desiaks
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आधा तीतर आधा बटेर -Aadha teetar Adha bater
इमरान की एक बहन भी है….जिस का नाम सुरैया है….कज़िन तो 3-4 थी….जिन के दम से घर की रौनक थी….
तो हुआ यूँ कि बला आख़िर रहमान साहब को एक “चेंजेज़ी ख़ान” मिल ही गया….
यानी चंगेज़ ख़ान की नस्ल का एक कॅंडिडेट….पता नही खुद उसके सहरे के फूल खिलने की घड़ी आ गयी थी या सुरैया ही की क़िस्मत ने यावरी की थी….
वैसे सी.बी.आइ के डाइरेक्टर-जनरल की बेटी के लिए रिश्तों की कमी नही थी….
लेकिन किस्सा था खानदानी रिवायत का….खुद चंगेज़ी थे….
इसलिए इमरान की अम्मा बी भी चेंग़ेज़ी ख़ान थी….ज़ाहिर है कि इमरान और सुरैया चंगेज ख़ान ठहरे….
लिहाज़ा उन्हे ऐरे-गैरे के सर कैसे मढ़ा जा सकता था….!
उसे रहमान साहब का इक़बाल ही कहना चाहिए कि ये चंगेज़ ख़ान जो सुरैया के लिए मुनासिब हुआ था आलू-छोले नही बेचता था….
बल्कि डॉक्टर था…. और
डॉक्टर भी कैसा जिसे वज़ीर-ए-आज़म के (प्राइम मिनिस्टर) थेरपिस्ट होने का शरफ़ (सौभाग्य) हासिल था….
डॉक्टर शाहिद ने बहुत जल्द तरक्की की सारी मंज़िले तय कर ली थी….नौ-जवान ही था….
और सर्जरी में अपना जवाब नही रखता था….यही वजह थी कि उन 5 डॉक्टर्स में शामिल था जो सदर (प्रेसीडेंट) और वज़ीर-ए-आज़म (प्राइम मिनिस्टर) के थेरपिस्ट्स में थे….
बहेरहाल रहमान साहब की कोठी में शादी की तैयारी का हंगामा बरपा था….
और सब कुछ रिवायती अंदाज़ में हो रहा था….
रहमान साहब बाहर से ख़ासे मॉडर्न नज़र आ रहे है थे….
लेकिन अंदरूनी तौर पर अव्वल दर्जे के खादमत (रूढ़िवाद) पसंद थे….!
बहुत पहले से कोठी में करीबी रिश्तेदारों का जमाव हो गया था….
और दहेज की तैयारियाँ ज़ोर शोर से जारी थी….!
आज इमरान ने भी अपनी शकल दिखाई थी….
और रहमान साहब तक पहुँचने से पहले ही
कज़िन्स ने उसे लपक लिया था….
और खींचते हुए उस कमरे में लाई जहाँ लड़कियाँ चादरों और मेज़ पोषों पर काशीदा कारी कर रही थी….
हाऐं….तुम लोगों को कैसे मालूम हुआ कि मुझे काशीदा कारी भी आती है….इमरान ने हैरत से कहा
काम जल्दी निपटाना है….किसी चचेरी बहन ने कहा….आप भी बैठ ही जाइए भाई जान….!
ज़रूर….ज़रूर….हाँ….उस कोने पर अभी काम नही हुआ….डिज़ाइन खींचा हुआ है लाना इधर बांधना सुई और तार काशी….
और वो सच-मुच बड़ी संजीदगी से काशीदा कारी में मुब्तेला हो गया था….!
सुना भाई जान….डॉक्टर शाहिद सच-मुच एक चंगेज़ी है….कोई कज़िन बोली
अच्छा….इमरान चौंक कर बोला….कब की बात है….?
क्या मतलब….
पहले रिश्ता होने वाला था वहाँ वो खुद को नौशेरवान की औलाद बताया था….!
क्यूँ हवाई छोड़ रहे है….
यक़ीन करो….
अच्छा भाई जान….ये नौशेरवान क्या नाम हुआ भला….दूसरी बोली
नाम नही….रुतबा है….उसके पास नौशेर दानिया थी….
इसलिए नौशेरवान कहलाया….नही समझी….? नौ बीवियाँ थी….बीवी उस ज़माने में शेरदानी कहलाती थी….!
फिर उड़ाने लगे….
संजीदगी से सुनो….इलमी बातें है….बाज़ रिसर्चस का ख़याल है….
चूँकि नौ अदद बीवियाँ रखने के बावजूद भी काफ़ी “शेर” था इसलिए नौशेरवान कह लाता था….आज कल तो एक ही बीवी वाला भेड़ हो कर रहे जाता है….!
बस की जिए….इतने बड़े बादशाह में कीड़े डाल रहे है….वो हाथ उठा कर बोली….एक आदिल बादशाह गुज़रा है….
उसका क्रेडिट भी बीवियों को ही जाता है….नौ बीवियों के दरमियाँ इंसाफ़ करते-करते इंसाफ़ पसंद हो गया था….उसके राज्य में शेर और बकरी एक घाट पर पानी पीते थे….
और दूसरी घाट वाले घाटे में रहते थे….
इसलिए उन्होने उसके खिलाफ दास्तान अमीर-हमज़ा लिखवादी थी….!
बहुत ना चहकिये….आप भी फँसाने वाले है….
खुदा की पनाह….
डॉक्टर शाहिद चंगेज़ी की बहन डॉक्टर मलइक़ा चंगेज़ी की भी अभी शादी नही हुई….
यक़ीन नही कर सकता….कोई मलइक़ा चंगेज़ी नही हो सकती….
क्यूँ कि चंगेज़ ख़ान चपटी नाक वाला एक मंगोल चरवाहा था….!
शर्म नही आती अपने दादाओं को चरवाहा कहे रहे है….
शायद घांस खा गये है….!
हाँ….तो भाई जान नौ शेरवान….दूसरी बोली
भाई जान नौशेरवान होने से पहले ही मर जाना पसंद फरमाएँगे….इमरान ने बुरा मान कर कहा
आरे….क्या वो आया है….? दरवाज़े की तरफ से अम्मा बी की आवाज़ आई
सन्नाटा छा गया…. और
इमरान बौखला कर चादर समेटता हुआ उठा ही था कि किसी की उंगली में सुई उतर गयी….वो चीखी तो दूसरों ने भी हुल्लड़ मचा दिया
आख़िर हो क्या रहा है….अम्मा बी झल्ला कर बोली
का..का….काशीदा कारी….इमरान हकलाया
खाम्खा हर काम टाँग आड़ा देते है….एक कज़िन ने तुनक कर कहा
इमरान ने चोर नज़रों से उसकी तरफ देखा और सर झुका लिया
इतने दिनों बाद आया है….और….यहाँ बैठ गया….अम्मा बी बोली
वो चुप-चाप कमरे से निकल कर उनके पीछे चलने लगा….राहदारी में रुक कर वो मूडी….तू ना आता तो मैं खुद तेरे पास आती….उन्होने कहा
कोई ख़ास बात अम्मा बी….?
खुदा खुदा कर के ये दिन आया था….लेकिन….
लेकिन क्या….?
मैं नही जानती….भाई होगी कोई वजह….आदमी नही जानता कि कब क्या हो जाएगा….उस पर इतना चराग़ पाने की क्या ज़रूरत है
आख़िर हुआ क्या….?
चल मेरे कमरे में बताती हूँ….वो फिर आगे बढ़ गयी
कमरे में पहुँच कर वो बोली….बैठ जा चैन से….बताती हूँ
इमरान सामने वाली कुर्सी पर आराम से बैठ गया….
डॉक्टर शाहिद ने इस्तीफ़ा दे दिया है….
उसे इस्तीफ़ा नही भाग खड़ा होना कहते है अम्मा बी….
क्या बकवास कर रहा है….
आप यही कहना चाहती है ना उसने मँगनी तोड़ दी है….
क्या मुझे अनपढ़ समझता है….उसने मुलाज़िमत से इस्तीफ़ा दे दिया है….!
तो फिर….उसमे परेशानी की क्या बात है….?
मुझे कोई परेशानी नही है….
लेकिन वो आपे से बाहर हो रहे है….!
हुह….इमरान सर हिला कर बोला
खुदा-खुदा कर के अपने काफु( विरादरी ) का एक शक्श मिला था….
अरे तो कहाँ भागा जा रहा है….कोई बड़ा प्लान होगा सामने इसलिए दे दिया इस्तीफ़ा….माहिर सर्जन है….अपना हॉस्पिटल कायम कर के लाखों कमाएगा
इस्तीफ़ा भी मंज़ूर नही हुआ….हेल्त मिनिस्टर के सेक्रेटरी के पास है….उसने तुम्हारे बाप को इत्तिला दी है….खुद डॉक्टर शाहिद ने उसका ज़िक्र किसी से नही किया….मलइक़ा तक नही जानती….
मलइक़ा….?
डॉक्टर शाहिद की बहन….वो भी डॉक्टर है प्राइवेट प्रॅक्टीस करती है….!
चंगेज़ी ही तो ठहरे….चीर-फाढ़ वाला पेशा इकतियार ना करेंगे तो क्या करेंगे….!
फ़िज़ूल बातें ना कर….उन्हे किसी तरह ठंडा कर….!
कहाँ है….?
लाइब्ररी में….
अच्छी बात है….
लेकिन सुरैया राज़ी है इस रिश्ते पर….
हाँ….हाँ….दोनो एफ.एस.सी में क्लास फेलो थे….
तब तो ठीक है….इमरान सर हिलाता हुआ उठ गया….!
रहमान साहब कोई किताब देख रहे थे….चहरे पर सुकून तारी था….परेशानी का दूर-दूर तक पता नही था….!
क्या मैं हाज़िर हो सकता हूँ….इमरान ने खकार कर पूछा
रहमान साहब चौंक पड़े….किताब मेज़ पर रखी और उसे गौर से देखते हुए बोले….आओ
इमरान करीब पहुँच कर खड़ा हो गया….
बैठ जाओ….उन्होने सामने वाली कुर्सी की तरफ इशारा किया….
और उसके बैठ जाने के पर सवाल किया….3 माह से कहाँ थे….?
ऑर्डर लेता हुआ फिर रहा था….यूरोपी मुल्कों से….झपक भाई एक्षपोटेर ने अपना ट्रॅवेलिंग एजेंट मुक़र्रर कर दिया है….कमीशन के एक लाख 55 हज़ार बनेंगे….
मैं तुम्हारी माली पोज़िशन नही मालूम करना चाहता….
मुझे शादी का मालूम होता तो फ्री पोर्ट से दहेज का सामान खरीद लाता….
शुक्रिया….उसकी ज़रूरत नही….वो खुश्क लहजे में बोले
वो कुछ इस्तीफ़े की बात सुनी है….
हाँ….अगर उसने इस्तीफ़ा वापिस नही लिया तो ये शादी भी ना हो सकेगी…
फ़ैसले में जल्दी ना की जिए तो बेहतर है….
इस्तीफ़ा अभी मंज़ूरी के लिए पेश नही किया गया….
बस तो मुझे थोड़ा सा वक़्त दी जिए….
तुम क्या करोगे….?
बौखला कर इस्तीफ़ा वापिस ले लेगा….
कोई गैर-ज़िम्मेदाराना हरकत भी पसंद ना करूँगा….
किस की….? इमरान के लहजे में हैरत थी
तुम्हारी….वो उसे घूरते हुए बोले
जब से ट्रॅवेलिंग एजेन्सी संभाली है….
फ़िज़ूल बातें ना करो….
जी बेहतर है….
उसके साथियों को भी इल्म नही है कि उसने इस्तीफ़ा दिया है….
उसकी बहन को भी मेरी ही तरफ से उसका इल्म हुआ है….!
अच्छा….वो क्या नाम है….लक़लाक़ा….लाहोल….मलइक़ा
रहमान साहब ने तेज़ नज़रों से देखा….
और
फिर….दूसरी तरफ देखते हुए बोले….उसने पूछा तो सिरे से इनकार ही कर दिया….कहता है कि मैं तो 1 हफ्ते की छुट्टी की दरख़्वास्त दी है….
और ये एक हफ़्ता शहर से बाहर गुज़ारना चाहता हूँ….!
झूट भी बोलता है….इमरान ने सपाट लहजे में कहा
तुम यहाँ किस लिए आए हो….? रहमान साहब गुर्रा कर बोले
ख़ैरियत दरियाफ़्त करने आया था….ले….लेकिन….
अब जा सकते हो….रहमान साहब ने किताब उठाते हुए कहा
सलाम अलैकुम….इमरान ने कहा और उठ कर लाइब्ररी से निकल आया….उसके बाद सीधा सुरैया के कमरे की तरफ गया….उसे देख कर वो जल्दी से खड़ी हो गयी
वलैकुम सलाम….कहता हुआ बैठ गया….
हालाँकि
सुरैया ने सलाम नही किया था….
कैसे याद आ गये हम लोग….? सुरैया बोली
तुम खड़ी क्यूँ हो बैठ जाओ….डॉक्टर शाहिद में कीदे निकाल ने नही आया….नेक नाम आदमी है….बेहतर किस्म का शोहर (पति) साबित होगा
शुक्रिया….सुरैया ने जले-कटे लहजे में कहा
और….तुम्हे इसका भी इल्म होगा के….
मुझे मालूम है….सुरैया इमरान का जुमला पूरा होने से पहले ही बोल पड़ी
क्या ख़याल है….
मैं क्या जानू….
इस्तीफ़ा देने के बाद भी वो फकीर नही हो जाएगा….
ज़ाहिर है….
लेकिन….नादर्शाह का ख़याल है कि इस्तेफ़ा मंज़ूर होने की सूरत में वो दमादि के शरफ़ (सौभाग्य) से महरूम रहेगा….!
डॅडी के खिलाफ एक लफ्ज़ भी नही सुन सकती….
अच्छा….तो फिर मैं डॉक्टर शाहिद को जवाब दे आता हूँ….इमरान उठता हुआ बोला
अरे….अरे….
फिर….तुम क्या चाहती हो….?
मैं क्या बताऊ….सुरैया नर्म पड़ती हुई बोली
वो खुद डॉक्टर से नही पूछेंगे कि उसने इस्तीफ़ा क्यूँ दिया है….
आप ठीक कह रहे है….
इसलिए मेरा फ़र्ज़ हो जाता है….
लेकिन
सवाल तो ये पैदा होता है कि इस्तीफ़े को छुपाया क्यूँ जा रहा है….क्या मलइक़ा से तुम्हारी गुफ्तगू हुई है….!
हुई थी….लेकिन वो कुछ नही जानती….
वो एक हफ्ते की छुट्टी की दरख़्वास्त….?
मलइक़ा से मालूम हुआ….
उन मोहतार्मा से कहाँ मुलाकात हो सकती है….फिलहाल डॉक्टर शाहिद से सीधे गुफ्तगू नही करना चाहता….
इस वक़्त वो अपनी क्लिनिक में होगी….सनडे को 1 बजे तक बैठती है….शाम को क्लिनिक बंद रहता है….
मतलब ये है कि मैं 1 बजे के बाद क्लिनिक में ही उससे मिल लूँ….
जैसा आप मुनासिब समझे….
इमरान की एक बहन भी है….जिस का नाम सुरैया है….कज़िन तो 3-4 थी….जिन के दम से घर की रौनक थी….
तो हुआ यूँ कि बला आख़िर रहमान साहब को एक “चेंजेज़ी ख़ान” मिल ही गया….
यानी चंगेज़ ख़ान की नस्ल का एक कॅंडिडेट….पता नही खुद उसके सहरे के फूल खिलने की घड़ी आ गयी थी या सुरैया ही की क़िस्मत ने यावरी की थी….
वैसे सी.बी.आइ के डाइरेक्टर-जनरल की बेटी के लिए रिश्तों की कमी नही थी….
लेकिन किस्सा था खानदानी रिवायत का….खुद चंगेज़ी थे….
इसलिए इमरान की अम्मा बी भी चेंग़ेज़ी ख़ान थी….ज़ाहिर है कि इमरान और सुरैया चंगेज ख़ान ठहरे….
लिहाज़ा उन्हे ऐरे-गैरे के सर कैसे मढ़ा जा सकता था….!
उसे रहमान साहब का इक़बाल ही कहना चाहिए कि ये चंगेज़ ख़ान जो सुरैया के लिए मुनासिब हुआ था आलू-छोले नही बेचता था….
बल्कि डॉक्टर था…. और
डॉक्टर भी कैसा जिसे वज़ीर-ए-आज़म के (प्राइम मिनिस्टर) थेरपिस्ट होने का शरफ़ (सौभाग्य) हासिल था….
डॉक्टर शाहिद ने बहुत जल्द तरक्की की सारी मंज़िले तय कर ली थी….नौ-जवान ही था….
और सर्जरी में अपना जवाब नही रखता था….यही वजह थी कि उन 5 डॉक्टर्स में शामिल था जो सदर (प्रेसीडेंट) और वज़ीर-ए-आज़म (प्राइम मिनिस्टर) के थेरपिस्ट्स में थे….
बहेरहाल रहमान साहब की कोठी में शादी की तैयारी का हंगामा बरपा था….
और सब कुछ रिवायती अंदाज़ में हो रहा था….
रहमान साहब बाहर से ख़ासे मॉडर्न नज़र आ रहे है थे….
लेकिन अंदरूनी तौर पर अव्वल दर्जे के खादमत (रूढ़िवाद) पसंद थे….!
बहुत पहले से कोठी में करीबी रिश्तेदारों का जमाव हो गया था….
और दहेज की तैयारियाँ ज़ोर शोर से जारी थी….!
आज इमरान ने भी अपनी शकल दिखाई थी….
और रहमान साहब तक पहुँचने से पहले ही
कज़िन्स ने उसे लपक लिया था….
और खींचते हुए उस कमरे में लाई जहाँ लड़कियाँ चादरों और मेज़ पोषों पर काशीदा कारी कर रही थी….
हाऐं….तुम लोगों को कैसे मालूम हुआ कि मुझे काशीदा कारी भी आती है….इमरान ने हैरत से कहा
काम जल्दी निपटाना है….किसी चचेरी बहन ने कहा….आप भी बैठ ही जाइए भाई जान….!
ज़रूर….ज़रूर….हाँ….उस कोने पर अभी काम नही हुआ….डिज़ाइन खींचा हुआ है लाना इधर बांधना सुई और तार काशी….
और वो सच-मुच बड़ी संजीदगी से काशीदा कारी में मुब्तेला हो गया था….!
सुना भाई जान….डॉक्टर शाहिद सच-मुच एक चंगेज़ी है….कोई कज़िन बोली
अच्छा….इमरान चौंक कर बोला….कब की बात है….?
क्या मतलब….
पहले रिश्ता होने वाला था वहाँ वो खुद को नौशेरवान की औलाद बताया था….!
क्यूँ हवाई छोड़ रहे है….
यक़ीन करो….
अच्छा भाई जान….ये नौशेरवान क्या नाम हुआ भला….दूसरी बोली
नाम नही….रुतबा है….उसके पास नौशेर दानिया थी….
इसलिए नौशेरवान कहलाया….नही समझी….? नौ बीवियाँ थी….बीवी उस ज़माने में शेरदानी कहलाती थी….!
फिर उड़ाने लगे….
संजीदगी से सुनो….इलमी बातें है….बाज़ रिसर्चस का ख़याल है….
चूँकि नौ अदद बीवियाँ रखने के बावजूद भी काफ़ी “शेर” था इसलिए नौशेरवान कह लाता था….आज कल तो एक ही बीवी वाला भेड़ हो कर रहे जाता है….!
बस की जिए….इतने बड़े बादशाह में कीड़े डाल रहे है….वो हाथ उठा कर बोली….एक आदिल बादशाह गुज़रा है….
उसका क्रेडिट भी बीवियों को ही जाता है….नौ बीवियों के दरमियाँ इंसाफ़ करते-करते इंसाफ़ पसंद हो गया था….उसके राज्य में शेर और बकरी एक घाट पर पानी पीते थे….
और दूसरी घाट वाले घाटे में रहते थे….
इसलिए उन्होने उसके खिलाफ दास्तान अमीर-हमज़ा लिखवादी थी….!
बहुत ना चहकिये….आप भी फँसाने वाले है….
खुदा की पनाह….
डॉक्टर शाहिद चंगेज़ी की बहन डॉक्टर मलइक़ा चंगेज़ी की भी अभी शादी नही हुई….
यक़ीन नही कर सकता….कोई मलइक़ा चंगेज़ी नही हो सकती….
क्यूँ कि चंगेज़ ख़ान चपटी नाक वाला एक मंगोल चरवाहा था….!
शर्म नही आती अपने दादाओं को चरवाहा कहे रहे है….
शायद घांस खा गये है….!
हाँ….तो भाई जान नौ शेरवान….दूसरी बोली
भाई जान नौशेरवान होने से पहले ही मर जाना पसंद फरमाएँगे….इमरान ने बुरा मान कर कहा
आरे….क्या वो आया है….? दरवाज़े की तरफ से अम्मा बी की आवाज़ आई
सन्नाटा छा गया…. और
इमरान बौखला कर चादर समेटता हुआ उठा ही था कि किसी की उंगली में सुई उतर गयी….वो चीखी तो दूसरों ने भी हुल्लड़ मचा दिया
आख़िर हो क्या रहा है….अम्मा बी झल्ला कर बोली
का..का….काशीदा कारी….इमरान हकलाया
खाम्खा हर काम टाँग आड़ा देते है….एक कज़िन ने तुनक कर कहा
इमरान ने चोर नज़रों से उसकी तरफ देखा और सर झुका लिया
इतने दिनों बाद आया है….और….यहाँ बैठ गया….अम्मा बी बोली
वो चुप-चाप कमरे से निकल कर उनके पीछे चलने लगा….राहदारी में रुक कर वो मूडी….तू ना आता तो मैं खुद तेरे पास आती….उन्होने कहा
कोई ख़ास बात अम्मा बी….?
खुदा खुदा कर के ये दिन आया था….लेकिन….
लेकिन क्या….?
मैं नही जानती….भाई होगी कोई वजह….आदमी नही जानता कि कब क्या हो जाएगा….उस पर इतना चराग़ पाने की क्या ज़रूरत है
आख़िर हुआ क्या….?
चल मेरे कमरे में बताती हूँ….वो फिर आगे बढ़ गयी
कमरे में पहुँच कर वो बोली….बैठ जा चैन से….बताती हूँ
इमरान सामने वाली कुर्सी पर आराम से बैठ गया….
डॉक्टर शाहिद ने इस्तीफ़ा दे दिया है….
उसे इस्तीफ़ा नही भाग खड़ा होना कहते है अम्मा बी….
क्या बकवास कर रहा है….
आप यही कहना चाहती है ना उसने मँगनी तोड़ दी है….
क्या मुझे अनपढ़ समझता है….उसने मुलाज़िमत से इस्तीफ़ा दे दिया है….!
तो फिर….उसमे परेशानी की क्या बात है….?
मुझे कोई परेशानी नही है….
लेकिन वो आपे से बाहर हो रहे है….!
हुह….इमरान सर हिला कर बोला
खुदा-खुदा कर के अपने काफु( विरादरी ) का एक शक्श मिला था….
अरे तो कहाँ भागा जा रहा है….कोई बड़ा प्लान होगा सामने इसलिए दे दिया इस्तीफ़ा….माहिर सर्जन है….अपना हॉस्पिटल कायम कर के लाखों कमाएगा
इस्तीफ़ा भी मंज़ूर नही हुआ….हेल्त मिनिस्टर के सेक्रेटरी के पास है….उसने तुम्हारे बाप को इत्तिला दी है….खुद डॉक्टर शाहिद ने उसका ज़िक्र किसी से नही किया….मलइक़ा तक नही जानती….
मलइक़ा….?
डॉक्टर शाहिद की बहन….वो भी डॉक्टर है प्राइवेट प्रॅक्टीस करती है….!
चंगेज़ी ही तो ठहरे….चीर-फाढ़ वाला पेशा इकतियार ना करेंगे तो क्या करेंगे….!
फ़िज़ूल बातें ना कर….उन्हे किसी तरह ठंडा कर….!
कहाँ है….?
लाइब्ररी में….
अच्छी बात है….
लेकिन सुरैया राज़ी है इस रिश्ते पर….
हाँ….हाँ….दोनो एफ.एस.सी में क्लास फेलो थे….
तब तो ठीक है….इमरान सर हिलाता हुआ उठ गया….!
रहमान साहब कोई किताब देख रहे थे….चहरे पर सुकून तारी था….परेशानी का दूर-दूर तक पता नही था….!
क्या मैं हाज़िर हो सकता हूँ….इमरान ने खकार कर पूछा
रहमान साहब चौंक पड़े….किताब मेज़ पर रखी और उसे गौर से देखते हुए बोले….आओ
इमरान करीब पहुँच कर खड़ा हो गया….
बैठ जाओ….उन्होने सामने वाली कुर्सी की तरफ इशारा किया….
और उसके बैठ जाने के पर सवाल किया….3 माह से कहाँ थे….?
ऑर्डर लेता हुआ फिर रहा था….यूरोपी मुल्कों से….झपक भाई एक्षपोटेर ने अपना ट्रॅवेलिंग एजेंट मुक़र्रर कर दिया है….कमीशन के एक लाख 55 हज़ार बनेंगे….
मैं तुम्हारी माली पोज़िशन नही मालूम करना चाहता….
मुझे शादी का मालूम होता तो फ्री पोर्ट से दहेज का सामान खरीद लाता….
शुक्रिया….उसकी ज़रूरत नही….वो खुश्क लहजे में बोले
वो कुछ इस्तीफ़े की बात सुनी है….
हाँ….अगर उसने इस्तीफ़ा वापिस नही लिया तो ये शादी भी ना हो सकेगी…
फ़ैसले में जल्दी ना की जिए तो बेहतर है….
इस्तीफ़ा अभी मंज़ूरी के लिए पेश नही किया गया….
बस तो मुझे थोड़ा सा वक़्त दी जिए….
तुम क्या करोगे….?
बौखला कर इस्तीफ़ा वापिस ले लेगा….
कोई गैर-ज़िम्मेदाराना हरकत भी पसंद ना करूँगा….
किस की….? इमरान के लहजे में हैरत थी
तुम्हारी….वो उसे घूरते हुए बोले
जब से ट्रॅवेलिंग एजेन्सी संभाली है….
फ़िज़ूल बातें ना करो….
जी बेहतर है….
उसके साथियों को भी इल्म नही है कि उसने इस्तीफ़ा दिया है….
उसकी बहन को भी मेरी ही तरफ से उसका इल्म हुआ है….!
अच्छा….वो क्या नाम है….लक़लाक़ा….लाहोल….मलइक़ा
रहमान साहब ने तेज़ नज़रों से देखा….
और
फिर….दूसरी तरफ देखते हुए बोले….उसने पूछा तो सिरे से इनकार ही कर दिया….कहता है कि मैं तो 1 हफ्ते की छुट्टी की दरख़्वास्त दी है….
और ये एक हफ़्ता शहर से बाहर गुज़ारना चाहता हूँ….!
झूट भी बोलता है….इमरान ने सपाट लहजे में कहा
तुम यहाँ किस लिए आए हो….? रहमान साहब गुर्रा कर बोले
ख़ैरियत दरियाफ़्त करने आया था….ले….लेकिन….
अब जा सकते हो….रहमान साहब ने किताब उठाते हुए कहा
सलाम अलैकुम….इमरान ने कहा और उठ कर लाइब्ररी से निकल आया….उसके बाद सीधा सुरैया के कमरे की तरफ गया….उसे देख कर वो जल्दी से खड़ी हो गयी
वलैकुम सलाम….कहता हुआ बैठ गया….
हालाँकि
सुरैया ने सलाम नही किया था….
कैसे याद आ गये हम लोग….? सुरैया बोली
तुम खड़ी क्यूँ हो बैठ जाओ….डॉक्टर शाहिद में कीदे निकाल ने नही आया….नेक नाम आदमी है….बेहतर किस्म का शोहर (पति) साबित होगा
शुक्रिया….सुरैया ने जले-कटे लहजे में कहा
और….तुम्हे इसका भी इल्म होगा के….
मुझे मालूम है….सुरैया इमरान का जुमला पूरा होने से पहले ही बोल पड़ी
क्या ख़याल है….
मैं क्या जानू….
इस्तीफ़ा देने के बाद भी वो फकीर नही हो जाएगा….
ज़ाहिर है….
लेकिन….नादर्शाह का ख़याल है कि इस्तेफ़ा मंज़ूर होने की सूरत में वो दमादि के शरफ़ (सौभाग्य) से महरूम रहेगा….!
डॅडी के खिलाफ एक लफ्ज़ भी नही सुन सकती….
अच्छा….तो फिर मैं डॉक्टर शाहिद को जवाब दे आता हूँ….इमरान उठता हुआ बोला
अरे….अरे….
फिर….तुम क्या चाहती हो….?
मैं क्या बताऊ….सुरैया नर्म पड़ती हुई बोली
वो खुद डॉक्टर से नही पूछेंगे कि उसने इस्तीफ़ा क्यूँ दिया है….
आप ठीक कह रहे है….
इसलिए मेरा फ़र्ज़ हो जाता है….
लेकिन
सवाल तो ये पैदा होता है कि इस्तीफ़े को छुपाया क्यूँ जा रहा है….क्या मलइक़ा से तुम्हारी गुफ्तगू हुई है….!
हुई थी….लेकिन वो कुछ नही जानती….
वो एक हफ्ते की छुट्टी की दरख़्वास्त….?
मलइक़ा से मालूम हुआ….
उन मोहतार्मा से कहाँ मुलाकात हो सकती है….फिलहाल डॉक्टर शाहिद से सीधे गुफ्तगू नही करना चाहता….
इस वक़्त वो अपनी क्लिनिक में होगी….सनडे को 1 बजे तक बैठती है….शाम को क्लिनिक बंद रहता है….
मतलब ये है कि मैं 1 बजे के बाद क्लिनिक में ही उससे मिल लूँ….
जैसा आप मुनासिब समझे….