hotaks444
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प्रीति अपनी लाल ड्रेस में आई जो उसने इसी पार्टी के लिए नई खरीदी थी. सबका परिचय करने के बाद में अपने काम में जुट गया. में बबिता को इशारा कर बार काउंटर की ओर बढ़ गया, और ड्रिंक्स बनाने लगा. जब में ड्रिंक्स बना रहा था तब बबिताने मेरे पीछे आ मेरे कान में कहा कि उसने वैसे ही किया जैसा मेने उसे करने को कहा था.
वो मेरे सामने आ अपनी टाँगे थोड़ी फैला खड़ी हो गयी, जैसे बताना चाहती हो कि वो सही कह रही है. मेने जान बुझ कर अपने हाथ में पकड़ा बॉटल ओपनर नीचे ज़मीन पर गिरा दिया. जैसे ही में वो ओपनर उठाने को नीचे झुका बबिता ने अपनी ड्रेस उठा अपनी बालों रहित चूत को मेरे मुँह के आगे कर दिया. उसके इस अंदाज़ ने मेरे लंड को तना दिया. में थोडा सा आगे बढ़ हल्के से उसकी चूत को चूमा और खड़ा हो गया. अच्छा हुआ मेरी इस हरकत को कमरे में बैठे लोगों ने नही देखा.
धीरे धीरे लोग इकट्ठे होते जा रहे थे. बबिता मेरे साथ मेरे पीछे खड़े मुझे ड्रिंक्स बनाने में सहायता कर रही थी. बार की आड़ लेकर मुझे जब भी मौका मिलता में उसकी चुतताड और उसकी गांद पे हाथ फिरा देता. एक बार जब हमारी तरफ कोई नही देख रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूत पे रख दिया और कहा, "राज मेरी चूत को अपनी उंगली से चोदो नो."
मेरा लंड मेरी पॅंट में एक दम तन चुका था. अब में उसकी गर्मी शांत करना चाहता था. पहले प्रीति को उसके नई डिल्डो के साथ और अब पिछले 30 मिनिट उसके साथ खेलते हुए मेरा लंड पूरी तरह से तय्यार था.
मेने प्रीति के तरफ देखा वो अविनाश और मिनी के साथ बातों मे मशगूल थी. प्रशांत भी प्रीति के ख़यालों मे खोया हुआ था. ये उपुक्त समय था बबिता को गेस्ट रूम मे ले जाकर चोदने का. मेने बबिता से कहा, "तुम गेस्ट रूम मे चलो में तुम्हारे पीछे आता हूँ."
बबिता बिना कुछ कहे गेस्ट रूम की ओर बढ़ गयी. मगर मेरा इरादा केवल बबिता को चोदने का नही था बल्कि में चाहता था कि उसकी चुदाई प्रशांत अपनी आँखों से देखे. में उसके पास गया और उसे साइड मे ले जाकर उससे कहा, प्रशांत आज मे तुम्हारी बीवी की गंद मारूँगा और में चाहता हूँ कि तुम ये सब अपनी आँखों से देखो. ऐसा करना तुम खिड़की के पीछे छिप कर सब देख सकते हो, मेने खिड़की के पट थोड़े खुले छोड़ दिए है." इतना कहकर में गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया.
में कमरे मे पहुँचा तो बबिता मेरा इंतेज़ार कर रही थी. मेने दरवाज़ा बंद किया और उसे बाहों मे भर उसके होठों को चूमने लगा. मेने उसके बदन को सहलाते हुए उसकी पीठ पर लगी ज़िप खोल दी, "बबिता अपनी ड्रेस उतार दो."
बबिता ने अपनी ड्रेस उतार दी. उसने नीचे कुछ नही पहना था. अब वो नंगी खड़ी मेरी ओर देख रही थी. बबिता नंगी इतनी सुंदर लग रही थी कि किसी भी मर्द को मदहोश कर सकती थी.
मेने अपने दोनो हाथों से उसकी चुचियाँ पकड़ कर उसे अपने नज़दीक खींच लिया, और उसके कान में फुसफुसाया, "बबिता आज में तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ."
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दी और कहा, "राज में पूरी तरह से तुम्हारी हूँ. तुम्हारा जो जी चाहे तुम कर सकते हो."
वो मेरे सामने आ अपनी टाँगे थोड़ी फैला खड़ी हो गयी, जैसे बताना चाहती हो कि वो सही कह रही है. मेने जान बुझ कर अपने हाथ में पकड़ा बॉटल ओपनर नीचे ज़मीन पर गिरा दिया. जैसे ही में वो ओपनर उठाने को नीचे झुका बबिता ने अपनी ड्रेस उठा अपनी बालों रहित चूत को मेरे मुँह के आगे कर दिया. उसके इस अंदाज़ ने मेरे लंड को तना दिया. में थोडा सा आगे बढ़ हल्के से उसकी चूत को चूमा और खड़ा हो गया. अच्छा हुआ मेरी इस हरकत को कमरे में बैठे लोगों ने नही देखा.
धीरे धीरे लोग इकट्ठे होते जा रहे थे. बबिता मेरे साथ मेरे पीछे खड़े मुझे ड्रिंक्स बनाने में सहायता कर रही थी. बार की आड़ लेकर मुझे जब भी मौका मिलता में उसकी चुतताड और उसकी गांद पे हाथ फिरा देता. एक बार जब हमारी तरफ कोई नही देख रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूत पे रख दिया और कहा, "राज मेरी चूत को अपनी उंगली से चोदो नो."
मेरा लंड मेरी पॅंट में एक दम तन चुका था. अब में उसकी गर्मी शांत करना चाहता था. पहले प्रीति को उसके नई डिल्डो के साथ और अब पिछले 30 मिनिट उसके साथ खेलते हुए मेरा लंड पूरी तरह से तय्यार था.
मेने प्रीति के तरफ देखा वो अविनाश और मिनी के साथ बातों मे मशगूल थी. प्रशांत भी प्रीति के ख़यालों मे खोया हुआ था. ये उपुक्त समय था बबिता को गेस्ट रूम मे ले जाकर चोदने का. मेने बबिता से कहा, "तुम गेस्ट रूम मे चलो में तुम्हारे पीछे आता हूँ."
बबिता बिना कुछ कहे गेस्ट रूम की ओर बढ़ गयी. मगर मेरा इरादा केवल बबिता को चोदने का नही था बल्कि में चाहता था कि उसकी चुदाई प्रशांत अपनी आँखों से देखे. में उसके पास गया और उसे साइड मे ले जाकर उससे कहा, प्रशांत आज मे तुम्हारी बीवी की गंद मारूँगा और में चाहता हूँ कि तुम ये सब अपनी आँखों से देखो. ऐसा करना तुम खिड़की के पीछे छिप कर सब देख सकते हो, मेने खिड़की के पट थोड़े खुले छोड़ दिए है." इतना कहकर में गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया.
में कमरे मे पहुँचा तो बबिता मेरा इंतेज़ार कर रही थी. मेने दरवाज़ा बंद किया और उसे बाहों मे भर उसके होठों को चूमने लगा. मेने उसके बदन को सहलाते हुए उसकी पीठ पर लगी ज़िप खोल दी, "बबिता अपनी ड्रेस उतार दो."
बबिता ने अपनी ड्रेस उतार दी. उसने नीचे कुछ नही पहना था. अब वो नंगी खड़ी मेरी ओर देख रही थी. बबिता नंगी इतनी सुंदर लग रही थी कि किसी भी मर्द को मदहोश कर सकती थी.
मेने अपने दोनो हाथों से उसकी चुचियाँ पकड़ कर उसे अपने नज़दीक खींच लिया, और उसके कान में फुसफुसाया, "बबिता आज में तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ."
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दी और कहा, "राज में पूरी तरह से तुम्हारी हूँ. तुम्हारा जो जी चाहे तुम कर सकते हो."