antarwasna आधा तीतर आधा बटेर - Page 2 - SexBaba
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antarwasna आधा तीतर आधा बटेर


बन जाता….
लेकिन
ख़साबों (बुच्स) से शिकश्त खा जाना मेरे बस का रोग नही….

क्या बात हुई….?

फिर बकरे से बात करनी पड़ेगी….
लिहाज़ा
गोल हो जाओ….!

कभी तो कोई टुक की बात किया करो….

हाँ….सफदार ने और क्या कहा था….

मैं तुम्हे रिपोर्ट देने की पाबंद नही हूँ….सीधे-सीधे चीफ को दूँगी….!
इमरान ने जूलीया को बातों में उलझा कर इस तरह फोन पर ब्लॅक-ज़ीरो के नंबर डाइयल किए कि वो उसकी तरफ ध्यान ही नही दे सकी….

सर मैं इमरान बोल रहा हूँ….उसने माउत-पीस में कहा….मिस जुलीना फिट्ज़वॉटर सीधे-सीधे मुझे रिपोर्ट देने पर राज़ी नही है….

आप कहाँ से बोल रहे है….? दूसरी तरफ से ब्लॅक-ज़ीरो की आवाज़ आई

जनाब-ए-आली मैं इस वक़्त सेइको मॅन्षन में हूँ….
और
मिस जुलीना फिट्ज़वॉटर ही के फोन पर आप से गुफ्तगू कर रहा हूँ….!

रिसेवर उसे दी जिए….

इमरान ने रिसेवर जूलीया की तरफ बढ़ा दिया….

इस दौरान में जूलीया इमरान को गुस्सैली नज़रों से देखती रही….

रिसेवर ले कर अपना मूड ठीक करने की कोशिश करने लगी….

यस सर….जी….जी….बहुत बेहतर….बहुत बेहतर….रिसेवर रख कर उसने सड़ा सा मूह बनाया….
और
बोली….सिर्फ़ इतना ही मालूम हुआ कि इंपाला से तुम उतरे थे….!

निहायत नालायक़ आदमी है कि सिर्फ़ मेरे लिए किसी पब्लिक फोन बूथ तक जाने की ज़हमत गवारा की थी….!

ये डॉक्टर मलइक़ा क्या चीज़ है….?

तफ़सील चूहे से पूछा करो….
वैसे
आज-कल सुलेमान तुम्हे बहुत याद किया करता है….!

किसी दिन जैल की हवा ज़रूर खाएगा….!
इस तरह तो याद नही करता….

पिछले दिनो एक विदेशी दूतावास (फॉरिन एंबसी) ने तस्वीरों की नुमाइश का इंतेज़ाम किया था….तुम्हारा सुलेमान वहाँ बड़े तैस से पहुँचा था….
और
तस्वीरों पर तन्खीद (आलोचना) करता फिर रहा था….!

अच्छा….लेकिन….उसमे हैरत की क्या बात है….पिकासो का बहुत बड़ा मुद्दा है….आब्स्ट्रॅक्ट आर्ट पर जान देता है….
और
जैसे तस्वीर देख कर आता है वैसे ही चपातियाँ पकाने की कोशिश करता है….एक दिन 3.5 फीट लंबी चपाती पकाई थी….मैने पूछा ये क्या है….कहने लगा सदा-ए-सेहरा (वाय्स ऑफ डेज़र्ट)….
और
अबदियत (अनंत काल) अभी तवे पर है….!

तुम दोनो किसी दिन पागल-खाने जाओगे….

किसी दिन….किसी दिन की रात लगा रखी है तुमने….किसी दिन वो जैल में जाए
और
किसी दिन हम दोनो पागल-खाने….हुह….!

इतने में फोन की घंटी बजी….
और
जूलीया ने रिसेवर उठा लिया….दूसरी तरफ से कुछ सुन कर बोली….चीफ़ के हुक्म के मुताबिक तुम्हे इमरान को रिपोर्ट देनी है….रिसेवर उसे दे रही हूँ….जूलीया का लहज़ा खुसक था….उसने रिसेवर इमरान की तरफ बढ़ा दिया….

हेलो….सफदार हूँ….

अच्छा….जीते रहो….इमरान ने माउत-पीस में कहा

बहुत इंतेज़ार करने के बाद उनमे से एक शायद सिगरेट खरीदने के बहाने होटेल में गया….
और
वापस आ कर दूसरी गाड़ी वाले से कुछ कहा….
फिर
वो दोनो गाड़ियाँ आगे-पीछे वहाँ से रवाना हो गयी….आप सेइको मॅन्षन कब पहुँचे….?

सवाल ना करो….रिपोर्ट देते रहो….इमरान बोला

20 मिनिट बाद दोनो गाड़ियाँ एक ही इमारत के कॉंपाउंड में दाखिल हुई….
और
उस इमारत का नाम है लिबर्टी विला….!

इमरान ने सिटी बजाने के से अंदाज़ में होंठ सिकुडे
और
दूसरी तरफ से सफदार ने पूछा….अब क्या हुक्म है….?

उन दोनो पर नज़र रखो….उनके नाम और फॉरिन एंबसी से तालूक के बारे में मुककमिल रिपोर्ट मुझे ही दोगे….

कहाँ….?

राणा पॅलेस में मैं मौजूद ना रहूं तो रिपोर्ट रेकॉर्ड करा देना….

बहुत बेहतर….

इमरान ने रिसेवर रखा….
और
जूलीया से बोला….क्या कुछ देर और मेरी शक्ल देखना चाहती हो….

क्या रखा है तुम्हारी शक्ल में….वो जल कर बोली

ये बड़े-बड़े 32 दाँत….इमरान कहता हुआ उठ गया
सेइक़ो मॅन्षन में उसका भी एक अलग कमरा था….
और इसे उसने इस तरह सजाया था….यहाँ वाले उसे अहमाक़ की जन्नत कहने लगे थे….

उस कमरे में पहुँच कर उसने लिबास तब्दील किया….
और फोन पर रहमान साहब के नंबर डाइयल करने लगा….ये उनका ज़ाति (पर्सनल) नंबर था….
और बेडरूम में रहता था….

थोड़ी देर बाद रहमान साहब की भर्राई हुई आवाज़ सुनाई दी….

कोई ख़ास खबर डॅडी….?

नही….कोई नही….दूसरी तरफ से कहा गया

लेकिन….मेरे पास बहुत ही आहें खबर है….इस वाकिये का ताल्लुक लिबर्टी विला से है….
और
आप जानते ही है कि इमारत को कितने ज़बरदस्त दोस्त मुल्क की एंबसी होने का फख्र हासिल है….!

तुम्हे यक़ीन है….

यानी सबूत….मेरा पीछा करने वाले वहीं गये है….

ये तो कोई सबूत ना हुआ….मुमकीन है कि वहाँ उनका कोई जान-पहचान वाला हो….

फितरति बात है कि अपने नाकाम पीछे की रिपोर्ट देने वो किसी जान-पहचान वाले के पास नही जा सकते….

सबूत के बगैर ये फितरत बात भी धारणा से आगे नही बढ़ सकती….

चलिए यही सही….कहने का मतलब ये है कि जब तक मैं आख़िरी सबूत पेश ना करूँ….

पता नही तुम क्या करते फिर रहे हो….रहमान साहब ने बात काट दी….

अगर….वाक़ई उस एंबसी का मामला है तो आप का माहेक्मे की कारवाही भी आप्रभावी बात होगी….!

अच्छा तो फिर….?

लेकिन….मैं अपने किसी निजी मामले के बारे में खुद मोखतार (स्वतंत्र) हूँ….

क्या बकवास कर रहे हो….?

गुज़ारिश है कि आप इससे बिल्कुल अलग हो जाए….मैं देखूँगा इस आधे तीतर को….!
लेकिन….सवाल ये पैदा होता है कि शाहिद और मलइक़ा से उस एंबसी का क्या सरोकार….?

सरोकार का पता भी मुझे लगाने दी जिए….किसी धमकी से डरने की ज़रूरत नही है….
लेकिन सवाल तो ये है कि वो आधा तीतर आप की मेज़ पर कैसे पहुँचा….!

मुलाज़िम सभी पुराने और भरोसेमंद है….


 

इज़ाफ़ा आमदनी आज-कल फरिश्तों को भी बुरी नही लगती….
या फिर….
उसे कोई आसाबी (घोश्ट) मामला समझ ली जिए….

मैं छान-बीन कर रहा हूँ….

सिर्फ़ घर की हद तक….बात आगे ना बढ़ने पाए….!

क्या इसका ताल्लुक शाहिद के इस्तीफ़े से हो सकता है….

मेरा भी यही ख़याल है….आप ही की तरह कोई और भी यही चाहता है कि शाहिद इस्तीफ़ा वापस ले ले….
लेकिन….
वो छुप गया है….!

हाँ….कहीं वो भी उन्ही के हत्थे ना चढ़ गया हो….

खुदा जाने….अब ये मालूम करना है कि उसने इस्तीफ़ा क्यूँ दिया था….

खुदा की पनाह….कोई बड़ी साज़िश मालूम होती है….रहमान साहब की भर्राई आवाज़ आई

और वो इतने दिलेर है कि उन्होने सी.आइ.बी के डाइरेक्टर-जनरल को धमकी दी है….!

सुनो….बहुत सावधान रहो….

आप गालिबान समझ गये होंगे लिबर्टी विला की अहमियत….
लिहाज़ा
येई मुनासिब है कि किंग्सटन के थाने के इंचार्ज को ही तफ़तीश करने दी जिए….!

तुम ठीक कहते हो….

शुक्रिया डॅडी….इमरान ने सिलसिला कट कर दिया….!

रात अंधेरी थी….
और वो काले लिबास में अंधेरे का एक हिस्सा मालूम हो रहा था….लिबास इतना चुस्त था कि खाल से चिपक कर रह गया था….

गॅस मास्क सर पर बँधा हुआ था….
और
उसे अभी चेहरे पर नही चढ़ाया गया था….पीठ पर एक छोटा गॅस सिलिंडर भी बँधा हुआ था….

वो बहुत आसानी से इमारत के पिछले हिस्से के अंधेरे में गुम हो गया….उसके इतमीनान से सॉफ ज़ाहिर हो रहा था जैसे वो पहले ही ब-खबर है कि उस इमारत के कॉंपाउंड में कुत्ते नही है….वो आहिस्ता-आहिस्ता इमारत की तरफ बढ़ता रहा….
और
फिर उस दरवाज़े तक जा पहुँचा जो किचन का पिछला दरवाज़ा था….

जेब से एक बारीक सा औज़ार निकाल कर खुफाल (लॉक) के सुराख में डाला….खुफाल हल्की सी आवाज़ के साथ खुल गया….
फिर उसने आहिस्ता-आहिस्ता दरवाज़ा खोला….
और
अंदर दाखिल हो गया….

पेन्सिल टॉर्च की बारीक रोशनी ले कर अंधेरे में चकराई….
और दूसरे दरवाज़े से बा-आसानी गुज़र गया….

चारों तरफ अंधेरे और सन्नाटे की हुक्मरानी थी….वो आगे बढ़ता रहा….
हालांकि
कुछ दरवाज़े के शीशों पर गहरी नीली और मद्धम रोशनी दिखाई देने लगी….एक कमरे में झाँकने के बाद उसने दूसरा दरवाज़ा परखा….हॅंडल घुमा कर दरवाज़ा खोलना चाहा….
लेकिन
वो बंद था….

बारीक औज़ार एक बार फिर खुफाल (लॉक) के सुराख में रेंग गया….दरवाज़ा आहिस्तगी से खोल कर वो अंदर दाखिल हुआ….गहरी नीली रोशनी फैली हुई थी….
और
सामने बिस्तर पर वो बेख़बर सो रही थी….!

इस दौरान में चेहरे पर गॅस मास्क खींच लिया था….आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ता हुआ वो बिस्तर के करीब पहुँचा….
और
रब्बर ट्यूब के सिरे का रुख़ लड़की के चेहरे के करीब करते हुए सिलिंडर से गॅस बाहर करना शुरू कर दिया….साथ ही वो कलाई पर बाँधी हुई घड़ी भी देखे जा रहा था….
फिर….शायद….
30 सेक पर गॅस बंद कर लड़की को हिलाया-झूलाया….
लेकिन
वो बेसूध पड़ी रही….

दूसरे ही लम्हे में उसने झुक कर लड़की को हाथों पर उठाया और बाहर निकलता चला आया….

हर तरफ सन्नाटा ही छाया हुआ था….

किचन के दरवाज़े से निकल कर पीछे कॉंपाउंड में पहुँचा जिस की दीवार ज़्यादा उँची नही थी….

बेहोश लड़की को इस तरह दीवार पर डाल दिया कि उसका आधा धड़ दीवार के दूसरी तरफ लटक गया….दीवार को फलाँगने के बाद उसने लड़की को खींच कर कंधे पर डाला….
और इस तरह एक तरफ चल पड़ा जैसे कोई राहगीर अपने कंधे पर समान उठाए मगन-मगन चला जा रहा हो….!

करीब एक घंटे बाद लड़की को एक कमरे में होश आया….

उसे झींझोड़ कर जगाने वाला चेहरे से खौफनाक लग रहा था….

वो ख़ौफज़दा आवाज़ में चीखी….

कमरा साउंड-प्रूफ है….खौफनाक चेहरे वाले ने कहा

त….त….तुम कौन हो….? मैं कहाँ हूँ….?

तुम एक कमरे में हो….
लेकिन
ये तुम्हारी कोठी का कमरा नही है….
और
मैं हरगिज़ नही बताउन्गा कि मैं कौन हूँ….!

आख़िर इसका मतलब क्या है….? वो खुद पर खाबू पाने की कोशिश करती हुई गुर्राई

इसका मतलब है तफ़्रीक़….!
मैं यहाँ कैसे पहुँची….?

मैं उठा लाया हूँ….लापरवाही से जवाब दिया

क्यूँ….?

तुम्हारी शक्ल देखने के लिए….

मैं समझ गयी….
लेकिन उसके अलावा कोई और चारा नही था मैं क़बूल कर लेती….!



 
बकवास मत करो….सच्ची बात बताओ….

क्लिनिक में मैने इस बात का ख़ास ख़याल रखा था कि कोई मेरे चेहरे का तफ़सीलि जायेज़ा ना ले सके….
लेकिन
उस वक़्त जब मैं डॉक्टर के साथ गाड़ी में बैठ रही थी तो एक आदमी वहाँ आ गया था….
और
उसने मुझे बगौर देखा था….
और
जब मुझे पोलीस स्टेशन ले जाया गया तो वो आदमी वही आया था….
बस फिर….
मुझे क़बूल करना पड़ा….लेकिन….

हाँ मुझे मालूम है कि तुमने उसे पैदल रुखसत किया था….

और उसकी गवाही भी दिलवा दी….वो खुश हो कर बोली

तुम पोलीस स्टेशन की तरफ गयी ही क्यूँ थी….?

मेरे फरिश्तों को भी इल्म नही था कि उधर पोलीस स्टेशन है जहाँ उन लोगों ने रिपोर्ट दर्ज कराई है….!

तुम्हे कल घर से बाहर ही नही निकलना चाहिए था….

ब….बस ग़लती हो गयी….अब तुम मेरे बाप का पीछा छोड़ दो….

क्या मतलब….

वो कभी तब्खिर मेढ़े (वाषपीकरण) का मरीज़ नही रहा….इस काम की वजह से इतना नर्वस हुआ था कि बेहोश हो गया था….सच-मूच बेहोश हो गया था….!

ये तो बड़ी अच्छी बात हुई….तुम्हे बहाना मिल गया….

लेकिन वो कब देख सखी मेरे बाप को….वो मेरी गैर मौजूदगी में खुद ब खुद होश में आ गया था….
और सुनो….

उन्हे इल्म हो गया है कि मैं दूसरी गाड़ी में थी….अब वो पोलीस ऑफीसर उस सिलसिले में मुझ पर ज़िराह कर रहा था….!

सब कुछ तुम्हारी हिमाकत की बिना पर हुआ….ना तुम पोलीस स्टेशन की तरफ जाती….और ना ये सब कुछ होता….

अब मैं कोई पेशवर मुजरिम तो नही हूँ….पहली बार मुझे ऐसे हालात से दो-चार होना पड़ा है….खुदा के लिए मेरे बाप को मुत्मयीन (संतुष्ट) कर दो वो बहुत ख़ौफ़ में है….!

कोई जवाब दिए बगैर वो टीवी सेट की तरफ बढ़ गया….उसका स्विच ऑन कर के कॉर्निला की तरफ वापिस आया….

वो हैरत से उसे देखने लगी….

उधर देखो….उसने टीवी की तरफ इशारा किया….!

स्क्रीन रोशन हो गयी….किसी कमरे का मंज़र था….जिस में लगातार बहुत बड़े-बड़े चूहे उछलते-कूदते फिर रहे थे….

य….ये….ये….क्या है….? कॉर्निला हक्लाई

ये क्लोज़ दा सीक्रेट टीवी है….इस इमारत के एक कमरे का मंज़र पेश कर रहा है….

त….त….तो फिर….

तुम्हे 15 मिनिट के लिए इस कमरे में बाँध कर दिया जाएगा….

क….की….क्यूँ….नही….नही….

तुम्हारी नाक के नीचे जो ये सुर्ख उभरा हुआ तिल है ना….

हाँ….है तो….वो बौखला कर बोली

तुम इस तिल की वजह से पहचानी गयी थी….

तो इसमे मेरा क्या कसूर है….!

उन चूहों में एक ऐसा भी है….उसने टीवी की तरफ इशारा कर के कहा….जो सुर्ख तिलों पर जान देता है….उछल कर तुम्हारे मूह पर आएगा….
और
उस तिल को नोच ले जाएगा….!

नही….नही….वो ख़ौफज़दा अंदाज़ में चीखी

सज़ा तो तुम्हे मिलेगी….

आख़िर किस बात की सज़ा….मैने क्या किया है….?

तुमने लेडी डॉक्टर को वहाँ नही पहुचाया….जहाँ पहुँचाने के लिए कहा गया था….!

वहीं पहुँचाया गया था….हर्लें हाउस ही तो कहा गया था….!

किस हर्लें हाउस में….?

वही जो ग्रीटिंग रोड पर है….लड़की कपकपि आवाज़ में बोली….
और उसे मरीज़ के कमरे में पहुँचा कर फ़ौरन पलट आई थी….!
वहाँ कौन रहता है….?

मैं क्या जानू….मुझे ये नही बताया गया था….!

कोई ग़लती ज़रूर हुई है….खौफनाक चेहरे वाले ने पूर ताश्वीश (चिंता जनक) लहजे में कहा

क्या ग़लती हुई है….किससे हुई है….

तुम्हे किससे हिदायत मिली थी कि लेडी डॉक्टर को हर्लें हाउस में पहुँचा दो….!

अपने बाप से….वो बहुत ख़ौफ़ में था….उसने मुझे ये नही बताया था कि किस की हिदायत पर वो मुझसे ये काम ले रहा है….उसने कहा था कि बस है कुछ ऐसे लोग जिन का हुक्म ना मानने पर मैं कत्ल भी किया जा सकता हूँ….!

अच्छी बात है….लड़की….मैं तुम्हे माफ़ करता हूँ….जिस तरह लाई गयी हो उसी तरह पहुँचा दी जाओगी….
और
सुबह बिस्तर पर जागोगी….!

बहुत बहुत शुक्रिया….जनाब….
लेकिन
मेरे बाप को भी माफ़ कर दी जिए….रहेम की जिए उस पर….उन्हे धमकियाँ ना दी जिए….!

इस पर गौर किया जाएगा….
लेकिन एक बात गौर से सुन लो….

कहिए जनाब….मैं हर हुक्म की तामील करूँगी….!

तुम इस मुलाकात का ज़िक्र अपने बाप से भी नही करोगी….किसी से भी नही….!

लेकिन….उनको मेरी गैर मौजूदगी का पता चल गया तो….

सवाल ही पैदा नही होता….तुम मामूल के मुताबिक सुबह अपने बिस्तर पर से उठोगी….

अगर….ये बात है तो यक़ीन कीजिए के मैं किसी से भी इसका ज़िक्र नही करूँगी….!

और अब बेहोश होने के लिए तैयार हो जाओ….

म….मा….मैं समझी नही जनाब….?

तुम्हे एक इंजेक्षन दिया जाएगा….
क्यूँ कि
तुम अपने होश में तो यहाँ आई नही थी….!

जी हा….जी हाँ….जैसी आप की मर्ज़ी….!
बहुत जल्द तुम्हारे बाप की परेशानी भी दूर हो जाएगी….
लेकिन
उसका निर्भर तुम्हारे रव्वैये पर होगा….
अगर
तुम ने इस मुलाकात का ज़िक्र किसी से कर दिया तो….

हरगिज़….नही….हरगिज़ नही जनाब….!

मेरा नाम ढांप है….मैं फोन पर तुम से राबता (कॉंटॅक्ट) रखूँगा….!

ज़रूर….ज़रूर….मैं इसका भी ज़िक्र किसी से नही करूँगी….!

ख़ासी समझदार हो….!

वो कुछ ना बोली….उसे एक अलमारी से हाइपतर्मिक सरिंज निकालते देख रही थी….!
 
दूसरी सुबह इमरान ने सेइको मॅन्षन से रहमान साहब को फोन किया….

डॉक्टर शाहिद का सुराग मिल गया है….उन्होने इत्तिला दी….

कहाँ है….? इमरान ने पूछा

कुछ देर पहले उसकी कॉल आई थी….शहेर ही में है….मलइक़ा की अगवा की बिना पर उसे मुझसे कॉंटॅक्ट करना पड़ा….!

क्या कहता है….?

फिलहाल इतना ही बताया है कि उस अगवा का ताल्लुक उसके इस्तीफ़े से ही हो सकता है….कुछ लोग चाहते है कि वो इस्तीफ़ा वापस ले ले….!

शायद….मैने भी यही कहा था….इमरान बोला

लेकिन शाहिद ने ये नही बताया कि वो कहाँ है….अब कॉल आई तो एक्सचेंज से मालूम कर लिया जाएगा….
लेकिन
उसने सिर्फ़ यही बताने के लिए फोन किया था….कि मलइक़ा के अगवा का ताल्लुक उसके इस्तीफ़े से है….उसके अलावा और कुछ नही बताया था….उन लोगों की निशान देहि भी नही कर सका जो इस्तीफ़े की वापसी चाहते है….!

आख़िर कहता क्या है….?

कुछ भी नही….मेरी गुज़ारिश पर बस इतना ही कहा था कि वो किसी वक़्त खुद ही मुझ तक पहुँचने की कोशिश करेगा….
और
उसे पहले फोन पर इत्तिला कर देगा….!

अक़ल का भी डॉक्टर ही मालूम होता है….उसकी कॉल आई तो कहे दी जिए कि वो खुद ज़हमत (कष्ट) ना करे….
बल्कि
उस जगह की निशान देहि कर दे जहाँ छुपा हुआ है….खुद बाहर निकलने का ख़तरा मोल ना ले….बेहद बाख़बर और ख़तरनाक लोग मालूम होते है….!

तुम आखर क्या कर रहे हो….?

मैने मालूम कर लिया है कि मलइक़ा कहाँ ले जाई गयी थी….
लेकिन ज़रूरी नही कि अब भी वहाँ हो….!

कहाँ ले जाई गयी थी….?

हर्लें हाउस में….आप जानते है कि वहाँ उस एंबसी का प्रेस अटॅच रहता है….!

ये किस से मालूम किया….?

मत पूछिए….अगर आप के माहेक्मे से मेरा ताल्लुक होता तो आप तारीखकार (प्रक्रियाओं) की बिना पर मुझे गोली मार देते….!

और शायद….इतनी जल्दी मालूम भी ना कर सकता….रहमान साहब मुर्दा सी आवाज़ में बोले

इमरान ने मुस्कुरा कर लेफ्ट आँख दबाई….रहमान साहब के क़बूल शिकस्त पर शायद दिल बाग-बाग हो गया था….

नही ऐसी कोई बात नही डॅडी….उसने बड़ी सादगी से कहा….
दरअसल
तारीखों से बड़ा फ़र्क़ पड़ता है….बाज़ाबता कारवाहियों में ज़्यादा वक़्त लगता है….!

अब क्या करोगे….?

कल जिन दो अफ्राद ने मेरा पीछा किया था….वो प्रेस ही के मातहत साबित हुए है….
लिहाज़ा अब तमांतर तवज्जो (ध्यान) हर्लें हाउस ही की तरफ है….!

बहुत सावधान रहना….!

फ़िक्र ना की जिए….हाँ उस तीतर के सिलसिले में क्या हुआ….?

कुछ भी नही….मुलाज़िम पर सख्ती करना नही चाहता….!

सिर्फ़ खादर को टटॉलें….

क्यूँ….?

वो आज-कल बहुत बड़ा ज़रूरत मंद बन गया है….

क्या मतलब….?

टिफिन खरीदता हुआ देखा गया है….

पता नही क्या बक रहे हो….

गुलरुख के दो कॅंडिडेट है….एक खादर दूसरा सुलेमान….!

ऊहह….

बस खादर पर नज़र रखिए….किसी ने बॉम्ब तो रखवाना नही था….आधा तीतर और एक लिफ़ाफ़ा इतनी सी बात के लिए 100, 200 क्या बुरे है….!

तुम ठीक कहते हो….मैं देख लूँगा….

हो सकता है आधा तीतर शाहिद के लिए हो….
और
लिफ़ाफ़ा आप के लिए….!
मैं नही समझा….

मैं उसे महेज़ एक अहमाक़ाना हरकत समझने के लिए तैयार नही….आप के लिए सिर्फ़ लिफ़ाफ़ा ही काफ़ी था….यक़ीन की जिए बहुत बाख़बर लोग मालूम होते है….इस हद तक जानते है कि आप को तीतर पसंद है….
और
सिर्फ़ आप ही के सामने रखे जाते है….
और
उनकी मालूमात का ज़रिया घर का कोई मुलाज़िम ही हो सकता है….!

मैं भी यही सोंच रहा हू के आधा तीतर किसी वाहें (भ्रम) की अलामत (प्रतीक) ही हो सकता है….
लेकिन
सिर्फ़ इसी लिए जो उससे सरोकार रखता हो….!

मुमकीन है….शाहिद इस अलामत (प्रतीक) को पहचानता हो….ज़ाहिर है वो धमकी मलइक़ा के अगवा के सिलसिले में छान-बीन ही करने की बिना पर मुझे मिली थी….
लिहाज़ा आप शाहिद से उसका ज़िक्र ज़रूर करेंगे….सामने की बात है….!

शाहिद तक पहुचना ज़रूरी हो गया है….उसकी दूसरी कॉल के इंतेज़ार में हूँ….तुम्हारे मशवरे पर अमल किया जाएगा….!

शुक्रिया डॅडी….मैं हर आधे घंटे बाद आप से कॉंटॅक्ट करता रहूँगा….फोन नंबर इसलिए नही दे सकता के किसी एक जगाह पर रुका नही रहे सकता….

अच्छी बात है….रहमान साहब ने कहा….
और सिलसिला कट होने की आवाज़ आई….!

इमरान सेइको मॅन्षन से रेडीमेड मेक-अप में निकला….फूली हुई नाक के नीचे ठुड्डी तक झुका हुआ मूँछों का फैलाव पहली नज़र में ख़ासा डरावना लग रहा था….

हर्लें हाउस की निगरानी सफदार, चौहान और सिद्दीक़ कर रहे थे….कॉर्निला की कोठी खुद के ज़िम्मे डाल ली थी….

इमरान हर्लें हाउस का जायेज़ा बाहर से लेना चाहता था….ये इमारत शहेर के उस हिस्से में थी जहाँ दौलतमंद तबके के लोग आबाद थे….
और
सारी इमारत एक दूसरे से ख़ासे फ़ासले पर थी….चारों तरफ घूम-फिर कर उसने हर्लें हाउस का जायेज़ा लिया….
और
फिर एक रेस्तरो में आ बैठा….यहीं से उसने एक बार फिर रहमान साहब के नंबर डाइयल किए….दूसरी तरफ से फ़ौरन जवाब मिला….

रहमान साहब ने उसकी आवाज़ पहचान ली….
और
सिर्फ़ इतना कह कर सिलसिला काट दिया….बीच व्यू….हट नंबर 83….!

इमरान ने सर को जुम्बिश दी….
और
रिसीवर रखा कर अपनी मेज़ पर पलट आया….कॉफी ऑर्डर की थी….
और
20 मिनिट बाद बिल अदा कर के उठ गया….!

अब उसकी गाड़ी बीच सी व्यू की तरफ जा रही थी….बेहतरीन साहिल तफरीहगाहो बीच-व्यू) में उसका शुमार होता था….हट किराए पर दिए जाते थे….
और
किसी ना किसी होटेल से ताल्लुक थे….!

83 नंबर का हट गुलबर होटेल के ज़रिए इंतज़ाम था वहीं से उसने फोन नंबर हासिल किया….वहाँ जाने से पहले डॉक्टर शाहिद से फोन पर गुफ्तगू करना चाहता था…..

हेलो….क….का….कौन….? दूसरी तरफ से ख़ौफज़दा सी आवाज़ आई….ये जुमला अँग्रेज़ी में अदा किया गया था….
और
साथ ही ये कोशिश की गयी थी कि लहज़ा खालिस अमरीकी मालूम हो….!

मैं तुम्हारा होने वाला….वाला बोल रहा हूँ….इमरान ने उर्दू में कहा

वला….वला….क्या है….? बेसखती में इस बार उर्दू ही इस्तेमाल की गयी….

साला कहते हुए शर्म महसूस होती है….

अच्छा….अच्छा….समझ गया

नाम मत लेना….मैं पहुँच रहा हूँ….
 
आइए….आइए….आजाईए….मैं ख़तरे में हूँ….
शायद
उन्होने मेरा सुराग पा लिया है….हट के चारों तरफ एक आध आदमी मौजूद है….!

गैर मुल्की (विदेशी)….?

एक विदेशी भी है….

फ़िक्र ना करो….मैं ज़्यादा दूर नही हूँ….गुलबर से बोल रहा हूँ….अभी पहुँचता हूँ….

होटेल से निकल कर इमरान पैदल ही हट नंबर 83 की तरफ चल पड़ा….गाड़ी वहीं पार्क रहने दी….

हट तक पहुँचने में 3,4 मिनिट से ज़्यादा नही लगे….
लेकिन
उसने हट का दरवाज़ा खुला देखा….
और
करीब ही तीन-चार आदमी खड़े नज़र आए….
और
दरवाज़े की तरफ बढ़ा ही था कि उनमे से एक आदमी ने उँची आवाज़ में कहा….वहाँ कोई नही है….!

मैं नही समझा….आप क्या कहे रहे है….? इमरान पलट कर बोला

बीमार को वो आंब्युलेन्स गाड़ी में ले गये….

कोई ना कोई तो होगा….

जी नही….वो तन्हा था….
और
पता नही कब से बीमार था….घाशी तारि उसपर….शायद मिशन हॉस्पिटल वाले ले गये है….दो अँग्रेज़ भी थे गाड़ी पर….!

गाड़ी किधर गयी है….?

हॉस्पिटल ही गयी होगी….

गुफ्तगू को आगे बढ़ाना वक़्त ही बर्बाद करना था….इमरान फिर गुलबर की तरफ मुड़ा….इस बार रास्ता तय करने में डेढ़ मिनिट से भी कम लगा….

गाड़ी स्टार्ट की और मेन रोड की तरफ चल पड़ा….
और
फिर उसे वो सफेद गाड़ी नज़र आ गयी जिस पर रेड-क्रॉस बना हुआ था….थोड़ा दूर फ़ासले से उसका पीछा करने लगा….
लेकिन वो शहर की तरफ नही जा रही थी….!

शाहिद की गुफ्तगू से तो यही पता चलता था कि वो पूरी तरह होशियार है ज़ाहिर है कि उसने दरवाज़ा भी बंद रखा होगा….
फिर
वो इस आसानी से उसपर कैसे खाबू पा गये….!

खुद उसे इतना मौक़ा नही मिल सका था कि उस हट का तफ़सीलि जायेज़ा ले सकता….
बहेरहाल
वो अब उन ना-मालूम आदमियों के कब्ज़े में था….

बीच पीछे रह गया…. दोनो गाड़ियाँ वीराने की तरफ निकल आई….आंब्युलेन्स की रफ़्तार अब किस कदर तेज़ हो गयी….

इमरान इस वक़्त सेइको मॅन्षन की एक गाड़ी ड्राइव कर रहा था….आम गाड़ियों से अलग थी….डॅशबोर्ड के एक बटन पर उंगली रखते ही उसके करीब ही एक छोटा सा स्क्रीन रोशन हो गया जिस पर आंब्युलेन्स का पिछला हिस्सा दिखाई दे रहा था….
फिर उसने एक रेड बटन को गर्दिश देनी शुरू कर दी….
और
स्क्रीन पर नज़र आने वाली गाड़ी के एक पहिए (टाइयर) का क्लोज़-अप दिखाई देने लगा….आहिस्ता-आहिस्ता पूरे स्क्रीन पर सिर्फ़ पहिए का क्लोज़-अप ही बाकी रह गया….!
इमरान ने फिर एक बटन दबा दिया….
और
अगली गाड़ी का वो पिछला पहिया ज़ोरदार आवाज़ के साथ फट गया….जिस की तस्वीर स्क्रीन पर नज़र आ रही थी….!

आंब्युलेन्स लेफ्ट जानिब घूमी….
और
सड़क से उतर कर रेत में धँसती चली गयी….!

इमरान अपनी गाड़ी आगे लेता चला गया….रफ़्तार पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ थी कुछ दूर जा कर पलटा….इस बार उसके राइट हॅंड में लोंग रेंज का साइलेनसर लगा पिस्टल भी था जो उस गाड़ी के डॅशबोर्ड के एक खाने में बरामद हुआ….पिस्टल गोद में रख कर उसने गाड़ी की रफ़्तार कम की….
और
आंब्युलेन्स से थोड़े फ़ासले पर जा रुका….!

क्या मैं कोई मदद कर सकता हूँ….? उसने उँची आवाज़ में उन लोगों से पूछा….जो आंब्युलेन्स के नीचे जॅक लगाने की कोशिश कर रहे थे….!

एक देसी था और दो विदेशी….

एक विदेशी ने सीधे खड़े हो कर इमरान की गाड़ी की तरफ देखा….
और
आहिस्ता-आहिस्ता चलता हुआ करीब आ खड़ा हुआ….!

इमरान ने साइलेनसर लगा हुआ पिस्टल से उसके दिल का निशाना ले रखा था….

सब ठीक है….इमरान आहिस्ता से बोला

क….क्य….क्या मतलब….तुम कौन हो….? विदेशी हकलाया

बीमार को आंब्युलेन्स से मेरी गाड़ी की पिछली सीट पर शिफ्ट करा दो….

वो थूक निगल कर रह गया….

मुड़ो….और दो कदम आगे बढ़ कर खड़े हो जाओ….इमरान ने आहिस्ता से कहा….तुम देख ही चुके हो कि नाल में साइलेनसर लगा हुआ है….!

उसने चुप-चाप हुक्म की तामील की….

इमरान ने गाड़ी से उतरते उतरते आंब्युलेन्स के दूसरे पहिए (टाइयर) पर भी फाइयर किया….
और
वो धमाके के साथ फॅट गया….!

वो दोनो उछल पड़े जो जॅक लगा रहे थे….
और
फिर उन्होने उस तरफ देखा उनके तीसरे साथी पर क्या गुज़र रही है….!

शरीफ आदमियों….इमरान ने उँची आवाज़ में कहा….तुम्हारा साथी बे-आवाज़ पिस्टल की नोक पर है….बारहे करम बीमार को गाड़ी से निकालो….
और मेरी गाड़ी की पिछली सीट पर डाल दो….!

वो दोनो हाथ उठाए खड़े रहे….

जल्दी करो….
वरना
ये काम खुद मुझे ही अंजाम देना पढ़ेगा….
और
तुम तीनो मुझे रोकने के लिए ज़िंदा नही रहोगे….!

तुम कौन हो….? करीब खड़े आदमी ने फिर पूछा….उसकी आवाज़ काँप रही थी

खुदाई फ़ौजदार….ढांप नाम है….इमरान बोला….अपने आदमियों से कहो वही जो मैं कह रहा हूँ….
वरना
कत्ल कर देना मेरा दिलचस्प तरीन शौक़ है….!

उसने अपने आदमियों से कहा कि वही करे जो कहा जा रहा है….!

गाड़ी का पिछला दरवाज़ा खोल कर उन्होने स्ट्रेचएर निकाला….
और उसे उठाते हुए इमरान की गाड़ी तक आए….!

स्ट्रेचएर से उठा कर पिछली सीट पर डाल दो….इमरान ने कहा….वो पूरी तरह होशियार था….
और….शायद…. उन तीनो ने भी महसूस कर लिया था….
इसलिए
चुप-चाप हुक्म की तामील करते रहे….!

अब तुम दोनो अपने दोनो हाथ उपर उठाए हुए मूड़ कर खड़े हो जाओ….इमरान ने पिछली सीट का दरवाज़ा बंद करते हुए कहा

तुम जो कोई भी हो….तुम्हे पछताना पड़ेगा….उनमे से एक घुर्राया….
लेकिन
साथ ही उन्होने हुक्म की तामील भी की….!

और….मैं तुम्हे आगाह कर रहा हूँ कि….
अगर
24 घंटे के अंदर-अंदर डॉक्टर की बहन अपने घर ना पहुँची तो तुम में एक भी ज़िंदा नही बचेगा….अब सीधा दौड़ते चले जाओ….चलो जल्दी करो….मूड़ कर देखा….
और
मैने फाइयर किया….!

उससे क्या फ़ायदा….? उनमे एक बोला….हमारी गाड़ी बेकार हो चुकी है….हम तुम्हारा पीछा तो कर सकते नही….!

चलो….इमरान ने चीख कर कहा….
और
उन्होने दौड़ लगा दी….!

चलते जाओ….दौड़ते जाओ….कदम ना रुकने पाए….कहे कर इमरान गाड़ी में बैठा….और….एंजिन स्टार्ट कर के आक्सेलरेटर पर दबाव डाला….
और गाड़ी झपट कर आगे बढ़ गयी….!

डॉक्टर शाहिद पिछली सीट पर बेहोश पड़ा था….बीच के करीब पहुँचते ही इमरान ने फिर डॅशबोर्ड का बटन दबाया….
और गाड़ी की नंबर प्लेट बदल गयी….!

होश आते ही डॉक्टर शाहिद उछल पड़ा….
और हैरान-हैरान आँखों से चारों तरफ देखता हुआ बिस्तर से भी उतर आया….
फिर
दरवाज़े की तरफ झपटा और उसके हॅंडल पर ज़ोर आज़माइश करने लगा…..
लेकिन
दरवाज़ा बंद था….थक हार कर दोबारा बिस्तर पर आ बैठा….उसकी आँखों में शदीद तरीन उलझन के आसार थे….
अचानक उठा और दरवाज़ा पीट-पीट कर चीखने लगा….अरे मैं कहाँ हूँ….कोई यहाँ है….? दरवाज़ा खोलो….!

पीछे हट जाओ….बाहर से गुर्राति हुई सी आवाज़ आई

उसने खामोशी से तामील की….खुफाल में कुंजी (के) घुमाने की आवाज़ आई
और
दरवाज़ा खुल गया….

सामने एक ख़तरनाक आदमी खड़ा दिखाई दिया….
और
शाहिद और दो कदम पीछे हट गया
 
आने वाले ने दरवाज़ा बंद कर के दोबारा अंदर से लॉक कर दिया….शाहिद उसे ख़ौफज़दा नज़रों से देखे जा रहा था….!

ख़तरनाक आदमी उसे घूरता रहा….

म….मा….मैं कौन हूँ….? शाहिद हकलाया

क्या मतलब….ख़तरनाक आदमी घुर्राया

हाँ….हाँ….बताओ….मैं कौन हूँ….?

रानी विक्टोरीया के अलावा और कोई भी हो सकते हो….!

खुदा के लिए मेरा मज़ाक़ ना उड़ाओ….मुझे बताओ के मैं कौन हूँ….
और
मेरा नाम क्या है….पता नही कब से पूछता फिर रहा हूँ….कोई बताता ही नही….!

नही चलेगी….अजनबी सर हिला कर बोला

क्या नही चलेगी….?

यही जो तुम चलाना चाहते हो….तुम्हारी यादश्त पर कोई असर नही पड़ा

यादश्त….? शाहिद इस तरह बोला जैसे ख्वाब में बोल रहा हो

बैठ जाओ….अजनबी बिस्तर की तरफ इशारा कर के बोला….मैं अभी तुम्हारी यादश्त वापस लाउन्गा

मैं तुम्हारा शुक्र गुज़ार रहूँगा….
अगर ऐसा कर सको….!

तुम्हे इस्तीफ़ा वापस लेना पड़ेगा….अजनबी ने उसे घूरते हुए कहा

कैसा इस्तीफ़ा….? यक़ीन करो मैं कुछ नही जानता

क्या तुम डॉक्टर शाहिद नही हो….?

मेरे लिए ये नाम बिल्कुल नया है….शाहिद कुछ सोचता हुआ बड़बड़ाया

तो फिर डॉक्टर मलइक़ा तुम्हारी बहन भी नही होगी….?

मैं क्या जानू वो कौन है….

जो कोई भी है बड़ी तकलीफ़ में है….

शाहिद की आँखों में पल भर के लिए ख़ौफ़ की झलकियाँ नज़र आई….
और फिर
गायब हो गयी….
फिर
उसने थूक निगल कर कहा….तुम जो कोई भी हो खुदा के लिए मुझे बता दो कि मैं कौन हूँ….?

मिस्टर.रहमान के होने वाले दामाद….

और तुम कौन हो….?

ढांप…."आधा तीतर" वाला….!

"आधा तीतर"….शाहिद बेखास्ता उछल पड़ा
और तुम्हे वही करना पड़ेगा जो तुम से कहा जा रहा है….तुम अच्छी तरह जानते हो….!

मैं कुछ नही जानता….यक़ीन करो

क्या तुम इसे पसंद करोगे कि मलइक़ा को तुम्हारे सामने ही कोई नुकसान पहुँचा दिया जाए

मेरे खुदा….मैं क्या करूँ

वही जो कहा जा रहा है….

क्या कहा जा रहा है….?

तुम अच्छी तरह जानते हो….

मैं कुछ नही जानता….यक़ीन करो
वो सामने फोन रखा हुआ है….हेल्त डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी को बता दो कि तुम अपना इस्तीफ़ा वापिस लेना चाहते हो

मैं उसे नही जानता….अरे मैं येई नही जानता कि मैं कौन हूँ….

एक शख्स ने तुम्हे रिहाई दिलाने की कोशिश की थी हम ने उसे भी पकड़ लिया है….!

मुझे रिहाई दिलाने की कोशिश की थी….तो क्या मैने किसी जैल से फरार होने की कोशिश की थी….?

मैं अभी उसे बिझवाता हूँ….
शायद तुम्हारी यादश्त वापस आ जाए उसे देख कर….अजनबी ने दरवाज़े की तरफ बढ़ते हुए कहा….शाहिद भी उठा
तुम वहीं बैठे रहो….
वरना गोली मार दूँगा….अजनबी मूड कर बोला

फिर वो चला गया….शाहिद दम साधे बैठा बंद दरवाज़े को अजीब नज़रों से देखता रहा….
और
उसकी आँखों में बेबसी के आसार थे….!

थोड़ी देर बाद इमरान बौखलाया हुआ अंदर दाखिल हुआ….शाहिद उठ गया

मुझे अफ़सोस है डॉक्टर….उसने कहा….

क….क्य….क्या तुम मुझे जानते हो….?

क्या बात हुई….? इमरान ने हैरत से कहा

अगर जानते हो तो बताओ मैं कौन हूँ….?

अरे तुम डॉक्टर शाहिद हो….मेरी बहन सुरैया से तुम्हारी शादी होने वाली है….!
काश….मैने ये नाम पहले भी कभी सुना होता….!

बहुत अच्छा….इमरान हंस पड़ा

मेरी समझ में कुछ नही आता….शाहिद अपनी पैशानि मसल्ते हुए बोला

यार….बड़ी अच्छी अदाकारी कर रहे हो….इमरान आगे बढ़ कर बोला….ठीक है….इसी तरह तुम बच सकते हो

पता नही तुम लोग क्या कहे रहे हो….?

मैं तुम्हारी तरह कैदी हूँ….

किस के कैदी….? क्यूँ कैदी हो….?

मैं तुम्हे उन लोगों से छीन लेना चाहता था….
लेकिन
खुद भी पकड़ा गया….!

किन लोगों से छीन लेना चाहते थे….? मुझे तो कुछ भी याद नही आ रहा….

तुम कोहे-काफ के शहज़ादे हो….नीलम परी के एक लौते बेटे….इमरान लेफ्ट आँख दबा कर मुस्कुराया

कुछ भी याद नही आता….

चितकबार देव की खाला से तुम्हारा झगड़ा हो गया था….

फिर….क्या हुआ था….? जल्दी से मेरी उलझन रफ़ा कर दो….

चितकबार देव ने एक झापड़ रसीद कर दिया था….
और
तुम अपनी यादश्त खो बैठे….

डॉक्टर शाहिद किसी सोंच में पड़ गया….!

थोड़ी देर बाद इमरान ने पूछा….कुछ याद आया….?

शाहिद ने मायूसाना अंदाज़ में सर को ना में हिलाया

नही याद आएगा तो तुम्हे गुलेबा सूँघाया जाए….

कुछ करो….खुदा के लिए कुछ करो….!

ऐसे हालात में सब्र के अलावा और कुछ नही कर सकता डॉक्टर शाहिद….!

वो भी यही कह रहा था कि डॉक्टर शाहिद हूँ….

बकवास कर रहा था….तुम तो मेड ऑफ ज़रीना बेगम हो….

मेरा मज़ाक़ ना उड़ाओ….डॉक्टर शाहिद हलक के बल चीखा

इमरान खामोश हो गया….सोंच रहा था कि इस बार उससे सच-मूच हिमाकत ही सर्ज़ाद हुई है….ढांप के रूप में उसके सामने नही आना चाहिए था….
वैसे
मक़सद यही था कि शायद वो इमरान की हैसियत में कुछ ना कुछ मालूम कर सके….
अगर
असलियत ज़ाहिर करनी होती तो वो रहमान साहब ही से करता….
और
बात इस हद तक ना बढ़ती….

इससे पहले भी वो इसी टेक्निक के ज़रिए कॉर्निला से सच्ची बात उगलवा चुका था….शाहिद के मामले में भी यही टेक्निक अपनाई….
लेकिन
यहाँ उसे मायूसी हुई….
अलबत्ता
आधे तीतर के हवाले पर उसकी प्रतिक्रिया आशा जनक थी….वो शाहिद को गौर से देखता हुआ एक तरफ बढ़ गया….!

कॉर्निला को इमरान की तलाश थी….कतई अपने तौर पर किसी ने उसे ऐसा करने को नही कहा था….वो थाने उसका पता हासिल कर के फ्लॅट तक जा पहुँची….यहाँ जोसेफ से मूठ-भेड़ हुई….वो उसे हैरत से देखने लगी….
क्यूँ कि
वो इस वक़्त फ़ौजी वर्दी में था
और
दोनो तरफ के होलेस्टर में रिवॉल्वार के दस्ते सॉफ नज़र आ रहे थे….!

म….मा….मैं मिस्टर.इमरान को तलाश कर रही हूँ….कॉर्निला हक्लाई

क्यूँ….? जोसेफ सुर्ख-सुर्ख आँखें निकाल कर बोला

वो मेरे हमदर्द है….दोस्त है….

हम नही जानते वो कहाँ होंगे….

तुम कौन हो….?

मैं उनका बॉडीगार्ड हूँ….!

तब तो तुम्हे उनके साथ होना चाहिए था….

ना जाने क्यूँ जोसेफ खिलाफ मामूल मुस्कुरा दिया….

तुम ने मेरी बात का जवाब नही दिया….?

शौक है बॉडीगार्ड रखने का….
वरना
वो इतने मासूम और बेज़रर आदमी है कि उन्हे बॉडीगार्ड रखने की ज़रूरत ही नही….!

इस पर मुझे भी हैरत हुई….

किस बात पर मिस….? जोसेफ उसे गौर से देखता हुआ बोला

इसी पर कि उस भोले आदमी ने इतना खौफनाक बॉडीगार्ड क्यूँ रख छोड़ा है….

इस पर तो खुद मुझे भी हैरत है मिस….आज तक इन दोनो रिवाल्वरों से एक गोली भी नही चली….
और मेरा मिज़ाज भी किसी कदर शायराना हो गया है….!

क्या तुम कभी हेवी-वेट चॅंपियन भी रहे हो….?

मेरे जानने वालों का यही ख़याल है….
दरअसल
बॉस को भी बॉक्सिंग का शौक है….!

अच्छा….अच्छा….मैं समझ गयी….क्या अब भी लड़ते हो….?

सिर्फ़ बॉस से….

वो….यानी….के वो….!

हाँ….जब भी मेरे सितारे गर्दिश में आते है….मुझे दस्ताने पहेन्ने ही पड़ते है….

तुम्हारे सितारे गर्दिश में आते है….? कॉर्निला ने हैरत से कहा

हाँ मिस….एक फाइट के बाद 3 दिन तक अपने चेहरे की सिकाई करता रहता हूँ….

इमरान के मुकावले पर….

हाँ मिस….लेकिन….आज तक मेरा एक मुक्का भी उनके चेहरे पर नही पड़ सका….

तुम लिहाज कर जाते होगे….?

नही मिस….ऐसी कोई बात नही है….खुदा गवाह है जो आख़िरथ में मुझ पर पूरी तरह हावी होगा….

यक़ीन नही आता….

जोसेफ कुछ ना बोला….

कॉर्निला खामोश बैठी रही….!
सुलेमान इस वक़्त फ्लॅट में मौजूद नही था….

थोड़ी देर बाद जोसेफ बोला….तुम अपना कार्ड छोड़ जाओ मिस….वो जब आएँगे उन्हे बता दूँगा….!

मैं इंतेज़ार क्यूँ ना कर लूँ….?

अगले हफ्ते तक….

क्या मतलब….?

3 दिन से तो मैने उनकी शक्ल नही देखी….

आहा….तो क्या कहीं और भी ठिकाना है….?

इस फ्लॅट से आगे की बात मैं नही जानता….

अच्छी बात है….तो तुम मेरा कार्ड रखलो….वो अपना कार्ड दे कर चली गयी….!

जोसेफ ने उसके जाते ही इमरान के बताए हुए नंबर फोन नंबर डाइयल किया….

क्या खबर है….? दूसरी तरफ से इमरान की आवाज़ आई….

एक विदेशी लड़की तुम्हारी तलाश में है बॉस….कॉर्निला नाम है….!

क्या फ्लॅट में आई थी….?

हाँ….बॉस….अपना कार्ड दे गयी है….

आस-पास की पोज़िशन बताओ….

निगरानी कर रहे है वो लोग….ड्यूटी बदलती रहती है….देसी आदमी है किसी विदेशी को मैने अभी तक नही देखा….सुलेमान नही मानता वो फिर चला गया है….नाश्ते के बाद अभी तक गायब है….!

ये उसने अच्छा नही किया….वो लोग मेरी तलाश में है….
और
बुरी तरह पागल हो रहे है….!

कह रहा था मेरी मोहब्बत ख़तरे में है….

मैं समझ गया….खैर देखा जाएगा….इमरान की आवाज़ आई और सिलसिला कट हो गया

जोसेफ रिसेवर रख कर बोलकोनी पर आ निकला….
और
कंखनियों से उस मुकाम का जायेज़ा लेने लगा जहाँ उसकी समझ में निगरानी करने वाले मौजूद थे…..
फिर
वो शायद सिक्स्त-सेन्स ही थी जिस की बिना पर वो उछल कर पीछे हट गया….
और
उसकी बाई (लेफ्ट) जानिब वाली दीवार का प्लास्टर उधड गया….बे-आवाज़ फाइयर उसी तरफ से हुआ था जिधर कंखनियों से देखता जा रहा था….!
वो चुप-चाप कमरे में चला आया….
लेकिन
उसकी आँखें खौफनाक लगने लगी थी….चन्द लम्हे खड़ा कुछ सोचता रहा….फिर….
फोन की तरफ बढ़ा….इमरान के नंबर डायल किया….
और
दूसरी तरफ से जवाब मिलने पर गुर्राया….पानी सर से उँचा हो गया है बॉस….अब मुझे फ्लॅट से निकलने की इजाज़त दो….!
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क्या हुआ….?

मैं बोलकोनी में खड़ा हुआ था कि मुझ पर बे-आवाज़ फाइयर हुआ….उसी तरफ से वो लोग मौजूद है….!

तुम ज़ख़्मी तो नही हुए….?

बाल-बाल बच गया….

सुलेमान वापिस आया या नही….?

नही बॉस….

तुम बोलकोनी में भी नही जाओगे….

ये ज़ुल्म है बॉस….

बकवास मत करो….7वी बॉटल की इजाज़त दे सकता हूँ….
लेकिन बाहर निकलने की नही….!

7वी बॉटल….जोसेफ खुश हो कर बोला….क्या हमेशा के लिए बॉस….?

नही जब तक तुम पर पाबंदी है….!

तुम्हारी मर्ज़ी बॉस….जोसेफ मुर्दा सी आवाज़ में बोला
और
दूसरी तरफ से सिलसिला कट होने की आवाज़ सुन कर रिसीवर रख दिया

सुलेमान के सिलसिले में उसकी चिंता बढ़ गयी थी….उस बे-आवाज़ फाइयर का मतलब यही था कि वो लोग उनमे से किसी को घर से बाहर निकालना चाहते थे….इमरान ना सही कोई सही जिस पर काबू पा कर वो मालूमात हासिल कर सके….
लेकिन उनकी कम ख़याली थी….क्या जोसेफ को इल्म था कि इमरान कहाँ है….महेज़ फोन नंबर थे उसके पास….
और उसे यक़ीन था कि फोन डाइरेक्टरी में वो नंबर नही मिल सकेंगे….!

अचानक किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी….
और
वो चौंक पड़ा….
फिर
ख़याल आया कि दस्तक देने वाला सुलेमान के अलावा और कोई नही हो सकता….दरवाज़ा वही पीटता है….दूसरे तो कॉल बेल का बटन दबाया करते है….!
उसने झपट कर दरवाज़ा खोल दिया….सुलेमान ही था….
और
बेहद खुश नज़र आ रहा था….दाँत निकले पड़े थे….!

किधर था साला….? जोसेफ घुर्राया….बॉस फोन पर भी बोला….मत निकलो बाहर

अबे इस वक़्त तू 10 हज़ार गालियाँ दे तब भी बर्दाश्त कर लूँगा….!

अच्छा….क्या बात हो गया….?

उल्टा लटका हुआ था साला और मार पड़ रही थी….

किस का बात करता….?

कादर….कोठी पर मुलाज़िम है….कुछ घपला किया साले ने….
और अब कबूल कर रहा है….!

क्या किया था….?

बड़े साहब के साथ 420 सी की थी….

बड़े साहब के साथ….जोसेफ के लहजे में हैरत थी

हाँ….अब तो साला बंद हो जाएगा या निकाला जाएगा….!

तुम साला काको खुश होता….?

वो मुझे चाहती थी….ये बीच में आ कूदा….है थोड़ा नक़्शेबाज़….मैं ठहेरा सीधा-सादा आदमी….!

तो वो तुम्हारा राइवल है….?

राइवल क्या….?

वो होता….दूसरा आदमी….तुम्हारा लौंडिया का लवर….!

हाँ….हाँ….यही बात थी….!

लौंडिया क्या बोलता है….

उससे मुलाकात ही ना हो सकी….

तुम साला उल्लू है….

क्यूँ….क्यूँ….?

बस है….तुम्हारा शादी नही बनेगा….!

आबे क्यूँ बकवास करता है….

लौंडिया भी तुम को उल्लू समझता….

देख बे….ज़ुबान संभाल कर….

अब तुम बाहर नही जाएगा….

क्यूँ नही जाएगा….कोई धोंस है तेरी….?

बॉस बोला फोन पर….जाएगा तो मरेगा….
फिर
उसने बोलकोनी के करीब ले जा कर दीवार का उधड़ा हुआ प्लास्टर दिखाया
और
वो गोली दिखाई जो वहीं फर्श पर पड़ी हुई थी….
अचानक
उसी वक़्त उन्होने शोर सुना….नीचे सड़क पर भगदड़ मच गयी थी….जिधर जिस के समझ में आ रहा था निकला जा रहा था….
फिर
उन्होने फाइयर की आवाज़ भी सुनी….!

जोसेफ ने पीछे हट कर दरवाज़ा बंद कर दिया….

ये क्या हो रहा है….सुलेमान उसे घूरता हुआ बोला

जिस ने मुझ पर गोली चलाया था….अब उस पर चलता….

तूने ठीक कहा था….मेरी शादी नही हो सकेगी….सुलेमान ठंडी साँस ले कर बोला

बहादुर लोग का ना शादी बनता….
और
ना उनका नौकर लोग का….!

अबे जा….बड़ा बहादुर लोग है….ख्वंखाह दूसरों के पचडे में टाँग अड़ाते फिरते है….!

हम नही समझा….पच्डे में टाँग अडाता फिरता क्या मातबल होता है….?

मातबल नही मतलब….सुलेमान ने चिडाने के से अंदाज़ में कहा

वही….वही….

वही….वही के बच्चे बाहर गोलियाँ चल रही है

हम क्या करे….चलता है तो चले….जोसेफ ने कहा
और
कमरे की तरफ चल पड़ा….
शायद
उसकी प्यास जाग उठी थी….
और
वो 6वी बॉटल की बची-कूची के साथ 7वी के ख़याल में मगन था….!

ओप्रेशन रूम से इमरान की कॉल उसके कमरे में डाइरेक्ट कर दी गयी….वो अभी सेइको मॅन्षन ही में था….

दूसरी तरफ से सफदार की आवाज़ सुनाई दी….अभी-अभी एक आंब्युलेन्स हर्लें हाउस के कॉंपाउंड में दाखिल हुई है….मैने सोचा शायद उसकी कोई अहमियत हो आप की नज़रों में….

हो भी सकती है….और….नही भी….इमरान बोला….क्या उसका नंबर टी.ज़् 2411 है….?

नही….टी.ज़् 1120 है….

किसी ख़ास मेडिकल इन्स्टिट्यूशन का नाम है उस पर….?

नही….सिर्फ़ रेड क्रॉस बना हुआ है उस पर….

तुम में से कोई उसका पीछा ना करे….सिर्फ़ उसकी रवानगी की दिशा के बारे में इत्तिला देना काफ़ी होगा….
अगर वो कॉंपाउंड से बाहर आए….!

बहुत बेहतर….

क्या नंबर बताया था….?

टी.ज़् 1120….

मैं इंतेज़ार में रहूँगा….

बहुत बेहतर….

दट’स ऑल….इमरान ने कहा और कॉल डिसकनेक्ट कर दिया

रिसेवर रखा ही था के फिर घंटी बजी….इस बार जोसेफ की आवाज़ आई

सबसे पहले 7वी बॉटल का शुक्रिया बॉस….उसके बाद ये खबर है कि फ्लॅट के बाहर फाइरिंग हुई थी….पड़ोसियों ने बताया के दो ज़ख़्मी आदमी एक कार में बैठ कर फरार हो गये है कोई नही जानता कि उनपर किस ने फाइयर किए थे

7वी बॉटल ने….? इमरान सर हिला कर बोला

यक़ीन करो बॉस 7वी बॉटल के सिर्फ़ दो घूँट ने मुझे इस हद तक पूर सकून कर दिया था कि मैने बोलकोनी में झाँकना भी गवारा नही किया….
और
तीसरी खबर….ये है कि सुलेमान की मोहब्बत जीत गयी….वो कोठी पर गया था वहाँ उसने अपने रक़ीब को उल्टा देखा था….!

तो उसने भी इब्रात पकड़ ली होगी….

नही बॉस….वो बहुत खुश है….
और
चौथी खबर….ये है कि जब आस-पास गोलियाँ चल रही हो तो मुझे अपनी परदा नशीनी खुलने लगती है….!

परदा नशीनी बेहतर है कफ़न पोशी से….इमरान ने कहा और सिलसिला काट दिया….फिर….
30 सेक बाद ही सफदार की कॉल आई….!
आंब्युलेन्स पोर्च में खड़ी है….
और
एक स्ट्रेचएर अंदर से लाया गया है….कोई उस पर लेटा हुआ है….सर से पैर तक कंबल से ढका हुआ है….!

पीछा हरगिज़ ना करना….इमरान बोला….जाने दो….!

हो सकता है वो लेडी डॉक्टर हो….

उसके बावजूद भी वो करो जो मैं कहूँ….ये जाल भी हो सकता है….
शायद
वो अंदाज़ा करना चाहते है कि हर्लें हाउस निगरानी में है या नही….इस वजुहात (कारणों) में….!

जैसी आप की मर्ज़ी….

लेकिन….रवानगी की दिशा से आगाह करना….

बहुत बेहतर….आ….वो….ज़रा...ठहेरिए….होल्ड की जिए….

आवाज़ आनी बंद हो गयी….इमरान रिसेवर कान से लगाए रहा

सफदार की आवाज़ फिर आई….हेलो

सुन रहा हूँ….

चौहान इत्तिला दे रहा है कि आंब्युलेन्स कॉंपाउंड से निकल कर 11वी शहरा पर वेस्ट की जानिब मूड गयी है….

ठीक है….तनवीर तुम लोगों की जगह लेने के लिए आधे घंटे बाद पहुँच जाएगा….अब एक ही आदमी काफ़ी होगा….तुम तीनो आराम कर सकते हो….दट’स ऑल
रिसीवर रख कर वो आहिस्ता से बड़बड़ाया….11वी सड़क वेस्ट की जानिब….खूब तो फिर शायद इधर ही जाएँगे….!

आंब्युलेन्स की अगली गाड़ी पर दो अफराद थे….
और
दोनो ही सफेद फाम विदेशी थे….उनमे से एक ड्राइव कर रहा था

गाड़ी के पीछे दूर तक सड़क सुनसान और वीरान थी….ड्राइव करने वाले ने रिवर मिरर पर नज़र डालते हुए कहा….कोई भी नही है….शहेर से यहाँ तक कोई ऐसी गाड़ी नज़र नही आई जिस पर पीछा करने का शक किया जा सकता है….!

चीफ बच्चों की सी हरकतें कर रहा है….दूसरा बोला

अंदर स्ट्रेचएर पर कौन है….?

मैं नही जानता….ज़रूरी नही कि कोई आदमी हो….डमी हो सकता है….!

आख़िर ये कौन शक्श है जो इस तरह हमारे मुक़ाबले आया है….पोलीस तो कुछ भी नही कर रही….!

मैं नही जानता….

क्या नाम है….?

इमरान…..

लेकिन….हर्मन ने ढांप नाम बताया था….

उस शक्श का नाम बताया था जो क़ैदी को छीन ले गया था….चीफ़ का ख़याल है कि वो इमरान ही का कोई आदमी हो सकता है….!

इमरान की क्या हैसियत है….?

यहाँ के इंटेलिजेन्स-डिपार्टमेंट के डाइरेक्टर-जनरल का लड़का है

और उसी के महकमे से ताल्लुक रखता है….

नही….महकमे से उसका कोई ताल्लुक नही….एक आवारा गर्द आदमी है….!
ओहू….अब एक गाड़ी दिखाई दी है….

वो हमारी ही गाड़ी होगी….पाँच मील फासला तय कर लेने के बाद पीछा करने वाली कोई गाड़ी नही हो सकती….पीछा शुरू होता तो हर्लें हाउस के करीब ही से हो जाता….चीफ़ का अंदाज़ा ग़लत भी हो सकता है….!

अगर….हमारी ही गाड़ी है तो इतनी देर बाद क्यूँ दिखाई दी….?

तो फिर….कोई दूसरा आदमी होगा….इस सड़क पर सिर्फ़ हम ही तो नही चल रहे….!

ये साहिली तफरीहगाह की रोशनियाँ है शायद….

हाँ….

पिछली गाड़ी रास्ते के लिए हॉर्न दे रही थी….
और
आंब्युलेन्स एक तरफ कर ली गयी….
और
तेज़ रफ़्तार गाड़ी उसके बराबर से निकलती चली गयी….

हर्मन ने यही तो बताया था कि पहले वो गाड़ी आगे निकल गयी थी….

क्यूँ मरे जा रहे हो अपनी गाड़ियाँ भी पीछे होंगी…..!

तो दिखाई क्यूँ नही देती….!

वीरान हिस्से में दाखिल होते ही हेडलाइट्स बुझा दी गयी होंगी….!

वो देखो….ड्राइवर चीख पड़ा….वो पलट रही है….!

सामने से किसी गाड़ी की हेड लाइट्स दिखाई दी…..

आने दो….हमारी भी गाड़ियाँ….

सामने वाली गाड़ी की रफ़्तार में कमी नही हुई….वो आंब्युलेन्स के करीब से गुज़रती चली गयी….!

ओह….ड्राइवर ने लंबी साँस ली….

खाम्खा नर्वस हो रहे हो तुम….बस अब हम वहाँ पहुँचने ही वाले है….
 
आंब्युलेन्स की रफ़्तार किसी कदर तेज़ हो गयी….साहिली तफरीहगाह बहुत पीछे रह गया….
और
ये वही सड़क थी जिस पर उनकी आंब्युलेन्स के टाइयर फ्लॅट कर दिए गये थे….
और
ढांप नामी आदमी ने उनके कैदी पर हाथ सॉफ कर दिया था….

और एक मील फासला तय कर के आंब्युलेन्स उन इमारतों के करीब जा पहुँची जहाँ न्यूक्लियर बिजली घर का स्टाफ रहता था….
फिर
वो एक अलग-थलग इमारत के कॉंपाउंड में दाखिल हो हुई….!

अब हमें क्या करना है….? ड्राइवर ने पूछा
गाड़ी को पोर्च में लेते चलो….
और
वहाँ खड़ी कर दो….!

उसके बाद….?

मैं नही जानता….मुझे तो ये भी नही मालूम कि गाड़ी ही पर बैठे रहना है या उतरना है….

ये क्या बात हुई….?

एंजिन बंद कर दो और चुप-चाप बैठे रहो….!

गाड़ी पोर्च में पहुँच कर रोकी और एंजिन बंद कर दिया गया….वो दोनो बैठे रहे….
अचानक
आंब्युलेन्स के अंदर से किसी ने पिछले पारटिशन पर ज़ोर-ज़ोर से हाथ मारना शुरू कर दिया….!
डमी नही थी….चलो उतरो नीचे….दरवाज़ा खोलो….ड्राइवर ने कहा

दूसरे आदमी ने नीचे उतर कर गाड़ी का पिछला दरवाज़ा खोला….
और
बौखला कर पीछे हटते हुए कहा….चीफ

कुछ नही हुआ….? उसने गाड़ी से उतरते हुए पूछा

नही चीफ….कुछ भी नही….!

इतने में दो गाड़ियाँ और भी कॉंपाउंड में दाखिल हुई….उन पर से 4 सफेद फाम विदेशी उतरे….
और
पोर्च की तरफ बढ़ते चले गये….!

क्या खबर है….? खुश्क लहजे में चीफ ने उनसे सवाल किया

कतई नही चीफ….पीछा किया ही नही गया

लेकिन….मैने दो गाड़ियों की आवाज़ें सुनी थी….!

एक गाड़ी तफरीहगाह से इस तरफ आई थी….
और
दूसरी अलग दिशा से….उन्ही की आवाज़ें आप ने सुनी….!

हो सकता है तफरीहगाह से पीछा शुरू किया गया हो….आंब्युलेन्स के ड्राइवर ने कहा

अहमाक़ाना ख़याल है….चीफ बोला….चलो अंदर चलो

वो इमारत में दाखिल हुए….

चीफ मज़बूत जिस्म वाला एक लंबा आदमी था….आँखें बड़ी जानदार थी….अपने मातहतों पर छाया हुआ सा लगता था….!

एक बड़े कमरे में पहुँच कर उसने उन्हे बैठ जाने का इशारा किया….चन्द लम्हे उन्हे घूरता रहा फिर बोला….तुम सब नकारा साबित हो रहे हो….!

वो सब खामोश रहे….

चीफ थोड़ी देर बाद घुर्राया….दोनो देसी आदमी ज़ख़्मी हो कर वापस आए है….

कौन देसी आदमी….एक बोला

मैं सिर्फ़ हवर्ड से मुखातीब हूँ….

हवर्ड नामी आदमी ने उसे ख़ौफज़दा नज़रों से देखा….

इमरान के फ्लॅट के करीब उन पर फाइयर किए गये थे….?

मुझे इल्म है चीफ….हवर्ड बोला….उनसे भी ग़लती हुई थी….उनमे से एक ने नीग्रो पर फाइयर कर दिया था….जो फ्लॅट की बोलकोनी में खड़ा हुआ था….!

क्यूँ….? चीफ उसे घूरता हुआ घुर्राया

फाइयर बे-आवाज़ था….
और
इस उम्मीद पर किया गया था कि शायद इस तरह इमरान फ्लॅट से निकल आए….!

तुम अहमक को…..तुम ग़लत आदमियों का चुनाव किया था फ्लॅट की निगरानी के लिए….इमरान फ्लॅट में मौजूद नही है….राणा पॅलेस में भी नही….
और
अपने बाप के घर में भी नही है….!

हम इंतिहाई कोशिश कर रहे है बॉस….मुझे इत्तिला मिली थी कि आज कोई सफेद फाम विदेशी लड़की इमरान के फ्लॅट में गयी थी….!

कॉर्निला थी….चीफ खुश्क लहजे में बोला

कॉर्निला….? हवर्ड के लहजे में हैरत थी

हाँ….वही थी….
और
अब उसी पर नज़र रखो वो इमरान की तलाश में है….!

मगर….चीफ ज़रूरी तो नही कि वो उसे मिल ही जाए….?

गैर ज़रूरी बातें नही….!

ओके चीफ….हवर्ड ने गहरी साँस ली

चीफ उठ गया….

लंबी राहदारी से गुज़र कर वो एक कमरे के सामने रुका….खुफाल (लॉक) खोल कर अंदर दाखिल हुआ….
और
सामने बैठी हुई औरत उसे देख कर उछल पड़ी….!
डरो नही….चीफ आहिस्ता से बोला

डरूँ क्यूँ….? औरत ने गुस्सैले लहजे में कहा

जब तक तुम्हारा भाई हमे ना मिल जाए तुम्हारी रिहाई नामुमकीन है….!

आख़िर तुम लोग मेरे भाई से क्या चाहते हो….?

वो कर्ज़दार है मेरा….जैसे ही मैने इस सर ज़मीन पर कदम रखा वो गायब हो गया….!

कितनी रकम है….? औरत ने उसे घूरते हुए पूछा

तुम तस्सउूर भी नही कर सकती….मेरे मुल्क में शहज़ादों की सी ज़िंदगी बसर करता था….!

आख़िर तुमने किस उम्मीद पर उसे कोई बड़ी रकम दे दी थी….?

तफ़सील में नही जा सकता….ये बताओ क्या ढांप नामी किसी आदमी से वाक़िफ़ हो….?

ये नाम ही पहली बार सुन रही हूँ….!

हो सकता है कि तुम उसे नाम से ना जानती हो….
लेकिन
कभी अपने भाई के साथ देखा हो….वो एक बुड्ढ़ा सा आदमी है बहुत ज़्यादा फूली हुई नाक वाला….
और
मूँछें होंठों पर लटकी हुई इतनी घनी के होंठ छुप गया हो….!
नही मैने ऐसे किसी आदमी को अपने भाई के साथ नही देखा….
 
चीफ थोड़ी देर खामोश रहे कर बोला….
बहेरहाल
तुम्हारा भाई इस पोज़िशन में नही कि मेरा क़र्ज़ अदा कर सके….
इसलिए
इस्तीफ़ा दे कर गायब हो गया है….!

ओहू….तो क्या इसी लिए इस्तीफ़ा भी….?

हा…. इसी लिए

क्या तुम यहाँ के क़ानूनी तौर पर अपना क़र्ज़ पा सकोगे….?

मैं नही समझा….?

क्या तुम्हारे पास उनकी कोई ऐसी तहरीर (लेखन) है….जिस की बिना पर उनका कर्ज़दार होना साबित हो सके….?

नही….

तो फिर….उन्हे तुम से ख़ौफज़दा होने की क्या ज़रूरत थी….?

वो अच्छी तरह जानता है कि अगर उसने क़र्ज़ अदा ना किया तो उसके दोनो कान काट दिए जाएँगे….!

हुह….इस मुल्क में….? औरत ने गुस्सैले लहजे में पूछा

उसमे हैरत की क्या बात है….यही देखलो कि तुम हमारी क़ैद में हो….इस मुल्क में….तुम्हारे क़ानून ने हमारा क्या बिगाड़ा है….तुम्हारे अगवा की खबर से पूरे शहेर में सनसनी फैल गयी है….अख़बारात चीख रहे है
लेकिन
तुम देख रही हो….!

औरत कुछ ना बोली….

चीफ थोड़ी देर खामोश रह कर बोला….तुम्हारा भाई जहाँ भी होगा तुम्हारे अगवा की खबर उस तक ज़रूर पहुँची होगी….
और
ये भी जानता होगा कि उनमे किस का हाथ है….
लेकिन
उसे तुम्हारा ज़ररा बराबर भी ख़याल नही है….!

औरत खामोश रही….

अचानक….किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी….
और
चीफ चौंक कर मुड़ा….
फिर
उसने गुस्सैले अंदाज़ में उठ कर दरवाज़ा खोला….सामने हवर्ड खड़ा नज़र आया….!
च….चे….चीफ़….वो हकलाया….कॉंपाउंड में कोई है….

कौन है….?

पता नही….

तुम्हारा दिमाग़ तो चल नही गया….ओह….अपनी शक्ल देखो….कौन है कॉंपाउंड में….ओह….मैं समझा….तुम शायद ये कहना चाहते हो कि उन्ही लोगों में से कोई है….?

हवर्ड ने हाँ में सर को हिलाया….

तुम्हे कैसे मालूम हुआ….?

कुत्ते भोंकने लगे है….

गेट बाँध कर के उन्हे खोल दो….
लेकिन
पहले आईने में अपनी शक्ल ज़रूर देख लेना….कहीं तुम्हे ही गोली ना मार दूं….तुम डर रहे हो….?

न….ना….नही तो चीफ….वो पीछे हटता हुआ बोला….मैं कुत्ते खुलवा देता हूँ….

ठीक उसी वक़्त पूरी इमारत में अंधेरा छा गया….
और
चीफ उँची आवाज़ में बोला….खबरदार तुम कमरे ही में खामोश बैठी रहना….वरना….गोली मार दी जाएगी….
फिर
उसने खींच कर दरवाज़ा बंद किया….
और
टटोल कर खुफाल (लॉक) में कुंजी लगाई….अंधेरे में दौड़ते हुए कदमों की आवाज़ें गूँज रही थी….!

कुत्ते….कुत्ते….चीफ ज़ोर से चीखा….कुत्ते खोल देने की कोशिश करो….वो दीवार टाटोलता हुआ आगे बढ़ रहा था….!

भगदड़ की आवाज़ अब भी सुनाई दे रही थी….उन लोगों के आने से पहले भी इस इमारत में कुछ अफ्राद मौजूद थे….
और
अब उनकी तादाद 11 थी….!

चीफ बढ़ते-बढ़ते सदर दरवाज़े तक आ पहुचा….कॉंपाउंड में उसे टॉर्च की रोशनी दिखाई दी….
और
कुछ ऐसे लोग भी आए जिन्होने बुल-डॉग की ज़ंजीरें थाम रखी थी….!

जल्दी करो….चीफ दहाडा….उन्हे छोड़ दो….!
कुत्ते छोड़ दिए गये….
और
वो एक ही तरफ दौड़ते चले गये….!

चीफ पोर्च में खड़ा अपने आदमियों को हिदायत (निर्देश) दिए जा रहा था….
लेकिन
अभी तक किसी ने भी दोबारा रोशनी के इंतेज़ाम की फ़िक्र नही की….पता नही वो इतने बढ़हवास हो गये थे….या जेनरेटर ऑन नही करना चाहते थे….सिर्फ़ दो अदद टॉर्च की रोशनियाँ कॉंपाउंड के अंधेरे में गर्दिश कर रही थी….

अचानक….कुत्ते खामोश हो गये….
और
ऐसा लगा जैसे उससे पहले किसी किस्म की आवाज़ें ना रही हो….
फिर….शायद
किसी ने विशिष्ट अंदाज़ में सीटी बजाई….
लेकिन
उसकी आवाज़ सन्नाटे में मद्गम (एकीकृत) हो गयी….
और
कुत्तों की तरफ से किसी प्रतिक्रिया का इज़हार नही हुआ….!

देखो….क्या हुआ….? चीफ दहाडा

जिस तरह कुत्ते मारे गये है….इसी तरह देखने वाले भी मार दिए जाएँगे….किसी की आवाज़ दो-रफ़्ता हिस्से से आई….आवाज़ की दिशा में फ़ौरन किसी ने फाइयर झोंक दिया….!

चीफ तेज़ी से हट गया….वो समझ ही नही सका कि वो आवाज़ उसी के किसी के आदमी की थी….या कोई और था….जिस ने उसकी बात का जवाब दिया था 2 फाइयर फिर हुए….
और….
वो सदर दरवाज़े के करीब दीवार से लगा खड़ा था….

इतने में कोई दौड़ता हुआ पोर्च में आया….
और
सीढ़ियों पर चढ़ता हुआ फिर लूड़क गया….चीफ ने उसका धुँधला सा हुलिया देखा….
लेकिन….
अपनी जगह से हिला भी नही….!

पे दर पे फाइयर फिर हुए….इसके बाद ही पोलीस की किसी पेट्रोल कार का साइरन सुनाई देने लगा….!

चलो सब….अंदर चलो….चीफ हलाक फाड़ कर बोला….रोशनी….मेन-स्विच देखो….!

सब कुछ ठीक है….लेफ्ट तरफ से आवाज़ आई….ऐसा लगता है जैसे पॉल पर से गयी हो….

पवर हाउस फोन करो….चीफ ने कहा
और
फिर….उसे याद आया कि अभी कोई पोर्च की सीढ़ियों पर से लूड़क गया था….देखो….उधर कौन है….टॉर्च इधर लाओ….!

दूसरे ही लम्हे में टॉर्च चीफ के चेहरे पर पड़ी….

मुझे टॉर्च दो….वो झुनझूला कर बोला

आने वाले ने टॉर्च उसकी तरफ बढ़ा दिया….
और
उसने सीढ़ियों पर रोशनी डाली….उसी का एक आदमी नीचे सीढ़ी पर औंधा पड़ा नज़र आया….
और
उसके नीचे से खून की पतली सी लहेर निकल कर दूर तक बल खाती चली गयी….

इसे उठा कर फ़ौरन अंदर ले चलो….चीफ बोला….
और
खून का निशान तक यहाँ ना मिलना चाहिए….जल्दी करो….मैं फाटक पर जा रहा हूँ….पोलीस इधर ही आ रही है….बाहर के लोग इस इमारत की नशानदेही कर देंगे….कयि फाइयर हुए थे….

ओह…चीफ….बाई तरफ से आवाज़ आई….मेन-स्विच की एक फ्यूज़ ग्रूप गायब है….!

जल्दी से दूसरी लगाओ….कहता हुआ गेट की तरफ बढ़ गया….!
उसके अंदाज़े के मुताबिक पेट्रोल कार गेट की दिशा में रुकी थी….
और
उसे फाइयर के बारे में पूछा गया….

आवाज़ें हम ने भी सुनी थी….
लेकिन
दिशा का निर्धारित नही कर सकते….यहाँ की बिजली में कोई नुखस हो गया है….चीफ ने जवाब दिया

कार आगे बढ़ गयी….
शायद
वो लोग उसकी शक्षियात से प्रभावित हो गये थे….!

वो तेज़ी से इमारत की तरफ पलटा….अभी पोर्च में भी नही पहुँचा कि इमारत रोशन हो गयी….दो आदमी सीढ़ियों के करीब खून के धब्बे धो रहे थे….

क्या वो मर गया….? चीफ ने पूछा

नही चीफ….जवाब मिला….शाने पर गोली लगी है….बेहोश है

कुत्तों का क्या हश्र हुआ….उन्हे भी देखो….
फिर ज़रा सी देर में उसे मालूम हो गया कि कुत्ते पार्क में बेहोश पड़े है….उन्हे गोली नही मारी गयी थी….
बल्कि बेहोश कर देने वाली कारतूस का शिकार हुए थे….इस इत्तिला पर वो चौंक पड़ा….
और कैदी औरत वाले कमरे की तरफ चल पड़ा….
 
दरवाज़ा खुला हुआ मिला….कमरा खाली था….जिस कुर्सी पर उसे बैठी हुई छोड़ कर गया उल्टी पड़ी दिखाई दी….उसके करीब ही काग़ज़ का एक टुकड़ा पड़ा मिला….जिस पर मोटे-मोटे हर्फ में
“ढांप”
लिखा था….!

ओह….खबीसों….ओह….मरदूदों….वो कमरे से दहाड़ता हुआ निकला….तुम सब इस काबिल हो कि बे-दरदी से कत्ल कर दिए जाओ….वो उसे भी निकाल ले गया

थोड़ी देर बाद वो सब चीफ के सामने सर झुकाए खड़े नज़र आए….

वो उन पर बुरी तरह गरज रहा था….!
.....................,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

डॉक्टर मलइक़ा को सिर्फ़ इतना ही याद था कि कमरे में अचानक अंधेरा हो गया….
और
उससे पूछ-गाच करने वाला कमरे को दोबारा बंद कर गया था….साथ ही धमकी भी दी थी कि निकल भागने की सूरत में गोली मार दी जाएगी….

वो देर तक अंधेरे में बैठी रही….
फिर
दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुन कर कुर्सी से उठी ही थी….ठीक उसी वक़्त उस पर पेन्सिल टॉर्च की रोशनी पड़ी थी….
और
किसी ने आहिस्ता से कहा था कि वो उसका दोस्त है….उसे रिहाई दिलाना चाहता है….ये बात उर्दू में कही गयी थी….इसलिए वो किसी नये कशमकश में पड़ जाने की बजाए उसके साथ कमरे से निकलती चली गयी थी….

वो उसका हाथ पकड़े हुए था….पार्क में पहुँच कर उसने उसे काँधे पर उठाया था….
और एक तरफ दौड़ लगा दी थी…..उसी दौरान में उसने ये महसूस किया था जैसे वो अपने एक हाथ से उसकी कनपटी दबाने की कोशिश करता रहा हो….
फिर
क्या हुआ था….उसका होश नही….दोबारा कुछ सोचे समझने के काबिल हुई थी….तो फिर….
खुद को एक कमरे में पाया….
लेकिन
वो कमरा हरगिज़ नही था जिस में क़ैद रही थी….ये कमरा उससे ज़्यादा बड़ा था….और….
उस में नकासी के दरवाज़े थे….उसने उठ कर एक दरवाज़ा खोलने की कोशिश की….फिर….दूसरे को आज़माया दूसरा हॅंडल घुमाते ही खुल गया….
और
दूसरे ही लम्हे में चीख पड़ी… “भाई जान”

ये भी एक कमरा ही था….
और उसके सामने डॉक्टर शाहिद एक आरामदेह कुर्सी पर नज़र आया….!

म….म….मैं नही जानता कि आप कौन है….? शाहिद सीधा बैठता हुआ बोला

मलइक़ा ठिठक कर रह गयी….

अगर….भाई जान हूँ तो बताओ कि मैं हूँ कौन….? मेरा घर कहाँ है….?

अरे भाई जान…..वो ख़ौफज़दा लहजे में कुछ कहते-कहते रुक गयी….

ठीक उसी वक़्त पीछे से आवाज़ आई….ये आप के भाई जान नही….
बल्कि मेरे अज़ाब जान है….!
मलइक़ा चौंक कर पीछे मूडी….सामने इमरान खड़ा था….!

डॉक्टर शाहिद भी कुर्सी से उठ गया….

मेरा नाम अली इमरान है मोहतर्मा….

मैं जानती हूँ….वो लंबी साँस ले कर बोली….आप की तस्वीर देखी थी….!

पिछली रात मैं ही था जिस ने आप को रिहाई दिलवाई थी….

और खुद पकड़े गये….डॉक्टर शाहिद बेस्खता बोल पड़ा….

अब तो वाक़ई पकड़े गये….इमरान बाई आँख दबा कर हंसा
और शाहिद के मूह पर हवाइया उड़ने लगी….!

परवाह मत करो….मैं इसी तरह यादश्त वापस लाता हूँ….इमरान बोला

म….म….मा….मैं नही समझा….?

तुम महफूज़ हो डॉक्टर….ढांप मेरा ही आदमी है

ओह….वो लोग भी किसी ढांप का ज़िक्र कर रहे थे….मलइक़ा बोली

उन्हे करना भी चाहिए….

मैं कहाँ हूँ….? शाहिद ने सवाल किया

एक महफूज़ मुकाम पर….सुरक्षा ही के लिए तुम्हे यहाँ रखा गया है….
बल्कि…. मेरी हिरासत में हो अब ढोलक बजवा ही दी जिए….!

अगर….वो आप का आदमी था तो उसने आधे तीतर का हवाला क्यूँ दिया था….शाहिद इमरान को गौर से देखता हुआ बोला

आप लोग आराम से बैठ जाइए….इमरान हाथ हिला कर बोला
फिर मलइक़ा से कहा….मैं पहले आप की कहानी सुनूँगा….!

एम्म….मेरी कहानी….ये है कि एक विदेशी लड़की मरीजा को देखने के बहाने मुझे हर्लें हाउस ले गयी थी….
और
मुझे बंद कर दिया गया था….
फिर
मैं नही जानती कि दूसरी इमारत में कैसे पहुचि थी….उन्होने मुझे बतौर कैदी रखा हुआ था….!

किस सिलसिले में….?

डॉक्टर शाहिद ज़ोर से खंकारा….जैसे मलइक़ा को बोलने से रोक रहा हो….
लेकिन
मलइक़ा खुद उसी से सवाल कर बैठी….क्या तुम किसी के बहुत ज़्यादा कर्ज़दार हो….?

नही….तो….सवाल ही पैदा नही होता….शाहिद बोला

लेकिन….वो कहे रहा था कि कोई बहुत बड़ी रकम है….इसी लिए गायब हो गये हो….

शाहिद कुछ ना बोला….मलइक़ा उसे गौर से देखती हुई कहती रही….तुम ने उससे ये रकम उसी के मुल्क में ली थी….जब तुम्हे मालूम हो गया कि वो यहाँ आ गया तो तुम गायब हो गये….!

क्यूँ डॉक्टर साहब….? इमरान ने पूछा

हो सकता है….शाहिद ने झूठी मुस्कुराहट के साथ कहा

लेकिन…. “आधा तीतर”….?

पता नही….आप क्या कहे रहे है इमरान भाई….

अभी थोड़ी देर पहले ढांप के सिलसिले में हैरत ज़ाहिर की थी कि अगर वो मेरा आदमी था तो उसने आधा तीतर का हवाला कैसे दिया था….!
ओह….दरअसल….वो जिस का मैं कर्ज़दार हूँ….वहाँ आधा तीतर कह लाता है….!

क्यूँ मोहतर्मा….क्या वो आधा तीतर था….इमरान ने संजीदगी से पूछा

मैं नही समझ सकती कि ये किस किस्म की गुफ्तगू शुरू हो गयी है….मलइक़ा ने ना-ख़ुशगवार लहजे में कहा

मतलब ये कि वो आधा तीतर की नकल रखता था….?

मैं नही जानती….

क्या उसने आप की आँखों पर पट्टी बाँध कर गुफ्तगू की थी….?

जी नही….

नाम बताया था….?

भला वो नाम क्यूँ बताता….जब कि उससे एक गैर क़ानूनी हरकत सर्ज़ाद हुई थी….!

ये भी ठीक है….
अच्छा उसका हुलिया ही बताइए….?

लंबा कद और लंबा चौड़ा आदमी है….!

कोई मख़सूस (विशिष्ट) पहचान….?

ठहरिए….मुझे सोचने दी जिए….एक निशान जो सभी को अजीब लगा है….पैशानी पर बायें (लेफ्ट) जानिब क्रॉस की शक्ल में ज़ख़्म का निशान सॉफ और इतना बड़ा है कि दूर से भी नज़र आता है….!

ये हुई ना बात….इमरान सर हिलाता हुआ बोला….अब उसका क़र्ज़ अदा करने की कोशिश करूँगा….!

शाहिद उसकी तरफ देख कर रह गया….

इमरान के होंठों पर अजीब सी मुस्कुराहट थी….
और कुछ पूछना है आप को डॉक्टर शाहिद से….? उसने मलइक़ा से सवाल किया
 
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