बेटी ने माँ को चुदवाया - SexBaba
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बेटी ने माँ को चुदवाया

hotaks

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Dec 5, 2013
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[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं 6 साल पहले इटारसी आया तो मैंने एक सुशिक्शित परिवार से भरपूर परिवार में किरायेदार की हेसियत से रहने लगा. उस परिवार में मेरे अलावा उनकी बड़ी लड़की रिन्की और रिन्की की मम्मी रुमणी और पापा सुरेश अग्रवाल रहते है. रिन्की के पापा इटारसी शहर में एक कॉटन कम्पनी में काम करने के कारण अधिकतर बाहर ही रहते हैं. यह परिवार वाले मुझे अपने बेटे जैसा ही मान कर मेरी खिदमत करते थे और मुझे अपने परिवार का ही एक सदस्य समझते थे उनके घर का माहोल शुरु से ही बड़ा खुला हुआ था घर में रिन्की की माँ को मैं आंटी कहँ कर पुकारता था और रिन्की को दीदी, आमतोर पर रिन्की ऐसे कपड़े पहनती थी जो की कोई और लोग शायद बेडरुम में ही पहनना अच्छा समझे. हालाँकी उसकी माँ रुमणी हमेशा साड़ी-ब्लाउज पहनती थी..[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आंटी और रिन्की दीदी घर में मेरे सामने ही अपने मासिक (एम.सी) से सम्बधित बाते करती जैसे की आज मेरा पहला दिन है, या रिन्की को बहुत परेशानी महसूस हो रही है या ज्यादा ब्लीडींग हो रहा है. आमतोर पर आंटी और रिन्की दीदी मेरे सामने ही कपड़े बदलने में कोई ज्यादा शंकोच नहीं करती थी, एक बार रिन्की दीदी की सभी सहेलियां होली खेलने हमारे घर आई तो में दुबक कर दरवाजे के पीछे छुप गया, तब किसी को नहीं मालूम था की में घर में ही छुपा हुआ हूँ, खेर रिन्की दीदी और उसकी सहेलियो ने वहाँ पर घर के हॉल और बाथरुम के पास में काफ़ी नंगापन मचाया, एक दूसरे के कपड़े फाड़ते हुये लगभग नगं दड़ंग पोजिशन में एक दूसरे के ऊपर रंग लगाया, होली की दोपहर को आंटी भी मोहल्ले वालो के घर से रंग में सराबोर होकर आई और मुझे बिना रंग के देख रिन्की दीदी से कहने लगी की इस बेचारे ने क्या पाप किया है जो इसे सूखा छोड़ दिया, और रिन्की दीदी को इशारा कर मुझे पकड़ कर गिरा दिया और मेरे पूरे शरीर पर रंग लगा दिया, रिन्की दीदी ने तो रंग कम पड़ने पर अपने शरीर को ही मुझसे रगड़ना शुरु कर दिया.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं पहले नहा धोकर आया उसके बाद आंटी और रिन्की दीदी दोनो एक साथ बाथरुम में नहाने लगी. मुझसे रहा नहीं गया और मैं चोरी छुपे बाथरुम में देखा तो दोनो केवल पेन्टी पहन कर एक दूसरे की चूचियों पर लगा रंग छुड़ा रहे थे यह देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी. कुछ ही महीनो बाद रिन्की दीदी की शादी रतलाम में हो गयी और वह अपने ससुराल चली गयी, कुछ महीनो के बाद गमियो के महीनो में रिन्की दीदी कुछ दिनो के लिये अपनी माँ के पास रहने के लिये आई. जीजाजी रिन्की दीदी को छोड़ने के लिये दो दिनो के लिए आये थे. मैंने देखा की रिन्की दीदी शादी के बाद अब और ज्यादा बिंदास सेक्सी और कामुक हो गयी है, और क्यों ना हो अब उसके पास लाइसेन्स जो था, मेने जीजाजी को भी काफ़ी खुले विचारो वाला पाया. शाम को खाने के बाद उन्होने अपने हनीमून के फोटो्स दिखाये जिसमे वह दोनो गोवा के समुन्द्र किनारे बिकनी और स्विविमिंग कॉस्टयू्म्स में ही नज़र आये.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अचानक बिजली गुल हो गयी और काफ़ी देर तक नहीं आई इसलिये उस रात हमने ऊपर छत पर सोने का प्लान बनाया. छत पर एक लोहे का पलंग पड़ा हुआ था जिस पर जीजाजी ने मुझे सुला दिया, और वह दोनो इतनी गर्मीं में अंधेरे में चिपक कर सो गये. थोड़ी देर बाद जब अंधेरे में दिखने लगा तो मेने देखा की रिन्की दीदी जीजाजी के उनका 7 इंच लंबा लंड पकड़कर मस्ती से हिला रही थी और बार-बार उनका लंड चूस रही थी, उनकी सेक्सी चूमा चाटी और होने वाली खुस्फ़ुसाहट के कारण मेरा 6 इंच लंबा लंड भी तंबू जैसे तना हुआ था, और फट कर बाहर आ जाने को हो रहा था, तभी दीदी बोली की उसे बाथरुम आ रही है तो जीजाजी ने मुझे आवाज़ लगाई, लेकिन में आँखें बंद किये हुये नींद आने का बहाना बनाये पड़ा रहा तो दीदी बोली की शायद सो गया होगा, तब रिन्की दीदी उठी और बेड पर से ही अपनी पेन्टी को नीचे उतारती हुई छत के कोने में पेशाब करने बेठ गयी.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आसमान की हल्की रोशनी में उसके गोरे-गोरे और बड़े-बड़े चूतड़ चमक रहे थे जिनको देख कर जीजाजी भी उठे और अपनी लूँगी एक और फेक कर वी शेप की चड्डी में से अपना लंड निकाल कर पूनम दीदी के चूतडो के ठीक पीछे लंड लगा कर पेशाब करने बेठ गये, और अपने दोनो हाथो से सेक्सी दीदी की चूचियों को दबाने लगे. इसके बाद तो वो दोनो खड़े-खड़े ही अंधेरे में चुदाई करने लगे रिन्की दीदी की मदहोशी में कामुक साँसे और आवाज़े मुझे पागल बना देने के लिये काफ़ी थी, मैं अपनी आधी आखें बंद कर यह सब देख रहा था, और ना जाने कब मेरी आंखँ लग गयी, सुबह लगभग 5 बजे छत पर ठंडी हवाओं के कारण मेरी आँख खुली तो मेने देखा की रिन्की और जीजाजी एक दूसरे पर चढ़ कर सोये हुये थे, शायद सेक्स करने के बाद उनकी नींद लग गयी और वो अपने आप को सही भी नहीं कर पाये. रिन्की दीदी की पेन्टी तो पेरो में पड़ी थी और उसकी नाईटी उसके नंगे कमर पर पड़ी हुई थी.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जीजाजी भी पूरे नंगे थे और उनका सिकुडा लंड दीदी की हल्के काले बालो वाली चूत में से बाहर लटक रहा था, ऐसा सीन देख मेने सबसे पहले तो लपक कर मूठ मारी और उसके बाद अपनी सेक्सी दीदी की चूचियों को देखने की कोशिश की लेकिन जीजाजी के सीने से दबे होने के कारण मुझे कुछ ज्यादा नहीं देखने को मिला. सुबह करीब 9 बजे मैं उठा तो देखा दीदी और जीजाजी उठ चुके थे मैं नहा धोकर फ़्रेश होकर हम सब ने साथ में नाश्ता किया. दीदी और जीजाजी आने के कारण आंटी जी ने मुझे कहा अंकल नहीं है घर में तो दीनू तुम एक हफ़्ते की दफ़्तर से छुटी ले लो इसलिये मैंने एक हफ़्ते की छुटी ले ली थी. सुबह दिन भर हम तीनो ने पिक्चर हॉल में पिक्चर देखी और कई जगह घूमने भी गये जब शाम को 7 बजे हम घर लोटे तो मैंने और जीजाजी ने विस्की पीने का प्लान बनाया और जब विस्की पी रहे थे की अचानक जीजाजी के ऑफ़ीस से फोन आया की उन्हें कल किसी भी हालत में आकर रिपोट करनी है तो जीजाजी ने सुबह जल्दी जाने का प्रोग्रराम बना लिया.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जब दीदी को पता चला की जीजाजी कल सुबह ही जा रहे है तो वो उदास हो गई. हम लोग भी जल्दी से खाना खाकर जीजाजी का बेग तैयार कर कर छत पर सोने चले गये. कल रात की तरह हम लोगो ने अपना बिस्तर लगा कर सो गये. करीब एक घंटे बाद मैंने अंधेर में मेने देखा की आज भी रिन्की दीदी जीजाजी को ज्यादा परेशान कर रही थी अपनी नाइटी नंगी जांघो पर चड़ा कर पेन्टी उतारकर अपनी रसीली चिकनी चूत को जीजाजी के मुहँ पर रख कर उनका लंड मुहँ में लेने की जिद कर रही थी, लेकिन जीजाजी दिन भर की थकान के कारण सोने के मूड में थे, और उन्हें सुबह जल्दी जाना भी था, जीजाजी जब सो गये तो दीदी भी अपनी चूत को हाथ से रगडती हुई सो गयी, बेचारी या कर सकती थी, अगली सुबह जब आंटी ने मुझे उठाया और कहा महिप तुम्हारे जीजाजी को ट्रेन में बैठा कर आ जाओ तो मैं जल्दी से फ़्रेश होकर नहा धोकर तैयार होकर जब दीदी के कमरे में गया तो देखा की रिन्की दीदी जीजाजी से एक बार मज़े देने का कह रही थी और बोल रही थी.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]की आपके बिना मेरा मन कैसे लगेगा तो जीजाजी बोले की तेरे दीनू भाई ने एक हफ़्ते की छुटी ले ली है इसीलिये महिप का साथ रहेगा तो मुझे किसी बात की फ़िक्र नहीं रहेगी. और रिन्की दीदी और मैं जीजाजी को ट्रेन में बैठाने के लिये चल पड़े. जब ट्रेन जाने लगी तो रिन्की दीदी बड़ी उदास सी हो गयी. जब हम घर लोटे तो नाश्ता करने के बाद हम बोर हो रहे थे तो आंटी ने हमे सुझाव दिया की महिप तुम और रिन्की आज कमरे की सफाई कर लो तब तक मैं खाना बनाती हूँ इससे तुम्हारा मन भी लग जायेगा. मैंने पजामा और टी शर्ट पहन ली और रिन्की दीदी ने सफ़ेद पतले कपड़े का कुर्ता पहन रखा था और नीचे लूँगी जिसमे से उसकी गोरी-गोरी सफेद जाघे दिख रही थी, वह लंबे वाले स्टूल पर खड़ी हुये थी, और में नीचे से उससे सामान लेता जा रहा था, दीदी का कुर्ता शॉट स्लीव का था जिसमे से दीदी के मोटे-मोटे स्तन कभी कभी दिख जाते थे, और काली-काली चुचियां बाहर से ही दिखाई दे रही थी उन्होने ब्रा नहीं पहनी थी.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कभी कभी वह मुझे देख कर अपने हाथो से अपनी चूत को रगड़ने लगती, जब वो सामान लेने के लिये हाथ उठाकर सामान उतार थी तो, हाथ उठाने से उसकी अंडर आर्मस के काले-काले घने बाल देख मेरा लंड टनटना शुरु हो गया, गनीमत थी की मेने पजामा पहन रखा था, कई बार भारी सामान होने के कारण दीदी का स्टूल पर बेलेन्स नहीं बनता तो वह अपने पेरो को चोड़ा कर पास की अलमारी पर पैर रखती तब तो उसकी पेन्टी जो की सफ़ेद कलर की थी ऐसी दिखती मानो अभी उसे खोल कर लंड डाल दूँ, बीच-बीच में पानी पीते समय दीदी शायद जानबुझ कर अपनी सफेद महीन कुर्ते पर पानी डाल लेती जिससे उसकी चूचियों के निपल साफ दिखाई देने लगते खेर किसी तरह हम दोनो ने कमरे मैं साफ सफाई की और नाहकर खाना खाया. और दोपहर को थोड़ी देर आराम करके हम शाम के समय हम बाज़ार घूमने निकल पड़े[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जब हम घर लोट रहे थे तो दीदी बोली दीनू भाई आज तुम्हारे जीजाजी गये तब से मेरा मूड कुछ उखड़ा उखड़ा हुआ है और मूड ठीक करने के लिए या तुम मेरे लिए बीयर ला सकते हो. फ़िर मैं दुकान जाकर करीब 5 बीयर की बोतल ले आया. और जब हम करीब 7:30 बजे घर पहुँचे तो आंटी खाना बना रही थी और मैं और दीदी छत पर जाकर बीयर पीने लगे. करीब एक दो बीयर पीने के बाद दीदी कहने लगी की मुझे ज़ोर से पेशाब आ रही है और बिना किसी शर्म या पर्दे के उसने मेरे सामने ही उसने अपनी पेन्टी खोल दी और नाइटी ऊँचा उठा कर अपनी मोटी-मोटी गांड दिखाती हुये वह छत के एक कोने में जाकर मूतने बेठ गयी, उसके मूतने से जो झर-झर की तेज अवाज़ हो रही थी वह सुन में बहक सा गया और उनकी मोटी- मोटी गांड को एकटक देखने लगा शायद दीदी समझ गयी थी की मैं उसकी और मुहँ करके उसको मूतते हुये देख रहा हूँ.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तभी उसने मुहँ घूमाकर मेरी और देखा और एक आँख मारकर सेक्सी अवाज़ बना कर कहने लगी की आजा शरमाये मत मेरे पास आकर तू भी मूत ले, मैं जानती हूँ तुम ने उस रात चोरी चोरी चुपके चुपके मुझे और तेरे जीजाजी को मूतते हुये देखा था यह सुनकर मैं सकपका गया लेकिन फ़िर भी हिम्मत करके दीदी के ठीक पास में बेठ गया और अपने खड़े हुये मोटे और लंबे लंड को क़ैद से निकाल कर मूतने लगा, दीदी झुक-झुक कर मेरा लंड फटी-फटी आँखों से देखने लगी और बोली भैया तू तो वास्तव में पूरे मर्द हो मम्मी और मैं तुझे यू ही छोटा समझती थी. तूने अभी तक अपने औज़ार को कहीं काम में लिया है या यूँ ही तेज़ धारदार हथियार लेकर घूमता रहता है, दीदी की ऐसी बातें सुन मैं चुप सा हो गया और इधर -उधर देखने लगा की कही कोई देख तो नहीं रहा है, लेकिन अंधेरा देख बेफ़िक्र हो मैं सीधा खड़ा हो गया, मूतने से बड़ा हल्कापन महसूस हो रहा था दीदी के मन में क्या है यह मैं अब तक समझ नहीं पाया था, योकि मेरे दिमाग़ ने तो दीदी के मोटे मोटे चूतडो को देख कर ही काम करना बंद कर दिया था.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]खेर किसी तरह खाना खाने के बाद वो आंटी को बोली मम्मी आज बड़ी गर्मीं है चलो छत पर जाकर सोते है. तब आंटी बोली नीचे कोई नहीं है मैं आँगन में सोती हूँ तुम भाई बहन ऊपर छत पर सो जाना. फ़िर हम छत पर आकर दोनो पलंगो को करीब करीब (थोड़ा सा गेप रख कर) सोने लगे तो दीदी बोली दीनू नींद नहीं आ रही है और दीदी ने अपना असली जलवा दिखलाना शुरु कर दिया, उसने बड़े सेक्सी अंदाज़ में मुझे देखते हुये अपने ब्लाउज को खोल दिया, जिसमे से उसके दोनो गरदाये हुये मस्त कबूतर फड़फडा कर बाहर आ गये, उनको हाथो से सहलाते हुये वह कहने लगी की देख भैया इनको बेचारे ये भी गर्मीं के कारण कैसे कुहँला गये है, आज तेरे जीजाजी होते तो अब तक तो इन्हें मुहँ में लेकर एकदम ताजा कर देते, ऐसी बात सुन मेरे को ऐसा करंट लगा की मेने भी सोचा की जब रिन्की दीदी संकोच नहीं कर रही है तो यों ना दिखा दूँ अपनी मदानगी.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]दीदी के दोनो चूचियों पर इतना टाइट ब्लाउज पहनने के कारण लाल रंग का निशान सा पड़ गया था, दीदी ने धीरे से अपनी साड़ी और पेटीकोट भी खोल दिया और नगदहड़ंग नंगी हो फ़िर से मूतने बेठ गयी, मूतने के लिये उठते बैठते समय उसकी चूत का जो नज़ारा मुझे पीछे से हुआ वह वास्तव में मेरे जीवन का अजीबो गरीब नज़ारा था, जिसके बारे में बंद कमरे में आँखें बंद कर अपने लंड को रगडता था आज वही चीज़ मेरे सामने परोसी हुई सी मालूम पड़ रही थी, मैं भी शर्म संकोच छोड़ दीदी के बिल्कुल पास जा खड़ा हुआ. अब दीदी पूरी नंगी अवस्था में अपने पलंग पर आकर और हाथ हिला कर मुझे भी बुलाने लगी, मैं जैसे ही उनके पलंग के पास गया तो दीदी ने झट से मेरी लूंगी और वी शेप चड्डी खीच निकाली, और मुझे भी अपनी तरह मादरजात नंगा कर पलंग में खीच लिया, और कहने लगी की इस बेचारे पर कुछ तरस खा, इतनी गर्मीं में इसे इतने तंग कपड़ो में रखेगा तो इसका या हाल होगा तू नहीं जानता, इस बेचारे को थोड़ी हवा पानी दिखाने की ज़रुरत देनी चाहिये और हँसते हुये दीदी ने मुझे अपने ऊपर गिरा लिया.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब हम दोनो के नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़ा रहे थे, दीदी के कामुक बदन ने तो मानो मुझे सम्मोहित ही कर लिया था, और मैं लगभग अंधे के समान वही करता जा रहा था, जो वो मुझसे चाहती थी, उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया, और कहने लगी की प्लीज़ भैया, जल्दी से इन कबूतरो को मुहँ में लेकर चूसो नहीं तो मैं मर जाऊँगी, और एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी, कुछ देर उसकी चूचियों को चूसने के बाद मेने भी अपना एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया, तो मुझे उसकी चूत की गर्मीं महसूस हुई, अपनी उंगलियो को दीदी की चूत में घुसाते हुये मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, और मैं लगभग पागलो की तरह रिन्की दीदी की चूत को रग़ड रहा था, जिस कारण उसमे से हल्का सा गर्म चिकना मदमस्त रस निकलता सा महसूस होने लगा, मैं इस रस को अपने मुहँ में पीना चाहता था, लेकिन दीदी को कहने से डर रहा था, तभी दीदी मानो मेरे मन की इच्छा भाप गयी और वह मेरे ऊपर चड़ गयी और मेरे लंड को मुहँ में लेकर आईसक्रीम की तरह चूसने लगी.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने अपनी रस भरी चूत को मेरे मुहँ के पास कर दिया, हम दोनो 69 की पोजिशन करके मैं भी रिन्की की चूत को मुहँ में लेकर चूसने लगा. वो लंड चूसने में मस्त थी. करीब 15 मिनिट तक लंड चूसने के बाद मैंने रिन्की दीदी से बोला की प्लीज़, थोड़ा रुक-रुक कर चूसो, नहीं तो तुम्हारा मुहँ कही खराब न हो जाये, तो वह ज़ोर-जोर से हँसते हुये बोली की तेरे जीजाजी तो रोज़ ही मेरा मुहँ खराब करते है. खेर कोई बात नहीं जब तेरा दिल चाहे मेरे मुहँ पर लंड से पिचकारी छोड़ देना, कुछ ही देर में दीदी की मस्त रसीली चूत सिकुड़ने लगी और वो मेरे सिर को चूत पर दबाने लगी और उनकी चूत का मजेदार नमकीन पानी मेरे मुहँ पर छोड़ दिया और अपनी आँखों को बंद कर मुहँ से अजीब सी सिसकारियां लेने लगी थी. मेरे लंड ने अभी तक जवाब नहीं दिया और जब उसका मन चूमा चाटी से भर गया तो कहने लगी की चल अब जल्दी से अपनी प्यारी दीदी को चोद दे, और ऐसा कह वो अपनी टांगों को फैलाते हुये अपनी चूत को चोड़ा कर बोली फाड़ दे भाई अपनी दीदी की चूत को तेरे इस मोटे और लम्बे लंड से.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इसके बाद में मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रख कर चूत में ज़ोरदार घुसाया तो वह बिलबिला उठी और कहने लगी की ऐसा लंड तो मेने अपने जीवन में कभी नहीं खाया, यदि आज यहाँ मम्मी होती तो. ऐसा कह वह मस्ती में आखँ बंद कर चुप हो गयी और उस वक्त तो मैं यह सुनकर चुप हो गया योकि मैं भी इस पल के मज़े को भूलना नहीं चाहता था, लेकिन कुछ मिनटों के धको के बाद मेने उससे पूछ ही लिया की ऐसा लंड कभी नहीं खाया और मम्मी होती तो, इसका क्या मतलब है. क्या तुमने जीजाजी के अलावा और भी लंड खाये है, तो वो हँसते हुये बोली की अब तुझसे क्या छुपाना, मम्मी शुरु से ही पापा की गेर मोज़ूदगी में अपनी जवानी की गर्मीं घर में मुझे पढ़ाने आने वाले टीचर से और मेरे चचेरे मामा से मिटवाती थी, जब मैं यह राज जान गयी तो मम्मी ने मुझे भी खुली आज़ादी दे दी और कहा की केवल चुनिंदा लोगो से ही मज़ा लो जो की खुद की इज्जत बचाने के साथ-साथ हमे भी बदनाम ना करे, नहीं तो हम माँ बेटी किसी को मुहँ दिखाने के काबिल नहीं रहेगी, फ़िर मैंने कस कस कर धक्के मार कर उसकी चूत चोद रहा था.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो भी जवाब में अपनी गांड उठा कर मेरा लंड झाड़ तक अपनी चूत में लेते हुये बोली हम माँ बेटी की किस्मत ही खराब थी जो की तुम जैसा गबरु जवान मदघर में होते हुये हम दोनो तरसती रही, इसके बाद जब तक दीदी रही मैं रात दिन रिन्की दीदी को चोदता रहा. उसके जाने बाद अब बिना चुदाई एक रात काटना मेरे लिये भी असंभव सा लग रहा था, योकि ऐसी मस्त चूत खाकर मेरा लंड भी अब और चूत की चुदाई के लिये तरसने लगा. मैं संकोच के मारे रिन्की की मम्मी यानी की आंटी जी को चोदने से घबरा रहा था. एक दिन रिन्की दीदी का फोन आया, और उसने मुझसे पूछा की तूने अब तक कितनी बार मम्मी को चोदा तो जब मेने कहा की मेने तो आंटी की तरफ देखा भी नहीं तो उसने माथा पीट लिया, और कहने लगी की अब क्या मैं वहाँ आकर तेरे लंड को पकड़कर मम्मी की चूत में डालूं ? मैं कुछ बोल नहीं पाया, तो उसने कहा की चल मम्मी से बात करा, मेने मम्मी को फोन दे दिया और मैं कमरे से बाहर चला गया.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मम्मी बहुत देर तक दीदी से बात करती रही. रात में गर्मीं कुछ ज्यादा ही थी, इस कारण मैं लूँगी और बनियान पहनकर टी.वी. देख रहा था, की आंटी भी हॉल में ही आ गयी और बोली की अंदर बेडरुम तो मानो भी सा तप रहा है, मैं भी यही कूलर की हवा में सो जाती हूँ ऐसा कह आंटी ने मेरे बेड के पास ही अपना बिस्तर लगा लिया और सोने लगी. शनिवार नाइट होने की वजह से मैं भी काफ़ी रात तक टी.वी. देख रहा था क्योकि अगले दिन रविवार के कारण किसी बात की जल्दी नहीं होती और मैं देर तक सोता रहता हूँ. तभी मेने गोर किया की आंटी जो की मेरे सामने ही ज़मीन पर बिस्तर पर सोये हुये थे, ने अचानक करवट ली और मादक अंदाज़ में अपना हाथ अपने ब्लाउज में डाल कर अपनी साड़ी के पल्ले को अपने सीने से हटा दिया, और वापस सोने का नाटक करने लगी, जब मेने आंटी की तरफ गोर से देखा तो मेने पाया की उन्होने अभी जो ब्लाउज पहना था,[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसका गला इतना छोटा था की उसमे से उनके आधे से ज्यादा स्तन बाहर आ रहे थे जब उनका प��ला सीने से हटा तो मैं आंटी के ब्लाउज के हुको को देख अचरज में पड़ गया उनके ब्लाउज के केवल तीन हुक लगे थे, इसका मतलब आंटी को यह आइडिया रिन्की दीदी ने ही दिया होगा, मेने जब गोर किया तो पाया की ब्लाउज में उन्होने ब्रा भी नहीं पहनी थी, की तभी आंटी ने फ़िर करवट बदली और इस बार अपने पेरो को ऐसे उठाया की उनकी साड़ी उनके घुटनो के ऊपर हो गयी और उनकी गोरी गोरी जाघ दिखाई पड़ने लगी.एक तो टीवी पर चलती सेक्सी मूवी और ऊपर से मेरे इतने पास आंटी को इस हाल में देख मेरा हाल बुरा हो रहा था, आंटी भी गर्मीं के कारण बेचैन लग रही थी, तभी आंटी बोली की बेटा कूलर भी मानो आग उगल रहा है,पूरे कपड़े पसीने में भीग रहे है. नींद ही नहीं लग पा रही है, तो मैं हिम्मत कर के बोला की आंटी एक काम करो, थोड़े कपड़े उतार लो, रात में कौन देखता है, आप चाहो तो मैं छत पर सो जाता हूँ.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो आंटी बोली की हाँ बेटा यही ठीक रहेगा, और तू भी यही कूलर में सो जा, तुझसे कैसी शर्म, बस ज़रा लाइट बंद कर दे, तब मेने तुरंत लाइट बंद कर दी और टीवी देखने लगा, तो आंटी उठी और उसने अपनी साड़ी खोल कर एक तरफ रख दी और सामने के बाथरुम में पेशाब करने लगी, शायद उन्होने जानबुझ कर बाथरुम का दरवाजा बंद नहीं किया, मेने तिरछी निगाहों से देखा तो उनकी मोटी-मोटी गांड के दशन हो गये, जब वो वापस आई तो वो केवल पेटीकोट ब्लाउज में सोने लगी. और बोली महिप बेटा, ज़रा मेरे पैरो में तेल तो लगा दो तो मैं तेल की शीशी ले आया तो देखा उनका पेटीकोट तो पहले से ही घुटनो तक उठा हुआ था, मैंने उनके पैरो पर तेल लगा कर मालिश करना शुरु किया तो वो बोली की हाँ अब आराम लग रहा है लेकिन सारा बदन दर्द हो रहा है तो मैंने कहा की ऐसा करो आप उलटे लेट जाओं तो मैं आप की पीठ में भी मालिश कर देता. उन्होने ब्लाउज के सभी हुको को खोल दिया और उलटे लेट गये.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब मैं उनकी कमर पर तेल लगा कर मालिश करने लगा और बीच बीच में मेरी हथेली उनकी चूचियों के साइड में भी लग रही थी, इस उम्र में भी आंटी के स्तन टाइट भरे हुये और कड़क थे की मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, मैं तेल लगाते लगाते उनकी कमर तक आ गया और फ़िर मेने उनके मुहँ से हल्की सी मादक आवाज़ सुनाई देने लगी और उन्होने अपनी आँखें बंद कर रखी थी अब उन्होने कहा दीनू बेटा ज़रा पैरो की पिंडली में और तेल लगा दो यह कह कर वो पीठ के बल लेट गयी मैंने देखा जब वो सीधी सोई थी तो उनके ब्लाउज के सारे हुक खुले थे और उनकी चुचियाँ उनकी साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थी यह देख कर मैंरा लंड तो खड़ा होकर लूँगी से बाहर आने को बेताब हो गया फ़िर मेने भी मोका पाकर पैरो की मालिश करते करते पेटीकोट में हाथ डालना शुरु कर दिया, और अपनी उंगलिया उनकी जाघो पर फ़िराते हुये उनकी टांगों को फैला दिया जिससे उनका पेटिकोट थोड़ा ऊपर सरक गया और मुझे उनकी चूत के दशन होने लगे.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने देखा की चूत पर खूब घने काले-काले बाल दिख रहे थे फ़िर मैंने हिम्मत करके उनकी चूत तो टच किया तो उन्होने अपने पूरे बदन को कड़क कर हल्की सी उचक गयी लेकिन अपनी आँखें नहीं खोली. फ़िर मैंने धीरे धीरे उनकी चूत की दरारो को उंगली से सहलाना शुरु किया फ़िर मेने मोके की नज़ाकत को भाँप कर अपना एक हाथ उनके स्तनो पर रख उनको ज़ोर-जोर से मुठी में भिचाने लगा, उनकी दोनो चुचियाँ कड़क होकर फूल गयी थी, और मैं उनकी अंडर आर्मस जिसमे घने बाल थे को चूमने लगा. उनकी अंडर आर्मस से आ रही मादक खुशबु ने मेरा लंड राड जैसा खड़ा कर दिया, अब उन्होने मुझे अपने करीब सुलाते हुये मेरी लूँगी खीच कर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसे मुहँ में लेकर ज़ोर-जोर से चूसने लगी, मैंने भी उनको अपने सीने पर खीच कर उसकी चूत को खूब चूसा, अब तो सारी मज्यादाये छोड़ के निसंकोच आंटी की चूत चटाई करने लगा उनकी चूत इतनी टाइट लग रही थी मानो बरसो से प्यासी हो.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जब वो गरम हो गयी तो वो बोली महिप बेटा, अब मुझसे रहा नहीं जाता. डाल दो तुम्हारा लोड़ा मेरी प्यासी चूत में और मैंने उनके पैरों को फैलाते हुये अपना लंड चूत में डाल कर चोदना शुरु किया और करीब 20-25 मिनिट तक उन्हें चोदता रहा इस दरमियाँ वो 2 बार झड़ चुकी थी आंटी चुदवाते समय बड़ी अजीब सी गंदी-गंदी बातें और गालियाँ बोले जा रही थी, जिसे मैं भी अनसुना कर चुदाई का मजा ले रहा था, वो बेटी से भी ज्यादा चुदकड़ महिला थी करीब रात 4 बजे तक मैंने उनको 3 बार कई स्टाइल में चोदा और 2 बार गांड भी मारी. सुबह जब उठा तो वो मेरे बगल में बिल्कुल नंगी सोई थी और उनकी चूत मेरे मोटे और लंबे लंड के कारण फूल कर सूज गयी थी.[/font]
 
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