desiaks
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यक़ीनन….गायब होने की वजह क़र्ज़ हो सकती है….
लेकिन
इस्तीफ़ा…..?
मुनासीब यही होगा कि ये सवाल आप मेरे लिए छोड़ दे….
मैं नही समझी….?
बहुतर बातें खावतीनों के इल्म में लाने वाली नही होती….
शाहिद ने बौखला कर इमरान की तरफ देखा….
लिहाज़ा….आप आराम की जिए….इमरान बोला
मैं अपने घर वापिस जाना चाहती हूँ….!
अभी नही….ज़रा हालात को मेरे काबू में आ जाने दी जिए….
वरना
आप देख ही चुकी है कि पोलीस आप का सुराग नही पा सकी थी….
और वो लड़की अब भी आज़ाद है जो आप को हर्लें हाउस ले गयी थी….!
तो….इसका मतलब ये हुआ कि यहाँ क़ानून की हुक्मरानी (शासन) नही है….?
क़ानून की हुक्मरानी तो है….
लेकिन
सियासत भी बहेरहाल एक ठोस हक़ीक़त है….!
क्या इसलिए कि वो सफेद फाम विदेशी है….?
अगर….वो सफेद फॉम विदेशी भी होते तो हालात के तहत यही सूरत होती….क़र्ज़ देने वाले विदेशी बेहद सूरत हराम होते है….
लेकिन इसके बावजूद भी उनके हुस्न की तारीफ करनी पड़ती है….!
मैं समझ गयी….
यही बात है….
तो फिर….
बस जा कर आराम की जिए….!
शुक्रिया….मलइक़ा ने कहा
और उसी कमरे में वापस चली गयी जहाँ से वो गहरी नींद से जागी थी….!
इमरान ने आगे बढ़ कर दरवाज़ा बंद कर दिया….
अगर….आप यहीं सामने आ जाते तो यादश्त खो बैठने का ढोंग ना रचता….शाहिद ने आहिस्ता से कहा….मैं उस खौफनाक आदमी को देख यही समझा था कि वो उन्ही लोगों आदमी है….आप की कॉल रिसीव करने के बाद मैं उनके चन्गूल में फस गया….वो हट की खिड़की तोड़ कर अंदर दाखिल हुए थे….
फिर….तुम्हे बेहोश कर के एक आंब्युलेन्स में डाला था….
और
निकल जाना चाहते थे….
और….मुझे यहाँ होश आया था….इसलिए ग़लतफहमी में मुब्तेला हो गया….!
खैर….अब आ जाओ असल मामले की तरफ….
मैं अभी इस पोज़िशन में नही हूँ कि उसका क़र्ज़ अदा कर सकूँ….
अगर….लाख….दो लाख की बात है तो मैं दे सकता हूँ….इमरान बड़े खूलूस से कहा
पूरे 10 लाख….
दो दिन के अंदर-अंदर इंतेज़ाम कर दूँगा….
आप नही….शाहिद खिसियानी हसी के साथ बोला
हा….हा….क्यूँ नही….बस आप इस्तीफ़ा वापस ले लो….इमरान चहक कर बोला
शाहिद कुछ ना बोला….अहमाक़ाना अंदाज़ में इमरान की सूरत ताकता रहा
जिस शक्श का हुलिया तुम्हारी बहन ने बताया है….वो क़र्ज़ नही देता….
बल्कि
हुकूमतों के तख्ते उलटता है….!
आप क्या जाने….शाहिद उछल पड़ा
अपने बाप के मुक़ाबले में मैने ज़्यादा दुनिया देखी है….आज से दो साल पहले उसने एक अफरीसी मुल्क को जहन्नुम बना दिया था….!
इमरान साहब….मैं एक बेबस चूहे की तरह ख़ौफज़दा हूँ….
अगर….सच्ची बात बता दो तो….
शायद
मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ….!
शाहिद ने दोनो हाथों से अपना चेहरा ढांप लिया….
और
भर्राई हुई आवाज़ में बोला….अगर….मैं आप को अपनी बेबसी की वजह बताऊ तो आप मुझ से निराश हो जाएँगे….
लेकिन खुदा की कसम….मुझे कतई याद नही कि मैं कब उन हरकत का दोषी हुआ था….!
तुम जो कुछ भी कहोगे मैं उस पर यक़ीन कर लूँगा….मैं तो सिर्फ़ एक तमाशायी हूँ….मोहब्बत और नफ़रत का हक़ मुझ से छीन लिया गया है….!
मैं नही समझा….शाहिद ने चेहरे से हाथ हटा लिया
एक ऐसा तमाशायी जो जो खुद भी तमाशे ही का एक किरदार है….
अब भी नही समझा….
मैं सिर्फ़ काम करता हूँ….मोहब्बत, नफ़रत करना मेरा मसलक (पंत), (व्यू) नही है….
बल्कि…. उसी दरख़्त (ट्री) की तरह जो सिर्फ़ फल देता है….फल तोड़ने वालों पर पत्थर नही चलाता….!
तालिब-इल्म (छात्र जीवन) के ज़माने में उनके चन्गूल में फस गया था….मेडिसिन आंड सर्जरी का बहुत अच्छा स्टूडेंट था….
और सिलेबस से बाहर निकल कर भी तलाश जूस्तजू की लगन रखता था….मेरे उसी जुनून से उन्हे फ़ायदा उठाने का मौक़ा मिल गया….मेरा एक क्लासमेट जो वहीं के एक बड़े सरमयेदार (कॅपिटलिस्ट) का लड़का था….एक दिन कहने लगा कि मैं तुम्हे एक ऐसी संस्था इंट्रोड्यूस कर सकता हूँ जहाँ क्षमता बढ़ाने के बेहतर मौक़े मौजूद है….मैं उसकी बातों में आ गया….वाक़ई वो अजीब दुनिया थी….मैने वहाँ ऐसे-ऐसे आक्सेसरी देखे जिन का तस्सउूर भी नही कर सकता था….किताबों का एक ऐसा ज़ख़िराह कि आँखें खुल गयी….संस्था का हेड एक मश्फिख आदमी (केरिंग-मॅन) था….उसने मुझे हाथों हाथ ले लिया था….उसका कहना था कि ज़हनीयत की कोई कौमियत (नॅशनॅलिटी) नही होती….खुदा का दान है….इसे सारी दुनिया के काम आना चाहिए….ये आधा तीतर उसी संस्था का निशान और मॉनोग्रॅम का एक हिस्सा है….
लेकिन मेरे लिए ये निशान सोहान रूह (कष्ट-दायक) बन गया है….दो माह से वो लोग किसी ना किसी तरह से ये निशान मुझ तक पहुँचाते रहे है….उसका मक़सद याद दिलाना है कि अब मुझे उनका खिलोना बनना पड़ेगा….!
सवाल तो ये है कि तुम वहाँ अपनी क्षमता बढ़ाते-बढ़ाते क्या करने लगे थे….जिस की बिना पर वो तुम्हे ब्लॅकमेल करने की कोशिश कर रहे है….? इमरान ने सवाल किया
काश मुझे यक़ीन होता कि मैने वो सब कुछ किया होता….जिस के खुले हुए सबूत उन्होने मेरे सामने पेश किए थे….!
डॉक्टर हो कर ऐसी बातें करते हो….? इमरान उसकी आँखों में आँखें डालता हुआ बोला….मैं तुम्हे एक ऐसा इंजेक्षन दे सकता हूँ के तुम सच-मूच अपने बारे में सब कुछ भूल जाओगे….
और इंजेक्षन का असर ख़त्म होने के बाद तुम्हे कतई याद नही रहेगा कि तुम इस दौरान में क्या कर चुके हो….!
आप जानते है….? डॉक्टर शाहिद आनंदित लहजे में चीखा
जानता ही नही हूँ….
बल्कि ऐसे बहुतर तरीके मेरे पास भी है….!
लेकिन….लोगों की बड़ी तादाद इसके बारे में नही जानती….डॉक्टर शाहिद लंबी साँस ले कर बोला….उनके पास मेरी ऐसी बेहूदा तस्वीर है कि मैं उनका तस्सउूर भी नही कर सकता….!
लड़की जान-पहचान वाली होगी….?
हरगिज़ नही….लड़की नही….लड़कियाँ कहिए….
लेकिन मेरे फरिश्तों को भी मालूम नही कि वो कौन थी….या मैं उनसे कब मिला था….!
मुझे यक़ीन है….
वो तस्वीर मुझे दिखाने के बाद कहा गया था कि मैं पूरी तरह उनके गिरफ़्त में हूँ….जहाँ भी रहूँगा उनका पाबंद रहूँगा….!
तो क्या कुछ दिनों तक वहाँ रुके थे….?
6 माह तक….तालीम मुकम्मल करने के बाद वापसी का ख़याल था कि उस संस्था के हेड ने मुझे 6 माह स्पेशल ट्रैनिंग देने का ऑफर दिया….खर्चा संस्था ही के ज़िम्मे होता….
लिहाज़ा मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता था….
और यक़ीन की जिए कि मैं दिल की सर्जरी का स्पेशलिस्ट उसी संस्था में 6 माह के अंदर-ही-अंदर बन गया था….
और उसी दौरान में ही उन्होने मेरे साथ वो हरकत कर डाली जिस का मुझे इल्म ही ना हो सका….
लेकिन मुझे उससे पहले ही शक हो गया था कि मैं ग़लत लोगों के हाथों में पड़ गया हूँ….
और ये उस मुल्क की वही संघटन है जो विकाशील देशों में रेशा किया करती है….!
लेकिन
इस्तीफ़ा…..?
मुनासीब यही होगा कि ये सवाल आप मेरे लिए छोड़ दे….
मैं नही समझी….?
बहुतर बातें खावतीनों के इल्म में लाने वाली नही होती….
शाहिद ने बौखला कर इमरान की तरफ देखा….
लिहाज़ा….आप आराम की जिए….इमरान बोला
मैं अपने घर वापिस जाना चाहती हूँ….!
अभी नही….ज़रा हालात को मेरे काबू में आ जाने दी जिए….
वरना
आप देख ही चुकी है कि पोलीस आप का सुराग नही पा सकी थी….
और वो लड़की अब भी आज़ाद है जो आप को हर्लें हाउस ले गयी थी….!
तो….इसका मतलब ये हुआ कि यहाँ क़ानून की हुक्मरानी (शासन) नही है….?
क़ानून की हुक्मरानी तो है….
लेकिन
सियासत भी बहेरहाल एक ठोस हक़ीक़त है….!
क्या इसलिए कि वो सफेद फाम विदेशी है….?
अगर….वो सफेद फॉम विदेशी भी होते तो हालात के तहत यही सूरत होती….क़र्ज़ देने वाले विदेशी बेहद सूरत हराम होते है….
लेकिन इसके बावजूद भी उनके हुस्न की तारीफ करनी पड़ती है….!
मैं समझ गयी….
यही बात है….
तो फिर….
बस जा कर आराम की जिए….!
शुक्रिया….मलइक़ा ने कहा
और उसी कमरे में वापस चली गयी जहाँ से वो गहरी नींद से जागी थी….!
इमरान ने आगे बढ़ कर दरवाज़ा बंद कर दिया….
अगर….आप यहीं सामने आ जाते तो यादश्त खो बैठने का ढोंग ना रचता….शाहिद ने आहिस्ता से कहा….मैं उस खौफनाक आदमी को देख यही समझा था कि वो उन्ही लोगों आदमी है….आप की कॉल रिसीव करने के बाद मैं उनके चन्गूल में फस गया….वो हट की खिड़की तोड़ कर अंदर दाखिल हुए थे….
फिर….तुम्हे बेहोश कर के एक आंब्युलेन्स में डाला था….
और
निकल जाना चाहते थे….
और….मुझे यहाँ होश आया था….इसलिए ग़लतफहमी में मुब्तेला हो गया….!
खैर….अब आ जाओ असल मामले की तरफ….
मैं अभी इस पोज़िशन में नही हूँ कि उसका क़र्ज़ अदा कर सकूँ….
अगर….लाख….दो लाख की बात है तो मैं दे सकता हूँ….इमरान बड़े खूलूस से कहा
पूरे 10 लाख….
दो दिन के अंदर-अंदर इंतेज़ाम कर दूँगा….
आप नही….शाहिद खिसियानी हसी के साथ बोला
हा….हा….क्यूँ नही….बस आप इस्तीफ़ा वापस ले लो….इमरान चहक कर बोला
शाहिद कुछ ना बोला….अहमाक़ाना अंदाज़ में इमरान की सूरत ताकता रहा
जिस शक्श का हुलिया तुम्हारी बहन ने बताया है….वो क़र्ज़ नही देता….
बल्कि
हुकूमतों के तख्ते उलटता है….!
आप क्या जाने….शाहिद उछल पड़ा
अपने बाप के मुक़ाबले में मैने ज़्यादा दुनिया देखी है….आज से दो साल पहले उसने एक अफरीसी मुल्क को जहन्नुम बना दिया था….!
इमरान साहब….मैं एक बेबस चूहे की तरह ख़ौफज़दा हूँ….
अगर….सच्ची बात बता दो तो….
शायद
मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ….!
शाहिद ने दोनो हाथों से अपना चेहरा ढांप लिया….
और
भर्राई हुई आवाज़ में बोला….अगर….मैं आप को अपनी बेबसी की वजह बताऊ तो आप मुझ से निराश हो जाएँगे….
लेकिन खुदा की कसम….मुझे कतई याद नही कि मैं कब उन हरकत का दोषी हुआ था….!
तुम जो कुछ भी कहोगे मैं उस पर यक़ीन कर लूँगा….मैं तो सिर्फ़ एक तमाशायी हूँ….मोहब्बत और नफ़रत का हक़ मुझ से छीन लिया गया है….!
मैं नही समझा….शाहिद ने चेहरे से हाथ हटा लिया
एक ऐसा तमाशायी जो जो खुद भी तमाशे ही का एक किरदार है….
अब भी नही समझा….
मैं सिर्फ़ काम करता हूँ….मोहब्बत, नफ़रत करना मेरा मसलक (पंत), (व्यू) नही है….
बल्कि…. उसी दरख़्त (ट्री) की तरह जो सिर्फ़ फल देता है….फल तोड़ने वालों पर पत्थर नही चलाता….!
तालिब-इल्म (छात्र जीवन) के ज़माने में उनके चन्गूल में फस गया था….मेडिसिन आंड सर्जरी का बहुत अच्छा स्टूडेंट था….
और सिलेबस से बाहर निकल कर भी तलाश जूस्तजू की लगन रखता था….मेरे उसी जुनून से उन्हे फ़ायदा उठाने का मौक़ा मिल गया….मेरा एक क्लासमेट जो वहीं के एक बड़े सरमयेदार (कॅपिटलिस्ट) का लड़का था….एक दिन कहने लगा कि मैं तुम्हे एक ऐसी संस्था इंट्रोड्यूस कर सकता हूँ जहाँ क्षमता बढ़ाने के बेहतर मौक़े मौजूद है….मैं उसकी बातों में आ गया….वाक़ई वो अजीब दुनिया थी….मैने वहाँ ऐसे-ऐसे आक्सेसरी देखे जिन का तस्सउूर भी नही कर सकता था….किताबों का एक ऐसा ज़ख़िराह कि आँखें खुल गयी….संस्था का हेड एक मश्फिख आदमी (केरिंग-मॅन) था….उसने मुझे हाथों हाथ ले लिया था….उसका कहना था कि ज़हनीयत की कोई कौमियत (नॅशनॅलिटी) नही होती….खुदा का दान है….इसे सारी दुनिया के काम आना चाहिए….ये आधा तीतर उसी संस्था का निशान और मॉनोग्रॅम का एक हिस्सा है….
लेकिन मेरे लिए ये निशान सोहान रूह (कष्ट-दायक) बन गया है….दो माह से वो लोग किसी ना किसी तरह से ये निशान मुझ तक पहुँचाते रहे है….उसका मक़सद याद दिलाना है कि अब मुझे उनका खिलोना बनना पड़ेगा….!
सवाल तो ये है कि तुम वहाँ अपनी क्षमता बढ़ाते-बढ़ाते क्या करने लगे थे….जिस की बिना पर वो तुम्हे ब्लॅकमेल करने की कोशिश कर रहे है….? इमरान ने सवाल किया
काश मुझे यक़ीन होता कि मैने वो सब कुछ किया होता….जिस के खुले हुए सबूत उन्होने मेरे सामने पेश किए थे….!
डॉक्टर हो कर ऐसी बातें करते हो….? इमरान उसकी आँखों में आँखें डालता हुआ बोला….मैं तुम्हे एक ऐसा इंजेक्षन दे सकता हूँ के तुम सच-मूच अपने बारे में सब कुछ भूल जाओगे….
और इंजेक्षन का असर ख़त्म होने के बाद तुम्हे कतई याद नही रहेगा कि तुम इस दौरान में क्या कर चुके हो….!
आप जानते है….? डॉक्टर शाहिद आनंदित लहजे में चीखा
जानता ही नही हूँ….
बल्कि ऐसे बहुतर तरीके मेरे पास भी है….!
लेकिन….लोगों की बड़ी तादाद इसके बारे में नही जानती….डॉक्टर शाहिद लंबी साँस ले कर बोला….उनके पास मेरी ऐसी बेहूदा तस्वीर है कि मैं उनका तस्सउूर भी नही कर सकता….!
लड़की जान-पहचान वाली होगी….?
हरगिज़ नही….लड़की नही….लड़कियाँ कहिए….
लेकिन मेरे फरिश्तों को भी मालूम नही कि वो कौन थी….या मैं उनसे कब मिला था….!
मुझे यक़ीन है….
वो तस्वीर मुझे दिखाने के बाद कहा गया था कि मैं पूरी तरह उनके गिरफ़्त में हूँ….जहाँ भी रहूँगा उनका पाबंद रहूँगा….!
तो क्या कुछ दिनों तक वहाँ रुके थे….?
6 माह तक….तालीम मुकम्मल करने के बाद वापसी का ख़याल था कि उस संस्था के हेड ने मुझे 6 माह स्पेशल ट्रैनिंग देने का ऑफर दिया….खर्चा संस्था ही के ज़िम्मे होता….
लिहाज़ा मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता था….
और यक़ीन की जिए कि मैं दिल की सर्जरी का स्पेशलिस्ट उसी संस्था में 6 माह के अंदर-ही-अंदर बन गया था….
और उसी दौरान में ही उन्होने मेरे साथ वो हरकत कर डाली जिस का मुझे इल्म ही ना हो सका….
लेकिन मुझे उससे पहले ही शक हो गया था कि मैं ग़लत लोगों के हाथों में पड़ गया हूँ….
और ये उस मुल्क की वही संघटन है जो विकाशील देशों में रेशा किया करती है….!