antarwasna आधा तीतर आधा बटेर - SexBaba
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antarwasna आधा तीतर आधा बटेर

desiaks

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आधा तीतर आधा बटेर -Aadha teetar Adha bater

इमरान की एक बहन भी है….जिस का नाम सुरैया है….कज़िन तो 3-4 थी….जिन के दम से घर की रौनक थी….

तो हुआ यूँ कि बला आख़िर रहमान साहब को एक “चेंजेज़ी ख़ान” मिल ही गया….
यानी चंगेज़ ख़ान की नस्ल का एक कॅंडिडेट….पता नही खुद उसके सहरे के फूल खिलने की घड़ी आ गयी थी या सुरैया ही की क़िस्मत ने यावरी की थी….
वैसे सी.बी.आइ के डाइरेक्टर-जनरल की बेटी के लिए रिश्तों की कमी नही थी….
लेकिन किस्सा था खानदानी रिवायत का….खुद चंगेज़ी थे….
इसलिए इमरान की अम्मा बी भी चेंग़ेज़ी ख़ान थी….ज़ाहिर है कि इमरान और सुरैया चंगेज ख़ान ठहरे….
लिहाज़ा उन्हे ऐरे-गैरे के सर कैसे मढ़ा जा सकता था….!

उसे रहमान साहब का इक़बाल ही कहना चाहिए कि ये चंगेज़ ख़ान जो सुरैया के लिए मुनासिब हुआ था आलू-छोले नही बेचता था….
बल्कि डॉक्टर था…. और
डॉक्टर भी कैसा जिसे वज़ीर-ए-आज़म के (प्राइम मिनिस्टर) थेरपिस्ट होने का शरफ़ (सौभाग्य) हासिल था….

डॉक्टर शाहिद ने बहुत जल्द तरक्की की सारी मंज़िले तय कर ली थी….नौ-जवान ही था….
और सर्जरी में अपना जवाब नही रखता था….यही वजह थी कि उन 5 डॉक्टर्स में शामिल था जो सदर (प्रेसीडेंट) और वज़ीर-ए-आज़म (प्राइम मिनिस्टर) के थेरपिस्ट्स में थे….
बहेरहाल रहमान साहब की कोठी में शादी की तैयारी का हंगामा बरपा था….
और सब कुछ रिवायती अंदाज़ में हो रहा था….

रहमान साहब बाहर से ख़ासे मॉडर्न नज़र आ रहे है थे….
लेकिन अंदरूनी तौर पर अव्वल दर्जे के खादमत (रूढ़िवाद) पसंद थे….!

बहुत पहले से कोठी में करीबी रिश्तेदारों का जमाव हो गया था….
और दहेज की तैयारियाँ ज़ोर शोर से जारी थी….!

आज इमरान ने भी अपनी शकल दिखाई थी….
और रहमान साहब तक पहुँचने से पहले ही

कज़िन्स ने उसे लपक लिया था….
और खींचते हुए उस कमरे में लाई जहाँ लड़कियाँ चादरों और मेज़ पोषों पर काशीदा कारी कर रही थी….

हाऐं….तुम लोगों को कैसे मालूम हुआ कि मुझे काशीदा कारी भी आती है….इमरान ने हैरत से कहा

काम जल्दी निपटाना है….किसी चचेरी बहन ने कहा….आप भी बैठ ही जाइए भाई जान….!

ज़रूर….ज़रूर….हाँ….उस कोने पर अभी काम नही हुआ….डिज़ाइन खींचा हुआ है लाना इधर बांधना सुई और तार काशी….
और वो सच-मुच बड़ी संजीदगी से काशीदा कारी में मुब्तेला हो गया था….!

सुना भाई जान….डॉक्टर शाहिद सच-मुच एक चंगेज़ी है….कोई कज़िन बोली

अच्छा….इमरान चौंक कर बोला….कब की बात है….?

क्या मतलब….

पहले रिश्ता होने वाला था वहाँ वो खुद को नौशेरवान की औलाद बताया था….!

क्यूँ हवाई छोड़ रहे है….

यक़ीन करो….

अच्छा भाई जान….ये नौशेरवान क्या नाम हुआ भला….दूसरी बोली

नाम नही….रुतबा है….उसके पास नौशेर दानिया थी….
इसलिए नौशेरवान कहलाया….नही समझी….? नौ बीवियाँ थी….बीवी उस ज़माने में शेरदानी कहलाती थी….!

फिर उड़ाने लगे….

संजीदगी से सुनो….इलमी बातें है….बाज़ रिसर्चस का ख़याल है….
चूँकि नौ अदद बीवियाँ रखने के बावजूद भी काफ़ी “शेर” था इसलिए नौशेरवान कह लाता था….आज कल तो एक ही बीवी वाला भेड़ हो कर रहे जाता है….!

बस की जिए….इतने बड़े बादशाह में कीड़े डाल रहे है….वो हाथ उठा कर बोली….एक आदिल बादशाह गुज़रा है….

उसका क्रेडिट भी बीवियों को ही जाता है….नौ बीवियों के दरमियाँ इंसाफ़ करते-करते इंसाफ़ पसंद हो गया था….उसके राज्य में शेर और बकरी एक घाट पर पानी पीते थे….
और दूसरी घाट वाले घाटे में रहते थे….
इसलिए उन्होने उसके खिलाफ दास्तान अमीर-हमज़ा लिखवादी थी….!

बहुत ना चहकिये….आप भी फँसाने वाले है….

खुदा की पनाह….

डॉक्टर शाहिद चंगेज़ी की बहन डॉक्टर मलइक़ा चंगेज़ी की भी अभी शादी नही हुई….

यक़ीन नही कर सकता….कोई मलइक़ा चंगेज़ी नही हो सकती….
क्यूँ कि चंगेज़ ख़ान चपटी नाक वाला एक मंगोल चरवाहा था….!

शर्म नही आती अपने दादाओं को चरवाहा कहे रहे है….
शायद घांस खा गये है….!

हाँ….तो भाई जान नौ शेरवान….दूसरी बोली

भाई जान नौशेरवान होने से पहले ही मर जाना पसंद फरमाएँगे….इमरान ने बुरा मान कर कहा

आरे….क्या वो आया है….? दरवाज़े की तरफ से अम्मा बी की आवाज़ आई

सन्नाटा छा गया…. और
इमरान बौखला कर चादर समेटता हुआ उठा ही था कि किसी की उंगली में सुई उतर गयी….वो चीखी तो दूसरों ने भी हुल्लड़ मचा दिया

आख़िर हो क्या रहा है….अम्मा बी झल्ला कर बोली

का..का….काशीदा कारी….इमरान हकलाया

खाम्खा हर काम टाँग आड़ा देते है….एक कज़िन ने तुनक कर कहा

इमरान ने चोर नज़रों से उसकी तरफ देखा और सर झुका लिया

इतने दिनों बाद आया है….और….यहाँ बैठ गया….अम्मा बी बोली

वो चुप-चाप कमरे से निकल कर उनके पीछे चलने लगा….राहदारी में रुक कर वो मूडी….तू ना आता तो मैं खुद तेरे पास आती….उन्होने कहा

कोई ख़ास बात अम्मा बी….?

खुदा खुदा कर के ये दिन आया था….लेकिन….

लेकिन क्या….?

मैं नही जानती….भाई होगी कोई वजह….आदमी नही जानता कि कब क्या हो जाएगा….उस पर इतना चराग़ पाने की क्या ज़रूरत है

आख़िर हुआ क्या….?

चल मेरे कमरे में बताती हूँ….वो फिर आगे बढ़ गयी

कमरे में पहुँच कर वो बोली….बैठ जा चैन से….बताती हूँ

इमरान सामने वाली कुर्सी पर आराम से बैठ गया….

डॉक्टर शाहिद ने इस्तीफ़ा दे दिया है….

उसे इस्तीफ़ा नही भाग खड़ा होना कहते है अम्मा बी….

क्या बकवास कर रहा है….

आप यही कहना चाहती है ना उसने मँगनी तोड़ दी है….

क्या मुझे अनपढ़ समझता है….उसने मुलाज़िमत से इस्तीफ़ा दे दिया है….!

तो फिर….उसमे परेशानी की क्या बात है….?

मुझे कोई परेशानी नही है….
लेकिन वो आपे से बाहर हो रहे है….!

हुह….इमरान सर हिला कर बोला

खुदा-खुदा कर के अपने काफु( विरादरी ) का एक शक्श मिला था….

अरे तो कहाँ भागा जा रहा है….कोई बड़ा प्लान होगा सामने इसलिए दे दिया इस्तीफ़ा….माहिर सर्जन है….अपना हॉस्पिटल कायम कर के लाखों कमाएगा

इस्तीफ़ा भी मंज़ूर नही हुआ….हेल्त मिनिस्टर के सेक्रेटरी के पास है….उसने तुम्हारे बाप को इत्तिला दी है….खुद डॉक्टर शाहिद ने उसका ज़िक्र किसी से नही किया….मलइक़ा तक नही जानती….

मलइक़ा….?

डॉक्टर शाहिद की बहन….वो भी डॉक्टर है प्राइवेट प्रॅक्टीस करती है….!

चंगेज़ी ही तो ठहरे….चीर-फाढ़ वाला पेशा इकतियार ना करेंगे तो क्या करेंगे….!

फ़िज़ूल बातें ना कर….उन्हे किसी तरह ठंडा कर….!
कहाँ है….?

लाइब्ररी में….

अच्छी बात है….
लेकिन सुरैया राज़ी है इस रिश्ते पर….

हाँ….हाँ….दोनो एफ.एस.सी में क्लास फेलो थे….

तब तो ठीक है….इमरान सर हिलाता हुआ उठ गया….!

रहमान साहब कोई किताब देख रहे थे….चहरे पर सुकून तारी था….परेशानी का दूर-दूर तक पता नही था….!

क्या मैं हाज़िर हो सकता हूँ….इमरान ने खकार कर पूछा

रहमान साहब चौंक पड़े….किताब मेज़ पर रखी और उसे गौर से देखते हुए बोले….आओ

इमरान करीब पहुँच कर खड़ा हो गया….

बैठ जाओ….उन्होने सामने वाली कुर्सी की तरफ इशारा किया….
और उसके बैठ जाने के पर सवाल किया….3 माह से कहाँ थे….?

ऑर्डर लेता हुआ फिर रहा था….यूरोपी मुल्कों से….झपक भाई एक्षपोटेर ने अपना ट्रॅवेलिंग एजेंट मुक़र्रर कर दिया है….कमीशन के एक लाख 55 हज़ार बनेंगे….

मैं तुम्हारी माली पोज़िशन नही मालूम करना चाहता….

मुझे शादी का मालूम होता तो फ्री पोर्ट से दहेज का सामान खरीद लाता….

शुक्रिया….उसकी ज़रूरत नही….वो खुश्क लहजे में बोले

वो कुछ इस्तीफ़े की बात सुनी है….

हाँ….अगर उसने इस्तीफ़ा वापिस नही लिया तो ये शादी भी ना हो सकेगी…

फ़ैसले में जल्दी ना की जिए तो बेहतर है….

इस्तीफ़ा अभी मंज़ूरी के लिए पेश नही किया गया….

बस तो मुझे थोड़ा सा वक़्त दी जिए….

तुम क्या करोगे….?

बौखला कर इस्तीफ़ा वापिस ले लेगा….

कोई गैर-ज़िम्मेदाराना हरकत भी पसंद ना करूँगा….

किस की….? इमरान के लहजे में हैरत थी

तुम्हारी….वो उसे घूरते हुए बोले

जब से ट्रॅवेलिंग एजेन्सी संभाली है….

फ़िज़ूल बातें ना करो….

जी बेहतर है….

उसके साथियों को भी इल्म नही है कि उसने इस्तीफ़ा दिया है….
उसकी बहन को भी मेरी ही तरफ से उसका इल्म हुआ है….!

अच्छा….वो क्या नाम है….लक़लाक़ा….लाहोल….मलइक़ा

रहमान साहब ने तेज़ नज़रों से देखा….
और
फिर….दूसरी तरफ देखते हुए बोले….उसने पूछा तो सिरे से इनकार ही कर दिया….कहता है कि मैं तो 1 हफ्ते की छुट्टी की दरख़्वास्त दी है….
और ये एक हफ़्ता शहर से बाहर गुज़ारना चाहता हूँ….!

झूट भी बोलता है….इमरान ने सपाट लहजे में कहा

तुम यहाँ किस लिए आए हो….? रहमान साहब गुर्रा कर बोले

ख़ैरियत दरियाफ़्त करने आया था….ले….लेकिन….

अब जा सकते हो….रहमान साहब ने किताब उठाते हुए कहा
सलाम अलैकुम….इमरान ने कहा और उठ कर लाइब्ररी से निकल आया….उसके बाद सीधा सुरैया के कमरे की तरफ गया….उसे देख कर वो जल्दी से खड़ी हो गयी

वलैकुम सलाम….कहता हुआ बैठ गया….
हालाँकि
सुरैया ने सलाम नही किया था….

कैसे याद आ गये हम लोग….? सुरैया बोली

तुम खड़ी क्यूँ हो बैठ जाओ….डॉक्टर शाहिद में कीदे निकाल ने नही आया….नेक नाम आदमी है….बेहतर किस्म का शोहर (पति) साबित होगा

शुक्रिया….सुरैया ने जले-कटे लहजे में कहा

और….तुम्हे इसका भी इल्म होगा के….

मुझे मालूम है….सुरैया इमरान का जुमला पूरा होने से पहले ही बोल पड़ी

क्या ख़याल है….

मैं क्या जानू….

इस्तीफ़ा देने के बाद भी वो फकीर नही हो जाएगा….

ज़ाहिर है….

लेकिन….नादर्शाह का ख़याल है कि इस्तेफ़ा मंज़ूर होने की सूरत में वो दमादि के शरफ़ (सौभाग्य) से महरूम रहेगा….!

डॅडी के खिलाफ एक लफ्ज़ भी नही सुन सकती….

अच्छा….तो फिर मैं डॉक्टर शाहिद को जवाब दे आता हूँ….इमरान उठता हुआ बोला

अरे….अरे….

फिर….तुम क्या चाहती हो….?

मैं क्या बताऊ….सुरैया नर्म पड़ती हुई बोली

वो खुद डॉक्टर से नही पूछेंगे कि उसने इस्तीफ़ा क्यूँ दिया है….

आप ठीक कह रहे है….

इसलिए मेरा फ़र्ज़ हो जाता है….
लेकिन
सवाल तो ये पैदा होता है कि इस्तीफ़े को छुपाया क्यूँ जा रहा है….क्या मलइक़ा से तुम्हारी गुफ्तगू हुई है….!

हुई थी….लेकिन वो कुछ नही जानती….

वो एक हफ्ते की छुट्टी की दरख़्वास्त….?

मलइक़ा से मालूम हुआ….

उन मोहतार्मा से कहाँ मुलाकात हो सकती है….फिलहाल डॉक्टर शाहिद से सीधे गुफ्तगू नही करना चाहता….

इस वक़्त वो अपनी क्लिनिक में होगी….सनडे को 1 बजे तक बैठती है….शाम को क्लिनिक बंद रहता है….

मतलब ये है कि मैं 1 बजे के बाद क्लिनिक में ही उससे मिल लूँ….

जैसा आप मुनासिब समझे….
 
आधा तीतर आधा बटेर-2

अरे तो चेहरे पर ये मातमी फ़िज़ा क्यूँ तारी कर रखी है….तेरा भाई तो नही मर गया….

खुदा ना करे….सुरैया की आँखों में आँसू आ गये और उसने अपना निचला होंठ दाँतों में दबा लिया

पगली कहीं की….सब ठीक हो जाएगा….अब नादर्शाही नही चलेगी….

डॅडी से ना उलझीएगा….

सवाल ही नही पैदा होता….इमरान बोला….अच्छा बस हर वक़्त मुस्कुराते रहने का वादा करो पहले

वो ज़बरदस्ती मुस्कुरादी….

ठीक है….मैं चला….फ़िक्र की कोई बात नही….अम्मा बी से कहे देना डॅडी से इस सिलसिले में कोई बात ना करे….

सुरैया ने सर हिला कर हाँ में जवाब दिया......!

थोड़ी देर बाद इमरान की टू-सीटर डॉक्टर मलइक़ा के क्लिनिक की तरफ जा रही थी….उसने घड़ी देखी 12:30 बजे थे
और इमरान के चेहरे पर 12 बज रहे थे….

क्यूँ कि उसने इससे पहले कभी डॉक्टर मलइक़ा को नही देखा था….

और ये नाम तो बचपन से ही उसके लिए तकलीफ़ देह रहा है….जिस स्कूल में शुरुआती तालीम हासिल की थी….उसकी हेडमिस्ट्रेस का नाम भी मलइक़ा था….बड़ी खूखार ख़ासी भारी भरकम औरत थी….उसके साथी टीचर्स उन्हे मलइक़ा की बजाए “फ़ीलपा कहा करती थी….खूखार औरत थी….
और इमरान कम-आज़-कम हफ्ते में दो-बार उनके हाथ से ज़रूर पिटता था….मलइक़ा रिचर्डसन थी….
मगर इमरान उन्हे मलइक़ा चीढ़-फाढ़ कहता था….साथी बच्चे शिकायत कर देते थे….
और होती पिटाई….
बहेरहाल उस नाम पर इमरान के जेहन में उन्ही का चेहरा उभरा था….!

गाड़ी उसने क्लिनिक के सामने रोकी….कयि गाड़ियाँ और भी खड़ी हुई थी….वो सीधे अंदर चला गया….
और एक नर्स से डॉक्टर मलइक़ा के बारे में पूछा….

वो….बाहर जा रही है….नर्स ने इशारा किया….

इमरान ने मूड कर देखा….एक देसी औरत एक गैर मुल्की (विदेशी) सफेद फाम औरत के साथ चली जा रही थी….दोनो की पीठ उसकी तरफ थी….इमरान तेज़ी के साथ आगे बढ़ा और ठीक उस वक़्त उनके करीब जा पहुँचा जब वो एक गाड़ी में बैठ रही थी….

मुआफ़ की जिएगा….इमरान ने बौखलाए अंदाज़ में कहा….मैं आप से मिलने आया था….!

तशरीफ़ रखिए मैं अभी आती हूँ….एक मरीज़ को देख कर….!

जी बहुत अच्छा….

सफेद फाम लड़की ने एंजिन स्टार्ट किया….
और गाड़ी आगे बढ़ गयी….

इमरान खड़ा देखता रहे गया….नये मॉडेल की शानदार मर्सिडीस कार थी….वो ढीले-ढाले अंदाज़ में चलता हुआ वेटिंग रूम में आया….
और एक कुर्सी पर बैठ कर उनघने लगा….आधा घंटा गुज़र गया….
लेकिन मलइक़ा की वापसी ना हुई….ज़रा सी देर में ही इमरान ने उसका तफ़सीलि से जायेज़ा ले लिया था….

वो उसकी तस्सउूराती मलइक़ा से अलग थी….ना भारी भरकम और ना बदसूरत….आवाज़ में भी नर्मी थी….
और आधा घंटा गुज़र गया….वो क्लिनिक में बेचैनी महसूस कर रहा था….
क्यूँ कि मामला था आधे दिन की छुट्टी का….
और अब 2 बजने वाले थे….क़ायदे से एक ही बजे क्लिनिक को बंद होना चाहिए था….

इमरान उठ कर डिसपेनसरी की तरफ चला गया….

कम्पाउन्डर एक नर्स से कह रहा था….कैसे क्लोज़ कर दूं….गाड़ी छोड़ कर गयी है….मुझे रुकना पड़ेगा….तुम लोग जाओ….!
क्या हमेशा इसी तरह चली जाती है….? इमरान ने आगे बढ़ कर पूछा

आप कौन है जनाब….? कम्पाउन्डर ने उसे घूरते हुए सवाल किया

मुझे बैठा कर गयी है….उनसे मिलने आया था….

कुछ कहा नही जा सकता कि कब आएँगी….

मैं क़यामत तक इंतेज़ार करूँगा….

आप है कौन….?

एक मरीज़….

वो मर्दों को नही देखती….

ना देखना होता तो मुझे बैठा कर क्यूँ जाती….

मैं नही जानता….बैठिए….

क्या कोई गैर मुल्की (विदेशी) मरीज़ है….

हरगिज़ नही….नर्स बोली….मेरे इल्म में कोई अँग्रेज़ मरीज़ कभी नही रहा….

मरीज़ा होगी….मर्दों को कहाँ देखती है….इमरान ने कम्पाउन्डर को आँख मार कर कहा….
और कॉमपाउंडर उसे गुस्सैली नज़रों से देख कर रह गया

जी नही….कोई गैर मुल्की मरीज़ा भी नही है….
और उस लड़की को मैने यहाँ पहली बार देखा है….

आख़िर गयी कहाँ है….?

किसी को बता कर नही गयी कि कहाँ जा रही है….

बड़ी मुसीबत है….मैं बकरो के रेट लाया हूँ….

बकरो के रेट....

जी हाँ….अपना बकरा खुद ज़बाह (स्लॉटरिंग) करेंगी….ख़ास्सबों (बुच्स) ने धांदली मचा रखी है….

मुझसे तो नही कहा….नर्स बोली

क्लिनिक में नही ज़बाह करेंगी….

आप पता नही कैसी बात कर रहे है जनाब….सियाह फाम कॉमपाउंडर ने लाल-लाल आँखें निकाली

आप ने डॉक्टर ज़ैदी के कम्पाउन्ड को देखा….इमरान ने नर्स से पूछा

जी नही….

एक से एक गुलफाम और घुंघराले बालों वाला है….
और एक ये है….इमरान ने कम्पाउन्डर की तरफ देख कर कहा

आप का दिमाग़ तो नही खराब हो गया….कम्पाउन्डर भन्ना कर बोला

इमरान ने उसकी तरफ तवज्जो दिए बगैर नर्स से कहा….गोश्त की प्राब्लम का वाहेद हाल ये है कि कुछ लोग मिल कर एक तन्द्रुस्त बकरा खरीदें और ज़बाह कर के आपस में तक़सीम कर ले….रेफ्रिजरेटर तो करीब-करीब सब रखते है….नही भी रखते तो पड़ोसी पर पड़ोसी का हक़ बहेरहाल होता है….जब गोश्त ख़त्म हो जाए तो फिर बकरा खरीद ले….खरीद कहाँ से ले मुझसे मामला तय करे….बाज़ार से सस्ता गोश्त ना मिले तो ये धंधा ही छोड़ दूँगा….

आप तशरीफ़ ले जाइए….हमें नही चाहिए बकरा-वकरा….कॉमपाउंडर चिड-चिड़ाया

वकरा तो मैं खुद भी आप को नही दूँगा….डॉक्टर और कॉमपाउंडर के बस का रोग नही….!
ये वकरा क्या होता है जनाब….नर्स ने मुस्कुरा कर पूछा

कॉमपाउंडर साहब जानते है….

मैं साहब नही चमार हूँ….आप तशरीफ़ ले जाइए

अपनी ज़ुबान से तो ना कहिए….

आप चले जाए यहाँ से….

कैसे चला जाउ डॉक्टर मलइक़ा बैठा कर गयी है….

तो जा कर बैठिए उन्ही की कुर्सी पर….

आइए….आइए….मेरे साथ आइए….नर्स दरवाज़े की तरफ बढ़ती हुई बोली

इमरान उसके पीछे वेटिंग रूम में आया….!

यहाँ बैठिए….वो बद-दिमाग़ है….ज़रा सी देर हो गयी तो पागल हुआ जा रहा है….नर्स ने कहा

ऐसे हालत का आदि नही मालूम होता….

जी नही….डॉक्टर बहुत ब-असूल है….मुझे तो नही याद पड़ता कि ऐसा पहले हुआ हो….यक़ीनन वो करीब ही होंगी और 10,5 मिनिट की बात रही होगी….वरना सॉफ इनकार कर देती….

ऐसा ना कहिए….मामला एक अँग्रेज़ लड़की का था….

आप शायद डॉक्टर को अच्छी तरह नही जानते….उन्होने खुद भी एन्ग्लिश्तान ही में तालीम हासिल की है….
और
सफेद फामो से कतई प्रभावित नही है….

तब तो बड़ी अच्छी बात है….!

इसलिए तो मुझे फ़िक्र हो रही है….उसी की गाड़ी पर गयी है कहीं आक्सिडेंट तो नही हो गया….

अरे नही….ऐसा ना सोचिए….

सोचना पड़ता है….
अगर कोई वजह होती तो यक़ीनन फोन कर के इत्तेला देती के उनका इंतेज़ार ना किया जाए और क्लिनिक बंद कर दिया जाए….

अगर….ये बात है तब सोचना पड़ेगा….इमरान ने कहा
और जहन पर ज़ोर डालने लगा….नये मॉडेल की मर्सिडीस थी….
और नंबर….नंबर उसने गौर से देखे थे….
और अगर….यादाश्त धोका नही दे रही थी तो जेहन में नंबर महफूज़ भी थे….एक्सवाईजेड-311

आप घर पर फोन तो की जिए….इमरान ने कहा

जी हाँ….मैं भी यही सोंच रही हूँ….वो उठती हुई बोली
वो चली गयी थी….
और इमरान सोंच में गूम रहा….थोड़ी देर बाद वो वापस आई

नही जनाब….मुलाज़िम था….डॉक्टर शाहिद तो 11 बजे ही कहीं चले गये थे….

बाहर चले गये थे….?

जी हाँ….वो डॉक्टर मलइक़ा को अपनी रवानगी की इत्तेला देने यहाँ आए थे….
लेकिन शायद….डॉक्टर मलइक़ा नही चाहती थी कि वो बाहर जाए….!

ये आप कैसे कहे सकती है….?

दोनो में ख़ासी देर तक बहस-ओ-तकरार होती रही….
फिर वो चले गये थे….
और देर तक डॉक्टर मलइक़ा का मूड खराब रहा था….!

बड़ी अजीब बात है….

अब समझमे नही आता कि क्या करे….

4 बजे तक इंतेज़ार कर के पोलीस को फोन की जिएगा….
और किसी ज़िम्मेदार आदमी की मौजूदगी में क्लिनिक बंद कर के घर चले जाइए….!

और गाड़ी….?

मेरा मतलब था किसी पोलीस ऑफीसर की मौजूदगी में ये कारवाई होनी चाहिए और गाड़ी भी उसके सुपुर्द की जिए….!

********************************************************************************
 
बात बढ़ गयी थी….डॉक्टर मलइक़ा की वापसी 8 बजे तक नही हुई थी….उस दौरान में इमरान ने मर्सिडीस गाड़ी के रेजिस्ट्रेशन नंबर के हवाले से ख़ास मालूमत हासिल कर ली थी….
और
अपने मातहतों को उसके मतलूख हिदायत देने के लिए एक्स-2 वाले फोन का रिसेवर उठाया ही था कि सिट्टिंग-रूम वाले फोन की घंटी बजी….वो रिसेवर रख कर सिट्टिंग-रूम में आया….कॉल रिसीव की….दूसरी तरफ से रहमान साहब की आवाज़ आई ….!
क्या तुम आज मलइक़ा की क्लिनिक गये थे….?

जी हाँ….और 2:30 बजे तक उनकी वापसी का इंतेज़ार करता रहा था….

कॉमपाउंडर ने अपनी रिपोर्ट में तुम्हारा ज़िक्र एक मुश्तबह (संदिग्ध) आदमी की हैसियत से किया है….

कॉमपाउंडर की मर्ज़ी….

अपनी और तुम्हारी गुफ्तगू का पूरा हवाला भी दिया है….

दिया होगा जनाब….अब ये तो हो नही सकता कि मैं अपना तारूफ़ डॉक्टर शाहिद के होने वाले साले की हैसियत से करा देता….

बकवास मत करो….

जी बहुत बेहतर….

फ़ौरन घर पहुँचो….

बहुत बेहतर….

रिसेवर रख कर वो फिर दूसरे कमरे में पहुँचा….
और
एक्स-2 वाले फोन पर सफदार के नंबर डायल किए….

हेलो….दूसरी तरफ से सफदार की आवाज़ आई….

एक्स-2….

यस सर….

जूलीया की रिपोर्ट के मुताबिक वो गाड़ी किसी गैर मुल्की डेविड हॅमिल्टन के नाम पर रिजिस्टर हुई थी….जो 11-वी शहेरा की इमारत शाम बिल्डिंग के 7वे फ्लॅट में रहता है….उसके बारे में और मालूमत हासिल करो….

बहुत बेहतर जनाब….

दूसरी बात….आज 12 बज कर 45 मिनिट पर उस गाड़ी को एक सफेद फाम लड़की ड्राइव कर रही थी….जिस के बाल अखरोट की रंगत के है उम्र 20,25 साल के दरमियाँ….उपरी होंठ पर बायें जानिब उभरा हुआ सुर्ख तिल है….12:45 मिनिट पर वो एक लेडी डॉक्टर मलइक़ा को अपने साथ ले गयी थी किसी मरीज़ को देखने के लिए….डॉक्टर मलइक़ा की वापसी अभी तक नही हुई….मेरा मतलब है 8 बजे तक….अगवा का केस भी हो सकता है….तुम्हे देखना है कि वो लड़की भी उसी फ्लॅट में रहती है या नही….

बहुत बेहतर जनाब….

दट’ऑल….ये कह कर इमरान ने रिसेवर रख दिया

कमरे से निकल ही रहा था कि सुलेमान से मुठभेड़ हो गयी….

कभी फ़ुर्सत भी मिलेगी आप को….? उसने कहा

फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है….क्या तकलीफ़ है तुम्हे….

मेरी मूँछों के दो बाल सफेद हो गये है….

अल्हाम्दुलिल्लाह….बाकी कब तक सफेद हो जाएँगे….?

आप संजीदगी से मेरी बात सुन ली जिए….

इसी वक़्त….?

इसलिए पहले ही पूछ लिया था कि फ़ुर्सत है या नही….

मूँछ के दो अदद बालों के लिए कतई फ़ुर्सत नही….

वो कालिया कह रहा था कि तीसरा बाल भी सफेद हो जाए तो फिर शादी नही होती….

जोसेफ कह रहा था तो फिर ठीक ही होगा….ना मुझे सफेद बालों का तजूर्बा है और ना शादी का….!

आप मुझे 15 दिन छुट्टी देंगे….

जब तीसरा बाल सफेद हो जाएगा….अब चल हट सामने से घर से बुलावा आया है….

घर से बुलावा….? सुलेमान ने हैरत से कहा

अबे हाँ….वो अम्मा की लौंडिया (नौकरानी) गुलरूख है ना उसकी शादी का चक्कर चल रहा है….

किस से….?

क़ादिर से….
लेकिन
क़ादिर उसे पसंद नही है….!

अरे….मेरी शक्ल उसे याद है या नही….?

कोई ताज़ा तस्वीर ला दे….सूरत भी याद आ जाएगी….

तो गोया अभी गुंजाइश है….?

बिल्कुल….बिल्कुल गुलरूख की पसंद का मामला है….

सुलेमान करीब-करीब दौड़ता हुआ वहाँ से रुखसत हुआ था….
और वापसी में भी देर नही लगाई थी….पोस्ट कार्ड साइज़ की तस्वीर इमरान की तरफ बढ़ाता हुआ बोला….ताज़ा तरीन तस्वीर है….!

इमरान ही का कोई सूट पहने….टू-सीटर से टेक लगाए खड़ा था….

अच्छा….तो ये आय्याशियाँ हुई है मेरी घैर मौजूदगी में….इमरान ने तस्वीर को गौर से देखते हुए कहा

आप ही के नाम पर मारता हूँ….लोग देखते है एक-दूसरे से पूछते है कौन साहब है….अरे जानते नही….इमरान साहब के खानसामा (कुक) चौधरी सुलेमान साहब है….!

चौधरी भी है….

टू-सीटर ड्राइव करने वाला लोहार तो कह लाएगा नही….

ठीक कहता है….एक कोठी भी तेरे नाम करा दूँगा….

कौन सी कोठी….?

शहर की जिस कोठी की तरफ भी इशारा कर देगा….
आख़िर खानसमा चौधरी सुलेमान साहब ही का तो इमरान साहब हूँ….!

देखिए बात पक्की ही कर के आईएगा….

और तेरा ये हक़ भी महफूज़ रखूँगा कि मुझे कच्ची रोटियाँ खिलाता रहे….

रात का खाना भी वहीं खा ली जिएगा….सुलेमान ने खुश हो कर कहा

ज़ाहिर है कि मुर्ग तो सिर्फ़ अपने लिए ही लाया होगा….

बड़ा वाला मिला ही नही….

अच्छा….अच्छा..अब हट जा सामने से

तस्वीर तो लेते जाइए….सुलेमान सामने से हट-ता हुआ बोला

ज़ुबानी बता दूँगा कि अपना सूट पहने अपनी टू-सीटर से टेक लगाए खड़ा है चौधरी….तस्वीर में वो दोनो सफेद बाल नज़र आ रहे है….

सुलेमान खड़ा बीसूरता रह गया….
और इमरान फ्लॅट से बाहर निकल आया….!

घर पहुँचा तो रहमान साहब लॉन ही पर टहलते मिल गये….

पहले किंग्सटन स्ट्रीट के थाने जाओ….
फिर यहाँ आना….उन्होने कहा….!
था….था….थाने….इमरान हकलाया

एक मर्सिडीस मिली है….जिसे एक गैर मुल्की लड़की ड्राइव कर रही थी….उसे रोक लिया गया है….तुम शिनाख्त कर सकोगे….!

जी हा….क्या कॉमपाउंडर और नर्स भी….?

मैं नही जानता….तुमसे कह रहा हूँ कि तुम जाओ….

बहुत बेहतर….इमरान ने कहा
और वापसी के लिए मुड़ा….किंग्सटन स्ट्रीट का थाना वहाँ से करीब 3 मील के फ़ासले पर था….टू-सीटर रफ़्तार से रास्ता तय करती गयी….
और फिर….वो थाने के सामने ही रुकी….

करीब एक मर्सिडीस खड़ी नज़र आई….
लेकिन वो गाड़ी नही थी….जिस पर मलइक़ा ले जाई गयी थी….उसका रेजिस्ट्रेशन नंबर और सीरियल भी वो नही था….!

वो थाने में दाखिल हुआ लड़की इंचार्ज के कमरे में मौजूद थी….
और सौ फीसदी वही लड़की थी….जो मलइक़ा को ले गयी थी….!

डॉक्टर मलइक़ा का कॉमपाउंडर भी मौजूद था….इमरान को देखते ही बोल पड़ा….यही साहब थे जो बकरे बेचने आए थे….!

इमरान ने अपना कार्ड इनस्पेक्टर की तरफ बढ़ा दिया….उसने हैरत से उसकी तरफ देखा और खड़ा हो गया….मुझे अफ़सोस है जनाब….उसने हाथ आगे बढ़ते हुए कहा….मुझे इल्म नही था कि आप का मामला है….

ठीक है….ठीक है….मैं ही था अपने दोस्त की बीवी के लिए वक़्त लेने गया था….इमरान ने कहा और सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया….

लड़की माहॉल से ला-तालूक (उदासीन) नज़र आ रही थी….

क्या आपने इसे बता दिया है कि इसे क्यूँ रोका गया है….? इमरान ने इनस्पेक्टर से पूछा

नही जनाब….वो कहीं फोन करना चाहती थी….
लेकिन मैने इजाज़त नही दी….
दरअसल
सी.आइ.बी के कॅप्टन फायज़ की कॉल आई थी….उन्होने कहा था कि वो लड़की की शिनाख्त के लिए किसी को भेज रहे है….

ठीक है….यही लड़की थी….इमरान बोला

कॉमपाउंडर ने भी शनाख्त कर लिया है….

लड़की ने फ़ौरन कबूल कर लिया कि वो डॉक्टर मलइक़ा को ले गयी थी….क्लिनिक से सिर्फ़ 2 फर्लांग के फ़ासले पर रहती हूँ….उसने कहा….करीबी क्लिनिक वही था मैं सीधा वहीं गयी थी….

और
डॉक्टर मलइक़ा को अपनी ही गाड़ी पर क्लिनिक भी वापिस पहुँचा दिया था….? इनस्पेक्टर ने पूछा

नही….मैने कहा था कि पहुँचा दूँगी….
लेकिन उसने कहा कि फासला ज़्यादा नही है….
और उसे रास्ते में किसी जगाह रुक कर कुछ खरीदना भी है….पैदल ही वापिस हुई थी….!
इनस्पेक्टर ने इमरान की तरफ देखा….
और इमरान सर हिला कर बोला….हो सकता है ऐसा ही हुआ हो….इसे बता दी जिए कि डॉक्टर मलइक़ा अभी तक घर नही पहुँची….

इनस्पेक्टर ने लड़की को बता दिया….

खुदा की पनाह….तो इसलिए मुझे रोका गया है….अब तो मुझे घर फोन करने दी जिए….लड़की ने कहा

इनस्पेक्टर ने इमरान की तरफ देखा….अब लड़की भी उसकी तरफ मुतवज्जह (अट्रॅक्ट) हो गयी….

इमरान के चेहरे पर हिमाकतों के डोंगरे बरस रहे थे….

उसने इमरान से कहा….शायद तुम ही तो थे जिस ने चलते वक़्त डॉक्टर से कुछ कहा था

उसी कसूर पर मैं पकड़ा और बुलवाया गया हूँ….इमरान कराहा….

सवाल ये है कि अगर वो गायब हो गयी है तो मेरा क्या कसूर….?

यही तो मैं भी कह रहा हूँ…..मिस्टर.इनस्पेक्टर बराहे माहेरबानी हम दोनो को जाने की इजाज़त दी जिए….हम बिल्कुल बेकसूर है….

ज़ाहिर है….ज़ाहिर है….इनस्पेक्टर सर हिला कर बोला….आप दोनो अपने लिखित बयान दे कर जा सकते है

शुक्रिया….लाएँ काग़ज़….इमरान जेब से पेन निकालता हुआ बोला….
और लड़की से कहा….तुम भी वही लिख दो जो अभी कहा था….!

बिल्कुल लिख दूँगी….

दोनो ने अपना-अपना लिखित बयान इनस्पेक्टर के हवाले कर दिया

तो फिर जाएँ हम दोनो….इमरान ने अहमाक़ाना अंदाज़ में इनस्पेक्टर से पूछा

ज़रूर….ज़रूर….इनस्पेक्टर उठता हुआ बोला….मुझे अफ़सोस है कि आप दोनो को ज़हमत हुई….

इमरान और लड़की साथ ही निकले….!
कैसी दुश्वारी में पड़ गयी हूँ….लड़की ने कहा….पापा को इल्म हो गया तो उनके मर्ज़ में इज़ाफ़ा हो जाएगा….!

तब्खिर माढ़ा (वाष्पीकरण) का शाफ़ी इलाज सिर्फ़ अनेनी में हो सकता है….जादीद मेडिकल साइन्स तो इसमे नाकाम हो चुकी है….

तुम ठीक कहते हो….5 साल से मुसलसिल इलाज हो रहा है….वक़्तिया तौर पर बहाल होते है….
और फिर वही मुसीबत….!

मुझे अनेनी में ख़ासा दखल है….
अगर कहो तो मैं देखलू तुम्हारे पापा को….?

लड़की ने उसे गौर से देखा….कुछ सोचती रही फिर बोली….चलो अच्छा है, तुम अगर उन्हे उस लेडी डॉक्टर के सिलसिले में मुत्मीन (संतुष्ट) कर सको तो मेरे लिए बेहतर होगा….ज़ाहिर है कि जब मैं अपना लिखित बयान दे चुकी हू तो आइन्दा करवाहियों में मुझसे फिर पूछ-गाच हो सकती है….!

हाँ ये बात तो है….

मैं तुम से गुज़ारिश करती हूँ कि ज़रूर चलो मेरे साथ….मैं सख़्त नर्वस हो गयी थी….ये सुनकर के वो अभी तक घर नही पहुचि….तुमने बड़ा सहारा दिया….
अगर तुम दखल अंदाज़ी ना करते तो ये ऑफीसर आसानी से पीछा छोड़ने वाला नही था….!

हाँ….कम-आज़-कम रात भर ज़रूर बंद रखता….

चलो मेरे साथ….उसके बाद जहाँ कहोगे खुद पहुँचा दूँगी….

ज़रूर….ज़रूर….

इमरान उसकी गाड़ी में बैठ गया….लड़की ड्राइव कर रही थी….
 

तुम मुझे बहुत शरीफ आदमी मालूम होते हो….उसने कहा

पता नही….मैं तो नही जानता….इमरान ने अहमाक़ाना अंदाज़ में कहा

मेरे पापा जियालजिस्ट है….तुम्हारी हुकूमत ने उनकी खिदमत हासिल की है….

अच्छा….अच्छा….मैं उनका इलाज कर दूँगा….

लेकिन….हम लोगों के लिए ये तरीका इलाज नया होगा….

बड़ी लज़ीज़ दवाए होती है….तुम तो ये चाहोगी कि उन्हे टोस्ट पर लगा कर खा जाओ….

तब तो बड़ी अच्छी बात है….मेरी छिंकों का इलाज भी कर देना….आती है तो आती ही चली जाती है….

छींकने से पहले नाक में सरसराहट होती है या कान में….?

उस पर तो गौर नही किया….

अब गौर करना….

तो तुम भी डॉक्टर हो….?

हकीम….यूनानी इलाज करने वाले हकीम कह लाते है….!
क्या उस लेडी डॉक्टर से तुम्हारी दोस्ती है….?

नही….पहली बार गया था….एक दोस्त की बीवी के लिए वक़्त लेने….जो यूनानी तरीका इलाज पर यक़ीन नही रखती….

लज़ीज़ दवाए उसे पसंद नही….?

खुदा जाने….ओफफफ्फ़….माफ़ करना….मैने तुम्हारा नाम नही पूछा….!

मेरा नाम कॉर्निला है….तुम नीली कह सकते हो….

शुक्रिया….मेरा नाम इमरान है तुम रन कह सकती हो….

हेलो रन….वो हंस कर बोली

हेलो नीली….

इतनी ज़रा सी देर में हम दोस्त बन गये….लड़की फिर हंस पड़ी….
और इमरान भी अहमाक़ाना अंदाज़ में हंस पड़ा

मैने महसूस किया है कि तुम्हारे यहाँ लड़के और लड़कियाँ अलग-अलग रहते है….

और मुझे ये बात सख़्त ना-पसंद है….

तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है….?

इसलिए तो ये बात सख़्त ना-पसंद है कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है….

मैं कैसी रहूंगी….

त….तू….तुम तो बहुत अच्छी हो….इमरान हकलाया

शुक्रिया….

गाड़ी एक इमारत के कॉंपाउंड में दाखिल हो गयी….ख़ासा बड़ा लॉन था….और….रोशनी का भी माखूल इंतज़ाम था….गाड़ी पोर्च में रुकी….

तुम इंग्लीश के अलावा और कौन-कौन सी यूरोपी ज़ुबान बोल सकते हो….?

कोई भी नही….हमारे यहाँ सिर्फ़ इंग्लीश ही आम तौर पर पढ़ाई जाती है….हम पर अँग्रेज़ों ही की हुकूमत रही है ना….

तुम्हारी इंग्लीश बहुत अच्छी है….

शुक्रिया नीली….

मेरी माद्री ज़ुबान जर्मन है….मेरा बाप पिछली जंग अज़ीम में हिजरत कर के अमेरिका गये थे….

तुम मुझे जर्मन सिखा दो….इमरान ने कहा

बड़ी खुशी से….

वो उसे अंदर लाई और सीधे लाइब्ररी में लेती चली गयी….जहाँ एक अड़ेढ़ उम्र का दुबला-पतला आदमी आराम कुर्सी पर बैठा था….उन्हे देख कर सीधा हो कर बैठ गया….!

ये मिस्टर.इमरान है पापा….वो जल्दी से बोली….मुझे पोलीस ने रोक लिया था….

क….क….क्यूँ….?

परेशान होने की ज़रूरत नही….सब ठीक है….मिस्टर.इमरान की वजह से जल्दी वापसी हो गयी….वो लेडी डॉक्टर आई थी गायब हो गयी है….

गायब हो गयी है….मैं नही समझा….

ये मिस्टर.इमरान उस वक़्त क्लिनिक में मौजूद थे….जब मैं उसे यहाँ लाई थी….तुम तो बेहोश थे उसने इंजेक्षन दिया था….
और फिर जब मैने उसे कहा कि चलो तुम्हे क्लिनिक छोड़ आती हू तो उसने कहा के पैदल ही चली जाएगी….उसे रास्ते में कुछ खरीदना है….

अच्छा….तो फिर….

वो अब तक ना तो क्लिनिक पहुचि है और ना घर….

ये तो बहुत बुरी खबर है….बेबी….
लेकिन तुम्हे पोलीस ने कैसे पकड़ा….?

किंग्सटन स्ट्रीट से गुज़र रही थी कि गाड़ी रोक ली गयी….
फिर ये मिस्टर.इमरान शायद मेरी शनाख्त के लिए बुलवाए गये थे

अच्छा….अच्छा

और मैने पोलीस ऑफीसर का दिमाग़ दुरुस्त कर दिया….इमरान बोला

तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया….हम यहाँ अजनबी है….बैठ जाओ खड़े क्यूँ हो….बेबी….इनके लिए कुछ लाओ….

क्या पियोगे….? नीली ने पूछा

चाइ और सादा पानी के अलावा कुछ नही पीता….

अच्छा….अच्छा….बूढ़ा सर हिला कर बोला….चाइ ही सही

नीली चली गयी….
और इमरान ने बूढ़े से कहा….आप के मर्ज़ के बारे में मालूम कर के सख़्त अफ़सोस हुआ….

 

तुम मुझे बहुत शरीफ आदमी मालूम होते हो….उसने कहा

पता नही….मैं तो नही जानता….इमरान ने अहमाक़ाना अंदाज़ में कहा

मेरे पापा जियालजिस्ट है….तुम्हारी हुकूमत ने उनकी खिदमत हासिल की है….

अच्छा….अच्छा….मैं उनका इलाज कर दूँगा….

लेकिन….हम लोगों के लिए ये तरीका इलाज नया होगा….

बड़ी लज़ीज़ दवाए होती है….तुम तो ये चाहोगी कि उन्हे टोस्ट पर लगा कर खा जाओ….

तब तो बड़ी अच्छी बात है….मेरी छिंकों का इलाज भी कर देना….आती है तो आती ही चली जाती है….

छींकने से पहले नाक में सरसराहट होती है या कान में….?

उस पर तो गौर नही किया….

अब गौर करना….

तो तुम भी डॉक्टर हो….?

हकीम….यूनानी इलाज करने वाले हकीम कह लाते है….!
क्या उस लेडी डॉक्टर से तुम्हारी दोस्ती है….?

नही….पहली बार गया था….एक दोस्त की बीवी के लिए वक़्त लेने….जो यूनानी तरीका इलाज पर यक़ीन नही रखती….

लज़ीज़ दवाए उसे पसंद नही….?

खुदा जाने….ओफफफ्फ़….माफ़ करना….मैने तुम्हारा नाम नही पूछा….!

मेरा नाम कॉर्निला है….तुम नीली कह सकते हो….

शुक्रिया….मेरा नाम इमरान है तुम रन कह सकती हो….

हेलो रन….वो हंस कर बोली

हेलो नीली….

इतनी ज़रा सी देर में हम दोस्त बन गये….लड़की फिर हंस पड़ी….
और इमरान भी अहमाक़ाना अंदाज़ में हंस पड़ा

मैने महसूस किया है कि तुम्हारे यहाँ लड़के और लड़कियाँ अलग-अलग रहते है….

और मुझे ये बात सख़्त ना-पसंद है….

तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है….?

इसलिए तो ये बात सख़्त ना-पसंद है कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है….

मैं कैसी रहूंगी….

त….तू….तुम तो बहुत अच्छी हो….इमरान हकलाया

शुक्रिया….

गाड़ी एक इमारत के कॉंपाउंड में दाखिल हो गयी….ख़ासा बड़ा लॉन था….और….रोशनी का भी माखूल इंतज़ाम था….गाड़ी पोर्च में रुकी….

तुम इंग्लीश के अलावा और कौन-कौन सी यूरोपी ज़ुबान बोल सकते हो….?

कोई भी नही….हमारे यहाँ सिर्फ़ इंग्लीश ही आम तौर पर पढ़ाई जाती है….हम पर अँग्रेज़ों ही की हुकूमत रही है ना….

तुम्हारी इंग्लीश बहुत अच्छी है….

शुक्रिया नीली….

मेरी माद्री ज़ुबान जर्मन है….मेरा बाप पिछली जंग अज़ीम में हिजरत कर के अमेरिका गये थे….

तुम मुझे जर्मन सिखा दो….इमरान ने कहा

बड़ी खुशी से….

वो उसे अंदर लाई और सीधे लाइब्ररी में लेती चली गयी….जहाँ एक अड़ेढ़ उम्र का दुबला-पतला आदमी आराम कुर्सी पर बैठा था….उन्हे देख कर सीधा हो कर बैठ गया….!

ये मिस्टर.इमरान है पापा….वो जल्दी से बोली….मुझे पोलीस ने रोक लिया था….

क….क….क्यूँ….?

परेशान होने की ज़रूरत नही….सब ठीक है….मिस्टर.इमरान की वजह से जल्दी वापसी हो गयी….वो लेडी डॉक्टर आई थी गायब हो गयी है….

गायब हो गयी है….मैं नही समझा….

ये मिस्टर.इमरान उस वक़्त क्लिनिक में मौजूद थे….जब मैं उसे यहाँ लाई थी….तुम तो बेहोश थे उसने इंजेक्षन दिया था….
और फिर जब मैने उसे कहा कि चलो तुम्हे क्लिनिक छोड़ आती हू तो उसने कहा के पैदल ही चली जाएगी….उसे रास्ते में कुछ खरीदना है….

अच्छा….तो फिर….

वो अब तक ना तो क्लिनिक पहुचि है और ना घर….

ये तो बहुत बुरी खबर है….बेबी….
लेकिन तुम्हे पोलीस ने कैसे पकड़ा….?

किंग्सटन स्ट्रीट से गुज़र रही थी कि गाड़ी रोक ली गयी….
फिर ये मिस्टर.इमरान शायद मेरी शनाख्त के लिए बुलवाए गये थे

अच्छा….अच्छा

और मैने पोलीस ऑफीसर का दिमाग़ दुरुस्त कर दिया….इमरान बोला

तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया….हम यहाँ अजनबी है….बैठ जाओ खड़े क्यूँ हो….बेबी….इनके लिए कुछ लाओ….

क्या पियोगे….? नीली ने पूछा

चाइ और सादा पानी के अलावा कुछ नही पीता….

अच्छा….अच्छा….बूढ़ा सर हिला कर बोला….चाइ ही सही

नीली चली गयी….
और इमरान ने बूढ़े से कहा….आप के मर्ज़ के बारे में मालूम कर के सख़्त अफ़सोस हुआ….
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क्या बताऊ….सारा कसूर खरगोश के गोश्त का है….5 साल पहले एक ऐसे क्षेत्र का सर्वे करना पड़ा था….जहाँ खरगोश के अलावा और कोई जानवर पाया नही जाता….6 माह उसी के गोश्त पर गुज़ारा करना पड़ा था….
और ये मर्ज़ मोल ले बैठा….!

अरे खरगोश क्या….यूनानी इलाज तो हाथी तक को मटन बना कर रख देती है….

यूनानी इलाज….?

हाँ….खरगोश के गोश्त के ख़तरनाक असरात दूर हो सकते है….ईमली की पत्तियाँ उसके पेट में भर के उबाल दो….ख़तरनाक असरात बे असर हो कर रह जाता है….!
ईमली की पत्तियाँ अगर उस इलाक़े में ना मिलती हो तो….

गीली मिट्टी कहाँ नही होती….खाल उतार कर गंदगी सॉफ कर के गीली मिट्टी में दबा दो….3 घंटे तक दबा रहने दो….फिर निकाल कर धो लो….बस समझ लो कि ईमली की पत्तियॉं वाली करवाई हो गयी….

इमरान कुछ और भी कहना चाहता था कि नीली वापिस आ गयी….

अब कोई पोलीस ऑफीसर यहाँ भी आ पहुँचा है….उसने कहा

आने दो….उसका भी दिमाग़ दुरुस्त कर दूँगा….हाँ….तो मैं ये कहे रहा था के यूनानी….

बूढ़े ने हाथ उठा कर इमरान को खामोश रहने का इशारा किया….
और नीली से बोला….बहुत बुरा हुआ….बहुत बुरा….हम लोग बड़ी मुसीबत में पड़ गये है….बुलाओ उसे….

फिर कॅप्टन फायज़ इमरान की शक्ल ही देखता रह गया….
क्यूँ कि यूनानी इलाज के गुण बड़ी महत्पूर्णी से बयान किए जा रहे थे….
और वो ऐसा बन गया था जैसे फायज़ से जान-पहचान तक ना हो….

फायज़ ने भी छेड़ना मुनासिब नही समझा….लड़की से सीधे सवालात करने लगा था….इमरान खामोश सुनता रहा….बूढ़ा भी खामोश था

क्या कोई ऐसा गवाह है जिस ने मलइक़ा को यहाँ से पैदल जाते देखा हो….फायज़ ने आख़िरकार अपनी समझ में सब से ज़्यादा ख़तरनाक सवाल किया….

लड़की हिचकिचाई थी….
लेकिन इमरान ताड़ से बोला….है क्यूँ नही….बराबर वाले बंगल में इंटरनॅशनल बॅंक के असिसटेंट मॅनेजर सिद्दीक़ रहता है उसने देखा था….!

वो तीनो ही उसे हैरत से देखने लगे….

मैं अभी उसे बुलाए ला ता हूँ….इमरान उठता हुआ बोला

जी नही….आप तशरीफ़ रखिए….फायज़ ने भन्ना कर कहा

हाँ….शायद रन ठीक कहता है….नीली बोली

रन….फायज़ की आँखें फैल गयी….

मेरा नाम इमरान है….ये बे-तकल्लूफ में रन कहती है….हम पुराने दोस्त है

फायज़ ने लंबी साँस ली….
और शायद खुद को काबू में रखने की कोशिश करने लगा….!
आप उस वक़्त क्लिनिक में मौजूद थे….? फायज़ ने खकार कर कहा

जी हाँ….मैं वहाँ मौजूद था….!

ताज्जुब है कि आप गाड़ी में नही बैठ गये….जब कि पुराने दोस्त थे

ये मैं ही जानता हूँ कि मुझे कब क्या करना है….

फिर….आप तस्दीक़ (पुष्टि) के लिए क्यूँ बुलवाए गये थे जनाब जब कि पुराने दोस्त है….

लो भाई कमाल है वो पोलीस ऑफीसर कैसे जान सकता है कि हम पुराने दोस्त है….क्या आप को मालूम था….? मैने अभी बताया है….

उसके बाद फायज़ चन्द उल्टे-सीधे सवालात करने के बाद रुखसत हो गया….

देखा उसका भी दिमाग़ दुरुस्त कर दिया ना….इमरान खुश हो कर बोला

वो तो ठीक है….बूढ़े ने ताश्विश (चिंता) लहजे में कहा….
लेकिन
मेरे पड़ोसी बॅंक मॅनेजर वाली शहादत वाली बात….?

वो येई कहेगा कि उसने लेडी डॉक्टर को पैदल जाते हुए देखा था….मेरा दोस्त है

वाह रन वाह….तुमने तो थोड़ी देर पहली की दोस्ती का हक़ अदा कर दिया….नीली ने कहा

लफ्ज़ दोस्ती का तखदुस और एहतेराम (पवित्रिता और सम्मान) कोई हम मसहरीक़ियों (ईस्टर्न) से पूछे

मैं तस्लीम करता हूँ….बूढ़ा बोला

फिर….चाइ आई और उसके बाद नीली ने इमरान से कहा कि वो जहाँ कहे उसे पहुँचा देगी

नही….मुझे पैदल जाने दो….इमरान ने कहा….तुम्हारे पड़ोसी बॅंक मॅनेजर से भी तो बात पक्की करनी है….कल खुद ही इधर आ जाउन्गा

बाहर निकल कर वो बराबर वाले बंगले के कॉंपाउंड में दाखिल हुआ….
और बरामदे की तरफ चल पड़ा….

आधे घंटे के बाद सिद्दीक़ी के बंगल से निकल कर फूटपाथ पर खड़ा हो गया….किसी टॅक्सी के इंतेज़ार था

अपनी टू-सीटर तो किंग्सटन के थाने के बाहर छोड़ा था

टॅक्सी जल्दी ही मिल गयी….ड्राइवर को किंग्सटन स्ट्रीट चलने की हिदायत दे कर सीट पर बैठ गया….
फिर जल्द ही अंदाज़ा हो गया था कि एक गाड़ी टॅक्सी का पीछा कर रही है….

नही….किंग्सटन नही….पहले मुझे सिविललाइन जाना है….इमरान ने ड्राइवर से कहा

बहुत अच्छा जनाब….

गाड़ी अब भी पीछा कर रही थी….इमरान ने जेब से चूयिंग-गम का पॅकेट निकाला और मूह में एक पीस डाल कर उसे आहिस्ता से खींचने लगा….



 
हालात तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे….पीछा करने का मतलब ये था कि बाप-बेटी उसकी तरफ से मुत्मयीन नही थे….ये महज उसके बारे में पूरी मालूमात हासिल करने के लिए ये कदम उठाया गया हो….
बहेरहाल उसे राणा पॅलेस जाना था….रहमान साहब से मुलाकात भी ज़रूरी थी….
लेकिन वो कम-अज-कम इस वक़्त किसी किस्म का रिस्क लेने पर तैयार नही था….

टॅक्सी उसने राणा पॅलेस के सामने रुकवाई….
और पीछा करने वाली गाड़ी आगे बढ़ती चली गयी….!
टॅक्सी से उतर कर उसने किराया अदा किया….
और फाटक की तरफ चल पड़ा….

यहाँ ब्लॅक-ज़ीरो राणा ताहवार अली का सेक्रेटरी की हैसियत से मुस्तकिल (स्तही) तौर पर रह रहा था….

फाटक पर पहुँच कर इमरान ने चौकीदार से कहा….राणा साहब के सेक्रेटरी को फोन करो कि इमरान आया है

सेक्रेटरी की इजाज़त हासिल किए बगैर चौकीदार किसी को कॉंपाउंड में कदम रखने नही देता था….

फाटक पर खड़े ही खड़े इमरान ने पीछा करने वाली गाड़ी की वापसी भी नोट की….गाड़ी की रफ़्तार भी ज़्यादा तेज़ नही थी….
शायद ड्राइवर उस इमारत और इस जगह को ज़हें नशीन कर लेना चाहता था….!

थोड़ी देर बाद इमरान इमारत के एक कमरे से रहमान साहब को फोन कर रहा था….ब्लॅक-ज़ीरो उसके करीब ही खड़ा था….

क्या बात है….तुम आए क्यूँ नही….? रहमान साहब ने सवाल किया

गालिबान फायज़ साहब ने रिपोर्ट दी होगी….

तुम्हारी ये हरकत मेरी समझ में नही आई….?

वो मैं बाद में अर्ज़ करूँगा….पहले ये बताए कि मामला किंग्सटन थाने से अचानक आप के महकमे में कैसे में कैसे पहुच गया….?

मुझे हालात का इल्म नही था….मैने शाम को 6 बजे मलइक़ा से घर पर बात करना चाहा….वहाँ पर नर्स मौजूद थी जिस के सामने वाकिया हुआ था….उसी ने मेरी कॉल रिसीव की….
और बताया कि किंग्सटन के थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गयी है….उसने उस आदमी का ज़िक्र भी किया जो मलइक़ा को बकरे बेचना चाहता था….मैने फायज़ को हिदायत की कि वो थाने से मालूमात हासिल करे

बहेरहाल….मैं चाहता हूँ कि आप का माहेक्मा इस मामले की तरफ से अपनी तवज्जो फौरी तौर हटा ले….

क्या मतलब….?

खेल बिगड़ जाएगा….उसे फिलहाल किंग्सटन के थाने ही तक रहने दी जिए….लड़की बिला-शुबा (निस्स संदेह) वही है….
लेकिन मर्सिडीस वो नही है….हाँ डॉक्टर शाहिद का कुछ पता चला….?
कोई नही जानता कि वो कहाँ गया है….

मलइक़ा के अगवा की दास्तान प्रेस में जाने दी जिए….उसकी तस्वीर समेत….

क्यूँ….?

शाहिद की वापसी के लिए….

ज़रूरी नही है….

मेरा ख़याल है कि दोनो की गुमशुदगी एक ही सिलसिले की कड़ियाँ है….

आख़िर किस बिना पर….?

बिना ही मालूम करने के लिए शाहिद की फौरी वापसी बेहद ज़रूरी है….

आख़िर तुम्हारे जहन में क्या है….

शाहिद ख़ौफ़ में था….खराइन (एविडेन्स) से यही मालूम होता है….

तुम्हारा ख़याल दुरुस्त है….मैं भी इसी नतीजे पर पहुँचा हूँ….!

तो फिर इसे प्रेस में जाने दी जिए….!

अच्छी बात है….

फिलहाल सिर्फ़ फोन पर राबता रख सकूँगा….

अच्छा….दूसरी तरफ से सिलसिला ख़त्म होने की आवाज़ आई….

10:30 बजे….इमरान ने अपने फ्लॅट का नंबर डायल किया….सुलेमान ने कॉल रिसीव किया
तेरे लिए सुनहेरा मौक़ा है….इमरान ने माउत-पीस में कहा

क्या बात पक्की हो गयी है जनाब-ए-आली….सुलेमान चहक सुनाई दी

थोड़ी सी कुछ है अभी….देख मेरा सब से अच्छा सूट पहेन और एक टॅक्सी कर के कींस्टोन के थाने पहुँच जा….टू-सीटर बाहर ही खड़ी मिलेगी….तुझे इल्म तो है कि इग्निशन की दूसरी कुंजी किस खाने में छिपा कर रखता हूँ….!

अच्छी तरह जनाब-ए-आली….

बस तो फिर उसे वहाँ से गॅरेज में पहुँचा दे….

क्या बात है….?

सूट उतार कर उसे धो कर सलीके से प्रेस करना और अलमारी में लटका देना….इमरान ने कहा और सिलसिले को ख़त्म कर दिया

 

वो सोंच रहा था कि अगर सफदार ने रिपोर्ट दी होगी तो फोन से अटॅच रेकॉर्डर में रेकॉर्ड हो गयी होगी….
और अब उसके लिए घर ही जाना पड़ेगा….
लेकिन फिर उसने यहीं से सफदार के नंबर डायल किए….
लेकिन
जवाब ना मिला….!
देर तक कुछ सोचते रहने के बाद उसने जूलीया के नंबर डायल किया….

हेलो….दूसरी तरफ से आवाज़ आई….

एक्स-2….

यस सर….जनाब मैने आप से राबता कायम करने की कोशिश की थी….

क्यूँ….?

जज़ीरा (आइलॅंड) मोबार से सफदार की कॉल आई थी….उसने आप से राबता कायम करने की कोशिश की थी….11 बजे फिर कॉल करेगा

उससे कहो कि….3796….पर मुझसे गुफ्तगू कर सकता है….इस वक़्त से सुबह 5 बजे तक….

बहुत बेहतर जनाब….

इमरान ने सिलसिला ख़त्म कर दिया….

वो जज़ीरा (आइलॅंड) मोबार जा पहुँचा है….इमरान ने मूड कर ब्लॅक-ज़ीरो से कहा

हो सकता है किसी का पीछा कर रहा है….

येई बात हो सकती है….!

11:05 पर सफदार की कॉल आई….तफ़सीलि मालूमात का मौक़ा ही नही मिला जनाब….वो कह रहा था….ठीक 8:45 बजे दोनो फ्लॅट से निकले थे और उसी मर्सिडीस में बैठ कर वहाँ से रवाना हो गये थे….मैने पीछा करना ही मुनासिब समझा….

किन दोनो की बात कर रहे हो….?

डेविड हॅमिल्टन और लड़की….

कौन लड़की….?

वही जनाब जिस के होंठ पर सुर्ख तिल है जो दूर से भी नज़र आता है….बाल अखरोट की रंगत के है….!

अच्छा….आगे कहो

वो बंदरगाह पहुँचे और उस बड़ी और तेज़ रफ़्तार लॉंच पर सवार हो गये जो करीबी जज़ीरों (आइलॅंड्स) तक जाती है….मैं भी उसी लॉंच में उनके साथ मोबार तक आ पहुचा….
और अब वो यहाँ इस वक़्त ब्लू हेवेन नाइट-क्लब में पागलों की तरह डॅन्स कर रहे है….

लिहाज़ा….तुम होशमंदों की तरह फ़ौरन वापस आजाओ….
और वहाँ ठहरो जहाँ उन्होने बंदरगाह पर अपनी गाड़ी पार्क की है….इस पर ख़ास तौर पर नज़र रखना कि लड़की भी वापस आती है या नही….!

बहुत बेहतर जनाब….

जल्दी करो….

बहुत बेहतर….

इमरान ने रिसेवर रखते हुए ब्लॅक-ज़ीरो से कहा….वो पूरी तरह होशियार है….और….उन्हे पल-पल की खबर है….!

मैं नही समझा जनाब….?

लड़की 8:45 बजे मेरे साथ थी….
और वो कह रहा है कि 8:45 को उसका पीछा कर रहा था….वो डेविड हॅमिल्टन के साथ है और दोनो जज़ीरा (आइलॅंड) मोबार के नाइट-क्लब में डॅन्स कर रहे है….!

हैरत अंगेज़….

कतैई नही….जिस लड़की के साथ मैं था सफदार ने उसकी शक्ल तक नही देखी….सुर्ख तिल बना लेना मुश्किल नही और ये लड़की की आसान तरीका शनाख्त है….!

तब फिर….ये लड़की बेखौफ़ हो कर किंग्सटन थाने के करीब से गुज़री होगी ताक़ि शक से बाहर हो जाए….

हो सकता है….
लेकिन ये अहमाक़ाना हरकत है….मामलात को उलझाने का एक घटिया तरीका….बा-खबर ज़रूर है वो लोग….
लेकिन होशियार नही या फिर बहुत ज़्यादा होशियार है….
और हमें ये बताने की कोशिश कर रहे है कि बिल्कुल गामड है….आसानी से पकड़े जाएँगे….!

जी हाँ….दोनो ही सूरतें हो सकती है….!

खैर….देखा जाएगा….
इमरान उसी कमरे के एक सोफे पर लेट गया और फोन सरहाने रख लिया
12:10 पर फोन की घंटी बजी….

दूसरी तरफ सफदार था….मैं बंदरगाह पर वापिस आ गया हूँ जनाब….
लेकिन गाड़ी उस जगह मौजूद नही है जहाँ पार्क की गयी थी….

घर वापस आ कर सो जाओ….मुझे भी नींद आ रही है….इमरान ने कहा और रिसीवर रख कर रोशनी बुझा कर लेट गया….!

दूसरी सुबह अख़बारात में डॉक्टर मलइक़ा के अगवा की दास्तान छाप गयी थी….
और साथ ही तबसेरह (टिप्पणी) भी था कि माहिर जियालजिस्ट हंस प्रिसिलीया की बेटी के बयान से मालूम होता है कि डॉक्टर मलइक़ा की पैदल वापसी पर तो ये वारदात इतनी आसानी से नही हो सकती….इंटरनॅशनल बॅंक के असिस्टेंट मॅनेजर सिद्दीक़ ने मिस कॉर्निला के बयान की पुष्टि की है कि डॉक्टर मलइक़ा वहाँ से पैदल ही रवाना हुई थी….मिस्टर सिद्दीक़ मिस्टर.हंस के पड़ोसी है….!



 
इमरान ने अख़बार ब्लॅक-ज़ीरो की तरफ बढ़ते हुए कहा….जब उस लड़की ने कबूल कर लिया कि वही मलइक़ा को ले गयी थी….
तो फिर…. मोबार वाले ड्रामे की ज़रूरत ही बाकी नही रहती….!

आप ही ने फरमाया था कि वो अपने बारे में हमे ग़लतफहमी में मुब्तेला करने की कोशिश कर रही है….

फिलहाल उसके अलावा और कुछ नही कहा जा सकता….!
फोन की घंटी बजी….
और
इमरान ने रिसीवर उठा लिया….

दूसरी तरफ से सफदार की आवाज़ आई….नयी खबर है जनाब….डेविड हॅमिल्टन नामी आदमी 6 माह पहले उस फ्लॅट में रहता था….अब वहाँ एक बूढ़ी औरत रहती है….पड़ोसियों ने भी उसकी पुष्टि कर दी है….

तो क्या वो दोनो उसके रिश्तेदार थे जिन के साथ तुम मोबार गये थे….?

वो कहती है कि मैं यहाँ तन्हा रहती हूँ….
और
कल तो कोई आया भी नही था….!

तुम्हे यक़ीन है कि तुमने 7वे फ्लॅट से उन्हे निकलते देखा था….?

जी हाँ….मुझे यक़ीन है….!

गाड़ी कहाँ खड़ी की थी….?

इमारत के दो-ढाई फ्रलॉंग के फ़ासले पर वो दोनो वहाँ से पैदल गाड़ी तक गये थे….

बूढ़ी औरत के बारे में क्या ख़याल है….

वो एक ईसाई औरत है….ग्रीन टेंपल गर्ल’स स्कूल में हेडमिस्ट्रेस है….पड़ोसियों से मालूम हुआ है उन्होने कभी किसी मर्द को उसके फ्लॅट में आते नही देखा औरतें ही आती है….
बहेरहाल
मैने उस आदमी का हुलिया भी पड़ोसियों को बताया था….
लेकिन जवाब मिला कि वो डेविड हॅमिल्टन नही हो सकता….डेविड हॅमिल्टन एक मोटा और अड़ेढ़ उम्र का आदमी है….जवान और स्मार्ट नही….!

हुह….अच्छा….दूसरी हिदायत का इंतेज़ार करो….इमरान ने कह कर रिसीवर रख दिया….
फिर
उसने ब्लॅक-ज़ीरो को सफदार की रिपोर्ट से आगाह किया….!

किसी हरकत का भी मक़सद समझमे नही आ रहा है….ब्लॅक-ज़ीरो बोला

पूरी पार्टी इमरान मालूम होती है….इमरान बाईं आँख दबा कर मुस्कुराया

मेरी समझमे तो वो यही चाहते है कि हमारी तमाम तर तवज्जो कॉर्निला ही की तरफ रहे

और कॉर्निला की बेगुनाही का सबूत मैने फरहाम कर दिया है….वाह क्या ग़ज़ल हुई है….मर्ज़ा गालिबान के शुरुआती दौर की….

मद आंगंगा है अपने अलाम तक़रीर का….
इस बार मैने खुद ही अपने सर पर डंडा रसीद कर लिया है….!

ब्लॅक-ज़ीरो उसे हैरत से देखने लगा
सब से शानदार गाड़ी गॅरेज से निकलवा दो….

बहुत बेहतर जनाब….ब्लॅक-ज़ीरो उठता हुआ बोला

और थोड़ी देर बाद एर-कंडीशंड इंपाला राणा पॅलेस की कॉंपाउंड से निकली….इमरान खुद ही ड्राइव कर रहा था….इस वक़्त भी उसका अंदाज़ा ग़लत ना निकला….पीछा हो रहा था….
और एक गाड़ी आगे भी थी….!

खुद इमरान की गाड़ी वाइयरलेस से लैस थी….
इसलिए
दोनो गाड़ियों के दरमियाँ वाइयरलेस राबते से भी अंजान ना रह सका….

कोई कह रहा था….ये इस वक़्त उधर ही जाएगा….
लिहाज़ा तुम इतमीनान से चलते रहो….!

किधर जाएगा….? गालिबान अगली गाड़ी से पूछा गया

हंस की तरफ….पिछली गाड़ी से जवाब मिला

गुफ्तगू अँग्रेज़ी में हो रही थी….
और
लहजे से इमरान ने उनकी ख़ौमियत (नॅशनाटी) का अंदाज़ा भी लगा लिया….शरारत अमेज़ मुस्कुराहट उसके होंठों पर अटखेलिया करने लगी….उसने रास्ता बदल दिया….!

अगली गाड़ी उसी सड़क पर मूड गयी….जिस से गुज़र कर हंस की कोठी की तरफ जाती….
लेकिन इमरान सीधा चलता गया….पिछली गाड़ी अब भी रिवर में नज़र आ रही थी….

अचानक….ट्रॅन्समिट्रर से आवाज़ आई….मेरा अंदाज़ ग़लत रहा….वो शायद हंस की तरफ नही जा रहा….गाड़ी सीधी जा रही है….तुम भी पलट कर सीधे ही चले आओ….!

बहुत अच्छा….जवाब मिला
इमरान ने सर को जुम्बीश दी….
और
सीटी बजाने वाले के से अंदाज़ में होंठ सिकुडे….!

दोनो गाडियो के दरमियाँ मीडियम वेव में संपर्क हो रहा था

इमरान ने अपनी गाड़ी के ट्रांसमीटर के माइक्रोवेव का बटन दबाया
और
सेइको मॅन्षन संपर्क करने की कोशिश करने लगा….वो अपने किसी मातहत को दोनो गाड़ियों की निगरानी के लिए तैनात करना चाहता था….

संपर्क जल्दी हो गया….
और वो एक्स-2 की आवाज़ में आदेश जारी करने लगा….अब उसे उस वक़्त तक ख़ामाखाँ शहेर के चक्कर लगाने थे जब तक उसके किसी मातहत की तरफ से इततेला ना मिल जाती कि दोनो गाड़ियाँ उसकी नज़र में आ गयी है….!


 


पिछली रात रहमान साहब देर तक जागते रहे….थकान की वजह से उन्होने ऑफीस जाने का इरादा तर्क कर दिया
और फोन पर एक डेप्युटी-डाइरेक्टर को इततेला दे दी कि वो ऑफीस नही आ सकेंगे….उन्होने सुबह के अख़बारात देखे जिनमे मलइक़ा वाले केस की रिपोर्टिंग उसी तरह की गयी थी जिस तरह उन्होने चाहा….उस रिपोर्ट की रोशनी में हंस और उसकी बेटी फिलहाल शक के दायरे से बाहर हो गये थे….
लेकिन साथ ही इमरान का ये रिमार्क भी जहन में खटक रहा था कि लड़की की गाड़ी निस्संदेह मर्सिडीस थी….
लेकिन
वो गाड़ी नही थी जिस पर मलइक़ा ले जाई गयी थी
आख़िर
इमरान ने किस बिना पर ये बात कही थी जिस पर लड़की कींस्टॉन थाने तक पहुँची थी….क्या रेजिस्ट्रेशन नंबर में फ़र्क़ था….ऐसी सूरत में इमरान को चाहिए था कि उन्हे उस गाड़ी के रेजिस्ट्रेशन नंबर से भी आगाह कर देना….इसी उलझन में दोपहर के खाने का वक़्त हो गया….!

खाने की मेज़ पर सुरैया के अलावा उनकी दोनो भतीजियँ भी थी….बेगम साहिबा कभी मेज़ पर नही खाती थी….इसलिए उनकी गैर मौजूदगी मामूली थी….!

रहमान साहब ने जैसे ही अपने सामने वाली क़ाब का ढक्कन उठाया वो उछल पढ़े….ये किस की बदतमीज़ी है….वो दहाडे

लड़कियाँ भी उठ खड़ी हुई….
और हैरत से क़ाब की तरफ देखने लगी….!

कोई मुर्दा परींदा परों समेत क़ाब में रखा हुआ था….गौर से देखने पर तीतर नज़र आया….

”आधा तीतर”

टाँगों के पास से आधा गायब….!

किस ने मेज़ लगाई थी….? वो फिर दहाड़े

खानसामा (कुक) ने….या शायद मजीद ने….सुरैया सहेम कर बोली

बुलवाओ दोनो को….

एक भतीजी दौड़ गयी….

ये आख़िर है क्या बला….? सुरैया ने चुटकी से तीतर की चोंच पकड़ कर उसे क़ाब से उठाते हुए कहा….
और
रहमान साहब की नज़रें उस छोटे से लिफाफे पर पड़ी जो तीतर के नीचे रखा हुआ था….

इतने में खानसामा (कुक) आ गया….रहमान साहब ने लिफ़ाफ़ा उठा कर जेब में डाल लिया

सुरैया ने तीतर को फिर क़ाब में डाल दिया….
और
खानसामा (कुक) की तरफ देखने लगी

ये क्या है….? रहमान साहब क़ाब की तरफ इशारा कर के दहाड़े

ये….सा….साहब….खानसामा (कुक) हकलाया….उसकी आँखें हैरत और ख़ौफ़ से फैली गयी थी

ये क्या बेहूदगी है….?

माँ….मैं नही जानता साहब….मैने तो दो बने हुए तीतर रखे थे….तीसरा तो कोई था भी नही

तो फिर….ये कहाँ से आ गया….

मैं….मैं क्या बताऊ जनाब-ए-आली

जाओ मालूम करो….रहमान साहब मेज़ पर हाथ मार कर चीखे
और
उठ कर अपने कमरे में चले गये
जेब से लिफ़ाफ़ा निकाल कर चैक किया….अँग्रेज़ी में टाइप किया हुआ छोटा सा लेख बरामद हुआ….

जिस आसानी से ये आधा तीतर तुम्हारे खाने की मेज़ पर पहुँच सकता है….उसी तरह तुम्हारे बेटे को भी गोली मारी जा सकती है….!

रहमान साहब का चेहरा उतर गया….ख़ासी देर तक वो बेहिसस-ओ-हरकत खड़े रहे….
फिर
ये मालूम करने निकल गये कि आख़िर वो तीतर उस क़ाब में कैसे पहुँचा

तीतर सिर्फ़ उन्हे ही पसंद थे….
और
खुसुसियत से उन्ही के सामने रखे जाते थे….

सारे मुलाज़िम ने ला-इलमी (अग्यान्ता) ज़ाहिर की….उनकी समझ में सुबह से अब तक कोई अजनबी भी कोठी के कॉंपाउंड में दाखिल नही हुआ था….सभी मुलाज़िम पुराने थे….!

सुरैया और भतीजियों को ये नही मालूम हो सका कि तीतर के नीचे से बरामद होने वाला लिफ़ाफ़ा कैसा था….!

रहमान साहब ने इमरान से फोन पर संपर्क करना चाहा….
लेकिन
फ्लॅट से जवाब मिला कि वो रात 8 बजे से गायब है….अभी तक नही आया

उनकी झुनझूलहट बढ़ती रही….
फिर
उन्होने कॅप्टन फायज़ को तलब कर लिया….!

फायज़ सख्ती से दाँत पर दाँत जमाए सब कुछ सुनता रहा….कुछ बोला नही

अब वो ना जाने कहाँ है….रहमान साहब ने आख़िर में कहा
और ना जाने क्या करते फिर रहा है….उसे तलाश करो….!

कोशिश करूँगा जनाब….
लेकिन ये मेरे लिए आसान काम ना होगा….
वैसे अगवा का केस मामूली नही मालूम होता….!

मैं टिप्पणी नही चाहता….रहमान साहब गुर्राए….जाओ उसे तलाश करो

फायज़ चला गया….!
रहमान साहब बेचैनी से टहलते रहे….
अचानक
फोन की घंटी बजी….
और
रहमान साहब ने रिसीवर उठा लिया

दूसरी तरफ से इमरान की आवाज़ आई….

तुम कहाँ हो….?

एक रेस्टोरेंट में….दोपहर के खाने से फारिग हुआ हूँ….गाड़ी बाहर खड़ी है….
और
दो गाड़ियाँ और भी है जो मेरी गाड़ी का पीछा कर रही है….
लिहाज़ा
मैं बाथरूम के रास्ते से पैदल ही फरार हो जाउन्गा….!

क्या बकवास है….

ये मामला बहुत उलझा हुआ है डॅडी….
लेकिन
आप इतमीनान रखे
और
सिर्फ़ उसी वक़्त तक इतमीनान रखिए जब तक आप का माहेक्मा दखल अंदाज़ी नही करता….!

अपनी बकवास बंद करो….
और
मेरी सुनो….

जी….जी हाँ….

रहमान साहब ने तीतर वाला वाक़या बयान करते हुए कहा….फ़ौरन मेरे पास पहुँचो

तब तो फ़ौरन ही तीतर की तरह मार दिया जाउन्गा….अब मेरी भी सुन ली जिए मलइक़ा जिस गाड़ी पर ले जाई गयी थी….उसका रेजिस्ट्रेशन नंबर….एक्सवाईजेड 311 था….और किसी विदेशी डेविड हॅमिल्टन के नाम पर रिजिस्टर हुई है….

6 माह पहले वो शाहेरा की शाम बिल्डिंग के 7वे फ्लॅट में रहता था….आप ये मालूमात किंग्सटन के थाने इंचार्ज को भिजवा दी जिए….
और
फिलहाल उसी को तफ़तीश करने दी जिए….!

लेकिन….अब उससे क्या फ़ायदा….वो जानते है कि तुम इस मामले में कूद पड़े हो….और….फिर उन्होने सीधे-सीधे चॅलेंज किया है

झाली दे रहे है….जासूसी नोवलों जैसा किस्सा बनाया जा रहा है….भला आधा तीतर….वाह….बेचारे बेरहम को खाबर में पसीने आ गये होंगे….
वैसे
डॅडी ये मामला है भी कुछ आधा तीतर और बटेर किस्म का….!

फ़िज़ूल बातें ना करो….यहाँ चले आओ….रहमान साहब ने गुस्सैले लहजे में कहा
देखिए डॅडी….
अगर आप का माहेक्मा हरकत में आया तो मैं सच-मूच मार दिया जाउन्गा….वो करेंगे बाज़ाबता (अफीशियल) करवाही….
और उन लोगों ने बिल्कुल जासूसी फिल्मों जैसी धमा-चौकड़ी मच्चाई है….हमें बिल्कुल अहमाक़ समझते है….
लिहाज़ा मेरी बेज़ाबतगी (अनियम्ता, इरेग्युलॅरिटी) बर्दाश्त की जिए….!

क्या पीछा करने वाले रेस्तरो में दाखिल नही हुए….?

रेस्तरो तो मैने शर्मा-हुज़ूरी में कह दिया था….
दरअसल
ईरानी होटेल है…
और
वो सफेद फाम लड़की है….इसलिए बाहर ही इंतेज़ार कर रही है….अल्लाह हाफ़िज़

रहमान साहब सिलसिला कट हो जाने की आवाज़ सुन कर दाँत पीसते रहे गये….

इमरान सच-मूच बाथरूम के ही रास्ते फरार हो कर दूसरी सड़क पर जा निकला….उसे इत्तेला मिल चुकी थी कि सफदार और चौहान दो अलग-अलग गाड़ियों में उनका पीछा शुरू कर चुके है….

अब यहाँ से तो उसे सीधे सेइको मॅन्षन ही पहुँचना था….वहीं से इंपाला का अभी इंतेज़ाम हो सकता था….जिसे ईरानी के होटेल के सामने पार्क कर आया….
और दोनो मातहतों की रिपोर्टिंग भी वहीं मिली…!

ख़ासा हाशाश-बाशाश सेइको मॅन्षन में दाखिल हुआ….
और सीधे जुलीना फिट्ज़वॉटर के कमरे में जा पहुचा….!

फरमाइए….जूलीया बद-मिज़ाज मुर्गी की तरह कुढकूधाई

ज़रूरी नही कि कुछ अर्ज़ ही करने के लिए हाज़री दूं….

फिर….आने का मक़सद….?

चुप-चाप तुम्हारी शक्ल देखता रहूँगा….

सफदार ने इततेला दी है कि इंपाला में तुम ही थे….

दो बंदर पीछे लग गये थे….
लिहाज़ा
मजबूरन चीफ को इत्तेला देनी पड़ी….!

आहा….चीफ को चीफ कब से कहने लगे….

चूहा उस वक़्त कहता हूँ जब वो मेरे कमिशन में कटोतियाँ करने लगता है….

किस्सा क्या है….?

मिस कॉर्निला और हंस की अनुकूलन में झूठी गवाही दिलवा बैठा हूँ….

क्या मतलब….?

डॉक्टर मलइक़ा को पैदल जाते किसी ने नही देखा था….मैने एक गवाह का इंतेज़ाम कर दिया….!

तो इसका मतलब ये है कि उसके अगवा में तुम्हारा ही हाथ था….!

उचित कमिशन पर सब कुछ कर गुज़रता हूँ….जब चाहो अपना भी अगवा करा सकती हो….

सर पर एक बाल नही रहने दूँगी

वो सर ही क्या जो तुम्हारे अगवा के बाद शानों पर रहे जाए….

बकवास मत करो….मुझे बताओ कि क्या किस्सा है….!

किस्सा उस चूहे को मालूम होगा….इमरान नाथुने फूला कर बोला

मुझसे जो कुछ कहता है करता रहता हूँ….आज सुबह कहा था कि राणा पॅलेस जाओ वहाँ से इंपाला में बैठ कर निकलो और शहर के चक्कर लगाते रहो….इंपाला में ट्रांसमेटेर भी है….बस निर्देश देता रहता कि इधर जाओ उधर जाओ….
फिर
अब फलाँ ईरानी की होटेल में लंच कर के बाथरूम के रास्ते पैदल ही फरार हो जाओ….
अगर
ईरानी की मुर्गी खाओ तो पेट में पहुचते ही फ़ौरन अंडा देने शुरू कर देती है….मेरी समझ में नही आता कि आख़िर ये गोश्त का नागा क्यूँ होता है….जब कि नागे के दिनों में भी रेफ्रिगरेटर भरे रहते है….
और
जो रेफ्रिगरेटर अफोर्ड नही कर सकता वो रोज़ाना गोश्त भी नही खा सकता….!

अच्छी ख़ासी तखरीर करने लगे हो….सियासी लीडर क्यूँ नही बन जाते….



 
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