desiaks
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कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मेरी नज़र सेक्सी अनार पर पड़ी और मैं उसको अपनी अनारकली बनाने की सोचने लगा। अब आगे_
वो हैरानी से मेरी ओर देखने लगी।
"मैंने सुना है तुम्हारी शादी हो रही है?"- मैंने पूछा।
"शादी नहीं साहब गौना हो रहा है।"
“हाँ हाँ वही ! पर तुम तो अभी बहुत छोटी हो। इतनी कम उम्र में ??”
“छोटी कहाँ हूँ ! पूरी १८ की हो गई हूँ। और फ़िर गरीब की बेटी तो घरवालों, रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों, शोहदों की नज़र में तो १०-१२ साल की भी जवान हो जाती है। हर कोई उसे लूटने खसोटने के चक्कर में रहता है।”
अनारकली ने माहौल ही संज़ीदा (गम्भीर) बना दिया। मैंने बात को अपने मतलब की ओर मोड़ते हुए कहा,“ चलो वो तो ठीक है पर तुम तो जानती हो मैं .... मेरा मतलब है मधु .... हम सभी तुम्हें कितना प्प्यऽऽ ..... चाहते हैं, तुम हम से दूर चली जाओगी” मैं हकलाता हुआ सा बोला और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। उसने हाथ छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की।
मेरा जी तो कर रहा था कि कह दूँ कि मैं भी तुम्हें चोदने के चक्कर में ही तो लगा हूं, पर कह नहीं पाया।
“हाँ साहब ! मैं जानती हूँ। आप और मधु दीदी तो मुझे बहुत चाहते हो, दीदी तो मुझे छोटी बहन की तरह मानती हैं। दुःख तो मुझे भी है पर ससुराल तो एक दिन जाना ही पड़ता है ना ! क्यों ! मैं गलत तो नहीं कह रही ?”
“ ” मैं चुप रहा।
अनारकली फ़िर बोली,“साहब आप उदास क्यों होते हो ! आपको कोई और नौकरानी मिल जाएगी।”
“पर तुम्हारे जैसी कहाँ मिलेगी !”
“क्यों ऐसा क्या है मुझ में ?”
“अरे मेरी रानी तुम नहीं जानती तुम कितनी सुन्दर हो .... म्म.... मेरा मतलब है तुम हर काम कितने सुन्दर ढंग से करती हो।”
“काम का तो ठीक है पर इतनी सुन्दर कहाँ हूँ?”
“हीरे को अपनी कीमत का पता नहीं होता, कभी मेरे जैसे ज़ोहरी की नज़रों से भी तो देखो ?”
“साहब इतने सपने ना दिखाओ कि मैं उनके टूटने का गम बर्दाश्त ही ना कर पाऊँ !”
“देखो अनारकली मैं सच कहता हूँ, तुम्हारे जाने के बाद मेरा मन बहुत उदास हो जाएगा।”
“मैं जानती हूँ साहब” अनारकली ने अपनी पलकें बंद कर ली।
लोहा गरम हो गया था, जाल बिछ गया था, अब तो बस शिकार फ़ंसने ही वाला था। मैं जबरदस्त ऐक्टिंग करते हुए बोला, “ अनार मुझे लगता है हमारा पिछले जन्म का जरूर कोई रिश्ता है। कहीं तुम पिछले जन्म में अनारकली या मधुबाला तो नहीं थी ?” मैंने पासा फ़ेंका।
मैं आगे बोलने जा ही रहा था कि " और मैं शहज़ादा सलीम " पर मेरे ये शब्द होंठों में ही रह गए।
अनारकली बोली,“मुझे क्या मालूम बाबूजी, आप तो मुझे सपने ही दिखा रहे हैं” अनारकली की आँखें अब भी बंद थी वो कुछ सोच रही थी।
“मैं तुम्हें कोई सपना नहीं दिखा रहा बिल्कुल सच कहता हूँ मैं तुम्हें इन दो महीनो में ही कितना चाहने लगा हूँ अगर मेरी शादी नहीं हुई होती तो मैं तुम्हें ही अपनी दुल्हन बना लेता !”
“साहब मैं तो अब भी आपकी ही हूँ !”
मेरा दिल उछलने लगा। मछली फंस गई। मेरा लंड तो इस समय कुतुब मीनार बना हुआ था। एक दम १२० डिग्री पर अगर हाथ भी लगाओ तो टन्न की आवाज आए।
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लेना चाहा पर कुछ सोच कर केवल उसकी ठुड्डी को थोड़ा सा उठाया और अपने होंठ उसकी और बढाए ही थे कि उसने अपनी आँखें खोली और मुझे अपनी ओर बढ़ते हुए देख कर अचानक उठ खड़ी हुई। मेरा दिल धक् से रह गया कहीं मछली फिसल तो नहीं जा रही।
“नहीं मेरे शहजादे इतनी जल्दी नहीं। तुम्हारे लिए हो सकता है ये खेल हो या टाइम पास का मसाला हो पर मेरे लिए तो जिन्दगी का अनमोल पल होगा। मैं इतनी जल्दबाजी में और इस तरीके से नहीं गुजारना पसंद करुँगी ”
“प्लीज़ एक बार मेरी अनारकली बस एक बार !” मैं गिड़गिड़ाया। मैं तो अपनी किल्ली ठोक देने पर उतारू था।
पर वो बोली,“सब्र करो मेरे परवाने इतनी भी क्या जल्दी है। आज की रात को हम यादगार बनायेंगे !”
“पर रात में तुम कैसे आओगी ?? तुम्हारे घरवाले ?” मैंने अपनी आशंका बताई।
“वो मुझ पर छोड़ दो। आप नहीं जानते, जब आप टूर पर कई कई दिनों के लिए बाहर जाते हो, मैं दीदी के पास ही तो सोती हूँ मेरे घरवालों को पता है ” अनारकली ने मेरे होंठों पर अंगुली रखते हुए कहा।
मैं गुमसुम मुंह बाए वहीँ खड़ा रह गया। अनारकली चाय बनने रसोई में चली गई।
मैं सोचने लगा कहीं वो मुझे मामू (चूतिया) तो नहीं बना गई ?
ये साला सक्सेना भी एक नम्बर का गधा है। (अरे यार ! हमारा पड़ोसी !). हर सही चीज ग़लत समय पर करेगा। रात को ११ बजे भजन सुनेगा और सुबह सुबह फरीदा खानम की ग़ज़ल। अब भी उसके फ्लैट (हमारे बगलवाले) से डेक पर सुन रहा है_
यूँ ही पहलू में बैठे रहो !
आज .... जाने की जिद ना ....करो !!
पर आज मुझे लगा कि उसने सही गाना सही वक्त पर लगाया है।
आज शुक्रवार का दिन था। ऑफिस में कोई ख़ास काम नहीं था। मैंने छुट्टी मार ली। दिन में अनारकली के लिए कुछ शोपिंग की। मेरा पप्पू तो टस से मस ही नहीं हो रहा था रात के इन्तजार में। एक बार तो मन किया की मुठ ही मार लूँ पर बाद में किसी तरह पप्पू को समझाया “थोड़ा सब्र करना सीखो ”
रात कोई १०.३० बजे अनारकली चुपचाप बिना कॉल बेल दबाये अन्दर आ गई और दरवाजा बंद कर दिया। मैं तो ड्राइंग रूम में उसका इन्तजार ही कर रहा था। एक भीनी सी कुंवारी खुशबू से सारा ड्राइंग रूम भर उठा।
उसके आते ही मैं दौड़ कर उससे लिपट गया और दो तीन चुम्बन उसके गालों होंठो पर तड़ा तड़ ले लिए। वो घबराई सी मुझे बस देखती ही रह गई।
“ओह .. फिर उतावलापन मेरे शहजादे हमारे पास सारी रात पड़ी है जल्दी क्या है ?”
“मेरी अनारकली अब मुझसे तुम्हारी ये दूरी सहन नहीं होती !”
“पहले बेडरूम में तो चलो !”
मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेडरूम में आ गया। अब मेरा ध्यान उसकी ओर गया। पटियाला सूट पहने, बालों में पंजाबी परांदा (फूलों वाली चोटी), होंठों पर सुर्ख लाली। मैं तो बस उसे देखता ही रह गया। सूट में टाइट कसे हुए उसके उन्नत उरोज पतली कमर, मोटे नितम्ब मैं अपने आप को काबू में कहाँ रख पाता। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसने भी अपनी आँखें बंद कर ली।
“मेरी अनारकली !”
“हाँ मेरे शहजादे !”
“मुझे तो विश्वास ही नहीं था कि तुम आओगी। मुझे तो लग रहा है कि मैं अब भी सपना देख रहा हूँ !”
“नहीं मेरे शहजादे ! ये ख्वाब नहीं हकीकत है। ख्वाब तो मेरे लिए हैं !”
“वो क्यों ?”
“मेरा मन डर रहा है कहीं तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे। अनारकली कि किस्मत में तो दीवार में चिनना ही लिखा होता है !”
“नहीं मेरी अनारकली मै तुमसे प्यार करता हूँ तुम्हें कैसे धोखा दे सकता हूँ ” मैंने कह तो दिया पर बाद में सोचा अगर उसने पूछ लिया क्या मधु के साथ ये धोखा नहीं है तो मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा। मैंने उससे कहा “अनारकली मैं शादी शुदा हूँ अपनी बीवी को तो नहीं छोड़ सकता पर तुम्हें भी उतना ही प्यार करता रहूँगा जितना मधु से करता हूँ। ”
“मुझे यकीन है मेरे शहजादे !”
अनु जिस तरीके से बोल रही थी मैं सोच रहा था कहीं अनारकली सचमुच ‘मुग़ल-ऐ-आज़म’ तो नहीं देख कर आई है।
अब देरी करना कहाँ की समझदारी थी। मैंने पूरा नाटक करते हुए पास पड़ी एक छोटी सी डिबिया उठाई और उसमें से एक नेकलेस (सोने का) निकाला और अनारकली के गले में डाल दिया। (इस मस्त हिरणी क़यामत के लिए ५-१० हज़ार रुपये की क्या परवाह थी मुझे)
अनारकली तो उसे देखकर झूम ही उठी और पहली बार उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूम लिए। मैंने उसके कपड़े उतार दिए और अपना भी कुरता पाजामा उतार दिया।
उसने लाइट बंद करने को कहा तो मैंने मना कर दिया। हमारे प्यार का भी तो कोई गवाह होना चाहिए। वो बड़ी मुश्किल से मानी।
मैं सिर्फ़ चड्डी में था। अनारकली ब्रा और पैन्टी में। ये वोही ब्रा और पैन्टी थी जो मैंने उसे १०-१५ दिन पहले लाकर दी थी। वो पूरी तैयारी करके आई थी।
मैं तो उसका बदन देखता ही रह गया। मैंने उसे बाहों में भर लिया और ब्रा के हुक खोल दिए .....
एक दम मस्त कबूतर छलक कर बाहर आ गए, गोरे गोरे छोटे नाज़ुक मुलायम ! एरोला कोई १.५ या २ इन्च का गहरे गुलाबी रंग के चुचूक मटर के दाने जितने।
मैंने उनको मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। वो ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगी। मैं एक हाथ से एक अनार दबा रहा था और उसके नितम्बों पर कभी पीठ पर घुमा रहा था। उसके हाथ मेरे सिर पर और पीठ पर घूम रहे थे। कोई दस मिनट तक मैंने उसके स्तनों को चूसा होगा। अब मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। उसने शर्म के मारे अपने हाथ चूत पर रख लिए।
मैंने कहा- "मेरी रानी ! हाथ हटाओ !"
तो वो बोली- "मुझे शर्म आती है !"
मैंने कहा,“ अगर शर्म आती है तो अपने हाथ अपनी आँखों पर रखो, इस प्यारी चीज़ पर नहीं, अब इस पर तुम्हारा कोई हक नहीं रहा। अब यह मेरी हो गई है !”
“हाँ मेरे शहज़ादे ! अब तो मैं सारी की सारी तुम्हारी ही हूँ !”
मैंने झट से उसके हाथ परे कर दिए। वाह !! क्या कयामत छुपा रखी थी उसने ! पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई लाल सुर्ख चूत मेरे सामने थी, बिल्कुल गोरी चिट्टी! झाँटों का नाम निशान ही नहीं, जैसे आज़ ही उसने अपनी झाँट साफ़ की हो। चूत की फ़ांकें संतरे की फ़ांकों जितनी मोटी और रस भरी। अन्दर के होंठ हल्के गुलाबी और कोफ़ी रंग के आपस में जुड़े हुए। चूत का चीरा कोई चार इन्च क गहरी पतली खाई जैसे। चूत का दाना मटर के दाने जितना बड़ा सुर्ख लाल बिल्कुल अनारदाने जैसा। गोरी जांघें संगमरमर की तरह चिकनी। दांई जांघ पर एक तिल। चूत की प्यारी पड़ोसन (गाण्ड) के दर्शन अभी नहीं हुए थे क्योंकि अनारकली अभी लेटी थी और उसके पैर भींचे हुए थे।
मैंने उसके पैरों को थोड़ा फ़ैलाया तो गाण्ड का छेद भी नज़र आया। छेद बहुत बड़ा तो नहीं पर इतना छोटा भी नहीं था, हल्के भूरे रंग का बिल्कुल सिकुड़ा हुआ चिकना चट्ट्। उस छेद की चिकनाहट देख कर मुझे हैरानी हुई कि यह छेद इतना चिकना क्यों है !
बाद में मुझे अनारकली ने बताया था कि वो पूरी तैयारी करके आई थी। उसने अपनी झाँट आज़ ही साफ़ की थी और चूत और गाण्ड दोनों पर उसने मेरी दी हुई खुशबू वाली क्रीम भी लगाई थी।
मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और अपने जलते होंठ उसकी गुलाबी चूत की फ़ांकों पर रख दिए। वो जोर जोर से सीत्कारने लगी। उसकी कुँवारी चूत की महक से मेरा तन मन सब सराबोर हो गया। एक चुम्मा लेने के बाद मैंने जीभ से उसकी अन्दर वाली फ़ांकें खोली और अपनी जीभ उसके अन्दर डाल दी।
उसने अपनी दोनों जांघें ऊपर मोड़ कर मेरे गले में कैंची की तरह डाल दी और मेरे सिर के बाल पकड़ लिए। मैं मस्त हुआ उसकी चूत चूसे चाटे जा रहा था। कोई दस मिनट तक मैंने उसकी चूत चाटी होगी। वो मस्त हुई सीत्कार किए जा रही थी और बड़बड़ा रही थी,“ मेरे शहज़ादे ! मेरे सलीम ! साहब जी ! ......”
अब उसके झड़ने का वक्त नज़दीक आ रहा था, वो जोर जोर से चिल्ला रही थी और जोर से चूसो ! और जोर से चूसो ! मज़ा आ रहा है !
मेरा लण्ड चड्डी में अपना सिर धुन रहा था। मैंने एक हाथ से उसके एक संतरे को कस कर पकड़ लिया और उसे मसलने लगा। दूसरे हाथ की तर्ज़नी उंगली से उसकी नर्म चिकनी गाण्ड का छेद टटोलने लगा। जब छेद मिल गया तो मैंने तीन काम एक साथ किए। पहला उसकी एक चूची को मसलना, दूसरा चूत को पूरा मुंह में ले कर जोर से चूसना और तीसरा अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड के छेद में डाल दी।
उसका शरीर पहले से ही अकड़ता जा रहा था, उसकी जांघें मेरे गले के गिर्द जोर से लिपटी हुई थी। उसने एक जोर की किलकारी मारी और उसके साथ ही वो झड़ गई। उसकी चूत से कोई दो चम्मच शहद जैसा खट्टा मीठा नमकीन नारियल पानी जैसे स्वाद वाला काम रस निकला जिससे मेरा मुंह भर गया। मैं उसे पूरा पी गया। फ़िर वो शांत पड़ गई। औरत को स्खलित करवाने का यह सबसे बढ़िया तरीका है, समझो ' राम बाण ' है। मधु को झड़ने में कई बार जब देर लगती है तो मैं यही नुस्खा अपनाता हूँ।
मैंने अपनी चड्डी निकाल फेंकी। मेरा शेर दहाड़े मारने लगा था। आज तो उसका जलाल देखने लायक था। ७” का मोटा गेहुंआ रंग १२० डिग्री में मुस्तैद जंग लड़ने वाले सिपाही की तरह। मैंने अनारकली से उसे प्यार करने को कहा तो वो बोली “नही आज नहीं चूस सकती !” मैंने जब इसका कारण पूछा तो वो बोली “आज मेरा शुक्रवार का व्रत है नहीं तो मैं आपको निराश नहीं करती। मैं जानती हूँ इस अमृत को पीने से आंखों की ज्योति बढ़ती है और पति की उमर, पर क्या करूं ये कुछ खट्टा सा होता है न और शुक्रवार के व्रत में खट्टा नहीं खाया पीया जाता !”
मैंने कहा मैं पानी मुंह में नहीं निकालूँगा बस एक बार तुम इसे मुंह में लेकर चूस लो। तो वो मान गई और अपने घुटनों के बल बैठकर मेरा लण्ड चूसने लगी। पहले उसने उसे चूमा फ़िर जीभ फिराई और बाद में अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। मेरे लण्ड ने २-३ टुपके प्री-कम के छोड़ ही दिए पर लण्ड चूसने की लज्जत में उसे कुछ पता नहीं चला। जब मुझे लगने लगा कि अब मामला गड़बड़ हो सकता है मैंने अपना लण्ड उसके मुंह से बाहर निकाल लिया।
अब तो बस यू पी, बिहार (चूत और गाण्ड) लूटने का काम रह गया था। मैंने उसे सीधा लेटा दिया। अपनी तर्जनी अंगुली पर थूक लगाया और उसकी पहले से ही गीली चूत में गच्च से डाल दी तो वो चिहुंकी, “ऊईई .... माँ .....”
अब देर करना कहाँ की समझदारी थी मैंने झट से अपना लण्ड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक जोर का धक्का लगाया। आधा लण्ड गप्प से उसकी रसीली चूत में चला गया। एक दो झटकों के साथ ही मेरा पूरा का पूरा ७” का लण्ड उसकी चूत में फिट हो गया। वो थोड़ा सा चिहुंकी पर बाद में सीत्कार के साथ आ .... उईईई ..... आँ ..... करने लगी। मुझे शक हुआ कहीं उसकी चूत पहले से चुदी तो नहीं है?
मैंने उसे पूछ ही लिया,“क्यों मेरी अनारकली ! ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ ?”
वो मुस्कराते हुए बोली “मैं जानती हूँ कि आप क्या पूछना चाहते हैं ?”
“क्या ?”
“कि मेरी सील टूटने पर खून क्यों नहीं निकला और पहली बार लण्ड लेने पर भी मैं चीखी चिल्लाई क्यों नहीं?”
“हूँ .... हाँ ”
तो सुनिए “मेरी चूत और गाण्ड दोनों ही अन-चुदी और कुंवारी हैं और आज पहला लण्ड आपका ही उसके अन्दर गया है। पर मेरी चूत की सील पहले से ही टूटी है?”
“वो कब .... ये कैसे हुआ?” सुनकर मुझे बड़ी हैरानी हुई।
“दर असल कोई ९-१० महीने पहले एक दिन बापू ने अम्मा को बहुत बुरी तरह चोदा था। उस रात मैं और छोटे भाई बहन एक कोने में दुबके पड़े थे। हमारे घर में एक ही कमरा है न।
बापू बता रहे थे की उन्होंने कोई ११ नम्बर की गोली खाई है। (वो वियाग्रा की बात कर रही थी)
उनका गधे जैसा लण्ड कोई ८-९ इंच का तो जरूर होगा। अम्मा की दो तीन बार जमकर चुदाई की और एक बार गाण्ड मार कर उसे अधमरी करके ही उन्होंने छोड़ा था। ये जो नया कैलेंडर आया है शायद उसी रात का कमाल है। मैं जाग रही थी। मैंने पहली बार अपनी चूत में अंगुली डाल कर देखी थी। मुझे बहुत मज़ा आया। जब मैं बहुत उत्तेजित हो गई तो मैं पानी पीने के बहाने के बाहर आई और रसोई में जाकर वहाँ रखी एक मोटी ताज़ी मूली पड़ी देखी जो बापू के लण्ड के आकार की लग रही थी। मैंने उसे थोड़ा सा आगे से तोड़ा और सरसों का तेल लगाकर एक ही झटके में अपनी कुंवारी चूत में डाल दिया। मेरी दर्द के मारे चीख निकल गई और चूत खून से भर गई। मुझे बहुत दर्द हुआ। मैं समझ गई मेरी सील टूट गई है .” उसने एक ही साँस में सब कुछ बता दिया था।
फ़िर थोड़ी देर बाद बोली “अरे रुक क्यों गए धक्के क्यों बंद कर दिए?”
मैंने दनादन ४-५ धक्के कस कर लगा दिए। अब तो मेरा लण्ड दुगने उत्साह से उसे चोद रहा था। क्या मक्खन मलाई चूत थी। बिल्कुल मधु की तरह। सील टूटने के बाद भी एक दम कसी हुई।
उसकी चुदाई करते मुझे कोई २० मिनट तो हो ही गए थे। उसकी चूत इस दौरान २ बार झड़ गई थी और अब मेरा शेर भी किनारे पर आ गया था। मैंने उसे बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ तो वो बोली अन्दर ही निकाल दो। मैंने उससे कहा कि अगर कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा?
तो वो बोली “मेरे शहजादे मैं तो कब से इस अमृत की प्यासी हूँ अगर बच्चा ठहर गया तो भी कोई बात नहीं, १५ दिनों बाद गौना होने वाला है। तुम्हारे प्यार की निशानी मान कर अपने पास रख लूंगी, किसी को क्या पता चलेगा !”
और फ़िर मैंने ८-१० करारे झटके लगा दिए। मेरे लण्ड ने जैसे ही पहली पिचकारी छोड़ी ड्राइंग रूम में लगी दीवाल घड़ी ने भी टन्न टन्न १२ घंटे बजा दिए और मेरे लण्ड से भी दूसरी तीसरी चौथी ............ पिचकारियाँ निकलती चली गई। अनार अब मेरी यानी प्रेम की अनारकली बन चुकी थी।
हम लोग कोई १० मिनट इसी तरह पड़े रहे।
फ़िर अनारकली बोली “मेरे शहजादे आपने मुझे अपनी अनारकली तो बना दिया पर मेरी मांग तो भरी ही नहीं?”
मैंने अपना अंगूठा उसकी चूत में घुसा कर अपने वीर्य और चूतरस में डुबो कर उसकी मांग भर दी और उसके होंठों पर एक चुम्बन ले लिया। उसने भी नीचे झुककर मेरे पाऊँ छू लिए और मेरे गले से लिपट गई।
फ़िर हम उठाकर बाथरूम में गए और सफाई करी। सफाई करते समय मैंने देखा था उसकी चूत फूल सी गई थी और बाहर के होंठ भी सूज कर मोटे हो गए थे।
! यानि उम्मीद से दुगने ! !
उसने मेरे लण्ड पर एक चुम्मा लिया और मैंने भी उसकी चूत पर एक चुम्मा लेकर उसका धन्यवाद किया।
वो एक बार फ़िर मेरा लण्ड लेकर चूसने लगी। ५ मिनट चूसने के बाद मेरा लण्ड फ़िर खड़ा हो गया। मैंने उससे कहा “डारलिंग अब मैं तुम्हें घोड़ी बनाकर चोदना चाहता हूँ !”
तो वो बोली “अब घोड़ी बनाओ या कुतिया क्या फर्क पड़ता है पर पानी अन्दर मत छोड़ना ”
मैंने हैरानी से पूछा “क्यों एक बार तो अन्दर ले ही चुकी हो ”
तो वो बोली “ये अन्दर की बात है तुम नहीं समझोगे !”
मुझे बड़ी हैरानी हुई। मैंने उसे घोड़ी बनाकर जल्दी से लण्ड अन्दर डाला और १५-२० धक्के लगा दिए। उसके गोल गोल सिंदूरी आमों जैसे उरोज के बीच फंसा सोने का लोकेट ऐसे लग रहा था जैसे घड़ी का पेंडुलम। अनारकली तो मस्त हुई आह .... उह्ह .... उईईइ .... करती जा रही थी। मैं जोर जोर से धक्के लगा रहा था। उसकी गाण्ड ऐसे खुल और बंद हो रही थी जैसे कोई सीटी बजा रहा हो मैंने अपनी एक अंगुली पर थूक लगाया और उसकी गाण्ड में पेल दी।
अनारकली एक झटके से अलग हो गई और बोली बस अब खेल खत्म ! और वो खड़ी हो गई। उसने एक बार मेरे लण्ड को फ़िर धोया और चूम लिया।
अब मैंने उसे गोद में उठाया और फ़िर बेड पर लाकर लिटा दिया। मैं बेड पर सिराहने की ओर बैठ गया और अनारकली मेरी गोद में सर रख कर लेट गई। मैंने पूछा “मेरी जान कैसी लगी पहली चुदाई?”
“जैसा मधु दीदी ने बताया था बिल्कुल वैसी ही रही !”
अब चौंकने की बारी मेरी थी। “क्या कह रही हो? मधु को कैसे? पता क्या .... मधु .... ??”
“अरे घबराओ नहीं मेरे सैंया वो बेचारी तो सपने में भी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं जान सकती और सोच सकती !”
“तो फ़िर ”
“दर असल दीदी मेरे से कुछ नहीं छिपाती। वो तो मुझे अपनी छोटी बहन ही मानती हैं और जब से उन्हें मेरे गौने के बारे में पता लगा है उन्होंने मुझे चुदाई की सारी ट्रेनिंग देनी भी शुरू कर दी है।”
“क्या क्या बताया उसने?” मैंने पूछा
“सब कुछ ! सुहागरात के बारे में ! चुदाई के आसनों के बारे में ! चूत लण्ड और गाण्ड के बारे में !”
“अरे क्या उसने साफ़ साफ़ इनका नाम लिया?”
“नहीं उन्होंने तो पता नहीं कोई ' काम-दंड ',' रस-कूप ' और ' प्रेम-द्वार ', ' प्रेम मिलन ' पता नहीं क्या क्या नाम ले रही थी?”
“तो फ़िर तुम क्यों इनका वैसे ही नाम नहीं लेती?”
“अरे बाबू क्या फर्क पड़ता है? चुदाई को प्रेम मिलन कहो या मधुर मिलन। छुरी खरबूजे पर पड़े या खरबूजा छुरी पर मतलब तो खरबूजे को कटना ही है। अब लण्ड को काम-दंड बोलो या चूत को बुर या प्रेम-द्वार, चुदना और फटना तो चूत को ही पड़ेगा ना? ये तो पढ़े लिखे लोगों का ढकोसला है। अपनी पत्नी या प्रेमिका को अपने शब्दजाल में फंसा कर उसे खुश करने का बहाना है कि वो उसे प्यार करता है मतलब तो चुदाई से ही है ना। अपने नंगेपन के ऊपर परदा डालने का एक तरीका है। क्या किसी कड़वी गोली के ऊपर शहद की चाशनी लगा देने से उस दवाई का असर ख़त्म हो जाएगा?”
अनारकली का दर्शन शास्त्र (फलसफ़ा) सुनकर मैं तो हक्का बक्का रह गया। मेरा सेक्स का सारा ज्ञान इसके आगे जैसे फजूल था। मैंने फ़िर उससे पूछा “उसने और क्या क्या बताया है?”
तो वो बोली,“बहुत कुछ .... वो तो मेरी गुरु है !”
ऐसा नहीं है कि मैं चुपचाप उसकी बातें ही सुन रहा था। मैं उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था और वो मेरे लण्ड से खेल रही थी। उसने पाँव ऊपर उठा रखे थे और अपने नितम्बों पर धीरे धीरे मार रही थी। जब भी उसकी एड़ी नितम्ब को छूती तो उसके नितम्ब दब जाते और जोर से हिलते। मैंने जब उसके गोल गोल नितम्बों की ओर देखा और मेरा मन उसकी नरम नाज़ुक गुलाबी गाण्ड मारने को उतावला हो गया। ख़याल आते ही मेरे लण्ड ने एक ठुमका लगाया और फ़िर से चुस्त दरुस्त हो गया। अनार ने तड़ से एक चुम्मा उस पर ले ही लिया और मैंने चूत कि सुनहरी पड़ोसन के मुंह में अपनी एक अंगुली डाल दी।
अनार कली थोड़ी सी चिहुंकी “ऊईई माँ ...... क्या कर रहे हो ?”
मैंने उसके होंठों पर एक चुम्मा ले लिया। मैं अभी उसे गाण्ड मरवाने के लिए कहने की सोच ही रहा था की वो बोल पड़ी “दीदी सच कहती थी !”
“क्या?”
“कि सब मर्द एक जैसे होते हैं !”
“क्या मतलब?”
“वो आपके बारे में भी एक बात कहती थी !”
“वो क्या?”
“कि तुम चूत भले ही मारो या न मारो पर गाण्ड के बहुत शौकीन हो। मैं जानती हूँ तुम गाण्ड मारे बिना नहीं मानोगे। पर मेरे शहजादे मैं उसकी भी पूरी तैयारी करके आई हूँ !”
मैं तो हक्का बक्का बस उसे देखता ही रह गया। मधु बेचारी को क्या पता कि उसने कितनी बड़ी गलती की है अनारकली को सब कुछ समझाकर। पर चलो ! मेरे लिए तो बहुत ही अच्छी बात है।
मधु डार्लिंग ! इसी लिए तो तुम को मैं इतना प्यार करता हूँ। गुरूजी ठीक कहते हैं गीता में भगवान् कृष्ण ने कहा है “हे अर्जुन ! इस ज्ञान को केवल पात्र मनुष्य को ही देना चाहिए !”
अनारकली से ज्यादा अच्छा पात्र भला कौन हो सकता था। अब साड़ी बातें मेरी समझ में आ गई कि ये दोनों अन्दर क्या खुसर फुसर करती रहती हैं।
“तो क्या तुम तैयार हो ?”
“नेकी और पूछ पूछ पर एक ध्यान रखना मेरी गाण्ड में अब तक दीदी कि अंगुली के सिवा कोई दूसरी चीज नहीं गई है एक दम कोरी और अनछुई है। प्यार से करना और धक्के जोर से नहीं समझे मेरे एस .एस .एस। (ट्रिपल एस)”
“ये एस .एस .एस। क्या होता है?”
“शौदाई शहजादा सलीम ”
मेरी हँसी निकल गई। शौदाई पागल प्रेमी को कहते हैं। फ़िर मैंने उससे पूछा “पर तुम तो कह रही थी कि तुमने इसकी भी तैयारी कर रखी है फ़िर डर कैसा। प्लीज़ बताओ क्या क्या तैयारी की है ?”
“दीदी बता रही थी कि गाण्ड रानी की महिमा बहुत बड़ी है। चूत तो दो चार बार चुदने से ढीली हो जाती है पर गाण्ड मर्जी आए जितनी मारो लो उतनी ही टाइट रहती है। हाँ लगातार मारते रहने से उसके चारों और काला घेरा जरूर बन जाता है। गाण्ड मरवाने से नितम्ब भी भारी और सुंदर बनते हैं। गाण्ड मारने और मरवाने का अपना ही सुख और आनंद है। पहले पहले सभी औरतों को डर लगता है पर एक बार गाण्ड मरवाने का चस्का लग जाए तो फ़िर रोज गाण्ड मरवाने को कहती है। गाण्ड मरवाने से पति और प्रेमी का प्यार बढ़ता है !”
“पर मधु तो मुझे से गाण्ड मरवाने में बहुत नखरे करती है ”
“अरे बाबू वो तो बस तुम्हें अपने ऊपर लट्टू करने का नाटक है अगर एक बार मांगने से ही गाण्ड मिल जाए तो वो मज़ा नहीं आता। जिस चीज को जितना मना करो उतना ही ज्यादा करने को मन करता है !”
“ओह .....” साली मधु की बच्ची मेरे साथ इतना नाटक। फ़िर मैंने कहा “और वो तैयारी वाली बात?”
“जो लड़की या औरत पहली बार गाण्ड मरवाने जा रही उनके लिए एक टोटका दीदी ने बताया था !”
“हूँ .... क्या ?”
“लड़की को उकडू बैठ जाना चाहिए और बोरोलीन या कोई और क्रीम की मटर के दाने जितनी मात्रा अपनी अंगुली पर लगा कर धीरे से गाण्ड के छेद पर लगा लो फ़िर उठकर खड़ी हो जाओ। अब फ़िर नीचे उसी तरह बैठ कर अपनी गाण्ड को छोटे शीशे में देखो जितनी दूर वो क्रीम फ़ैल गई है अगर लण्ड की मोटाई उतनी ही है या कम, तो डरने की कोई बात नहीं है उतना मोटा लण्ड गाण्ड रानी आसानी से झेल लेगी। हाँ एक बात और जिस दिन गाण्ड मरवाने का हो उस दिन दिन में २-३ बार कोई क्रीम वैसलीन या तेल जरूर अपनी महारानी के अन्दर लगा लेना चाहिए !”
“अरे मेरी प्यारी अनारकली तू तो सचमुच मेरी भी गुरु बन गई है मैं तो ऐसे ही अपने आप को प्रेम (लव/सेक्स) गुरु समझता रहा हूँ !”
अब स्वर्ग के दूसरे द्वार का उदघाटन करने का वक्त आ गया था। मैंने अनारकली को घुटनों के बल कुतिया स्टाइल में कर दिया। वो मेरी और देखकर मुस्कराई और फ़िर मेरे होंठों पर एक चुम्मा लेकर बोली “वैसलीन लगना न भूलना !”
“ठीक है मेरी गुरूजी !”
अनारकली की मस्त गुलाबी गाण्ड का छेद अब ठीक मेरे सामने था। उसका छोटा सा गुलाबी छेद खुल और सिकुड़ रहा था। मैंने प्यार से उस पर अपनी अंगुली फिराई और अपनी जीभ की नोक उस पर टिका कर ऊपर से नीचे घुमाई। अनारकली की किलकारी हवा में गूंज उठी। मुझे लगा कि उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया है। फ़िर मैंने बोरोलीन की ट्यूब उठाई और उसका ढक्कन खोल कर उसकी टिप अनारकली की गाण्ड के छेद के अन्दर थोड़ी सी फंसा कर आधी ट्यूब अंदर खाली कर दी।
अनारकली थोड़ा सा कुनमुनाते हुए बोली “ओह .... क्या कर रहे हो गुदगुदी होती है !”
“बस हो गया मेरी जान !” अब मैंने अपने लण्ड पर भी क्रीम लगाई और अपने लण्ड का सुपारा उसकी गाण्ड के खुलते बंद होते छेद पर टिका दिया।
अनारकली शायद हनुमान चालीसा पढने लगी।
मैंने धीरे से एक धक्का लगाया। लण्ड अन्दर जाने के बजाय फिसल गया। एक दो धक्के और लगाए पर लण्ड कभी ऊपर फिसल जाता कभी नीचे वाले छेद में घुस जाता पर गाण्ड के अन्दर नहीं गया। मैं अब तक १०-१२ लड़कियों और औरतों की गाण्ड मार चुका हूँ पर पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। चलो पहले धक्के में तो लण्ड कई बार गाण्ड के अन्दर नहीं जाता पर ऐसा क्या जादू है अनारकली की गांड में कि वो लण्ड को अन्दर नहीं जाने दे रही। माना कि उसकी गांड कि मोरी बहुत टाइट थी, कोरी और अन-चुदी थी पर ऐसा क्या था कि मेरा लण्ड पूरा खड़ा होने के बाद भी अन्दर नहीं जा रहा था।
अनारकली मेरी हालत पर हंसे जा रही थी। फ़िर वो बोली “क्या हुआ मेरे शहजादे प्रेम ?”
“वो .... वो ....” मैं तो कुछ बोलने की हालत में ही नहीं था। मैंने एक धक्का और लगाया पर वोही ढाक के तीन पात।
फ़िर अनारकली बोली- चलो अब एक बार और कोशिश करो। इस बार जैसे ही मैंने उसके छेद पर अपना लण्ड टिका कर जोर का धक्का मारा तो कमाल ही हो गया, मेरा लण्ड ५ इंच तक उसकी गांड में गच्च से घुस गया। अनारकली की दर्द के मारे भयंकर चीख निकल गई,“उई इ .... माँ.... आया ..... मर .... गई ईई ..............!”
और वो चीखते हुए झटके के साथ पेट के बल गिर पड़ी और मैं उसके ऊपर। जैसे ही मैं ऊपर गिरा मेरा बाकी का लण्ड भी अन्दर घुस गया। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। मैं चुपचाप उसके ऊपर पड़ा रहा।
कोई ४-५ मिनट के बाद वो बोली,“कोई ऐसे भी गांड मारी जाती है। मैंने आपको बताया था मेरी गांड अभी कोरी है प्यार से करना पर आप तो अपने मज़े के लिए लड़की को मार ही डालते हो !”
“ओह मुझे माफ़ कर दो मेरी रानी गलती हो गई। सॉरी प्लीज़ !” मैंने उसके गालों को चूमते हुए कहा। अब तक वो कुछ सामान्य हो गई थी।
“अब डाल दिया है तो चलो अपना काँटा निकाल ही लो। लूट लो इस स्वर्ग के दूसरे दरवाजे का मज़ा भी !” अनारकली बोली। मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू कर दिए पर संभल कर।
“अनार एक बात समझ नहीं आई?”
“वो क्या?”
“पहले गांड के अन्दर क्यों नहीं जा रहा था। जब तुमने कहा तब कैसे अन्दर चला गया?”
“असल में मैंने ज्यादा समझदारी दिखाई और तुम्हें थोड़ा तड़फाने के लिए मैंने अपनी गांड को अन्दर भींच लिया था। तेल और चिकनाई लगी होने के कारण लण्ड इधर उधर फिसल रहा था। जब मैंने तुम्हें धक्का लगाने को कहा उस वक्त मैंने अपनी मोरी ढीली छोड़ कर बाहर की ओर जोर लगाया था। मुझे क्या पता था कि तुम तो निरे अनाड़ी ही निकलोगे जैसे कभी गांड मारी ही ना हो और गांड रानी कि महिमा जानते ही नहीं !”
“ओह .. माफ़ कर दो गुरूजी अब गलती नहीं होगी। तुमसे गांड मारना सीख लूँगा। वैसे एक बात बताओ तुम्हें ये ज्ञान भी मधु ने ही दिया है क्या ?”
“नहीं ये ज्ञान तो जब मैं और दीदी पिछले रविवार आश्रम गए थे वहां गुरु माताजी ने दिया था।”
अब मेरे समझ में सब कुछ आ गया कि अधकचरे ज्ञान का कितना बड़ा नुकसान होता है। इसी लिए गुरूजी कहते हैं ज्ञान पात्र को ही देना चाहिए।”
अनारकली अब फ़िर कुतिया स्टाइल में आ गई थी। मैं धक्के पर धक्के मर रहा था। उसकी गाण्ड एकदम रवाँ हो गई थी। लण्ड पूरा अन्दर बाहर हो रहा था। अनारकली को भी मज़ा आने लगा था। जब मेरा लण्ड बाहर आता तो वो उसे अन्दर की ओर खींचती और जब मैं अन्दर घुसाता तो वो बाहर की ओर जोर लगाती। वो भी “आह ह .... उ उह ह उइ इ इ ई.... वाह मेरे राज़ाऽऽऽ.... मेरे शहज़ादे और जोर से .... आह हऽऽ..... उई इ ई माँ.....” करती जा रही थी और मेरे आनन्द क तो पारावार ही नहीं था। मैंने मधु के अलावा कई लड़कियों और औरतों की गाण्ड मारी है पर सबसे खूबसूरत और कसी गाण्ड तो अनारकली की थी। रजनी (मधु की कज़न) और सुधा से भी ज्यादा।
गाण्ड का मज़ा लेते हमें कोई बीस मिनट हो गए थे। इस बीच मैं उसकी चूत में भी उंगली करता रहा और उसके संतरे भी भींचता रहा जिससे वो दो बार झड़ चुकी थी। अब मेरा भी निकलने वाला था। अनारकली की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अन्तिम झटके लगाने शुरू कर दिए। मैंने अनारकली से कहा,“ हिन्दुस्तान आज़ाद होने वाला है मेरी ज़ान !”
तो वो बोली,“ कोई बात नहीं मैं भी किनारे पर हूँ !” और एक मीठी सीत्कार के साथ मेरे लण्ड ने पिचकारियाँ छोड़नी शुरू कर दी। अनारकली की गाण्ड मेरे वीर्य से लबालब भर गई और मेरा तन मन आत्मा सब आनन्द से सराबोर हो गए।
हम दोनों ने एक बार फ़िर बाथरूम में जाकर सफ़ाई की और नंगे ही बैड पर लेट गए। अनारकली मेरी गोद में सिर रखे मेरे लण्ड की ओर मुँह किए लेटी थी। उसने मेरे लण्ड से फ़िर खेलना शुरू कर दिया। मैं उसके गाल और संतरों को सहला रहा था।
मैंने पूछा,“अनारकली एक बात बताओ- तुम मुझसे चुदवाने के लिए इतनी जल्दी कैसे तैयार हो गई?”
“ जल्दी कहाँ ! मुझे पूरे दो महीने लगे हैं तुम्हारे जैसे शहज़ादे को तैयार करने में !”
“क्या मतलब ?” अब मेरे चौंकने की बारी थी।
“अरे मेरे भोले राज़ा मैं तो पहले तुम्हें डी पी और डी डी ही समझती रही !” वो हंसते हुए बोली।
डी पी.... डी डी.... ये क्या बला है?” मैंने हंसते हुए पूछा।
“डी पी मतलब ढिल्लू प्रसाद (लल्लू) और डी डी मायने अपनी पत्नी का देव दास !” वो हंसते हुए बोली। “अखबार गोद में रखना तो आपने बाद में सीखा था !” उसने मेरी ओर आंख मार दी।
मैं समझ गया मधु ने मेरे पत्नी भक्त होने के बारे में बताया होगा कि मैं तो दुनिया की सबसे सुन्दर अप्सरा मधु के अलावा किसी की ओर देखता ही नहीं। मेरी जिन्दगी में उसके अलावा और कोई लड़की आइ ही नहीं। बेचारी मधु !!!
“पर मेरी बात का जवाब तो दिया ही नहीं !”
“ वो दर असल दीदी ने मेरा हाथ देख कर बताया था कि मुझे दो पतियों का योग है यानि मुझे दो पतियों का प्यार मिलेगा। यह देखो ........” और उसने अपना बाएँ हाथ की मुट्ठी बंद करके कनिष्ठा (छोटी) उंगली के ऊपर बनी दो लाईन दिखाई। “मैंने अपनी चूत और गाण्ड बहुत सम्भाल कर रखी हैं एकदम कोरी और अनछुई। मैं तो चाहती थी कि अपना सब कुछ सुहागरात को अपने पति को ही समर्पित करूँ पर दीदी ने जब बताया कि मुझे दो पति मिलेंगे तो मैंने तय किया कि मेरे किसी भी पति के साथ कोई अनहोनी ना ह
वो हैरानी से मेरी ओर देखने लगी।
"मैंने सुना है तुम्हारी शादी हो रही है?"- मैंने पूछा।
"शादी नहीं साहब गौना हो रहा है।"
“हाँ हाँ वही ! पर तुम तो अभी बहुत छोटी हो। इतनी कम उम्र में ??”
“छोटी कहाँ हूँ ! पूरी १८ की हो गई हूँ। और फ़िर गरीब की बेटी तो घरवालों, रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों, शोहदों की नज़र में तो १०-१२ साल की भी जवान हो जाती है। हर कोई उसे लूटने खसोटने के चक्कर में रहता है।”
अनारकली ने माहौल ही संज़ीदा (गम्भीर) बना दिया। मैंने बात को अपने मतलब की ओर मोड़ते हुए कहा,“ चलो वो तो ठीक है पर तुम तो जानती हो मैं .... मेरा मतलब है मधु .... हम सभी तुम्हें कितना प्प्यऽऽ ..... चाहते हैं, तुम हम से दूर चली जाओगी” मैं हकलाता हुआ सा बोला और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। उसने हाथ छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की।
मेरा जी तो कर रहा था कि कह दूँ कि मैं भी तुम्हें चोदने के चक्कर में ही तो लगा हूं, पर कह नहीं पाया।
“हाँ साहब ! मैं जानती हूँ। आप और मधु दीदी तो मुझे बहुत चाहते हो, दीदी तो मुझे छोटी बहन की तरह मानती हैं। दुःख तो मुझे भी है पर ससुराल तो एक दिन जाना ही पड़ता है ना ! क्यों ! मैं गलत तो नहीं कह रही ?”
“ ” मैं चुप रहा।
अनारकली फ़िर बोली,“साहब आप उदास क्यों होते हो ! आपको कोई और नौकरानी मिल जाएगी।”
“पर तुम्हारे जैसी कहाँ मिलेगी !”
“क्यों ऐसा क्या है मुझ में ?”
“अरे मेरी रानी तुम नहीं जानती तुम कितनी सुन्दर हो .... म्म.... मेरा मतलब है तुम हर काम कितने सुन्दर ढंग से करती हो।”
“काम का तो ठीक है पर इतनी सुन्दर कहाँ हूँ?”
“हीरे को अपनी कीमत का पता नहीं होता, कभी मेरे जैसे ज़ोहरी की नज़रों से भी तो देखो ?”
“साहब इतने सपने ना दिखाओ कि मैं उनके टूटने का गम बर्दाश्त ही ना कर पाऊँ !”
“देखो अनारकली मैं सच कहता हूँ, तुम्हारे जाने के बाद मेरा मन बहुत उदास हो जाएगा।”
“मैं जानती हूँ साहब” अनारकली ने अपनी पलकें बंद कर ली।
लोहा गरम हो गया था, जाल बिछ गया था, अब तो बस शिकार फ़ंसने ही वाला था। मैं जबरदस्त ऐक्टिंग करते हुए बोला, “ अनार मुझे लगता है हमारा पिछले जन्म का जरूर कोई रिश्ता है। कहीं तुम पिछले जन्म में अनारकली या मधुबाला तो नहीं थी ?” मैंने पासा फ़ेंका।
मैं आगे बोलने जा ही रहा था कि " और मैं शहज़ादा सलीम " पर मेरे ये शब्द होंठों में ही रह गए।
अनारकली बोली,“मुझे क्या मालूम बाबूजी, आप तो मुझे सपने ही दिखा रहे हैं” अनारकली की आँखें अब भी बंद थी वो कुछ सोच रही थी।
“मैं तुम्हें कोई सपना नहीं दिखा रहा बिल्कुल सच कहता हूँ मैं तुम्हें इन दो महीनो में ही कितना चाहने लगा हूँ अगर मेरी शादी नहीं हुई होती तो मैं तुम्हें ही अपनी दुल्हन बना लेता !”
“साहब मैं तो अब भी आपकी ही हूँ !”
मेरा दिल उछलने लगा। मछली फंस गई। मेरा लंड तो इस समय कुतुब मीनार बना हुआ था। एक दम १२० डिग्री पर अगर हाथ भी लगाओ तो टन्न की आवाज आए।
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लेना चाहा पर कुछ सोच कर केवल उसकी ठुड्डी को थोड़ा सा उठाया और अपने होंठ उसकी और बढाए ही थे कि उसने अपनी आँखें खोली और मुझे अपनी ओर बढ़ते हुए देख कर अचानक उठ खड़ी हुई। मेरा दिल धक् से रह गया कहीं मछली फिसल तो नहीं जा रही।
“नहीं मेरे शहजादे इतनी जल्दी नहीं। तुम्हारे लिए हो सकता है ये खेल हो या टाइम पास का मसाला हो पर मेरे लिए तो जिन्दगी का अनमोल पल होगा। मैं इतनी जल्दबाजी में और इस तरीके से नहीं गुजारना पसंद करुँगी ”
“प्लीज़ एक बार मेरी अनारकली बस एक बार !” मैं गिड़गिड़ाया। मैं तो अपनी किल्ली ठोक देने पर उतारू था।
पर वो बोली,“सब्र करो मेरे परवाने इतनी भी क्या जल्दी है। आज की रात को हम यादगार बनायेंगे !”
“पर रात में तुम कैसे आओगी ?? तुम्हारे घरवाले ?” मैंने अपनी आशंका बताई।
“वो मुझ पर छोड़ दो। आप नहीं जानते, जब आप टूर पर कई कई दिनों के लिए बाहर जाते हो, मैं दीदी के पास ही तो सोती हूँ मेरे घरवालों को पता है ” अनारकली ने मेरे होंठों पर अंगुली रखते हुए कहा।
मैं गुमसुम मुंह बाए वहीँ खड़ा रह गया। अनारकली चाय बनने रसोई में चली गई।
मैं सोचने लगा कहीं वो मुझे मामू (चूतिया) तो नहीं बना गई ?
ये साला सक्सेना भी एक नम्बर का गधा है। (अरे यार ! हमारा पड़ोसी !). हर सही चीज ग़लत समय पर करेगा। रात को ११ बजे भजन सुनेगा और सुबह सुबह फरीदा खानम की ग़ज़ल। अब भी उसके फ्लैट (हमारे बगलवाले) से डेक पर सुन रहा है_
यूँ ही पहलू में बैठे रहो !
आज .... जाने की जिद ना ....करो !!
पर आज मुझे लगा कि उसने सही गाना सही वक्त पर लगाया है।
आज शुक्रवार का दिन था। ऑफिस में कोई ख़ास काम नहीं था। मैंने छुट्टी मार ली। दिन में अनारकली के लिए कुछ शोपिंग की। मेरा पप्पू तो टस से मस ही नहीं हो रहा था रात के इन्तजार में। एक बार तो मन किया की मुठ ही मार लूँ पर बाद में किसी तरह पप्पू को समझाया “थोड़ा सब्र करना सीखो ”
रात कोई १०.३० बजे अनारकली चुपचाप बिना कॉल बेल दबाये अन्दर आ गई और दरवाजा बंद कर दिया। मैं तो ड्राइंग रूम में उसका इन्तजार ही कर रहा था। एक भीनी सी कुंवारी खुशबू से सारा ड्राइंग रूम भर उठा।
उसके आते ही मैं दौड़ कर उससे लिपट गया और दो तीन चुम्बन उसके गालों होंठो पर तड़ा तड़ ले लिए। वो घबराई सी मुझे बस देखती ही रह गई।
“ओह .. फिर उतावलापन मेरे शहजादे हमारे पास सारी रात पड़ी है जल्दी क्या है ?”
“मेरी अनारकली अब मुझसे तुम्हारी ये दूरी सहन नहीं होती !”
“पहले बेडरूम में तो चलो !”
मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेडरूम में आ गया। अब मेरा ध्यान उसकी ओर गया। पटियाला सूट पहने, बालों में पंजाबी परांदा (फूलों वाली चोटी), होंठों पर सुर्ख लाली। मैं तो बस उसे देखता ही रह गया। सूट में टाइट कसे हुए उसके उन्नत उरोज पतली कमर, मोटे नितम्ब मैं अपने आप को काबू में कहाँ रख पाता। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसने भी अपनी आँखें बंद कर ली।
“मेरी अनारकली !”
“हाँ मेरे शहजादे !”
“मुझे तो विश्वास ही नहीं था कि तुम आओगी। मुझे तो लग रहा है कि मैं अब भी सपना देख रहा हूँ !”
“नहीं मेरे शहजादे ! ये ख्वाब नहीं हकीकत है। ख्वाब तो मेरे लिए हैं !”
“वो क्यों ?”
“मेरा मन डर रहा है कहीं तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे। अनारकली कि किस्मत में तो दीवार में चिनना ही लिखा होता है !”
“नहीं मेरी अनारकली मै तुमसे प्यार करता हूँ तुम्हें कैसे धोखा दे सकता हूँ ” मैंने कह तो दिया पर बाद में सोचा अगर उसने पूछ लिया क्या मधु के साथ ये धोखा नहीं है तो मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा। मैंने उससे कहा “अनारकली मैं शादी शुदा हूँ अपनी बीवी को तो नहीं छोड़ सकता पर तुम्हें भी उतना ही प्यार करता रहूँगा जितना मधु से करता हूँ। ”
“मुझे यकीन है मेरे शहजादे !”
अनु जिस तरीके से बोल रही थी मैं सोच रहा था कहीं अनारकली सचमुच ‘मुग़ल-ऐ-आज़म’ तो नहीं देख कर आई है।
अब देरी करना कहाँ की समझदारी थी। मैंने पूरा नाटक करते हुए पास पड़ी एक छोटी सी डिबिया उठाई और उसमें से एक नेकलेस (सोने का) निकाला और अनारकली के गले में डाल दिया। (इस मस्त हिरणी क़यामत के लिए ५-१० हज़ार रुपये की क्या परवाह थी मुझे)
अनारकली तो उसे देखकर झूम ही उठी और पहली बार उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूम लिए। मैंने उसके कपड़े उतार दिए और अपना भी कुरता पाजामा उतार दिया।
उसने लाइट बंद करने को कहा तो मैंने मना कर दिया। हमारे प्यार का भी तो कोई गवाह होना चाहिए। वो बड़ी मुश्किल से मानी।
मैं सिर्फ़ चड्डी में था। अनारकली ब्रा और पैन्टी में। ये वोही ब्रा और पैन्टी थी जो मैंने उसे १०-१५ दिन पहले लाकर दी थी। वो पूरी तैयारी करके आई थी।
मैं तो उसका बदन देखता ही रह गया। मैंने उसे बाहों में भर लिया और ब्रा के हुक खोल दिए .....
एक दम मस्त कबूतर छलक कर बाहर आ गए, गोरे गोरे छोटे नाज़ुक मुलायम ! एरोला कोई १.५ या २ इन्च का गहरे गुलाबी रंग के चुचूक मटर के दाने जितने।
मैंने उनको मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। वो ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगी। मैं एक हाथ से एक अनार दबा रहा था और उसके नितम्बों पर कभी पीठ पर घुमा रहा था। उसके हाथ मेरे सिर पर और पीठ पर घूम रहे थे। कोई दस मिनट तक मैंने उसके स्तनों को चूसा होगा। अब मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। उसने शर्म के मारे अपने हाथ चूत पर रख लिए।
मैंने कहा- "मेरी रानी ! हाथ हटाओ !"
तो वो बोली- "मुझे शर्म आती है !"
मैंने कहा,“ अगर शर्म आती है तो अपने हाथ अपनी आँखों पर रखो, इस प्यारी चीज़ पर नहीं, अब इस पर तुम्हारा कोई हक नहीं रहा। अब यह मेरी हो गई है !”
“हाँ मेरे शहज़ादे ! अब तो मैं सारी की सारी तुम्हारी ही हूँ !”
मैंने झट से उसके हाथ परे कर दिए। वाह !! क्या कयामत छुपा रखी थी उसने ! पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई लाल सुर्ख चूत मेरे सामने थी, बिल्कुल गोरी चिट्टी! झाँटों का नाम निशान ही नहीं, जैसे आज़ ही उसने अपनी झाँट साफ़ की हो। चूत की फ़ांकें संतरे की फ़ांकों जितनी मोटी और रस भरी। अन्दर के होंठ हल्के गुलाबी और कोफ़ी रंग के आपस में जुड़े हुए। चूत का चीरा कोई चार इन्च क गहरी पतली खाई जैसे। चूत का दाना मटर के दाने जितना बड़ा सुर्ख लाल बिल्कुल अनारदाने जैसा। गोरी जांघें संगमरमर की तरह चिकनी। दांई जांघ पर एक तिल। चूत की प्यारी पड़ोसन (गाण्ड) के दर्शन अभी नहीं हुए थे क्योंकि अनारकली अभी लेटी थी और उसके पैर भींचे हुए थे।
मैंने उसके पैरों को थोड़ा फ़ैलाया तो गाण्ड का छेद भी नज़र आया। छेद बहुत बड़ा तो नहीं पर इतना छोटा भी नहीं था, हल्के भूरे रंग का बिल्कुल सिकुड़ा हुआ चिकना चट्ट्। उस छेद की चिकनाहट देख कर मुझे हैरानी हुई कि यह छेद इतना चिकना क्यों है !
बाद में मुझे अनारकली ने बताया था कि वो पूरी तैयारी करके आई थी। उसने अपनी झाँट आज़ ही साफ़ की थी और चूत और गाण्ड दोनों पर उसने मेरी दी हुई खुशबू वाली क्रीम भी लगाई थी।
मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और अपने जलते होंठ उसकी गुलाबी चूत की फ़ांकों पर रख दिए। वो जोर जोर से सीत्कारने लगी। उसकी कुँवारी चूत की महक से मेरा तन मन सब सराबोर हो गया। एक चुम्मा लेने के बाद मैंने जीभ से उसकी अन्दर वाली फ़ांकें खोली और अपनी जीभ उसके अन्दर डाल दी।
उसने अपनी दोनों जांघें ऊपर मोड़ कर मेरे गले में कैंची की तरह डाल दी और मेरे सिर के बाल पकड़ लिए। मैं मस्त हुआ उसकी चूत चूसे चाटे जा रहा था। कोई दस मिनट तक मैंने उसकी चूत चाटी होगी। वो मस्त हुई सीत्कार किए जा रही थी और बड़बड़ा रही थी,“ मेरे शहज़ादे ! मेरे सलीम ! साहब जी ! ......”
अब उसके झड़ने का वक्त नज़दीक आ रहा था, वो जोर जोर से चिल्ला रही थी और जोर से चूसो ! और जोर से चूसो ! मज़ा आ रहा है !
मेरा लण्ड चड्डी में अपना सिर धुन रहा था। मैंने एक हाथ से उसके एक संतरे को कस कर पकड़ लिया और उसे मसलने लगा। दूसरे हाथ की तर्ज़नी उंगली से उसकी नर्म चिकनी गाण्ड का छेद टटोलने लगा। जब छेद मिल गया तो मैंने तीन काम एक साथ किए। पहला उसकी एक चूची को मसलना, दूसरा चूत को पूरा मुंह में ले कर जोर से चूसना और तीसरा अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड के छेद में डाल दी।
उसका शरीर पहले से ही अकड़ता जा रहा था, उसकी जांघें मेरे गले के गिर्द जोर से लिपटी हुई थी। उसने एक जोर की किलकारी मारी और उसके साथ ही वो झड़ गई। उसकी चूत से कोई दो चम्मच शहद जैसा खट्टा मीठा नमकीन नारियल पानी जैसे स्वाद वाला काम रस निकला जिससे मेरा मुंह भर गया। मैं उसे पूरा पी गया। फ़िर वो शांत पड़ गई। औरत को स्खलित करवाने का यह सबसे बढ़िया तरीका है, समझो ' राम बाण ' है। मधु को झड़ने में कई बार जब देर लगती है तो मैं यही नुस्खा अपनाता हूँ।
मैंने अपनी चड्डी निकाल फेंकी। मेरा शेर दहाड़े मारने लगा था। आज तो उसका जलाल देखने लायक था। ७” का मोटा गेहुंआ रंग १२० डिग्री में मुस्तैद जंग लड़ने वाले सिपाही की तरह। मैंने अनारकली से उसे प्यार करने को कहा तो वो बोली “नही आज नहीं चूस सकती !” मैंने जब इसका कारण पूछा तो वो बोली “आज मेरा शुक्रवार का व्रत है नहीं तो मैं आपको निराश नहीं करती। मैं जानती हूँ इस अमृत को पीने से आंखों की ज्योति बढ़ती है और पति की उमर, पर क्या करूं ये कुछ खट्टा सा होता है न और शुक्रवार के व्रत में खट्टा नहीं खाया पीया जाता !”
मैंने कहा मैं पानी मुंह में नहीं निकालूँगा बस एक बार तुम इसे मुंह में लेकर चूस लो। तो वो मान गई और अपने घुटनों के बल बैठकर मेरा लण्ड चूसने लगी। पहले उसने उसे चूमा फ़िर जीभ फिराई और बाद में अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। मेरे लण्ड ने २-३ टुपके प्री-कम के छोड़ ही दिए पर लण्ड चूसने की लज्जत में उसे कुछ पता नहीं चला। जब मुझे लगने लगा कि अब मामला गड़बड़ हो सकता है मैंने अपना लण्ड उसके मुंह से बाहर निकाल लिया।
अब तो बस यू पी, बिहार (चूत और गाण्ड) लूटने का काम रह गया था। मैंने उसे सीधा लेटा दिया। अपनी तर्जनी अंगुली पर थूक लगाया और उसकी पहले से ही गीली चूत में गच्च से डाल दी तो वो चिहुंकी, “ऊईई .... माँ .....”
अब देर करना कहाँ की समझदारी थी मैंने झट से अपना लण्ड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक जोर का धक्का लगाया। आधा लण्ड गप्प से उसकी रसीली चूत में चला गया। एक दो झटकों के साथ ही मेरा पूरा का पूरा ७” का लण्ड उसकी चूत में फिट हो गया। वो थोड़ा सा चिहुंकी पर बाद में सीत्कार के साथ आ .... उईईई ..... आँ ..... करने लगी। मुझे शक हुआ कहीं उसकी चूत पहले से चुदी तो नहीं है?
मैंने उसे पूछ ही लिया,“क्यों मेरी अनारकली ! ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ ?”
वो मुस्कराते हुए बोली “मैं जानती हूँ कि आप क्या पूछना चाहते हैं ?”
“क्या ?”
“कि मेरी सील टूटने पर खून क्यों नहीं निकला और पहली बार लण्ड लेने पर भी मैं चीखी चिल्लाई क्यों नहीं?”
“हूँ .... हाँ ”
तो सुनिए “मेरी चूत और गाण्ड दोनों ही अन-चुदी और कुंवारी हैं और आज पहला लण्ड आपका ही उसके अन्दर गया है। पर मेरी चूत की सील पहले से ही टूटी है?”
“वो कब .... ये कैसे हुआ?” सुनकर मुझे बड़ी हैरानी हुई।
“दर असल कोई ९-१० महीने पहले एक दिन बापू ने अम्मा को बहुत बुरी तरह चोदा था। उस रात मैं और छोटे भाई बहन एक कोने में दुबके पड़े थे। हमारे घर में एक ही कमरा है न।
बापू बता रहे थे की उन्होंने कोई ११ नम्बर की गोली खाई है। (वो वियाग्रा की बात कर रही थी)
उनका गधे जैसा लण्ड कोई ८-९ इंच का तो जरूर होगा। अम्मा की दो तीन बार जमकर चुदाई की और एक बार गाण्ड मार कर उसे अधमरी करके ही उन्होंने छोड़ा था। ये जो नया कैलेंडर आया है शायद उसी रात का कमाल है। मैं जाग रही थी। मैंने पहली बार अपनी चूत में अंगुली डाल कर देखी थी। मुझे बहुत मज़ा आया। जब मैं बहुत उत्तेजित हो गई तो मैं पानी पीने के बहाने के बाहर आई और रसोई में जाकर वहाँ रखी एक मोटी ताज़ी मूली पड़ी देखी जो बापू के लण्ड के आकार की लग रही थी। मैंने उसे थोड़ा सा आगे से तोड़ा और सरसों का तेल लगाकर एक ही झटके में अपनी कुंवारी चूत में डाल दिया। मेरी दर्द के मारे चीख निकल गई और चूत खून से भर गई। मुझे बहुत दर्द हुआ। मैं समझ गई मेरी सील टूट गई है .” उसने एक ही साँस में सब कुछ बता दिया था।
फ़िर थोड़ी देर बाद बोली “अरे रुक क्यों गए धक्के क्यों बंद कर दिए?”
मैंने दनादन ४-५ धक्के कस कर लगा दिए। अब तो मेरा लण्ड दुगने उत्साह से उसे चोद रहा था। क्या मक्खन मलाई चूत थी। बिल्कुल मधु की तरह। सील टूटने के बाद भी एक दम कसी हुई।
उसकी चुदाई करते मुझे कोई २० मिनट तो हो ही गए थे। उसकी चूत इस दौरान २ बार झड़ गई थी और अब मेरा शेर भी किनारे पर आ गया था। मैंने उसे बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ तो वो बोली अन्दर ही निकाल दो। मैंने उससे कहा कि अगर कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा?
तो वो बोली “मेरे शहजादे मैं तो कब से इस अमृत की प्यासी हूँ अगर बच्चा ठहर गया तो भी कोई बात नहीं, १५ दिनों बाद गौना होने वाला है। तुम्हारे प्यार की निशानी मान कर अपने पास रख लूंगी, किसी को क्या पता चलेगा !”
और फ़िर मैंने ८-१० करारे झटके लगा दिए। मेरे लण्ड ने जैसे ही पहली पिचकारी छोड़ी ड्राइंग रूम में लगी दीवाल घड़ी ने भी टन्न टन्न १२ घंटे बजा दिए और मेरे लण्ड से भी दूसरी तीसरी चौथी ............ पिचकारियाँ निकलती चली गई। अनार अब मेरी यानी प्रेम की अनारकली बन चुकी थी।
हम लोग कोई १० मिनट इसी तरह पड़े रहे।
फ़िर अनारकली बोली “मेरे शहजादे आपने मुझे अपनी अनारकली तो बना दिया पर मेरी मांग तो भरी ही नहीं?”
मैंने अपना अंगूठा उसकी चूत में घुसा कर अपने वीर्य और चूतरस में डुबो कर उसकी मांग भर दी और उसके होंठों पर एक चुम्बन ले लिया। उसने भी नीचे झुककर मेरे पाऊँ छू लिए और मेरे गले से लिपट गई।
फ़िर हम उठाकर बाथरूम में गए और सफाई करी। सफाई करते समय मैंने देखा था उसकी चूत फूल सी गई थी और बाहर के होंठ भी सूज कर मोटे हो गए थे।
! यानि उम्मीद से दुगने ! !
उसने मेरे लण्ड पर एक चुम्मा लिया और मैंने भी उसकी चूत पर एक चुम्मा लेकर उसका धन्यवाद किया।
वो एक बार फ़िर मेरा लण्ड लेकर चूसने लगी। ५ मिनट चूसने के बाद मेरा लण्ड फ़िर खड़ा हो गया। मैंने उससे कहा “डारलिंग अब मैं तुम्हें घोड़ी बनाकर चोदना चाहता हूँ !”
तो वो बोली “अब घोड़ी बनाओ या कुतिया क्या फर्क पड़ता है पर पानी अन्दर मत छोड़ना ”
मैंने हैरानी से पूछा “क्यों एक बार तो अन्दर ले ही चुकी हो ”
तो वो बोली “ये अन्दर की बात है तुम नहीं समझोगे !”
मुझे बड़ी हैरानी हुई। मैंने उसे घोड़ी बनाकर जल्दी से लण्ड अन्दर डाला और १५-२० धक्के लगा दिए। उसके गोल गोल सिंदूरी आमों जैसे उरोज के बीच फंसा सोने का लोकेट ऐसे लग रहा था जैसे घड़ी का पेंडुलम। अनारकली तो मस्त हुई आह .... उह्ह .... उईईइ .... करती जा रही थी। मैं जोर जोर से धक्के लगा रहा था। उसकी गाण्ड ऐसे खुल और बंद हो रही थी जैसे कोई सीटी बजा रहा हो मैंने अपनी एक अंगुली पर थूक लगाया और उसकी गाण्ड में पेल दी।
अनारकली एक झटके से अलग हो गई और बोली बस अब खेल खत्म ! और वो खड़ी हो गई। उसने एक बार मेरे लण्ड को फ़िर धोया और चूम लिया।
अब मैंने उसे गोद में उठाया और फ़िर बेड पर लाकर लिटा दिया। मैं बेड पर सिराहने की ओर बैठ गया और अनारकली मेरी गोद में सर रख कर लेट गई। मैंने पूछा “मेरी जान कैसी लगी पहली चुदाई?”
“जैसा मधु दीदी ने बताया था बिल्कुल वैसी ही रही !”
अब चौंकने की बारी मेरी थी। “क्या कह रही हो? मधु को कैसे? पता क्या .... मधु .... ??”
“अरे घबराओ नहीं मेरे सैंया वो बेचारी तो सपने में भी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं जान सकती और सोच सकती !”
“तो फ़िर ”
“दर असल दीदी मेरे से कुछ नहीं छिपाती। वो तो मुझे अपनी छोटी बहन ही मानती हैं और जब से उन्हें मेरे गौने के बारे में पता लगा है उन्होंने मुझे चुदाई की सारी ट्रेनिंग देनी भी शुरू कर दी है।”
“क्या क्या बताया उसने?” मैंने पूछा
“सब कुछ ! सुहागरात के बारे में ! चुदाई के आसनों के बारे में ! चूत लण्ड और गाण्ड के बारे में !”
“अरे क्या उसने साफ़ साफ़ इनका नाम लिया?”
“नहीं उन्होंने तो पता नहीं कोई ' काम-दंड ',' रस-कूप ' और ' प्रेम-द्वार ', ' प्रेम मिलन ' पता नहीं क्या क्या नाम ले रही थी?”
“तो फ़िर तुम क्यों इनका वैसे ही नाम नहीं लेती?”
“अरे बाबू क्या फर्क पड़ता है? चुदाई को प्रेम मिलन कहो या मधुर मिलन। छुरी खरबूजे पर पड़े या खरबूजा छुरी पर मतलब तो खरबूजे को कटना ही है। अब लण्ड को काम-दंड बोलो या चूत को बुर या प्रेम-द्वार, चुदना और फटना तो चूत को ही पड़ेगा ना? ये तो पढ़े लिखे लोगों का ढकोसला है। अपनी पत्नी या प्रेमिका को अपने शब्दजाल में फंसा कर उसे खुश करने का बहाना है कि वो उसे प्यार करता है मतलब तो चुदाई से ही है ना। अपने नंगेपन के ऊपर परदा डालने का एक तरीका है। क्या किसी कड़वी गोली के ऊपर शहद की चाशनी लगा देने से उस दवाई का असर ख़त्म हो जाएगा?”
अनारकली का दर्शन शास्त्र (फलसफ़ा) सुनकर मैं तो हक्का बक्का रह गया। मेरा सेक्स का सारा ज्ञान इसके आगे जैसे फजूल था। मैंने फ़िर उससे पूछा “उसने और क्या क्या बताया है?”
तो वो बोली,“बहुत कुछ .... वो तो मेरी गुरु है !”
ऐसा नहीं है कि मैं चुपचाप उसकी बातें ही सुन रहा था। मैं उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था और वो मेरे लण्ड से खेल रही थी। उसने पाँव ऊपर उठा रखे थे और अपने नितम्बों पर धीरे धीरे मार रही थी। जब भी उसकी एड़ी नितम्ब को छूती तो उसके नितम्ब दब जाते और जोर से हिलते। मैंने जब उसके गोल गोल नितम्बों की ओर देखा और मेरा मन उसकी नरम नाज़ुक गुलाबी गाण्ड मारने को उतावला हो गया। ख़याल आते ही मेरे लण्ड ने एक ठुमका लगाया और फ़िर से चुस्त दरुस्त हो गया। अनार ने तड़ से एक चुम्मा उस पर ले ही लिया और मैंने चूत कि सुनहरी पड़ोसन के मुंह में अपनी एक अंगुली डाल दी।
अनार कली थोड़ी सी चिहुंकी “ऊईई माँ ...... क्या कर रहे हो ?”
मैंने उसके होंठों पर एक चुम्मा ले लिया। मैं अभी उसे गाण्ड मरवाने के लिए कहने की सोच ही रहा था की वो बोल पड़ी “दीदी सच कहती थी !”
“क्या?”
“कि सब मर्द एक जैसे होते हैं !”
“क्या मतलब?”
“वो आपके बारे में भी एक बात कहती थी !”
“वो क्या?”
“कि तुम चूत भले ही मारो या न मारो पर गाण्ड के बहुत शौकीन हो। मैं जानती हूँ तुम गाण्ड मारे बिना नहीं मानोगे। पर मेरे शहजादे मैं उसकी भी पूरी तैयारी करके आई हूँ !”
मैं तो हक्का बक्का बस उसे देखता ही रह गया। मधु बेचारी को क्या पता कि उसने कितनी बड़ी गलती की है अनारकली को सब कुछ समझाकर। पर चलो ! मेरे लिए तो बहुत ही अच्छी बात है।
मधु डार्लिंग ! इसी लिए तो तुम को मैं इतना प्यार करता हूँ। गुरूजी ठीक कहते हैं गीता में भगवान् कृष्ण ने कहा है “हे अर्जुन ! इस ज्ञान को केवल पात्र मनुष्य को ही देना चाहिए !”
अनारकली से ज्यादा अच्छा पात्र भला कौन हो सकता था। अब साड़ी बातें मेरी समझ में आ गई कि ये दोनों अन्दर क्या खुसर फुसर करती रहती हैं।
“तो क्या तुम तैयार हो ?”
“नेकी और पूछ पूछ पर एक ध्यान रखना मेरी गाण्ड में अब तक दीदी कि अंगुली के सिवा कोई दूसरी चीज नहीं गई है एक दम कोरी और अनछुई है। प्यार से करना और धक्के जोर से नहीं समझे मेरे एस .एस .एस। (ट्रिपल एस)”
“ये एस .एस .एस। क्या होता है?”
“शौदाई शहजादा सलीम ”
मेरी हँसी निकल गई। शौदाई पागल प्रेमी को कहते हैं। फ़िर मैंने उससे पूछा “पर तुम तो कह रही थी कि तुमने इसकी भी तैयारी कर रखी है फ़िर डर कैसा। प्लीज़ बताओ क्या क्या तैयारी की है ?”
“दीदी बता रही थी कि गाण्ड रानी की महिमा बहुत बड़ी है। चूत तो दो चार बार चुदने से ढीली हो जाती है पर गाण्ड मर्जी आए जितनी मारो लो उतनी ही टाइट रहती है। हाँ लगातार मारते रहने से उसके चारों और काला घेरा जरूर बन जाता है। गाण्ड मरवाने से नितम्ब भी भारी और सुंदर बनते हैं। गाण्ड मारने और मरवाने का अपना ही सुख और आनंद है। पहले पहले सभी औरतों को डर लगता है पर एक बार गाण्ड मरवाने का चस्का लग जाए तो फ़िर रोज गाण्ड मरवाने को कहती है। गाण्ड मरवाने से पति और प्रेमी का प्यार बढ़ता है !”
“पर मधु तो मुझे से गाण्ड मरवाने में बहुत नखरे करती है ”
“अरे बाबू वो तो बस तुम्हें अपने ऊपर लट्टू करने का नाटक है अगर एक बार मांगने से ही गाण्ड मिल जाए तो वो मज़ा नहीं आता। जिस चीज को जितना मना करो उतना ही ज्यादा करने को मन करता है !”
“ओह .....” साली मधु की बच्ची मेरे साथ इतना नाटक। फ़िर मैंने कहा “और वो तैयारी वाली बात?”
“जो लड़की या औरत पहली बार गाण्ड मरवाने जा रही उनके लिए एक टोटका दीदी ने बताया था !”
“हूँ .... क्या ?”
“लड़की को उकडू बैठ जाना चाहिए और बोरोलीन या कोई और क्रीम की मटर के दाने जितनी मात्रा अपनी अंगुली पर लगा कर धीरे से गाण्ड के छेद पर लगा लो फ़िर उठकर खड़ी हो जाओ। अब फ़िर नीचे उसी तरह बैठ कर अपनी गाण्ड को छोटे शीशे में देखो जितनी दूर वो क्रीम फ़ैल गई है अगर लण्ड की मोटाई उतनी ही है या कम, तो डरने की कोई बात नहीं है उतना मोटा लण्ड गाण्ड रानी आसानी से झेल लेगी। हाँ एक बात और जिस दिन गाण्ड मरवाने का हो उस दिन दिन में २-३ बार कोई क्रीम वैसलीन या तेल जरूर अपनी महारानी के अन्दर लगा लेना चाहिए !”
“अरे मेरी प्यारी अनारकली तू तो सचमुच मेरी भी गुरु बन गई है मैं तो ऐसे ही अपने आप को प्रेम (लव/सेक्स) गुरु समझता रहा हूँ !”
अब स्वर्ग के दूसरे द्वार का उदघाटन करने का वक्त आ गया था। मैंने अनारकली को घुटनों के बल कुतिया स्टाइल में कर दिया। वो मेरी और देखकर मुस्कराई और फ़िर मेरे होंठों पर एक चुम्मा लेकर बोली “वैसलीन लगना न भूलना !”
“ठीक है मेरी गुरूजी !”
अनारकली की मस्त गुलाबी गाण्ड का छेद अब ठीक मेरे सामने था। उसका छोटा सा गुलाबी छेद खुल और सिकुड़ रहा था। मैंने प्यार से उस पर अपनी अंगुली फिराई और अपनी जीभ की नोक उस पर टिका कर ऊपर से नीचे घुमाई। अनारकली की किलकारी हवा में गूंज उठी। मुझे लगा कि उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया है। फ़िर मैंने बोरोलीन की ट्यूब उठाई और उसका ढक्कन खोल कर उसकी टिप अनारकली की गाण्ड के छेद के अन्दर थोड़ी सी फंसा कर आधी ट्यूब अंदर खाली कर दी।
अनारकली थोड़ा सा कुनमुनाते हुए बोली “ओह .... क्या कर रहे हो गुदगुदी होती है !”
“बस हो गया मेरी जान !” अब मैंने अपने लण्ड पर भी क्रीम लगाई और अपने लण्ड का सुपारा उसकी गाण्ड के खुलते बंद होते छेद पर टिका दिया।
अनारकली शायद हनुमान चालीसा पढने लगी।
मैंने धीरे से एक धक्का लगाया। लण्ड अन्दर जाने के बजाय फिसल गया। एक दो धक्के और लगाए पर लण्ड कभी ऊपर फिसल जाता कभी नीचे वाले छेद में घुस जाता पर गाण्ड के अन्दर नहीं गया। मैं अब तक १०-१२ लड़कियों और औरतों की गाण्ड मार चुका हूँ पर पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। चलो पहले धक्के में तो लण्ड कई बार गाण्ड के अन्दर नहीं जाता पर ऐसा क्या जादू है अनारकली की गांड में कि वो लण्ड को अन्दर नहीं जाने दे रही। माना कि उसकी गांड कि मोरी बहुत टाइट थी, कोरी और अन-चुदी थी पर ऐसा क्या था कि मेरा लण्ड पूरा खड़ा होने के बाद भी अन्दर नहीं जा रहा था।
अनारकली मेरी हालत पर हंसे जा रही थी। फ़िर वो बोली “क्या हुआ मेरे शहजादे प्रेम ?”
“वो .... वो ....” मैं तो कुछ बोलने की हालत में ही नहीं था। मैंने एक धक्का और लगाया पर वोही ढाक के तीन पात।
फ़िर अनारकली बोली- चलो अब एक बार और कोशिश करो। इस बार जैसे ही मैंने उसके छेद पर अपना लण्ड टिका कर जोर का धक्का मारा तो कमाल ही हो गया, मेरा लण्ड ५ इंच तक उसकी गांड में गच्च से घुस गया। अनारकली की दर्द के मारे भयंकर चीख निकल गई,“उई इ .... माँ.... आया ..... मर .... गई ईई ..............!”
और वो चीखते हुए झटके के साथ पेट के बल गिर पड़ी और मैं उसके ऊपर। जैसे ही मैं ऊपर गिरा मेरा बाकी का लण्ड भी अन्दर घुस गया। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। मैं चुपचाप उसके ऊपर पड़ा रहा।
कोई ४-५ मिनट के बाद वो बोली,“कोई ऐसे भी गांड मारी जाती है। मैंने आपको बताया था मेरी गांड अभी कोरी है प्यार से करना पर आप तो अपने मज़े के लिए लड़की को मार ही डालते हो !”
“ओह मुझे माफ़ कर दो मेरी रानी गलती हो गई। सॉरी प्लीज़ !” मैंने उसके गालों को चूमते हुए कहा। अब तक वो कुछ सामान्य हो गई थी।
“अब डाल दिया है तो चलो अपना काँटा निकाल ही लो। लूट लो इस स्वर्ग के दूसरे दरवाजे का मज़ा भी !” अनारकली बोली। मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू कर दिए पर संभल कर।
“अनार एक बात समझ नहीं आई?”
“वो क्या?”
“पहले गांड के अन्दर क्यों नहीं जा रहा था। जब तुमने कहा तब कैसे अन्दर चला गया?”
“असल में मैंने ज्यादा समझदारी दिखाई और तुम्हें थोड़ा तड़फाने के लिए मैंने अपनी गांड को अन्दर भींच लिया था। तेल और चिकनाई लगी होने के कारण लण्ड इधर उधर फिसल रहा था। जब मैंने तुम्हें धक्का लगाने को कहा उस वक्त मैंने अपनी मोरी ढीली छोड़ कर बाहर की ओर जोर लगाया था। मुझे क्या पता था कि तुम तो निरे अनाड़ी ही निकलोगे जैसे कभी गांड मारी ही ना हो और गांड रानी कि महिमा जानते ही नहीं !”
“ओह .. माफ़ कर दो गुरूजी अब गलती नहीं होगी। तुमसे गांड मारना सीख लूँगा। वैसे एक बात बताओ तुम्हें ये ज्ञान भी मधु ने ही दिया है क्या ?”
“नहीं ये ज्ञान तो जब मैं और दीदी पिछले रविवार आश्रम गए थे वहां गुरु माताजी ने दिया था।”
अब मेरे समझ में सब कुछ आ गया कि अधकचरे ज्ञान का कितना बड़ा नुकसान होता है। इसी लिए गुरूजी कहते हैं ज्ञान पात्र को ही देना चाहिए।”
अनारकली अब फ़िर कुतिया स्टाइल में आ गई थी। मैं धक्के पर धक्के मर रहा था। उसकी गाण्ड एकदम रवाँ हो गई थी। लण्ड पूरा अन्दर बाहर हो रहा था। अनारकली को भी मज़ा आने लगा था। जब मेरा लण्ड बाहर आता तो वो उसे अन्दर की ओर खींचती और जब मैं अन्दर घुसाता तो वो बाहर की ओर जोर लगाती। वो भी “आह ह .... उ उह ह उइ इ इ ई.... वाह मेरे राज़ाऽऽऽ.... मेरे शहज़ादे और जोर से .... आह हऽऽ..... उई इ ई माँ.....” करती जा रही थी और मेरे आनन्द क तो पारावार ही नहीं था। मैंने मधु के अलावा कई लड़कियों और औरतों की गाण्ड मारी है पर सबसे खूबसूरत और कसी गाण्ड तो अनारकली की थी। रजनी (मधु की कज़न) और सुधा से भी ज्यादा।
गाण्ड का मज़ा लेते हमें कोई बीस मिनट हो गए थे। इस बीच मैं उसकी चूत में भी उंगली करता रहा और उसके संतरे भी भींचता रहा जिससे वो दो बार झड़ चुकी थी। अब मेरा भी निकलने वाला था। अनारकली की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अन्तिम झटके लगाने शुरू कर दिए। मैंने अनारकली से कहा,“ हिन्दुस्तान आज़ाद होने वाला है मेरी ज़ान !”
तो वो बोली,“ कोई बात नहीं मैं भी किनारे पर हूँ !” और एक मीठी सीत्कार के साथ मेरे लण्ड ने पिचकारियाँ छोड़नी शुरू कर दी। अनारकली की गाण्ड मेरे वीर्य से लबालब भर गई और मेरा तन मन आत्मा सब आनन्द से सराबोर हो गए।
हम दोनों ने एक बार फ़िर बाथरूम में जाकर सफ़ाई की और नंगे ही बैड पर लेट गए। अनारकली मेरी गोद में सिर रखे मेरे लण्ड की ओर मुँह किए लेटी थी। उसने मेरे लण्ड से फ़िर खेलना शुरू कर दिया। मैं उसके गाल और संतरों को सहला रहा था।
मैंने पूछा,“अनारकली एक बात बताओ- तुम मुझसे चुदवाने के लिए इतनी जल्दी कैसे तैयार हो गई?”
“ जल्दी कहाँ ! मुझे पूरे दो महीने लगे हैं तुम्हारे जैसे शहज़ादे को तैयार करने में !”
“क्या मतलब ?” अब मेरे चौंकने की बारी थी।
“अरे मेरे भोले राज़ा मैं तो पहले तुम्हें डी पी और डी डी ही समझती रही !” वो हंसते हुए बोली।
डी पी.... डी डी.... ये क्या बला है?” मैंने हंसते हुए पूछा।
“डी पी मतलब ढिल्लू प्रसाद (लल्लू) और डी डी मायने अपनी पत्नी का देव दास !” वो हंसते हुए बोली। “अखबार गोद में रखना तो आपने बाद में सीखा था !” उसने मेरी ओर आंख मार दी।
मैं समझ गया मधु ने मेरे पत्नी भक्त होने के बारे में बताया होगा कि मैं तो दुनिया की सबसे सुन्दर अप्सरा मधु के अलावा किसी की ओर देखता ही नहीं। मेरी जिन्दगी में उसके अलावा और कोई लड़की आइ ही नहीं। बेचारी मधु !!!
“पर मेरी बात का जवाब तो दिया ही नहीं !”
“ वो दर असल दीदी ने मेरा हाथ देख कर बताया था कि मुझे दो पतियों का योग है यानि मुझे दो पतियों का प्यार मिलेगा। यह देखो ........” और उसने अपना बाएँ हाथ की मुट्ठी बंद करके कनिष्ठा (छोटी) उंगली के ऊपर बनी दो लाईन दिखाई। “मैंने अपनी चूत और गाण्ड बहुत सम्भाल कर रखी हैं एकदम कोरी और अनछुई। मैं तो चाहती थी कि अपना सब कुछ सुहागरात को अपने पति को ही समर्पित करूँ पर दीदी ने जब बताया कि मुझे दो पति मिलेंगे तो मैंने तय किया कि मेरे किसी भी पति के साथ कोई अनहोनी ना ह