछ क्षण बाद उसने और तेज़ तेज़ झटके लिए और फिर झड़ने लगी, उसने अपना दोनों जांघ जोर से एक दूसरे से चिपका लिà
��ा और मेरे सिर को ठेल कर चूत से हटाने लगी। मैंने अपना मुंह उसकी चूत से हटा लिया। वो अपने दोनों हथेलियों से चूत को छिपा लिया और लंबी लंबी सांस लेने लगी। फिर वो उठने लगी तब मैंने कहा थोड़ा सा अपनी चूत में घुसाने दो न प्लीज़, वो साफ इंकार कर दी। मैंने फिर कहा तो सिर्फ रगड़ने दो, वो फिर भी मना करने लगी तब मैंने अपना लंड पकड़ लिया और उसकी तरफ देख के हिलाने लगा, वो ध्यान से मेरा लंड देख रही थी, मैंने उà
��से कहा कि तुम हिलाओ न, वो बिना कुछ बोले मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगी। फिर मैंने उससे कहा कि अंदर नहीं घुसाउंगा, बस बाहर से ही रगड़ लूंगा, तो वो बोली आप पीछे से कर लो न। मैंने कहा ठीक है, वो पेट के बल लेट गई, मैंने उसका कोल्हा पकड़कर उसकी गांड ऊंची की और थूक लगाकर लंड अंदर घुसा दिया। मेरा लंड सरररर से अंदर चला गया। इसबार करीब दस मिनट तक मैं धक्के मरता रहा, मगर मेरा माल निकल ही नहीं रहा था, हम दोनों
पसीने पसीने हो गए, मैं थक गया था मगर फिर भी शरीर की पूरी ताकत लगाकर धाएँ धाएँ लंड पेलता रहा। अब वो छटपटाने लगी और कराहते हुए बोली, अंकल कितना देर लगेगा?? मैंने कहा बस हो गया थोड़ा और बोलकर मैं फिर तेज़ तेज़ झटके मारने लगा, उसकी गदराई गांड पर जब मेरा लंड पड़ रहा था तब थप थप की आवाज हो रही थी वहीं उसकी टाइट गांड अब काफी ढीली हो गई थी, जहां से फस फस की आवाज निकल रही थी। करीब 15-20 मिनट के बाद मेरे लंड ने à
��ंदर पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी, चार पांच पिचकारी के बाद लंड शांत हो गया। मैं उससे अलग हुआ। हम दोनों पसीने से सराबोर थे। मैंने जल्दी जल्दी अपना कपड़ा पहना और वो उठकर बाथरूम जाने लगी तब मैंने उसे रोका और बोला पहले मुझे यहां से निकलने दो, बाहर देखो कोई है भ? वो वैसे ही ट्राउजर और पैंटी ऊपर खींची बगल में पड़े चादर में मुंह पोंछी और बाल ठीक करती हुई गैलरी में चली गई, मैं दरवाजे की ओट में खड़ा हो गय
ा, वो अंदर आई और चाभी लेजाकर दरवाजा खोल दिया। मैं झट वहां से बाहर निकला और एक सौ रुपया जेब से निकाल कर उसे देने लगा, वो मना करने लगी मगर मैं ने जबरन वो नोट उसके हाथ में रख दिया और तेज़ तेज़ चलता हुआ, बाहर की ओर चल दिया। उस दिन के बाद से हमें जब भी मौका मिलता हम सेक्स का मजा लेते। मगर हर बार वो सिर्फ गांड ही में लंड घुसाने देती। बस चूत चटवाटी थी। ये सिलसिला लगातार कई महीनों तक चलता रहा।
 
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