desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
सुबह का टाइम था और हम सब उठे ही थे और फ्रेश हो रहे थे और में मुत्थ मार रहा था टॉयलेट में फिर फ्रेश होक हम सब ब्रेकफास्ट करने बैठे थे की तभी कुछ लोग घर पर आ गये, जो हमारे दूर के रिश्तेदार थे उनका परिचय एक बाप, एक माँ और एक जवान बिन बिहाई बेटी जिसके जिस्म से जवानी का रस टपक रहा था मई जवान लड़का उसकी जवानी के रस से अपना गला गिला करने के लिए मच्चल रहा था.
मुझे पता चला की ये रिश्ते में मेरे चाचा लगते है और यहाँ पे अपनी लड़की के लिए लड़का देखने आये है.
उस लड़की का नाम था निहारिका उसका नाम सुनके मज़ा आ गया था माँ बाप ने सोच समाज कर उसका नाम निहारिका रखा था बाद में हम सब ने एक साथ ब्रेकफास्ट किया और सब अपने काम में लग गये और में निहारिका के पीछे लग गया वो छत पर अकेली थी.
तो में भी छत पे चला गया उसको निहारने के लिए वो सलवार सूट में गज़ब लग रही थी, मेरा लंड खड़ा हो गया फिर में वही बैठ गया ताकि वो मेरे लंड की हरकत को न देख पाए.
थोड़ी देर बाद वो मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी, कुछ देर बाद वो निचे चली गयी, दोपहर में उसके घर वाले और मेरी माँ जी लड़का देखने के लिए गये एक पार्क में जहा वो लड़के वाले आ रहे थे.
अब में घर में अकेला गया था तो मैंने उनके जाने के बाद सबसे पहले तो निहारिका को इमेजिन करके अलंद पे सरसों का तेल लगा के मस्त मुठ मरी जैसा की में हमेशा करता था.
दो घंटे बाद वो लोग आ गये तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई क्यों की माल भी आ चुकी थी वो लोग खुस लग रहे थे, तो मैंने पुचा की क्या हुआ वहा पे कुछ बात बनी की नही तो उन्होंने बताया हा और फिर मिठाई खिलाई रिश्ता पक्का होने की ख़ुशी में, फिर खेतो में काम होने की वजह से वो लोग चले गये पर माँ जी ने निहारिका को रोक लिया कुछ दिन के लिए, मेरा दिल तो खिल गया था.
अब रात को खाना खाके सब सोने जा रहे थे, मैंने देखा की निहारिका बिस्तर लेके ऊपर वाले कमरे में जा रही है तो में भी ऊपर पहुच गया और उससे बाते करने लगा.
में- निहारिका जी मुबारक हो.
निहारिका- हा थैंक यू.
में - आप खुश तो हो न, वो लड़का कैसा है,
निहारिका- हा में खुश हु, वो बहुत अच्छा है
इतने में माँ जी ने उसे बुला लिया और वो निचे चलाई गयी और में वही सोने का नाटक करने लग गया.
जब वो आई तो में सोने का नाटक करने लग गया,उसने मुझे उठाना चाह तो में गहरी नींद में होने का नाटक करने लगा आखिर में वो मेरे बगल में ही सो गयी दूसरी तरफ घूम कर उसने अपना गांड मेरी तरफ कर दिया था. थोड़ी देर में मुझे कब नींद आ गयी कुछ पता ही नही चला रात को एक बजे मेरी नींद खुली तो महसूस हुआ की मेरा लंड खड़ा है.
तब मुझे याद आया की मुझे तो अपने काम को अंजाम देना है, मैंने धीरे से एक टांग और एक हाथ उसकी ऊपर रख दी,मैंने अपने हाथ उसके बूब्स के ऊपर रख दिया और उसकी तरफ से कोई रिएक्शन नही आया.
में डर रहा था की कही ये जग न जाये और हिम्मत कर के उसके बूब्स को दबाने लगा फिर में अपने हाथो को उसके चूत के ऊपर ले गया और उसकी चूत को सलवार सूट के ऊपर से दबाने लगा.
कुछ देर बाद मुझे रहा नही गया तो में वहा से उठ के मुठ मारने बाहर आ गया और मुठ मार्के ठंडा होक सो गया सुबह उठा तो देखा की वो मेरी तरफ ही घूरे जा रही है मैंने उससे पूछा क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो तो कहने लगी कुछ नही बस ऐसे ही ये कह के वो चली गयी.
फिर रात को मैंने वैसा ही किया इस बार कोई चुक नही होनी चाहिए बोलके पहे ही जा के सोने का नाटक करने लग गया वो आई उसने आज रात मेरी माँ जी की राखी हुई नाइटी पेहें राखी थी जो उसपे काफी खिल रहा था वो बिना कुछ बोले मेरे बगल में सो गयी में हैरान था की आज इसने मुझे उठाया नही क्यों क्या बात है.
फिर रात को मैंने उसके बूब्स दबाये पहले की तरह और फिर बूब्स को छोड़ कर उसके चूत के पास आ गया और सुर उसकी चूत को रगड़ने लगा थोड़ी देर में ही उसके मुह से ह्म्म्म की आवाजे बदने लगी थी और नाइटी गीली हो गयी थी फिर मैंने धीरे धीरे उसकी नाइटी ऊपर करी उसकी कमर तक.
आज उसने अपनी पेंटी नही पहनी थी मैंने अपनी पूरी ऊँगली उसके चूत में डाल दी थी और आअह्ह्ह्ह आह्ह की आवाज आने लगी तो मैंने देखा की वो जग गयी है मैंने कहा टब जग रही हो वो बोली हां में कब से जग रही हु, में कल से देख रही हु तुम क्या कर रहे हो.
मैंने बोला अब जब सब कुछ पता चल ही गया है तो में भी नंगा हो गया उसके सामने ओसे उसे भी नंगी कर दिया और उसे लेटा कर उसके ऊपर सो गया और अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया वो आअह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह करने लगी, में चोदता रहा मुझे बहुत मजा आ रहा था अब वो भी मजे लेने लगो हम दोनो चुदाई में मस्त थे उस रात मैंने उसकी चूत को चोद चोद कर फाड़ दिया था उसके चूत से खून गिरने लगा.
और मेरे लंड से वाइट जैसा पानी बहार आ गया जिसे मैंने उसकी चूत में दाल दिया. और हम दोनो एक साथ लिपट कर सो गये.
मुझे पता चला की ये रिश्ते में मेरे चाचा लगते है और यहाँ पे अपनी लड़की के लिए लड़का देखने आये है.
उस लड़की का नाम था निहारिका उसका नाम सुनके मज़ा आ गया था माँ बाप ने सोच समाज कर उसका नाम निहारिका रखा था बाद में हम सब ने एक साथ ब्रेकफास्ट किया और सब अपने काम में लग गये और में निहारिका के पीछे लग गया वो छत पर अकेली थी.
तो में भी छत पे चला गया उसको निहारने के लिए वो सलवार सूट में गज़ब लग रही थी, मेरा लंड खड़ा हो गया फिर में वही बैठ गया ताकि वो मेरे लंड की हरकत को न देख पाए.
थोड़ी देर बाद वो मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी, कुछ देर बाद वो निचे चली गयी, दोपहर में उसके घर वाले और मेरी माँ जी लड़का देखने के लिए गये एक पार्क में जहा वो लड़के वाले आ रहे थे.
अब में घर में अकेला गया था तो मैंने उनके जाने के बाद सबसे पहले तो निहारिका को इमेजिन करके अलंद पे सरसों का तेल लगा के मस्त मुठ मरी जैसा की में हमेशा करता था.
दो घंटे बाद वो लोग आ गये तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई क्यों की माल भी आ चुकी थी वो लोग खुस लग रहे थे, तो मैंने पुचा की क्या हुआ वहा पे कुछ बात बनी की नही तो उन्होंने बताया हा और फिर मिठाई खिलाई रिश्ता पक्का होने की ख़ुशी में, फिर खेतो में काम होने की वजह से वो लोग चले गये पर माँ जी ने निहारिका को रोक लिया कुछ दिन के लिए, मेरा दिल तो खिल गया था.
अब रात को खाना खाके सब सोने जा रहे थे, मैंने देखा की निहारिका बिस्तर लेके ऊपर वाले कमरे में जा रही है तो में भी ऊपर पहुच गया और उससे बाते करने लगा.
में- निहारिका जी मुबारक हो.
निहारिका- हा थैंक यू.
में - आप खुश तो हो न, वो लड़का कैसा है,
निहारिका- हा में खुश हु, वो बहुत अच्छा है
इतने में माँ जी ने उसे बुला लिया और वो निचे चलाई गयी और में वही सोने का नाटक करने लग गया.
जब वो आई तो में सोने का नाटक करने लग गया,उसने मुझे उठाना चाह तो में गहरी नींद में होने का नाटक करने लगा आखिर में वो मेरे बगल में ही सो गयी दूसरी तरफ घूम कर उसने अपना गांड मेरी तरफ कर दिया था. थोड़ी देर में मुझे कब नींद आ गयी कुछ पता ही नही चला रात को एक बजे मेरी नींद खुली तो महसूस हुआ की मेरा लंड खड़ा है.
तब मुझे याद आया की मुझे तो अपने काम को अंजाम देना है, मैंने धीरे से एक टांग और एक हाथ उसकी ऊपर रख दी,मैंने अपने हाथ उसके बूब्स के ऊपर रख दिया और उसकी तरफ से कोई रिएक्शन नही आया.
में डर रहा था की कही ये जग न जाये और हिम्मत कर के उसके बूब्स को दबाने लगा फिर में अपने हाथो को उसके चूत के ऊपर ले गया और उसकी चूत को सलवार सूट के ऊपर से दबाने लगा.
कुछ देर बाद मुझे रहा नही गया तो में वहा से उठ के मुठ मारने बाहर आ गया और मुठ मार्के ठंडा होक सो गया सुबह उठा तो देखा की वो मेरी तरफ ही घूरे जा रही है मैंने उससे पूछा क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो तो कहने लगी कुछ नही बस ऐसे ही ये कह के वो चली गयी.
फिर रात को मैंने वैसा ही किया इस बार कोई चुक नही होनी चाहिए बोलके पहे ही जा के सोने का नाटक करने लग गया वो आई उसने आज रात मेरी माँ जी की राखी हुई नाइटी पेहें राखी थी जो उसपे काफी खिल रहा था वो बिना कुछ बोले मेरे बगल में सो गयी में हैरान था की आज इसने मुझे उठाया नही क्यों क्या बात है.
फिर रात को मैंने उसके बूब्स दबाये पहले की तरह और फिर बूब्स को छोड़ कर उसके चूत के पास आ गया और सुर उसकी चूत को रगड़ने लगा थोड़ी देर में ही उसके मुह से ह्म्म्म की आवाजे बदने लगी थी और नाइटी गीली हो गयी थी फिर मैंने धीरे धीरे उसकी नाइटी ऊपर करी उसकी कमर तक.
आज उसने अपनी पेंटी नही पहनी थी मैंने अपनी पूरी ऊँगली उसके चूत में डाल दी थी और आअह्ह्ह्ह आह्ह की आवाज आने लगी तो मैंने देखा की वो जग गयी है मैंने कहा टब जग रही हो वो बोली हां में कब से जग रही हु, में कल से देख रही हु तुम क्या कर रहे हो.
मैंने बोला अब जब सब कुछ पता चल ही गया है तो में भी नंगा हो गया उसके सामने ओसे उसे भी नंगी कर दिया और उसे लेटा कर उसके ऊपर सो गया और अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया वो आअह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह करने लगी, में चोदता रहा मुझे बहुत मजा आ रहा था अब वो भी मजे लेने लगो हम दोनो चुदाई में मस्त थे उस रात मैंने उसकी चूत को चोद चोद कर फाड़ दिया था उसके चूत से खून गिरने लगा.
और मेरे लंड से वाइट जैसा पानी बहार आ गया जिसे मैंने उसकी चूत में दाल दिया. और हम दोनो एक साथ लिपट कर सो गये.