desiaks
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बन जाता….
लेकिन
ख़साबों (बुच्स) से शिकश्त खा जाना मेरे बस का रोग नही….
क्या बात हुई….?
फिर बकरे से बात करनी पड़ेगी….
लिहाज़ा
गोल हो जाओ….!
कभी तो कोई टुक की बात किया करो….
हाँ….सफदार ने और क्या कहा था….
मैं तुम्हे रिपोर्ट देने की पाबंद नही हूँ….सीधे-सीधे चीफ को दूँगी….!
इमरान ने जूलीया को बातों में उलझा कर इस तरह फोन पर ब्लॅक-ज़ीरो के नंबर डाइयल किए कि वो उसकी तरफ ध्यान ही नही दे सकी….
सर मैं इमरान बोल रहा हूँ….उसने माउत-पीस में कहा….मिस जुलीना फिट्ज़वॉटर सीधे-सीधे मुझे रिपोर्ट देने पर राज़ी नही है….
आप कहाँ से बोल रहे है….? दूसरी तरफ से ब्लॅक-ज़ीरो की आवाज़ आई
जनाब-ए-आली मैं इस वक़्त सेइको मॅन्षन में हूँ….
और
मिस जुलीना फिट्ज़वॉटर ही के फोन पर आप से गुफ्तगू कर रहा हूँ….!
रिसेवर उसे दी जिए….
इमरान ने रिसेवर जूलीया की तरफ बढ़ा दिया….
इस दौरान में जूलीया इमरान को गुस्सैली नज़रों से देखती रही….
रिसेवर ले कर अपना मूड ठीक करने की कोशिश करने लगी….
यस सर….जी….जी….बहुत बेहतर….बहुत बेहतर….रिसेवर रख कर उसने सड़ा सा मूह बनाया….
और
बोली….सिर्फ़ इतना ही मालूम हुआ कि इंपाला से तुम उतरे थे….!
निहायत नालायक़ आदमी है कि सिर्फ़ मेरे लिए किसी पब्लिक फोन बूथ तक जाने की ज़हमत गवारा की थी….!
ये डॉक्टर मलइक़ा क्या चीज़ है….?
तफ़सील चूहे से पूछा करो….
वैसे
आज-कल सुलेमान तुम्हे बहुत याद किया करता है….!
किसी दिन जैल की हवा ज़रूर खाएगा….!
इस तरह तो याद नही करता….
पिछले दिनो एक विदेशी दूतावास (फॉरिन एंबसी) ने तस्वीरों की नुमाइश का इंतेज़ाम किया था….तुम्हारा सुलेमान वहाँ बड़े तैस से पहुँचा था….
और
तस्वीरों पर तन्खीद (आलोचना) करता फिर रहा था….!
अच्छा….लेकिन….उसमे हैरत की क्या बात है….पिकासो का बहुत बड़ा मुद्दा है….आब्स्ट्रॅक्ट आर्ट पर जान देता है….
और
जैसे तस्वीर देख कर आता है वैसे ही चपातियाँ पकाने की कोशिश करता है….एक दिन 3.5 फीट लंबी चपाती पकाई थी….मैने पूछा ये क्या है….कहने लगा सदा-ए-सेहरा (वाय्स ऑफ डेज़र्ट)….
और
अबदियत (अनंत काल) अभी तवे पर है….!
तुम दोनो किसी दिन पागल-खाने जाओगे….
किसी दिन….किसी दिन की रात लगा रखी है तुमने….किसी दिन वो जैल में जाए
और
किसी दिन हम दोनो पागल-खाने….हुह….!
इतने में फोन की घंटी बजी….
और
जूलीया ने रिसेवर उठा लिया….दूसरी तरफ से कुछ सुन कर बोली….चीफ़ के हुक्म के मुताबिक तुम्हे इमरान को रिपोर्ट देनी है….रिसेवर उसे दे रही हूँ….जूलीया का लहज़ा खुसक था….उसने रिसेवर इमरान की तरफ बढ़ा दिया….
हेलो….सफदार हूँ….
अच्छा….जीते रहो….इमरान ने माउत-पीस में कहा
बहुत इंतेज़ार करने के बाद उनमे से एक शायद सिगरेट खरीदने के बहाने होटेल में गया….
और
वापस आ कर दूसरी गाड़ी वाले से कुछ कहा….
फिर
वो दोनो गाड़ियाँ आगे-पीछे वहाँ से रवाना हो गयी….आप सेइको मॅन्षन कब पहुँचे….?
सवाल ना करो….रिपोर्ट देते रहो….इमरान बोला
20 मिनिट बाद दोनो गाड़ियाँ एक ही इमारत के कॉंपाउंड में दाखिल हुई….
और
उस इमारत का नाम है लिबर्टी विला….!
इमरान ने सिटी बजाने के से अंदाज़ में होंठ सिकुडे
और
दूसरी तरफ से सफदार ने पूछा….अब क्या हुक्म है….?
उन दोनो पर नज़र रखो….उनके नाम और फॉरिन एंबसी से तालूक के बारे में मुककमिल रिपोर्ट मुझे ही दोगे….
कहाँ….?
राणा पॅलेस में मैं मौजूद ना रहूं तो रिपोर्ट रेकॉर्ड करा देना….
बहुत बेहतर….
इमरान ने रिसेवर रखा….
और
जूलीया से बोला….क्या कुछ देर और मेरी शक्ल देखना चाहती हो….
क्या रखा है तुम्हारी शक्ल में….वो जल कर बोली
ये बड़े-बड़े 32 दाँत….इमरान कहता हुआ उठ गया
सेइक़ो मॅन्षन में उसका भी एक अलग कमरा था….
और इसे उसने इस तरह सजाया था….यहाँ वाले उसे अहमाक़ की जन्नत कहने लगे थे….
उस कमरे में पहुँच कर उसने लिबास तब्दील किया….
और फोन पर रहमान साहब के नंबर डाइयल करने लगा….ये उनका ज़ाति (पर्सनल) नंबर था….
और बेडरूम में रहता था….
थोड़ी देर बाद रहमान साहब की भर्राई हुई आवाज़ सुनाई दी….
कोई ख़ास खबर डॅडी….?
नही….कोई नही….दूसरी तरफ से कहा गया
लेकिन….मेरे पास बहुत ही आहें खबर है….इस वाकिये का ताल्लुक लिबर्टी विला से है….
और
आप जानते ही है कि इमारत को कितने ज़बरदस्त दोस्त मुल्क की एंबसी होने का फख्र हासिल है….!
तुम्हे यक़ीन है….
यानी सबूत….मेरा पीछा करने वाले वहीं गये है….
ये तो कोई सबूत ना हुआ….मुमकीन है कि वहाँ उनका कोई जान-पहचान वाला हो….
फितरति बात है कि अपने नाकाम पीछे की रिपोर्ट देने वो किसी जान-पहचान वाले के पास नही जा सकते….
सबूत के बगैर ये फितरत बात भी धारणा से आगे नही बढ़ सकती….
चलिए यही सही….कहने का मतलब ये है कि जब तक मैं आख़िरी सबूत पेश ना करूँ….
पता नही तुम क्या करते फिर रहे हो….रहमान साहब ने बात काट दी….
अगर….वाक़ई उस एंबसी का मामला है तो आप का माहेक्मे की कारवाही भी आप्रभावी बात होगी….!
अच्छा तो फिर….?
लेकिन….मैं अपने किसी निजी मामले के बारे में खुद मोखतार (स्वतंत्र) हूँ….
क्या बकवास कर रहे हो….?
गुज़ारिश है कि आप इससे बिल्कुल अलग हो जाए….मैं देखूँगा इस आधे तीतर को….!
लेकिन….सवाल ये पैदा होता है कि शाहिद और मलइक़ा से उस एंबसी का क्या सरोकार….?
सरोकार का पता भी मुझे लगाने दी जिए….किसी धमकी से डरने की ज़रूरत नही है….
लेकिन सवाल तो ये है कि वो आधा तीतर आप की मेज़ पर कैसे पहुँचा….!
मुलाज़िम सभी पुराने और भरोसेमंद है….