किरायेदार आंटी को अच्छी तरह चोदा - SexBaba
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किरायेदार आंटी को अच्छी तरह चोदा

hotaks444

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Nov 15, 2016
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हैल्लो दोस्तों, में आज आप सभी कामुकता डॉट कॉम के चाहने वालों के लिए अपनी एक नई मस्त सच्ची कहानी लिख रहा हूँ और यह कहानी मेरे घर में किराए से रह रही एक आंटी की है और इस कहानी में मैंने अपनी उस हॉट सेक्सी आंटी को बहुत अच्छी तरह प्यार किया है और उनकी चुदाई के मज़े लिए। में उनकी चुदाई के पिछले कुछ दिनों से सपने देख रहा था और वो सब मैंने पूरा किया। दोस्तों मेरी उस आंटी का नाम कला है, जो 30 साल की है और उनकी गांड थोड़ी सी मोटी और बूब्स बहुत मस्त गोरे बाहर की तरफ निकले हुए है। उन्होंने अपने पूरे बदन को बहुत अच्छी तरह से सम्भालकर रखा है, इसलिए उनका हर एक अंग बहुत आकर्षक है। दोस्तों उस दिन मैंने जब सुना कि अंकल का एक्सिडेंट हो गया तो मैंने आंटी को इस बारे में बताया, तो आंटी यह बात सुनकर बेहोश हो गयी। फिर में जल्दी से रसोई से एक गिलास में पानी लेकर आया और मैंने आंटी को अपनी बाहों में लेटाया और आंटी को पानी पिलाया और फिर आंटी को लेकर में हॉस्पिटल चला गया, जहाँ पर अंकल भर्ती थे, जल्दी से हम दोनों उस हॉस्पिटल में पहुंच गए। फिर डॉक्टर हमसे कहने लगे कि इनका ऑपरेशन करना होगा, उसके लिए बहुत पैसे की जरूरत होगी, उसमें करीब 50,000 रूपये का खर्चा आएगा। अब यह बात सुनकर आंटी रोने लगी, क्योंकि वो एक बार में उसी समय कैसे और कहाँ से इतने पैसे लेकर आती? मैंने कहा कि अंकल आप पैसों की बिल्कुल भी टेंशन ना ले, आप ऑपरेशन शुरू करें, में पैसों का इंतजाम कर दूंगा और फिर आंटी ने वो फार्म भर दिया, जिसके बाद अंकल का ऑपरेशन शुरू हो गया और वो ऑपरेशन कुछ घंटो तक चलने के बाद एकदम ठीक रहा और फिर अंकल को कुछ दिन वहीं पर रखने के बाद जल्दी ही घर के लिए छुट्टी करके भेज दिया गया।

अब में अंकल को घर ले आया। पहले में कभी भी आंटी के घर नहीं जाता था, में बस दूर से ही उनके लटकते झूलते बूब्स को देखता और उनकी मटकती हुई गांड के मज़े लेता था और अब में आंटी के घर पर जाने लगा था और घर जाने के साथ साथ अब में आंटी के घर के कामों में उनकी मदद भी करने लगा था, अंकल को डॉक्टर ने आराम के लिए कहा था, इसलिए वो पूरा दिन एक पलंग पर पड़े आराम करते और वो ज्यादातर समय दवाईयों के नशे में रहते थे। अब में आंटी के हर एक काम में उनकी मदद करवाता, जैसे कि दवाईयाँ लाना, बाजार से सामान लाना और भी बहुत सारे काम में उनके करता था। एक दिन आंटी किचन में ऊपर से कुछ निकाल रही थी, लेकिन ऊंचाई ज्यादा होने की वजह से आंटी का हाथ अच्छी तरह से वहां पर नहीं पहुंच रहा था, में जैसे ही रसोई में गया और मैंने आंटी को देखा तो आंटी बहुत कोशिश कर रही थी, लेकिन उनका हाथ वहां तक नहीं पहुंच रहा था, जैसे ही वो थोड़ा सा और ऊपर हुई तभी वो उस टेबल से फिसल गई और आंटी मेरी गोद में आ गई। मैंने उनको गिरने से बचा लिया। फिर आंटी ने मुझसे धन्यवाद कहा, अगर आज तुम नहीं होते तो आज में भी अंकल के साथ बेड पर आराम कर रही होती। फिर मैंने आंटी को धीरे से अपनी गोद से नीचे उतारा और मैंने आंटी के कूल्हों के ऊपर हाथ फेरा, लेकिन आंटी ने मुझसे कुछ नहीं बोली और वो चुपचाप रसोई में काम करने लगी और उस समय मेरी माँ बाथरूम में नहाने गई थी। फिर में अपने कमरे में आकर कंप्यूटर पर अपना काम करने लगा। तभी कुछ देर बाद आंटी मेरे रूम में आ गए और वो मुझसे कहने लगी कि संदीप तुमने हमारी बहुत मदद की है, तुम्हारे इस काम को हम कभी नहीं भुला सकते और तुम्हारा जितना भी पैसा है, में वो सब तुम्हें वापस कर दूंगी। फिर मैंने उनसे कहा कि कोई बात नहीं आंटी जी यह तो मुझे करना था और फिर वो कुछ देर बाद चली गई और शाम को में आंटी के घर चला गया और एकदम से मुझे देखकर वो पलटी, जिसकी वजह से आंटी की साड़ी का पल्लू उनके ब्लाउज से हट गया। फिर आंटी ने जल्दी से अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और वो खड़ी हो गयी। मैंने जल्दी से आंटी की वजह से नीचे गिरी अंकल की गोलियों को उठाकर टेबल पर रख दिया और में बाहर जाकर खड़ा हो गया और एक सप्ताह तक मैंने जानबूझ कर आंटी के शरीर को किसी ना किसी बहाने से में छूता रहा, लेकिन आंटी भी कुछ नहीं बोली और मज़े लेती रही। एक दिन में अपने कंप्यूटर पर काम कर रह था और तब में मन ही मन सोचने लगा कि शाम को जब आंटी मेरे घर पर आएगी तो में जानबूझ कर उनके सामने नंगा खड़ा हो जाऊंगा और फिर में पांच बजने का इंतजार करने लगा, शाम को जब आंटी मेरे कमरे में आई तो मैंने उस समय टी-शर्ट पहन रखी थी और मैंने अपनी अंडरवियर को खोल दिया, जिसकी वजह से मेरा लंड अब खड़ा होने के मूड में आ गया और जानबूझ कर मैंने अपनी पेंट को हाथ से पकड़कर में उसको ठीक करने लगा। तभी आंटी अंदर आई और वो मुझे बिना पेंट के देखकर मेरे खड़े लंड को अपनी चकित नजरों से देखकर हंसती हुई तुरंत बाहर निकल गई।

फिर मैंने भी जल्दी से पेंट को पहन लिया और में भी उनके पीछे पीछे बाहर आ गया और मैंने उनसे पूछा कि आंटी जी आपको क्या काम था? आंटी हंसने लगी। फिर मैंने उनसे पूछा कि आप इस तरह से क्यों हंस रही हो? तो आंटी ने कहा कि कुछ नहीं, में जल्दी से उनके पीछे गया और मैंने आंटी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया और आंटी को घुमाकर अपनी तरफ सीधा किया और अब में उससे दोबारा पूछने लगा कि आप क्यों हंस रही थी? आंटी ने कुछ नहीं बोला और उससे पहले में खुद ही बोल पड़ा, अच्छा तो आपने मुझे नंगा देख लिया, मुझे याद नहीं रहा कि इस वक़्त आप मेरे कमरे में आ गई हो, इसलिए मेरे साथ ऐसा हुआ और यह बात कहते हुए मैंने अपने दोनों हाथों को आंटी की गोरी कमर पर रख दिया, जिसकी वजह से वो मेरी बाहों में थी और में आंटी से बातें करने लगा, लेकिन आंटी जल्दी ही मेरी तरफ मुस्कुराती हुई चली गयी और में दो दिन तक आंटी के घर नहीं गया। फिर उस दिन आंटी खुद ही मेरे कमरे में आ गई और वो मुझसे पूछने लगी क्या बात है संदीप तू पिछले दो दिन से घर पर क्यों नहीं आया, तेरे अंकल की दवाइयां खत्म हो गई, जा मार्केट से ले आ और में जैसे ही जाने लगा तो में अपना हाथ जानबूझ कर आंटी के बूब्स पर छूता हुआ निकल गया। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर उस दिन रात को में अपने कमरे में उनके बारे में सोचकर मुठ मारने लगा। तभी अचानक से आंटी मेरे रूम में आ गई और मुझे उस हालत में देखकर वो जल्दी से बाहर चली गई और में धीर से आंटी के कमरे में गया और मैंने आंटी को बाहर आने को कहा तो आंटी मना करने लगी, दूसरी बार कहा तब जाकर आंटी बाहर आई। फिर मैंने उनसे पूछा क्या अंकल सो गए? तो आंटी ने कहा कि हाँ वो सो गए है, लेकिन अभी कुछ देर पहले क्या कर रहा था? मैंने कहा कि कुछ नहीं, वो बोली कि तू कुछ तो कर रहा था? मैंने सोचा कि आंटी को बुरा लगेगा कि में यह कब कर रहा हूँ? उन्होंने पूछा तू यह सब कितने दिनों से कर रहा है? मैंने कहा कि कुछ दिन से, तो आंटी ने हंसते हुए कहा कि लड़का अब जवान हो गया, इसलिए अब यह अपने लंड को हिलाने भी लगा है। दोस्तों जब आंटी ने मुझसे यह बात कही तो में उनके मुहं से ऐसे शब्द सुनकर एकदम चकित रह गया और में अपने रूम में वापस चला आया और अब में आंटी को भी चोदने के सही मौके की तलाश में था कि अब आंटी को कैसे पकड़कर चोदा जाए, लेकिन मुझे वो मौका नहीं मिल पा रहा था। एक दिन में अपने कंप्यूटर पर एक ब्लूफिल्म देख रहा था कि तभी अचानक से आंटी अंदर आ गई और वो भी पीछे खड़ी होकर फिल्म देखने लगी, लेकिन मैंने उनको नहीं देखा था कि वो मेरे पीछे खड़ी हुई है। फिर कुछ देर बाद आंटी ने मेरे कंधे पर अपना एक हाथ रख दिया और मैंने डरकर जल्दी से मीडिया प्लेयर को बंद कर दिया, लेकिन आंटी ने पहले ही सब कुछ देख लिया था तो आंटी मुझसे पूछने कि यह सब क्या हो रहा? मैंने कहा कि आंटी कुछ नहीं और तभी आंटी ने माउस से मीडिया प्लेयर को ऊपर किया, उसमें द्रश्य चल रहा था और एक औरत लंड को चूस रही थी। फिर उन्होंने ने मुझसे कहा कि में यह सब तुम्हारी माँ से कहूंगी। फिर मैंने उनसे कहा कि नहीं आंटी आप ऐसा नहीं करना और इतना कहते हुए मैंने आंटी का हाथ पकड़ा और आंटी को अपनी तरफ खींच लिया। फिर आंटी को मैंने कहा कि आंटी मुझे आप माफ़ कर दो, लेकिन आंटी नहीं मानी और आंटी ने कहा कि में ज़रूर तुम्हारी मम्मी से कहूंगी। फिर मैंने कहा कि नहीं आंटी प्लीज आप मत बोलना और मैंने उनसे कहा कि आप मुझसे जो भी कहोगी, में वो सब करूंगा। तभी आंटी बोली कि चल अपनी पेंट खोल मुझे तेरे मोटे लंबे लंड को देखना है। अब मैंने उनसे पूछा आप यह क्या बोल रही हो? अब आंटी मुझसे कहने लगी कि जब तू मेरे सामने नंगा हो सकता है और ब्लूफिल्म देख सकता है, लेकिन अपनी पेंट नहीं खोलता, चल अब खोल दे और मैंने आंटी के कहने पर खोल दिया और वो मेरे लंड पर हाथ लगाने लगी, सहलाने लगी। उन्होंने दो मिनट तक मेरे लंड पर हाथ फेरा और फिर आंटी ने मुझसे पूछा क्या सेक्स करेगा? लेकिन में कुछ नहीं बोला, आंटी ने कहा कि आज रात को कमरे का दरवाजा खुला रखना।

फिर मैंने मन ही मन बहुत खुश होकर कहा कि हाँ ठीक है और जैसे ही आंटी अपने कमरे में गई, में खुश हो गया और मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और में रात होने का इंतजार करता रहा। मैंने जल्दी ही खाना खा लिया और रात को मेरी मम्मी का फोन आया, क्योंकि वो बहुत दिनों से बाहर गई थी और वो अंकल का हालचाल मुझसे पूछने लगे। मैंने उनसे कहा कि अंकल अब एकदम ठीक है और मैंने देखा कि आंटी उस समय मेक्सी पहनकर बाहर खड़ी थी। मैंने जल्दी से मम्मी से अपनी बात को खत्म करके आंटी के लिए दरवाजा खोल दिया और आंटी अंदर आकर सोफे पर बैठ गयी। फिर आंटी बोली क्या तुमने वो ब्लूफिल्म पूरी देखी? मैंने कहा कि हाँ मैंने पूरी देखी। फिर मैंने उनसे पूछा क्या अंकल सो गए तो आंटी ने कहा कि हाँ सो गये, वो अब कल सुबह तक उठ सकते है उससे पहले नहीं। फिर मैंने उनसे पूछा ऐसा क्यों तो आंटी बोली कि मैंने उनको नींद की दवाई दी है। मैंने उनका जवाब सुनकर खुश होकर कहा कि आपने बहुत अच्छा किया। अब मैंने आगे बढ़कर आंटी की मेक्सी का बटन खोल दिया और आंटी के होंठो पर किस करना शुरू किया और आंटी अपने हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी, तो उस वजह से मेरा लंड सरिए की तरह तनकर खड़ा हो गया और फिर मैंने अपनी पेंट को खोल दिया और लंड को बाहर निकाल दिया और आंटी को लंड चूसने के लिए कहा और आंटी नीचे बैठकर मेरे लंड को लोलीपॉप के तरह चूसने लगी, में आंटी के सर पर हाथ घुमा रहा था।

अब लंड को चूसने के बाद मैंने आंटी के होंठ पर किस किया और में आंटी के निप्पल को मसलने लगा। फिर कुछ देर बाद मैंने आंटी को खड़ा करके आंटी की मेक्सी को पूरा खोल दिया, जिसकी वजह से आंटी अब मेरे सामने ब्रा और अपनी पेंटी में थी। फिर मैंने आंटी की पेंटी को भी खोल दिया और आंटी की गांड को किस करते हुए में आंटी की गर्दन पर किस करता रहा और फिर आंटी की ब्रा को भी मैंने खोल दिया और अब आंटी मेरे सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और में आंटी को किस करता रहा। कुछ देर के बाद मैंने आंटी को बेड पर लेटा दिया और में उनको पैरों को किस करने लगा और किस करते हुए आंटी के दोनों पैरों को मैंने सहलाया और सबसे पहले अपनी एक उंगली को आंटी की चूत के अंदर बाहर किया और कुछ देर बाद में आंटी की चूत को चाटने लगा, आंटी की चूत को मैंने बहुत अच्छी तरह से चाटा और आंटी को किस करते हुए आंटी के दोनों बूब्स को ज़ोर ज़ोर से मसला और चूसने लगा। उसके बाद में अपना मोटा लंड आंटी के चूत में धीरे धीरे डालने लगा। आंटी ने कहा कि जल्दी से डाल दो। फिर में आंटी की चूत में जल्दी से अपने लंड को डालने लगा और आंटी दर्द की वजह से ज़ोर से चिल्लाने लगी, प्लीज थोड़ा सा धीरे धीरे अहाह्ह्ह्हह उफ्फ्फ्फ और में आंटी के दोनों होंठो को चूसने लगा। फिर करीब बीस मिनट तक आंटी की चूत में अपने लंड को में लगातार धक्के देता रहा और जब मेरा काम पूरा होने लगा तो मुझे लगा कि में अब झड़ने वाला हूँ। तब मैंने अपना लंड बाहर निकालकर वीर्य को बाहर ही निकाल दिया। थोड़ी देर बाद मैंने आंटी को उठाया और आंटी को उल्टा करके अपने मोटे लंड को फिर से खड़ा किया और आंटी की मोटी गांड में डालने लगा, जिसकी वजह से आंटी आह्ह्ह्हह्ह उफफ्फ्फ्फ़ आईईईइ की आवाज निकालने लगी। फिर आंटी की गांड को मारने के बाद में आंटी को हॉल में ले गया और वहां पर आंटी को बैठकर में आंटी की चूत और निप्पल को चूसने लगा। रात को दो बजे तक मैंने आंटी को बहुत अच्छी तरह जमकर चोदा और फिर जब मैंने सुबह आंटी को नंगा देखा तो मेरा मन फिर से आंटी की चुदाई करने का हुआ। फिर में आंटी को उठाकर अपना मोटा लंड आंटी की चूत में डालने लगा। मैंने कुछ देर उनकी बहुत मज़े लेकर मस्त चुदाई की और आंटी जब उनकी चुदाई होने के बाद बाथरूम में गई तो मैंने अपने लंड को आंटी के मुहं में डाल दिया और आंटी ने उसको चूसना शुरू किया और वो बहुत मज़े लेने लगी। उसके बाद हम दोनों बाथरूम में ही एक दूसरे को किस करने लगे। फिर मैंने आंटी को नहाने के टब में भी चोदा और आंटी ने भी मेरा पूरा साथ दिया। फिर मैंने अपना वीर्य आंटी के ऊपर डाल दिया। तभी आंटी को मैंने नीचे बैठाया और आंटी के मुहं के अंदर अपना सारा वीर्य डाल दिया और कुछ देर चाटने के बाद आंटी मुझे मेरे होंठो पर किस करती हुई घर चली गई और उस समय आंटी अपनी पेंटी को मेरे कमरे में ही भूल गयी। फिर उस समय भी अंकल सोए हुए थे, आंटी ने शाम तक भी वो मेक्सी नहीं उतारी थी। मैंने देखा कि अंकल अब भी सोए हुए थे तो मुझे लगा कि शायद आंटी ने एक बार फिर से नींद की गोली तो नहीं दे दी, इसलिए अंकल नहीं उठे थे और वो सोए हुए थे।

फिर मैंने देखा कि आंटी उस समय रसोई में अपना काम कर रही थी, तो मैंने आंटी को अपनी गोद में उठा लिया और में उनको अपने कमरे में ले गया तो आंटी ने कहा क्या तुम्हारा अभी भी दिल नहीं भरा मुझे चोदते चाटते हुए? तो मैंने कहा कि हाँ मेरा मन फिर से चुदाई के लिए कर रहा है और फिर मैंने आंटी की मेक्सी को ऊपर किया और में फिर से आंटी की चूत को देखकर अपने होश खो बैठा। फिर मैंने उनकी गांड को अच्छी तरह से चाटा और कुछ देर के बाद मैंने अपने मोटे लंड को उसके अंदर डाल दिया और जब में आंटी की गांड में अपना मोटा लंड डाल कर धक्के दे रहा तो आंटी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ करने लगी। उसी समय आंटी की पांच साल के बेटी सोनिया रसोई के अंदर आ गई और वो अपनी मम्मी को अपनी गांड में लंड डलवाते हुए देखने लगी और जब आंटी ने उसको देखा तो आंटी ने ज़ोर से उससे कहा कि सोनिया तू जल्दी से कमरे में चली जा। फिर सोनिया कहने लगी मम्मी आप यह क्या कर रही हो, तो आंटी ने कहा कि तू जल्दी से बाहर चली जा में तुझे बाद में बता दूंगी, लेकिन सोनिया जिद करने लगी और तब आंटी ने मुझसे दो मिनट रुकने के लिए कहा और में रुक गया। फिर उन्होंने जल्दी से अपनी मेक्सी को पहन लिया और सोनिया से कहा कि मुझे बहुत दर्द हो रहा था, इसलिए उस दर्द को भैया ठीक कर रहे है, आप जल्दी से बाहर जाकर खेलो और अगर पापा कुछ भी आपसे पूछे तो आप कुछ भी उनको मत बोलना। अब सोनिया ने कहा कि हाँ ठीक है और उसके चले जाने के बाद आंटी जल्दी से एक बार फिर से उल्टी हो गई और अब आंटी ने मुझसे कहा कि तुम थोड़ा जल्दी से करो, में फिर से अपने लंड को आंटी की गांड में डालने लगा और उस समय सोनिया पीछे वाली खिड़की से देखने लगी और जब कुछ देर बाद मेरा पूरा काम हो गया, तो में आंटी की चूत को चाटने लगा तो सोनिया ने मुझे उसकी मम्मी की चूत को चाटते हुए देख लिया और थोड़ी देर बाद सोनिया वापस कमरे में आ गई और उस समय आंटी मेरे लंड को चूस रही थी। फिर वो बोली कि मम्मी क्या आपका दर्द ठीक हो गया? आंटी गुस्से से बोली हाँ ठीक हो गया, तू जल्दी से पापा के पास जा और वो बाहर चली गयी। फिर मैंने आंटी को नीचे लेटा दिया और आंटी के दोनों पैरों को ऊपर उठा दिया और आंटी की चूत को में चाटने लगा और अच्छी तरह चूत को चाटने लगा और वो मुझसे कहने लगी, आह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ संदीप प्लीज़ बस करो बाद में कर लेना में तो यहीं हूँ, जब तुम मुझसे कहोगे, में तुमसे अपनी चुदाई करवाने चली आउंगी। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है आंटी और उन्होंने मुझे किस किया और उसी समय आंटी ने मुझसे कहा कि मेरा भी दिल तो नहीं कर रहा है, लेकिन सोनिया ने मुझे तुमसे अपनी चुदाई करवाते हुए देख लिया है, इसलिए मजबूरी में यह सब अधूरा छोड़ना पड़ रहा है, वरना में आज पूरा दिन तुमसे अपनी चुदाई के मज़े लेती। अब मैंने आंटी की पेंटी को पहनाया और फिर आंटी जल्दी से अपने कमरे में चली गयी ।।

धन्यवाद .
 
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