deeppreeti
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]महाकवि कालिदास द्वारा रचा गया महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तल - हिंदी में - Introduction..[/font]
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अब जब एक बार फिर सब बंद है और घर में ही रहना है तो सोचा कुछ पढ़ा जाए, और इस अवसर को सार्थक किया जाए कुछ अच्छा पढ़ा जाए, तो मन में संस्कृत के [font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]महाकवि कालिदास [/font]के अमर ग्रंथो को हिंदी में पढ़ने का विचार आया, और सोचा शुरुआत [font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अभिज्ञानशाकुन्तलम्[/font] से की जाएl
अभिज्ञानशाकुन्तलम् हिंदी में नेट पर कही मिली नहीं . फिर इसी विचार से प्रेरित हो सबसे पहले मैंने उनकी अमंर रचना 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' संस्कृत में पढ़ी - और फिर अभिज्ञानशाकुन्तलम् का संस्कृत से कुछ भाग का हिंदी में अनुवाद किया और कुछ दोस्तों को पढ़वाया तो उन्हे वो पसंद आया .
फिर मन में एक और विचार आया अभिज्ञानशाकुन्तल महाकाव्य का हिंदी में अनुवाद क्यों न नेट पर पाठको को उपलब्ध करवाया जाय .
यही आप सहमत हो तो महाकवि कालिदास के अभिज्ञानशाकुन्तलम् महाकाव्य का हिंदी अनुवाद इस फोरम पर पोस्ट किया जाए .. ताकि हिंदी प्रेमी जो संस्कृत नहीं जानते हैं महाकवि के इस महाकाव्य का आनंद ले सके,
समय लगेगा और गलतिया भी अवश्य होंगी क्योंकि कालिदास के बारे में संस्कृत में एक श्लोक है
" पुरा कवीनां गणना प्रसंगे कनिष्ठिकाधिष्ठित कालिदासः ।
अद्यापि तत्तुल्यकवेरभावात् अनामिका सार्थवती बभूव ॥ "
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अनुवाद - प्राचीन - काल में कवियों की गणना ( हाथ पर ) के प्रसंग में सर्वश्रेष्ठ होने के कारण कालिदास का नाम कनिष्ठिका.. ( सबसे छोटे ऊँगली ) पर आया , किन्तु आज तक उनके समकक्ष कवि के अभाव के कारण , अनामिका पर किसी का नाम न आ सका और इस प्रकार अनामिका का नाम सार्थक हुआ ।
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महाकवि कालिदास जो कवि कुल गुरु माने जाते हैं की कमनीय कलेवरा कोमल कविता कामिनी का हिंदी के पाठको से परिचय होना ही चाहिए (ख़ास तौर पर वे जो हिंदी नहीं जानते ) ये मेरा विचार है ,
जिन्होने भी कालिदास का साहित्य पढ़ा है या साहित्य का कोई अनुवाद किसी भी भाषामे पढ़ा है या फिर उनके बारे में सुना है उन्हें विश्वास दिलाता हूँ मूलरचना से कोई छेड़ छाड़ नहीं होगी क्योंकि महाकवि कालिदास मेरे प्रिय कवि हैं और जिन्होने नहीं पढ़ा है उन्हें तो बहुत आनंद आने ही वाला है .
आपके विचार, सहमति या असहमति आमंत्रित करता हूँ
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अब जब एक बार फिर सब बंद है और घर में ही रहना है तो सोचा कुछ पढ़ा जाए, और इस अवसर को सार्थक किया जाए कुछ अच्छा पढ़ा जाए, तो मन में संस्कृत के [font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]महाकवि कालिदास [/font]के अमर ग्रंथो को हिंदी में पढ़ने का विचार आया, और सोचा शुरुआत [font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अभिज्ञानशाकुन्तलम्[/font] से की जाएl
अभिज्ञानशाकुन्तलम् हिंदी में नेट पर कही मिली नहीं . फिर इसी विचार से प्रेरित हो सबसे पहले मैंने उनकी अमंर रचना 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' संस्कृत में पढ़ी - और फिर अभिज्ञानशाकुन्तलम् का संस्कृत से कुछ भाग का हिंदी में अनुवाद किया और कुछ दोस्तों को पढ़वाया तो उन्हे वो पसंद आया .
फिर मन में एक और विचार आया अभिज्ञानशाकुन्तल महाकाव्य का हिंदी में अनुवाद क्यों न नेट पर पाठको को उपलब्ध करवाया जाय .
यही आप सहमत हो तो महाकवि कालिदास के अभिज्ञानशाकुन्तलम् महाकाव्य का हिंदी अनुवाद इस फोरम पर पोस्ट किया जाए .. ताकि हिंदी प्रेमी जो संस्कृत नहीं जानते हैं महाकवि के इस महाकाव्य का आनंद ले सके,
समय लगेगा और गलतिया भी अवश्य होंगी क्योंकि कालिदास के बारे में संस्कृत में एक श्लोक है
" पुरा कवीनां गणना प्रसंगे कनिष्ठिकाधिष्ठित कालिदासः ।
अद्यापि तत्तुल्यकवेरभावात् अनामिका सार्थवती बभूव ॥ "
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अनुवाद - प्राचीन - काल में कवियों की गणना ( हाथ पर ) के प्रसंग में सर्वश्रेष्ठ होने के कारण कालिदास का नाम कनिष्ठिका.. ( सबसे छोटे ऊँगली ) पर आया , किन्तु आज तक उनके समकक्ष कवि के अभाव के कारण , अनामिका पर किसी का नाम न आ सका और इस प्रकार अनामिका का नाम सार्थक हुआ ।
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महाकवि कालिदास जो कवि कुल गुरु माने जाते हैं की कमनीय कलेवरा कोमल कविता कामिनी का हिंदी के पाठको से परिचय होना ही चाहिए (ख़ास तौर पर वे जो हिंदी नहीं जानते ) ये मेरा विचार है ,
जिन्होने भी कालिदास का साहित्य पढ़ा है या साहित्य का कोई अनुवाद किसी भी भाषामे पढ़ा है या फिर उनके बारे में सुना है उन्हें विश्वास दिलाता हूँ मूलरचना से कोई छेड़ छाड़ नहीं होगी क्योंकि महाकवि कालिदास मेरे प्रिय कवि हैं और जिन्होने नहीं पढ़ा है उन्हें तो बहुत आनंद आने ही वाला है .
आपके विचार, सहमति या असहमति आमंत्रित करता हूँ
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