पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे - Page 2 - SexBaba
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी- मेरी पड़ोसन

PART 2


दीवानी


उस दिन मानवी भाभी ने लंबे समय के बाद, हस्तमैथुन किया था और वह 3 बार झड़ गयी । उसे बहुत आराम मिला और उस दिन दोपहर में वो 2 घंटे तक गहरी नींद में सोती रही। शाम की सैर के दौरान, जब वह मेरे साथ पार्क की बेंच में बैठी , और उसका शरीर मेरे साथ लगा तो उसे अपने शरीर के अंदर गर्मी महसूस हुई ।

अगले दिन भी मानवी ने मेरा लंड देखा और एक दो दिन में ही ये अब मानवी भाभी के लिए हर सुबह की आदत बन गयी कि वह हर रोज सुबह सुबह मेरा पूरा सीधा और सख्त लंड देख ले, यहाँ तक के वो मेरे लंड की दीवानी हो गई थी। लेकिन मेरी लुंगी की स्थिति और नींद में मेरे लेटने की स्थिति और मेरे लंड की स्तिथि हमेशा समान नहीं होती थी , कभी-कभी लंड लुंगी के अंदर ही होता था और वह लुंगी के अंदर विशाल लंड की रूपरेखा देखती, और किसी दिन, मेरा लंड उसे आंशिक रूप से दीखता था । और किसी दिन वो पूरा बाहर खाद हुआ होता था दिन पर दिन लंड को ऐसे देखने से वह मेरे लंड की दीवानी हो गई।

एक सुबह लंड खड़ा हुआ लुंगी के बाहर था और फिर मानवी खुद को रोक नहीं सकी।

और वह हिम्मत कर के देखने से कुछ आगे करने के लिए तैयार हो गई। वह जानती था कि सुबह के इस घंटे में, मैं गहरी नींद में था क्योंकि मैं हल्की आवाज में खर्राटे ले रहा था।

वह धीरे से मेरे बिस्तर के पास पहुंची और धीरे से लुंगी को इस तरह हटाया के पूरा लंड दिखने लगा अपने हाथ से उसने मेरी बालों वाली जांघ की छुआ। मुझे बेडरूम में नग्न देखकर उसके बदन में उत्तेजना बढ़ गयी । उसने तब धीरे-धीरे अपना हाथ मेरे जांघो पर तब तक घुमाया, जब तक कि उसका हाथ मेरे लंड और अंडकोषों को छूने नहीं लगा। बहुत धीरे-धीरे, उसने अपना हाथ तब तक ऊपर किया, जब तक कि मेरे सीधे खड़े लंड को उसने अपने हाथ में लेकर पकड़ न लिया ।

उसने हाथ ऊपर नीचे करना शुरू किया, कभी इतना धीरे-धीरे, तो कभी उसे स्ट्रोक करने के लिए और ऐसा करते हुए वो मेरे लंड को ही देखती रही । मैंने बिल्कुल कोई भी हलचल नहीं की क्योंकि उस समय मैं गहरी नींद में आशा की चुदाई का सपना ले रहा था और मेरा नींद में नियमित सांस लेना जारी था। मानवी ने अपनी हाथों को मेरे लौड़े पर चलाना शुरू कर दीया । उसे डर भी लग रहा था कि वह मुझे जगा देगी क्योंकि उसका हाथ उत्तेजना और घबराहट से बहुत हिल रहा था। थोड़ी देर तक मेरे लंड को रगड़ने के बाद, उसे और हिम्मत मिली और उसने सोचा कि वह मेरे लंड के और करीब आ कर उसे महसूस करेगी और थोड़ा करीब आ गयी ।

मुझे धीरे से सहलाते हुए, उसने मेरे लंड के सिर पर तब तक हाथ फेरा जब तक मेरा लंड मेरे पेट पर पूरी तरह से टिक नहीं गया ,वो अपना मुँह मेरे लंड के चार इंच करीब तक ले आयी और फिर मैंने नींद में अपने कूल्हों को ऊपर उछाला तो मेरा लंड उसकी आँख के ठीक नीचे, उसके गाल को छू रहा था,

वो घबरा गयी पर उसने देखा मैं अ्भी भी नींद में ही था तो उसने लंड को फिर से पकड़ा और उसका हाथ मेरी बड़ी बड़ी गेंदों को सहला रहा था।

उसका मुँह खिड़की की और था और उसकी खुली आँखे मेरे लंड पर केंद्रित थी, इसलिए उसकी आँखें खुली थीं, और खिड़कियों से परदे हेट हुए थे और कमरे में सुबह की हल्की रोशनी थी, जिसमे वह मेरे उभरे हुए विशाल खड़े हुए कठोर लंड और विशाल गेंदों को देख रही थी ।

मैं स्पष्ट रूप से गहरी नींद में था, इसलिए वह मेरे लंड के साथ वहां खेल रही थी। वह अपने गाल के से टच हो रहे लंड की गरमी और चिकनाहट को महसूस कर रही थी, वह कैद थी।

तभी मानवी ने मेरे लंड को हाथ में लिया फिर वो नीचे पहुँची और अपना मुँह खोल दिया। और अपने होंठों से दबा लिया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वह मेरे लंड को अपनी जीभ से चख रही है। मैं नींद में सपने में अपने लंड को आशा की गहरी चूत में आगे-पीछे करते हुए अपने लंड को दबा रहा था । जबकि असलियत में लंड मानवी के मुँह में था.

मेरे लंड को मुँह में भरते समय इस तरह की हरकत करने के डर से, और पकड़े जाने के डर से उसे जो उत्तेजना महसूस हुई, उससे वह बेकाबू होकर कांप रही थी।

उसने मेरे लंड के आधे हिस्से को मुँह में भर लिया और उसने लंड मुंह से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया, थोड़ी देर के बाद, मेरे लंड ने लावा उसके मुँह पर उगल दिया और वो उसके मुँह चेरे पर फ़ैल गया , मानवी को मेरे वीर्य का स्वाद थोड़ा लगा और वो सब चाट कर वहां से चुपचाप खिसक गयी और मेरे वीर्य का स्वाद उसको अप्रिय नहीं लगा.

अगले 2-3 दिनों तक उसने वही प्रक्रिया दोहराई और सोते हुए मेरा लंड चूसा

2-3 दिनों के बाद, मैंने महसूस किया कि मुझे पिछली कुछ सुबह के घंटे में लगातार कई दिन आईएस सपना आया जिसमे मई स्खलित हो गया था । मुझे शक हुआ कि कुछ गड़बड़ चल रही है।


कहानी जारी रहेगी


दीपक कुमार
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/font]
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CHAPTER- 2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी- मेरी पड़ोसन

PART 3
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]सोनू के लिए बड़े दिनों में ख़ुशी का दिन आया[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जब मैंने सोनू और आशा को नौकरी पर रखा था तो उन्हें मैंने मोबाइल और सिम कार्ड खरीद कर दिए ताकि जब भी मुझे उनकी आवश्यकता हो मैं उनसे संपर्क कर सकूं।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरूवार की शाम सोनू बहुत प्रसन्नचित मूड में मेरे पास आया और मुझसे 2 दिनों के लिए छुट्टी मांगी। वह अपनी पत्नी आशा को देखने बड़ौदा जाना चाहता था। मैंने उससे पूछा कि आशा और उसकी माँ कैसी हैं? सोनू ने सूचित किया कि अब आशा की देखभाल के कारण उनकी सास बेहतर हैं। और फिर शरमाते हुए सोनू ने मेरे पैर को छुआ, मिठाई का डिब्बा निकाला और बताया कि आशा की मां ने उसे फोन किया है और उसे बताया है कि आशा एक महीने की गर्भवती है और वह जल्द ही पिता बन जाएगा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं भी इस खबर को सुनकर बहुत खुश हुआ लेकिन उस पल में मैंने अपनी खुशी छिपा ली। मैंने सोनू को बधाई दी और सोनू को कुछ पैसे दिए और उसे मिठाई लाने को कहा जो मैं मानवी और रूपाली के परिवार को देना चाहता था क्योंकि मुझसे आशा को बच्चा होने वाला था। मैं इतना खुश था कि मैं गाना और नृत्य करना चाहता था . मैं अपनी ख़ुशी सबसे बांटना चाहता था पर मैंने किसी तरह खुद को नियंत्रित किया।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जब सोनू मिठाई लेकर आया, तो मैंने सोनू को पूजा करने के लिए एक स्थानीय मंदिर में जाने के लिए कहा और भगवान को उसे पिता बनाने के लिए धन्यवाद देने को कहा और फिर मंदिर से वापिस आने पर सोनू को रूपाली और मानवी को मिठाई देकर उनका आशीर्वाद लेने को कहा ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर मैंने सोमू को कुछ पैसे दिए और उससे कहा कि आशा के लिए कपड़े और उपहार लाए और उसे उसकी वांछित छुट्टी दे दी।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने सोनू को आशा को जल्द से जल्द वापस सूरत लाने के लिए भी कहा ताकि उसकी गर्भावस्था में नियमित मेडिकल जाँच हो सके। सोनू ने कहा कि वह अपनी गर्भावस्था के दौरान आशा की देखभाल के लिए अपनी सास से सूरत आने का अनुरोध करेगा । मैं भी आशा से मिलने और बधाई देने के लिए काफी उत्सुक था।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जब हम बात कर रहे थे तो आशा ने सोनू को उसके मोबाइल पर फोन किया और सोनू ने मुझे मोबाइल दिया ताकि मैं उसे बधाई दे सकूं। मैंने उसे बधाई दी तो आशा बोली ये आपका ही आशीर्वाद है जिससे वो माँ बनने वाली है . मैंने उसे कहा कि वह खुद की देखभाल करे और नियमित रूप से चिकित्सा जांच करवाए। मैं उस पल बहुत खुश थी और आशा और सोनू भी बहुत खुस थेl[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मंदिर से आने के बाद जब सोनू मानवी और रुपाली भाभी को मिठाई देने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास गया और उन्हें खुशखबरी सुनाई तो वे भी उसके लिए बहुत खुश हुई और फिर सोनू ने उन्हें बताया कि वह आशा से मिलने बड़ौदा जा रहा है और मैंने 2-3. उसे छुट्टी दे दी है । रूपाली उसकी बेटियों, मानवी और उसके बच्चे राजन और चंदा भी अपने एक पुराने दोस्त और उनके परिवार जो कभी इन अपार्टमेंट में रहते थे से मिलने बरोदा जाना चाहते थे l[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दोनों मेरे पास आयी और बोली वो भी सोनू के साथ बरोदा अपने मिटो से मिलने जान चाहती हैं लेकिन इसमें मुद्दा यह था कि उनकी अनुपस्थिति में मेरे खाने का ख्याल कौन रखेगा चूँकि उस दौरान मानबी भाभी की बारी थी मेरी और मेरे घर की देखरेख करने की तो उसने रुकने का फैसला किया । मैंने कहा आप मेरी कार ले कर चले जाओ और सोनू को कार ले जाने की इजाजत दे दी ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने सोनू को जाने से अफ्ले एक बार फिर सख्त हिदायत दी के वो ख़ुशी मेंशराब न पिए और न ही शराब पीकर गाडी चलाये तो सोनू बोला उसने जिस दिन से मुझ से मिला है तब से शराब को हाथ नहीं लगाया है और अब कभी नहीं पियेगा और अपने होने वाले बच्चे की कसम खाने लगा l[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]तो मैंने कहा कार ठीक से चलाना अब तुम परिवार वाले हो गए हो तुम्हारी जिम्मेदारी बढ़ने वाली है।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उसके बाद सोनू रूपाली और बच्चों के साथ उसी शाम कार से बड़ौदा के लिए रवाना हो गया ।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहानी जारी रहेगी[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]CHAPTER- 2[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मानवी- मेरी पड़ोसन[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]PART4[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]स्वपनदोष[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पहली मंजिल पर अब सिर्फ हम दोनों ही थे और अगली सुबह किस्मत ने मेरा साथ दिया । उस सुबह मैं जल्दी उठ गया और फिर जब मानवी भाभी ने मेरे घर के मुख्य प्रवेश द्वार खोलने के धक्का दिया और उसके खुलने की आवाज आयी और मैंने देखा कि मानवी भाभी मेरे बिस्तर के पास आ रही थी। मैंने तुरंत, गहरी नींद में होने का नाटक किया ताकि पता चले मुझे रोज स्वपन दोष क्यों हो रहा है. मैं नकली खर्राटे लेने लगा ।

अगले कुछ ही सेकंड बाद मैंने लंड पर कुछ महसूस किया और मेरी अधखुली आँखों के कोने से, मैंने ध्यान से देखा कि मानवी भाभी के होंठ मेरे बड़े मोटे लंड के आस-पास तक फैले हुए थे उसके गर्म और नम मोटे होठों के बीच से मेरा लंड उसके मुँह के अंदर और बाहर हो रहा था हैं। क्योंकि मेरा लंड बहुत लंबा है (लगभग 8 इंच), और इसकी मोटाई के कारण जिसने मानवी का मुँह पूरा खुला हुआ था.

मैंने झूठे खर्राटे लेना शुरू कर दिया, और मानवी के सिर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर मेरे लंड की तरफ जोर से दबा दिया। एक सेकंड के लिए, मानवी भाभी को लगा मैं जाग गया हूँ वो घबराई, पर लेटी रही, लेकिन फिर मेरे खर्राटे की आवाज सुन उसे एहसास हुआ कि मैं गहरी नींद में सपने देख रहा था और ये एक्शन भी मैंने सपना देखते हुए ही किया था । वो मुझे गहरी नींद में देख आश्वस्त हो गयी.

दो तीन दिन से ऐसा करते हुए वो अभ्यस्त हो गयी थी इसलिए बहुत जल्द उसने मेरे लंड को अपने मुँह से अन्दर-बाहर करते हुए एक अच्छी गति विकसित कर ली. उसने देखा कि मैं भी सपने में अपने लंड को उसके मुँह में अन्दर बाहर कर उसकी ताल से ताल मिला रहा था . वो साथ साथ मेरे अंडकोषों को अपने हाथ से सहला रही थी और लंड को चूस रही थी।

उसके ऐसा करने से मेरा लंड पूरा कठोर हो गया और और मेरे अंडकोषों पर मेरी पर त्वचा कस गयी। कुछ देर वो ऐसे ही चूसती रही और फिर मुझे लगा की मैंने अपने पैरों पर पूरी तरह से नियंत्रण खो दिया क्योंकि वे बुरी तरह से हिलने लगे थे । जिस तरह से मानवी भाभी मेरे लंड पर अपने सिर को घुमा कर अपनी जीभ घुमा घुमा कर चूस रही थी उससे मेरा लंड का अगर भाग लंडमुंड बेहद संवेदनशील हो गया ।

फिर मेरा लंड उसके मुँह में धँसने और फूलने लगा और फिर अचानक ही लंड ने पिचकारी मार दी , मोटे, अकड़े हुए मेरे लंड ने वीर्य को इतने वेग से निकाल दिया गया की वीर्य सीधा मानवी भाभी के गले पे पहुँच गया. गले में जा लगी पहली धार से उबरने की कोशिश करते समय उसे घुटन और खांसी हो गई और इसके कारण मेरा वीर्य उसकी नाक से बाहर आ गया। यह बिलकुल नाक से पानी निकलने जैसा था।

मैंने एक बार फिर भाभी का सर पकड़ लिया तो उसने एक सेकंड के लिए सोचा मैं उसका सर लंड से हटाने वाला हूँ । पर मेरा सोने का नाटक यथावत चालू था इसलिए अपने स्खलित हो रहे लंड को उसके मुँह से बाहर निकालने के लिए मैंने कुछ नहीं किया ।

मानवी सोच रही थी आज से पहले तो मैंने कभी इतना वीर्य उत्सर्जित नहीं किया तो उसे समझ आया की आज से पहले तो केवल मेरे लंड से केवल उतसर्जन पूर्व चिकनाई ही निकली थी वीर्य तो आज ही निकला है और वो भी मोटी धार में इतना गाढ़ा. मुझे भी रोज हो रहे गीले सपनो का राज समझ आ गया था पर अभी खत्म नहीं हुआ था . वो पहले उत्सर्जन से उबर पाती इससे पहले ही लंड ने अगली धार मार दी और ये पहली से भी जोरदार थी.

इसी तरह, मानवी ने मेरी पिचकारी की अगली 2-३ शॉट को अपने मुँह ने लिया लेकिन यह अंतहीन लग रहा था। वो अपने हाथो से लंड को जोर जोर से हिला रही थी । मैं बस उसके मुँह में वीर्य डाल रहा था।

मनवी को आखिरकार एहसास हुआ कि वह अब वीर्य निगलने लगी है। उसे वीर्य निगलने से कोई समस्या नहीं थी लेकिन यहाँ मेरा वीर्य इतना गाढ़ा और इतना ज्यादा था कि उसे निगलना उसके लिए लगभग असंभव था। आखिरकार उसने नली को टटोलते हुए अपने सिर को इस तरह से मोड़ा की उसके मुँह से लंड की नली जहाँ खुलती है वो उसके मुँह से बाहर हो गया और फिर मैंने तीन चार शॉट और मारे , पहला उसकी आंख में सीधे गया उसके छींटे गाल पर पड़े और मेरा वीर्य उसकी आँखों नाक बालो और गालो पर फ़ैल गया। फिर मेरे लंड ने शुक्राणु को पंप करना बंद कर दिया।

मैंने भी उसका सर छोड़ दिया और मानवी तुरंत इस डर से उठी कि मैं किसी भी समय जाग सकता हूँ और फिर उसके चेहरे पर और उसके मुंह में शुक्राणु डेल्ह लूँगा । मेरा गाढ़ा वीर्य उसके लिए निगलना असंभव था। यह उसके गले में ही रह गया ठगा । यह उसके पूरे जीवन में सबसे रोमांचक अनुभवों में से एक था क्योंकि उसने मेरे स्खलन का आनंद लिया था

मुझे जगाने से पहले मनवी बाथरूम में भाग गई। मेरे गधा वीर्य उसके चेहरे पर फैला हुआ था और ऐसा चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे उसके मुँह पर गोंड की शीशी गिर गयी हो और उसके बालो पर मेरा वीर्य सूख गया था और उसके बाल कड़े और नुकीले हो गयी थे । उसके मेरे वीर्य का हल्का नमकीन स्वाद पसंद आया था. उसका मुँह मेरे वीर्य से सना और भरा हुआ था जिसे वो निगल नहीं पा रही थी उसे लगा जैसे वह सुबह के बाकी समय में भी अपना गला साफ नहीं कर पाएगी । यह उसे अभी भी उसे चकित कर रहा था की मैंने कितना ज्यादा वीर्य छोड़ा और मेरा वीर्य कितना गाढ़ा था।

उसने किसी तरह खुद को साफ़ किया और फिर उसने मुझे उठाया l मैं उस सुबह रहस्यमय तरीके से बहुत खुश और मुस्कुरा रहा था।

"रात को फिर स्वपनदोष हो गया,[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]तुम्हारी भी इज्जत रह गयी,[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हमारा भी काम हो गयाl"

अगले दिन, जो दूसरा शनिवार था, एक छुट्टी का दिन, इसलिए मैं अपने फ्लैट में रहा। मंजिल पूरी तरह से सुनसान थी। प्रवेशद्वार ग्रिल में सुरक्षित रूप से बंद था। हम दो हमारे संबंधित फ्लैटों में रहने वाले बाशिंदे थे।

मानवी सुबह की चाय ले कर आई और मैंने फिर से गहरी नींद में सोने का नाटक किया और उसने मेरे लंड को चूसा और मैंने इनाम के तौर पर उसे शुक्राणु की क्रीम दी। उसके बाद में मैं इत्मीनान से अपने बिस्तर पर लेट गया क्योंकि उस दिन छुट्टी थी। मानवी भाभी अपने फ्लैट में थी। अचानक, मुझे कॉफ़ी लेने की इच्छा हुई; मैं अपने फ्लैट से बाहर आया और मानवी के घर के दरवाजे को खटखटायाl

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]CHAPTER- 2[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मानवी- मेरी पड़ोसन[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]PART-5[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक कप कॉफी[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मेरी दस्तक सुनकर मानवी भाभी ने दरवाजा खोला और मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया । मैं अंदर गया और सोफे पर जाकर बैठ गया। मैंने देखा कि मानवी सूती पारदर्शी साड़ी में पहने हुई थी और साड़ी के नीचे कुछ नहीं पहना था। उसने न तो कोई ब्रा / ब्लाउज पहना था और न ही पैंटी पहनी थी। उसके बड़े उभरे हुए स्तन साड़ी के पल्लू के नीचे दिख रहे थे जब वह चल रही थी, तो उसके बड़े स्तन और साथ ही बहुत चौड़े नितंबों की रूपरेखा और आकार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। उसके कपडे देख कर मैंने अनुमान लगाया कि वह शायद स्नान करने के लिए बाथरूम जा रही थी।

"मनवी भाभी, अगर आप आपको तकलीफ न हो , तो क्या आप मुझे एक कप कॉफी दे सकती हैं?" मैंने अनुरोध किया।

"काका, इसमें तकलीफ की क्या बात है मुझे तो इसमें ख़ुशी होगी, अभी लीजिये । एक मिनट, मैं आपके लिए कॉफी तैयार कर देती हूँ , वास्तव में, मैं अभी स्नान करने के लिए बाथरूम जा रही थी । " मानवी ने एक मीठी आवाज़ में जवाब दिया।

जब वह रसोई में गई, मैं उसके मटकते हुए बड़े बड़े नितम्बो और गांड को देखता रह गया उसकी साड़ी का एक हिस्सा उसकी गांड की दरार में कसकर चिपके हुए था, और उसकी बड़ी गांड मुझे प्रमुख रूप से दिखाई दे रही थी जिससे तुरंत मेरा लंड खड़ा हो गया।

मुझे कॉफी परोसने के बाद, मनवी ने कहा, "काका, आप कॉफी पीजिये और मुझे स्नान के लिए केवल 10 मिनट लगेंगे, और इस बीच, आप अखबार पर नज़र डाल सकते हैं। मैं बस अभी आयी ।" और फिर मनवी सेक्सी तरीके से छति हुई बाथरूम की तरफ चल पड़ी।

अपनी कॉफी खत्म करने के बाद, मैं अखबार में तल्लीन हो गया, फिर मैंने बाथरूम के दरवाजे की चरमराहट की आवाज़ सुनी, और मैंने देखा कि मानवी गीले बालों में गीली साड़ी में लिपटी एक मोटे तौलिये में अपने स्तन के हिस्से को ढँक कर बाथरूम से बाहर आ रही है। उसके गीले सिर से पंजों तक पानी की धार बह रही थी। बड़ा सेक्सी नज़ारा था पर मैंने अपनी नज़र हटा ली वरना मानवी भाभी को बुरा लगता।

तभी उसके गीले सिर से फर्श पर गिरते हुए पानी के कारण, मानवी का पैर फिसल गया, और वह एक झटके के साथ जमीन पर गिर गई, और शरीर पास में रखे पानी के टब से टकराया, जिससे टब उल्ट गया और पानी फर्श पर फैल गया। और मैंने मानवी भाभी की चीख, ठप्प करके गिरने की आवाज और पानी का टब गिरने की जोरदार आवाज सुनी।

मैं अपनी जगह से उठा, उछला, और घटनास्थल की ओर बढ़ा, और पाया कि मानवी भाभी फर्श पर चित गिरी हुई थी। वह बेहोश हो गयी थी लेकिन सामान्य रूप से सांस ले रही थी। तुरंत, मैंने उसकी गीली साड़ी को उसके शरीर से हटा दिया, और उसे नंगा कर उसे ध्यान से अपनी ओर घुमाया, अपने दोनों हाथों को उसके कांख के नीचे रखकर और दूसरा उसके जांघो के नीचे रखकर उसे एक बच्ची की तरह अपनी गोदी में उठा लिया और उसे उसके बेडरूम में ले गया।

मैंने उसे ध्यान से बिस्तर पर लिटाया और उसके नग्न शरीर को चादर से ढँक दिया। कुछ क्षणों के बाद, एक गिलास से पानी लेकर मैंने उसके चेहरे पर कुछ पानी छिड़का। कुछ सेकंड के बाद, मानवी भाभी ने अपनी चेतना वापस पा ली, और धीरे से अपनी आँखें खोलीं।

मैं बिस्तर पर उसके सिर के पास बैठा हुआ था, और उसके माथे पर जोर से मालिश कर रहा था। उसने मेरी ओर देखा और पूछा, "मैं कहाँ हूँ? मेरे साथ क्या हुआ?"

"आप फिसल गयी थी और गीले फर्श पर गिर गयी थी फिर आप कुछ पल के लिए बेहोश हो गयी थी. ये तो अच्छा हुआ मैं वही था नहीं तो पता नहीं आप कितनी देर वहां ऐसे ही पड़ी रहती । फिर मैं आपको यहाँ आपके बेडरूम में ले आया । आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, अब आप ठीक हैं," मैंने सहानुभूति और स्नेह भरे स्वर में जवाब दिया।

एक पल के लिए, मानवी भाभी चुप रहीं, फिर उन्होंने उठने की कोशिश की, लेकिन नहीं कर सकीं, उन्हें कमर के पीछे दर्द महसूस हुआ। उसने दर्द के साथ कहा, "ओह्ह ... काका , मुझे अपने शरीर के पिछले हिस्से में तेज दर्द महसूस हो रहा है।"

मैंने चिंताजनक लहजे में कहा, "भाभी रुको, और उठने की कोशिश मत करो, मुझे कुछ प्राथमिक चिकित्सा-उपचार करने दो।"

यह कहकर मैं भाग कर अपने फ्लैट में गया और फ्रिज से आइस क्यूब ट्रे, दर्द निवारक मरहम की एक ट्यूब और एक एंटीसेप्टिक ट्यूब के साथ लौटा। मैंने एक तौलिया में बर्फ को लापर कर आइस पैक बनाया । मानवी भाभी दर्द में थी। लेकिन वह मुझे सराहना और आभारी आँखों में देख रही थी।

मैंने कहा, "अब, भाभी, आप पेट के बल पट्ट लेट जाओ ताकि मैं इस आइस पैक को आपकी पीठ पर लगा सकूँ। ध्यान रहे, 10 मिनट तक ऐसा करने से आपके दर्द में कमी आएगी, और फिर मैं दर्द निवारक मरहम लगा दूंगा जिससे आपको स्थायी रूप आराम मिल जाएगा । "

इस समय तक मानवी भाभी को पता चल चूका था कि मैंने पहले ही उनके कपड़े उतार दिए थे और मैं ही उनके नग्न शरीर को बिस्तर पर ले गया था। वह उस चादर के नीचे नग्न थी। वह बहुत घबरायी हुई थी, और संकोच महसूस कर रही थी ।

मैंने भाबी के चेहरे का अध्ययन किया और उसकी भावना को पढ़ा, और गंभीर स्वर में कहा, "भाभी डरने, शर्म करने और संकोच करने की कोई आवश्यकता नहीं है। एक पल के लिए, आप मुझे एक डॉक्टर के रूप में सोचें। मैं जो करने जा रहा हूं वह एक प्राथमिक उपचार है। जो एक डॉक्टर इन परिस्तितियों में दर्द से तत्काल राहत के लिए करता है। "आप जानती हैं न मैं एक डॉक्टर हूँ और भाभी डॉक्टर से कैसी शर्म?

मेरी शांत आवाज़ सुनने के बाद, मानवी भाभी ने घूमी और पेट के बल लेट गई, अपनी पूरी पीठ मेरे सामने नग्न थी ।

"ओह्ह ... माई गॉड, क्या शानदार दृश्य है," मैंने सोचा, मैं अपनी ही आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था भाबी का सफेद शरीर अद्भुत था । जब मैंने उनकी साड़ी निकाली थी और उन्हें उठाया था तब मेरा इस और कुछ ध्यान नहीं गया था क्योंकि उस समय पर पूरा ध्यान भाभी को संभालने पर था पर अब इस नज़ारे ने मुझ पर जादू किया , भाबी के वसायुक्त बड़े बड़े चूतड़ थे , जो गोल और दिल के आकार के थे और मेरा दिल वही खो गया था । उनके दोनों नितम्बो के बीच का विभाजन लम्बा और गहरा था । उसकी चूत का आंशिक हिंसा भी भाभी की गांड की दरार के नीचे से नज़र आ रहा था।

After all there is a saying " A Lot can happen over a cup of Coffee"

कहानी जारी रहेगी


दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी- मेरी पड़ोसन

PART-6


दर्द का इलाज
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने बोला भाभी पहले मुझे जांच करने दो आपको चोट कितनी और कहाँ लगी है और फिर मैंने धीरे धीरे भाभी के कंधो से लेकर दो दो ऊँगली की मदद से दबाब दे कर और दो दो इंच धीरे धीरे नीचे सरका कर पता लगाया चोट ज्यादा गहरी नहीं थी और बोला भाभी खुशकिस्मती से आपकी चोट गहरी नहीं हैl

तो भाभी बोली पर अभी भी पीठ में दर्द हो रहा है तो मैंने कहा ये गिरने की वजह से है इसे अभी ठीक कर देता हूँl

उसके बाद मैंने 10 मिनट तक आइस पैक को उसकी चिकनी पीठ पर धीरे से लगाया । फिर इस क्षेत्र को सुखा दिया। उसके बाद मैंने भाबी की पीठ पर औषधीय तेल मिला दर्द निवारक मरहम लगाया. और मरहम की मैंने भाभी के कंधो से शुरू होकर नीचे कूल्हों तक मेरी अंगुलियों से धीरे-धीरे मालिश की । जब मेरी उंगलियाँ मनस्वी भाभी की कोमल और चिकनी त्वचा पर फिसल रही थी तो मुझे उनके शरीर में सनसनी सी महसूस हुई।

फिर मैंने पुछा अब कैसा लग रहा है तो भाभी बोली पहले से दर्द कुछ कम हुआ है पर अभी दर्द है l

मैंने उससे कहा कि अब मैं आपको मालिश कर देता हूँ यह आपको पूरा आराम मिलने में मदद करेगा। मैंने दृढ़ता से उसके नग्न कंधों को दबाया और मैंने उसकी गर्दन की मालिश की, वह गिरने के बाद तनावग्रस्त थी और मेरे हाथों ने उसे जो राहत प्रदान की वह शानदार थी।

मैंने उसकी रीढ़ की हड्डी और उसके किनारों पर मालिश करना शुरू कर दिया, मैंने अपनी उँगलियों से उसके उभरे हुए स्तनों के किनारे से मसलते हुए मालिश की जिससे मेरी हथेलियाँ उसकी रीढ़ के दोनों ओर दबाव डालते हुए तनाव को कम कर रही थी ।

मैं धीरे-धीरे उसकी पीठ की मालिश कर रहा था और फिर जैसे-जैसे समय बीतता गया मेरे हाथ ऊपर जाने लगे, और उसकी पीठ उसके कंधों पर। उसके स्तनों के बड़े और सुडोल होने में कोई संदेह नहीं था, और मुझे उसके नग्न स्तन दिख रहे थे। मुझे अपने कठोर हो चुके लण्ड को काबू में रखने के लिए कठिनाई हो रही थी क्योंकि मैंने सिर्फ लुंगी पहनी हुई थी और इसलिए इसे छुपाना और भी मुश्किल था क्योंकि जब मैं उसे मसाज दे रहा था मेरा लंड उसके बदन को छू रहा था l

मुझे लगा, वो भी मालिश का मज़ा ले रही थी। और जब मेरा लंड उसे बदन को छूटा था तो उसकी एक आह निकलती थी जो मुझे और आगे जाने के लिए उत्साहित करती थी l

मैंने अपने हाथों को सकी पीठ पीछे की तरफ से आगे स्तनों तक ले जाने लगा और एक बार जब मैं उसके स्तनों तक तक पहुँच गया, तो मैंने उसके स्तन के किनारों को सामान्य से थोड़ी देर ज्यादा तक मालिश किया, उसके निपल्स को बेड की चादर के खिलाफ दबाया जिससे उसके शरीर को आराम महसूस हुआ , और वह और की उम्मीद कर रही थी और उसकी कराहो से मुझे समझ आ रहा था अब वह मुझे नहीं रोकेगी , क्योंकि मैं उसके कोमल नंगे बदन की चाहो को सुन और महसूस कर रहा था श्रवण को सुन सकता था।

फिर मैंने उसके स्तनों के किनारों पर थोड़ी देर मालिश की. उसकी कमर भरी हुई थी या यु कहिये थोड़ी गदरायी हुई थी जैसे दक्षिण भारतीय फिल्मो की नायिकाएं होती हैं पर उसे मोटी नहीं कहा जा सकता, हालांकि शायद उत्तर भारतीय लोग उसे थोड़ी मोटी माने पर उसकी उम्र और दो बच्चो की माँ होने के नाते मैं उसे गदरायी हुई सेक्सी भाभी ही कहूंगा l

मैंने कमर में जो अतिरिक्त बसा इकट्ठी हो गयी थी उसे इकठ्ठा कर मापा और बोलै भाभी आप थोड़ी मोटी हो गयी हैं और आपको इसका आज फायदा ही हुआ है इसी अतिरिकी वसा के कारण आपको आज गहरी चोट नहीं लगी l

भाभी बोली क्या काका मुझे चोट लगी है और आप मुझे छेड़ रहे हो मैंने कहा नहीं भाभी आपको सच बोल रहा हूँ और उसकी पीठ की मालिश करता हुए मेरे हाथ कमर से बहुत नीचे उसकी गांड के ऊपरी हिस्से तक जा रहे थे और मेरे अपने हाथो से उसकी गांड की ऊपरी दरार को महसूस किया। और उसकी मालिश करता रहा l

हर बार जब मैंने उसके बाजू , कंधे और स्तन की मालिश की, तो वह झूम थी । मेरा हाथ उसकी बगलो में गया, और फिर सीधे उसके स्तन पर पहुँच गया । वह हिलने लगी जिससे मेरे उसके निप्पल पर पहुँच गए और मुझे उसके निपल्स को महसूस करने में मदद मिली । मैंने बहुत धीरे-धीरे उसके निपल्स को बिना स्पष्ट किए टटोलना शुरू कर दिया, मैं उसके स्तनों और निपल्स के एक झलक पाने की कोशिश कर रहा था। जब मैं उसके निपल्स के साथ खेल रहा था, मैंने महसूस किया कि वे छेड़ने और मालिश के साथ कंकड़ के समान कठोर हो गए थे। वह गूंगी नहीं थी, और वह बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि मेरे हाथ कहाँ चल रहे हैं, इसलिए मैं घबराया नहीं , और तब तक अपने हाथो को उसके स्तनों और गांड पर ऐसे ही चलने दिया जैसे मैं उसे गंभीरता से मालिश दे रहा हूँ जब तक कि उसने मुझे मालिश करने से रोक नहीं दिया।

वह यह भी जानती थी कि मैं उसके स्तन और गांड की मालिश उसकी पीठ से ज्यादा कर रहा था। मुझे पता था कि वह अब मेरा लंड अंदर लेने के लिए त्यार थी, लेकिन मुझे अपनी चाल बहुत सावधानी से चलनी थी, इसलिए मैंने उसकी पीठ, गांड और उसके स्तन की मालिश करना जारी रखा।[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहानी जारी रहेगी[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दीपक कुमार[/font]
 
INDEX 2











[size=x-large][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/font][/size]​







[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=x-large]CHAPTER- 2[/font][/size]​







[size=x-large][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मानवी- मेरी पड़ोसन
PART - 1 सुबह- सुबह
PART- 2 दीवानी
PART- 3 सोनू के लिए बड़े दिनों में ख़ुशी का दिन आया
PART- 4 स्वपनदोष
PART-5 एक कप कॉफी
PART-6 दर्द का इलाज
[/font]
[/size]​



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=x-large]PART-7 मालिश
PART-8 राज
PART-9 सुन्दर बदलाव
PART-10 आशा से मुलाकात
PART-11 पार्क का निर्जन कोना
PART-12 गुप्त इशारे
PART-13 छत पर सारी रात
[/font]
[/size]​



[size=x-large][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]PART-14 छत पर सेक्स[/font][/size]​



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]PART-15 छत पर गुदा सेक्स[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी- मेरी पड़ोसन

PART-7


मालिश[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]इसी तरह मालिश करते हुए मैं अपने हाथो को उसके नितंबों के ठीक ऊपर ले गया, मैंने फिर जैसे पहले किया था उसी को दोहराते हुए हाथ चालाते हुए हाथ ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर ले गया जैसा मैंने पहले किया था उसकी पतली गर्दन से शुरू करके नितम्बो तक और नितम्बो से लेकर गर्दन तक ले गया फिर धीरे-धीरे अपने हाथ उसके नितम्बो के ऊपर उसकी गांड तक ले गया.

इस बार जब मैं उसके नितंबों तक पहुँच गया था तो मैंने नितम्बो की मालिश करना शुरू कर दिया और भाभी को मेरी मालिश से आराम मिला और वो थोड़ी रिलैक्स हो गयी, तो मैंने नितंबों के बीच की दरार में अपनी एक उंगली सरका दी। आह!! की कराह के साथ उसने मेरी ऊँगली का स्वागत किया लेकिन मैंने अपनी ऊँगली कि गांड और चूत में डाली नहीं बस स्पर्श कर छेड़ भर दिया था।

उसने अपने शरीर को ढीला छोड़ा और अपने पैरों को थोड़ा सा खोल कर मुझे और आगे बढ़ने का खुला आमंत्रण और अनुमति दी. मैंने उसके नितंबों की मालिश करना जारी रखा . लगातार मेरी उंगलियों का उसके बदन पर दबाव बढ़ रहा था।

फिर मैंने मानवी भाभी को अपने शरीर को पलटने पीठ के बल चित लेटने का का निर्देश दिया और वो एक आज्ञाकारी रोगी की तरह, उसने अपने शरीर को घुमाया पलटा और पीठ के बल चित लेट गयी।

मैंने उनके शरीर का बारीकी से अवलोकन किया। उसके 38 साइज़ के बड़े बड़े बूब्स थे, न तो पूरी तरह से दृढ थे और ना ही बहुत ज्यादा लटके या ढलके हुए थे. और उन पर बड़े-बड़े भूरे रंग के गोल छेद वाले कड़े हो चुके निप्पल चमन के रसभरे अंगूरों की तरह मुझे ललचा रहे थे ।

बांह के गड्ढों के नीचे कांख में बालों की गहरी झाड़ी दिखाई दे रही थी। उसका गहरी नाभि के साथ वसायुक्त पेट था, और कमर के किनारे अतिरिक्त वसा के जमा हो गयी थी । नाभि के नीचे, उसकी चूत का इलाका जघन बालों की मोटी झाड़ी से ढंका हुआ था, झांट के बालो के अंदर चूत की दरार साथ साथ चूर के किनारे पर भाभी की चूत के बाहरी होंठों भी छिपे हुए थे ।

"ओह माय गॉड!" मैंने कहा और कहा, "मुझे लगता है जब आप गिरते हुए पानी के तब से टकराई थी तो आपके शरीर के कुछ हिस्सों में हलकी चोट और खरोंच लग गयी है . जहाँ खरोच के निशान है मुझे वहां मुझे वहां एंटी-सेप्टिक मरहम लगाना होगा।"

कांख के नीचे उसके दाहिने पसली के जोड़ के क्षेत्र में एक खरोंच थी। मैंने वहां मरहम लगाया, लेकिन उस क्षेत्र में नुझे मलहम लगाने के लिए मुझे मानवी भाभी के बड़े दाहिने बूब्स के कारण वहां समस्या का सामना करना पड़ रहा था। मैंने अपने बाएं हाथ से उनके स्तन को थोड़ा ऊपर की ओर उठाया, और अपने दाहिने हाथ की उंगलियों से मरहम लगाया। मुझे अपनी बाईं हथेली में भाभी के नरम मांसल, स्पंजी बूब्स पकड़ कर मजा आया । मानवी भाभी के शरीर में भी इससे बिजली का करंट बह गया।

फिर मैंने लंबे समय उनके बूब्स के नीचे मरहम की मालिश करना जारी रखा ताकि मैं अपनी बाईं हथेली में मानवी भाभी के बूब्स को अच्छे से महसूस कर सकूँ। मेरे हाथ में उनका निप्पल बहुत सख्त महसूस हुआ । मेरे छूने और निप्पल को छेड़ने और मलहम लगाने पवार भाभी धीरे धीरे उत्तेजना से कराहने लगी .

फिर मैंने कहा, "मनवी भाभी, आपके बदन में एक और चोट है, खासकर उस क्षेत्र में जहां आपकी टाँगे शुरू होती हैं , मेरा मतलब है कि आपके पेट के ठीक नीचे, आपकी जांघ के जोड़ के क्षेत्र में।"

मनस्वी भाभी ने शर्म के कारण कुछ भी जवाब नहीं दिया। मैंने अपनी तर्जनी में कुछ मरहम लगाया, और जांघो के जोड़ के क्षेत्र ( योनि प्रदेश) पर लगाने के लिए आगे बढ़ा, जो उसके पेट के ठीक नीचे, झांटो के बीच में छुपी हुई जांघ के जोड़ के पास था जो घनी झाड़ीदार जघन बालों से भरा हुआ था।

मैंने कहा, "मानवी भाभी, जहाँ आपको चोट लगी है वो क्षेत्र बालों से भरा हुआ है। जब तक आप ठीक नहीं हो जाते, तब तक आपको इसे पूरी तरह से शेव मत करना क्योंकि इससे आपके घाव पर और चोट लग सकती है, लेकिन आपको इसे अक्सर ट्रिम करना होगा ताकि दवा ठीक जगह पर उपयुक्य मात्र में लगती रहे और मैं आपको इसके लिए एक छोटी सी कैंची दूंगा।

यह सुनकर मनवी भाभी इतनी शर्मिंदा हुईं कि चुप रह गईं। अपने बाएं हाथ से, भाभी के झांटो के रेशमी बालों को ध्यान से छुआ, और बालों को इस तरह से अलग किया कि बाल प्रभावित क्षेत्र से दूर हो गए । मेरी दाहिनी तर्जनी एंटीसेप्टिक मरहम के साथ लेपित थी; मैंने तर्जनी उंगली को इस तरह से उसकी खरोंच वाले क्षेत्र पर रख दिया कि मेरा अंगूठा उसकी चूत के द्वार को छू गया। भाभी की आह निकली, मैंने एंटी-सेप्टिक क्रीम की मालिश करने के लिए अपनी तर्जनी को चोट वाली जगह पर दबाया, और स्वाभाविक रूप से मेरे अंगूठे ने उसकी चूत पर दबाब दिया और अंगूठा थोड़ा सा अंदर घुसा दिया। अब उसने एक जोर से कराह दिया। मैंने फिर से अपनी तर्जनी को जोर से दबाया, और अपना अंगूठा उसकी चूत पर टिका दिया और इस बार मेरा अंगूठा और ज्यादा अन्दर चला गया।

मैंने पाया कि उसकी योनि बहुत गीली थी, और मैंने इस प्रक्रिया कुछ समय तक जारी रही। मैंने फिर उसकी प्रतिक्रिया के इंतजार में अपने अंगूठे को अंदर डालना बंद कर दिया. अब मैं उसकी चूत के अंदर बेहतर पहुँच चाहता था। भाभी ने ये जानने के लिए अपना सिर उठाया कि मैं क्यों रुका था, और जैसे ही उसने देखा मैं उठ रहा हूँ तो

मनवी भाभी ने कहा, "काका, मेरे पैरों में भी दर्द हो रहा है।"

अब भाभी शर्म के मारे ये तो नहीं बोल सकी आप रुक क्यों गए पर उन्होंने मुझे आगे बढ़ने का इशारा तो कर ही दिया था.

"चिंता मत करो, मैं अब उसकी इलाज करने वाला हूँ ," मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

मैंने उनके पैरों को लगभग 25 से 26 इंच तक दूर किया, और उसके पैरों के बीच में बैठ गया, जैसे ही उसने उसे अपने पैरों के बीच बैठते देखा, उसने शर्म के मारे अपना हाथ अपने योनि प्रदेश पर रख लिया , और मैंने एक समय में एक पैर की मालिश करना जारी रखा। फिर बारी बारी से उसके दोनों पैरो की मैं मालिश करता रहा.

मैंने भाभी से पुछा आप को अब कैसा लग रहा है तो भाभी बोली आप की मालिश ने जादू जैसा असर किया है. अब दर्द लगभग गायब हो रहा है. मैंने कहाँ बस थोड़ी देर और फिर आप बहुत बेहतर अनुभव करेंगी . मैंने मालिश को जारी रखा,

जैसे ही मैं अब मैं उसकी ऊपरी जाँघ पर पहुँचा, मैंने अपना अंगूठा सीधा रखा ताकि वह उसकी चूत को छु जाए , और उसे कुछ सेकंड तक वहीं रखे रखा और फिर अपने हाथ उसके घुटनों तक लाया और फिर से ऊपर ले गया। यह देखकर वह निश्चिंत हो गई की अभी मैं मालिश ही कर रहा हूँ और अपना हाथ छूट वाले क्षेत्र से खुद ही हटा कर बग़ल में ले गई।

अगली बार जब मैं मेरा हाथ ऊपर ले गया, और मुझे पता था कि अब मेरा निशाना कहाँ हैं , क्योंकि अब मैं उसकी चूत के होंठ देख सकता था। मैंने अपना अंगूठा फिर से सीधा रखा और उसकी चूत के होंठों की दरार का लक्ष्य रखा. जैसे ही मेरे अंगूठे इस बार योनि के होंठों की छुआ तो भाभी की एक जोरदार कराह निकली ... आह्ह्ह्ह , , और मैंने अपना अंगूठा उसकी चूत में घुसा दिया, और वो जोर से हांफ़टे उनकी योनि ने मेरा अंगूठा अपने रस से भिगो दिया और अब मुझे पूरा भरोसा हो गया था अब वह चुदाई के लिए बिलकुल तैयार थी।

मैंने अपना अंगूठा उसकी चूत की मालिश के दौरान कुछ सेकंड तक उसकी चूत में डाले रखा , अब मालिश बंद हो गयी और केवल मेरा अंगूठे उसकी चूत अंदर बाहर होने लगा। वो बहुत ही धीरे-धीरे कराह रही थी. बजाय इसके की मैं उसकी चूत में घुसने की कोशिश करून अब उसकी चूत मेरे अंगूठे तक पहुँचने की कोशिश कर रही थी, बस मुझे इसी का इंतजार था. वो गर्म हो लोहे की तरह लाल हो गयी थी , उसकी चूत से उसका रास टपक रहा था और उसने अपने पैरों को और भी फैला दिया था जिससे मैं उसकी चूत तक आसानी से पहुँच पा रहा था ।

मैंने पुछा भाभी अब आप कैसा महसूस कर रही हैं ?

तो मानवी भाभी ने कहा, "काका, मैं इस दुर्घटना के कारण बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही हूं कि मैं आपके सामने पूरी तरह से नग्न हो गई हूं। मेरे पति को छोड़कर किसी ने भी मेरा नग्न शरीर को नहीं देखा है, और अब आप मेरे जीवन के दूसरे व्यक्ति हैं जिसने मेरे नग्न शरीर को देखा है। मैं बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही हूं। "[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहानी जारी रहेगी[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी- मेरी पड़ोसन

PART-8

राज [/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उसकी बात सुन कर मुझे हसी आ गयी और मैंने सोचा कि ये सेक्सी गदरायी हुई महिला खुद को निर्दोष दिखाने का कितना अच्छा नाटक कर लेती है ।

"मानवी भाभी, कृपया आप अब ये नाटक और पाखंड करना बंद कर दीजिये । ऐसा मत सोचिए कि मुझे हर सुबह होने वाली चीजों के बारे में जानकारी नहीं है। हर सुबह, आप मुझे छूती हैं मेरे साथ मस्ती करती हैं मेरे लंड से मस्ती करती हैं और कभी-कभी मेरा लंड को चूसती भी हैं । यहाँ तक कि आपने मेरे वीर्य को निगला भी है । अब आप मुझे स्पष्ट रूप से बताइए। क्या आप मेरे साथ सम्भोग नहीं करना चाहती हैं ? और यदि आप मेरे साथ सम्भोग करना चाहती हैं तो निश्चित रूप से मैं आज आपको इस इच्छा को जरूर पूरा करूंगा, "मैंने प्रभावशाली आवाज में कहा।

मेरी ये बात सुन कर मानवी भाभी स्तब्ध थी और अपनी हकीकत के उजागर होने के इस अप्रत्याशित प्रहार से वह वह पूरी तरह से गूंगी हो गयी थी, और उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल पा रहा था।

मुझे पता था कि मैंने बिकुल सही जगह पर चोट की थी, और अब वह पूरी तरह से मेरे नियंत्रण में थी , इसलिए उसकी किसी भी प्रतिक्रिया का इंतजार किए बिना, मैंने झुककर उसके पैरों को चौड़ा कर दिया।

इस बीच मेरे खड़ा लंड कठोरता के कारण मेरी लुंगी से बाहर आ गया था और मानवी को सलामी दे रहा था। बल्बनुमा सिर के साथ मेरा विशाल 8 इंच लंबा और मोटा लंड उसके आँखों के सामने आ गया. एक पल के लिए मानवी कांप गई।

वह घबरा गई, और कहा, "काका, मैं आपके विशाल लंड को अपने अंदर नहीं ले जा सकती, यह मुझे फाड़ देगा।"

"आप बिकुल चिंता न करे मैं आपके साथ प्यार से करूंगा भाभी, मैं धीमी गति से जाऊँगा," मैंने उसे शांत करने का प्रयास किया . मानवी भाभी सोच रही थी क्या वह मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में फिट कर पाएगी या नहीं।

वो फिर बोली नहीं आपका बहुत बड़ा है तो मैंने कहा भाभी जब ये आपके मुँह में आसानी से चला गया तो चूत में भी चला जाएगा और फिर आप तो दो बच्चो की माँ भी हैं और आप जानती हैं चूत लंड के हिसाब से खुद को समायोजित (एडजस्ट) कर लेती है इसलिए आप बिलकुल चिंता न करे l

मैंने फटाफट अपने कपड़े निकाले और नंगा हो गया और फिर अपने लंड को उसकी चुत के द्वार और चूत के दाने पर तब तक के लिए रगड़ा जब तक मुझे उसका प्रवेश द्वार नहीं मिला, जब लंड योनि के द्वार पर अटक गया तो मैंने धीरे धीरे अंदर धकेलना शुरू कर दिया l

सबसे पहले, मैं अपने लंड को केवल एक इंच ही अंदर घुसा पाया था। बहुत गीली होने के बावजूद, उसकी योनि बहुत तंग थी क्योंकि उसकी चूत में एक लंबे समय से लंड ने प्रवेश नहीं किया था, और मेरा लंड बहुत बड़ा और मोटा है। मैंने अपनी गति को धीमा कर दिया और उसकी चूत पर थोड़ा दबाब बढ़ाते हुए उसे चोट पहुंचाए बिना उसकी चूत में सरकाने लगा ।

जब मेरा लंड उसकी चूत के प्रवेश द्वार से थोड़ा आगे अंदर पहुँचा, तो मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा, "प्रिय मानवी, मैं महसूस कर सकता हूँ, तुम्हारी चूत में मेरे विशाल लंड फस फस कर जा रहा है इससे तुम्हें कुछ मिनटों के लिए दर्द होगा। तुम घबराओ मत और फिर पहली बार उसके रस भरे होंठो को किश किया।

मानवी कुछ ज्यादा बोलने की स्तिथि में थी नहीं और बोली भी नहीं , और इस बार, मैं थोड़ा पीछे हुआ इतना की लंड पूरा बाहर न निकले और जोर से धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत की अंदरूनी मांसपेशियों को चीरता हुआ पूरी तरह अंदर समा गया । और मानवी चीखी लेकिन उसकी चीख बाहर नहीं निकली क्योंकि मेरा मुँह उसके ओंठो को बंद किये हुए थाl

अब मेरे बालों वाले अंडकोष मानवी की गांड के चिपके हुए थे । उसके थोड़ा तेज दर्द हुआ लेकिन मैं उसे किश करने लगा और अपने हाथो को उसके स्तनों पर लेजाकर उन्हें सहलाने लगा और मैंने उसकी चूत के मेरे लंड के आकर के हिसाब से समायोजित करने के लिए इंतजार किया और फिर एक हल्का सा धक्का लगा कर सुनिचित किया के लंड पूरी तरह से उसके अंदर घुस गया है, भाभी दर्द से हलके हलके कराह रही थी . मैंने उसके स्तनों को किस किया और निप्पलों को बारी बारी से चूसा . वो आनद लेने लगी और उसका दर्द लगभग एक मिनट बाद कम होना शुरू हो गया, तो उसने मुझे अपने पास खिंच लिया और मुझे किस की. मेरे लिए इतना इशारा काफी था और मैंने लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।

कुछ ही मिनटों के भीतर, दर्द पूरी तरह से चला गया और मनवी को बहुत मजा आने लगा. मैं अच्छी और तेज गति से लंड अंदर-बाहर कर रहा था और वो भी अपने चूतड़ उठा कर साथ देने लगी . उसके हाथ मेरे पीठ पर चले गए और मेरे पीठ को सहलाने लगी वो मुझे अपने अंदर महसूस कर रही थी l

फिर जैसे ही उसने मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में अंदर-बाहर होते हुए नीचे की और देखा वह जोर से कराह उठी । और उसे ये पता लगा वो वास्तव में चुदायी करवा रही थी, यह कोई सपना नहीं था, मेरा बड़ा लम्बा और मोटा लंड उसकी चुदाई कर रहा था जिसके वो पिछले कई दिनों से सपने देख रही थी l

एक सेक्सी महिला, दो बड़े बच्चों की मां, मानवी के साथ सेक्स करते हुए , मैं आश्चर्यजनक रूप से लंबे समय तक सम्भोग करता रहा । मैंने चुदाई करना जारी रखा, भाभी ने खुद को सहजता से मेरे चारों ओरअपनी बाहो की लपेट लिया और उसकी टाँगे मेरे नितम्बो पर कस गयी . मैंने उसे मिशनरी पोजीशन में करीब एक घंटे तक चोदा , कुछ देर उसने देखा कि मैं जल्दी जल्दी धक्के मार रहा था और झड़ने के लिए तैयार हो गया था ।

वो भी क्लाइमेक्स के भी बहुत करीब थी । अंत में, जब मैं कड़ी मेहनत से जोर जोर से पंप कर रहा था, वह जोर से कराह लेते हुए काम्पी और झड़ गयी, मैं भी जोर से कराह उठा, और मैंने अपना सिर पीछे फेंक दिया और उसकी चूत के अंदर स्खलन कर दिया । मानवी ने महसूस किया कि मेरे गर्म वीर्य ने उसकी योनि को भर दिया था. मैंने लंड बाहर नहीं निकाला और तब तक पंप करता रहा जब तक मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारी मारनी बंद नहीं कर दी, फिर मैं उस पर गिर गया । उस समय दोपहर के 1.00 बज चुके थे, और उसके बाद हम दोनों उसके बिस्तर पर एक साथ नग्न ही सो गए ।

कारण 2:30 बजे मैंने महसूस किया की मानवी मेरे लंड पर दबाव डाल रहा थी और उसने मुझे चूमा तो मैं उसके चुंबन से जाग गया । मैंने देखा वो मेरे ऊपर आ गयी थी , और लंड की अपनी चूत पर रगड़ रही थी मैं भी उसे फिर से चोदना चाहता था, वह वास्तव में नहीं जानती थी कि वह आखिर क्या कर रही है . इस बार वो चाहटी थी कि वह मुझे ऊपर हो कर चोदे । मुझे जगा देखा मानवी संकोच करने लगी । उसने सिर्फ एक घंटे पहले मेरे साथ पहली बार सेक्स किया था, वो उतरने लगी तो मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसने मेरे सख्त लंड को अपने हाथ में लिया और मेरे होंठो को चूसा ।

मेरा लंड काफी सख्त हो गया था , तो वो मेरे ऊपर बैठ गयी और धीरे-धीरे अपने आप को मेरे लंड पर अपनी योनि लगा कर ऊपर नीचे करने लगी। पहले से मेरे वीर्य ने उसकी योनि को अच्छी तरह से चिकनी कर रखा था, और मेरे लंड इस बार पहली बार की तुलना में आसानी प्रवेश क्र गया और वो भी आराम से मेरे लंड की ऊपर कूदने लगी । पहले तो मानवी को यकीन नहीं हुआ कि वह कितनी आसानी से ऐसा कर पा रही है उसे डर था खोई वो उछल-उछल कर गिर तो नहीं जाएगी, लेकिन जब उसने देखा वो ये आसानी से कर पा रही है तो उसने उसने झट से सब समझ लिया, और मजे की सवारी करने लगी।


कहानी जारी रहेगी


दीपक कुमार


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]आज डॉक्टर साब कहने लगे- आज तो मैं निरूत्तर हो गया जब मुझसे एक पेशंट ने अचानक पूछ लिया...[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]क्या *कोविशील्ड लगे लड़के का विवाह कोवैक्सीन लगी कन्या* से हो सकता है...??[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]डॉक्टर ने जवाब तो नही दिया पर पास खड़े एक ज्ञानी ने ये जवाब दिया:-[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ये तो गोत्र अलग अलग होने से अति उत्तम विवाह की श्रेणी में आएगा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]*पैदा होने वाली सन्तान कोरोना कोविड के सभी वेरिएंट से मुकाबला कर सकेगी*[/font]
 
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