घर सा मजा और कहा - SexBaba
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घर सा मजा और कहा

Yogeshsisfucker

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Sep 16, 2019
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हैलो दोस्तो आज मै आप के लिए एक नई कहानी लेकर आया हु. मुझे पक्का विश्वास है कि आप को यह कहानी बहुत पसंद आएगी ।तो दोस्तो सेक्स एक ऐसा शब्द है की ये सारी दुनिया उन दो अक्षरो के आगे पीछे ही घुमती रहती है। हर कोई अपने अपने अन्दाज से सेक्स का मजा लेता है ।कोई लड़की पटाता है ।तो कोई शादी कर के अपने घर मे ही सेक्स की व्यवस्था करता है ।तो कोई रान्ड के पास जाकर अपना गुजारा करते है।पर अगर यही सेक्स हमे घर बैठे ही मिल जाए तो कितना मजा आएगा ।एसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ है ।तो इस कहानी मे आप पढेंगे की कैसे संयोग सेक्टर मैंने अपनी छोटी बहन पटाई और सिर्फ उस पर ही ना रुकते हुए अपनी मां को भी पटाया और बाद मे उन्हे मनाके अपने सगी छोटी बहन के साथ शादी भी कर दी।कहानी जरा लम्बी है पर मुझे पक्का यकीन है कि आप को मजा देगी कहानी  जो आप चाहते हो ।तो सीधे चलते है इन्ट्रोडक्शन की तरफ ।
इन्ट्रोडक्शन ---
योगेश -उम्र 29 हाइट 5 7' यानी की  मै ।कहानी का हिरो ।मेरे बारे मे आगे आप बहुत पढोगे पर अभी क्वालीफिकेशन और जानबूझकर बता देता हआ।मै बि काॅम फर्स्ट क्लास हु और अभी एक mnc मे मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव हु।
मोहिनी ----उम्र  48 हाइट 5 5' ।मेरी माँ ।माँ का मोहिनी नाम उनके पर्सनैलिटी पे बहुत फिट होता है ।वो 48 की होने के बाद भी अभी भी मस्त दिखती है । फिगर 36 32 36
प्रिया --उम्र 18 हाइट 5 7'।मेरी छोटी बहन ।माँ का ही जवानी का रुप ।पर प्रिया बहुत हट्टी कट्टी और उसके बुब्स मानो उम्र से भी बडे तरबूज जैसे बडे है।फिगर 36 30 34
कहानी शुरु करने से पहले हम कहानी की रुपरेखा पढ लेते है।हमारा घर मध्यप्रदेश मे एक छोटे से गाव मे है।मेरी मा जो की ब्राम्हण फॅमिली से बिलाॅन्ग करती थी उनकी शादी 30  साल पहले मेरे फादर मोहन के साथ हुइ थी ।मेरे फादर भी पण्डित ही थे ।वो हमारे और दुसरे गाव के मन्दिरो मेलबर्न जाकर पूजा करने का काम करते थे ।हमारे गाव मे 7-8 सब डिवीजन्स थी हम जिस डिवीजन मे रहते थे उस डिवीजन मे हमारा एक और एक और एसे दो ही घर हमारे समाज के थे ।डिवीजन के बाकी 60-70 घर मुस्लिम समुदाय के थे ।आप को पता हे की गाव मे घर बहुत दुर दुर जहा जहा अपनी जमीन हो वहा पर बनाते है ।वैसे ही हमारे घर के आसपास  100 मिटर  मे किसी और का घर नही था ।और बाकी के डिवीजन मे भी मुस्लिम भाईयो के ही ज्यादातर घर थे।घर के पास की छोडकर और दो एकड जमीन  डेड किमी दुर थी वहा पर खेती करके पिताजी अपना अपने पत्नी का और अपने माता पिता का जिवन व्यापन करते थे ।शादी के एक साल बाद मेरा जन्म हुआ ।मेरे जन्म के एक दो साल के बाद पिता जी घर छोड़कर किसी महाराज के साथ  हरिद्वार भाग गए ।मेरे दादा दादी और मां जैसे तैसे करके दिन गुजार रहे थे ।मैंने बडा होने लगा और स्कूल जाने लगा ।मुझे आज भी याद है जब मै 3 rdस्टॅन्ड्र्ड मे था ।एक दिन पिताजी अचानक  से घर लौट गए ।सभी को आनन्द हो गया था ।धीरे धीरे पिताजी और दादा दादी ने मिलकर जमीन मै डेवलपमेंट कीई और आर्थिक स्थिती मे भी थोड़ा-बहुत सुधार हुआ।इधर एक साल  के अंदर  माँ ने दुसरे बच्चे को जन्म दिया।वो लडकी थी दिखने मे बहुत प्यारी थी और उसका आवाज सुनकर एसा लगता था की कानो मे शहद घुल रहा हो।इसलिए सबने बडे प्यार से उसका नाम प्रिया रख दिया।प्रिया और मै धीरे धीरे बडे हो रहे थे ।जब मै 6 th मे था तब पहले दादा और बाद मे दो साल मे दादी भी गुजर गई ।मै 10th की एक्जाम पास करने के बाद पास ही के शहर मे कालेज और पार्ट टाइम काम पे जाने लगा प्रिया मुझसे 11 साल छोटी थी।और एक दिन  पिताजी घर छोडकर फिर एक बार उसी महाराज के साथ भाग गए ।जाते हुए उन्होने कहा की फिर कभी भी वापस नही आउंगा ।माँ और हमे बहुत दुख हुआ पर दिन बीतते गए ।मै 12 वी पास होकर आगे सिखने के लिए दुसरे शहर गया ।मुझे याद  है जब मै 13 वी मे था मैने अपने लाइफ की पहली लडकी पटाई ।जिसका नाम यास्मीन था।मै पडा एक समाज का और यास्मीन दुसरे समाज की पर हम दोनो का प्यार कालेज खत्म होने तक बरकरार था ।उसके बाद मै एक भले आदमी के सन्गत से अच्छे जाॅब  पे लग गया ।कालेज मे एक गर्लफ्रेंड होने के बावजूद मैने 3 साल मे 10-15 लडकियो को पटाकर सेक्स किया था।तब से लेकर आज तक तकरीबतक30-40 लडकिया आन्टीया और रान्डीया भी चोदी और अपने फ्रेंड्स के साथ चुदवाई भी थी ।इधर प्रिया बडी हो रही थी और एक एक क्लास पिछे छोडते हुए वो 10 वी भी पास हो गई ।प्रिया को मैने कभी गन्दी नजर से नही देखा था ।पर वो 16 की उम्र मे ही किसी आयटम बाॅम्ब जैसी दिखती थी।आगे कालेज पढने के लिए उसे मा ने पास ही के एक शहर मे हास्टल मे रख दिया ।और प्रिया ने अभी 12 वी की एक्जाम भी दीई हुइ थी।मेरे जाॅबपर  पर होने की वजह से माॅ को भी पैसे का टेन्शन नही था ।और गाव मे माॅ  मधुर और गाव की औरतो को काम पर बुलाकर खेती का काम करवा लेती थी।तो अब तक आपको कहानी का बैकग्राउंड समझ आ चुका है ।आगे के अपडेट से कहानी होगी स्टार्ट ।।।।
 


हैलो दोस्तो नए अपडेट्स जल्दी ही आएन्गे।मेरी प्यारी छोटी बहन प्रिया और माँ मोहिनी के पिक्चर्स
 

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आगे 
तो करते है कहानी स्टार्ट ।दोस्तो मै कैसे हालात मै पढाई पुरी करकर जाॅब पर लगा ये तो आपने जान लिया।मै अभी घर से दुर लगभग 200 किमी दुर शहर मे अपने कम्पनी के ब्रॅन्च ऑफीस मे मार्केटीन्ग एक्झ्युक्युटीव्ह हु ।मै रोज तो घर आ जा नही सकता इस वजह से मै 10-15 दिन मे एक बार घर की ओर चक्कर मारता था ।और मा को खर्चे के लिए पैसा और राशन वगैरह का सब कुछ मै ही देखता था।कभी कभी एक आध बार साल मे 1-2 महीने मे एक बार जाना होता ।अगर कम्पनी मे काम ज्यादा हो तो पर मै कभी अवाॅईड नही करता था।वैसे तो मै शहर मे किराए के रुम मे रहता था ।मेरे साथ हमारे ही इन्डस्ट्रीअल एरीया मे काम करने वाला एक इन्जीनीअर भी रहता था ।उसका नाम सन्जीव था।हम दोनो पिछले तिन साल से एक दुसरे के साथ रह रहे थे ।वैसे तो हम एकदुसरे के दोस्त बन गए थे ।पर हम अपने राज एकदुसरे को कभी भी नही बताते थे।
         हाल ही मे मार्च एन्डीन्ग होने की वजह से मै पूरा एक महीना घर नही गया था।प्रिये और माॅ से मोबाइल पे बात होती थी उस वजह से ज्यादा टेन्शन भी नही था उन दोनो को और मुझे भी।वो दिन 2 एप्रील का था ।मैने दो दिन की छुट्टी निकाली थी ।मैने सन्जीव से कहा की मै परसो सुबह सिधे कम्पनी मे ही जाउन्गा ।और मै उसको बाय कहके अपनी बाइक लेकर गाव की तरफ निकल गया ।मैने पिछले साल ही मेरी पहली बाइक पल्सर लिई थी।राइडीन्ग मे मस्त मजा आ रहा था ।थोडे ही समय मे मै अपने गाव के पहले 6-7 किमी पर जो मार्केट है वहा पर पहुच गया ।मा ने फोन पर बताइ हुइ सामान की लिस्ट निकाली और एक सुपर मार्केट मे घुस गया।सेरा सामान ले लिया ।पुरी 3 बोरीया भर चुकी थी सामान से ।तो बाइक पर से ले जाने का सवाल ही पैदा नही होता ।इसलिए मैने एक रिक्शावाले को किराए पर ले लिया और सामान रिक्शे मे डालकर बाइक से आगे चल पडा ।मै 15 मिनट मे सामान के साथ घर पहुच गया ।शाम के 5 बज चुके थे मैने सामान निकालकर आन्गन मे रखा और रिक्शेवाले को पैसे देकर रवाना कर दिया।मैने मोबाइल से माॅ को काॅल किया ।
मै- माॅ कहा पर हो तुम ।घर के दरवाजे पर तो ताला है।
माॅ - अभी आ रही हु ।1-2 मिनट मे बस आ ही गई।
माॅ जल्दी जल्दो घर पर आ गई ।और उसने दरवाजा खोला ।मैने सारा सामान अन्दर रख दिया ।अब मे आपको हमारे कन्डीशन के बारे मे बताता हु ।माॅ घर के पास वाली जमीन मे और दुर वाली जमीन मे खेती के काम करवाती है ।पर मजदुर और औरतो का खर्चा निकालकर ज्यादा कुछ बचता नही है।प्रिया अभी पढाई कर रही है और घर का भी ज्यादा इन्कम नही है तो घर का ज्यादातर खर्चा मुझे ही उठाना पडता है।लाइट बिल ,पानी बिल और माॅ के मोबाइल के रिचार्ज तक मुझ पर ही डिपेन्ड है।प्रिया के पास ऊभी मोबाइल नही है ।पर पिछली बार मै घर आया था तब माॅ ने प्रिये के काॅम्प्युटर कोर्स के लिए मुझसे 5000 रुपये लिए थे।तो एसी है घर की आर्थीक हालात ।घर भी बाकी   गाव के घरो की तरह कौलोका घर है ।
  माॅ- योगेश तुम हाथ पैर धो कर आओ।मै चाय रखती हु।
मै - हा माॅ। पर माॅ हमारी गुडीया किधर है।
माॅ- उसका पुछो मत।जब से शहर से एक्झाम देकर आइ है ।सहेलीयो के साथ दिन भर उस काॅम्प्युटर सेन्टर पर रहती है।रोज रात को 8-9 बजे कोई छोड कर जाता है ।
मै- हा ।अभी से स्टडी पर जोर दे रही है ।हा हा हा ।पर माॅ तुम भी डाटो मत उसे अभी 12 वी एक्झाम हुई है ना ।ये तो कुछ भी नही शहर के बच्चे न जाने कैसे कैसे एक्झाम देते है तैन महीनो की वेकेशन मे।
माॅ- हा।मै कहा कुछ बोलती हु ।सुबह 8 बजे से पहले सब तैय्यारी करके देती हु उसे ।
मै - वैसे जा कहा रही है अभी वो ।शहर मे?
मा - नही ।यही गाव मे उस रिझवान का काॅम्प्युटर सेन्टर है ना वही पर  जाती है अपने सहेली के साथ ।
मै- रिझवान मतलब मुम्बई मे था वो ।।उसके पास जाती है ।
माॅ- हाॅ।उस रिझवान की भतीजी भी है ना प्रिया के साथ ।तो दोनो वही पर जाती है ।मुस्कान नाम है उसका ।प्रिया के साथ शहर मे हाॅस्टल मे भी थी दो साल 11 वी 12 वी ।
मै- ठीक है ।
मै बाथरुम गया ।हमारा बाथरुम घर से बाहर पिछे की तरफ एक स्टोर रुम जैसे है उसी मे दो पक्के पार्टीशन करके टाॅयलेट और बाथरुम बनाया हुवा है।स्टोर रूम मे लकडीया और चुल्हे जलाने योग्य सामान रखते है ज्यादातर ।मैने हाथ मु धोया और घर मे आ गया ।माॅ ने हाॅल मे टिपाॅय पे चाय और बिस्कुट्स रखे हुए थे।और टिवी ऑन करके वो भी एक चेअर पे बैठी थी ।चाय लेते लेते थोडी इधर उधर की बाते होने के बाद मै अपने रुम मे चला गया ।बाहर शाम ढल चुकी थी और प्रिया का कोई पता नही था।माॅ ने तुलसी के पास रोज की तरह दिया जलाया और वो किचन मे खाना बनाने लगी ।मै भी थोडी देर बाद वापस हाॅल मे आया और टिवी देखने लगा। घडी मे लगभग नौ बज चुके थे। माॅ भी खाना बनाकर हाॅल मे आकर बैठ गई थी ।तभी बाहर किसी के बाइक के रुकने का आवाज आया।एक दो मिनट तक बाइक बन्द होकर रुकी रही और एकाएक स्टार्ट कर के बडे स्टाइल मे वो आदमी बडी बडी रेस से आवाज करते हुए चलागया।दरवाजा खुला और प्रिया अन्दर आ गई।मै तो एकटक देखता ही रह गया ।प्रिया ने अपने चिकने चेहरे पर एक बडा से चष्मा लगाया था जैसे स्टाइल आई हे नई वैसै।प्रिया का अन्गप्रत्यंग बदल चुका था ।अभी उसने सलवार कमीज ही पहनी थी पर मस्त आयटम लग रही थी प्रिया।मेरे मन मे कोई गलत विचार नही था ।वो बडे जल्दी मे अपने एक हाथ मे सॅक लेकर अपने रुम मे घुस गई ।ना माॅ से कुछ बोली ना मुझ से।
मै- माॅ ये क्या नया है ।ये चष्मा कब लग गया इसे।
माॅ- मालुम नही । बता रही थी सर ने दिलवाया है।काॅम्प्युटर से आखे खराब न हो इसलिए।
मै- और क्या ये अपने आप को क्या हिरोइन समझ रही है ।ना आप से बोली ना मुझसे।
माॅ- यह तो रोज का ही है।
तभी प्रिया अपने रुम से तौलीया और कुछ कपडे लेकर बाहर निकली और मा से बोली ।
प्रिया- मा मै नहाकर आती हु।
और मेरे तरफ देखकर मुस्कुराते हुऐ बोली ।
प्रिया- भैय्या आप कब आऐ।
मै- अभी अभी।पर हमारी गुडीया रानी तो कही बाहर गई थी ।
मेरे मु से गुडीया रानी शब्द सुनकर प्रिया ने अपने आप को रोकते हुए एसी स्माइल दिई की उसके गालो पर एक प्यारी सी डिम्पल बन गई।हम तो उसे गुडीया रानी ही बोलते थे ।और उसे अच्छा भी लगता था।वो बाथरूम की तरफ निकल पडी ।माॅ और मै किचन मे आ गए ।और खाने को परोसने कि तैय्यारी करने लगे ।थोडे ही देर मे प्रिया नहाकर घर मे आगई ।मेरी नजर प्रिया के उपर पडी ।और मेरे मन मे विचार आ गया ।
मै- मन मे ( वाॅव ।क्या मस्त माल बन चुकी है मेरी बहन।लगता है पिछले साल का टाॅप पहना है सलवार कमीझ का ।और उपर से ओढनी भो नही लि है ।यारर ••••• आज तक इतनी लडकीया चोद पर ऐसा आयटम आज तक नही देखा ।)
मै प्रिया को छुप छुपके निहार ही रहा था ।की दो तिन बार प्रिया और मेरी नजरे मिल गई ।मुझे लगा मेरी चोरी पकडी गई ।पर वो हल्की सी स्माइल के साथ मा का हाथ बटाने लगी ।आखीर आगे पिछे से एसा माल भरा हो और उपर से इतने टाइट कपडे पहने हो तो कोई कैसे अपने आप को रोके।प्रिया जरा सी भी निचे झुकती तो उसके जबरात चुचीयो के बिच की दरार झट से दिख जाती थी ।ये सब देखकर भो मेरे मन मे प्रिया के बारे मे कुछ गन्दा खयाल नही था। मेरा ध्यान पुरी तरह से प्रिया के जिस्म पर ही घुम रहा था ।शायद ये मा को भी समझ आया हो ।क्यु की मा की और मेरी नजरे एक दुसरे से मिली तो मा ने झट से नजरे चुराई और मुस्कुरा गई।प्रिया के बुब्स ऐसे लग रहे थे की जैसे बडे बडे आम उसके टाॅप के अन्दर किसी ने डाल दिए हो ।हम तिनो खाना खाने लगे प्रिया निवाला लेने जरा सी आगे झुकती तो उसकी क्लेवरेज साफ नजर आ रही थी ।मेरे सामने ही दोनो बैठी थी खाना खाने ।तभी मा को राइस पर करी कम हो गई ।मा ने कहा ।
मा- प्रिया जरा टेबल से करी तो लेकर आओ। भुल ही गई मै पास रखने को ।
प्रिया उठी उसने पहला अपने हाथ धोये और टेबल से करी का पाॅट लेकर मा को परोसने लगी ।प्रिया का टाॅप कमर से जरा सा निचे था और वो आगे झुककर परोस रही थी ।बिलकुल मेरी तरफ पिछवाडा करके मेरे मु और प्रिया के कुल्हो के बिच एक मिटर का अन्तर था ।उपर से प्रिया ने टाइट लेगीन्स पहनी थी तो मुझे अपने बहन के जान्गो से लेकर हिप्स तक का पुरा नक्शा दिख गया ।मेरा लन्ड झटका मार कर टाइट हो गया । उस वजह से मैने निचे झुककर खाना खतम करना ही बेहतर समझा और मै खाने मे लग गया।थोडी देर बाद सब का खाना खाकर हो गया। मै उठा और सिन्क मे मु धोकर बाहर चला गया।
 आगे पिछे से अपने हुस्न का दर्शन कराने के बाद प्रिया  अपने रूम मे चली गई।मा किचन मे काम कर रही थी ।मै चुपचाप प्रिया के पिछे उसके रूम मे गया।प्रिया अपने बेड पर पडी हुइ कुछ पढ रही थी।मुझे अन्दर आता देख उसने खुदको सम्भाला और बेड पर ही बैठ गइ।और मेरी ओर देखके स्माइल देते हुए बोली।
प्रिया- भैय्या।
मै- अरे रहने दो ।उठी क्यो तुम।
और मै बेड पर बैठ गया।मेरी नजरे प्रिया के फिगर का दिदार कर रही थी।मुझे लगा की प्रिया को भी अन्दाजा था की क्या चल रहा है।क्योकी उसके चेहरे पर नाॅटी सी मुस्कान आइ ।
मै- तो क्या अभी काॅम्प्युटर कोर्स चल रहा है तुम्हारा ।
प्रिया - हा भैय्या ।
मै - कौन सा।
प्रिया - दसवी के वेकेशन मे बेसीक किया था ना।अब तिन महीने का एडवान्स डिप्लोमा है।
मै- अच्छा।लेकीन रिझवान सिखाता है ठिक ।
प्रिया - (थोडी देर चुप रही ) अ  ह हा भैय्या।
मै - लेकीन उसने तो ये सब काॅम्प्युटर वगैरह छोडकर ट्रान्सपोर्ट का बिझनेस स्टार्ट किया था।
प्रिया - ट्रान्सपोर्ट का भी है बिझनेस और सायबर कॅफे भी है।
मै- अच्छी बात है ।मै जब पाचवी मे पढता था तब दसवी मे था वो।मेरे से पाच साल बडा है देख आज कहा से कहा पहुच गया।
प्रिया- हमम
मै- वो जाने दो ।तुम आज बहुत खुबसुरत लग रही हो ।
प्रिया हस पडी ।उसके चिकने गालो पर फिर एक बार मस्त डिम्पल दिखी ।
प्रिया - थॅन्क यु ।भैय्या
मैने उसके पास जाकर उसके बालो मे हात फेरा ।और कहा( असल मे फिर एक बार अच्छी तरीके से क्लेवरेज देखना चाहता था।)
मै- ठिक है ।चलो बाय ।मै सोने जा रहा हु।
और मै उसके रुम से बाहर आगया ।मैने अभी प्रिया के फिगर का जायजा लिया था मुझे पक्का यकीन था ।की प्रिया के बुब्स 110 % 36 साइज के या उससे भी बडे है ।मजा आगया आज ।मुझे अपने बहन के बारे मे एसा सोचते हुए अजीब लग रहा था पर मजा भी आ रहा था।इधर  माॅ ने बर्तन वगैरह समेटे और करीब 10:30 बजे हम तिनो अपने अपने रुम मे सोने के लिए चले गए।
To be continued
 

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