desiaks
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- Aug 28, 2015
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मेरे प्यारे दोस्तो, रेनू भाभी की प्यार भरी नमस्ते, आप लोगों के ई मेल से पता चलता है कि आपको मेरी कहानियां काफी पसंद आती हैं, ईमेल करने के लिये शुक्रिया।
यह कहानी मेरे पति रवि की है पिछले ही दिनों उन्होंने यह सच्चाई मेरे सामने कबूल की।
अब आगे की कहानी रवि की जुबानी…
नई नौकरी.. नया शहर.. मन में ढेर सारी उमंगों के साथ मैं इंदौर के लिये रवाना हो गया। एक ब्रीफकेस साथ में था जिसमें दो जोड़ी कपड़े रखे थे, घऱ वालों ने कहा था कि जब ठौर ठिकाना बन जाये तो बाकी सामान ले जाना।
इंदौर में रिश्ते की एक भाभी का घर था लेकिन घर वालों ने साफ कह दिया था कि रुकने के लिये अलग ठिकाना देखना!
ट्रेन से उतर कर सीधे रति भाभी के घर गया, वो मुझे देख कर काफी खुश हुई, मैंने भी उन्हें काफी समय बाद देखा था, दो बच्चे होने के बाद भी रति भाभी की जवानी पागल करने वाली थी।
उन्हें देखकर मेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा था। अब समझ में आया कि घर वालों ने उनके घर रूकने से क्यों मना किया था।
भाभी ने अपने घर ही रुकने के लिये कहा लेकिन मैंने कहा- भाभी, नया शहर है जहां नौकरी करनी है उसी जगह के पास घर दिला दो।
रति भाभी से ही पता चला कि भैया इंदौर से बाहर नौकरी करते हैं महीने में एक दो दिन के लिये आते हैं।
भाभी ने मुझे अपने एक परिचित का घर दिला दिया, यह नया घर खाली था, मकान मालिक कहीं बाहर रहते थे, उन्हें घर की देखरेख के लिये एक भरोसेमंद आदमी की जरूरत थी। इस घर का एक कमरा मेरा ठिकाना बन गया।
कमरे के बाहर चौड़ी सी जगह थी जहां मैं धूप खा सकता था। यहां आकर मैंने रोजमर्रा का थोड़ा सामान भी खरीद लिया। खाली घर.. खाली समय.. मैं मोबाइल पर रोजाना चुदाई के वीडियो देखने लगा।
छः दिन के बाद छुट्टी मिली तो भाभी ने जोर देकर अपने घर बुला लिया। मेरी आंखों के सामने भाभी की जवानी नाच रही थी। भाभी के घर पहुंचा तो घंटी बजाने पर दरवाजा भैया ने खोला।
वो मुझे देखकर खुशी से बोले- आओ रवि… बेकार में किराये के मकान में रहते हो.. यहां रहते तो रति की थोड़ी मदद भी कर देते!
मैं मन ही मन भैया को कोसने लगा… पूरा मूड खराब हो गया था लेकिन कहना ही पड़ा- भैया.. मेरा दफ्तर वहां से पास है और भाभी जब भी कोई काम बताएंगी तो मैं आ जाऊंगा।
घर में दोनों बच्चे हुड़दंग मचा रहे थे।
किचन से भाभी बाहर निकलीं तो सिर पर साड़ी का पल्ला रखा हुआ था… आदर्श भारतीय नारी!
खैर किसी तरह दिन बिताया।
अगले हफ्ते में मैं बिना बताये सुबह सुबह भाभी के घर पहुंच गया, इस बार भाभी ने दरवाजा खोला, वो नाइटी में थीं, मुझे देखकर अपनी जवानी छुपाते हुए बोलीं- अरे तू था.. मुझे लगा दूध वाला आ गया।
मेरा माथा ठनक गया! क्या रे ऊपर वाले.. दूध वाले की ऐसी किस्मत… भाभी ने नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैं सोचने लगा कि जब झुक कर दूध लेती होंगी तो दूध वाले का क्या हाल होता होगा।
मेरे लंड में हरकत होने लगी थी। मैंने भाभी की चूचियों पर से निगाह हटाते हुए कहा- भैया कहां हैं?
भाभी ने कहा- इस बार नहीं आये हैं।
यह कहानी मेरे पति रवि की है पिछले ही दिनों उन्होंने यह सच्चाई मेरे सामने कबूल की।
अब आगे की कहानी रवि की जुबानी…
नई नौकरी.. नया शहर.. मन में ढेर सारी उमंगों के साथ मैं इंदौर के लिये रवाना हो गया। एक ब्रीफकेस साथ में था जिसमें दो जोड़ी कपड़े रखे थे, घऱ वालों ने कहा था कि जब ठौर ठिकाना बन जाये तो बाकी सामान ले जाना।
इंदौर में रिश्ते की एक भाभी का घर था लेकिन घर वालों ने साफ कह दिया था कि रुकने के लिये अलग ठिकाना देखना!
ट्रेन से उतर कर सीधे रति भाभी के घर गया, वो मुझे देख कर काफी खुश हुई, मैंने भी उन्हें काफी समय बाद देखा था, दो बच्चे होने के बाद भी रति भाभी की जवानी पागल करने वाली थी।
उन्हें देखकर मेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा था। अब समझ में आया कि घर वालों ने उनके घर रूकने से क्यों मना किया था।
भाभी ने अपने घर ही रुकने के लिये कहा लेकिन मैंने कहा- भाभी, नया शहर है जहां नौकरी करनी है उसी जगह के पास घर दिला दो।
रति भाभी से ही पता चला कि भैया इंदौर से बाहर नौकरी करते हैं महीने में एक दो दिन के लिये आते हैं।
भाभी ने मुझे अपने एक परिचित का घर दिला दिया, यह नया घर खाली था, मकान मालिक कहीं बाहर रहते थे, उन्हें घर की देखरेख के लिये एक भरोसेमंद आदमी की जरूरत थी। इस घर का एक कमरा मेरा ठिकाना बन गया।
कमरे के बाहर चौड़ी सी जगह थी जहां मैं धूप खा सकता था। यहां आकर मैंने रोजमर्रा का थोड़ा सामान भी खरीद लिया। खाली घर.. खाली समय.. मैं मोबाइल पर रोजाना चुदाई के वीडियो देखने लगा।
छः दिन के बाद छुट्टी मिली तो भाभी ने जोर देकर अपने घर बुला लिया। मेरी आंखों के सामने भाभी की जवानी नाच रही थी। भाभी के घर पहुंचा तो घंटी बजाने पर दरवाजा भैया ने खोला।
वो मुझे देखकर खुशी से बोले- आओ रवि… बेकार में किराये के मकान में रहते हो.. यहां रहते तो रति की थोड़ी मदद भी कर देते!
मैं मन ही मन भैया को कोसने लगा… पूरा मूड खराब हो गया था लेकिन कहना ही पड़ा- भैया.. मेरा दफ्तर वहां से पास है और भाभी जब भी कोई काम बताएंगी तो मैं आ जाऊंगा।
घर में दोनों बच्चे हुड़दंग मचा रहे थे।
किचन से भाभी बाहर निकलीं तो सिर पर साड़ी का पल्ला रखा हुआ था… आदर्श भारतीय नारी!
खैर किसी तरह दिन बिताया।
अगले हफ्ते में मैं बिना बताये सुबह सुबह भाभी के घर पहुंच गया, इस बार भाभी ने दरवाजा खोला, वो नाइटी में थीं, मुझे देखकर अपनी जवानी छुपाते हुए बोलीं- अरे तू था.. मुझे लगा दूध वाला आ गया।
मेरा माथा ठनक गया! क्या रे ऊपर वाले.. दूध वाले की ऐसी किस्मत… भाभी ने नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैं सोचने लगा कि जब झुक कर दूध लेती होंगी तो दूध वाले का क्या हाल होता होगा।
मेरे लंड में हरकत होने लगी थी। मैंने भाभी की चूचियों पर से निगाह हटाते हुए कहा- भैया कहां हैं?
भाभी ने कहा- इस बार नहीं आये हैं।